मृदुला गर्ग जी शानदार इंसान, निडर अभिव्यक्ति को प्रणाम अब तक नाम ही सुना था आज रूबरू देखा तो हो गया निहाल पढ़ूँगा लिखा आपका ख़ूब ध्यान से, मिलूँगा आपके पात्रों से, महिपाल मानव हिसार हरियाणा
कोई क्या कहे! मृदुला जी को सुनते-सुनते वक़्त का पता ही नहीं चला। स्वतन्त्रचेता, कितना सुन्दर विशेषण मृदुला जी ने ख़ुद के लिए इस्तेमाल किया है। बहुत शुक्रिया मृदुला जी को आमन्त्रित करने के लिए...❣️ मृदुला जी की बातों में कोई लाग-लपेट नहीं सुनाई पड़ा, लफ़्फ़ाज़ी नहीं दिखी। मृदुला जी ने कोई विचारधारा, वाद, विमर्श का उल्लेख नहीं किया। मात्र एक एक स्वतन्त्रचेता व्यक्ति की तरह सहज अभिव्यक्ति की। अद्भुत और उनके पिता का यह क़ौल "साहित्य में कुछ अश्लील नहीं होता" 👏👏 इस बातचीत ने मुझ तंग-नज़र को बहुत कुछ सिखाया। धन्यवाद हिन्दवी, धन्यवाद मृदुला जी 🙏
अंजुम शर्मा जी आपका कोटि-कोटि धन्यवाद जो इन महान व्यक्तित्वों से रूबरू करवाया आपके प्रश्न बहुत ही सटीक और बहुत कुछ अर्थ लिए होते। मृदुला गर्ग जी को सादर प्रणाम 🌹🙏🌹
संगत में सुप्रसिद्ध उपन्यासकार, मृदुला गर्ग जी ने अपनी दूरदर्शी सोच और विश्वास से परिपूर्ण रहते हुए आगे बढ़ते हुए साहित्य में तुलनात्मक अध्ययन में यह बात अलग है, कि हम सभी को पता है कि हम अलग है
बेहद स्पष्टवादी मुखर व्यक्तित्व की लेखिका का शानदार साक्षात्कार, एक बात बिल्कुल सही राजनीति विषयों पे तटस्थ होकर लिखने वालों की कमी है, स्तुतिवादी परम्परा का विस्तार ही नजर आता है
बिल्कुल नहीं। लेखक होने का मतलब होता है, भाव और कला पक्ष के साथ अपनी काया से बाहर निकल किरदारों में परकाया प्रवेश करते हैं। जो स्त्री वादी हों ज़रूरी नहीं है। वे साइकोकोपैथ भी हो सकते थे, बेहद उदार मर्द भी और हर तरह की औरत भी। हो सकता है बेहद पोंगापंथी हों या बेहद क्रांतिकारी। तो सब पर बिला पूर्वाग्रह लिखना होता है। स्त्रीवादी हों तो दूसरों से न्याय नहीं कर सकते। लेखन में श्लेष होता है, निहितार्थ होता है, संशय, दुविधा और वैचारिक उथल पुथल के माध्यम से किन्हीं निष्कर्ष पर पहुंचने का प्रयास होता है। इसलिए किसी वाद के तहत लेखन नहीं किया जा सकता।
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Bebaak jindagi saamajik falsafe par Abhishapt hi rah tee hai , lekin bebaaki Samaaj ke mmukabile jyada jeevant hoti hai ! Saakchhatkaar Apni paribhaasha mein khara tha !!
Har bar sochti hu ki khub sari tareef kru
Shabd nhi mil pate
Dhanyavaad team hindwi bolkr rh jati hu ❤
बहुत कुछ सीख रही हूँ इन एपिसोड से 😊
हार्दिक आभार अंजुम जी का 🙏
मृदुला गर्ग जी शानदार इंसान,
निडर अभिव्यक्ति को प्रणाम
अब तक नाम ही सुना था आज रूबरू देखा तो हो गया निहाल
पढ़ूँगा लिखा आपका ख़ूब ध्यान से, मिलूँगा आपके पात्रों से,
महिपाल मानव हिसार हरियाणा
अन्त तक आते- आते लगा जैसे दही मंथन के बाद मक्खन हाथ लगा…बहुत शुक्रिया इतनी सच्ची, बेबाक, शानदार शख़्सियत को सुनवाने के लिए 🙏
बेबाक़ी भरा शानदार इंटरव्यू!
आभार अंजुम जी।
वाह! बहुत आनंद आया इस interview में! "जिस आदमी में जीने का उत्साह होता है, वो मौत से भी उतना ही प्यार करता है"- ये बात कभी ना भूलेगी.
स्पष्ट,निर्भीक,बेबाक,ज़हीन...
शुक्रिया,अंजुम भैया;शुक्रिया,हिंदवी.
मृदुला जी हमेशा से अलहदा लिखती रही हैं ,बेबाक और स्पष्ट । लव यू मृदुला जी। शानदार साक्षात्कार रहा, बधाई अंजुम जी
बहुत आभार इस शानदार संवाद के लिए,वाकई मृदुला जी प्रबल लेखिका हैं ।
हिंदवी की ये बहुत ही अच्छी पहल है जिसके वजह से हमे इतने अच्छे व्यक्तित्व को देखने और सुनने का मौका मिलता है😊
शुक्रिया अंजुम भाई।
कम अज कम बहुत कुछ सीख मिली और ख़ुद को थोड़ा बहुत परिमार्जित कर पाया इसे देखकर। साधुवाद।
नास्तिक साधु के चरणों में शरणागत!
कोई क्या कहे! मृदुला जी को सुनते-सुनते वक़्त का पता ही नहीं चला।
स्वतन्त्रचेता, कितना सुन्दर विशेषण मृदुला जी ने ख़ुद के लिए इस्तेमाल किया है। बहुत शुक्रिया मृदुला जी को आमन्त्रित करने के लिए...❣️ मृदुला जी की बातों में कोई लाग-लपेट नहीं सुनाई पड़ा, लफ़्फ़ाज़ी नहीं दिखी। मृदुला जी ने कोई विचारधारा, वाद, विमर्श का उल्लेख नहीं किया। मात्र एक एक स्वतन्त्रचेता व्यक्ति की तरह सहज अभिव्यक्ति की। अद्भुत
और उनके पिता का यह क़ौल "साहित्य में कुछ अश्लील नहीं होता" 👏👏
इस बातचीत ने मुझ तंग-नज़र को बहुत कुछ सिखाया। धन्यवाद हिन्दवी, धन्यवाद मृदुला जी 🙏
अंजुम शर्मा जी आपका कोटि-कोटि धन्यवाद जो इन महान व्यक्तित्वों से रूबरू करवाया आपके प्रश्न बहुत ही सटीक और बहुत कुछ अर्थ लिए होते। मृदुला गर्ग जी को सादर प्रणाम 🌹🙏🌹
मृदुलाजी को मैंने बहुत पढ़ा है, बहुत शानदार लिखा है उन्होंने
मृदुला जी हमेशा से मेरी प्रेरणास्रोत हैं, वे आइकन हैं❤
"मैं लेखक हूं हो सकता है मैंने कहानी बना ली हो"..... गजब 😊😊
मृदुला गर्ग की आवाज़ मज़ेदार है। बढ़िया बातचीत।
बहुत ज्ञानवर्धक और बौद्धिक साक्षात्कार।बहुत कुछ सीखा और सुनकर काफी कृतज्ञ हुआ मृदुला जी और अंजुम जी दोनों से !
बहुत ही सुन्दर
और बौद्धिक चर्चा।
संगत में सुप्रसिद्ध उपन्यासकार, मृदुला गर्ग जी ने अपनी दूरदर्शी सोच और विश्वास से परिपूर्ण रहते हुए आगे बढ़ते हुए साहित्य में तुलनात्मक अध्ययन में यह बात अलग है, कि हम सभी को पता है कि हम अलग है
इंतज़ार था इस एपिसोड का🙂🙏
एकाधिक बार सुनने लायक संवाद ताकि व्यक्त विचारों की गहराई में उतरा जा सके...
शानदार, मृदुला जी को प्रणाम 🙏
Hindwi ❤bahut bahut dhanyawad aapka itna behtar aane ke liye🥰
मृदुला गर्ग एक साहसी महिला उत्कृष्ट लेखक और बेहतरीन इंसान हैं। कुंठा रहित अपने समय से आगे की सुलझी हुई लेखिका।
कई बार सुनना होगा…साहित्य साधना भी एक तप होता है और लेखक …🙏
बहुत अच्छी वार्ता
आखरी अंश❤️❤️❤️
स्वयं में पूर्ण
भाई बहुत छोटा इंटरव्यू था।😢😢
बेहद स्पष्टवादी मुखर व्यक्तित्व की लेखिका का शानदार साक्षात्कार, एक बात बिल्कुल सही
राजनीति विषयों पे तटस्थ होकर लिखने वालों की कमी है, स्तुतिवादी परम्परा का विस्तार ही नजर आता है
अनामिका ने तवायफों की बेटियों पर बहुत लिखा है और अच्छा लिखा है।
कृपया उन कृतियों के नाम बतलाऐं
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लालटेन बाज़ार, दस द्वारे का पिंजरा, तिनका तिनके पास@@mridulagarg1075
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लालटेन बाज़ार, दस द्वारे का पिंजरा, तिनका तिनके पास..@@mridulagarg1075
शानदार 👏
मूक परिजन article by mridula ji , mil sakta hai kya kahin ?
बेहतरीन
बेहद शानदार 👍👍
Bhot hi bebak aur spasht ❤
Best interview.
बहुत शानदार 💐
आपदोनों को बहुत बहुत धन्यवाद !
शुभकामनाएं
Please tell me what she says at between 56:04-56:24 on evolution of her thoughts. जिन चीज़ों पर यक़ीन था हर यक़ीन पर शुभा(है?) हर यक़ीन पर क्या है?
शुबह = संदेह
फेमिनिस्ट व्यक्ति यदि होता है तो फेमिनिस्ट राईटर भी होगा ही.
बिल्कुल नहीं। लेखक होने का मतलब होता है, भाव और कला पक्ष के साथ अपनी काया से बाहर निकल किरदारों में परकाया प्रवेश करते हैं। जो स्त्री वादी हों ज़रूरी नहीं है। वे साइकोकोपैथ भी हो सकते थे, बेहद उदार मर्द भी और हर तरह की औरत भी। हो सकता है बेहद पोंगापंथी हों या बेहद क्रांतिकारी। तो सब पर बिला पूर्वाग्रह लिखना होता है।
स्त्रीवादी हों तो दूसरों से न्याय नहीं कर सकते। लेखन में श्लेष होता है, निहितार्थ होता है, संशय, दुविधा और वैचारिक उथल पुथल के माध्यम से किन्हीं निष्कर्ष पर पहुंचने का प्रयास होता है।
इसलिए किसी वाद के तहत लेखन नहीं किया जा सकता।
❤😊
❤️🔥
मेरे संग की औरत : मृदुला गर्ग 😊
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मृदुला जी की स्वतंत्रता और बेबाकी अहम बन चुकी है।आत्मप्रगल्भता।
बाकी सुनना बहुत खूब
बहुत सुन्दर 😅
नई वाली हिन्दी पर इन बड़े लेखकों के क्या विचार हैं ये भी कभी पूछें 🙏🙂
Bebaak jindagi saamajik falsafe par Abhishapt hi rah tee hai , lekin bebaaki Samaaj ke mmukabile jyada jeevant hoti hai ! Saakchhatkaar Apni paribhaasha mein khara tha !!
मैडम , वो नायब औरतें के बाद मैंने आपके उपन्यास चितकोबरा , कठगुलाब आज ही मंगाए है ।
Plu loc
PAKKA YEH LEKHIKA HAI?? PAKKA?? AFSOS HOTA HAI PAR KHAIR HINDI SAHITHYE BARBAAD HO CHUKA HAI..PATAN HONE KE KAGGAAR PAR HAI
क्या य़ह बात आप साहित्य के अनुशीलन के बाद कह रहे हैं या फिर हिन्दी साहित्य से बिना गुज़रे ही दृष्टि बना ली है?
मैडम को ग़लतफ़हमी है कि लोग उनसे या उनके पात्रों से डरते हैं l ये भद्रलोक की किटी पार्टियों वाली हैं l शौक़िया कुछ साहित्य करती हैं l
आप जानते भी हैं मृदुला जी का कद और उनका लेखन?
हिन्दवी न होता, तो क्या होता ।
क्या आपके स्त्री पात्र ड्रैकुला हैं ?