*श्री भक्ति प्रकाश भाग (710)**सेवक और सूरमा(उपदेश मंजरी)**भाग-५*

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  • เผยแพร่เมื่อ 27 เม.ย. 2024
  • Ram Bhakti @bhaktimeshakti2281
    परम पूज्य डॉक्टर विश्वामित्र जी महाराज जी के मुखारविंद से
    ((1293))
    श्री भक्ति प्रकाश भाग (710)
    सेवक और सूरमा(उपदेश मंजरी)
    भाग-५
    राधा अष्टमी का दिन है आज । मंदिर सज गए । फूल ही फूल सजा हुआ है बांके बिहारी जी का मंदिर । प्रभु के शयन की तैयारी । बाहर खड़े खड़े इस Post पर मन बिल्कुल साफ हो गया | किसी प्रकार की कोई कामना नहीं । भीतर कुछ नहीं । साफ सुथरा मन । भीतर क्या हो रहा है । ना भीतर गए हुए भी पता लगता है कि अंदर शयन के कपड़े बदले जा रहे हैं । गहने इत्यादि उतारे जा रहे हैं उन्हें Box में रखा जा रहा है । ताला लगाया जा रहा है । मंदिर बंद होने का समय आ गया है । बाहर से उस वक्त की बातें होंगी आजकल पता नहीं क्या है । बाहर मंदिर के ताला लगा और पुजारी चले गए । गोसाई चले गए Routine ही होगा यह, पर आज विशेष दिन है राधा अष्टमी का दिन है। मध्यरात्रि हो गई यह Constable की तरह खड़ा है द्वार पर |
    परमेश्वर की कृपा देखिए बड़ी सरकार की कृपा देखिए । दो घोड़े आए हैं अपनी आंखों से सब कुछ देख रहा है । मंदिर के आगे दो घोड़े । सफेद घोड़े द्वार पर सज धज कर अंदर से महारानी और महाराजा बाहर निकले हैं | आज प्रसन्नता का कोई ठिकाना नहीं दोनों के चरणों पर गिरकर प्रणाम किया है, मानो सब कुछ पा लिया । जीवन में जो कुछ पाना था पा लिया । कोई मांग अब शेष नहीं । एक ही बार में इतनी तृप्ति हो गई, संतोष मिल गया । अब कुछ मांगने को और नहीं । अब कुछ करने को और नहीं । अब कुछ जानने को और कुछ नहीं । हर प्रकार से ऐसी तृप्ति इस युवक को आज मिल गई | बड़े प्रेम से उन्होंने चरणों को हाथ लगवाया | महारानी साहिबा ने कहा यमुना किनारे जा रहे हैं आप भी चलो, गदगद !
    उन राजाओं की नौकरी से यह सीख चुका हुआ था कि राजा लोगों को घोड़े पर किस प्रकार से बिठाया जाता है अतएव महाराजा साहब को, महारानी को घोड़ों पर बिठाया है और साथ साथ चलना शुरू हो गया है | वहां जाकर क्या देखा होगा, कोई नहीं जानता सिवाय इसके या दिखाने वालों के । भोर होने से पहले पहले दोनों आ गए हैं । महारानी बहुत प्रसन्न है इस युवक पर अतएव अपनी एक पायल उतार कर तो उसे दे दी है | द्वार उसी ढंग से फिर बंद सब
    कुछ | पुजारियों के आने का समय हो गया, गोसाईयों के आने का समय हो गया है । मंदिर खुलने का समय हो गया है ।
    रोका, महाराजा साहब, महारानी साहब अभी थोड़ी देर पहले ही आए हैं । थके हुए हैं । उन्होंने सारी रात रासलीला की है । मैंने अपनी आंखों से देखा है । मत जगाओ अभी । थके हुए हैं थोड़ा आराम उन्हें करने दो | कौन सुने उसकी बात । किस को विश्वास उसकी बात पर कि यह क्या कर रहा है, क्या कह रहा है । गोसाई अंदर गए । द्वार खोला अंदर गए । सब कुछ जैसा का तैसा ही दिखाई । मुझे पायल दी है । लेकिन जिस suitcase में, जिस ट्रंक में गहने बंद होते हैं उस पर ताला लगा हुआ है । बाहर भी ताला है । मानो किसी के भीतर जाने की कोई गुंजाइश नहीं । बाहर निकलने की कोई गुंजाइश नहीं बाहर से ताला लगा हुआ है ।यह क्या कह रहा है छोकरा |
    राधा रानी की पायल पुजारी पहचानता है। ठीक है पायल तो उन्हीं की है लेकिन सब कुछ Intact है । ट्रंक खोला गया है । श्रृंगार इत्यादि करना था । किया एक पायल नहीं है पुजारी, गोसाई भागते भागते बाहर आए हैं इस युवक के चरणों में प्रणाम करने के लिए। युवक तो परमात्मा के पास पहुंच चुका हुआ था । उसने तो अपने लक्ष्य की प्राप्ति कर ली।
    जी कर क्या करना है | जीना किसलिए ? मैंने बता कर क्या करना है मैंने बड़ा अपने आप को Project करके क्या करना है। जिनको बड़ा बनना चाहिए था वह बड़े। उनको बड़ा बनाने की जरूरत नहीं वह तो बड़े ही हैं | सबसे बड़े की नौकरी |
    क्योंकि यह बात सत्य है बेटा । इसलिए इतनी सी बात हमारी भावों में आ जाती है मैं बैंक की नौकरी नहीं करता । मैं स्कूल की नौकरी नहीं करती । मैं कॉलेज की नौकरी नहीं करती । मैं परिवार की नौकरी नहीं करती, मैं दासी बड़ी सरकार की । मैं नौकर बड़ी सरकार का । इतनी सी बात जीवन में आ जाती है तो जीवन धन्य, अति धन्य हो जाता है |
    सब कुछ परमात्मा का मान कर सेवा
    करना । नौकरी करनी बहुत बड़ी बात है। अपने परिवार की नौकरी तो मानो सत्य से उतने ही दूर बड़ी सरकार की नौकरी सत्य के उतने ही पास । जितने सत्य के पास उतनी ही शांति उतना ही आनंद | सत्य से जितने दूर उतना दुख उतनी अशांति | जो हमारे भीतर है जो हमारे पास है, दुख एवं अशांति तनाव, इत्यादि इत्यादि चिंता क्यों ? हम तो अपने पति की नौकरी करते हैं । हम तो अपने परिवार की नौकरी करते हैं । बड़ी सरकार की नहीं । इतना सा भाव जीवन में आ जाए, उतर जाए । सत्य भी है, गलत नहीं । क्योंकि सत्य है इसलिए परम शांति भी तत्काल मिलती है । परमानंद भी तत्काल प्राप्त होता है | देवियों सज्जनों इसी के साथ ही बड़ी सरकार की नौकरी यह बात खत्म करने की इजाजत दीजिएगा | जप शुरू होगा अभी दिन भर चलेगा रात्रि को भी पूर्णिमा है आज जाप होगा कल प्रातः 5:00 बजे इसकी समाप्ति हो जाएगी तो आओ सब मिलकर जाप शुरू करते हैं पुन: आप सब को बहुत बहुत बधाई देता हूं खूब जाप पाठ कीजिएगा दिनभर, रातभर आज धन्यवाद |

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