चतुर्थ भाव में शनि के फल- अनुभव के आधार पर फल- आचार्य वासुदेव (ज्योतिषाचार्य, हस्तरेखा विशेषज्ञ)

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  • เผยแพร่เมื่อ 26 ม.ค. 2025
  • हरे कृष्णा इस श्रृंखला में मैंने शनि के चतुर्थ भाव में फल के विषय में चर्चा की है शनि चतुर्थ भाव में हो तो शनि की दृष्टि षष्ठम भाव, दशम भाव, और लग्न भाव, पर पड़ती हैं चतुर्थ भाव के स्वामी चंद्रमा देव है और चतुर्थ भाव के कारक स्वामी जो है वह चंद्रमा और शुक्र कहलाते हैं शुक्र को चतुर्थ भाव में शुभ माना जाता है. चतुर्थ भाव केंद्र स्थान है और चतुर्थ भाव जो है वह मोक्ष का स्थान है. चतुर्थ भाव जो है वह जलीय राशि है कर्क राशि जलीय राशि होती है वैदिक ज्योतिष में कर्क राशि वृश्चिक राशि और मीन राशि जलीय राशियां है, चतुर्थ भाव सुरक्षा को दर्शाता है जहां पर आप सुरक्षा महसूस करते हैं जहां पर अब सिर्फ महसूस करते हैं। चतुर्थ भाव इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि यह हमारी आत्मा को दर्शाता है मोक्ष का स्थान है और आत्मा को दर्शाता है हमारे मन से हमारी आत्मा से जो भाव निकलते हैं वह चतुर्थ भाव से देखे जाते हैं चतुर्थ भाव जो है वह माता का है माता-पिता का है परिवार का है। और चतुर्थ भाव सुरक्षा के लिए माता को संरक्षक बनाता है क्योंकि माता से ज्यादा बड़ा कोई बच्चे का संरक्षक नहीं हो सकता कोई देखभाल करने वाला नहीं हो सकता चतुर्थ भाव जो है वह हमारे पेट को हमारे पाचन तंत्र को हमारे वक्षस्थल को और हमारी पसलियों को भी दर्शाता है।
    आचार्य वासुदेव
    ज्योतिषाचार्य, हस्तरेखा विशेषज्ञ
    फोन नंबर- 9560208439, 9870146909
    e-mail- neerajnagar427381@gmail.com

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