पतिव्रता का अंग | Pativrata ka Ang | Amargranth Sahib by Sant Rampal Ji Maharaj
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- เผยแพร่เมื่อ 6 ก.ค. 2023
- पतिव्रता का अंग | Pativrata ka Ang | Amargranth Sahib by Sant Rampal Ji Maharaj
गरीब, पतिब्रता तिन जानिये, नाहीं आंन उपाव। एके मन एके दिसा, छांडै़ भगति न भाव।।1।।
गरीब, पविव्रता सो जानिये, नाहीं आन उपाव। एकै मन एकै दिसा, दूजा नहीं लगाव।।2।।
गरीब, पतिब्रता सो जानिये, मानें पीव की आन। दूजे सें दावा नहीं, एकै दिसा धियान।।3।।
गरीब, पतिब्रता सो जानिये, मानें पीव की कांन। पीव भावै सोई करें, बिन अग्या नहिं खान।।4।।
गरीब, पतिब्रता सो जानिये, चरण कंवल में ध्यान। एक पलक भूले नहीं, आठौं वखत अमान।।5।।
गरीब, पतिब्रता सो जानिये, जानै अपना पीव। आंन ध्यान सै रहत होइ, चरण कमल में जीव।।6।।
गरीब, पतिब्रता सो जानिये, जानैं अपना कंत। आंन ध्यान सें रहत होइ, जो धार्या सो मंत।।7।।
गरीब, पतिब्रता सोई लखो, जानै अपना कंत। आंन ध्यान सै रहत होइ, गाहक मिलै अंनत।।8।।
गरीब, पतिब्रता कै बरत हैं, अपने पीव सूं हेत। आंन उपासी बौह मिलें, जिनसैं रहै संकेत।।9।।
गरीब, पतिब्रता सो जानिये, जाके दिल नहिं और। अपने पीव के चरण बिन, तीन लोक नहिं ठौर।।10।।
गरीब, पतिब्रता कै बरत में, कदे न परि है भंग। उनका दुनिया क्या करै, जिनके भगति उमंग।।11।।
गरीब, पतिब्रता परहेज है, आंन उपास अनीत। अपने पीव के चरण की, छाड़त ना परतीत।।12।।
गरीब, पतिब्रता कै ब्रत है, दूजा दोजिख दुंद। अपने पीव के नाम से, चरण कमल रहि बंध।।13।।
गरीब, पतिब्रता प्रसंग सुनि, जाका जासैं नेह। अपना पति छांड़ै नहीं, कोटि मिले जे देव।।14।।
गरीब, पतिब्रता प्रसंग सुनि, जाकी जासैं लाग। अपना पति छांडै़ नहीं, पूरबले बड़भाग।।15।।
गरीब, पतिब्रता प्रसंग सुनि, जाकी जासैं लाग। अपना पति छांडै़ नहीं, ज्यूं चकमक में आग।।16।।
गरीब, पतिब्रता पीव के चरण की, सिर पर रज लै डार। अड़सठि तीरथ सब किये, गंगा न्हान किदार।।17।।
गरीब, पतिब्रता पीव के चरण की, सिर पर रज लै राख। पतिब्रता का पति पारब्रह्म है,सतगुरु बोले साख।।18।।
गरीब, पतिब्रता पति प्रणाम करें, रहे पति कूं पूज। पतिब्रता पारब्रह्म पाव ही, सतगुरु कूं लै बूझ।।19।।
गरीब, पतिब्रता को प्रणाम करे, पतिब्रता कूं मिल धाय। पतिब्रता दीदार करि, चैरासी नहिं जाय।।20।।
गरीब, पतिब्रता चूके नहीं, कोटिक होंहि अचूक। और दुनी किस काम की, जैसा सिंभल रूख।।21।।
गरीब, पतिब्रता चूके नहीं, कोटिक मिलैं कुटिल। और दुनी किस काम की, जैसी पाहन सिल।।22।।
गरीब, पतिब्रता चूके नहीं, धर अंबर धसकंत। संत न छांड़े संतता, कोटिक मिलैं असंत।।23।।
गरीब, पतिब्रता चूके नहीं, साखी चंदर सूर। खेत चढे सें जानिये, को कायर को सूर।।24।।
गरीब, पतिब्रता चूके नहीं, साखी चंदर सूर। खेत चढे सें जानिये, किसके मुख पर नूर।।25।।
गरीब, पतिब्रता चूके नहीं, जाका यौंहि सुभाव। भगति हिरंबर उर धरें, भावै सरबस जाव।।26।।
गरीब, पतिब्रता चूके नहीं, तन मन धन सब जाव। नाम अभयपद उर धरै, छाड़ै भगति न भाव।।27।।
गरीब, पतिब्रता चूके नहीं, तन मन जावौं सीस। मोरध्वज अरपन किया, सिर साटे जगदीश।।28।।
गरीब, पतिब्रता प्रहलाद है, एैसी पतिब्रता होई। चैरासी कठिन तिरासना, सिर पर बीती लोइ।।29।।
गरीब, राम नाम छांड्या नहीं, अबिगत अगम अगाध। दाव न चुक्या चैपटे, पतिब्रता प्रहलाद।।30।।
गरीब, कौन कंवल अनभै उठें, कौन कंवल घर थीर। कौन कंवल में बोलिये, कौन कंवल जल नीर।।31।।
गरीब, मूल कंवल अनभै उठें, सहंस कमल घर थीर। कंठ कंवल में बोलिये, त्रिकुटि कंवल जल नीर।।32।।
गरीब, कहां बिंद की संधि है, कहां नाड़ी की नीम। कहां बजरी का द्वार है, कहां अमरी की सीम।।33।।
गरीब, त्रिकुटि बिंद की संधि है, नाभी नाड़ी नीम। गुदा कंवल बजरी कही, मूलिही अमरी सीम।।34।।
गरीब, कहां भँवर का बास है, कहा भँवर का बाग। कौन भँवर का रूप है, कौन भँवर का राग।।35।।
गरीब, हिरदे भँवर का बास है, सहंस कंवल दल बाग। उजल हिरंबर रूप है, अनहद अबिगत राग।।36।।
गरीब, निस वासरि कै जागनै, हासिल बड़ा नरेस। नाम बंदगी चित धरौ, हाजरि रहना पेस।।37।।
गरीब, सुरति सिंहासन लाईये, निरभय धूनी अखंड। चित्रगुप्त पूछें नहीं, जम का मिटि है दंड।।38।।
गरीब, ऐसा सुमरन कीजिये, रोम रोम धुनि ध्यान। आठ बखत अधिकार करि, पतिब्रता सो जान।।39।।
गरीब, तारक मंत्र चित्त धरौ, सूख्म मंत्र सार। अजपा जाप अनादि है, हंस उतरि है पार।।40।।
गरीब, अंजन मंजन कीजिये, कुल करनी करि दूर। साहेब सेती हिलमिलौ, रह्या सकल भरपूर।।41।।
गरीब, हरदम मुजरा कीजिये, यौंह तत्त बारंबार। कुबुधि कटे कांजी मिटे, घण नामी घनसार।।42।।
गरीब, अजब हजारा पुहुप है, निहगंधी गलतान। पांच तत्त नाहीं जहां, निरभय पद प्रवान।।43।।
गरीब, सत पुरूष साहेब धनी, है सो अकल अमान, पूर्ण ब्रह्म कबीर का पाया हम अस्थान।।44।।
गरीब, नेस निरंतर रमि रह्या, प्रगट क्या दिखलाइ। दास गरीब गलतान पद, सहजै रह्या समाइ।।45।।
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संत रामपाल जी महाराज जी के विचारों से समाज में सुधार आएगा।
सब मिलकर एक-दूसरे के दुःख को बाँटेंगे। सुखमय जीवन जीऐंगे। रेप व यौन उत्पीड़न की घटनाऐं समूल नष्ट हो जाएंगी।
I'm muslim Jay Kabir parmatma jay ho guru ji ❤
बंदी छोड़ सतगुरु रामपाल जी भगवान जी के चरणों में दास का कोटि कोटि दंडवत प्रणाम 😢😢❤❤
गरीब जल थल पृथ्वी गगन में बाहर भीतर एक।
पूर्ण ब्रह्म कबीर है अविगत पुरुष अलेख।।
ਅਨਮੋਲ ਵਚਨ ਅਮ੍ਰਿਤ ਗਿਆਨ ਹੈ 🙏🏼🙏🏼
Very nice satsang gyan
Sat saheb ji 🙏🙇♀️
Kabir is god 💯❤
अनमोल सत्संग
कबीर है पूर्ण परमात्मा
जय बन्दिछोड़ की मेरे गुरुदेव आपने मेरा अंधकार और झूठा सपना तोड़ दिया 😢❤❤❤❤❤❤❤❤
Sat saheb ji
बेदो में प्रमाण है कबीर साहेब भगवान है
Ram nam kadva lage mithe lage daam duvidha me dono gaye maya mili na ram 😍🥰🥰🥰🥰
पूरे विश्व में सद्गुरु संत रामपाल जी महाराज ही पूर्ण गुरु हैं जो पूर्ण परमात्मा की सत भक्ति बताते हैं।
🌸🌸🌸🌸🌹🌹🌹
पवित्र गीता जी के गूढ़ रहस्य का उजागर संत रामपाल जी महाराज ने किया शास्त्र अनुकूल भक्ति सनातन धर्म की स्थापन कर रहे हैं।
पूर्ण संत रामपाल जी
Very nice ❤
Very nice
Geart knowledge by sant rampal ji maharaj
Sabhi Dharm shastron dwara pramanit aadhyatmik satsang.
Jai ho bandi chhor ki jai ho
Very nice satsang
🙏🌹गरीब, अनंत कोटि ब्रह्मांड का, एक रति नहीं भार ।
सतगुरु पुरुष कबीर है, कुल के सिरजनहार ।।🌹🙏
Nice satsang
Jai ho bandi chhod ki
बहुत अच्छा ज्ञान है
Sat Sahib guru Ji 🙏
जगतगुरु तत्व दर्शी संत राम पाल महाराज जी पुरे विश्व के पुरन गुरु हैं शास्त्र अनुकूल भगति बताते हैं जिस से जन्म मरन से मोक्ष होगा 🙏🙏🙏🌹
अनमोल ज्ञान
🙏🌹कबीर, दण्डंवतम गोविन्द गुरु, बन्दूं अविजन सोय।
पहले भये प्रणाम तिन, नमो जो आगे होय।।🌹🙏
Awesome Satsang!
🙏🌹पर्वत पर्वत में फिरा,कारण अपने राम।
राम जैसै संत मिले,जिन्हें सारे सब काम।।🌹🙏
🙏🌹संत मिलन को चालिए,तज माया अभिमान।
जौ जौ पग आगे घरै, कोटि यज्ञ समान।।🌹🙏
Sat Saheb ji
🙏🌹कबीर,एकै साधै सब सधै,सब साधै सब जाय। माली सींचे मूल को, फलै फूलै अधाय।।🌹🙏
🙏🌹 सतगुरू देव जी की जय 🌹🙏
🙏🌹 🇮🇳 सत साहेब जी 🇮🇳🌹🙏
Sat saheb ❤
Nice satsang.kabir is God
🙏🌹 कबीर,दण्डंवतृ् गोविन्द गुरु,,बन्दूं अविजन सोय।
पहले भये प्रणाम तिन,नमो जो आगे होय।।🌹🙏
🙏🌹तीनों देवा कमल दल बसे,ब्रह्मा विष्णु महेश।
प्रथम इनकी वन्दनां,फिर सुनो सतगुरू उपदेश।।🌹🙏
हे मालिक अपने चरणों से दूर मत करना दाता 🙏🏻🙏🏻
Very nice vani
Kabir is riyl God
Sat saheb ji 🙏❤️❤️❤️
🙏🌹सतगुरु को क्या दीजिए,तन मन धन और शीश।
पिंड प्राण कुर्बान कर,जिन भक्ति दई बख्शीश।।🌹🙏
Mat pita mil jayege lakha chaurasi mahe sat guru seva bandgi fir milegi naye 🌹🥰🥰🥰🥰🥰
Sat sahib ji
Sant Rampal Ji Maharaj bahut hi achcha Gyan batate hai
Supreme god kabir
Very nice 🎉
🙏🌹गरीब, जल थल पृथ्वी गगन में, बाहर भीतर एक ।
पूर्ण ब्रह्म कबीर है, अविगत पुरुष अलेख ।।🌹🙏
anmol prmanit satsang
संत रामपाल जी महाराज के मुख्य उद्देश्य
बहन बेटियों के प्रति समान जागृत करना, लोगों में मृदुलता समरसता कीभावना भरना, विश्व को नेक नियति से रहना सिखाना, विश्व में सत्य आध्यात्मिक क्रांति लाना और सम्माज में समानता स्थापित करना।
🙏🌹तीन लोक नौ खंड में गुरु से बड़ा ना कोए ।
करता करें न कर सके गुरु करें सौ होए ।।🌹🙏
🙏🌹कोटि-कोटि सिजदा करूं, कोटि कोटि प्रणाम।
चरण कमल में राखियो, मैं बांदी जाम ग़ुलाम।।🌹🙏
परमेश्वर का नाम कविर्देव अर्थात् कबीर परमेश्वर है, जिसने सर्व रचना की है। जो परमेश्वर अचल अर्थात् वास्तव में अविनाशी है।
- पवित्र अथर्ववेद काण्ड 4 अनुवाक 1 मंत्र 7
Supreme god is Kabir 🙏🙏🙏🙏
Very very nice 👍👍👍 satsang Kabir is Supreme 🌹🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌹🌹🌹🌹 God
भाई जो गुरु वचन पर डटगे, कटगे फंद चौरासी के, वस्तु मिली ठौर की ठौर मिटगी मन पापी की दौड़।
True knowledge
LORD KABIR
was present in Satlok even before the knowledge of Vedas was given and Himself descends in all four yugas to impart His True Spiritual knowledge.
पूर्ण ब्रह्म कबीर परमेश्वर
हे परम दयालु संत रामपाल जी अगर आप इस तत्व ज्ञान को जन-जन तक ना पहुंच आते तो यह सभी लोग शास्त्र विरुद्ध साधना कर कर अपना जीवन स्वयं नष्ट कर लेते आपके यह सभी जन जन मानस आभारी रहेंगे हे भगवान कुछ ऐसी कृपा करो कि यह बचे हुए सभी भाई-बहनों तक भी पहुंच जाए फिर उनकी मर्जी है कि वह सत्य को अपनाएं यह असत्य को
संत रामपाल जी महाराज ही एकमात्र सच्चे सतगुरु हैं जो शास्त्रों के बताए अनुसार तीन समय की भक्ति एवं तीन प्रकार के मंत्र जाप अपने साधकों को देते हैं जिससे उन्हें सर्व सुख मिलता है तथा उनका मोक्ष का मार्ग भीगीता अध्याय 15 श्लोक 1 में गीता ज्ञान दाता ने तत्वदर्शी संत (सच्चा सतगुरु) की पहचान बताते हुए कहा है कि वह संत संसार रूपी वृक्ष के प्रत्येक भाग अर्थात जड़ से लेकर पत्ती तक का विस्तारपूर्वक ज्ञान कराएगा। आसान हो जाता है।
कबीर,सतगुरु के दरबार मे, जाइयो बारम्बार
भूली वस्तु लखा देवे, है सतगुरु दातार।
हमे सच्चे गुरु की शरण मे आकर बार बार उनके दर्शनार्थ जाना चाहिए और ज्ञान सुनना चाहिए।
पूरे विश्व में एकमात्र तत्वदर्शी संत संत रामपाल जी महाराज है उनसे नाम दीक्षा लेकर अपना कल्याण करवाएं अधिक जानकारी के लिए पढ़े ज्ञान गंगा पुस्तक
🙏🌹एक लीर के कारणे, मेरे बडगै चीर अपार ।
जै मैं पहले समझ लेती, तो सर्वश देती वार ।।🌹🙏
पवित्र आत्मा परमार्थी स्वभाव हनुमान जी को परमेश्वर कबीर जी ने अपनी शरण में लिया। परमार्थी आत्मा को संसार तथा काल के स्वामी भले ही परोपकार का फल नहीं देते, परंतु परमेश्वर ऐसी आत्माओं को शरण में अवश्य लेते हैं क्योंकि ऐसी आत्मा ही परम भक्त बनकर भक्ति करते हैं और मोक्ष प्राप्त करते हैं।
कबीर ये तन जाऐगा सके तो ठाहर ला ऐक सेवा कर बन्दगी ओर गोविंद के गुणगा
Annmol Gyan
Anmol gyan he ji
Bahut anmol gyan
गुरु के समान 7 द्वीप, नौ खंड मे कोई बड़ा नही है। इसी प्रकार जो संत उसी ज्ञान तथा दीक्षा नाम को जानता है और नाम दान करने का अधिकारी है वह भी वही गुण रखता है। जो परमात्मा स्वयं गुरु रूप मे आता है।
Kabir is super god
❤❤❤❤
पतिव्रता जमी पर , जो जो धरहय पाव। समरथ झाड़ू देत है , ना काटा लग जाय।।
पूर्ण संत रामपाल जी महाराज जी से उपदेश प्राप्त करके मर्यादा में रहकर सतभक्ति करने से पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब हमेशा रक्षा करते हैं। और अपने भक्त की आयु भी बढ़ा देते हैं।
Kabir Is Supreme God
Kabir is god
🙏🙏
Nice
कबीर परमेश्वर जी ने कहा है कि जो सच्चा गुरु होगा उसके 4 मुख्य लक्षण होते हैं।
1. सब वेद तथा शास्त्रों को वह ठीक से जानता है।
2. दूसरे वह स्वयं भी भक्ति मन कर्म वचन से करता है अर्थात उसकी कथनी और करनी में कोई अंतर नहीं होता।
3. तीसरा लक्षण यह है कि वह सर्व अनुयायियों से समान व्यवहार करता है भेदभाव नहीं रखता।
4. चौथा लक्षण यह है कि वह सर्व भक्ति कर्म वेदो ( चार वेद तो सब जानते हैं ऋग्वेद, यजुर्वेद ,सामवेद, अथर्ववेद तथा पांचवा वेद सूक्ष्म वेद सरवन वेदो) के अनुसार करता और कराता है।😮😮😮
Kabir is god 🙏
मेडिटेशन करने से शारीरिक सुख मिल सकता है लेकिन आध्यात्मिक लाभ नहीं मिल सकता है। परमात्मा से साक्षात्कार करने वाले संतों ने सहज समाधि बताई है जिसमें चलते-फिरते, उठते-बैठते परमात्मा का नाम सिमरन करना होता है।
🙏🌹🇮🇳 बन्दीं छोड़ सतगुरू रामपाल जी महाराज की जय हो सत साहेब जी🇮🇳🌹🙏
पतिबरता पद क्या है उसे समझा गुरुजी बताते हैं एक ईस्टर हो उसी का भक्ति करें और अन्य का तो याद भी ना करें
Very nice Satsang
तीन देवा कमल दल बसें, ब्रह्मा विष्णु महेश।
प्रथम इनकी वन्दना ,फिर सुनो सत गुरु उपदेश।।
Very good morning
🍀हठयोग से न तो परमात्मा मिलता है और न ही जन्म-मृत्यु से मुक्ति मिलती है। बल्कि पवित्र गीता अध्याय 17 श्लोक 5 व 6 में मनमाने घोर तप (हठयोग) करने वालों को गीता ज्ञान दाता ने अज्ञानी, आसुर स्वभाव वाले बताया है।
तत्वदर्शी संत से सत्यनाम और सारनाम प्राप्त करके जोकि सच्चे नाम मंत्र की ओर संकेत करते हैं और मर्यादा में रहकर सतभक्ति करने से पूर्ण मोक्ष प्राप्त होगा।
😢
परमात्मा साकार है व सहशरीर है (प्रभु राजा के समान दर्शनीय है)
यजुर्वेद अध्याय 5, मंत्र 1, 6, 8, यजुर्वेद अध्याय 1, मंत्र 15, यजुर्वेद अध्याय 7 मंत्र 39, ऋग्वेद मण्डल 1, सूक्त 31, मंत्र 17, ऋग्वेद मण्डल 9, सूक्त 86, मंत्र 26, 27, ऋग्वेद मण्डल 9, सूक्त 82, मंत्र 1 - 3
🍀मेडिटेशन करने से शारीरिक सुख मिल सकता है लेकिन आध्यात्मिक लाभ नहीं मिल सकता है। परमात्मा से साक्षात्कार करने वाले संतों ने सहज समाधि बताई है जिसमें चलते-फिरते, उठते-बैठते परमात्मा का नाम सिमरन करना होता है।
संत रामपाल जी महाराज ही एकमात्र सच्चे सतगुरु हैं जो शास्त्रों के बताए अनुसार तीन समय की भक्ति एवं तीन प्रकार के मंत्र जाप अपने साधकों को देते हैं जिससे उन्हें सर्व सुख मिलता है तथा उनका मोक्ष का मार्ग भी आसान हो जाता है।
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🪕गीता अध्याय 15 श्लोक 1 में गीता ज्ञान दाता ने तत्वदर्शी संत (सच्चा सतगुरु) की पहचान बताते हुए कहा है कि वह संत संसार रूपी वृक्ष के प्रत्येक भाग अर्थात जड़ से लेकर पत्ती तक का विस्तारपूर्वक ज्ञान कराएगा।
Ture story
Bandi chod sat guru rampalji ki jay ho
नकली संतों व महंतों ने मेडिटेशन को अधिक महत्व दिया है। परंतु मेडिटेशन करने से शरीर में शारीरिक सुख प्राप्त हो सकता है परंतु आध्यात्मिक लाभ नहीं मिल सकता। संत रामपाल जी महाराज जी यथार्थ भक्ति विधि बताते हैं जो सहज समाधि है जिससे साधक को आध्यात्मिक, शारीरिक एवं मानसिक तीनों प्रकार के लाभ प्राप्त होते हैं।
गीता अध्याय 5 श्लोक 2 में कहा गया है कि तत्वदर्शी संत न मिलने के कारण वास्तविक भक्ति का ज्ञान न होने से साधकों द्वारा गृहत्याग कर वन में चला जाना या कर्म त्याग कर एक स्थान पर बैठ कर कान, नाक आदि बंद करके या तप आदि करना दोनों ही व्यर्थ हैं अर्थात श्रेयकर नहीं हैं।
सत गुरु देव जी की जय बंदी छोड़ सत गुरु रामपाल जी महाराज की जय हो सत साहेब जी 🙏🙏🙏
शास्त्र विरुद्ध मनमाना आचरण करने से कोई लाभ नहीं होता है। इस विषय में श्रीमद्भगवत गीता अध्याय 16 श्लोक 23 में कहा गया है कि शास्त्रविधि को त्यागकर जो व्यक्ति मनमाना आचरण करता है उसे न कोई लाभ होता है, न सुख प्राप्त होता है और न ही परमगति यानी मोक्ष मिलता है।
क्या मुख ले विनती करूँ लाज आवत है मोहि । तुम देखत औगुन किया, कैसे भाऊ तोहि ॥
सरलार्थ :- मैं कौन सा मुख लेकर आपसे विनती करू मुझे लाज आती है क्योंकि आपको देखते हुए भी मैंने बहुत से अपराध किये है फिर मै तुम्हें कैसे अच्छा लगूंगा ।
Prativrita jamin par jyon -2 dharibai paanv |
Samrath jhaadu det hai na kaanta lag jaay ||