ज्योतिष में चन्द्रमा का विशेष महत्त्व और चन्द्रमा के विशेष गुण- आचार्य वासुदेव (ज्योतिषाचार्य)
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- เผยแพร่เมื่อ 26 ม.ค. 2025
- वैदिक ज्योतिष में चन्द्रमा को एक विशेष महत्त्व दिया जाता है जो मन को दर्शाता है , चन्द्रमा मनसो जात: अर्थात चन्द्रमा मन का स्वामी ग्रह है और बंधन और मोक्ष का कारक भी चन्द्रमा देव को माना गया है, चन्द्रमा कर्क राशि के स्वामी है और ३ डिग्री पर वृषभ राशि में उच्च का फल प्रदान करतें है और ४ डिग्री से ३० डिग्री तक वृषभ राशि में मूलत्रिकोण का फल और ३ डिग्री पर वृश्चिक राशि में नीच का फल प्रदान करतें है. शनि जब चन्द्रमा से द्वादश भाव में गोचर करतीं है तो मनुष्य के जीवन में साढ़ेसाती का प्रारम्भ होता है जो जीवन में कष्टप्रद होता है और यह कष्ट आपके कर्मों के अनुसार दिए जातें है क्योकि शनि का सीधा सम्बन्ध आपके कर्मों से होता है. चन्द्रमा का गोचर सदैव षष्टम भाव और अष्टम भाव और द्वादश भाव में कष्टकारी होता है और अनिष्ट फल प्रदान करता है. चन्द्रमा हस्त, रोहिणी और श्रवण नक्षत्र का स्वामी ग्रह है और यह मघा, पूर्वाफाल्गुनी और उत्तराफाल्गुनी में श्रेष्ठ फल प्रदान करता है. यदि आपका चन्द्रमा से सम्बंधित कोई प्रश्न है तो आप दिए गए नंबरों पर संपर्क कर अपनी पत्रिका का विश्लेषण करवा सकतें है.
आचार्य वासुदेव( ज्योतिषाचार्य, हस्तरेखा विशेषज्ञ)
फोन नंबर- 9560208439, 9870146909
प्रत्येक सोमवार से शनिवार
प्रातः 10 बजे से 06 बजे तक ( रविवार अवकाश)
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