अथ तर्क वेदी | Ath Tark Vedi | Amargranth Sahib by Sant Rampal Ji Maharaj
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- เผยแพร่เมื่อ 25 ก.ค. 2023
- अथ तर्क वेदी | Ath Tark Vedi | Amargranth Sahib by Sant Rampal Ji Maharaj
(कथा - अजामेल, सदना कसाई, धन्ना भगत, दत्तात्रेय, पीपा राजा)
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पांडे बेद पढैं क्या होई, घट अंदर की खबर न जानैं दौरा लूटैं तोही।।1।।
एकै गुदरी एकै धागा, पांच तत्त रंग भीना बागा। हाड चाम का सकल पसारा, सब घट एकै बोलन हारा।।2।।
भर्म भेद भूलो मति कोऊ, सब घट एकै गूदा लोहू। भग द्वारै सब आवैं जांही, ऊंच नीच कहां भिन्न बतांही।।3।।
उदर बीच कहां पोथी पाना, शालिग शिला नहीं अस्थाना। नांथा पांडे कंध जनेऊ, बहु बिधि भूले बाट बटेऊ।।4।।
दर्पण धोती तिलक न होता, ऊध्र्व मुखी भवजल में गोता। तहां नेम आचार नहीं था भाई, तातैं समझि शब्द ल्यौ लाई।।5।।
गीता गायत्री नहीं होती, कागज कलम न पत्रा पोथी। निःसंदेह देव नहीं दूजा, ना जहां पत्थर पानी पूजा।।6।।
कण्ठी माला न मृग छाला। ना चंदन के छापे। पत्थर पूजैं पद नहीं बूझैं, पूरण ब्रह्म न लापे।।7।।
शुद्र ब्रह्मनी जाया भाई, तुम्हरा शुद्र शरीरं, बाहर आंनि भये ब्रह्मचारी, न्हाते बहु जल नीरं।।8।।
बहु जल नीरं गहर गंभीरं, सूतक पातक जीमें। भवजल आनि परे हैं भाई, घोर कुण्ड फिर नीमें।।9।।
क्रियासैं कारज नहीं सरता, भक्ति भाव सें दुःखे। घीव बसंदर देदे पांडे, होम बहुत से फूके।।10।।
होम हनोज किये निशिबासर, जीव हिते बहु दगदे। ऊत भूत की पूजा र्खाइ , भोजन बहु बिधि बगदे।।11।।
देबी के तुम दास कहावो, मशानी मन माला। चण्डी का तुम चाव रखत हो, इत होसी मूंह काला।।12।।
दुर्गा कै ले मुरगा दौरैं, चण्डी कै ले बकरा। बहुत कफीक शरै में होंगे, छाती दीजै लकरा।।13।।
सेढ शीतला गदहा मांगै, याह कौन अविद्या पांडे। आगे की तो आगै होती, इत ही जमकूं डांडे।।14।।
भैरव आगै भोषा बैठ्या, क्षेत्र पाल करूरी। कुल का पुरोहित पोथी बांचै, कीजै बेग कंदूरी ।।15।।
करौ कंदूरी भोजन पूरी, खीर खाण्ड षट् मासा। घरमें शोर चोर जम लूटै, यौह जग अजब तमाशा।।16।।
अजब तमाशा संतौं दीठा, तगुरु दृष्टि उघारी। क्षेत्रपाल काल होय लाग्या, भूत भये ब्रह्मचारी।।17।।
ये ब्रह्मचारी करैं अग्यारी, मुरदे ऊपर खांही। तेंरामी का तार न काढ्या, कारज जीमन तांही।।18।।
जा दिन हंसा करै पियाना, कौंन धाम कूं जाई। जिस काया में रहता हंसा, सो तो ठोक जराई।।19।।
ठोक जराई छार उड़ाई, किस की मुक्ति करोगे। कौंन भर्मणा भूले पाण्डे, काके पिण्ड भरोगे।।20।।
पांच तत्त की गुदरी फूकी, डीक जली सब दीठी। अंध घोर में भूले र्भाइ । झूठी मुक्ति बसीठी।।21।।
आवत जाता नजर न आया, गैबी खेल खिलारी, बाजीगर के जंत्र मांहीं भूलि रहे ब्रह्मचारी।।22।।
बहु बिधि भूले अर्थ न खूल्हे, अनर्थ सेती राते। परम धाम की बाट न पाई, ऐसैं भवजल जाते।।23।।
भवजल जाते दोजिख राते, फिरि फिरि आवैं जूनी। काया माया थिर नहीं भाई, पांच तत्त की पूंनी।।24।।
पूंनी बिनशै धागा निकसै, सो धागा कहां समाना। उस गैबी का मारग चीन्हौं, त्यागो बेद पुराना।।25।।
बेद पुराना जगत बंधाना, जमपुर गोते खाई। झूठा ज्ञान ध्यान कहां लागै, बाद विद्या चतुराई।।26।।
निःसंदेह देह कूं खोजो, सोहं सन्धि मिलाई। मानसरोवर हंसा राते, मोती चुनि चुनि खाई।।27।।
काल कल्पना दूर निवारो, आवा गमन न होई। राम रसायन सें दिल भाग्या, यौह जग पीवै छोई।।28।।
पत्थर पानी भर्म कहानी, पूजि मुई सब बाजी। बेद कुराना बंदत खाना, मरगे पंडित काजी।।29।।
पंडित काजी डोबी बाजी, दोनूं दीन अनाथा। बहिश्त बैकुण्ठ राह नहीं पाया, देख्या दोजिख जाता।।30।।
जाकूं बहिश्त बैकुण्ठ कहत हो, सो स्वप्ने की झांही। असंख्य जीव बैकुण्ठां राते, पर जूनी छूटै नांही।।31।।
बहिश्त बैकुण्ठ हमौं भी देख्या, हमरा दिल नहीं लाग्या। शुन्य मंडल कूं किया पयाना, काल कर्म सब भाग्या ।।32।।
बहिश्त बीच है बड़ा भराहर, जम के हाथौं फांसी। जौंरा काल ख्याल तहां गावै, देखी गुरजि तिरासी ।।33।।
गुरजि तिरासी बहुत उदासी, संतौं न स्वर्ग भावै। उत्पत्ति प्रलय फरदी मेटौं, बहुरि नहीं डहकांवैं।।34।।
जो पांडे बहु पाठ पढंते, देखे जम की जाली। भैरव कूं रक्षा नहीं कीन्ही, क्षेत्रपाल रखवाली।।35।।
ऊत भूत की पूजा खाई, करुवा चैथ कहानी। देबी तुम्हरी छोटी पुत्री, जेठी धीव मशांनी।।36।।
सेढ शीतला शाख रखत हो, चण्डी तुम्हरी माई। क्षेत्रपाल है पिता तुम्हारा। भैरव भूता माई।।37।।
राहु केतु सैं बहु बिधि राते, नौ ग्रह सेती नेहा। फोकट ख्याल माल बहु लूटे, अंत पड़ी मूँ खेहा।।38।।
धरि शिब लिंगा बहु बिधि रंगा, गाल बजावैं गहले। लिंग पूजि शिब साहिब मिलि हैं, तो पूजो क्यूं नहीं खैले।।39।।
कदि शंकर कूं सेवा मांडी, मुंडित भये आचारी। लाय अंगीठ काष्ट कदि फूके, घीव बसंदर जारी।।40।।
कदि सनकादिक पत्थर पूजे, अठसठ तीरथ न्हाये। चंदन काठ घसी कदि पत्थरी। कदि द्वादश तिलक बनाये।।41।।
कदि ब्रह्मा कूं छापे लीन्हें। द्वारामती नरेशा। कदि पत्थर कूं पान खुवाये, जटा बधाये केशा।।42।।
शेष गणेश गंग कदि न्हाये, कदि गायत्री लापी। धूंमी घलि दिये कदि धामे, पीठ कौन दिन तापी।।43।।
कदि नारद मुनि नाद बजाया, शंखा झालरि पीटी। होम आचार कौंन दिन कीन्हें, चंदन चरच्या घींटी।।44।।
कदि ध्रुव प्रहलाद द्वारिका न्हाये, कदि बृंदाबन फेरी। इन्द्र दौंन किये अस्नाना, गंगा सागर बेरी।।45।।
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परमेश्वर का नाम कविर्देव अर्थात् कबीर परमेश्वर है, जिसने सर्व रचना की है। जो परमेश्वर अचल अर्थात् वास्तव में अविनाशी है।
- पवित्र अथर्ववेद काण्ड 4 अनुवाक 1 मंत्र 7
अद्वितीय आध्यात्मिक ज्ञान अवश्य सुनो जगत् गुरु तत्वदर्शी पुर्ण संत रामपाल जी महाराज के मुखकमल से अमृत वचन
जगत गुरु संत रामपाल जी महाराज जी से नाम दीक्षा लेकर सतभगति करने से सभी प्रकार से सुख प्राप्त होते हैं।
तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज गुरु महाराज जी के चरणों में इस बेटी का कोटि कोटि दंडवत प्रणाम
संत रामपाल जी महाराज जी के विचारों से समाज में सुधार आएगा।
सब मिलकर एक-दूसरे के दुःख को बाँटेंगे। सुखमय जीवन जीऐंगे। रेप व यौन उत्पीड़न की घटनाऐं समूल नष्ट हो जाएंगी।
संत रामपाल जी महाराज जी का उद्देश्य विश्व में प्रेम व शांति स्थापित करना व कुरीतियों, पाखंडवाद, नशा, दहेज प्रथा आदि को समाप्त करके सबको एक परमात्मा की भक्ति करवाकर सुखी बनाना और पूर्ण मोक्ष देना है।
✨आज पूरे विश्व में परमेश्वर
कबीर साहेब जी के अवतार तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज ही एक ऐसे पूर्ण संत हैं, जिनकी शरण में आकर ही मानव जीवन कल्याण की प्राप्ति हो सकती हैं | समस्त विश्व से निवेदन (request) है कि बिना देरी किए पूर्ण संत रामपाल जी महाराज जी के ज्ञान को अच्छे से समझे और स्वीकार करें और अपने मानव जीवन को सफल बनाएं |✨
🙏🏻सत साहेब जी सब नू 🙏🏻
कबीर, यह मन मलीन हैं, धोये ना छूटे रंग I
कै छूटे हरि भक्ति से, कै साधु सत्संग ll
मनमानी भक्ति से कोई लाभ नहीं होता संत रामपाल जी महाराज द्वारा बताई गई भक्ति से ही सर्व लाभ प्राप्त होंगे क्योंकि उनकी बताई गई भक्ति ही पूर्ण हे
Bandi Chhod Satguru Rampal Ji Bhagavan Ji Ki Jay Ho 🙏🌹
संत रामपाल जी महाराज जी के सत्संग वचन सुनकर उनसे निःशुल्क जुड़ें ताकि हमारी तरह आप भी सुखी हों, उनसे जुड़ने के बाद शरीर के सभी प्रकार के रोग नष्ट होंगे। सभी प्रकार के नशे छूट जाऐंगे। जीवन यापन के लिए थोड़ी कमाई से ही काम चल जाएगा। निर्धनता खत्म हो जाएगी।🌷🌷
हजार वर्ष तप करने का जो फल प्राप्त होता है उससे अधिक फल तत्वदर्शी संत का एक पल का सत्संग मिल जाए उससे होता है।
कबीर साहेब जी कहते हैं -
सत्संग की आधी घड़ी, तप के वर्ष हजार l
तो भी बराबर है नहीं, कहै कबीर विचार ll
साचा शब्द कबीर का, सुनकर लागे आग ।
अज्ञानी सौ जल जल मरै पर ,ज्ञानी जावे जाग ।।
_SantRampalJi Maharaj
संत रामपाल जी महाराज के शिष्यों ने क बाढ़ प्रभावित इलाकों में प्रतिदिन पहुंचाई राहत सामग्री जिसमें भोजन, पानी, दवाइयां, दूध व पशुओं के लिए चारा शामिल था।
संत रामपाल जी महाराज ही एकमात्र सच्चे सतगुरु हैं जो शास्त्रों के बताए अनुसार तीन समय की भक्ति एवं तीन प्रकार के मंत्र जाप अपने साधकों को देते हैं जिससे उन्हें सर्व सुख मिलता है तथा उनका मोक्ष का मार्ग भी आसान हो जाता है। 🌱
Bandi chhod satguru Rampal Ji Bhagwan ke charanon mein koti koti dandvat pranam
मेडिटेशन करने से शारीरिक सुख मिल सकता है लेकिन आध्यात्मिक लाभ नहीं मिल सकता है। परमात्मा से साक्षात्कार करने वाले संतों ने सहज समाधि बताई है जिसमें चलते-फिरते, उठते-बैठते परमात्मा का नाम सिमरन करना होता है।
अनंत कोटि ब्रह्मांड के महानायक पूर्ण ब्रह्म कबीर भगवान के स्वरुप में आज धरती पर विराजमान कबीर परमेश्वर के चोले में आए हुए संत शिरोमणि सतगुरु रामपाल जी महाराज के चरणों में दास का कोटि कोटि दंडवत प्रणाम सत साहेब
वेद गवाही देते हैं कि पूर्ण परमात्मा कविर्देव(कबीर साहेब) राजा के समान दर्शनीय हैं। वे सतलोक में रहते हैं और अपनी अच्छी आत्माओं और दृढ़ भगतों को सत्य भक्ति का ज्ञान करवाने के लिए वो परमात्मा स्वयं ही पृथ्वी पर प्रकट होते हैं।
मानुष जन्म पाए कर जो नहीं रटे हरि नाम जैसे कुआं जल बिना बनवाया किस काम 🌹🙏🏼🙇🏼♂️🙇♀️🙇🏻♀️🙏🏼🌹
संत रामपाल जी महाराज जी के सत्संग वचन सुनकर उनसे निःशुल्क जुड़ें ताकि हमारी तरह आप भी सुखी हों, उनसे जुड़ने के बाद शरीर के सभी प्रकार के रोग नष्ट होंगे। सभी प्रकार के नशे छूट जाऐंगे। जीवन यापन के लिए थोड़ी कमाई से ही काम चल जाएगा। निर्धनता खत्म हो जाएगी।
अनंत कोटि ब्रह्माण्ड का एक रत्ती नहीं भार!
सतगुरु पुरुष कबीर है कुल के सिरजनहार!
गरीब जल थल पृथ्वी गगन में, बाहर भीतर एक।
पूर्ण ब्रह्म कबीर है, अविगत पुरुष अलेख।।
गरीब जल थल पृथ्वी गगन में बाहर भीतर एक।
पूर्ण ब्रह्म कबीर है अविगत पुरुष अलेख
सत साहेब जी 🙇♀️🙏
अनंत कोर्ट ब्रह्मांड के मालिक सतगुरु रामपाल जी भगवान के चरणों में दास की कोटि कोटि दंडवत प्रणाम सत साहिब जी
कबीर, प्रीती बहुत संसार में, नाना विधि की सोय।
उत्तम प्रीती सो जानियो, सतगुरु से जो होय।।
संत रामपाल जी महाराज जी के विचारों से समाज में सुधार आएगा।
देश के लड़के-लड़की अपनी संस्कृति पर लौटेंगे। भारत देश में अमन होगा।
God can increase the life span of a human being and cure incurable diseases - Rigveda Mandal 10 Sukt 161 Mantra 2, 5, Sukt 162 Mantra 5, Sukt 163 Mantra 1 - 3.
Take refuge in True spiritual master Saint Rampal Ji & must pray to the supreme God Kabir who is the savior of all.
Kabir Is Supreme God
पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब
साचा शब्द कबीर का,सुन सुन लागे आग ।
अज्ञानी सौ जल जल मरै ,ज्ञानी जाय जाग ।।,
गरीब, सेवक होकर उतरे इस पृथ्वी के माही।
जीव उधारन जगतगुरु बार-बार बलि जाऊं।।
🪕गरीब, अनंत कोटि ब्रह्मंड का एक रति नहीं भार। सतगुरू पुरूष कबीर हैं कुल के सृजनहार।।
वाह अतिदुर्लभ सत्संग परमात्मा की दया से सुनने को मिला जय हो बन्दीछोड की।।
*🙏सतगुरु देव जी की जय🙏*
🪷🪷🪷🪷🪷🪷🪷🪷
*"बंदीछोड़ दयाल जी तुम तक हमरी दौड़।*
*जैसे काग जहाज का सूझत और न ठोर।।*
🙏🪷 बंदी छोड़ सतगुरु रामपाल जी भगवान की जय हो🪷🙏*
🙏सत साहेब🙏
कबीर ऐसा निर्मल ज्ञान है निर्मल करे शरीर और ज्ञान मंडली के ज्ञान का चकले ज्ञान कबीर
*🙏 सतगुरु देव जी की जय🙏🙇🏻♂️
*🙏 जय जय सतगुरु मेरे की🙏🙇♀️
🪷"गरीब, सेवक होकर उतरे, इस पृथ्वी के माहि।"🪷
🪷जीव उधारण जगतगुरु ,बार-बार बलि जांही।।"🪷
बंदी छोड़ सतगुरु रामपाल जी भगवान जी की जय हो।🙏*
🪷🪷🪷🪷🪷🪷🪷🪷🪷🪷🪷🪷
*🙏सत साहेब जी🙏*
कबीर, बलिहारी गुरू आपणा, घड़ी घड़ी सौ सौ बार।
मानुष से देवता किया, करत ना लाई वार।।गरीब , नौ लख नानक नाद में , दस लख गोरख तीर। लाख दत्त संगी सदा , चरणौं चरचि कबीर
रामपाल जी महराज से नाम दीक्षा लेने मात्र से कष्ट दूर होते है
🎉 भक्ति बिना क्या होत है, ये भरम रहा संसार।
रति कंचन पाया नहीं, रावण चलती बार।।
परमात्मा कबीर साहेब जी बताते हैं कि रावण का बहुत बड़ा साम्राज्य और विशाल परिवार था। उनके एक लाख बेटे और सवा लाख पोते थे, लेकिन आज उनके परिवार में एक भी परिवार का सदस्य जीवित नहीं है, सभी मर चुके हैं।
सतभक्ति के बिना मोक्ष नहीं मिल सकता
श्रद्धा से सत्य भक्ति करने से अविनाशी परमात्मा की प्राप्ति होती है अर्थात् पूर्ण मोक्ष होता है। पूर्ण संत भिक्षा व चंदा मांगता नहीं फिरेगा। 🌱
*🙏🙏परमात्मा के अमृत प्रवचन 🙏🙏*
🪷🪷🪷🪷🪷🪷🪷🪷🪷🪷*🙏🏿 सतगुरु देव जी की जय 🙇♂️🙇♂️🙇♀️🙇♀️*
*🙏🏿जय जय सतगुरु मेरे की 🙇♂️🙇♂️🙇♀️🙇♀️*
🍃🍂यो सौदा फिर नाही संतो यो सौदा फिर नाही।🍂🍃
🍃🍂दुगने तिगने किए चौगुने किन्हूं लेखे नाही।।🍂🍃
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*🙏 बंदी छोड़ सतगुरु रामपाल जी भगवान जी की जय हो।🙏*
🙏सत साहेब जी 🙏
🙏🙏🙏🙏🙏🙏
बन्दीछोड दयाल जी तुम तक हमरी दौड, जैसे काग जहाज का सूझे और न ठौर।
संत मत में जो ध्यान है, वह परमात्मा की प्राप्ति की तड़फ में प्रति क्षण उसी की याद बनी रहे। जैसे चिंता होती है तो पल-पल मन उसी चीज़ पर केन्द्रित हो जाता है। कोशिश करने पर भी नहीं हटता। ठीक ऐसे परमात्मा की चिंता जो चिंतन कहा जाता है। परमात्मा को याद कर उसका सुमरण करना। और सुमरण में श्वांसों के साथ कौनसा शब्द उचारण हो रहा है ध्यान रखना ही वास्तविक मेडिटेशन है।
गुरु बिन माला फेरते गुरु बिन देते दान दोनों ही निष्फल है चाहे पूछो पुराण
राम नाम कड़वा लागे मीठे लागे दाम दो विद्या में दोनों गए माया मिली ना राम
🙏सतगुरु देव जी की जय🙇♀️🙇🏻♂️
🙏 जय जय सतगुरु मेरे की🙇♀️🙇🏻♂️
परमेश्वर कबीर साहिब जी की अमृतवाणी:
*"मानुष जन्म दुर्लभ है मिले ना बारंबार ।*"
*"जैसे तरुवर से पत्ता टूट गया, बहोर ना लगता डार।।"*🍂🍃
*अपने परम पिता परमात्मा ने हमें शास्त्रानुसार तत्वज्ञान रूपी दीपक दिखा कर हमारे जीवन में जो उजियारा किया है अर्थात् मनुष्य जीवन सफल करने का मार्ग हमें दिखाया है।*
*🙏 बंदी छोड़ सतगुरु संत रामपाल जी भगवान की जय हो🙏*
🪷🪷🪷🪷🪷🪷🪷
*🙏 सत साहेब जी 🙏*
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
🙏🏿 सतगुरु देव जी की जय 🙇♂️
🙏🏿जय जय सतगुरु मेरे की 🙇♂️
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"सतगुरु के उपकार का, लाया एक विचार।
जै सतगुरु मिलते नहीं ,जाते नरक द्वार।।
नरक द्वार में दूत सब, करते खैचा तान।
उनसे कबहुँ न छूटता ,फिरता चारों खान।।
चार खानी में भ्रमता , कब्हू ना लगता पार।
सो फेरा सब मिट गया,मेरे सतगुरु के उपकार।।
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🍃🍂🍂🍃🍃🍂सर्व ग्रंथों में प्रमाण है कि कबीर साहेब ही भगवान हैं जो हमारे जन्म मरण से मुक्ति दिला सकते हैं।🍂🍃🍂परमात्मा हमारे जन्म मरण के रोग को काट सकता है
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🙏 बंदी छोड़ सतगुरु रामपाल जी भगवान जी की जय हो।🙏
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*🙏सत साहेब जी 🙏*
Kabir is supreme power।
अविगत राम _"सतगुरु मिले तो इच्छा मेटे,पद मिले पद समाना | चल हँसा उस लोक पठाउं, आदि अमर अस्थाना || 📚*Kabir Is God*📚God Is In The Shape Of Satguru📚Avatar Of God Kabir_Sant Rampal Ji Maharaj🙏🌺💖🌺💖
सर्व शक्तिमान परमेश्वर कबीर"
पूर्ण परमात्मा आयु बढ़ा सकता है और कोई भी रोग को नष्ट कर सकता है। - ऋग्वेद मण्डल 10 सुक्त 161 मंत्र 2, 5, सुक्त 162 मंत्र 5, सुक्त 163 मंत्र 1 - 3
कबीरा साधु दर्शन राम के, मुख पर बसे सुहाग।
दर्श उन्हीं के होते हैं, जिनके पूर्ण भाग
Jai ho bandi chhod ki jai ho 🙏🙏🙏🙏🙏🙏
🦋 प्राकृतिक आपदा के बीच संत रामपाल जी महाराज के अनुयायी बाढ़ में फंसे लोगों की हरसंभव सहायता कर रहे हैं।
प्रतिदिन संत जी के अनुयायियों द्वारा बाढ़ पीड़ितों के लिए सतलोक आश्रम कुरुक्षेत्र से खाने-पीने की जरूरी चीजों से लेकर अन्य राहत सामग्री की व्यवस्था की जा रही है।
Spiritual Knowledge Of Sant Rampal Ji Maharaj
यजुर्वेद अध्याय 19 मंत्र 25, 26 में लिखा है कि जो वेदों के अधूरे वाक्यों अर्थात सांकेतिक शब्दों व एक चौथाई श्लोकों को पूरा करके विस्तार से बताएगा व तीन समय की पूजा करवाएगा। वह जगत का उपकारक संत सच्चा सतगुरु होगा।
इस परमार्थ के कार्य को केवल संत रामपाल जी महाराज ही कर रहे हैं।
Very nice 👍👍 Satsangs
वेदों में प्रमाण है कबीर साहेब भगवान है
Very nice 👍
Nice satsang
संत रामपाल जी महाराज का ज्ञान हमे ज्ञान कराता है इस लोक और परलोक दोनों के सुख की। मानव शरीर एक ब्रह्मांड के समान होता है और इसी ब्रह्मांड से रास्ता खुलता है मोक्ष का। लेकिन यह रास्ता कैसा है इससे होकर कैसे जाया जाएगा यह केवल तत्वदर्शी सन्त रामपाल जी महाराज ही बता सके हैं।
मानुष जन्म का मूल उद्देश्य
परमात्मा की सतभक्ति करना है।
Great spiritual leader sant Rampal Ji Maharaj ji.
Creator of nature - Supreme God Kabir
Holy Quran Sharif - Surah Al Furqan 25:59
God Kabir created the entire nature, whatever is between the Earth & Sky in 6 days & on the 7th day, sat on the throne in His Eternal Place (Satlok), above.
- Saint Rampal Ji Maharaj
बंदी छोड़ सतगुरु रामपाल जी भगवान जी के चरणो में दास का कोटि कोटि दंडवत प्रणाम
Very nice Satsang
कबीर साहेब अल्लाह कबीर है पूर्ण परमात्मा है
कबीर साहब कहते हैं गुरु बिन माला फेरते गुरु बिन देखे दान गुरु बिन दोनों निष्फल है चाहे पूछो वेद पुराण
Suprim God Kabir
Sant Rampal Ji Maharaj is the only Guru who tells us the way of worship by all the holy books in his spiritual discorces.
Sant Rampal Ji Maharaj
True spiritual knowledge
ANMOL VACHAN PARMATMA KE BANDI CHHOD SATGURU RAMPAL JI BHAGWAN JI KI JAY HO 💐
True decisive spritual knowledgeable satsang vani
Great Spiritual knowledge sant Rampal Ji Maharaj 🙏 🙏🌹🌹
🙏🙏🙏🙏
पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब
(श्री गुरु ग्रन्थ साहेब पृष्ठ नं. 721, राग तिलंग महला 1)
यक अर्ज गुफतम् पेश तो दर कून करतार।
हक्का कबीर करीम तू बेअब परवरदिगार।
नानक बुगोयद जन तुरा तेरे चाकरां पाखाक।
उपरोक्त अमृतवाणी में स्पष्ट कर दिया कि हे (हक्का कबीर) आप सत्कबीर (कून करतार) शब्द शक्ति से रचना करने वाले शब्द स्वरूपी प्रभु अर्थात् सर्व सृष्टि के रचन हार हो, आप ही बेएब निर्विकार (परवरदिगार) सर्व के पालन कर्ता दयालु प्रभु हो, मैं आपके दासों का भी दास हूँ।
(श्री गुरु ग्रन्थ साहेब पृष्ठ नं. 24, राग सीरी महला 1)
तेरा एक नाम तारे संसार, मैं ऐहा आस ऐहो आधार।
नानक नीच कहै बिचार, धाणक रूप रहा करतार।।
उपरोक्त अमृतवाणी में प्रमाण किया है कि जो काशी में धाणक (जुलाहा) है यही (करतार) कुल का सृजनहार है। अति आधीन होकर श्री नानक साहेब जी कह रहे हैं कि मैं सत कह रहा हूँ कि यह धाणक अर्थात् कबीर जुलाहा ही पूर्ण ब्रह्म (सतपुरुष) है।
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कबीर परमेश्वर जी कहते हैं कि गुरु बिन माला फेरते ,गुरु बिन देते दान |
गुरु बिन दोनों निष्फल है,चाहे पूछो वेद पुराण ||
Kabir is god 🙏
Very nice
हंस तहां सुख बिलसहीं, आनन्द धाम अमोल।
पुरूष तनु छवि निरखहिं, हंस करें किलोल।।
भावार्थ:- ज्ञान के आधार से साधना करके साधक अमर धाम में चला जाता है। वहाँ पर आनन्द भोगता है। वह सतलोक बेसकीमती है। वहाँ पर सत्यपुरूष के शरीर की शोभा देखकर आनन्द मनाते हैं।
कबीर,मानुष जन्म पाय कर,नही रटे हरि नाम।
जैसे कुँआ जल बिना, खुदवाया किस काम।।🙏🙏🙏
जिस समय सर्व सन्त जन शास्त्र विधि त्यागकर मनमानी पूजा द्वारा भक्त समाज को मार्ग दर्शन कर रहे होते हैं। तब अपने तत्वज्ञान का संदेशवाहक बन कर स्वयं कबीर प्रभु ही आते हैं।
ज्ञान सागर अति उजागर निर्वेकार निरंजनम।
कोटि कोटि सिजदा करू कोटि कोटि दंडवत प्रणाम, चरण कमल में रखियो मै बांदी जाम गुलाम, सत साहेब मालिक जी।👏👏👏
Jai ho Bandichhod Satguru Rampal Ji Bhagwan Ki Jai Ho
🙏🌹आज कहै मैं काल भजू,काल कहै फिर काल।
आज काल के करत ही,औसर जासी चाल।।🌹🙏
Kabir is supreme god
Atput Gyan sat sahib
"तीरथ गए ते एक फल, संत मिले फल चार।
सद्गुरु मिले अनेक फल, कहे कबीर विचार।।"
आदि गणेश मनाऊँ, गण नायक देवन देवा।
चरण कमल ल्यौ लाऊ , आदि अंत करूँ सेवा।।
अनमोल सत्संग
Very very nice satsang 🙏🙏♥️♥️🙏🙏
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वाणी नं. 24 :-
गरीब, पारबती कै उर धर्या, अमर भई क्षण मांहिं। सुकदेव की चौरासी मिटी, निरालंब निज नाम।।24।।
■ वाणी नं. 24 का भावार्थ है कि जैसे पार्वती पत्नी शिव शंकर को जितना अमरत्व (वह
भगवान शिव जितनी आयु नाम प्राप्ति के बाद जीएगी, फिर दोनों की मृत्यु होगी। इतना
मोक्ष) भी देवी जी को शिव जी को गुरू मानकर निज मंत्रों का जाप करने से प्राप्त हुआ है।
ऋषि वेद व्यास जी के पुत्र शुकदेव जी को अपनी पूर्व जन्म की सिद्धि का अहंकार था। जिस कारण से बिना गुरू धारण किए ऊपर के लोकों में सिद्धि से उड़कर चला जाता था। जब श्री विष्णु जी ने उसे समझाया और स्वर्ग में रहने नहीं दिया, तब उनकी बुद्धि ठिकाने आई। राजा जनक से दीक्षा ली। तब शुकदेव जी की उतनी मुक्ति हुई, जितनी मुक्ति उस नाम से हो सकती थी। परमेश्वर कबीर जी अपने विधान अनुसार राजा जनक को भी त्रेतायुग में मिले थे। उनको केवल हरियं नाम जाप करने को दिया था क्योंकि वे श्री विष्णु जी के भक्त थे। वही मंत्र शुकदेव को प्राप्त हुआ था। जिस कारण से वे श्री विष्णु लोक के स्वर्ग रूपी होटल में आनन्द से निवास कर रहे हैं। वहीं से विमान में बैठकर अर्जुन के पौत्र यानि अभिमन्यु के पुत्र राजा परीक्षित को भागवत (सुधा सागर की) कथा सुनाने आए थे। फिर वहीं लौट गए।
Sat Saheb Ji 🙏🌹
Super
🙏🙏🙏🙏🙏
अनमोल ज्ञान
शरण पड़े को गुरु संभाले जान के बालक भोरा रे कबीर चरणजीत रखो जो सी में डोर रे
Anamol Satya Gyan He 🙏🥀🌼
Very nice satsang
परमात्मा कबीर साहेब पाप विनाशक हैं
यजुर्वेद अध्याय 8 मन्त्र 13 में कहा गया है कि परमात्मा पाप नष्ट कर सकता है। संत रामपाल जी महाराज जी से उपदेश लेने व मर्यादा में रहने वाले भक्त के पाप नष्ट हो जाते हैं।
तीन देवा कमल दल बसे,ब्रह्मा विष्णु महेश।
प्रथम इन की वंदना,फिर सुन सत गुरु ऊपदेश।।
True knowledge