*श्री भक्ति प्रकाश भाग ७०८(708)**सेवक और सूरमा(उपदेश मंजरी)**भाग-३*
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- เผยแพร่เมื่อ 25 เม.ย. 2024
- Ram Bhakti @bhaktimeshakti2281
परम पूज्य डॉक्टर विश्वामित्र जी महाराज जी के मुखारविंद से
((1292))
श्री भक्ति प्रकाश भाग ७०८(708)
सेवक और सूरमा(उपदेश मंजरी)
भाग-३
मेरा हुक्म चले, मुझे किसी को पूछने की जरूरत ना पड़े, लोगों का फर्ज बनता है कि मुझे बताएं, तो काहे का सेवक वह रह गया । वह तो सेवक नहीं | जिसके अंदर यह भावना आ जाए He or she supposed to tell me कहां सेवकाई यह रह गई । यह सेवकाई नहीं है | इसीलिए स्वामी जी महाराज ने कहा है सेवक बनना बहुत कठिन काम है । बड़ी कठिन चीज है यह सेवकाई । कुछ भी कहो पहचान तो हमारी यही है । हमें बनना तो यही है | कितनी मौज है देवियों बड़ी सरकार की नौकरी में । आज एक युवक की चर्चा शुरू कर लेते हैं । कल राम नाम के बहुत बड़े जापक गुरु जी का प्रकाश दिवस है। बधाई के साथ जो बाकी चीजें रह जाएंगी चर्चा कल कर लेंगे आज शुरू करते हैं |
एक युवक सुडौल शरीर है, सुशील है, सभ्य है शिक्षित है । अनेक सारे गुणों का मालिक है । गरीब घर से है । माता पिता है, पुत्र हैं एक जिद पकड़ी है, नौकरी करूंगा तो सबसे बड़े की करूंगा | कैसी विचित्र ज़िद है । माता पिता समझाते हैं । पुत्र हमारे राज्य में इस वक्त सबसे बड़ा राजा है । हमारे पास उसकी कोई जान पहचान नहीं है । हम प्रजा है और प्रजा में भी बहुत हल्की जाति के। हमारी Approach नहीं वहां | हम राजा के दरबार में जा नहीं सकते । कोई ऐसा भी नहीं जो हमें पहुंचा दे । जिद छोड़ नौकरी कर । घर पर बेकार रहना अच्छा नहीं । और कुछ ना हो देवियों सज्जनों बेकार आदमी का मन तो बिगड़ेगा ही बिगड़ेगा, वाणी बिगड़ेगी मन बिगड़ेगा कोई बचा नहीं
सकता | व्यस्त रहना बहुत जरूरी है । हर एक के लिए । हर एक भजन पाठ में जाप पाठ में व्यस्त नहीं रह सकता । तो कुछ ना कुछ जिनको जिंदगी भर कुछ ना कुछ करने का अभ्यास होता है । उन्हें retirement के बाद भी कुछ ना कुछ करना पड़ता है अपने आप को व्यस्त रखने के लिए नहीं तो यह मन आपका सब कुछ बिगाड़ के रख देगा |
माता पिता समझाते हैं लेकिन युवक समझ नहीं रहा पिताश्री मैंने नौकरी करनी है तो सबसे बड़े की ही करनी है । आज हिम्मत करके माता-पिता उसे ले गए हैं राज दरबार में । जाकर जो भी System था दंडवत प्रणाम करना है राजा को, किया, कहा महाराज एक बड़ी विचित्र से फरियाद लेकर आया हूं | गरीब आदमी हूं मैं आपकी प्रजा। मेरा पुत्र आप जी के सामने खड़ा है, इसकी एक ही जिद है कि मैं नौकरी करूंगा तो सबसे बड़े कि तो । सबसे बड़े तो हमारे लिए आप ही हैं | राजा युवक की मांग को सुन कर तो भीतर से हर्षित हुए । लड़का पसंद आ गया युवक नौकरी के लिए पसंद आ
गया | अच्छा शरीर है यह मेरे काम आएगा अतएव उसे अपनी निजी सेवा के लिए नियुक्त कर दिया । मालिश करता है हर वक्त साथ रहता है । जहां कहीं जाता है साथ होता है । राजा साहब ने इस युवक को निजी सेवाओं के लिए नियुक्त कर दिया है |
समय बीतता जा रहा है वह अपनी नौकरी से राजा साहब को, रानी साहिबा को प्रभावित कर रहा है | प्रेम में बड़ा बल है देवियों, सेवा में बहुत बल है । जहां कहीं बात कुछ नहीं बनती कुछ भी नहीं काम करता वहां प्रेम काम करेगा । वहां सेवा काम करेंगी । प्रेम तो बेटा निराकार है । सेवा उसका साकार रूप है । प्रेम कैसे अपने आप को अभिव्यक्त करता है सेवा के रूप में, प्रेम निराकार है तो सेवा उसका साकार रूप है | अपनी सेवा से, प्रेम से लड़के ने, युवक ने, सब को बहुत प्रभावित कर दिया हुआ है | वर्ष में एक बार इन छोटे राजा को किसी बड़े राजा को Report करने के लिए जाना होता है |
आज गए, अनेक सारे उपहार रीति-रिवाज के अनुसार, अनेक सारे उपहार इकट्ठे कर लिए हैं, और वह उपहार लेकर राजा साहब कहीं जा रहे हैं । तो इस युवक को साथ ही जाना है । यह तो नहीं पूछ सकता नौकर है ना कहां जा रहे हैं आप । राजा साहिब कहां जाना होगा ना, नौकर साथ जा रहा है | छोटे राजा साहब बड़े राजा साहब के पास गए हैं। जाकर दंडवत प्रणाम किया यह युवक चकित यह कौन है ? जिसको मैं सबसे बड़ा समझता था वह किसी दूसरे को इस प्रकार से प्रणाम कर रहा है, यह कौन है मुझे जानना चाहिए सब कुछ कर लिया सब कुछ हो गया पूछा राजा साहब माफ करें यह कौन हैं ?
यह मेरे से बड़े राजा हैं । मुझे हर वर्ष इन के पास आना पड़ता है । तो राजा साहब मुझे क्षमा करें मुझे तो फिर इन्हीं की नौकरी करनी है । बड़े राजा साहब के सामने, बड़े राजा को भी यह युवक पसंद आया । उसने भी अपनी निजी नौकरी के लिए इसको नियुक्त कर लिया । भीतर की भावना देखो देवियों किस चीज पर प्रसन्न होता है यह युवक ।
यह युवक कोई मामूली युवक नहीं है । किस बात पर प्रसन्न होता है । इस बात को देखकर कि मैं जिसकी नौकरी करता हूं उसके सामने सब झुकते हैं | बससस अपना बड़प्पन नहीं है, अपना स्थान बीच में नहीं, कुछ नहीं ।
नौकर तो वही है, सेवक तो वही है, जो स्वामी को आगे आगे करता है । जो परमात्मा को आगे आगे करता है । जो स्वयं आगे होना शुरू कर दिया जिसने, समझ लीजिए वह पतन को प्राप्त होकर रहेगा | वह सेवक तो नहीं रह सकेगा | किस बात पर प्रसन्न होता है मैं जिसकी नौकरी करता हूं, उसका नौकर, जिसके आगे सारे झुकते हैं | एक वर्ष दो वर्ष इसी प्रकार से और व्यतीत हो गए | बड़े राजा साहब के पास | आज बड़े राजा भी राजाओं के राजा के पास यात्रा के लिए निकले हैं । वृंदावन बांके बिहारी जी के मंदिर, शहंशाहो के शहंशाह के पास । युवक साथ है । समय हो गया है साधक जनों कल शेष चर्चा कर लेंगे । आज यहीं समाप्त करने की इजाजत दें | सबसे बड़े की नौकरी छोटे-मोटे की नौकरी नहीं, बड़ी सरकार की नौकरी । क्या करनी स्कूल की नौकरी ? कहने को स्कूल की नौकरी है, लेकिन हम नौकर तो बड़ी सरकार के हैं | कहीं भी नौकरी करो, घर की नौकरी करो, कहीं भी नौकरी करो, कैसी भी नौकरी करो पर भीतर भाव इस प्रकार का होना चाहिए हम नौकर उस शहंशाहो के शहंशाह के उस बड़ी सरकार के हैं | कोई छोटी मोटी सरकार के नौकर नहीं है | धन्यवाद |
Jay guru dev
Ram Ram ji
Jai Shree Ram 🙏 Jai Guruji Maharaj 🙏
Ram Ram ji
Ram Ram ji 🙏
Ram Ram ji
Jai shree Guru ji maharaj ji Koti koti naman 🙏🙏
Ram Ram ji
Jai jai gurudev ji 🙏
Ram Ram ji
Ram Ram ji 🙏 sbko Ram Ram 🙏
Ram Ram ji
मुझे भरोसा राम तू दे अपना अनमोल रहो मस्त निश्चिंत मै कबी ना जाऊं डोल
Ram Ram ji
@@bhaktimeshakti2281 भाने तेरे से प्रभु भला भर्द हो जाए जग मै सब नर नारी का कष्ट ना कोई पाए मार्ग सत्या दिखाइऐ संत सूजन का पाठ पाप से हमे बचाइए पकड़ हमारा हाथ
Shri Ram Telecom Ravi Radha Vivek Kashap Vpo Tibber Gsp Pb Sab Ko Ram Ram Ji 🙏🌹🌷🌹🙏
Ram Ram ji
Ram Ram ji 🙏
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