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सप्तम भाव और राहु का संशय- आचार्य वासुदेव (ज्योतिषाचार्य, हस्तरेखा विशेषज्ञ, राहु केतु-विशेषज्ञ).
हरे कृष्ण, मैं पहले भी कई बार सप्तम भाव से संबंधित विषय पर जानकारी दे चुका हूं बहुत से भाई बहनों का यह प्रश्न होता है कि सप्तम भाव में अशुभ ग्रहों का क्या प्रभाव होता है क्योंकि उनके वैवाहिक जीवन में अत्यधिक तनाव देखा जा सकता है इस श्रृंखला में मैंने सप्तम भाव से संबंधित कुछ और विशेष जानकारी देने का प्रयास किया है सप्तम भाव का संबंध यदि राहु केतु शनि मंगल और सूर्य जैसे ग्रहों से हो तो व्यक्ति का वैवाहिक जीवन तनावमय रहता है क्योंकि राहु केतु शनि मंगल और सूर्य सभी पृथकतावादी ग्रह हैं। अधिकतर पत्रिकाओं का विश्लेषण करने के पश्चात मैंने पाया है कि सप्तम भाव में राहु का फल सबसे ज्यादा खराब होता है यदि आपकी पत्रिका में राहु सप्तम या अष्टम भाव में है तो यह आपको सबसे ज्यादा अशुभ फल प्रदान करने की योग्यता रखता है सप्तम भाव में राहु बैठा होने से व्यक्ति के वैवाहिक जीवन में तनाव रहता है और ऐसी अवस्था में राहु आपको अधिक अनैतिक कार्य करने के लिए उकसाता है। यदि पत्रिका में सप्तम भाव का स्वामी अशुभ भाव में है और सप्तम भाव पर अशुभ ग्रहों का प्रभाव है पर सप्तम भाव का स्वामी नीच राशि में है या अशुभ ग्रहों के नक्षत्र में है तो यह वैवाहिक जीवन को खराब करता है ऐसी स्थिति में राहु का एक विशेष योगदान होता है राहु एक स्वतंत्र ग्रह है जो अपनी स्वतंत्रता को दर्शाने का प्रयास करता है। राहु स्वेच्छाचारी ग्रह है और स्वतंत्र होने के साथ साथ छल और कपट को भी दर्शता है ऐसी स्तिथि में सप्तम और अष्टम भाव का राहु अन्य लोगों से संबंध दर्शता है और संबंध खराब करता है। यह एक सामान्य जानकारी है और यह इस बात की पुष्टि नहीं करता की यह योग ही फलित होंगे इस योग के साथ अन्य योग भी पत्रिका में देख लेना उचित रहेगा। अधिक जानकारी ले लिए संपर्क करें👇
आचार्य वासुदेव (ज्योतिषाचार्य, हस्तरेखा विशेषज्ञ, राहु-केतु विशेषज्ञ)
संपर्क सूत्र -9560208439, 9870146909
E-mail - neerajnagar427381@gmail.com
सोमवार से शनिवार प्रातः 10 बजे से सांयकाल 07 बजे तक
रविवार- अवकाश
आपातकालीन स्थिति में संपर्क करें - 9560208439
हरे कृष्ण 🙏
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सप्तम भाव और राहु का संशय - आचार्य वासुदेव (ज्योतिषाचार्य, हस्तरेखा विशेषज्ञ, राहु- केतु विशेषज्ञ)
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पत्रिका में संन्यास योग- आचार्य वासुदेव(ज्योतिषाचार्य, हस्तरेखा विशेषज्ञ, राहु-केतु विशेषज्ञ)
มุมมอง 5778 หลายเดือนก่อน
हरे कृष्ण, इस श्रृंखला में मैंने कुछ आध्यात्मिक योग और संन्यास योग के विषय में चर्चा की है आप अपनी पत्रिका के अनुसार यह दे सकते हैं कि क्या आपकी पत्रिका में संन्यास योग बनता है या नहीं। इस श्रृंखला में मैंने कुछ भौतिक सुखों और आध्यात्मिक सुखों के विषय में चर्चा की है, वैदिक ज्योतिष में ऐसे कौन से योग होते हैं जो व्यक्ति को आध्यात्मिक उन्नति प्रदान करते हैं और संन्यास की ओर ले जाते हैं। वैदिक ज्...
पत्रिका में संन्यास के योग- आचार्य वासुदेव (ज्योतिषाचार्य, हस्तरेखा विशेषज्ञ) राहु-केतु विशेषज्ञ
มุมมอง 4928 หลายเดือนก่อน
हरे कृष्ण, इस श्रृंखला में मैंने कुछ आध्यात्मिक योग और संन्यास योग के विषय में चर्चा की है आप अपनी पत्रिका के अनुसार यह दे सकते हैं कि क्या आपकी पत्रिका में संन्यास योग बनता है या नहीं। इस श्रृंखला में मैंने कुछ भौतिक सुखों और आध्यात्मिक सुखों के विषय में चर्चा की है, वैदिक ज्योतिष में ऐसे कौन से योग होते हैं जो व्यक्ति को आध्यात्मिक उन्नति प्रदान करते हैं और संन्यास की ओर ले जाते हैं। वैदिक ज्...
कुंडली में कपट योग- आचार्य वासुदेव(ज्योतिषाचार्य) राहु-केतु विशेषज्ञ
มุมมอง 5968 หลายเดือนก่อน
हरे कृष्ण, इस श्रृंखला में मैंने पत्रिका में कुछ ऐसे योगों के बारे में बात की है जो व्यक्ति को अविश्वसनीय बनाते हैं और ऐसी स्थिति में ग्रह यह दर्शाते हैं कि सामने वाला व्यक्ति विश्वास के लायक है या नहीं और कभी-कभी पत्रिका में हम यह देखकर अनुमान लगा सकते हैं कि सामने वाले व्यक्ति पर कितना विश्वास किया जा सकता है क्योंकि झूठ बोलने की आदत बहुत पहले से लोगों में देखी जा सकती है ऐसी स्थिति में यदि आ...
पत्रिका में राजयोग फिर भी दुःख-आचार्य वासुदेव(ज्योतिषाचार्य)
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इस श्रृंखला में वैदिक ज्योतिष में राजयोग के विषय में भ्रांतियों के विषय में चर्चा की गईं है। आपके जीवन में राजयोग तभी फलित होते है जब योगकारक ग्रहों की महादशा आती है, प्रत्येक लग्न के अनुसार शुभ और अशुभ ग्रह होते है और योग कारक ग्रह भी होते है। जब कभी भी पत्रिका में योगकारक ग्रह की दशा आती है तो जीवन में सु और समृद्धि के योग बनते है। यदि बचपन में अशुभ ग्रहों की दशा हो तो यह जीवन में संघर्ष को द...
वैदिक ज्योतिष में अरिष्ट भंग- आचार्य वासुदेव( ज्योतिषाचार्य)
มุมมอง 51011 หลายเดือนก่อน
हरे कृष्णा इस श्रृंखला में मैंने वैदिक ज्योतिष में कुछ विशेष अरिष्ट भंग योग की चर्चा की है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार पत्रिका में कुछ ऐसे दोष होते होते है जो जीवन में परेशानियों का कारण बनते हैं इस श्रृंखला में मैंने कुछ अरिष्ट भंग योगों के विषय में चर्चा की है। पत्रिका में कुछ शुभ ग्रहों के कारण अरिष्ट भंग हो जाता है। यदि आप अपनी पत्रिका से संबंधित कोई विशेष जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं या अपन...
कन्या लग्न में नीलम रत्न का फल- आचार्य वासुदेव(ज्योतिषाचार्य)
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हरे कृष्णा, इस श्रृंखला में मैंने कन्या लग्न में नीलम रत्न धारण करने के विषय में कुछ विधि बतलाई है, कन्या लग्न में शनि पंचम और षष्ठम भाव के स्वामी है। कन्या लग्न में शनि पंचम भाव के स्वामी होने से योग कारक ग्रह की श्रेणी में आते हैं कन्या लग्न में बुध, शनि, शुक्र योगकाराक ग्रह की श्रेणी में आते। इस श्रृंखला में मैं शनि देव से संबंधित कुछ विशेष जानकारी देने का प्रयास किया है यदि आपका कन्या लग्न ...
राशि से गोचर का फल कितना सटीक - आचार्य वासुदेव(ज्योतिषाचार्य)
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हरे कृष्णा इस श्रृंखला में मैं गोचर से संबंधित कुछ विषयों पर आपको जानकारी देने का प्रयास किया है की गोचर के माध्यम से फल कितना सटीक होता है और किस प्रकार से फल प्राप्त होता है पत्रिका में शनि महाराज गुरुदेव और राहु केतु का गोचर अत्यधिक महत्वपूर्ण होता है क्योंकि शनि एक राशि में ढाई वर्ष गुरुदेव एक राशि में एक वर्ष राहु केतु एक राशि में 18 महीने तक गोचर करते हैं किंतु गोचर देखते समय हमें यह ध्या...
राहु किस भाव में सबसे शुभ फल देता है आचार्य वासुदेव(ज्योतिषाचार्य)
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हरे कृष्णा इस श्रृंखला में मैंने राहु से संबंधित कुछ विषय पर अधिक जानकारी देने का प्रयास किया है बहुत से भाई बहनों का यह प्रश्न होता है कि राहु किस भाव में अत्यधिक शुभ फल प्रदान करते हैं और किस भाव में अत्यधिक अशुभ फल प्रदान करते हैं इस श्रृंखला में मैंने इससे सम्बन्धित प्रश्नों का उत्तर देने का प्रयास किया है। राहु कहीं ना कहीं आपकी अंतरात्मा को परेशान करने का प्रयास करता है राहु का संबंध आपकी...
अशुभ राहु के संकेत- आचार्य वासुदेव (ज्योतिषाचार्य)
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हरे कृष्णा श्रृंखला में मैंने कुछ राहु के शुभ या अशुभ संकेतों के विषय में आपसे चर्चा की है इस श्रृंखला में मैने समझाने का प्रयास किया है कि राहु ना तो शुभ होते हैं और ना ही अशुभ होते हैं राहु का प्रभाव उनकी राशि साथ बैठने वाले ग्रह किन-किन ग्रहों पर उनका दृष्टि प्रभाव है और किस ग्रह पर उनका ज्यादा प्रभाव है इस पर निर्भर करता है आशा करता हूं कि आप इस श्रृंखला से बहुत कुछ सीखने का प्रयास करेंगे य...
वैदिक ज्योतिष में आयु का निर्णय कितना सही और कितना गलत - आचार्य वासुदेव (ज्योतिषाचार्य)
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हरे कृष्णा इस श्रृंखला के माध्यम से मैं आयु से संबंधित कुछ विशेष नियम और सूत्रों के विषय में चर्चा की है इस श्रृंखला के माध्यम से मैं यह समझाने का प्रयास किया है की आयु का निर्णय करते वक्त हमें बहुत सावधानियां बरतनी चाहिए वैसे तो आयु का निर्णय वैदिक ज्योतिष में एक गंभीर विषय है किसी भी वैदिक ज्योतिष को इसका निर्णय करने से पहले बहुत सोच समझकर इसका विचार करना चाहिए और आयु निर्णय करने से बचना ही च...
अश्विनी नक्षत्र में राहु का फलादेश - आचार्य वासुदेव (ज्योतिषाचार्य)
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हरे कृष्णा इस श्रृंखला में मैंने राहु का अश्विनी नक्षत्र में क्या फल होता है उसके विषय में चर्चा की है अश्विनी नक्षत्र राशि चक्र आकाशगंगा का सबसे आरंभिक बिंदु है अश्विनी नक्षत्र के स्वामी केतु देव होते हैं अश्विनी नक्षत्र एक देव गण और राजसिक नक्षत्र है। अश्विनी नक्षत्र केतु का सबसे पहला नक्षत्र है अश्विनी नक्षत्र के अलावा मघा और मूल नक्षत्र भी केतु के नक्षत्र कहलाते हैं इस श्रृंखला में मैंने रा...
पत्रिका के चतुर्थ भाव में राहु का फल शुभ या अशुभ- आचार्य वासुदेव(ज्योतिषाचार्य)
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हरे कृष्णा इस श्रृंखला में मैं राहु के चतुर्थ भाव में क्या फल होते हैं उसके विषय में आपको समझाने का प्रयास किया है राहु वैदिक ज्योतिष में एक अशुभ ग्रह होते हैं और राहु का प्रभाव आपके जीवन में अचानक से देखने में आता है राहु अचानक से होने वाली घटनाओं के कारक हैं राहु मानसिक तनाव डिप्रेशन अवसाद हिस्टीरिया और हाइपरसेंसटिविटी के कारक भी होते हैं। देवताओं की सभा में बैठकर राहु ने अमृत का पान किया था ...
स्त्री पुरुष के विवाद का सबसे बड़ा कारण- आचार्य वासुदेव (ज्योतिषाचार्य)
มุมมอง 717ปีที่แล้ว
हरे कृष्णा इस श्रंखला में मैंने सप्तम भाव सप्तम भाव से संबंधित फल सप्तमेश और सप्तम भाव का हमारे जीवन में क्या महत्व है उसके विषय में समझने का प्रयास किया है इस श्रृंखला में मैंने यह बताने का प्रयास किया है कि किस तरह से वैवाहिक जीवन में तनाव की स्थिति पैदा होती है कौन से ऐसे ग्रह हैं जो इस तनाव का कारण बनते हैं इस श्रृंखला के माध्यम से आप यह जान सकते हैं कि आपकी पत्रिका में कौन से ऐसे कारण है औ...
पत्रिका के प्रथम भाव में केतु और बुध का फल - आचार्य वासुदेव( ज्योतिषाचार्य) भाग -2
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पत्रिका के प्रथम भाव में केतु और बुध का फल - आचार्य वासुदेव( ज्योतिषाचार्य) भाग -2
पत्रिका के प्रथम भाव में केतु और बुध का फल - आचार्य वासुदेव( ज्योतिषाचार्य) भाग -1
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The results of Jupiter transiting in the eighth house and my experience - Part-2 Acharya Vasudev
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अष्टम भाव में बृहस्पति के गोचर का प्रभाव और मेरा अनुभव भाग -1 आचार्य वासुदेव (ज्योतिषाचार्य)
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पंचम भाव में शनिदेव के सटिक फल- आचार्य वासुदेव (ज्योतिषाचार्य,हस्तरेखा विशेषज्ञ)
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चतुर्थ भाव में शनि के फल- अनुभव के आधार पर फल- आचार्य वासुदेव (ज्योतिषाचार्य, हस्तरेखा विशेषज्ञ)
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तृतीय भाव में शनि के सटिक फल- आचार्य वासुदेव(ज्योतिषाचार्य, मार्गदर्शक)
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Effects of Saturn in 2nd House- Acarya Vasudev( Vedic Astrologer, Palmist)
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उच्च के शुक्र और नीच के शुक्र में अंतर- आचार्य वासुदेव ( ज्योतिषाचार्य), हस्तरेखा विशेषज्ञ
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वैदिक ज्योतिष में उच्च के शुक्र और नीच के शुक्र में अंतर- आचार्य वासुदेव (ज्योतिषाचार्य)
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ज्योतिष में चन्द्रमा का विशेष महत्त्व और चन्द्रमा के विशेष अवगुण- आचार्य वासुदेव (ज्योतिषाचार्य)
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ग्रहों का मायाजाल कैसे करता है आपके सम्पूर्ण जीवन को प्रभावित- आचार्य वासुदेव(ज्योतिषाचार्य) भाग-2
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ग्रहों का मायाजाल कैसे करता है आपके सम्पूर्ण जीवन को प्रभावित- आचार्य वासुदेव(ज्योतिषाचार्य) भाग-१