Sangat Ep.5 | Mridula Garg on her Novels, Stories, Society & Feminism | Anjum Sharma | Hindwi
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- เผยแพร่เมื่อ 26 ม.ค. 2023
- हिंदी साहित्य-संस्कृति-संसार के व्यक्तित्वों के वीडियो साक्षात्कार से जुड़ी सीरीज़ 'संगत' के पाँचवें एपिसोड में देखिए समादृत कथाकार मृदुला गर्ग को। इंटरव्यू के दौरान अंजुम शर्मा से बात करते हुए मृदुला गर्ग ने बताया कि कैसे उन्होंने बचपन में ही अश्लील और भदेस के अंतर को जान लिया था। अपने व्यक्तित्व पर परिवार और समाज के प्रभाव के अलावा लेखन के लिए हुई गिरफ़्तारी से लेकर ख़ुद को नारीवादी कहने और न कहने के कारणों पर मृदुला गर्ग ने खुलकर बात की।
Watch respected writer Mridula Garg in fifth episode of 'Sangat'. In this episode talking to Anjum Sharma, Mridula Garg told how she had come to know the difference between obscene and ‛bhades’ in her childhood. Apart from the influence of family and society on her personality, Mridula Garg spoke openly on the reasons for calling herself a feminist.
मृदुला गर्ग की कविताएँ : www.hindwi.org/poets/mridula-...
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#sangat #hindwi - บันเทิง
Har bar sochti hu ki khub sari tareef kru
Shabd nhi mil pate
Dhanyavaad team hindwi bolkr rh jati hu ❤
वाह! बहुत आनंद आया इस interview में! "जिस आदमी में जीने का उत्साह होता है, वो मौत से भी उतना ही प्यार करता है"- ये बात कभी ना भूलेगी.
संगत में सुप्रसिद्ध उपन्यासकार, मृदुला गर्ग जी ने अपनी दूरदर्शी सोच और विश्वास से परिपूर्ण रहते हुए आगे बढ़ते हुए साहित्य में तुलनात्मक अध्ययन में यह बात अलग है, कि हम सभी को पता है कि हम अलग है
मृदुला गर्ग जी शानदार इंसान,
निडर अभिव्यक्ति को प्रणाम
अब तक नाम ही सुना था आज रूबरू देखा तो हो गया निहाल
पढ़ूँगा लिखा आपका ख़ूब ध्यान से, मिलूँगा आपके पात्रों से,
महिपाल मानव हिसार हरियाणा
अन्त तक आते- आते लगा जैसे दही मंथन के बाद मक्खन हाथ लगा…बहुत शुक्रिया इतनी सच्ची, बेबाक, शानदार शख़्सियत को सुनवाने के लिए 🙏
कोई क्या कहे! मृदुला जी को सुनते-सुनते वक़्त का पता ही नहीं चला।
स्वतन्त्रचेता, कितना सुन्दर विशेषण मृदुला जी ने ख़ुद के लिए इस्तेमाल किया है। बहुत शुक्रिया मृदुला जी को आमन्त्रित करने के लिए...❣️ मृदुला जी की बातों में कोई लाग-लपेट नहीं सुनाई पड़ा, लफ़्फ़ाज़ी नहीं दिखी। मृदुला जी ने कोई विचारधारा, वाद, विमर्श का उल्लेख नहीं किया। मात्र एक एक स्वतन्त्रचेता व्यक्ति की तरह सहज अभिव्यक्ति की। अद्भुत
और उनके पिता का यह क़ौल "साहित्य में कुछ अश्लील नहीं होता" 👏👏
इस बातचीत ने मुझ तंग-नज़र को बहुत कुछ सिखाया। धन्यवाद हिन्दवी, धन्यवाद मृदुला जी 🙏
मृदुला जी हमेशा से अलहदा लिखती रही हैं ,बेबाक और स्पष्ट । लव यू मृदुला जी। शानदार साक्षात्कार रहा, बधाई अंजुम जी
स्पष्ट,निर्भीक,बेबाक,ज़हीन...
शुक्रिया,अंजुम भैया;शुक्रिया,हिंदवी.
मृदुला गर्ग एक साहसी महिला उत्कृष्ट लेखक और बेहतरीन इंसान हैं। कुंठा रहित अपने समय से आगे की सुलझी हुई लेखिका।
"मैं लेखक हूं हो सकता है मैंने कहानी बना ली हो"..... गजब 😊😊
हिंदवी की ये बहुत ही अच्छी पहल है जिसके वजह से हमे इतने अच्छे व्यक्तित्व को देखने और सुनने का मौका मिलता है😊
बहुत कुछ सीख रही हूँ इन एपिसोड से 😊
हार्दिक आभार अंजुम जी का 🙏
शुक्रिया अंजुम भाई।
कम अज कम बहुत कुछ सीख मिली और ख़ुद को थोड़ा बहुत परिमार्जित कर पाया इसे देखकर। साधुवाद।
बहुत आभार इस शानदार संवाद के लिए,वाकई मृदुला जी प्रबल लेखिका हैं ।
मृदुलाजी को मैंने बहुत पढ़ा है, बहुत शानदार लिखा है उन्होंने
मृदुला जी हमेशा से मेरी प्रेरणास्रोत हैं, वे आइकन हैं❤
एकाधिक बार सुनने लायक संवाद ताकि व्यक्त विचारों की गहराई में उतरा जा सके...
बेबाक़ी भरा शानदार इंटरव्यू!
आभार अंजुम जी।
इंतज़ार था इस एपिसोड का🙂🙏
बेहद स्पष्टवादी मुखर व्यक्तित्व की लेखिका का शानदार साक्षात्कार, एक बात बिल्कुल सही
राजनीति विषयों पे तटस्थ होकर लिखने वालों की कमी है, स्तुतिवादी परम्परा का विस्तार ही नजर आता है
अंजुम शर्मा जी आपका कोटि-कोटि धन्यवाद जो इन महान व्यक्तित्वों से रूबरू करवाया आपके प्रश्न बहुत ही सटीक और बहुत कुछ अर्थ लिए होते। मृदुला गर्ग जी को सादर प्रणाम 🌹🙏🌹
कई बार सुनना होगा…साहित्य साधना भी एक तप होता है और लेखक …🙏
बहुत ज्ञानवर्धक और बौद्धिक साक्षात्कार।बहुत कुछ सीखा और सुनकर काफी कृतज्ञ हुआ मृदुला जी और अंजुम जी दोनों से !
अनामिका ने तवायफ की बेटियों पर बहुत लिखा है और अच्छा लिखा है।
कृपया उन कृतियों के नाम बतलाऐं
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बहुत ही सुन्दर
और बौद्धिक चर्चा।
भाई बहुत छोटा इंटरव्यू था।😢😢
बहुत अच्छी वार्ता
आखरी अंश❤️❤️❤️
स्वयं में पूर्ण
मृदुला गर्ग की आवाज़ मज़ेदार है। बढ़िया बातचीत।
Bhot hi bebak aur spasht ❤
Hindwi ❤bahut bahut dhanyawad aapka itna behtar aane ke liye🥰
शानदार, मृदुला जी को प्रणाम 🙏
मृदुला जी की स्वतंत्रता और बेबाकी अहम बन चुकी है।आत्मप्रगल्भता।
बाकी सुनना बहुत खूब
शुभकामनाएं
आपदोनों को बहुत बहुत धन्यवाद !
Best interview.
Design issue. The bottom line in the video's thumbnail looks like a full red bar. Similar to the thicker red bar that TH-cam uses to indicate that the video has already been watched.
बहुत शानदार 💐
फेमिनिस्ट व्यक्ति यदि होता है तो फेमिनिस्ट राईटर भी होगा ही.
बिल्कुल नहीं। लेखक होने का मतलब होता है, भाव और कला पक्ष के साथ अपनी काया से बाहर निकल किरदारों में परकाया प्रवेश करते हैं। जो स्त्री वादी हों ज़रूरी नहीं है। वे साइकोकोपैथ भी हो सकते थे, बेहद उदार मर्द भी और हर तरह की औरत भी। हो सकता है बेहद पोंगापंथी हों या बेहद क्रांतिकारी। तो सब पर बिला पूर्वाग्रह लिखना होता है।
स्त्रीवादी हों तो दूसरों से न्याय नहीं कर सकते। लेखन में श्लेष होता है, निहितार्थ होता है, संशय, दुविधा और वैचारिक उथल पुथल के माध्यम से किन्हीं निष्कर्ष पर पहुंचने का प्रयास होता है।
इसलिए किसी वाद के तहत लेखन नहीं किया जा सकता।
बेहद शानदार 👍👍
बेहतरीन
Please tell me what she says at between 56:04-56:24 on evolution of her thoughts. जिन चीज़ों पर यक़ीन था हर यक़ीन पर शुभा(है?) हर यक़ीन पर क्या है?
शुबह = संदेह
शानदार 👏
❤😊
बहुत सुन्दर 😅
Bebaak jindagi saamajik falsafe par Abhishapt hi rah tee hai , lekin bebaaki Samaaj ke mmukabile jyada jeevant hoti hai ! Saakchhatkaar Apni paribhaasha mein khara tha !!
नई वाली हिन्दी पर इन बड़े लेखकों के क्या विचार हैं ये भी कभी पूछें 🙏🙂
❤️🔥
मेरे संग की औरत : मृदुला गर्ग 😊
मैडम , वो नायब औरतें के बाद मैंने आपके उपन्यास चितकोबरा , कठगुलाब आज ही मंगाए है ।
Plu loc
PAKKA YEH LEKHIKA HAI?? PAKKA?? AFSOS HOTA HAI PAR KHAIR HINDI SAHITHYE BARBAAD HO CHUKA HAI..PATAN HONE KE KAGGAAR PAR HAI
क्या य़ह बात आप साहित्य के अनुशीलन के बाद कह रहे हैं या फिर हिन्दी साहित्य से बिना गुज़रे ही दृष्टि बना ली है?
मैडम को ग़लतफ़हमी है कि लोग उनसे या उनके पात्रों से डरते हैं l ये भद्रलोक की किटी पार्टियों वाली हैं l शौक़िया कुछ साहित्य करती हैं l
आप जानते भी हैं मृदुला जी का कद और उनका लेखन?
क्या आपके स्त्री पात्र ड्रैकुला हैं ?
हिन्दवी न होता, तो क्या होता ।