Sangat Ep.48 | Pratyaksha on Fiction, Absurdity, Vocabulary, Blogging & Paara Paara | Anjum Sharma
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- เผยแพร่เมื่อ 23 พ.ย. 2023
- हिंदी साहित्य-संस्कृति-संसार के समादृत व्यक्तित्वों के वीडियो साक्षात्कार से जुड़ी सीरीज़ ‘संगत’ के 48वें एपिसोड में मिलिए सुपरिचित लेखिका प्रत्यक्षा से। 26 अक्टूबर 1963 को बिहार के गया ज़िले में जन्मी प्रत्यक्षा लेखन के साथ-साथ संगीत और लिबरल आर्ट में रूचि रखती हैं। वह ब्लॉग भी लिखती हैं और अनुवाद भी करती हैं। उनका कथा-साहित्य अपने अनूठे शिल्प वैविध्य के कारण अलग से पहचाना जाता है। गुड़गाँव स्थित एक पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग कंपनी में चीफ़ जनरल मैनेजर पद पर कार्यरत प्रत्यक्षा का बचपन का ज़्यादातर समय राँची में बीता। उनके पिता बिहार राज्य एडमिनिस्ट्रेशन में थे। संगत के इस एपिसोड में प्रत्यक्षा ने बातचीत के दौरान बताया कि उनकी कला में उनकी रूचि कैसे हुई? उनकी कहानियों के शीर्षक इतने अलग कैसे है? उनका लेखन इतना अराजनीतिक क्यों है? क्या नौकरी उनके लेखन में रुकावट पैदा करती है? हिंदी भाषा से उनकी क्या शिकायत है? वह किस भाषा में सोचती है? क्या उनके शब्दकोश के अधिकांश शब्द आयातित है? प्रत्यक्षा के पिता कौन-सी पत्रिका निकालते थे? पिता के अधिक निकट रहने वाली प्रत्यक्षा के लेखन में माँ ज़िक्र ज़्यादा क्यों आता है? ‘जंगल का जादू तिल-तिल’, ‘पहर दोपहर ठुमरी’, ‘एक दिन मराकेश’, ‘तुम मिलो दोबारा’, ‘तैमूर तुम्हारा घोड़ा किधर है’, ‘बारिशगर’, ‘ग्लोब के बाहर लड़की’ उनकी प्रकाशित कृतियाँ है। ‘पारा-पारा’ प्रत्यक्षा का उपन्यास स्मृति और इच्छा की इसी बुनत में एक सघन पाठ की रचना करता है। प्रत्यक्षा कहती हैं वह खाने की बहुत शौक़ीन है और स्वभाव से घुमक्कड़ हैं। घुमक्कड़ी ने उनके लेखन पर क्या असर डाला? उनकी रचना प्रक्रिया क्या है? आजकल वह क्या लिख रही हैं? ऐसे तमाम सवालों के जवाब और प्रत्यक्षा के निजी जीवन से लेकर उनके रचना-संसार को जानने-समझने के लिए देखिए अंजुम शर्मा के साथ संगत का यह एपिसोड।
संगत के अन्य एपिसोड्स देखने के लिए दिए गये लिंक पर जाएँ : • संगत
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#sangat #Hindwi #pratyaksha - บันเทิง
यह साक्षात्कार बार बार सुनने लायक है । प्रत्यक्षा जी को सुनना सुखद है
मुझे लगता है कि साक्षात्कार को अदालत बनने से बचना चाहिए😊
बहुत बढ़िया अंजुम जी❤❤ पारा पारा पढ़ने के बाद से ही आपकी मुरीद हो गई ❤ आज सुनना सुखद रहा।
❤
बहुत बहुत धन्यवाद इतनी सुंदर रचना के लिए🙏🌹 प्रत्यक्षा जी साथ में अंजुम सर आपको भी धन्यवाद आपका काम सराहनीय है🙏👌👍🌹
अंजुम खुद एक शख्सियत बनेगा❤
lajawab hai. Dhanyabad Anjum ji.
अंजुम भाई, आप प्रश्न पूछते है तो सुखद लगता है कि आप पूरे अध्ययन से पूछते हैं 🎉
Wonderful ! Pride of Ranchi!
अंजुम जी जय-जय।
बहुत दिलचस्प संवाद!
मेरी प्रिय संगत...🎉❤
❤ बारिशगर❤
बहुत सुंदर ❤
बहुत सशक्त साक्षात्कार 🙏👍
शानदार
Badiya program
❤❤❤
रांची से हूं मैं। दिल को छू गया उन शब्दों ने। ❤
Lovely show, very sincere questions n honest answers... Pratyaksha is gem💎..
क्षमा कीजिए, यह बातचीत साधारण ही रही l
कथ्य नहीं है। हिन्दी का लेखक अंग्रेज़ी की मजबूरी का पक्षधर ?
भारत में महिला सूचक गलियां कभी थी ही नहीं ये सारी गली गलौंच के शब्द उर्दू फारसी के है ,
ये वाला भी whatsapp पर पढ़ा था न?
@@ujjwaljha6702 are bhai app khud dekhle na har chiz what's app se nai ata yehi aplog ki dikkat hai what's app bjp nai chalati log chalate hai , yadi galat hu to bato mujhe sahi chiz bato mujhe ek bhi shudh hindi , sanskriti me maa bhen ki galiyan
@@ujjwaljha6702hahahha nice one
❤❤❤