श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 6 श्लोक 33 उच्चारण | Bhagavad Geeta Chapter 6 Verse 33

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  • เผยแพร่เมื่อ 6 มิ.ย. 2024
  • 🌹ॐ श्रीपरमात्मने नमः🌹
    अथ षष्ठोऽध्यायः
    अर्जुन उवाच
    योऽयं योगस्त्वया प्रोक्तः साम्येन मधुसूदन।
    एतस्याहं न पश्यामि
    चञ्चलत्वात्स्थितिं स्थिराम्॥33॥
    यः=जो,अयम्=यह,योगः=योग, त्वया=आपने,प्रोक्तः=कहा है, साम्येन=समभाव से, मधुसूदन =हे मधुसूदन! एतस्य= इसकी,अहम्= मैं,न पश्यामि=नहीं देखता हूँ, चञ्चलत्वात्=चञ्चल होने से, स्थितिम्= स्थिति, स्थिराम् =स्थिर (नित्य)।
    भावार्थ- हे मधुसूदन! आपने समभाव से जो यह योग कहा है,मन की चञ्चलता के कारण मैं इस योग की नित्य स्थिर स्थिति को नहीं देखता हूँ।
    व्याख्या--
    अब दो श्लोकों में अर्जुन अपनी आशंका रखते हैं और कह भी देते हैं कि मुझे तो यह संभव लगता ही नहीं -
    "योऽयं योगस्त्वया प्रोक्तः साम्येन मधुसूदन"-
    हे मधुसूदन! यह जो साम्ययोग आपने बतलाया,सर्वत्र समदर्शन, सब जगह समानता को देखना। चित्त की इस प्रकार की समता को
    "एतस्याहं न् पश्यामि"-
    मैं यह नहीं देख पा रहा हूँ कि इस स्थिति में कैसे स्थिर रहा जाए? इसका आकलन में नहीं कर पा रहा हूँ। समानता की दृष्टि भीतर की है बहुत अंदर जाना पड़ता है। हर एक के बस की बात भी नहीं है सर्वत्र समभाव रखना।
    हे प्रभो! यह बात कुछ बनेगी ऐसा
    मुझे लगता नहीं है। सर्वत्र सम मैं कैसे देख पाऊॅंगा? यह तो बहुत ही कठिन है,सर्वदा इस प्रकार से अपना जीवन बन जाए,मुझे लगता ही नहीं कि ऐसा हो सकता है, क्योंकि
    "चञ्चलत्वात् स्थितिम् स्थिराम्"-
    चंचलता के कारण स्थिर नहीं हो सकता। अर्जुन भगवान् से कह रहे हैं कि मेरा मन तो चञ्चल है और आप स्थिर रहने को कहते हैं। मैं इसकी नित्य स्थिति को नहीं देख पा रहा हूँ। कभी-कभी एकाध बार हो गया तो हो गया बाकी सदा मन इस प्रकार का बन जाए, ऐसा मुझे लगता नहीं है क्योंकि मन बहुत चञ्चल है इसको वश में करना आसान नहीं है।
    विशेष-
    यह मन कितना चञ्चल है यह तो हम सब के अनुभव की ही बात है। जितने वेग से मन घूम कर आता है,उतने वेग से कोई नहीं घूम सकता। मन जितना वेग तो वायु का भी नहीं है। हमारी इंद्रियाँ बाहर की ओर दौड़ती रहती हैं और मन इन इन्द्रियों का साथ देना चाहता है। ऐसे में मन को वश में कर लिया तो इन्द्रियाँ अपने आप वश में हो जाऍंगी लेकिन मन को वश करना आसान है क्या?
    जिस चञ्चलता के कारण अर्जुन अपने मन की दृढ़ स्थिति नहीं देख पा रहे हैं,उस चंचलता का वर्णन अब अगले श्लोक में......
    🌹🍁🌹🍁🌹🍁🌹🍁🌹🍁🌹🍁🌹🍁🌹

ความคิดเห็น • 4

  • @manjushaliwan4159
    @manjushaliwan4159 25 วันที่ผ่านมา

    🎉🎉🎉🎉🎉🎉

  • @manjushaliwan4159
    @manjushaliwan4159 25 วันที่ผ่านมา

    🙏Jai shree krishan🙏

  • @manjushaliwan4159
    @manjushaliwan4159 25 วันที่ผ่านมา

    Koti naman 🙏🙏

  • @satishkgoyal
    @satishkgoyal 23 วันที่ผ่านมา

    जय श्री कृष्ण।