श्री भक्ति प्रकाश भाग ७०२(702)* *श्री गीता सार भाग ७*

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  • เผยแพร่เมื่อ 18 เม.ย. 2024
  • Ram Bhakti @bhaktimeshakti2281
    परम पूज्य डॉ विश्वामित्र जी महाराज जी के मुखारविंद से
    ((1286))
    श्री भक्ति प्रकाश भाग ७०२(702)
    परब्रह्म परमात्मा एवं मातेश्वरी एक ही है
    श्री गीता सार भाग ७
    स्वामी जी महाराज से किसी ने प्रश्न किया, महाराज गीता जी और रामायण जी में क्या अंतर है ? दो ही ग्रंथ है साधकजनों ।
    अपने मुख्य ग्रंथ दो ही हैं इन में सब कुछ आ जाता है । उपनिषद भी आ जाते हैं, ब्रह्मसूत्र भी आ जाते हैं, सब जितने भी ग्रंथ हैं, श्रुतियां, सब कुछ इसमें आ जाती हैं । स्वामी जी महाराज बोलते हैं, फरमाते हैं जो गीता जी में कहा गया है, रामायण जी में करके दिखाया है । यूं कहिएगा भगवान राम ने अपने अवतार काल में जो कुछ किया कृष्णकाल में वही कुछ आकर बयान कर दिया I have very fight प्रभु राम stamp लगाते हैं I have very fight each and every aspect of it. मैंने हर चीज गीता जी की अपने जीवन में उतार कर देखी है सब practical है, सब व्यवहारिक है ।
    मात्र सिद्धांत नहीं है जैसा कि हम सब मानते हैं, गीता सिद्धांत नहीं है very fight है ।
    स्वामी जी से आगे पूछा स्वामी जी रामायण और महाभारत में क्या अंतर है ? कहां रामायण का अर्थ है, जैसे होना चाहिए,
    याद रखना यह बातें छोटी-छोटी,
    रामायण जी का अर्थ है जैसा होना चाहिए और महाभारत का अर्थ है जैसा होता है । घर घर की कहानी है हर अंतःकरण की कहानी है महाभारत । दोनों ग्रंथों में रामायण जी और महाभारत में दो महिलाएं हैं ।
    इधर से गंधारी, उधर से कैकई । दोनों के अंदर एक ही लालसा है हमारा पुत्र राज्य का अधिकारी बने । मां लालायित है इनको राज्य मिले । गंधारी दुर्योधन केसे लिए कि मेरे पुत्र को राज्य मिले । गंधारी की बदकिस्मती थी कि उसका पुत्र नालायक दुर्योधन ।
    स्वामी जी महाराज फरमाते हैं यदि कैकई की कोख से भी कोई दुर्योधन पैदा हो गया होता तो यह रामायण भी महाभारत बन गई होती । रामायण जी में भरत जी ने जो कुछ करके दिखाया है भक्त जनों वह साधारण नहीं है, सर्वोच्च सर्वोत्तम टीका है रामायण जी । इसलिए साधक जनों बेशक बात गीता जी की होगी लेकिन चर्चा मुख्यता रामायण जी की होगी । जो चीज करके दिखाई गई है उसका महत्व बहुत होता है ।
    जबलपुर के एक मुसलमान ने अपनी पुत्री को दहेज में श्री रामायण जी देते हुए कहा बिटिया यदि तेरा जीवन सीता जी की तरह आदर्श हो सके मुझे बहुत प्रसन्नता होगी । यह मेरी तरफ से तुझे भेंट है । हमारे ग्रंथ साधकजनों केवल हिंदुओं के लिए नहीं है। याद रखो अपने आप को संकीर्ण नहीं बनाना । व्यापकता ही तो हमारा धरोहर है। जितनी व्यापकता आप में है औरों को अपनाने की, किसी को त्यागना सीखा ही नहीं है । यह हिंदू संस्कृति है ।
    दोनों ग्रंथ केवल हिंदुओं के नहीं है, सबके हैं। यूं कहिएगा सारी मानवता के लिए हैं । आज एक मुसलमान पिता ने अपनी पुत्री को दहेज में यह भेंट दी है रामायण तो कोई आश्चर्य नहीं है । एक मुसलमान शायर ने मातेश्वरी सीता का चरित्र पढ़कर तो लिखा था,
    मैं कहता हूं बेशक कल्पना ही सही, लेकिन सिर्फ कल्पना ही नहीं है, इसमें यथार्थता को भी देखिएगा, वह लिखता है कवि
    सीते तेरा चरित्र तू इतनी पाक है उर्दू का शब्द तू इतनी पाक है कि तेरे अपने कपड़ों ने भी तेरे शरीर को कभी नहीं देखा । यह रामायण जी है । किसी एक की धरोहर नहीं है, सब की है सबकी मार्गदर्शक ।
    आज संत भक्त पुत्र भरत वापिस आए हैं ।
    मां कैकई ने जो अनर्थ करना था कर दिया। राम जी सीता जी सहित जंगल में चले गए हुए हैं । भरत जी का आगमन होता है । एक वैद्य, एक रोगी को, बड़ी कड़वी दवाई दे रहा है। बड़ी भर्त्सना करी है मां की । आप जानती हो आज के बाद कभी भरत ने कैकई को अपनी मां नहीं कहा । जो राम विरोधी है वह मेरी मां नहीं हो सकती । आज बड़ी कड़वी dose दी है भरत ने कैकई को । संभली है मेरे से भूल हो गई है, करवाई
    गई है । परसों साधकजनों, कल परसों चर्चा करेंगे इस कर्तापन की, यह भगवान क्या हमें नाच नचाता है, पर हमारे माथे पर, किसी के माथे पर ऐसा कलंक लगा देता है, ऐसा कलंक लगाता है, कि युगो युगांतरो तक धुल नहीं सकता, ऐसी कैकई मां है । आज तक किसी मां ने अपनी पुत्री का नाम कैकई नहीं रखा । ऐसा कलंक कैकई के माथे पर लग गया हुआ है । आज संभली है । संभलकर भरत जी महाराज उन सबको चित्रकूट ले गए हैं । चित्रकूट जाकर माताओं कैकई का मुख ऊपर नहीं उठ रहा । हालांकि भगवान ने जितना सम्मान कैकई को दिया है,
    भगवान करे जितना सम्मान कैकई को दिया है, उतना और किसी को, महर्षि वशिष्ठ को भी नहीं । बहुत सम्मान दिया है । सही भी है।

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