वेदों की सच्चाई को हजम क्यों नहीं कर पा रहे स्वामी रामभद्राचार्य ? || By स्वामी सच्चिदानंद जी महाराज

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  • เผยแพร่เมื่อ 16 พ.ย. 2024

ความคิดเห็น • 1K

  • @VivekPathak-w1i
    @VivekPathak-w1i 7 วันที่ผ่านมา +6

    स्वामी दयानंद महाराज बहुत उच्च कोटि के ज्ञानी थे। वेदों में अवतार नहीं है। यह सत्य है। वेदों का पठन-पाठन से दूर होने के बाद सनातन धर्म संस्कृति को क्षति हुई है। वेद प्रथम स्तर का ज्ञान है। और पौराणिक काल द्वितीय स्तरीय ज्ञान हैं। ज्ञान चर्चा के लिए बहुत बहुत धन्यवाद शुभकामनाएं।

  • @HaridevSharma-rc1jv
    @HaridevSharma-rc1jv 3 หลายเดือนก่อน +38

    मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीरामचंद्र और योगेश्वर श्रीकृष्ण जी को महर्षि दयानन्द सरस्वती जी के आदर्श है। आर्यावर्त भारत के उज्ज्वल रत्न है। जय श्री राम।। जय सत्य सनातन वैदिक धर्म।। आर्य पुत्र।। ❤

    • @Deniel_R
      @Deniel_R 17 วันที่ผ่านมา +2

      सत्यार्थ प्रकाश में तो नहीं लिखा है।

  • @roshanbaba425
    @roshanbaba425 2 หลายเดือนก่อน +10

    आपने बेहतरीन तरीके से अपनी बात रखी । मैं आपको प्रणाम करता हूं

  • @brahmjitsingh810
    @brahmjitsingh810 2 หลายเดือนก่อน +32

    भद्राचार्य आंखों से नहीं अक्ल से भी अंधे हैं ।

    • @hariomaj12
      @hariomaj12 หลายเดือนก่อน

      Tu apni buddhi check kar le kahi teri budhhi to

  • @KhemchandVashishth
    @KhemchandVashishth 3 หลายเดือนก่อน +9

    स्वामी जी ने ईश्वरीय विषय को बहुत अच्छे से समझाया है सत सत नमन

  • @VivekPathak-w1i
    @VivekPathak-w1i 7 วันที่ผ่านมา +3

    ज्ञान पर चर्चा बहस जांच-पड़ताल आवश्यक है। जिससे समाज को सही धर्म दिशा दी जा सके। हर हर महादेव

  • @kavandesai8459
    @kavandesai8459 3 หลายเดือนก่อน +85

    महर्षि दयानन्द सरस्वती जी ने हमको सच्चे वैदिक धर्म से परिचय करवाया 🙏

    • @Arramy-s2q
      @Arramy-s2q 3 หลายเดือนก่อน +8

      @@kavandesai8459 उससे पहले क्या कोई जानते नहीं थे भारतवर्ष में क्या एक दयानंद जी ही पैदा हुए ऐसा जानकार व्यक्ति ???

    • @PankajKumar-yj4ep
      @PankajKumar-yj4ep 3 หลายเดือนก่อน +3

      To fir vadic ganit(math) kyu nahi padte ho tum dayanand ke chelo

    • @puranrawat3806
      @puranrawat3806 2 หลายเดือนก่อน

      वेद सनातन की जड़ें है, मूल हैं जड़ कटे हुए भटकते रहते हैं । आज फसलें और नस्ले दोनो विकृति और बीमार दवाई पर डिपेंड हैं पर ऑर्गेनिक और मूल बीज जो हाइब्रिड नही हुआ वह स्वस्थ हैं।

    • @RSB143
      @RSB143 2 หลายเดือนก่อน

      ​@@Arramy-s2q right

    • @wholeglitchgaming
      @wholeglitchgaming 2 หลายเดือนก่อน +3

      @@Arramy-s2q Hey Bhagwan....Are Bhai uske kahne ka matlab hai ki abhi Muslim, Christian, Britishers ke aane ke baad Bas Maharshi Dayanand saraswati hi the jinhone Vedon ka thik se bhasya kiya wrna britishers aur adhiktar logon ne Vedon me maans khana, Gay ko maarna,etc. jaise paakhand faila ke translation kr diya tha....

  • @omyadav1557
    @omyadav1557 2 หลายเดือนก่อน +72

    रामभद्राचार्य जी कथावाचक है और योग्य भी है इसमें संदेह नहीं पर अहंकार जातिवाद राजनीति उनके अंदर कूट कूट कर भरी हुई है,,

    • @jaydutta7711
      @jaydutta7711 หลายเดือนก่อน +6

      *@omyadav1557* शमा करना, रामभद्राचार्य जी जैसे एक योग्य कथावाचक के अंदर भले ही थोड़ा सा अहंकार और राजनीति कूट कूट कर भरी हुई हो, लेकिन जातिवाद उनके अंदर बिलकुल भी भरी हुई नहीं हैं। इस बात की guarantee मैं दे सकता हूं। 🙏🏻

    • @jaydutta7711
      @jaydutta7711 หลายเดือนก่อน +3

      *@omyadav1557* तुम आर्य समाज के लोगो की बातों में बहुत बड़ा CONTRADICTION हैं। अगर तुम आर्य समाज के लोग श्री राम और श्री कृष्ण को पहले से ही भगवान मानते हो तो ईश्वर क्यों नहीं मानते? ईश्वर का ही तो दूसरा शब्द है भगवान, जैसे पानी और जल एक ही तरल पदार्थ के दो शब्द हैं। श्री रामभद्राचार्य अकेले हिंदू आचार्य नहीं हैं जो राम और कृष्ण को ईश्वर मानते है क्योंकि वेद और महाभारत जैसे मूल ग्रंथ की शुरुआत ही इस श्लोक से होती है कि श्री कृष्ण स्वयं परमेश्वर नारायण हैं। तो तुम लोग इस महत्वपूर्ण कथन को कैसे नकार सकते हो? यदि प्रभु श्री राम और श्री कृष्ण ईश्वर नहीं हो सकते तो ईश्वर नाम की कोई इकाई नहीं हो सकती, बस इतनी सि बात आपको समझ आनी चाहिए। मेरी तरफ से सभी आर्य विद्वानों से निवेदन है कि भले ही आप लोग रामभद्राचार्य जी का खुलकर विरोध करे लेकिन भूल कर भी कभी परमेश्वर नारायण के अवतार प्रभु श्री राम और श्री कृष्ण को ईश्वर मानने से इंकार न करे। अन्यथा मुक्ति नहीं मिलेगी कभी। जय श्री राम 🙏🏻

    • @omyadav1557
      @omyadav1557 หลายเดือนก่อน

      @@jaydutta7711 श्री मान जी ऐसा नहीं है मैं स्वयं श्री रामभद्राचार्य जी के प्रोग्राम में गया हूं, की राम रस उनकी वाणी से लें, तो मुझे जो महसूस हुआ, मैं मथुरा भी आए दिन जाता हूं तो हमारे देश में योग्य साधु संतों का अभाव नहीं है पर सत्यता में देखा जाए , तो एक पर्सेंट सच्चे साधक के गुण है,वाकी जैसे भी है ठीक है हमारे लिए पूजनीय हैं,श्री प्रेमानंद जी जैसे सच्चे साधक होना चाहिए, जिनके अंदर कोई किसी तरह का विकार नहीं,,

    • @नतस्यप्रतिमाअस्ति-थ4त
      @नतस्यप्रतिमाअस्ति-थ4त 27 วันที่ผ่านมา

      kuch nhi hi unke under jhota hi bas politics karta hi kisi se debate nhi kar sakte hi zakirnaik ne kaha key hinduo mai koi ek vidwan nhi hi jo debate kar skatey

    • @anurag_8589
      @anurag_8589 26 วันที่ผ่านมา +1

      ​@@jaydutta7711😂😂😂

  • @pawankumarvashistha417
    @pawankumarvashistha417 หลายเดือนก่อน +6

    आदरणीय आपको नमन। यद्यपि मैं मूर्ति पूजक हूँ किंतु महर्षि दयानंद का अत्यंत आदर करता हूँ। महर्षि की कृपा से ही आज हमें वेद उपलब्ध है। वे महान समाज सुधारक एवं प्रखर राष्ट्रभक्त भी थे। रामभद्राचार्यजी विद्वान और आदरणीय व्यक्ति हैं किंतु उनके द्वारा या किसी भी सन्त के द्वारा महर्षि दयानंद के विरुद्ध बिल्कुल नहीं बोलना चाहिए। आप स्वयं सत्य के प्रति आग्रही हैं। अवतारवाद को मानना या ना मानना उतना महत्वपूर्ण नहीं जितना हिन्दू मात्र को संगठित रखना। आपसे और रामभद्राचार्यजी दोनों से करबद्ध प्रार्थना है कि कोई भी ऐसा कदम ना उठाएं जिससे से हिंदुओं में रत्ती भर भी बिखराव हो।
    ।। वन्देमातरम।।

    • @नतस्यप्रतिमाअस्ति-थ4त
      @नतस्यप्रतिमाअस्ति-थ4त 27 วันที่ผ่านมา

      murti hta do maine hta diya kuch din dikkat hua th ab nhi same sabpoja wahi karta ho jaise pehle bas photo murti hta diya ab koi hamre asntan par ungli nhi utha skata iswar ke hi uska koi phtoo nih hi uske murti nhi hi

    • @scottrock1654
      @scottrock1654 26 วันที่ผ่านมา

      ​@@नतस्यप्रतिमाअस्ति-थ4तमूर्ति हटा दो फिर वेद की जगह कुरान बाइबल तुरन्त जगह ले लेगा ... वे भी तो मूर्ति नही पूजते एक मूर्ति है तो पहचान है सनातन का

    • @temuzin879
      @temuzin879 4 วันที่ผ่านมา

      ​@@नतस्यप्रतिमाअस्ति-थ4त चुप करो। तुम अल्लाह का काबा हटवा दो।

    • @temuzin879
      @temuzin879 4 วันที่ผ่านมา

      रामभद्राचार्य चौबे,पाठक,दीक्षित को नीच ब्राह्मण कहते है। मुस्लिम इनके वीडियो इस्तेमाल करते है तोड़ने के लिए हमलोगों को।

  • @abhimanyuarya-yg3xe
    @abhimanyuarya-yg3xe 3 หลายเดือนก่อน +6

    प्रणाम महोदय🙏
    मेरी आपसे एक प्रार्थना है कि जब भी आप किसी का खण्डन करे तो कृपया वेद से तथ्य प्रमाण दिया करे ताकि जब हम किसी से तर्क करे तो उन तथ्यों को उनके सामने रख सके ।

  • @शास्वतम
    @शास्वतम หลายเดือนก่อน +11

    रामभद्राचार्य को अपना स्वाध्याय बढ़ाने की आवश्यकता है.🙏🚩

  • @adalatyogi1940
    @adalatyogi1940 20 วันที่ผ่านมา +5

    पूज्य स्वामी जी महाराज श्री १००%सत्य कहा है आपने। आपका विचार वैदिक है।।

  • @BeniPrasadAgarwal
    @BeniPrasadAgarwal 3 หลายเดือนก่อน +29

    आर्य समाज एक श्रेष्ठ समाज है स्वामी दयानंद सरस्वती जी एक श्रेष्ठ ऋषि थे शत शत नमन।

  • @Brihaspati01
    @Brihaspati01 13 ชั่วโมงที่ผ่านมา

    जाकी रही भावना जैसी,
    प्रभु मूरत देखी तिन तैसी'

  • @MadanLal-lm4is
    @MadanLal-lm4is หลายเดือนก่อน +5

    स्वामी सच्चिदानंद की बातें वेदों एवं पुराणों से प्रमाणित है

  • @baldeoprasad446
    @baldeoprasad446 10 วันที่ผ่านมา +2

    100% आप सही कह रहे है। भगवान अवतार क्यों लेंगे। भगवान तो खुद इतने पावरफुल है।

    • @Brihaspati01
      @Brihaspati01 12 ชั่วโมงที่ผ่านมา +1

      “जब जब होई धरम की हानी, बाढ़हि असुर अधम अभिमानी। तब-तब धरि प्रभु विविध शरीरा, हरहि दयानिधि सज्जन पीरा।।”

  • @technicalsudeshi6897
    @technicalsudeshi6897 3 หลายเดือนก่อน +48

    आर्य समाज में महिलाएं भी वेदों में शास्त्रार्थ करने में सक्षम है🙏🙏🚩🚩🚩

    • @vishramchoudharysaran5653
      @vishramchoudharysaran5653 3 หลายเดือนก่อน +5

      वेदों का अर्थ ही सही नहीं कर रखा है

    • @vishramchoudharysaran5653
      @vishramchoudharysaran5653 3 หลายเดือนก่อน +7

      ज्ञान चर्चा के लिए कभी भी आ सकते हैं

    • @lakhvirsingh9492
      @lakhvirsingh9492 2 หลายเดือนก่อน

      ​@@vishramchoudharysaran5653Dost Dharm Anubav ki baat hai jah Discussion ki sabi sant maha purasho na Practical experience ka bina baat kerna sa mana kerha

    • @anandsharma9892
      @anandsharma9892 2 หลายเดือนก่อน

      साकार और अवतार पर मतदान
      प्रश्न 1:- नीचे दिये गए मिश्रित गद्यांश और पद्यांश को पढ़कर उत्तर दीजिये।
      :- कृप्या पढ़ें ऋग्वेद मण्डल (A) :- 9 सुक्त 1 मंत्र 9 में जो निम्न हैं:-
      अभी इमं अध्न्या उत श्रीणन्ति धेनवः शिशुम्। सोममिन्द्राय पातवे।।9।।
      अभी इमम्-अध्न्या उत श्रीणन्ति धेनवः शिशुम् सोमम् इन्द्राय पातवे।
      (उत) विशेष कर (इमम्) इस (शिशुम्) बालक रूप में प्रकट (सोमम्) पूर्ण परमात्मा अमर प्रभु की (इन्द्राय) सुखदायक सुविधा के लिए जो आवश्यक पदार्थ शरीर की (पातवे) वृद्धि के लिए चाहिए वह पूर्ति (अभी) पूर्ण तरह (अध्न्या धेनवः) जो गाय, सांड द्वारा कभी भी परेशान न की गई हों अर्थात् कुँवारी गायों द्वारा (श्रीणन्ति) परवरिश की जाती है।
      ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 1 मन्त्र 9 में)
      जब परमात्मा दूसरी प्रकार का शरीर धारण करके अर्थात् शिशु रूप धारण करके पृथ्वी पर प्रकट होता है उस समय उनके पालन की लीला कंवारी गौवों द्वारा होती है।
      भावार्थ:- पूर्ण परमात्मा अमर पुरुष जब लीला करता हुआा बालक रूप धारण करके स्वयं प्रकट होता है सुख-सुविधा के लिए जो आवश्यक पदार्थ शरीर वृद्धि के लिए चाहिए वह पूर्ति कुँवारी गायों द्वारा की जाती है अर्थात् उस समय (अध्नि धेनु) कुँवारी गाय अपने आप दूध देती है जिससे उस पूर्ण प्रभु की परवरिश होती है।
      यही प्रमाण पवित्र ‘‘कबीर सागर’’ नामक सद्ग्रंथ में है। जो आदरणीय धर्मदास जी द्वारा लगभग सन् 1500 के आसपास लिखा गया था। कबीर सागर के अध्याय ‘‘ज्ञान सागर‘‘ में पृष्ठ 74 पर लिखा है।
      (B):- ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 96 मंत्र 18
      ऋषिमना य ऋषिकृत्स्वर्षाः सहस्त्रणीथः पदवीः कवीनाम्।
      तृतीयं धाम महिषः सिषासन्त्सोमो विराजमनु राजति ष्टुप्।।18।।
      ऋषिमना य ऋषिकृत् स्वर्षाः सहस्त्राणीथः पदवीः कवीनाम्। तृतीयम् धाम महिषः सिषा सन्त् सोमः विराजमानु राजति स्टुप्।।
      अनुवाद - वेद बोलने वाला ब्रह्म कह रहा है कि (य) जो पूर्ण परमात्मा विलक्षण बच्चे के रूप में आकर (कवीनाम्) प्रसिद्ध कवियों की (पदवीः) उपाधि प्राप्त करके अर्थात् एक संत या ऋषि की भूमिका करता है उस (ऋषिकृत्) संत रूप में प्रकट हुए प्रभु द्वारा रची (सहस्त्राणीथः) हजारों वाणी (ऋषिमना) संत स्वभाव वाले व्यक्तियों अर्थात् भक्तों के लिए (स्वर्षाः) स्वर्ग तुल्य आनन्द दायक होती हैं। (सोम) वह अमर पुरुष अर्थात् सतपुरुष (तृतीया) तीसरे (धाम) मुक्तिलोक अर्थात् सत्यलोक की (महिषः) सुदृढ़ पृथ्वी को (सिषा) स्थापित करके (अनु) पश्चात् (सन्त्) मानव सदृश संत रूप में होता हुआ (स्टुप) गुबंद अर्थात् गुम्बज में उच्चे टिले रूपी सिंहासन पर (विराजमनुराजति) उज्जवल स्थूल आकार में अर्थात् मानव सदृश तेजोमय शरीर में विराजमान है।
      (C) :- परमात्मा पाप नष्ट कर सकता है | यजुर्वेद
      पवित्र यजुर्वेद अध्याय 5 मंत्र 32 में है कि कविरंघारिसि =
      (कविर्) परमेश्वर (अंघ) पाप का (अरि) शत्रु (असि) है अर्थात् पाप विनाशक है ईश्वर। बम्भारिसि = (बम्भारि) बन्धन का शत्रु अर्थात् बन्दी छोड़ है परमेश्वर (असि) है।
      यजुर्वेद अध्याय 8 मंत्र 13
      यह बहुत स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि परमात्मा पाप नाश कर सकते हैं। परमात्मा अपने उपासक के पापों का नाश कर देते हैं।
      परमात्मा घोर पाप का भी नाश कर देते हैं। परमात्मा अनजाने में किए गए सभी पापों का भी नाश कर देते हैं। परमात्मा अतीत में किए गए या वर्तमान में किए गए सभी पापों का भी नाश कर देते हैं।
      प्रश्न (क) :- उपर के गद्यांस में वेद वाक्यों के अनुसार ईश्वर अवतार लेते हैं तथा आर्य समाज के अनुसार ईश्वर अवतार नहीं लेते कौन सही है,
      (l) वेदमत या (ll) आर्य मत ?
      प्रश्न (ख) :- क्या दयानंद जी की बात सही है कि ईश्वर निराकार है या वेद की बात सही है कि ईश्वर साकार ( अग्ने तनुर असि) है?
      (l) वेद वाक्य या (lll) दयानंद जी
      (ग) . ईश्वर पाप नाश करते हैं किसने कहा?
      (I) वेद ने (II) दयानंद जी ने
      कृपया उत्तर दें, सही उत्तर देने वाले को ईश्वर के ज्ञान का विशेष उपहार फ्री दिया जायेगा।

    • @anandsharma9892
      @anandsharma9892 2 หลายเดือนก่อน

      ​@@lakhvirsingh9492साकार और अवतार पर मतदान
      प्रश्न 1:- नीचे दिये गए मिश्रित गद्यांश और पद्यांश को पढ़कर उत्तर दीजिये।
      :- कृप्या पढ़ें ऋग्वेद मण्डल (A) :- 9 सुक्त 1 मंत्र 9 में जो निम्न हैं:-
      अभी इमं अध्न्या उत श्रीणन्ति धेनवः शिशुम्। सोममिन्द्राय पातवे।।9।।
      अभी इमम्-अध्न्या उत श्रीणन्ति धेनवः शिशुम् सोमम् इन्द्राय पातवे।
      (उत) विशेष कर (इमम्) इस (शिशुम्) बालक रूप में प्रकट (सोमम्) पूर्ण परमात्मा अमर प्रभु की (इन्द्राय) सुखदायक सुविधा के लिए जो आवश्यक पदार्थ शरीर की (पातवे) वृद्धि के लिए चाहिए वह पूर्ति (अभी) पूर्ण तरह (अध्न्या धेनवः) जो गाय, सांड द्वारा कभी भी परेशान न की गई हों अर्थात् कुँवारी गायों द्वारा (श्रीणन्ति) परवरिश की जाती है।
      ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 1 मन्त्र 9 में)
      जब परमात्मा दूसरी प्रकार का शरीर धारण करके अर्थात् शिशु रूप धारण करके पृथ्वी पर प्रकट होता है उस समय उनके पालन की लीला कंवारी गौवों द्वारा होती है।
      भावार्थ:- पूर्ण परमात्मा अमर पुरुष जब लीला करता हुआा बालक रूप धारण करके स्वयं प्रकट होता है सुख-सुविधा के लिए जो आवश्यक पदार्थ शरीर वृद्धि के लिए चाहिए वह पूर्ति कुँवारी गायों द्वारा की जाती है अर्थात् उस समय (अध्नि धेनु) कुँवारी गाय अपने आप दूध देती है जिससे उस पूर्ण प्रभु की परवरिश होती है।
      यही प्रमाण पवित्र ‘‘कबीर सागर’’ नामक सद्ग्रंथ में है। जो आदरणीय धर्मदास जी द्वारा लगभग सन् 1500 के आसपास लिखा गया था। कबीर सागर के अध्याय ‘‘ज्ञान सागर‘‘ में पृष्ठ 74 पर लिखा है।
      (B):- ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 96 मंत्र 18
      ऋषिमना य ऋषिकृत्स्वर्षाः सहस्त्रणीथः पदवीः कवीनाम्।
      तृतीयं धाम महिषः सिषासन्त्सोमो विराजमनु राजति ष्टुप्।।18।।
      ऋषिमना य ऋषिकृत् स्वर्षाः सहस्त्राणीथः पदवीः कवीनाम्। तृतीयम् धाम महिषः सिषा सन्त् सोमः विराजमानु राजति स्टुप्।।
      अनुवाद - वेद बोलने वाला ब्रह्म कह रहा है कि (य) जो पूर्ण परमात्मा विलक्षण बच्चे के रूप में आकर (कवीनाम्) प्रसिद्ध कवियों की (पदवीः) उपाधि प्राप्त करके अर्थात् एक संत या ऋषि की भूमिका करता है उस (ऋषिकृत्) संत रूप में प्रकट हुए प्रभु द्वारा रची (सहस्त्राणीथः) हजारों वाणी (ऋषिमना) संत स्वभाव वाले व्यक्तियों अर्थात् भक्तों के लिए (स्वर्षाः) स्वर्ग तुल्य आनन्द दायक होती हैं। (सोम) वह अमर पुरुष अर्थात् सतपुरुष (तृतीया) तीसरे (धाम) मुक्तिलोक अर्थात् सत्यलोक की (महिषः) सुदृढ़ पृथ्वी को (सिषा) स्थापित करके (अनु) पश्चात् (सन्त्) मानव सदृश संत रूप में होता हुआ (स्टुप) गुबंद अर्थात् गुम्बज में उच्चे टिले रूपी सिंहासन पर (विराजमनुराजति) उज्जवल स्थूल आकार में अर्थात् मानव सदृश तेजोमय शरीर में विराजमान है।
      (C) :- परमात्मा पाप नष्ट कर सकता है | यजुर्वेद
      पवित्र यजुर्वेद अध्याय 5 मंत्र 32 में है कि कविरंघारिसि =
      (कविर्) परमेश्वर (अंघ) पाप का (अरि) शत्रु (असि) है अर्थात् पाप विनाशक है ईश्वर। बम्भारिसि = (बम्भारि) बन्धन का शत्रु अर्थात् बन्दी छोड़ है परमेश्वर (असि) है।
      यजुर्वेद अध्याय 8 मंत्र 13
      यह बहुत स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि परमात्मा पाप नाश कर सकते हैं। परमात्मा अपने उपासक के पापों का नाश कर देते हैं।
      परमात्मा घोर पाप का भी नाश कर देते हैं। परमात्मा अनजाने में किए गए सभी पापों का भी नाश कर देते हैं। परमात्मा अतीत में किए गए या वर्तमान में किए गए सभी पापों का भी नाश कर देते हैं।
      प्रश्न (क) :- उपर के गद्यांस में वेद वाक्यों के अनुसार ईश्वर अवतार लेते हैं तथा आर्य समाज के अनुसार ईश्वर अवतार नहीं लेते कौन सही है,
      (l) वेदमत या (ll) आर्य मत ?
      प्रश्न (ख) :- क्या दयानंद जी की बात सही है कि ईश्वर निराकार है या वेद की बात सही है कि ईश्वर साकार ( अग्ने तनुर असि) है?
      (l) वेद वाक्य या (lll) दयानंद जी
      (ग) . ईश्वर पाप नाश करते हैं किसने कहा?
      (I) वेद ने (II) दयानंद जी ने
      कृपया उत्तर दें, सही उत्तर देने वाले को ईश्वर के ज्ञान का विशेष उपहार फ्री दिया जायेगा।

  • @shivanibhooch6182
    @shivanibhooch6182 3 หลายเดือนก่อน +16

    जय हो आर्यसमाज दयामनंद सरस्वती की 👌👍💪💪🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳 jy हिंदी राष्ट्र 🕉️ नमः शिवाय

    • @anandsharma9892
      @anandsharma9892 2 หลายเดือนก่อน

      साकार और अवतार पर मतदान
      प्रश्न 1:- नीचे दिये गए मिश्रित गद्यांश और पद्यांश को पढ़कर उत्तर दीजिये।
      :- कृप्या पढ़ें ऋग्वेद मण्डल (A) :- 9 सुक्त 1 मंत्र 9 में जो निम्न हैं:-
      अभी इमं अध्न्या उत श्रीणन्ति धेनवः शिशुम्। सोममिन्द्राय पातवे।।9।।
      अभी इमम्-अध्न्या उत श्रीणन्ति धेनवः शिशुम् सोमम् इन्द्राय पातवे।
      (उत) विशेष कर (इमम्) इस (शिशुम्) बालक रूप में प्रकट (सोमम्) पूर्ण परमात्मा अमर प्रभु की (इन्द्राय) सुखदायक सुविधा के लिए जो आवश्यक पदार्थ शरीर की (पातवे) वृद्धि के लिए चाहिए वह पूर्ति (अभी) पूर्ण तरह (अध्न्या धेनवः) जो गाय, सांड द्वारा कभी भी परेशान न की गई हों अर्थात् कुँवारी गायों द्वारा (श्रीणन्ति) परवरिश की जाती है।
      ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 1 मन्त्र 9 में)
      जब परमात्मा दूसरी प्रकार का शरीर धारण करके अर्थात् शिशु रूप धारण करके पृथ्वी पर प्रकट होता है उस समय उनके पालन की लीला कंवारी गौवों द्वारा होती है।
      भावार्थ:- पूर्ण परमात्मा अमर पुरुष जब लीला करता हुआा बालक रूप धारण करके स्वयं प्रकट होता है सुख-सुविधा के लिए जो आवश्यक पदार्थ शरीर वृद्धि के लिए चाहिए वह पूर्ति कुँवारी गायों द्वारा की जाती है अर्थात् उस समय (अध्नि धेनु) कुँवारी गाय अपने आप दूध देती है जिससे उस पूर्ण प्रभु की परवरिश होती है।
      यही प्रमाण पवित्र ‘‘कबीर सागर’’ नामक सद्ग्रंथ में है। जो आदरणीय धर्मदास जी द्वारा लगभग सन् 1500 के आसपास लिखा गया था। कबीर सागर के अध्याय ‘‘ज्ञान सागर‘‘ में पृष्ठ 74 पर लिखा है।
      (B):- ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 96 मंत्र 18
      ऋषिमना य ऋषिकृत्स्वर्षाः सहस्त्रणीथः पदवीः कवीनाम्।
      तृतीयं धाम महिषः सिषासन्त्सोमो विराजमनु राजति ष्टुप्।।18।।
      ऋषिमना य ऋषिकृत् स्वर्षाः सहस्त्राणीथः पदवीः कवीनाम्। तृतीयम् धाम महिषः सिषा सन्त् सोमः विराजमानु राजति स्टुप्।।
      अनुवाद - वेद बोलने वाला ब्रह्म कह रहा है कि (य) जो पूर्ण परमात्मा विलक्षण बच्चे के रूप में आकर (कवीनाम्) प्रसिद्ध कवियों की (पदवीः) उपाधि प्राप्त करके अर्थात् एक संत या ऋषि की भूमिका करता है उस (ऋषिकृत्) संत रूप में प्रकट हुए प्रभु द्वारा रची (सहस्त्राणीथः) हजारों वाणी (ऋषिमना) संत स्वभाव वाले व्यक्तियों अर्थात् भक्तों के लिए (स्वर्षाः) स्वर्ग तुल्य आनन्द दायक होती हैं। (सोम) वह अमर पुरुष अर्थात् सतपुरुष (तृतीया) तीसरे (धाम) मुक्तिलोक अर्थात् सत्यलोक की (महिषः) सुदृढ़ पृथ्वी को (सिषा) स्थापित करके (अनु) पश्चात् (सन्त्) मानव सदृश संत रूप में होता हुआ (स्टुप) गुबंद अर्थात् गुम्बज में उच्चे टिले रूपी सिंहासन पर (विराजमनुराजति) उज्जवल स्थूल आकार में अर्थात् मानव सदृश तेजोमय शरीर में विराजमान है।
      (C) :- परमात्मा पाप नष्ट कर सकता है | यजुर्वेद
      पवित्र यजुर्वेद अध्याय 5 मंत्र 32 में है कि कविरंघारिसि =
      (कविर्) परमेश्वर (अंघ) पाप का (अरि) शत्रु (असि) है अर्थात् पाप विनाशक है ईश्वर। बम्भारिसि = (बम्भारि) बन्धन का शत्रु अर्थात् बन्दी छोड़ है परमेश्वर (असि) है।
      यजुर्वेद अध्याय 8 मंत्र 13
      यह बहुत स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि परमात्मा पाप नाश कर सकते हैं। परमात्मा अपने उपासक के पापों का नाश कर देते हैं।
      परमात्मा घोर पाप का भी नाश कर देते हैं। परमात्मा अनजाने में किए गए सभी पापों का भी नाश कर देते हैं। परमात्मा अतीत में किए गए या वर्तमान में किए गए सभी पापों का भी नाश कर देते हैं।
      प्रश्न (क) :- उपर के गद्यांस में वेद वाक्यों के अनुसार ईश्वर अवतार लेते हैं तथा आर्य समाज के अनुसार ईश्वर अवतार नहीं लेते कौन सही है,
      (l) वेदमत या (ll) आर्य मत ?
      प्रश्न (ख) :- क्या दयानंद जी की बात सही है कि ईश्वर निराकार है या वेद की बात सही है कि ईश्वर साकार ( अग्ने तनुर असि) है?
      (l) वेद वाक्य या (lll) दयानंद जी
      (ग) . ईश्वर पाप नाश करते हैं किसने कहा?
      (I) वेद ने (II) दयानंद जी ने
      कृपया उत्तर दें, सही उत्तर देने वाले को ईश्वर के ज्ञान का विशेष उपहार फ्री दिया जायेगा।

  • @rakeshvishwakarma2563
    @rakeshvishwakarma2563 3 หลายเดือนก่อน +8

    परमात्मा ही ईश्वर है, और कण-कण में व्याप्त है, अगम है, अपरिभाषित है ।
    भगवान, देवी देवता, ब्रह्मऋषि, दानव, यक्ष आदि वर्तमान समय के शंकराचार्य, जगत्गुरू, महात्मा, साधु, संत, ऋषि, मुनि ये सभी पद हैं, और परिभाषित हैं ।

    • @anandsharma9892
      @anandsharma9892 2 หลายเดือนก่อน

      साकार और अवतार पर मतदान
      प्रश्न 1:- नीचे दिये गए मिश्रित गद्यांश और पद्यांश को पढ़कर उत्तर दीजिये।
      :- कृप्या पढ़ें ऋग्वेद मण्डल (A) :- 9 सुक्त 1 मंत्र 9 में जो निम्न हैं:-
      अभी इमं अध्न्या उत श्रीणन्ति धेनवः शिशुम्। सोममिन्द्राय पातवे।।9।।
      अभी इमम्-अध्न्या उत श्रीणन्ति धेनवः शिशुम् सोमम् इन्द्राय पातवे।
      (उत) विशेष कर (इमम्) इस (शिशुम्) बालक रूप में प्रकट (सोमम्) पूर्ण परमात्मा अमर प्रभु की (इन्द्राय) सुखदायक सुविधा के लिए जो आवश्यक पदार्थ शरीर की (पातवे) वृद्धि के लिए चाहिए वह पूर्ति (अभी) पूर्ण तरह (अध्न्या धेनवः) जो गाय, सांड द्वारा कभी भी परेशान न की गई हों अर्थात् कुँवारी गायों द्वारा (श्रीणन्ति) परवरिश की जाती है।
      ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 1 मन्त्र 9 में)
      जब परमात्मा दूसरी प्रकार का शरीर धारण करके अर्थात् शिशु रूप धारण करके पृथ्वी पर प्रकट होता है उस समय उनके पालन की लीला कंवारी गौवों द्वारा होती है।
      भावार्थ:- पूर्ण परमात्मा अमर पुरुष जब लीला करता हुआा बालक रूप धारण करके स्वयं प्रकट होता है सुख-सुविधा के लिए जो आवश्यक पदार्थ शरीर वृद्धि के लिए चाहिए वह पूर्ति कुँवारी गायों द्वारा की जाती है अर्थात् उस समय (अध्नि धेनु) कुँवारी गाय अपने आप दूध देती है जिससे उस पूर्ण प्रभु की परवरिश होती है।
      यही प्रमाण पवित्र ‘‘कबीर सागर’’ नामक सद्ग्रंथ में है। जो आदरणीय धर्मदास जी द्वारा लगभग सन् 1500 के आसपास लिखा गया था। कबीर सागर के अध्याय ‘‘ज्ञान सागर‘‘ में पृष्ठ 74 पर लिखा है।
      (B):- ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 96 मंत्र 18
      ऋषिमना य ऋषिकृत्स्वर्षाः सहस्त्रणीथः पदवीः कवीनाम्।
      तृतीयं धाम महिषः सिषासन्त्सोमो विराजमनु राजति ष्टुप्।।18।।
      ऋषिमना य ऋषिकृत् स्वर्षाः सहस्त्राणीथः पदवीः कवीनाम्। तृतीयम् धाम महिषः सिषा सन्त् सोमः विराजमानु राजति स्टुप्।।
      अनुवाद - वेद बोलने वाला ब्रह्म कह रहा है कि (य) जो पूर्ण परमात्मा विलक्षण बच्चे के रूप में आकर (कवीनाम्) प्रसिद्ध कवियों की (पदवीः) उपाधि प्राप्त करके अर्थात् एक संत या ऋषि की भूमिका करता है उस (ऋषिकृत्) संत रूप में प्रकट हुए प्रभु द्वारा रची (सहस्त्राणीथः) हजारों वाणी (ऋषिमना) संत स्वभाव वाले व्यक्तियों अर्थात् भक्तों के लिए (स्वर्षाः) स्वर्ग तुल्य आनन्द दायक होती हैं। (सोम) वह अमर पुरुष अर्थात् सतपुरुष (तृतीया) तीसरे (धाम) मुक्तिलोक अर्थात् सत्यलोक की (महिषः) सुदृढ़ पृथ्वी को (सिषा) स्थापित करके (अनु) पश्चात् (सन्त्) मानव सदृश संत रूप में होता हुआ (स्टुप) गुबंद अर्थात् गुम्बज में उच्चे टिले रूपी सिंहासन पर (विराजमनुराजति) उज्जवल स्थूल आकार में अर्थात् मानव सदृश तेजोमय शरीर में विराजमान है।
      (C) :- परमात्मा पाप नष्ट कर सकता है | यजुर्वेद
      पवित्र यजुर्वेद अध्याय 5 मंत्र 32 में है कि कविरंघारिसि =
      (कविर्) परमेश्वर (अंघ) पाप का (अरि) शत्रु (असि) है अर्थात् पाप विनाशक है ईश्वर। बम्भारिसि = (बम्भारि) बन्धन का शत्रु अर्थात् बन्दी छोड़ है परमेश्वर (असि) है।
      यजुर्वेद अध्याय 8 मंत्र 13
      यह बहुत स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि परमात्मा पाप नाश कर सकते हैं। परमात्मा अपने उपासक के पापों का नाश कर देते हैं।
      परमात्मा घोर पाप का भी नाश कर देते हैं। परमात्मा अनजाने में किए गए सभी पापों का भी नाश कर देते हैं। परमात्मा अतीत में किए गए या वर्तमान में किए गए सभी पापों का भी नाश कर देते हैं।
      प्रश्न (क) :- उपर के गद्यांस में वेद वाक्यों के अनुसार ईश्वर अवतार लेते हैं तथा आर्य समाज के अनुसार ईश्वर अवतार नहीं लेते कौन सही है,
      (l) वेदमत या (ll) आर्य मत ?
      प्रश्न (ख) :- क्या दयानंद जी की बात सही है कि ईश्वर निराकार है या वेद की बात सही है कि ईश्वर साकार ( अग्ने तनुर असि) है?
      (l) वेद वाक्य या (lll) दयानंद जी
      (ग) . ईश्वर पाप नाश करते हैं किसने कहा?
      (I) वेद ने (II) दयानंद जी ने
      कृपया उत्तर दें, सही उत्तर देने वाले को ईश्वर के ज्ञान का विशेष उपहार फ्री दिया जायेगा।

  • @Brihaspati01
    @Brihaspati01 12 ชั่วโมงที่ผ่านมา

    "यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत। अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्॥ परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्। धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे॥"

  • @rakeshthakur5500
    @rakeshthakur5500 หลายเดือนก่อน +13

    वेद भी ऋषियों के रचित मंत्रों का ही संकलन है। ये भी कोई ईश्वर प्रदत्त नही है

    • @AryaPBharat
      @AryaPBharat 21 วันที่ผ่านมา

      बताओ ठाकुर जी की भावना क्या आहत हुई तुमने तो वेदों पर ही प्रश्न उठा दिया😂😂😂

    • @tigerraj1456
      @tigerraj1456 20 วันที่ผ่านมา +1

      Jo vedon ko nahi mante bo nashtik kahlaate hai

    • @JVishwakarma-wc7xp
      @JVishwakarma-wc7xp 19 วันที่ผ่านมา

      ​@@tigerraj1456ye vedo ko Mane bale bhe nastiko jese bybuar karte hai inhone seedhe seedhe Meera ki bhkti ko jhoota bata diya unhone to krishna ko pati mana tha

    • @bapparawal9709
      @bapparawal9709 17 วันที่ผ่านมา

      ये कोई नई बात नहीं है।

    • @Dhan_Dhan_Sadguru
      @Dhan_Dhan_Sadguru 5 วันที่ผ่านมา +1

      ​@@tigerraj1456 तथाकथित आर्यसमाजी ही वेदों को नहीं मानते हैं सिर्फ अंग्रेजी शासनकाल में पैदा हुए दयानंद के भाष्य को ही वह वेद मानते हैं ! दयानंद ही वास्तव में उनका निराकार ईश्वर है ?

  • @ShriRamPutra
    @ShriRamPutra 2 หลายเดือนก่อน +38

    अंत मे यही कहूंगा अलग अलग समाज बना कर सनातन का बटवारा ना करे, अलग पंत में बटे सभी हिंदुओ को भगवा के तले जोड़ कर पुनः सनातन धर्म सनातन समाज की स्थापना करें प्रचार करे इसी में समस्त हिंदुओ का उद्धार है,जय श्री राम🙏🏼🚩

    • @yograjtbopche4139
      @yograjtbopche4139 2 หลายเดือนก่อน +5

      Jay shri Ram

    • @sonukumarmishra4120
      @sonukumarmishra4120 หลายเดือนก่อน +4

      1 hi panth h o h ved
      Ye bjp k agent h iski bato par jyda dhyan dene ki nhi h

    • @नतस्यप्रतिमाअस्ति-थ4त
      @नतस्यप्रतिमाअस्ति-थ4त 27 วันที่ผ่านมา

      murtipoja to band karo bhaio kyo kisi ko hasne k moka det eho murti poja choro phele ke log murti poj anhi karte they hawan karte they kyoke iswar kahi dikhta thore na tha iswar ek hi or ek bat ye pakhand badn karao nhi to barbad ho jaoge bhai

    • @scottrock1654
      @scottrock1654 26 วันที่ผ่านมา

      ​@@sonukumarmishra4120तू किसका एजेंट है कांग्रेश का😅😅😅

    • @c.loliya9566
      @c.loliya9566 25 วันที่ผ่านมา

      सही कहा सनातन हो,पर हिन्दू नहीं। क्यों कि हिन्दू वर्ण व्यवस्था का पोषणकरता है।जो अमान्य है।वोट के लिए हिन्दू को एक बनाना छलावा है। फिर वर्ण आधारित धर्म में हिन्दू बनना उचित नहीं है।

  • @NareshKumar-kd5bh
    @NareshKumar-kd5bh 3 หลายเดือนก่อน +32

    आर्य समाज जिंदाबाद
    हमे एक दिन आर्य समाज के अनुसार चलना होगा। आर्य समाज प्रमाणित बात करता है । आर्य समाज भगवान राम कृष्ण को मानते है । सनातन धर्म के सच्चे रक्षक है आर्य समाज। देश भक्त है आर्य समाज। रामभदराचारय को भुल स्वीकार करना चाहिए। हठठी जिद्दी गुस्सा सन्त का काम नही होता।
    स्वामी दयानंद सरस्वती को कोटी कोटी नमन।

    • @anandsharma9892
      @anandsharma9892 2 หลายเดือนก่อน +1

      साकार और अवतार पर मतदान
      प्रश्न 1:- नीचे दिये गए मिश्रित गद्यांश और पद्यांश को पढ़कर उत्तर दीजिये।
      :- कृप्या पढ़ें ऋग्वेद मण्डल (A) :- 9 सुक्त 1 मंत्र 9 में जो निम्न हैं:-
      अभी इमं अध्न्या उत श्रीणन्ति धेनवः शिशुम्। सोममिन्द्राय पातवे।।9।।
      अभी इमम्-अध्न्या उत श्रीणन्ति धेनवः शिशुम् सोमम् इन्द्राय पातवे।
      (उत) विशेष कर (इमम्) इस (शिशुम्) बालक रूप में प्रकट (सोमम्) पूर्ण परमात्मा अमर प्रभु की (इन्द्राय) सुखदायक सुविधा के लिए जो आवश्यक पदार्थ शरीर की (पातवे) वृद्धि के लिए चाहिए वह पूर्ति (अभी) पूर्ण तरह (अध्न्या धेनवः) जो गाय, सांड द्वारा कभी भी परेशान न की गई हों अर्थात् कुँवारी गायों द्वारा (श्रीणन्ति) परवरिश की जाती है।
      ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 1 मन्त्र 9 में)
      जब परमात्मा दूसरी प्रकार का शरीर धारण करके अर्थात् शिशु रूप धारण करके पृथ्वी पर प्रकट होता है उस समय उनके पालन की लीला कंवारी गौवों द्वारा होती है।
      भावार्थ:- पूर्ण परमात्मा अमर पुरुष जब लीला करता हुआा बालक रूप धारण करके स्वयं प्रकट होता है सुख-सुविधा के लिए जो आवश्यक पदार्थ शरीर वृद्धि के लिए चाहिए वह पूर्ति कुँवारी गायों द्वारा की जाती है अर्थात् उस समय (अध्नि धेनु) कुँवारी गाय अपने आप दूध देती है जिससे उस पूर्ण प्रभु की परवरिश होती है।
      यही प्रमाण पवित्र ‘‘कबीर सागर’’ नामक सद्ग्रंथ में है। जो आदरणीय धर्मदास जी द्वारा लगभग सन् 1500 के आसपास लिखा गया था। कबीर सागर के अध्याय ‘‘ज्ञान सागर‘‘ में पृष्ठ 74 पर लिखा है।
      (B):- ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 96 मंत्र 18
      ऋषिमना य ऋषिकृत्स्वर्षाः सहस्त्रणीथः पदवीः कवीनाम्।
      तृतीयं धाम महिषः सिषासन्त्सोमो विराजमनु राजति ष्टुप्।।18।।
      ऋषिमना य ऋषिकृत् स्वर्षाः सहस्त्राणीथः पदवीः कवीनाम्। तृतीयम् धाम महिषः सिषा सन्त् सोमः विराजमानु राजति स्टुप्।।
      अनुवाद - वेद बोलने वाला ब्रह्म कह रहा है कि (य) जो पूर्ण परमात्मा विलक्षण बच्चे के रूप में आकर (कवीनाम्) प्रसिद्ध कवियों की (पदवीः) उपाधि प्राप्त करके अर्थात् एक संत या ऋषि की भूमिका करता है उस (ऋषिकृत्) संत रूप में प्रकट हुए प्रभु द्वारा रची (सहस्त्राणीथः) हजारों वाणी (ऋषिमना) संत स्वभाव वाले व्यक्तियों अर्थात् भक्तों के लिए (स्वर्षाः) स्वर्ग तुल्य आनन्द दायक होती हैं। (सोम) वह अमर पुरुष अर्थात् सतपुरुष (तृतीया) तीसरे (धाम) मुक्तिलोक अर्थात् सत्यलोक की (महिषः) सुदृढ़ पृथ्वी को (सिषा) स्थापित करके (अनु) पश्चात् (सन्त्) मानव सदृश संत रूप में होता हुआ (स्टुप) गुबंद अर्थात् गुम्बज में उच्चे टिले रूपी सिंहासन पर (विराजमनुराजति) उज्जवल स्थूल आकार में अर्थात् मानव सदृश तेजोमय शरीर में विराजमान है।
      (C) :- परमात्मा पाप नष्ट कर सकता है | यजुर्वेद
      पवित्र यजुर्वेद अध्याय 5 मंत्र 32 में है कि कविरंघारिसि =
      (कविर्) परमेश्वर (अंघ) पाप का (अरि) शत्रु (असि) है अर्थात् पाप विनाशक है ईश्वर। बम्भारिसि = (बम्भारि) बन्धन का शत्रु अर्थात् बन्दी छोड़ है परमेश्वर (असि) है।
      यजुर्वेद अध्याय 8 मंत्र 13
      यह बहुत स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि परमात्मा पाप नाश कर सकते हैं। परमात्मा अपने उपासक के पापों का नाश कर देते हैं।
      परमात्मा घोर पाप का भी नाश कर देते हैं। परमात्मा अनजाने में किए गए सभी पापों का भी नाश कर देते हैं। परमात्मा अतीत में किए गए या वर्तमान में किए गए सभी पापों का भी नाश कर देते हैं।
      प्रश्न (क) :- उपर के गद्यांस में वेद वाक्यों के अनुसार ईश्वर अवतार लेते हैं तथा आर्य समाज के अनुसार ईश्वर अवतार नहीं लेते कौन सही है,
      (l) वेदमत या (ll) आर्य मत ?
      प्रश्न (ख) :- क्या दयानंद जी की बात सही है कि ईश्वर निराकार है या वेद की बात सही है कि ईश्वर साकार ( अग्ने तनुर असि) है?
      (l) वेद वाक्य या (lll) दयानंद जी
      (ग) . ईश्वर पाप नाश करते हैं किसने कहा?
      (I) वेद ने (II) दयानंद जी ने
      कृपया उत्तर दें, सही उत्तर देने वाले को ईश्वर के ज्ञान का विशेष उपहार फ्री दिया जायेगा।

  • @Rakeshkumar-sk5on
    @Rakeshkumar-sk5on 8 วันที่ผ่านมา +1

    आर्य समाज के आचार्य जी आपकी बातें मुझे बहुत अच्छी लगी आपसे अनुरोध है के आप वेदों को ना मानने वाले धर्म के लोगों पर ज्यादा प्रकाश डालने कीकृपा करें

  • @Rajendraprasad-m2x
    @Rajendraprasad-m2x 2 หลายเดือนก่อน +7

    भई हिंदुओं के रक्षक है आर्यसमाजी हिंदू आर्य में अंतर कैसा
    सारे आर्यसमाजी
    जी-जान लगायें हैं
    सनातन हिंदूधर्म बुतपरस्ती पत्थरमूर्तिपूजा ढोंग आडम्बर भगवा छुआछूत ऊंच-नीच गैरबराबरी अस्पृश्यता जातिवाद जात-पात नफ़रत ज़हर बैरभाव वैमनस्यता नृशंसता वहसीपन हवसीपन शोषण यौन-शोषण झूठ ठगी काफ़िर पामर दैत्य दस्यु बेअदबी क्रूरता को बचाने में...

  • @Brihaspati01
    @Brihaspati01 12 ชั่วโมงที่ผ่านมา

    “जब जब होई धरम की हानी, बाढ़हि असुर अधम अभिमानी। तब-तब धरि प्रभु विविध शरीरा, हरहि दयानिधि सज्जन पीरा।।”

  • @vaidikdharm1118
    @vaidikdharm1118 3 หลายเดือนก่อน +7

    ।।ओ३म्।। सादर नमस्ते आचार्य जी 🙏🙏🙏, बहुत ही बारीकी से जानकारी देते हुए,

    • @anandsharma9892
      @anandsharma9892 2 หลายเดือนก่อน

      @@vaidikdharm1118 साकार और अवतार पर मतदान
      प्रश्न 1:- नीचे दिये गए मिश्रित गद्यांश और पद्यांश को पढ़कर उत्तर दीजिये।
      :- कृप्या पढ़ें ऋग्वेद मण्डल (A) :- 9 सुक्त 1 मंत्र 9 में जो निम्न हैं:-
      अभी इमं अध्न्या उत श्रीणन्ति धेनवः शिशुम्। सोममिन्द्राय पातवे।।9।।
      अभी इमम्-अध्न्या उत श्रीणन्ति धेनवः शिशुम् सोमम् इन्द्राय पातवे।
      (उत) विशेष कर (इमम्) इस (शिशुम्) बालक रूप में प्रकट (सोमम्) पूर्ण परमात्मा अमर प्रभु की (इन्द्राय) सुखदायक सुविधा के लिए जो आवश्यक पदार्थ शरीर की (पातवे) वृद्धि के लिए चाहिए वह पूर्ति (अभी) पूर्ण तरह (अध्न्या धेनवः) जो गाय, सांड द्वारा कभी भी परेशान न की गई हों अर्थात् कुँवारी गायों द्वारा (श्रीणन्ति) परवरिश की जाती है।
      ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 1 मन्त्र 9 में)
      जब परमात्मा दूसरी प्रकार का शरीर धारण करके अर्थात् शिशु रूप धारण करके पृथ्वी पर प्रकट होता है उस समय उनके पालन की लीला कंवारी गौवों द्वारा होती है।
      भावार्थ:- पूर्ण परमात्मा अमर पुरुष जब लीला करता हुआा बालक रूप धारण करके स्वयं प्रकट होता है सुख-सुविधा के लिए जो आवश्यक पदार्थ शरीर वृद्धि के लिए चाहिए वह पूर्ति कुँवारी गायों द्वारा की जाती है अर्थात् उस समय (अध्नि धेनु) कुँवारी गाय अपने आप दूध देती है जिससे उस पूर्ण प्रभु की परवरिश होती है।
      यही प्रमाण पवित्र ‘‘कबीर सागर’’ नामक सद्ग्रंथ में है। जो आदरणीय धर्मदास जी द्वारा लगभग सन् 1500 के आसपास लिखा गया था। कबीर सागर के अध्याय ‘‘ज्ञान सागर‘‘ में पृष्ठ 74 पर लिखा है।
      (B):- ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 96 मंत्र 18
      ऋषिमना य ऋषिकृत्स्वर्षाः सहस्त्रणीथः पदवीः कवीनाम्।
      तृतीयं धाम महिषः सिषासन्त्सोमो विराजमनु राजति ष्टुप्।।18।।
      ऋषिमना य ऋषिकृत् स्वर्षाः सहस्त्राणीथः पदवीः कवीनाम्। तृतीयम् धाम महिषः सिषा सन्त् सोमः विराजमानु राजति स्टुप्।।
      अनुवाद - वेद बोलने वाला ब्रह्म कह रहा है कि (य) जो पूर्ण परमात्मा विलक्षण बच्चे के रूप में आकर (कवीनाम्) प्रसिद्ध कवियों की (पदवीः) उपाधि प्राप्त करके अर्थात् एक संत या ऋषि की भूमिका करता है उस (ऋषिकृत्) संत रूप में प्रकट हुए प्रभु द्वारा रची (सहस्त्राणीथः) हजारों वाणी (ऋषिमना) संत स्वभाव वाले व्यक्तियों अर्थात् भक्तों के लिए (स्वर्षाः) स्वर्ग तुल्य आनन्द दायक होती हैं। (सोम) वह अमर पुरुष अर्थात् सतपुरुष (तृतीया) तीसरे (धाम) मुक्तिलोक अर्थात् सत्यलोक की (महिषः) सुदृढ़ पृथ्वी को (सिषा) स्थापित करके (अनु) पश्चात् (सन्त्) मानव सदृश संत रूप में होता हुआ (स्टुप) गुबंद अर्थात् गुम्बज में उच्चे टिले रूपी सिंहासन पर (विराजमनुराजति) उज्जवल स्थूल आकार में अर्थात् मानव सदृश तेजोमय शरीर में विराजमान है।
      (C) :- परमात्मा पाप नष्ट कर सकता है | यजुर्वेद
      पवित्र यजुर्वेद अध्याय 5 मंत्र 32 में है कि कविरंघारिसि =
      (कविर्) परमेश्वर (अंघ) पाप का (अरि) शत्रु (असि) है अर्थात् पाप विनाशक है ईश्वर। बम्भारिसि = (बम्भारि) बन्धन का शत्रु अर्थात् बन्दी छोड़ है परमेश्वर (असि) है।
      यजुर्वेद अध्याय 8 मंत्र 13
      यह बहुत स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि परमात्मा पाप नाश कर सकते हैं। परमात्मा अपने उपासक के पापों का नाश कर देते हैं।
      परमात्मा घोर पाप का भी नाश कर देते हैं। परमात्मा अनजाने में किए गए सभी पापों का भी नाश कर देते हैं। परमात्मा अतीत में किए गए या वर्तमान में किए गए सभी पापों का भी नाश कर देते हैं।
      प्रश्न (क) :- उपर के गद्यांस में वेद वाक्यों के अनुसार ईश्वर अवतार लेते हैं तथा आर्य समाज के अनुसार ईश्वर अवतार नहीं लेते कौन सही है,
      (l) वेदमत या (ll) आर्य मत ?
      प्रश्न (ख) :- क्या दयानंद जी की बात सही है कि ईश्वर निराकार है या वेद की बात सही है कि ईश्वर साकार ( अग्ने तनुर असि) है?
      (l) वेद वाक्य या (lll) दयानंद जी
      (ग) . ईश्वर पाप नाश करते हैं किसने कहा?
      (I) वेद ने (II) दयानंद जी ने
      कृपया उत्तर दें, सही उत्तर देने वाले को ईश्वर के ज्ञान का विशेष उपहार फ्री दिया जायेगा।

  • @rahulojha1547
    @rahulojha1547 9 วันที่ผ่านมา +1

    छोटी छोटी बातो पर ध्यान नही देना चाहिए रामभद्राचार्य जी भी एक मनुष्य ही तो है ।

  • @gyansaxena4030
    @gyansaxena4030 3 หลายเดือนก่อน +9

    जब ये स्वीकार कर रहे हैं कि स्वामी दयानंद ने सभी को वेदों का सिद्धांत समझाया और उससे हिंदू धर्म की उन्नति हुई तो उसी वैदिक सिद्धांत को मानने में इनका कौन सा अहंकार सामने आ रहा है ? महर्षि दयानंद ने एक बात कही थी जो जिसका रामभद्राचार्य जीवंत उदाहरण हैं , उन्होंने कहा था की “ मनुष्य का आत्मा सत्य असत्य को जानने वाला होता है किन्तु अविद्या हठ, दुराग्रह या अपने किसी प्रयोजन को प्राप्त करने के लिए सत्य स्वीकारने से इंकार कर देता है” इनको अविद्या भी है, हठ भी और अपनी दुकान चलाने का प्रयोजन भी।

  • @RamPrasad-wi9fr
    @RamPrasad-wi9fr 3 หลายเดือนก่อน +10

    यह आपके साथ 10 मिनट भी नहीं टिक पाएंगे स्वामी महाराज

    • @anandsharma9892
      @anandsharma9892 2 หลายเดือนก่อน

      @@RamPrasad-wi9fr साकार और अवतार पर मतदान
      प्रश्न 1:- नीचे दिये गए मिश्रित गद्यांश और पद्यांश को पढ़कर उत्तर दीजिये।
      :- कृप्या पढ़ें ऋग्वेद मण्डल (A) :- 9 सुक्त 1 मंत्र 9 में जो निम्न हैं:-
      अभी इमं अध्न्या उत श्रीणन्ति धेनवः शिशुम्। सोममिन्द्राय पातवे।।9।।
      अभी इमम्-अध्न्या उत श्रीणन्ति धेनवः शिशुम् सोमम् इन्द्राय पातवे।
      (उत) विशेष कर (इमम्) इस (शिशुम्) बालक रूप में प्रकट (सोमम्) पूर्ण परमात्मा अमर प्रभु की (इन्द्राय) सुखदायक सुविधा के लिए जो आवश्यक पदार्थ शरीर की (पातवे) वृद्धि के लिए चाहिए वह पूर्ति (अभी) पूर्ण तरह (अध्न्या धेनवः) जो गाय, सांड द्वारा कभी भी परेशान न की गई हों अर्थात् कुँवारी गायों द्वारा (श्रीणन्ति) परवरिश की जाती है।
      ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 1 मन्त्र 9 में)
      जब परमात्मा दूसरी प्रकार का शरीर धारण करके अर्थात् शिशु रूप धारण करके पृथ्वी पर प्रकट होता है उस समय उनके पालन की लीला कंवारी गौवों द्वारा होती है।
      भावार्थ:- पूर्ण परमात्मा अमर पुरुष जब लीला करता हुआा बालक रूप धारण करके स्वयं प्रकट होता है सुख-सुविधा के लिए जो आवश्यक पदार्थ शरीर वृद्धि के लिए चाहिए वह पूर्ति कुँवारी गायों द्वारा की जाती है अर्थात् उस समय (अध्नि धेनु) कुँवारी गाय अपने आप दूध देती है जिससे उस पूर्ण प्रभु की परवरिश होती है।
      यही प्रमाण पवित्र ‘‘कबीर सागर’’ नामक सद्ग्रंथ में है। जो आदरणीय धर्मदास जी द्वारा लगभग सन् 1500 के आसपास लिखा गया था। कबीर सागर के अध्याय ‘‘ज्ञान सागर‘‘ में पृष्ठ 74 पर लिखा है।
      (B):- ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 96 मंत्र 18
      ऋषिमना य ऋषिकृत्स्वर्षाः सहस्त्रणीथः पदवीः कवीनाम्।
      तृतीयं धाम महिषः सिषासन्त्सोमो विराजमनु राजति ष्टुप्।।18।।
      ऋषिमना य ऋषिकृत् स्वर्षाः सहस्त्राणीथः पदवीः कवीनाम्। तृतीयम् धाम महिषः सिषा सन्त् सोमः विराजमानु राजति स्टुप्।।
      अनुवाद - वेद बोलने वाला ब्रह्म कह रहा है कि (य) जो पूर्ण परमात्मा विलक्षण बच्चे के रूप में आकर (कवीनाम्) प्रसिद्ध कवियों की (पदवीः) उपाधि प्राप्त करके अर्थात् एक संत या ऋषि की भूमिका करता है उस (ऋषिकृत्) संत रूप में प्रकट हुए प्रभु द्वारा रची (सहस्त्राणीथः) हजारों वाणी (ऋषिमना) संत स्वभाव वाले व्यक्तियों अर्थात् भक्तों के लिए (स्वर्षाः) स्वर्ग तुल्य आनन्द दायक होती हैं। (सोम) वह अमर पुरुष अर्थात् सतपुरुष (तृतीया) तीसरे (धाम) मुक्तिलोक अर्थात् सत्यलोक की (महिषः) सुदृढ़ पृथ्वी को (सिषा) स्थापित करके (अनु) पश्चात् (सन्त्) मानव सदृश संत रूप में होता हुआ (स्टुप) गुबंद अर्थात् गुम्बज में उच्चे टिले रूपी सिंहासन पर (विराजमनुराजति) उज्जवल स्थूल आकार में अर्थात् मानव सदृश तेजोमय शरीर में विराजमान है।
      (C) :- परमात्मा पाप नष्ट कर सकता है | यजुर्वेद
      पवित्र यजुर्वेद अध्याय 5 मंत्र 32 में है कि कविरंघारिसि =
      (कविर्) परमेश्वर (अंघ) पाप का (अरि) शत्रु (असि) है अर्थात् पाप विनाशक है ईश्वर। बम्भारिसि = (बम्भारि) बन्धन का शत्रु अर्थात् बन्दी छोड़ है परमेश्वर (असि) है।
      यजुर्वेद अध्याय 8 मंत्र 13
      यह बहुत स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि परमात्मा पाप नाश कर सकते हैं। परमात्मा अपने उपासक के पापों का नाश कर देते हैं।
      परमात्मा घोर पाप का भी नाश कर देते हैं। परमात्मा अनजाने में किए गए सभी पापों का भी नाश कर देते हैं। परमात्मा अतीत में किए गए या वर्तमान में किए गए सभी पापों का भी नाश कर देते हैं।
      प्रश्न (क) :- उपर के गद्यांस में वेद वाक्यों के अनुसार ईश्वर अवतार लेते हैं तथा आर्य समाज के अनुसार ईश्वर अवतार नहीं लेते कौन सही है,
      (l) वेदमत या (ll) आर्य मत ?
      प्रश्न (ख) :- क्या दयानंद जी की बात सही है कि ईश्वर निराकार है या वेद की बात सही है कि ईश्वर साकार ( अग्ने तनुर असि) है?
      (l) वेद वाक्य या (lll) दयानंद जी
      (ग) . ईश्वर पाप नाश करते हैं किसने कहा?
      (I) वेद ने (II) दयानंद जी ने
      कृपया उत्तर दें, सही उत्तर देने वाले को ईश्वर के ज्ञान का विशेष उपहार फ्री दिया जायेगा।

  • @RamnareshTyagi-x1r
    @RamnareshTyagi-x1r 3 หลายเดือนก่อน +14

    स्पष्ट है कि भगवान और ईश्वर का का भाव भिन्न है।

    • @jaydutta7711
      @jaydutta7711 หลายเดือนก่อน +2

      *@RamnareshTyagi-x1r* नहीं, स्पष्ट ये है कि भगवान और ईश्वर भिन्न नहीं है। देव और भगवान में अंतर है लेकिन भगवान और ईश्वर में कोई अंतर नहीं है क्योंकि भगवान, ईश्वर का ही दूसरा नाम है। इसीलिए महाभारत में भगवान विष्णु का नाम भी *'स्वयंभू'* है जिसका मतलब जो खुद से ही जन्मे हैं।

  • @pawankumarsharma5082
    @pawankumarsharma5082 วันที่ผ่านมา

    स्वामी राभद्राचार्य को नमन

  • @mahendersingh988
    @mahendersingh988 3 หลายเดือนก่อน +31

    नमस्ते स्वामी जी 🙏🙏🙏🙏🙏 युग प्रवर्तक महर्षि देव दयानन्द सरस्वती जी अमर रहें।

  • @sadhnaaryarana2983
    @sadhnaaryarana2983 3 หลายเดือนก่อน +19

    🙏 आचार्य जी बड़ी ख़ुशी होती है जब आप हमें इतना बारीकी से समझाते हो ईश्वर करे इस दुनिया का हर इंसान आर्य समाजी बन जाए ईश्वर करे वो दिन जल्दी आए ओर बुराई का नाश हो जाए

    • @mohanlalarypushp5886
      @mohanlalarypushp5886 3 หลายเดือนก่อน +2

      भाई इसके लिए प्रयास करना होगा जैसे इन स्वामी सच्चिदानंदजी एवं उनके जैसे कुछ और विद्वानों नेअपनी जान हथेली पर लेकर वेद का सत्य का प्रचार प्रसार करने का बीड़ा उठाया है हम चाहे बहुत बड़े विद्वान नहीं है, चिंटू विचारों से प्रभावित है जानते हैं तो फिर हमें मजबूत कार्यकर्ता बनना चाहिए! पूरा समय नहीं दे सकते तो वर्ष में 10 दिन ही निकाल कर हम गांव गांव जाकर वेद प्रचार करें! इसके साथ ही आवश्यक है कि हम अपना चरित्र व्यवहार दिनचर्या, सुखी संतुष्ट पारिवारिक सामाजिक व्यवहार आदि एक पवित्र रखें कि भगवान रामकृष्ण तो बहुत बड़ी बात वे हमारे जैसे आर्य जनों का ही उदाहरण देने लगा जाए!

    • @agyeshsaxena2518
      @agyeshsaxena2518 3 หลายเดือนก่อน

      कभी नहीं बन सकते जो हमारी संस्कृति पर सवाल उठाते हैं और इसी कारण ये पहले भी संकुचित थे और आज भी

    • @anandsharma9892
      @anandsharma9892 2 หลายเดือนก่อน

      ​@@mohanlalarypushp5886जी आज सोशल मीडिया हर आदमी के हाथ में मोबाइल के द्वारा है। कहीं न जाओ।
      घर बैठो मेरी तरह प्रचार करो वेद का एक एक आदमी के फेसबुक, ट्विटर इंस्टा, यू ट्यूब पर।

    • @anandsharma9892
      @anandsharma9892 2 หลายเดือนก่อน

      ​@@mohanlalarypushp5886साकार और अवतार पर मतदान
      प्रश्न 1:- नीचे दिये गए मिश्रित गद्यांश और पद्यांश को पढ़कर उत्तर दीजिये।
      :- कृप्या पढ़ें ऋग्वेद मण्डल (A) :- 9 सुक्त 1 मंत्र 9 में जो निम्न हैं:-
      अभी इमं अध्न्या उत श्रीणन्ति धेनवः शिशुम्। सोममिन्द्राय पातवे।।9।।
      अभी इमम्-अध्न्या उत श्रीणन्ति धेनवः शिशुम् सोमम् इन्द्राय पातवे।
      (उत) विशेष कर (इमम्) इस (शिशुम्) बालक रूप में प्रकट (सोमम्) पूर्ण परमात्मा अमर प्रभु की (इन्द्राय) सुखदायक सुविधा के लिए जो आवश्यक पदार्थ शरीर की (पातवे) वृद्धि के लिए चाहिए वह पूर्ति (अभी) पूर्ण तरह (अध्न्या धेनवः) जो गाय, सांड द्वारा कभी भी परेशान न की गई हों अर्थात् कुँवारी गायों द्वारा (श्रीणन्ति) परवरिश की जाती है।
      ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 1 मन्त्र 9 में)
      जब परमात्मा दूसरी प्रकार का शरीर धारण करके अर्थात् शिशु रूप धारण करके पृथ्वी पर प्रकट होता है उस समय उनके पालन की लीला कंवारी गौवों द्वारा होती है।
      भावार्थ:- पूर्ण परमात्मा अमर पुरुष जब लीला करता हुआा बालक रूप धारण करके स्वयं प्रकट होता है सुख-सुविधा के लिए जो आवश्यक पदार्थ शरीर वृद्धि के लिए चाहिए वह पूर्ति कुँवारी गायों द्वारा की जाती है अर्थात् उस समय (अध्नि धेनु) कुँवारी गाय अपने आप दूध देती है जिससे उस पूर्ण प्रभु की परवरिश होती है।
      यही प्रमाण पवित्र ‘‘कबीर सागर’’ नामक सद्ग्रंथ में है। जो आदरणीय धर्मदास जी द्वारा लगभग सन् 1500 के आसपास लिखा गया था। कबीर सागर के अध्याय ‘‘ज्ञान सागर‘‘ में पृष्ठ 74 पर लिखा है।
      (B):- ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 96 मंत्र 18
      ऋषिमना य ऋषिकृत्स्वर्षाः सहस्त्रणीथः पदवीः कवीनाम्।
      तृतीयं धाम महिषः सिषासन्त्सोमो विराजमनु राजति ष्टुप्।।18।।
      ऋषिमना य ऋषिकृत् स्वर्षाः सहस्त्राणीथः पदवीः कवीनाम्। तृतीयम् धाम महिषः सिषा सन्त् सोमः विराजमानु राजति स्टुप्।।
      अनुवाद - वेद बोलने वाला ब्रह्म कह रहा है कि (य) जो पूर्ण परमात्मा विलक्षण बच्चे के रूप में आकर (कवीनाम्) प्रसिद्ध कवियों की (पदवीः) उपाधि प्राप्त करके अर्थात् एक संत या ऋषि की भूमिका करता है उस (ऋषिकृत्) संत रूप में प्रकट हुए प्रभु द्वारा रची (सहस्त्राणीथः) हजारों वाणी (ऋषिमना) संत स्वभाव वाले व्यक्तियों अर्थात् भक्तों के लिए (स्वर्षाः) स्वर्ग तुल्य आनन्द दायक होती हैं। (सोम) वह अमर पुरुष अर्थात् सतपुरुष (तृतीया) तीसरे (धाम) मुक्तिलोक अर्थात् सत्यलोक की (महिषः) सुदृढ़ पृथ्वी को (सिषा) स्थापित करके (अनु) पश्चात् (सन्त्) मानव सदृश संत रूप में होता हुआ (स्टुप) गुबंद अर्थात् गुम्बज में उच्चे टिले रूपी सिंहासन पर (विराजमनुराजति) उज्जवल स्थूल आकार में अर्थात् मानव सदृश तेजोमय शरीर में विराजमान है।
      (C) :- परमात्मा पाप नष्ट कर सकता है | यजुर्वेद
      पवित्र यजुर्वेद अध्याय 5 मंत्र 32 में है कि कविरंघारिसि =
      (कविर्) परमेश्वर (अंघ) पाप का (अरि) शत्रु (असि) है अर्थात् पाप विनाशक है ईश्वर। बम्भारिसि = (बम्भारि) बन्धन का शत्रु अर्थात् बन्दी छोड़ है परमेश्वर (असि) है।
      यजुर्वेद अध्याय 8 मंत्र 13
      यह बहुत स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि परमात्मा पाप नाश कर सकते हैं। परमात्मा अपने उपासक के पापों का नाश कर देते हैं।
      परमात्मा घोर पाप का भी नाश कर देते हैं। परमात्मा अनजाने में किए गए सभी पापों का भी नाश कर देते हैं। परमात्मा अतीत में किए गए या वर्तमान में किए गए सभी पापों का भी नाश कर देते हैं।
      प्रश्न (क) :- उपर के गद्यांस में वेद वाक्यों के अनुसार ईश्वर अवतार लेते हैं तथा आर्य समाज के अनुसार ईश्वर अवतार नहीं लेते कौन सही है,
      (l) वेदमत या (ll) आर्य मत ?
      प्रश्न (ख) :- क्या दयानंद जी की बात सही है कि ईश्वर निराकार है या वेद की बात सही है कि ईश्वर साकार ( अग्ने तनुर असि) है?
      (l) वेद वाक्य या (lll) दयानंद जी
      (ग) . ईश्वर पाप नाश करते हैं किसने कहा?
      (I) वेद ने (II) दयानंद जी ने
      कृपया उत्तर दें, सही उत्तर देने वाले को ईश्वर के ज्ञान का विशेष उपहार फ्री दिया जायेगा।

  • @OmMatoria-q1r
    @OmMatoria-q1r 3 หลายเดือนก่อน +6

    पुराणिक बात प्रमाणिक नहीं शास्त्रार्थ करने से दुथ का दुध पानी का पानी हो जाएगा ये रामभद्राचार्य सत्य सनातन परमात्मा को न जाना है न जानते हैं अवतार जन्म का नाम है वैदो में सर्व व्यापक परमात्मा को बताया है जो सत्य सनातन है। नमस्ते ओ३म्

    • @gitanjaligitu5896
      @gitanjaligitu5896 5 วันที่ผ่านมา

      Kabhi ved pade ho...wese Sare ved puran muglo ke time likhe gaye hai

  • @abfinancialservices2065
    @abfinancialservices2065 2 หลายเดือนก่อน +7

    सनातन धर्म के सभी अंगों को कोमिलकर सनातन धर्म पर आने वाले व्यक्तियों से लड़ना चाहिए ना कि एक दूसरे की टांग खींचकर दूसरों को अपने ऊपर हंसने का मौका देना चाहिए

  • @someshrastogi9668
    @someshrastogi9668 2 หลายเดือนก่อน +5

    Swami Sachchidanand ji has explained the whole issue with 100% proof.
    Unko sadhuvaad.

  • @pansalalyada5186
    @pansalalyada5186 27 วันที่ผ่านมา +3

    ईश्वर योगी के हृदय मे अवतरित होता है बाहर नहीं

  • @drsubal82
    @drsubal82 3 หลายเดือนก่อน +10

    नमस्ते स्वामीजी🙏 ओ३म्

  • @osgkvlogs
    @osgkvlogs หลายเดือนก่อน +2

    मिट्टी के एक छोटे से छोटे कण को ईश्वर मानकर उसे प्राप्त किया जा सकता है मिट्टी की मूर्ति तो फिर भी बहुत बड़ी है..ईश्वर को किसी भी रूप में प्राप्त किया जा सकता है निराकार रूप में भी और साकार रूप में भी में किस रूप में उसे प्राप्त करना चाहता हूं वो मेरी आस्था पर निर्भर करता है...ओम 🙏अगर कोई आर्य समाजि मुझसे सहमत नहीं है तो अपनी उपस्थित दर्ज करे 🙏

    • @thoughtofnatkhat
      @thoughtofnatkhat หลายเดือนก่อน

      एक म्यान में दो तलवार कैसे रखे जनाब

    • @thoughtofnatkhat
      @thoughtofnatkhat หลายเดือนก่อน +1

      भाई जल की बूंद , आक्सीजन और सल्फर आक्साइड से सालफूरिक एसिड ही बनेगा ना की नाइट्रिक अम्ल 😢

    • @Veeru_Bhaiya_
      @Veeru_Bhaiya_ 8 วันที่ผ่านมา

      ​@@thoughtofnatkhat जो आपको उचित लगे वो करो।
      मजबूरन कोई नहीं कहता कि भजन करो

  • @pratibhasinghal3323
    @pratibhasinghal3323 3 หลายเดือนก่อน +19

    स्वामी सच्चिदानंद जीने रामभद्राचार्य द्वारा महर्षि दयानंद पर लगाए गए सभी आरोपों का एक एक करके सटीक उत्तर दिया और शास्त्रार्थ सार्वजनिक स्थान पर होगा रामभद्राचार्य जी के आश्रम पर नहीं |बिल्कुल सही है|
    मैं भी महर्षि दयानंद पर लगाए गए आरोप से बहुत दुखी हूं {आर्य समाज का संगठन इस आरोप को हटाने के लिए पूर्ण रूप से संगठित रहे|
    डॉ प्रतिभा सिंघल संरक्षिका आर्य समाज अवंतिका गाजियाबाद{

    • @anandsharma9892
      @anandsharma9892 2 หลายเดือนก่อน

      साकार और अवतार पर मतदान
      प्रश्न 1:- नीचे दिये गए मिश्रित गद्यांश और पद्यांश को पढ़कर उत्तर दीजिये।
      :- कृप्या पढ़ें ऋग्वेद मण्डल (A) :- 9 सुक्त 1 मंत्र 9 में जो निम्न हैं:-
      अभी इमं अध्न्या उत श्रीणन्ति धेनवः शिशुम्। सोममिन्द्राय पातवे।।9।।
      अभी इमम्-अध्न्या उत श्रीणन्ति धेनवः शिशुम् सोमम् इन्द्राय पातवे।
      (उत) विशेष कर (इमम्) इस (शिशुम्) बालक रूप में प्रकट (सोमम्) पूर्ण परमात्मा अमर प्रभु की (इन्द्राय) सुखदायक सुविधा के लिए जो आवश्यक पदार्थ शरीर की (पातवे) वृद्धि के लिए चाहिए वह पूर्ति (अभी) पूर्ण तरह (अध्न्या धेनवः) जो गाय, सांड द्वारा कभी भी परेशान न की गई हों अर्थात् कुँवारी गायों द्वारा (श्रीणन्ति) परवरिश की जाती है।
      ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 1 मन्त्र 9 में)
      जब परमात्मा दूसरी प्रकार का शरीर धारण करके अर्थात् शिशु रूप धारण करके पृथ्वी पर प्रकट होता है उस समय उनके पालन की लीला कंवारी गौवों द्वारा होती है।
      भावार्थ:- पूर्ण परमात्मा अमर पुरुष जब लीला करता हुआा बालक रूप धारण करके स्वयं प्रकट होता है सुख-सुविधा के लिए जो आवश्यक पदार्थ शरीर वृद्धि के लिए चाहिए वह पूर्ति कुँवारी गायों द्वारा की जाती है अर्थात् उस समय (अध्नि धेनु) कुँवारी गाय अपने आप दूध देती है जिससे उस पूर्ण प्रभु की परवरिश होती है।
      यही प्रमाण पवित्र ‘‘कबीर सागर’’ नामक सद्ग्रंथ में है। जो आदरणीय धर्मदास जी द्वारा लगभग सन् 1500 के आसपास लिखा गया था। कबीर सागर के अध्याय ‘‘ज्ञान सागर‘‘ में पृष्ठ 74 पर लिखा है।
      (B):- ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 96 मंत्र 18
      ऋषिमना य ऋषिकृत्स्वर्षाः सहस्त्रणीथः पदवीः कवीनाम्।
      तृतीयं धाम महिषः सिषासन्त्सोमो विराजमनु राजति ष्टुप्।।18।।
      ऋषिमना य ऋषिकृत् स्वर्षाः सहस्त्राणीथः पदवीः कवीनाम्। तृतीयम् धाम महिषः सिषा सन्त् सोमः विराजमानु राजति स्टुप्।।
      अनुवाद - वेद बोलने वाला ब्रह्म कह रहा है कि (य) जो पूर्ण परमात्मा विलक्षण बच्चे के रूप में आकर (कवीनाम्) प्रसिद्ध कवियों की (पदवीः) उपाधि प्राप्त करके अर्थात् एक संत या ऋषि की भूमिका करता है उस (ऋषिकृत्) संत रूप में प्रकट हुए प्रभु द्वारा रची (सहस्त्राणीथः) हजारों वाणी (ऋषिमना) संत स्वभाव वाले व्यक्तियों अर्थात् भक्तों के लिए (स्वर्षाः) स्वर्ग तुल्य आनन्द दायक होती हैं। (सोम) वह अमर पुरुष अर्थात् सतपुरुष (तृतीया) तीसरे (धाम) मुक्तिलोक अर्थात् सत्यलोक की (महिषः) सुदृढ़ पृथ्वी को (सिषा) स्थापित करके (अनु) पश्चात् (सन्त्) मानव सदृश संत रूप में होता हुआ (स्टुप) गुबंद अर्थात् गुम्बज में उच्चे टिले रूपी सिंहासन पर (विराजमनुराजति) उज्जवल स्थूल आकार में अर्थात् मानव सदृश तेजोमय शरीर में विराजमान है।
      (C) :- परमात्मा पाप नष्ट कर सकता है | यजुर्वेद
      पवित्र यजुर्वेद अध्याय 5 मंत्र 32 में है कि कविरंघारिसि =
      (कविर्) परमेश्वर (अंघ) पाप का (अरि) शत्रु (असि) है अर्थात् पाप विनाशक है ईश्वर। बम्भारिसि = (बम्भारि) बन्धन का शत्रु अर्थात् बन्दी छोड़ है परमेश्वर (असि) है।
      यजुर्वेद अध्याय 8 मंत्र 13
      यह बहुत स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि परमात्मा पाप नाश कर सकते हैं। परमात्मा अपने उपासक के पापों का नाश कर देते हैं।
      परमात्मा घोर पाप का भी नाश कर देते हैं। परमात्मा अनजाने में किए गए सभी पापों का भी नाश कर देते हैं। परमात्मा अतीत में किए गए या वर्तमान में किए गए सभी पापों का भी नाश कर देते हैं।
      प्रश्न (क) :- उपर के गद्यांस में वेद वाक्यों के अनुसार ईश्वर अवतार लेते हैं तथा आर्य समाज के अनुसार ईश्वर अवतार नहीं लेते कौन सही है,
      (l) वेदमत या (ll) आर्य मत ?
      प्रश्न (ख) :- क्या दयानंद जी की बात सही है कि ईश्वर निराकार है या वेद की बात सही है कि ईश्वर साकार ( अग्ने तनुर असि) है?
      (l) वेद वाक्य या (lll) दयानंद जी
      (ग) . ईश्वर पाप नाश करते हैं किसने कहा?
      (I) वेद ने (II) दयानंद जी ने
      कृपया उत्तर दें, सही उत्तर देने वाले को ईश्वर के ज्ञान का विशेष उपहार फ्री दिया जायेगा।

  • @AnilKumar-ol6eo
    @AnilKumar-ol6eo หลายเดือนก่อน +13

    अवतारवाद अवैदिक है अगर अवतारवाद होता तो आज दुनिया में भारत में आज सबसे ज्यादा अत्याचार हो रहा है उनके लिए भगवान अवतार क्यों नहीं ले रहे है।

    • @chintapurkait5798
      @chintapurkait5798 26 วันที่ผ่านมา

      😮😮 Vagban ko ap to dakte ne ,kab dakte hai jab ab bipad me haie to ek dusra Avatar ki asli maina kea e samja ne ap Vagban sab kuch kar denge r ap baithke ke indirio ki purti karte rahenge,ap vi abtar hai kuch kare

    • @msassrc9070
      @msassrc9070 18 วันที่ผ่านมา +1

      Har achcha byakti jo logo ki help karta hai vo bhagwaan ka awtar hai

    • @AayushKatare-v6e
      @AayushKatare-v6e 17 วันที่ผ่านมา

      @@AnilKumar-ol6eo or ved kaha se Aaye

    • @AayushKatare-v6e
      @AayushKatare-v6e 17 วันที่ผ่านมา

      @@AnilKumar-ol6eo mere pas to ved nahi hai or mai ved ke pas kyu jau yadi ved mere liye hi hai to vo khud mere pas Aana chahiye yahi Sacha niyam hai ha uske baad mai unhe na padu to ye meri galti hai mai Aapni taraf se une dundu ye kaha ka sindhant hai

    • @AayushKatare-v6e
      @AayushKatare-v6e 17 วันที่ผ่านมา

      Ved koi kitab to hai nahi

  • @JagdishYadav-p4o
    @JagdishYadav-p4o 3 หลายเดือนก่อน +16

    आर्य समाज की जय हो स्वामी दया नन्द सरस्वती की जय हो। बेद सत्य व सनातनी है

    • @JagdishYadav-p4o
      @JagdishYadav-p4o หลายเดือนก่อน

      Aary smaj saty aursnatni hai.dayanandsarsvti.par.ungli.
      Uthane vale.jhoothe.aur.ahankari.hai
      Unako.bedon.ka.gyan.hi.nhi.hai.❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤

  • @pawankumarsharma5082
    @pawankumarsharma5082 วันที่ผ่านมา

    आप श्री जी को नमन

  • @kamlaupreti9567
    @kamlaupreti9567 3 หลายเดือนก่อน +11

    जय हो सत्य सनातन धर्म की🌷🌷🚩🚩

    • @RSB143
      @RSB143 2 หลายเดือนก่อน

      😅😅😅😅 joker mu shnkr

  • @Moholal-ep4cb
    @Moholal-ep4cb 27 วันที่ผ่านมา +1

    कभी राम न थे न है न रहेंगे ये सभी काल्पनिक कहानियां है मात्र नाटक है जो पब्लिक को हास्य व्यंग के लिए रचा गया है और वह सत्य करनें पर तुले हैं जो मात्र एक कल्पना ही है जो सत्य कभी भी नही हो सकता है ।
    ❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤

    • @scottrock1654
      @scottrock1654 26 วันที่ผ่านมา +2

      तू भी मुझे काल्पनिक लग रहा है, तेरा बाप दादा, सब काल्पनिक है बाद में वही हास्य व्यंग्य के पात्र बन जाएंगे

    • @Hindustanbhraman
      @Hindustanbhraman 20 วันที่ผ่านมา

      बहुत ही सुंदर जवाब दिया है आपने इनको इनको ऐसा ही जवाब देना चाहिए ​@@scottrock1654

    • @firstloggerz6013
      @firstloggerz6013 16 วันที่ผ่านมา

      राम कृष्ण का जीवन सत्य है, बस आवतारवाद झूठ है।

    • @Veeru_Bhaiya_
      @Veeru_Bhaiya_ 8 วันที่ผ่านมา

      हे दुनियावालों...!
      तुम केवल आपस में लड़ सकते हो, सोशल मीडिया लड़ने का अच्छा जरिया मिल गया है आपको 😂
      आपसे आत्मकल्याण के लिए कुछ हो तो सकता नहीं 🙄

  • @Ashishbahukhandi
    @Ashishbahukhandi หลายเดือนก่อน +6

    राजनीति पूरी तरह से सनातन पर हावी हो गई है, और सनातन अपने अंत की दिशा में बढ़ रहा है। उसकी मूल भावना को राजनीतिक लुटेरों ने अपने व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए बदल दिया है। इस तरह की बातों से, जैसे कि अंतरिक्ष में 'ॐ' की ध्वनि है, विज्ञान को ईश्वर, जादू-टोना और अंधविश्वास मात्र बना दिया गया है।

  • @HaridevSharma-rc1jv
    @HaridevSharma-rc1jv 3 หลายเดือนก่อน +21

    राम भद्राचार्य काकभुशुण्डि जी है और आगे भी रहेंगे। सत्य कथा जो समझ ना पाये हंस बनै नहीं काग कहाये।। लौमश ऋषि के वचन ना मानै काकभुशुण्डि भये जग जाने।। आर्य पुत्र।।

    • @RSB143
      @RSB143 2 หลายเดือนก่อน +3

      ❤ right inko rambhdra jee jese GURU SANT ki mhtaa nhi ptaa inke bhgay abhi soye huye hai

    • @anandsharma9892
      @anandsharma9892 2 หลายเดือนก่อน

      कारभुसुंडि ने वेद ज्ञान नहीं लिया था।
      साकार और अवतार पर मतदान
      प्रश्न 1:- नीचे दिये गए मिश्रित गद्यांश और पद्यांश को पढ़कर उत्तर दीजिये।
      :- कृप्या पढ़ें ऋग्वेद मण्डल (A) :- 9 सुक्त 1 मंत्र 9 में जो निम्न हैं:-
      अभी इमं अध्न्या उत श्रीणन्ति धेनवः शिशुम्। सोममिन्द्राय पातवे।।9।।
      अभी इमम्-अध्न्या उत श्रीणन्ति धेनवः शिशुम् सोमम् इन्द्राय पातवे।
      (उत) विशेष कर (इमम्) इस (शिशुम्) बालक रूप में प्रकट (सोमम्) पूर्ण परमात्मा अमर प्रभु की (इन्द्राय) सुखदायक सुविधा के लिए जो आवश्यक पदार्थ शरीर की (पातवे) वृद्धि के लिए चाहिए वह पूर्ति (अभी) पूर्ण तरह (अध्न्या धेनवः) जो गाय, सांड द्वारा कभी भी परेशान न की गई हों अर्थात् कुँवारी गायों द्वारा (श्रीणन्ति) परवरिश की जाती है।
      ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 1 मन्त्र 9 में)
      जब परमात्मा दूसरी प्रकार का शरीर धारण करके अर्थात् शिशु रूप धारण करके पृथ्वी पर प्रकट होता है उस समय उनके पालन की लीला कंवारी गौवों द्वारा होती है।
      भावार्थ:- पूर्ण परमात्मा अमर पुरुष जब लीला करता हुआा बालक रूप धारण करके स्वयं प्रकट होता है सुख-सुविधा के लिए जो आवश्यक पदार्थ शरीर वृद्धि के लिए चाहिए वह पूर्ति कुँवारी गायों द्वारा की जाती है अर्थात् उस समय (अध्नि धेनु) कुँवारी गाय अपने आप दूध देती है जिससे उस पूर्ण प्रभु की परवरिश होती है।
      यही प्रमाण पवित्र ‘‘कबीर सागर’’ नामक सद्ग्रंथ में है। जो आदरणीय धर्मदास जी द्वारा लगभग सन् 1500 के आसपास लिखा गया था। कबीर सागर के अध्याय ‘‘ज्ञान सागर‘‘ में पृष्ठ 74 पर लिखा है।
      (B):- ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 96 मंत्र 18
      ऋषिमना य ऋषिकृत्स्वर्षाः सहस्त्रणीथः पदवीः कवीनाम्।
      तृतीयं धाम महिषः सिषासन्त्सोमो विराजमनु राजति ष्टुप्।।18।।
      ऋषिमना य ऋषिकृत् स्वर्षाः सहस्त्राणीथः पदवीः कवीनाम्। तृतीयम् धाम महिषः सिषा सन्त् सोमः विराजमानु राजति स्टुप्।।
      अनुवाद - वेद बोलने वाला ब्रह्म कह रहा है कि (य) जो पूर्ण परमात्मा विलक्षण बच्चे के रूप में आकर (कवीनाम्) प्रसिद्ध कवियों की (पदवीः) उपाधि प्राप्त करके अर्थात् एक संत या ऋषि की भूमिका करता है उस (ऋषिकृत्) संत रूप में प्रकट हुए प्रभु द्वारा रची (सहस्त्राणीथः) हजारों वाणी (ऋषिमना) संत स्वभाव वाले व्यक्तियों अर्थात् भक्तों के लिए (स्वर्षाः) स्वर्ग तुल्य आनन्द दायक होती हैं। (सोम) वह अमर पुरुष अर्थात् सतपुरुष (तृतीया) तीसरे (धाम) मुक्तिलोक अर्थात् सत्यलोक की (महिषः) सुदृढ़ पृथ्वी को (सिषा) स्थापित करके (अनु) पश्चात् (सन्त्) मानव सदृश संत रूप में होता हुआ (स्टुप) गुबंद अर्थात् गुम्बज में उच्चे टिले रूपी सिंहासन पर (विराजमनुराजति) उज्जवल स्थूल आकार में अर्थात् मानव सदृश तेजोमय शरीर में विराजमान है।
      (C) :- परमात्मा पाप नष्ट कर सकता है | यजुर्वेद
      पवित्र यजुर्वेद अध्याय 5 मंत्र 32 में है कि कविरंघारिसि =
      (कविर्) परमेश्वर (अंघ) पाप का (अरि) शत्रु (असि) है अर्थात् पाप विनाशक है ईश्वर। बम्भारिसि = (बम्भारि) बन्धन का शत्रु अर्थात् बन्दी छोड़ है परमेश्वर (असि) है।
      यजुर्वेद अध्याय 8 मंत्र 13
      यह बहुत स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि परमात्मा पाप नाश कर सकते हैं। परमात्मा अपने उपासक के पापों का नाश कर देते हैं।
      परमात्मा घोर पाप का भी नाश कर देते हैं। परमात्मा अनजाने में किए गए सभी पापों का भी नाश कर देते हैं। परमात्मा अतीत में किए गए या वर्तमान में किए गए सभी पापों का भी नाश कर देते हैं।
      प्रश्न (क) :- उपर के गद्यांस में वेद वाक्यों के अनुसार ईश्वर अवतार लेते हैं तथा आर्य समाज के अनुसार ईश्वर अवतार नहीं लेते कौन सही है,
      (l) वेदमत या (ll) आर्य मत ?
      प्रश्न (ख) :- क्या दयानंद जी की बात सही है कि ईश्वर निराकार है या वेद की बात सही है कि ईश्वर साकार ( अग्ने तनुर असि) है?
      (l) वेद वाक्य या (lll) दयानंद जी
      (ग) . ईश्वर पाप नाश करते हैं किसने कहा?
      (I) वेद ने (II) दयानंद जी ने
      कृपया उत्तर दें, सही उत्तर देने वाले को ईश्वर के ज्ञान का विशेष उपहार फ्री दिया जायेगा।

    • @SanatandevAvinashi1234
      @SanatandevAvinashi1234 2 หลายเดือนก่อน +1

      ये पाखण्डी कहां से बीच में कूद पड़े हैं। जिन्हें व्याकरणादि का व वर्ण उच्चारण करने का वोध नहीं है वह वेद मंत्रों की व्याख्या कर रहे हैं।

    • @anandsharma9892
      @anandsharma9892 2 หลายเดือนก่อน

      @@SanatandevAvinashi1234 जो भगवान को देखेगा वही भगवान की व्याख्या करेगा।
      कोई नशेड़ी भांग का शौकीन हो, जो ईश्वर को देख ही न पाया, वह कैसे व्याख्या करेगा।
      स्वांस स्वांस में नाम जपो,
      वृथा स्वांस न खोये,
      न जाने इस स्वांस को,
      आवन होए न होए। कबीर वाणी
      कबीर बीजक :- साखी (343)
      जो कहते हैं ईश्वर निराकार है उनको :-
      1. ढूंढ़त ढूंढ़त ढूँढिया,
      भया तो गूना गून
      ढूंढ़त ढूंढ़त न मिला,
      हारी कहा बेचून ( निराकार)।
      बीजक साखी 345
      2. सोई नूर दिल पाक है,
      सोई नूर पहिचान,
      जाके किये जग हुआ,
      सो बेचून ( निराकार) क्यों जान।
      (ईश्वर साकार है कबीर साहेब का ज्ञान)
      बे चूने जग चूनिया,
      साईं नूर निनार।
      आखिरता के बखत में,
      किसका करो दीदार।
      कबीर बीजक ( वसंत) 12
      छाड़हु पाखंड मानहु बात,
      नहीं तो परबेहु जम के हाथ।
      कहें कबीर नर कियो न खोज,
      भटक मुअल( मरा) जस वन का रोज ( नील गाये) ।
      थे फिर क्यों ईश्वर के पास न रहे , इतने प्राणी किस गलती से जन्म मरण में फंसे?
      (संत रामपाल जी महाराज द्वारा संकलित )
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      हम सभी देवी देवता ओं की भक्ति करते हैं फिर भी दुखी क्यो?
      ईस. कौन है? ईश्वर कौन है? परमेश्वर कौन है?
      परम +आत्मा =परमात्मा कौन है?
      वह कौन सी भक्ति है जिससे समस्त दुखों का नाश होता है?
      सच्चा संत गीता के वेद शास्त्र अनुसार कैसा होता है ?
      मीराबाई का मोक्ष कैसे हुआ ?
      बृह्मा जी की आयु 50 बर्ष हो गई और आज तक हम इन भक्तियों को करते आ रहे फिर भी आज तक हमारा मोक्ष क्यों नहीं हुआ ?
      यदि हम ईश्वर में ही तो विलीन थे फिर क्यों ईश्वर के पास न रहे , इतने प्राणी किस गलती से जन्म मरण में फंसे?
      (संत रामपाल जी महाराज द्वारा संकलित )
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      6) राज्य :-..........
      7) पिन कोड :-..........

    • @anandsharma9892
      @anandsharma9892 2 หลายเดือนก่อน

      @@SanatandevAvinashi1234 जब जबाब नहीं तो लोग ऐसी बात करते हैं।
      साकार और अवतार पर मतदान
      प्रश्न 1:- नीचे दिये गए मिश्रित गद्यांश और पद्यांश को पढ़कर उत्तर दीजिये।
      :- कृप्या पढ़ें ऋग्वेद मण्डल (A) :- 9 सुक्त 1 मंत्र 9 में जो निम्न हैं:-
      अभी इमं अध्न्या उत श्रीणन्ति धेनवः शिशुम्। सोममिन्द्राय पातवे।।9।।
      अभी इमम्-अध्न्या उत श्रीणन्ति धेनवः शिशुम् सोमम् इन्द्राय पातवे।
      (उत) विशेष कर (इमम्) इस (शिशुम्) बालक रूप में प्रकट (सोमम्) पूर्ण परमात्मा अमर प्रभु की (इन्द्राय) सुखदायक सुविधा के लिए जो आवश्यक पदार्थ शरीर की (पातवे) वृद्धि के लिए चाहिए वह पूर्ति (अभी) पूर्ण तरह (अध्न्या धेनवः) जो गाय, सांड द्वारा कभी भी परेशान न की गई हों अर्थात् कुँवारी गायों द्वारा (श्रीणन्ति) परवरिश की जाती है।
      ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 1 मन्त्र 9 में)
      जब परमात्मा दूसरी प्रकार का शरीर धारण करके अर्थात् शिशु रूप धारण करके पृथ्वी पर प्रकट होता है उस समय उनके पालन की लीला कंवारी गौवों द्वारा होती है।
      भावार्थ:- पूर्ण परमात्मा अमर पुरुष जब लीला करता हुआा बालक रूप धारण करके स्वयं प्रकट होता है सुख-सुविधा के लिए जो आवश्यक पदार्थ शरीर वृद्धि के लिए चाहिए वह पूर्ति कुँवारी गायों द्वारा की जाती है अर्थात् उस समय (अध्नि धेनु) कुँवारी गाय अपने आप दूध देती है जिससे उस पूर्ण प्रभु की परवरिश होती है।
      यही प्रमाण पवित्र ‘‘कबीर सागर’’ नामक सद्ग्रंथ में है। जो आदरणीय धर्मदास जी द्वारा लगभग सन् 1500 के आसपास लिखा गया था। कबीर सागर के अध्याय ‘‘ज्ञान सागर‘‘ में पृष्ठ 74 पर लिखा है।
      (B):- ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 96 मंत्र 18
      ऋषिमना य ऋषिकृत्स्वर्षाः सहस्त्रणीथः पदवीः कवीनाम्।
      तृतीयं धाम महिषः सिषासन्त्सोमो विराजमनु राजति ष्टुप्।।18।।
      ऋषिमना य ऋषिकृत् स्वर्षाः सहस्त्राणीथः पदवीः कवीनाम्। तृतीयम् धाम महिषः सिषा सन्त् सोमः विराजमानु राजति स्टुप्।।
      अनुवाद - वेद बोलने वाला ब्रह्म कह रहा है कि (य) जो पूर्ण परमात्मा विलक्षण बच्चे के रूप में आकर (कवीनाम्) प्रसिद्ध कवियों की (पदवीः) उपाधि प्राप्त करके अर्थात् एक संत या ऋषि की भूमिका करता है उस (ऋषिकृत्) संत रूप में प्रकट हुए प्रभु द्वारा रची (सहस्त्राणीथः) हजारों वाणी (ऋषिमना) संत स्वभाव वाले व्यक्तियों अर्थात् भक्तों के लिए (स्वर्षाः) स्वर्ग तुल्य आनन्द दायक होती हैं। (सोम) वह अमर पुरुष अर्थात् सतपुरुष (तृतीया) तीसरे (धाम) मुक्तिलोक अर्थात् सत्यलोक की (महिषः) सुदृढ़ पृथ्वी को (सिषा) स्थापित करके (अनु) पश्चात् (सन्त्) मानव सदृश संत रूप में होता हुआ (स्टुप) गुबंद अर्थात् गुम्बज में उच्चे टिले रूपी सिंहासन पर (विराजमनुराजति) उज्जवल स्थूल आकार में अर्थात् मानव सदृश तेजोमय शरीर में विराजमान है।
      (C) :- परमात्मा पाप नष्ट कर सकता है | यजुर्वेद
      पवित्र यजुर्वेद अध्याय 5 मंत्र 32 में है कि कविरंघारिसि =
      (कविर्) परमेश्वर (अंघ) पाप का (अरि) शत्रु (असि) है अर्थात् पाप विनाशक है ईश्वर। बम्भारिसि = (बम्भारि) बन्धन का शत्रु अर्थात् बन्दी छोड़ है परमेश्वर (असि) है।
      यजुर्वेद अध्याय 8 मंत्र 13
      यह बहुत स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि परमात्मा पाप नाश कर सकते हैं। परमात्मा अपने उपासक के पापों का नाश कर देते हैं।
      परमात्मा घोर पाप का भी नाश कर देते हैं। परमात्मा अनजाने में किए गए सभी पापों का भी नाश कर देते हैं। परमात्मा अतीत में किए गए या वर्तमान में किए गए सभी पापों का भी नाश कर देते हैं।
      प्रश्न (क) :- उपर के गद्यांस में वेद वाक्यों के अनुसार ईश्वर अवतार लेते हैं तथा आर्य समाज के अनुसार ईश्वर अवतार नहीं लेते कौन सही है,
      (l) वेदमत या (ll) आर्य मत ?
      प्रश्न (ख) :- क्या दयानंद जी की बात सही है कि ईश्वर निराकार है या वेद की बात सही है कि ईश्वर साकार ( अग्ने तनुर असि) है?
      (l) वेद वाक्य या (lll) दयानंद जी
      (ग) . ईश्वर पाप नाश करते हैं किसने कहा?
      (I) वेद ने (II) दयानंद जी ने
      कृपया उत्तर दें, सही उत्तर देने वाले को ईश्वर के ज्ञान का विशेष उपहार फ्री दिया जायेगा।

  • @unnon504
    @unnon504 16 วันที่ผ่านมา

    आप का सत्य आपके बात रखने के तरीके से झलकता है..... आप के बात में कोई छलावा नहीं

  • @ajaysaini8759
    @ajaysaini8759 3 หลายเดือนก่อน +6

    एक तरफ आप रामकृष्ण को मानने की बात करते हैं दूसरी तरह उनकी लीलाओं का उपवास भी उड़ाते हैं

  • @uttamchand8654
    @uttamchand8654 หลายเดือนก่อน

    आप लोग अपने और अपने अनुयाईयों की ऐसे ही अपनी ऊर्जा ख़त्म करते रहें, हिन्दुओ का खूब कल्याण होगा और इस धरा में आप जैसे लोगों ने पिछले 1000 सालों से जो हिन्दुओ का कल्याण करते रहे हैँ कि आज गजवाये हिंद बनाने की नौबत आ चुकी है। बहुत अच्छा। आप सब को बधाई....

  • @nareshsinghyadav3964
    @nareshsinghyadav3964 3 หลายเดือนก่อน +36

    राम जी और कृष्ण जी दोनो एस्वरीय शक्ति है इन दोनों के चरित्र को अपनाने से ही कल्याण है केवल इनके चित्र पर ना जाएं

    • @RaghuveerPatel-u1w
      @RaghuveerPatel-u1w 3 หลายเดือนก่อน +3

      सत्य वचन

    • @rajneeshawasthi3284
      @rajneeshawasthi3284 3 หลายเดือนก่อน +3

      लेकिन इनके चरित्र चित्रण में जो शास्त्रों के माध्यम से मिलावट की गयी है उसका क्या करेंगे इस पर भी तो कुछ बोले

    • @lokeshthakur808
      @lokeshthakur808 3 หลายเดือนก่อน +2

      श्री राम कृष्ण जी स्वयं भगवान हैं।

    • @anandsharma9892
      @anandsharma9892 2 หลายเดือนก่อน

      ​@@lokeshthakur808साकार और अवतार पर मतदान
      प्रश्न 1:- नीचे दिये गए मिश्रित गद्यांश और पद्यांश को पढ़कर उत्तर दीजिये।
      :- कृप्या पढ़ें ऋग्वेद मण्डल (A) :- 9 सुक्त 1 मंत्र 9 में जो निम्न हैं:-
      अभी इमं अध्न्या उत श्रीणन्ति धेनवः शिशुम्। सोममिन्द्राय पातवे।।9।।
      अभी इमम्-अध्न्या उत श्रीणन्ति धेनवः शिशुम् सोमम् इन्द्राय पातवे।
      (उत) विशेष कर (इमम्) इस (शिशुम्) बालक रूप में प्रकट (सोमम्) पूर्ण परमात्मा अमर प्रभु की (इन्द्राय) सुखदायक सुविधा के लिए जो आवश्यक पदार्थ शरीर की (पातवे) वृद्धि के लिए चाहिए वह पूर्ति (अभी) पूर्ण तरह (अध्न्या धेनवः) जो गाय, सांड द्वारा कभी भी परेशान न की गई हों अर्थात् कुँवारी गायों द्वारा (श्रीणन्ति) परवरिश की जाती है।
      ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 1 मन्त्र 9 में)
      जब परमात्मा दूसरी प्रकार का शरीर धारण करके अर्थात् शिशु रूप धारण करके पृथ्वी पर प्रकट होता है उस समय उनके पालन की लीला कंवारी गौवों द्वारा होती है।
      भावार्थ:- पूर्ण परमात्मा अमर पुरुष जब लीला करता हुआा बालक रूप धारण करके स्वयं प्रकट होता है सुख-सुविधा के लिए जो आवश्यक पदार्थ शरीर वृद्धि के लिए चाहिए वह पूर्ति कुँवारी गायों द्वारा की जाती है अर्थात् उस समय (अध्नि धेनु) कुँवारी गाय अपने आप दूध देती है जिससे उस पूर्ण प्रभु की परवरिश होती है।
      यही प्रमाण पवित्र ‘‘कबीर सागर’’ नामक सद्ग्रंथ में है। जो आदरणीय धर्मदास जी द्वारा लगभग सन् 1500 के आसपास लिखा गया था। कबीर सागर के अध्याय ‘‘ज्ञान सागर‘‘ में पृष्ठ 74 पर लिखा है।
      (B):- ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 96 मंत्र 18
      ऋषिमना य ऋषिकृत्स्वर्षाः सहस्त्रणीथः पदवीः कवीनाम्।
      तृतीयं धाम महिषः सिषासन्त्सोमो विराजमनु राजति ष्टुप्।।18।।
      ऋषिमना य ऋषिकृत् स्वर्षाः सहस्त्राणीथः पदवीः कवीनाम्। तृतीयम् धाम महिषः सिषा सन्त् सोमः विराजमानु राजति स्टुप्।।
      अनुवाद - वेद बोलने वाला ब्रह्म कह रहा है कि (य) जो पूर्ण परमात्मा विलक्षण बच्चे के रूप में आकर (कवीनाम्) प्रसिद्ध कवियों की (पदवीः) उपाधि प्राप्त करके अर्थात् एक संत या ऋषि की भूमिका करता है उस (ऋषिकृत्) संत रूप में प्रकट हुए प्रभु द्वारा रची (सहस्त्राणीथः) हजारों वाणी (ऋषिमना) संत स्वभाव वाले व्यक्तियों अर्थात् भक्तों के लिए (स्वर्षाः) स्वर्ग तुल्य आनन्द दायक होती हैं। (सोम) वह अमर पुरुष अर्थात् सतपुरुष (तृतीया) तीसरे (धाम) मुक्तिलोक अर्थात् सत्यलोक की (महिषः) सुदृढ़ पृथ्वी को (सिषा) स्थापित करके (अनु) पश्चात् (सन्त्) मानव सदृश संत रूप में होता हुआ (स्टुप) गुबंद अर्थात् गुम्बज में उच्चे टिले रूपी सिंहासन पर (विराजमनुराजति) उज्जवल स्थूल आकार में अर्थात् मानव सदृश तेजोमय शरीर में विराजमान है।
      (C) :- परमात्मा पाप नष्ट कर सकता है | यजुर्वेद
      पवित्र यजुर्वेद अध्याय 5 मंत्र 32 में है कि कविरंघारिसि =
      (कविर्) परमेश्वर (अंघ) पाप का (अरि) शत्रु (असि) है अर्थात् पाप विनाशक है ईश्वर। बम्भारिसि = (बम्भारि) बन्धन का शत्रु अर्थात् बन्दी छोड़ है परमेश्वर (असि) है।
      यजुर्वेद अध्याय 8 मंत्र 13
      यह बहुत स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि परमात्मा पाप नाश कर सकते हैं। परमात्मा अपने उपासक के पापों का नाश कर देते हैं।
      परमात्मा घोर पाप का भी नाश कर देते हैं। परमात्मा अनजाने में किए गए सभी पापों का भी नाश कर देते हैं। परमात्मा अतीत में किए गए या वर्तमान में किए गए सभी पापों का भी नाश कर देते हैं।
      प्रश्न (क) :- उपर के गद्यांस में वेद वाक्यों के अनुसार ईश्वर अवतार लेते हैं तथा आर्य समाज के अनुसार ईश्वर अवतार नहीं लेते कौन सही है,
      (l) वेदमत या (ll) आर्य मत ?
      प्रश्न (ख) :- क्या दयानंद जी की बात सही है कि ईश्वर निराकार है या वेद की बात सही है कि ईश्वर साकार ( अग्ने तनुर असि) है?
      (l) वेद वाक्य या (lll) दयानंद जी
      (ग) . ईश्वर पाप नाश करते हैं किसने कहा?
      (I) वेद ने (II) दयानंद जी ने
      कृपया उत्तर दें, सही उत्तर देने वाले को ईश्वर के ज्ञान का विशेष उपहार फ्री दिया जायेगा।

    • @anandsharma9892
      @anandsharma9892 2 หลายเดือนก่อน

      साकार और अवतार पर मतदान
      प्रश्न 1:- नीचे दिये गए मिश्रित गद्यांश और पद्यांश को पढ़कर उत्तर दीजिये।
      :- कृप्या पढ़ें ऋग्वेद मण्डल (A) :- 9 सुक्त 1 मंत्र 9 में जो निम्न हैं:-
      अभी इमं अध्न्या उत श्रीणन्ति धेनवः शिशुम्। सोममिन्द्राय पातवे।।9।।
      अभी इमम्-अध्न्या उत श्रीणन्ति धेनवः शिशुम् सोमम् इन्द्राय पातवे।
      (उत) विशेष कर (इमम्) इस (शिशुम्) बालक रूप में प्रकट (सोमम्) पूर्ण परमात्मा अमर प्रभु की (इन्द्राय) सुखदायक सुविधा के लिए जो आवश्यक पदार्थ शरीर की (पातवे) वृद्धि के लिए चाहिए वह पूर्ति (अभी) पूर्ण तरह (अध्न्या धेनवः) जो गाय, सांड द्वारा कभी भी परेशान न की गई हों अर्थात् कुँवारी गायों द्वारा (श्रीणन्ति) परवरिश की जाती है।
      ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 1 मन्त्र 9 में)
      जब परमात्मा दूसरी प्रकार का शरीर धारण करके अर्थात् शिशु रूप धारण करके पृथ्वी पर प्रकट होता है उस समय उनके पालन की लीला कंवारी गौवों द्वारा होती है।
      भावार्थ:- पूर्ण परमात्मा अमर पुरुष जब लीला करता हुआा बालक रूप धारण करके स्वयं प्रकट होता है सुख-सुविधा के लिए जो आवश्यक पदार्थ शरीर वृद्धि के लिए चाहिए वह पूर्ति कुँवारी गायों द्वारा की जाती है अर्थात् उस समय (अध्नि धेनु) कुँवारी गाय अपने आप दूध देती है जिससे उस पूर्ण प्रभु की परवरिश होती है।
      यही प्रमाण पवित्र ‘‘कबीर सागर’’ नामक सद्ग्रंथ में है। जो आदरणीय धर्मदास जी द्वारा लगभग सन् 1500 के आसपास लिखा गया था। कबीर सागर के अध्याय ‘‘ज्ञान सागर‘‘ में पृष्ठ 74 पर लिखा है।
      (B):- ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 96 मंत्र 18
      ऋषिमना य ऋषिकृत्स्वर्षाः सहस्त्रणीथः पदवीः कवीनाम्।
      तृतीयं धाम महिषः सिषासन्त्सोमो विराजमनु राजति ष्टुप्।।18।।
      ऋषिमना य ऋषिकृत् स्वर्षाः सहस्त्राणीथः पदवीः कवीनाम्। तृतीयम् धाम महिषः सिषा सन्त् सोमः विराजमानु राजति स्टुप्।।
      अनुवाद - वेद बोलने वाला ब्रह्म कह रहा है कि (य) जो पूर्ण परमात्मा विलक्षण बच्चे के रूप में आकर (कवीनाम्) प्रसिद्ध कवियों की (पदवीः) उपाधि प्राप्त करके अर्थात् एक संत या ऋषि की भूमिका करता है उस (ऋषिकृत्) संत रूप में प्रकट हुए प्रभु द्वारा रची (सहस्त्राणीथः) हजारों वाणी (ऋषिमना) संत स्वभाव वाले व्यक्तियों अर्थात् भक्तों के लिए (स्वर्षाः) स्वर्ग तुल्य आनन्द दायक होती हैं। (सोम) वह अमर पुरुष अर्थात् सतपुरुष (तृतीया) तीसरे (धाम) मुक्तिलोक अर्थात् सत्यलोक की (महिषः) सुदृढ़ पृथ्वी को (सिषा) स्थापित करके (अनु) पश्चात् (सन्त्) मानव सदृश संत रूप में होता हुआ (स्टुप) गुबंद अर्थात् गुम्बज में उच्चे टिले रूपी सिंहासन पर (विराजमनुराजति) उज्जवल स्थूल आकार में अर्थात् मानव सदृश तेजोमय शरीर में विराजमान है।
      (C) :- परमात्मा पाप नष्ट कर सकता है | यजुर्वेद
      पवित्र यजुर्वेद अध्याय 5 मंत्र 32 में है कि कविरंघारिसि =
      (कविर्) परमेश्वर (अंघ) पाप का (अरि) शत्रु (असि) है अर्थात् पाप विनाशक है ईश्वर। बम्भारिसि = (बम्भारि) बन्धन का शत्रु अर्थात् बन्दी छोड़ है परमेश्वर (असि) है।
      यजुर्वेद अध्याय 8 मंत्र 13
      यह बहुत स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि परमात्मा पाप नाश कर सकते हैं। परमात्मा अपने उपासक के पापों का नाश कर देते हैं।
      परमात्मा घोर पाप का भी नाश कर देते हैं। परमात्मा अनजाने में किए गए सभी पापों का भी नाश कर देते हैं। परमात्मा अतीत में किए गए या वर्तमान में किए गए सभी पापों का भी नाश कर देते हैं।
      प्रश्न (क) :- उपर के गद्यांस में वेद वाक्यों के अनुसार ईश्वर अवतार लेते हैं तथा आर्य समाज के अनुसार ईश्वर अवतार नहीं लेते कौन सही है,
      (l) वेदमत या (ll) आर्य मत ?
      प्रश्न (ख) :- क्या दयानंद जी की बात सही है कि ईश्वर निराकार है या वेद की बात सही है कि ईश्वर साकार ( अग्ने तनुर असि) है?
      (l) वेद वाक्य या (lll) दयानंद जी
      (ग) . ईश्वर पाप नाश करते हैं किसने कहा?
      (I) वेद ने (II) दयानंद जी ने
      कृपया उत्तर दें, सही उत्तर देने वाले को ईश्वर के ज्ञान का विशेष उपहार फ्री दिया जायेगा।

  • @hr3135
    @hr3135 7 วันที่ผ่านมา

    बात है ज्ञान और भक्ति के बीच कोन श्रेष्ठ है हम भक्ति को महत्व देते है ❤

  • @raghabasahu1922
    @raghabasahu1922 3 หลายเดือนก่อน +11

    Sadara namaste Swamiji Maharaj 🙏🙏🙏❤️❤️🥀🌹🌹🌹👍

  • @hr3135
    @hr3135 7 วันที่ผ่านมา

    इसमें कोई संशय नहीं श्रीरामचंद्र जी महराज ही ईश्वर है इस बात मे हम रामभद्राचार्य जी के साथ है ❤❤

  • @ashokkumararya6806
    @ashokkumararya6806 3 หลายเดือนก่อน +13

    आपका धन्यवाद 🙏
    सत्यमेव जयते।।
    वेद तो सृष्टि के प्रारंभ से हैं। राम और कृष्ण वेद का आचरण करने वाले सर्वश्रेष्ठ महापुरूष थे जो भगवान तो हैं परन्तु ईश्वर नहीं।
    ।। जय हिन्द।।

    • @shivanibhooch6182
      @shivanibhooch6182 2 หลายเดือนก่อน +2

      भगवान सहस्त्र नामो मे से भगवान कान ईश्वर भी है भगवान or ईश्वर एक ही है 🕉️ नमः शिवाय.

    • @anandsharma9892
      @anandsharma9892 2 หลายเดือนก่อน

      @@shivanibhooch6182 साकार और अवतार पर मतदान
      प्रश्न 1:- नीचे दिये गए मिश्रित गद्यांश और पद्यांश को पढ़कर उत्तर दीजिये।
      :- कृप्या पढ़ें ऋग्वेद मण्डल (A) :- 9 सुक्त 1 मंत्र 9 में जो निम्न हैं:-
      अभी इमं अध्न्या उत श्रीणन्ति धेनवः शिशुम्। सोममिन्द्राय पातवे।।9।।
      अभी इमम्-अध्न्या उत श्रीणन्ति धेनवः शिशुम् सोमम् इन्द्राय पातवे।
      (उत) विशेष कर (इमम्) इस (शिशुम्) बालक रूप में प्रकट (सोमम्) पूर्ण परमात्मा अमर प्रभु की (इन्द्राय) सुखदायक सुविधा के लिए जो आवश्यक पदार्थ शरीर की (पातवे) वृद्धि के लिए चाहिए वह पूर्ति (अभी) पूर्ण तरह (अध्न्या धेनवः) जो गाय, सांड द्वारा कभी भी परेशान न की गई हों अर्थात् कुँवारी गायों द्वारा (श्रीणन्ति) परवरिश की जाती है।
      ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 1 मन्त्र 9 में)
      जब परमात्मा दूसरी प्रकार का शरीर धारण करके अर्थात् शिशु रूप धारण करके पृथ्वी पर प्रकट होता है उस समय उनके पालन की लीला कंवारी गौवों द्वारा होती है।
      भावार्थ:- पूर्ण परमात्मा अमर पुरुष जब लीला करता हुआा बालक रूप धारण करके स्वयं प्रकट होता है सुख-सुविधा के लिए जो आवश्यक पदार्थ शरीर वृद्धि के लिए चाहिए वह पूर्ति कुँवारी गायों द्वारा की जाती है अर्थात् उस समय (अध्नि धेनु) कुँवारी गाय अपने आप दूध देती है जिससे उस पूर्ण प्रभु की परवरिश होती है।
      यही प्रमाण पवित्र ‘‘कबीर सागर’’ नामक सद्ग्रंथ में है। जो आदरणीय धर्मदास जी द्वारा लगभग सन् 1500 के आसपास लिखा गया था। कबीर सागर के अध्याय ‘‘ज्ञान सागर‘‘ में पृष्ठ 74 पर लिखा है।
      (B):- ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 96 मंत्र 18
      ऋषिमना य ऋषिकृत्स्वर्षाः सहस्त्रणीथः पदवीः कवीनाम्।
      तृतीयं धाम महिषः सिषासन्त्सोमो विराजमनु राजति ष्टुप्।।18।।
      ऋषिमना य ऋषिकृत् स्वर्षाः सहस्त्राणीथः पदवीः कवीनाम्। तृतीयम् धाम महिषः सिषा सन्त् सोमः विराजमानु राजति स्टुप्।।
      अनुवाद - वेद बोलने वाला ब्रह्म कह रहा है कि (य) जो पूर्ण परमात्मा विलक्षण बच्चे के रूप में आकर (कवीनाम्) प्रसिद्ध कवियों की (पदवीः) उपाधि प्राप्त करके अर्थात् एक संत या ऋषि की भूमिका करता है उस (ऋषिकृत्) संत रूप में प्रकट हुए प्रभु द्वारा रची (सहस्त्राणीथः) हजारों वाणी (ऋषिमना) संत स्वभाव वाले व्यक्तियों अर्थात् भक्तों के लिए (स्वर्षाः) स्वर्ग तुल्य आनन्द दायक होती हैं। (सोम) वह अमर पुरुष अर्थात् सतपुरुष (तृतीया) तीसरे (धाम) मुक्तिलोक अर्थात् सत्यलोक की (महिषः) सुदृढ़ पृथ्वी को (सिषा) स्थापित करके (अनु) पश्चात् (सन्त्) मानव सदृश संत रूप में होता हुआ (स्टुप) गुबंद अर्थात् गुम्बज में उच्चे टिले रूपी सिंहासन पर (विराजमनुराजति) उज्जवल स्थूल आकार में अर्थात् मानव सदृश तेजोमय शरीर में विराजमान है।
      (C) :- परमात्मा पाप नष्ट कर सकता है | यजुर्वेद
      पवित्र यजुर्वेद अध्याय 5 मंत्र 32 में है कि कविरंघारिसि =
      (कविर्) परमेश्वर (अंघ) पाप का (अरि) शत्रु (असि) है अर्थात् पाप विनाशक है ईश्वर। बम्भारिसि = (बम्भारि) बन्धन का शत्रु अर्थात् बन्दी छोड़ है परमेश्वर (असि) है।
      यजुर्वेद अध्याय 8 मंत्र 13
      यह बहुत स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि परमात्मा पाप नाश कर सकते हैं। परमात्मा अपने उपासक के पापों का नाश कर देते हैं।
      परमात्मा घोर पाप का भी नाश कर देते हैं। परमात्मा अनजाने में किए गए सभी पापों का भी नाश कर देते हैं। परमात्मा अतीत में किए गए या वर्तमान में किए गए सभी पापों का भी नाश कर देते हैं।
      प्रश्न (क) :- उपर के गद्यांस में वेद वाक्यों के अनुसार ईश्वर अवतार लेते हैं तथा आर्य समाज के अनुसार ईश्वर अवतार नहीं लेते कौन सही है,
      (l) वेदमत या (ll) आर्य मत ?
      प्रश्न (ख) :- क्या दयानंद जी की बात सही है कि ईश्वर निराकार है या वेद की बात सही है कि ईश्वर साकार ( अग्ने तनुर असि) है?
      (l) वेद वाक्य या (lll) दयानंद जी
      (ग) . ईश्वर पाप नाश करते हैं किसने कहा?
      (I) वेद ने (II) दयानंद जी ने
      कृपया उत्तर दें, सही उत्तर देने वाले को ईश्वर के ज्ञान का विशेष उपहार फ्री दिया जायेगा।

    • @anandsharma9892
      @anandsharma9892 2 หลายเดือนก่อน

      @@ashokkumararya6806 साकार और अवतार पर मतदान
      प्रश्न 1:- नीचे दिये गए मिश्रित गद्यांश और पद्यांश को पढ़कर उत्तर दीजिये।
      :- कृप्या पढ़ें ऋग्वेद मण्डल (A) :- 9 सुक्त 1 मंत्र 9 में जो निम्न हैं:-
      अभी इमं अध्न्या उत श्रीणन्ति धेनवः शिशुम्। सोममिन्द्राय पातवे।।9।।
      अभी इमम्-अध्न्या उत श्रीणन्ति धेनवः शिशुम् सोमम् इन्द्राय पातवे।
      (उत) विशेष कर (इमम्) इस (शिशुम्) बालक रूप में प्रकट (सोमम्) पूर्ण परमात्मा अमर प्रभु की (इन्द्राय) सुखदायक सुविधा के लिए जो आवश्यक पदार्थ शरीर की (पातवे) वृद्धि के लिए चाहिए वह पूर्ति (अभी) पूर्ण तरह (अध्न्या धेनवः) जो गाय, सांड द्वारा कभी भी परेशान न की गई हों अर्थात् कुँवारी गायों द्वारा (श्रीणन्ति) परवरिश की जाती है।
      ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 1 मन्त्र 9 में)
      जब परमात्मा दूसरी प्रकार का शरीर धारण करके अर्थात् शिशु रूप धारण करके पृथ्वी पर प्रकट होता है उस समय उनके पालन की लीला कंवारी गौवों द्वारा होती है।
      भावार्थ:- पूर्ण परमात्मा अमर पुरुष जब लीला करता हुआा बालक रूप धारण करके स्वयं प्रकट होता है सुख-सुविधा के लिए जो आवश्यक पदार्थ शरीर वृद्धि के लिए चाहिए वह पूर्ति कुँवारी गायों द्वारा की जाती है अर्थात् उस समय (अध्नि धेनु) कुँवारी गाय अपने आप दूध देती है जिससे उस पूर्ण प्रभु की परवरिश होती है।
      यही प्रमाण पवित्र ‘‘कबीर सागर’’ नामक सद्ग्रंथ में है। जो आदरणीय धर्मदास जी द्वारा लगभग सन् 1500 के आसपास लिखा गया था। कबीर सागर के अध्याय ‘‘ज्ञान सागर‘‘ में पृष्ठ 74 पर लिखा है।
      (B):- ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 96 मंत्र 18
      ऋषिमना य ऋषिकृत्स्वर्षाः सहस्त्रणीथः पदवीः कवीनाम्।
      तृतीयं धाम महिषः सिषासन्त्सोमो विराजमनु राजति ष्टुप्।।18।।
      ऋषिमना य ऋषिकृत् स्वर्षाः सहस्त्राणीथः पदवीः कवीनाम्। तृतीयम् धाम महिषः सिषा सन्त् सोमः विराजमानु राजति स्टुप्।।
      अनुवाद - वेद बोलने वाला ब्रह्म कह रहा है कि (य) जो पूर्ण परमात्मा विलक्षण बच्चे के रूप में आकर (कवीनाम्) प्रसिद्ध कवियों की (पदवीः) उपाधि प्राप्त करके अर्थात् एक संत या ऋषि की भूमिका करता है उस (ऋषिकृत्) संत रूप में प्रकट हुए प्रभु द्वारा रची (सहस्त्राणीथः) हजारों वाणी (ऋषिमना) संत स्वभाव वाले व्यक्तियों अर्थात् भक्तों के लिए (स्वर्षाः) स्वर्ग तुल्य आनन्द दायक होती हैं। (सोम) वह अमर पुरुष अर्थात् सतपुरुष (तृतीया) तीसरे (धाम) मुक्तिलोक अर्थात् सत्यलोक की (महिषः) सुदृढ़ पृथ्वी को (सिषा) स्थापित करके (अनु) पश्चात् (सन्त्) मानव सदृश संत रूप में होता हुआ (स्टुप) गुबंद अर्थात् गुम्बज में उच्चे टिले रूपी सिंहासन पर (विराजमनुराजति) उज्जवल स्थूल आकार में अर्थात् मानव सदृश तेजोमय शरीर में विराजमान है।
      (C) :- परमात्मा पाप नष्ट कर सकता है | यजुर्वेद
      पवित्र यजुर्वेद अध्याय 5 मंत्र 32 में है कि कविरंघारिसि =
      (कविर्) परमेश्वर (अंघ) पाप का (अरि) शत्रु (असि) है अर्थात् पाप विनाशक है ईश्वर। बम्भारिसि = (बम्भारि) बन्धन का शत्रु अर्थात् बन्दी छोड़ है परमेश्वर (असि) है।
      यजुर्वेद अध्याय 8 मंत्र 13
      यह बहुत स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि परमात्मा पाप नाश कर सकते हैं। परमात्मा अपने उपासक के पापों का नाश कर देते हैं।
      परमात्मा घोर पाप का भी नाश कर देते हैं। परमात्मा अनजाने में किए गए सभी पापों का भी नाश कर देते हैं। परमात्मा अतीत में किए गए या वर्तमान में किए गए सभी पापों का भी नाश कर देते हैं।
      प्रश्न (क) :- उपर के गद्यांस में वेद वाक्यों के अनुसार ईश्वर अवतार लेते हैं तथा आर्य समाज के अनुसार ईश्वर अवतार नहीं लेते कौन सही है,
      (l) वेदमत या (ll) आर्य मत ?
      प्रश्न (ख) :- क्या दयानंद जी की बात सही है कि ईश्वर निराकार है या वेद की बात सही है कि ईश्वर साकार ( अग्ने तनुर असि) है?
      (l) वेद वाक्य या (lll) दयानंद जी
      (ग) . ईश्वर पाप नाश करते हैं किसने कहा?
      (I) वेद ने (II) दयानंद जी ने
      कृपया उत्तर दें, सही उत्तर देने वाले को ईश्वर के ज्ञान का विशेष उपहार फ्री दिया जायेगा।

    • @VisheshBadgoti-nw8ir
      @VisheshBadgoti-nw8ir 2 หลายเดือนก่อน +2

      Are bahi kya tum murkh ho
      Vo iswar bhi te bhagwan bhi te aur h

    • @shivanibhooch6182
      @shivanibhooch6182 2 หลายเดือนก่อน +2

      @@VisheshBadgoti-nw8ir थे नहीं है ओर अनंत कल तक रहे गे जीका ना अंत है ना आदि है जी अजन्मा है वो है शिव. 🕉️ नमः शिवाय.

  • @rahulluhach302
    @rahulluhach302 3 หลายเดือนก่อน +3

    हम आपकी राष्ट्रवादी विचारधारा को आगे bhdane का पूरा प्रयास कर रहे है मेने 1 video भी डाली है अपने इस channel पर 🙏🏻🇮🇳🚩

  • @rajeshsinha8228
    @rajeshsinha8228 3 วันที่ผ่านมา

    जो विश्वास यानि belief करता वो वास्तविकता को नहीं मानता, विश्वास कर लेना मतलब भौतिक रूप से प्रत्यक्ष ना होना....

  • @PraveenKumar-go2uy
    @PraveenKumar-go2uy 3 หลายเดือนก่อน +11

    रामभद्राचार्य जी कुछ अच्छा बोला करो जब राम को कृष्ण को मानने वाला ही समाप्त हो रहा है इस दुनिया से तो फिर आप ही कैसे बचोगे उच्च शिक्षा दो भविष्य में जो हिंदू लड़ सके और अपने आप को अपनी बहनों को बेटों को माता को बचा सके भारत माता कोबचा सके

  • @subhadrabhajanmandali83
    @subhadrabhajanmandali83 3 หลายเดือนก่อน +9

    आर्य समाज जिंदा बाद जय हो आर्य समाज कि स्वामी जी को मेरा नमस्कार ❤❤

  • @BhaskarPandeyBhaskarPandey
    @BhaskarPandeyBhaskarPandey 7 วันที่ผ่านมา

    Uchch avastha mein pahunchne ke bad har vyakti Ishwar hi hai Bhagwan

  • @nareshsinghyadav3964
    @nareshsinghyadav3964 3 หลายเดือนก่อน +10

    जय हो जय आर्य समाज

  • @SachinKumar-kp8hc
    @SachinKumar-kp8hc 12 วันที่ผ่านมา

    Bahut sundar

  • @Tejveersingh-o1c
    @Tejveersingh-o1c 3 หลายเดือนก่อน +6

    Mahrshi Dayanand ki Jay

  • @mallikarjunsinghe6062
    @mallikarjunsinghe6062 24 วันที่ผ่านมา +1

    You are correct guruji.

  • @pabitrakumarghadai496
    @pabitrakumarghadai496 3 หลายเดือนก่อน +4

    🙏सादर प्रणाम स्वामीजी महोदय

  • @laxmi_the_mathematician
    @laxmi_the_mathematician 27 วันที่ผ่านมา +2

    सनातन के विद्वानों को आपस में विवाद नहीं करना चाहिए। स्वामी दयानंद सरस्वती निराकार , सर्वशक्तिमान, सर्वाअन्तर्यामी,अजर ,अमर ,नित्य व पवित्र मानते थे। उन्होंने समाज की बहुत सी कुरीतियों का उन्मूलन किया

    • @BhagwanBansal-q1w
      @BhagwanBansal-q1w 18 วันที่ผ่านมา

      सनातन संस्कृति को जो भी आगे बढ़ा रहे हैं बेशक वह मूर्ति पूजा करते हैं ये उन की श्रद्धा है इस पर आर्या समाजी प्रचारकों को मुख्य विषा नहीं बनाना चाहिए।

  • @SanjaykrSingh-ze9wu
    @SanjaykrSingh-ze9wu 2 หลายเดือนก่อน +3

    ईश्वर के दो रूप होते हैं।निराकार और साकार।
    निराकार अंतःकरण का बिषय है और अदृष्य रूप है।
    साकार बाह्य जगत की दृष्य स्वरूप है।दृष्य रूप की पूजा करती है।
    साकार

    • @anandsharma9892
      @anandsharma9892 2 หลายเดือนก่อน

      वेद ईश्वर ने खुद दिये, अपनी जानकारी के लिए। उनमें जो ईश्वर की स्थिति है वह ईश्वर का साक्षात अनुभव है। अब ईश्वर के साक्षात अनुभव के उपर अपना अनुभव क्यों जोड़ो जो काल प्रेरित हो।
      साकार और अवतार पर मतदान
      प्रश्न 1:- नीचे दिये गए मिश्रित गद्यांश और पद्यांश को पढ़कर उत्तर दीजिये।
      :- कृप्या पढ़ें ऋग्वेद मण्डल (A) :- 9 सुक्त 1 मंत्र 9 में जो निम्न हैं:-
      अभी इमं अध्न्या उत श्रीणन्ति धेनवः शिशुम्। सोममिन्द्राय पातवे।।9।।
      अभी इमम्-अध्न्या उत श्रीणन्ति धेनवः शिशुम् सोमम् इन्द्राय पातवे।
      (उत) विशेष कर (इमम्) इस (शिशुम्) बालक रूप में प्रकट (सोमम्) पूर्ण परमात्मा अमर प्रभु की (इन्द्राय) सुखदायक सुविधा के लिए जो आवश्यक पदार्थ शरीर की (पातवे) वृद्धि के लिए चाहिए वह पूर्ति (अभी) पूर्ण तरह (अध्न्या धेनवः) जो गाय, सांड द्वारा कभी भी परेशान न की गई हों अर्थात् कुँवारी गायों द्वारा (श्रीणन्ति) परवरिश की जाती है।
      ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 1 मन्त्र 9 में)
      जब परमात्मा दूसरी प्रकार का शरीर धारण करके अर्थात् शिशु रूप धारण करके पृथ्वी पर प्रकट होता है उस समय उनके पालन की लीला कंवारी गौवों द्वारा होती है।
      भावार्थ:- पूर्ण परमात्मा अमर पुरुष जब लीला करता हुआा बालक रूप धारण करके स्वयं प्रकट होता है सुख-सुविधा के लिए जो आवश्यक पदार्थ शरीर वृद्धि के लिए चाहिए वह पूर्ति कुँवारी गायों द्वारा की जाती है अर्थात् उस समय (अध्नि धेनु) कुँवारी गाय अपने आप दूध देती है जिससे उस पूर्ण प्रभु की परवरिश होती है।
      यही प्रमाण पवित्र ‘‘कबीर सागर’’ नामक सद्ग्रंथ में है। जो आदरणीय धर्मदास जी द्वारा लगभग सन् 1500 के आसपास लिखा गया था। कबीर सागर के अध्याय ‘‘ज्ञान सागर‘‘ में पृष्ठ 74 पर लिखा है।
      (B):- ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 96 मंत्र 18
      ऋषिमना य ऋषिकृत्स्वर्षाः सहस्त्रणीथः पदवीः कवीनाम्।
      तृतीयं धाम महिषः सिषासन्त्सोमो विराजमनु राजति ष्टुप्।।18।।
      ऋषिमना य ऋषिकृत् स्वर्षाः सहस्त्राणीथः पदवीः कवीनाम्। तृतीयम् धाम महिषः सिषा सन्त् सोमः विराजमानु राजति स्टुप्।।
      अनुवाद - वेद बोलने वाला ब्रह्म कह रहा है कि (य) जो पूर्ण परमात्मा विलक्षण बच्चे के रूप में आकर (कवीनाम्) प्रसिद्ध कवियों की (पदवीः) उपाधि प्राप्त करके अर्थात् एक संत या ऋषि की भूमिका करता है उस (ऋषिकृत्) संत रूप में प्रकट हुए प्रभु द्वारा रची (सहस्त्राणीथः) हजारों वाणी (ऋषिमना) संत स्वभाव वाले व्यक्तियों अर्थात् भक्तों के लिए (स्वर्षाः) स्वर्ग तुल्य आनन्द दायक होती हैं। (सोम) वह अमर पुरुष अर्थात् सतपुरुष (तृतीया) तीसरे (धाम) मुक्तिलोक अर्थात् सत्यलोक की (महिषः) सुदृढ़ पृथ्वी को (सिषा) स्थापित करके (अनु) पश्चात् (सन्त्) मानव सदृश संत रूप में होता हुआ (स्टुप) गुबंद अर्थात् गुम्बज में उच्चे टिले रूपी सिंहासन पर (विराजमनुराजति) उज्जवल स्थूल आकार में अर्थात् मानव सदृश तेजोमय शरीर में विराजमान है।
      (C) :- परमात्मा पाप नष्ट कर सकता है | यजुर्वेद
      पवित्र यजुर्वेद अध्याय 5 मंत्र 32 में है कि कविरंघारिसि =
      (कविर्) परमेश्वर (अंघ) पाप का (अरि) शत्रु (असि) है अर्थात् पाप विनाशक है ईश्वर। बम्भारिसि = (बम्भारि) बन्धन का शत्रु अर्थात् बन्दी छोड़ है परमेश्वर (असि) है।
      यजुर्वेद अध्याय 8 मंत्र 13
      यह बहुत स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि परमात्मा पाप नाश कर सकते हैं। परमात्मा अपने उपासक के पापों का नाश कर देते हैं।
      परमात्मा घोर पाप का भी नाश कर देते हैं। परमात्मा अनजाने में किए गए सभी पापों का भी नाश कर देते हैं। परमात्मा अतीत में किए गए या वर्तमान में किए गए सभी पापों का भी नाश कर देते हैं।
      प्रश्न (क) :- उपर के गद्यांस में वेद वाक्यों के अनुसार ईश्वर अवतार लेते हैं तथा आर्य समाज के अनुसार ईश्वर अवतार नहीं लेते कौन सही है,
      (l) वेदमत या (ll) आर्य मत ?
      प्रश्न (ख) :- क्या दयानंद जी की बात सही है कि ईश्वर निराकार है या वेद की बात सही है कि ईश्वर साकार ( अग्ने तनुर असि) है?
      (l) वेद वाक्य या (lll) दयानंद जी
      (ग) . ईश्वर पाप नाश करते हैं किसने कहा?
      (I) वेद ने (II) दयानंद जी ने
      कृपया उत्तर दें, सही उत्तर देने वाले को ईश्वर के ज्ञान का विशेष उपहार फ्री दिया जायेगा।

  • @jassychauhan7
    @jassychauhan7 6 วันที่ผ่านมา

    वेदों में ईश्वर है ये ही सत्य है
    क्योंकि वेद गुरु परंपरा से चले आ रहे ओर परंपरा कहती है ईश्वर है । क्योंकि जिनकी धरोहर है वो शुरू से ईश्वर को साकार ओर निराकर रूप में बता ते आए है । महर्षि दयानंद सरस्वती का हम पूरा सम्मान करते है । मगर उन्होंने ये स्वीकार क्यों नहीं क्या ये सब जानते वो उनका ईश्वर के प्रति गुस्सा क्यों गुस्सा क्योंकि जब उन्होंने उन्हें देखना चाहा तो वो नहीं आए उनके बचपन में महादेव को लेकर जो घटना घटी उसी गुस्से को उन्होंने लोगों को भटका कर क्या

  • @satyavirsingh9326
    @satyavirsingh9326 3 หลายเดือนก่อน +20

    महर्षि दयानंद सरस्वती जी जय हो वैदिक ही सत्य है

    • @anandsharma9892
      @anandsharma9892 2 หลายเดือนก่อน

      साकार और अवतार पर मतदान
      प्रश्न 1:- नीचे दिये गए मिश्रित गद्यांश और पद्यांश को पढ़कर उत्तर दीजिये।
      :- कृप्या पढ़ें ऋग्वेद मण्डल (A) :- 9 सुक्त 1 मंत्र 9 में जो निम्न हैं:-
      अभी इमं अध्न्या उत श्रीणन्ति धेनवः शिशुम्। सोममिन्द्राय पातवे।।9।।
      अभी इमम्-अध्न्या उत श्रीणन्ति धेनवः शिशुम् सोमम् इन्द्राय पातवे।
      (उत) विशेष कर (इमम्) इस (शिशुम्) बालक रूप में प्रकट (सोमम्) पूर्ण परमात्मा अमर प्रभु की (इन्द्राय) सुखदायक सुविधा के लिए जो आवश्यक पदार्थ शरीर की (पातवे) वृद्धि के लिए चाहिए वह पूर्ति (अभी) पूर्ण तरह (अध्न्या धेनवः) जो गाय, सांड द्वारा कभी भी परेशान न की गई हों अर्थात् कुँवारी गायों द्वारा (श्रीणन्ति) परवरिश की जाती है।
      ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 1 मन्त्र 9 में)
      जब परमात्मा दूसरी प्रकार का शरीर धारण करके अर्थात् शिशु रूप धारण करके पृथ्वी पर प्रकट होता है उस समय उनके पालन की लीला कंवारी गौवों द्वारा होती है।
      भावार्थ:- पूर्ण परमात्मा अमर पुरुष जब लीला करता हुआा बालक रूप धारण करके स्वयं प्रकट होता है सुख-सुविधा के लिए जो आवश्यक पदार्थ शरीर वृद्धि के लिए चाहिए वह पूर्ति कुँवारी गायों द्वारा की जाती है अर्थात् उस समय (अध्नि धेनु) कुँवारी गाय अपने आप दूध देती है जिससे उस पूर्ण प्रभु की परवरिश होती है।
      यही प्रमाण पवित्र ‘‘कबीर सागर’’ नामक सद्ग्रंथ में है। जो आदरणीय धर्मदास जी द्वारा लगभग सन् 1500 के आसपास लिखा गया था। कबीर सागर के अध्याय ‘‘ज्ञान सागर‘‘ में पृष्ठ 74 पर लिखा है।
      (B):- ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 96 मंत्र 18
      ऋषिमना य ऋषिकृत्स्वर्षाः सहस्त्रणीथः पदवीः कवीनाम्।
      तृतीयं धाम महिषः सिषासन्त्सोमो विराजमनु राजति ष्टुप्।।18।।
      ऋषिमना य ऋषिकृत् स्वर्षाः सहस्त्राणीथः पदवीः कवीनाम्। तृतीयम् धाम महिषः सिषा सन्त् सोमः विराजमानु राजति स्टुप्।।
      अनुवाद - वेद बोलने वाला ब्रह्म कह रहा है कि (य) जो पूर्ण परमात्मा विलक्षण बच्चे के रूप में आकर (कवीनाम्) प्रसिद्ध कवियों की (पदवीः) उपाधि प्राप्त करके अर्थात् एक संत या ऋषि की भूमिका करता है उस (ऋषिकृत्) संत रूप में प्रकट हुए प्रभु द्वारा रची (सहस्त्राणीथः) हजारों वाणी (ऋषिमना) संत स्वभाव वाले व्यक्तियों अर्थात् भक्तों के लिए (स्वर्षाः) स्वर्ग तुल्य आनन्द दायक होती हैं। (सोम) वह अमर पुरुष अर्थात् सतपुरुष (तृतीया) तीसरे (धाम) मुक्तिलोक अर्थात् सत्यलोक की (महिषः) सुदृढ़ पृथ्वी को (सिषा) स्थापित करके (अनु) पश्चात् (सन्त्) मानव सदृश संत रूप में होता हुआ (स्टुप) गुबंद अर्थात् गुम्बज में उच्चे टिले रूपी सिंहासन पर (विराजमनुराजति) उज्जवल स्थूल आकार में अर्थात् मानव सदृश तेजोमय शरीर में विराजमान है।
      (C) :- परमात्मा पाप नष्ट कर सकता है | यजुर्वेद
      पवित्र यजुर्वेद अध्याय 5 मंत्र 32 में है कि कविरंघारिसि =
      (कविर्) परमेश्वर (अंघ) पाप का (अरि) शत्रु (असि) है अर्थात् पाप विनाशक है ईश्वर। बम्भारिसि = (बम्भारि) बन्धन का शत्रु अर्थात् बन्दी छोड़ है परमेश्वर (असि) है।
      यजुर्वेद अध्याय 8 मंत्र 13
      यह बहुत स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि परमात्मा पाप नाश कर सकते हैं। परमात्मा अपने उपासक के पापों का नाश कर देते हैं।
      परमात्मा घोर पाप का भी नाश कर देते हैं। परमात्मा अनजाने में किए गए सभी पापों का भी नाश कर देते हैं। परमात्मा अतीत में किए गए या वर्तमान में किए गए सभी पापों का भी नाश कर देते हैं।
      प्रश्न (क) :- उपर के गद्यांस में वेद वाक्यों के अनुसार ईश्वर अवतार लेते हैं तथा आर्य समाज के अनुसार ईश्वर अवतार नहीं लेते कौन सही है,
      (l) वेदमत या (ll) आर्य मत ?
      प्रश्न (ख) :- क्या दयानंद जी की बात सही है कि ईश्वर निराकार है या वेद की बात सही है कि ईश्वर साकार ( अग्ने तनुर असि) है?
      (l) वेद वाक्य या (lll) दयानंद जी
      (ग) . ईश्वर पाप नाश करते हैं किसने कहा?
      (I) वेद ने (II) दयानंद जी ने
      कृपया उत्तर दें, सही उत्तर देने वाले को ईश्वर के ज्ञान का विशेष उपहार फ्री दिया जायेगा।

  • @venkateshhg2564
    @venkateshhg2564 28 วันที่ผ่านมา

    Great lecture on vedas . Amazing you suppose to take forward Aryasamaj on faster pace in this Digital media.

  • @YogeshSahu-qq5on
    @YogeshSahu-qq5on 15 วันที่ผ่านมา +4

    मैंने सत्यार्थ प्रकाश पढ़ा है परम पूज्य श्री दयानंद सरस्वती जी महाराज का एक एक शब्द परम सत्य है

  • @MithleshLodhi-s5g
    @MithleshLodhi-s5g หลายเดือนก่อน +1

    Satya sanatan Vedic Dharam Ki Jay Mariayada Purushottam.
    Siri Ram chandr Maharaj ki Jay, Yogiraj Siri Krishan Maharaj ki Jay Arya samaj Amar Rahe ved ki Jyoti jalati Rahe OM ka jhanda Uchaa rahe

  • @ramsinghchauhan1936
    @ramsinghchauhan1936 3 หลายเดือนก่อน +14

    मैं स्वयं भी 5 साल तक आर्य समाज मंदिर में रहा हूं ऐसी बात और ऐसा शब्द कहीं नहीं है कि राम को और कृष्ण को नहीं मानते हैं जयकारे भी लगाते हैं मर्यादा पुरुषोत्तम राम चन्द्र की जय कितनी बड़ी बात यह कि गऊ माता की जय सभी संतों की जय मैं आर्यरामभद्राचार्य जी का भी सम्मान करता हूं मगर आर्य समाज के विषय ये टिप्पणी उन्होंने गलत कि है।

    • @anandsharma9892
      @anandsharma9892 2 หลายเดือนก่อน

      @@ramsinghchauhan1936 आपने जयगुरुदेव जी की फोटो लगाई है।
      बताओ शाकाहरी पत्रिका 7 सितंबर 1971 में जय गुरुदेव ने कहा था कि जो सब संसार को ज्ञान देगा वह महापुरुष आज 20 बर्ष का हो गया।
      बताओ कौन 1951 में जन्म लिए थे।
      साकार और अवतार पर मतदान
      प्रश्न 1:- नीचे दिये गए मिश्रित गद्यांश और पद्यांश को पढ़कर उत्तर दीजिये।
      :- कृप्या पढ़ें ऋग्वेद मण्डल (A) :- 9 सुक्त 1 मंत्र 9 में जो निम्न हैं:-
      अभी इमं अध्न्या उत श्रीणन्ति धेनवः शिशुम्। सोममिन्द्राय पातवे।।9।।
      अभी इमम्-अध्न्या उत श्रीणन्ति धेनवः शिशुम् सोमम् इन्द्राय पातवे।
      (उत) विशेष कर (इमम्) इस (शिशुम्) बालक रूप में प्रकट (सोमम्) पूर्ण परमात्मा अमर प्रभु की (इन्द्राय) सुखदायक सुविधा के लिए जो आवश्यक पदार्थ शरीर की (पातवे) वृद्धि के लिए चाहिए वह पूर्ति (अभी) पूर्ण तरह (अध्न्या धेनवः) जो गाय, सांड द्वारा कभी भी परेशान न की गई हों अर्थात् कुँवारी गायों द्वारा (श्रीणन्ति) परवरिश की जाती है।
      ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 1 मन्त्र 9 में)
      जब परमात्मा दूसरी प्रकार का शरीर धारण करके अर्थात् शिशु रूप धारण करके पृथ्वी पर प्रकट होता है उस समय उनके पालन की लीला कंवारी गौवों द्वारा होती है।
      भावार्थ:- पूर्ण परमात्मा अमर पुरुष जब लीला करता हुआा बालक रूप धारण करके स्वयं प्रकट होता है सुख-सुविधा के लिए जो आवश्यक पदार्थ शरीर वृद्धि के लिए चाहिए वह पूर्ति कुँवारी गायों द्वारा की जाती है अर्थात् उस समय (अध्नि धेनु) कुँवारी गाय अपने आप दूध देती है जिससे उस पूर्ण प्रभु की परवरिश होती है।
      यही प्रमाण पवित्र ‘‘कबीर सागर’’ नामक सद्ग्रंथ में है। जो आदरणीय धर्मदास जी द्वारा लगभग सन् 1500 के आसपास लिखा गया था। कबीर सागर के अध्याय ‘‘ज्ञान सागर‘‘ में पृष्ठ 74 पर लिखा है।
      (B):- ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 96 मंत्र 18
      ऋषिमना य ऋषिकृत्स्वर्षाः सहस्त्रणीथः पदवीः कवीनाम्।
      तृतीयं धाम महिषः सिषासन्त्सोमो विराजमनु राजति ष्टुप्।।18।।
      ऋषिमना य ऋषिकृत् स्वर्षाः सहस्त्राणीथः पदवीः कवीनाम्। तृतीयम् धाम महिषः सिषा सन्त् सोमः विराजमानु राजति स्टुप्।।
      अनुवाद - वेद बोलने वाला ब्रह्म कह रहा है कि (य) जो पूर्ण परमात्मा विलक्षण बच्चे के रूप में आकर (कवीनाम्) प्रसिद्ध कवियों की (पदवीः) उपाधि प्राप्त करके अर्थात् एक संत या ऋषि की भूमिका करता है उस (ऋषिकृत्) संत रूप में प्रकट हुए प्रभु द्वारा रची (सहस्त्राणीथः) हजारों वाणी (ऋषिमना) संत स्वभाव वाले व्यक्तियों अर्थात् भक्तों के लिए (स्वर्षाः) स्वर्ग तुल्य आनन्द दायक होती हैं। (सोम) वह अमर पुरुष अर्थात् सतपुरुष (तृतीया) तीसरे (धाम) मुक्तिलोक अर्थात् सत्यलोक की (महिषः) सुदृढ़ पृथ्वी को (सिषा) स्थापित करके (अनु) पश्चात् (सन्त्) मानव सदृश संत रूप में होता हुआ (स्टुप) गुबंद अर्थात् गुम्बज में उच्चे टिले रूपी सिंहासन पर (विराजमनुराजति) उज्जवल स्थूल आकार में अर्थात् मानव सदृश तेजोमय शरीर में विराजमान है।
      (C) :- परमात्मा पाप नष्ट कर सकता है | यजुर्वेद
      पवित्र यजुर्वेद अध्याय 5 मंत्र 32 में है कि कविरंघारिसि =
      (कविर्) परमेश्वर (अंघ) पाप का (अरि) शत्रु (असि) है अर्थात् पाप विनाशक है ईश्वर। बम्भारिसि = (बम्भारि) बन्धन का शत्रु अर्थात् बन्दी छोड़ है परमेश्वर (असि) है।
      यजुर्वेद अध्याय 8 मंत्र 13
      यह बहुत स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि परमात्मा पाप नाश कर सकते हैं। परमात्मा अपने उपासक के पापों का नाश कर देते हैं।
      परमात्मा घोर पाप का भी नाश कर देते हैं। परमात्मा अनजाने में किए गए सभी पापों का भी नाश कर देते हैं। परमात्मा अतीत में किए गए या वर्तमान में किए गए सभी पापों का भी नाश कर देते हैं।
      प्रश्न (क) :- उपर के गद्यांस में वेद वाक्यों के अनुसार ईश्वर अवतार लेते हैं तथा आर्य समाज के अनुसार ईश्वर अवतार नहीं लेते कौन सही है,
      (l) वेदमत या (ll) आर्य मत ?
      प्रश्न (ख) :- क्या दयानंद जी की बात सही है कि ईश्वर निराकार है या वेद की बात सही है कि ईश्वर साकार ( अग्ने तनुर असि) है?
      (l) वेद वाक्य या (lll) दयानंद जी
      (ग) . ईश्वर पाप नाश करते हैं किसने कहा?
      (I) वेद ने (II) दयानंद जी ने
      कृपया उत्तर दें, सही उत्तर देने वाले को ईश्वर के ज्ञान का विशेष उपहार फ्री दिया जायेगा।

  • @TulsiAzad-xv9sm
    @TulsiAzad-xv9sm 11 วันที่ผ่านมา

    राम भद्राचार्य जी अपना वक्तव्य बदलते रहते हैं हा जबकी संत को स्थिर रहना चाहिए

  • @suresharya2138
    @suresharya2138 3 หลายเดือนก่อน +3

    Maha Rishi Dav Daya Nand Ki Jai,,,, Arya Samaj Amar Raha,,,,, Ved ki Joti Jalati Raha

  • @sochbharatkiho
    @sochbharatkiho 28 วันที่ผ่านมา

    आपके विचार बहुत अच्छे हैं ।

  • @omkareswaranandswamiji576
    @omkareswaranandswamiji576 2 หลายเดือนก่อน +3

    जय जय श्री राधे कृष्ण
    पाखंडी है रामभद्राचार्य ये न राम को जानता है न रामायण को न श्री राम भक्ति को, ऐसे पाखंडियों ने ही हिन्दू के हिन्दुत्व की गलत व्याख्या कर जाति वाद पार्टी वाद पाखंड वाद और तथाकथित धार्मिक उन्माद फैलाया है हिन्दुत्व की रक्षा हेतु इसको बहिष्कृत और दण्डित करना अनिवार्य है।

  • @dayashankartripathi39
    @dayashankartripathi39 23 วันที่ผ่านมา

    🎉 महर्षि दयानंद ने वेद को माना। जय हो दयानंद सरस्वती। विवाद ठीक नहीं है।

  • @narnarayanverma1728
    @narnarayanverma1728 หลายเดือนก่อน +11

    महर्षि दयानंद सरस्वती का सबसे महत्वपूर्ण कार्य मूर्ति पूजा का जोरदार तार्किक खंडन है
    मूर्ति पूजा पंडे पुजारियों की कमाई का साधन मात्र हैं

    • @amanagarwal6057
      @amanagarwal6057 16 วันที่ผ่านมา

      Tumhare liye hogi. Lekin jab tak duniya rahegi koi nahi mita sakta hasti humari. Jai Sanatan Dharma

  • @GURULetsFACT
    @GURULetsFACT 3 หลายเดือนก่อน

    Wah sawami ji wah apne bahut achchhi. Paribhasha di hai bhagwan apko khush rakkhe aur aryasamaj ki unnati kare

  • @ramsanehijariya9888
    @ramsanehijariya9888 2 หลายเดือนก่อน +4

    आप धन्य हैं स्वामी जी सूरदास जी आप से शाश्त्रों में नहीं जीत सकते हैं

    • @anandsharma9892
      @anandsharma9892 2 หลายเดือนก่อน

      @@ramsanehijariya9888 साकार और अवतार पर मतदान
      प्रश्न 1:- नीचे दिये गए मिश्रित गद्यांश और पद्यांश को पढ़कर उत्तर दीजिये।
      :- कृप्या पढ़ें ऋग्वेद मण्डल (A) :- 9 सुक्त 1 मंत्र 9 में जो निम्न हैं:-
      अभी इमं अध्न्या उत श्रीणन्ति धेनवः शिशुम्। सोममिन्द्राय पातवे।।9।।
      अभी इमम्-अध्न्या उत श्रीणन्ति धेनवः शिशुम् सोमम् इन्द्राय पातवे।
      (उत) विशेष कर (इमम्) इस (शिशुम्) बालक रूप में प्रकट (सोमम्) पूर्ण परमात्मा अमर प्रभु की (इन्द्राय) सुखदायक सुविधा के लिए जो आवश्यक पदार्थ शरीर की (पातवे) वृद्धि के लिए चाहिए वह पूर्ति (अभी) पूर्ण तरह (अध्न्या धेनवः) जो गाय, सांड द्वारा कभी भी परेशान न की गई हों अर्थात् कुँवारी गायों द्वारा (श्रीणन्ति) परवरिश की जाती है।
      ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 1 मन्त्र 9 में)
      जब परमात्मा दूसरी प्रकार का शरीर धारण करके अर्थात् शिशु रूप धारण करके पृथ्वी पर प्रकट होता है उस समय उनके पालन की लीला कंवारी गौवों द्वारा होती है।
      भावार्थ:- पूर्ण परमात्मा अमर पुरुष जब लीला करता हुआा बालक रूप धारण करके स्वयं प्रकट होता है सुख-सुविधा के लिए जो आवश्यक पदार्थ शरीर वृद्धि के लिए चाहिए वह पूर्ति कुँवारी गायों द्वारा की जाती है अर्थात् उस समय (अध्नि धेनु) कुँवारी गाय अपने आप दूध देती है जिससे उस पूर्ण प्रभु की परवरिश होती है।
      यही प्रमाण पवित्र ‘‘कबीर सागर’’ नामक सद्ग्रंथ में है। जो आदरणीय धर्मदास जी द्वारा लगभग सन् 1500 के आसपास लिखा गया था। कबीर सागर के अध्याय ‘‘ज्ञान सागर‘‘ में पृष्ठ 74 पर लिखा है।
      (B):- ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 96 मंत्र 18
      ऋषिमना य ऋषिकृत्स्वर्षाः सहस्त्रणीथः पदवीः कवीनाम्।
      तृतीयं धाम महिषः सिषासन्त्सोमो विराजमनु राजति ष्टुप्।।18।।
      ऋषिमना य ऋषिकृत् स्वर्षाः सहस्त्राणीथः पदवीः कवीनाम्। तृतीयम् धाम महिषः सिषा सन्त् सोमः विराजमानु राजति स्टुप्।।
      अनुवाद - वेद बोलने वाला ब्रह्म कह रहा है कि (य) जो पूर्ण परमात्मा विलक्षण बच्चे के रूप में आकर (कवीनाम्) प्रसिद्ध कवियों की (पदवीः) उपाधि प्राप्त करके अर्थात् एक संत या ऋषि की भूमिका करता है उस (ऋषिकृत्) संत रूप में प्रकट हुए प्रभु द्वारा रची (सहस्त्राणीथः) हजारों वाणी (ऋषिमना) संत स्वभाव वाले व्यक्तियों अर्थात् भक्तों के लिए (स्वर्षाः) स्वर्ग तुल्य आनन्द दायक होती हैं। (सोम) वह अमर पुरुष अर्थात् सतपुरुष (तृतीया) तीसरे (धाम) मुक्तिलोक अर्थात् सत्यलोक की (महिषः) सुदृढ़ पृथ्वी को (सिषा) स्थापित करके (अनु) पश्चात् (सन्त्) मानव सदृश संत रूप में होता हुआ (स्टुप) गुबंद अर्थात् गुम्बज में उच्चे टिले रूपी सिंहासन पर (विराजमनुराजति) उज्जवल स्थूल आकार में अर्थात् मानव सदृश तेजोमय शरीर में विराजमान है।
      (C) :- परमात्मा पाप नष्ट कर सकता है | यजुर्वेद
      पवित्र यजुर्वेद अध्याय 5 मंत्र 32 में है कि कविरंघारिसि =
      (कविर्) परमेश्वर (अंघ) पाप का (अरि) शत्रु (असि) है अर्थात् पाप विनाशक है ईश्वर। बम्भारिसि = (बम्भारि) बन्धन का शत्रु अर्थात् बन्दी छोड़ है परमेश्वर (असि) है।
      यजुर्वेद अध्याय 8 मंत्र 13
      यह बहुत स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि परमात्मा पाप नाश कर सकते हैं। परमात्मा अपने उपासक के पापों का नाश कर देते हैं।
      परमात्मा घोर पाप का भी नाश कर देते हैं। परमात्मा अनजाने में किए गए सभी पापों का भी नाश कर देते हैं। परमात्मा अतीत में किए गए या वर्तमान में किए गए सभी पापों का भी नाश कर देते हैं।
      प्रश्न (क) :- उपर के गद्यांस में वेद वाक्यों के अनुसार ईश्वर अवतार लेते हैं तथा आर्य समाज के अनुसार ईश्वर अवतार नहीं लेते कौन सही है,
      (l) वेदमत या (ll) आर्य मत ?
      प्रश्न (ख) :- क्या दयानंद जी की बात सही है कि ईश्वर निराकार है या वेद की बात सही है कि ईश्वर साकार ( अग्ने तनुर असि) है?
      (l) वेद वाक्य या (lll) दयानंद जी
      (ग) . ईश्वर पाप नाश करते हैं किसने कहा?
      (I) वेद ने (II) दयानंद जी ने
      कृपया उत्तर दें, सही उत्तर देने वाले को ईश्वर के ज्ञान का विशेष उपहार फ्री दिया जायेगा।

  • @NivruttiJore
    @NivruttiJore หลายเดือนก่อน

    अंदर बाहरसें....संधीप्रा......जय श्रीराम.

  • @spiritedsprout
    @spiritedsprout 3 หลายเดือนก่อน +5

    महाराज जी, स्वामी रामभादराचार्य जी ने कर भी दी कथा तो कौनसा पहाड़ टूट जायेगा। किसी माध्यम से आपस मे जुड़े रहना तो है ही आवश्यक।

  • @shriramyadav7920
    @shriramyadav7920 14 วันที่ผ่านมา

    चौपाई. राम चंद्र प्रभु नित बलरामा. प्रभु सर्वोच्च कृष्ण भगवाना. अन्य राम झूठे पहचाना. बंधे त्रिगुण में ही नित माना. जय जय कार कृष्ण बलरामा. सर्वोपरि परम् भगवाना. झूठ शंकरा चार्य बखाना. संबिधान नासी पहचाना. धन्यवाद. 🌹🙏.

  • @ZEE45816
    @ZEE45816 3 หลายเดือนก่อน +3

    शुद्धि आन्दोलन स्वामी दयानन्द ने चलाया ये तो तुमको पता है पर तुमको ये नहीं पता की स्वामी रामानन्द जी ने परावर्तन संस्कार चला कर अनेक मुसलमानों को वापस सनातन धर्म में लाए दयानन्द से बहुत पहले

  • @ParvitaSingh-j3q
    @ParvitaSingh-j3q 2 หลายเดือนก่อน

    महर्षि दयानन्द युगप्रवर्तक और सनातन के सच्चे योद्धा है अमर है

  • @VidehMaharaj
    @VidehMaharaj 2 หลายเดือนก่อน +5

    ये सनातनी समाज न तो कभी आर्यसमाजियों के अनुसार न चला है न चलेगा यह कटु सत्य है

  • @ChranVishkarma-u2c
    @ChranVishkarma-u2c 28 วันที่ผ่านมา

    धरती मानब, से है आदि मानव से

  • @kaviKabir.
    @kaviKabir. 3 หลายเดือนก่อน +2

    अनंत ब्रह्मांड को चलाने वाला अगर धरती पर अवतरित हो गया तो फिर वहां कौन चलाएगा😂😂😂 अपनी छोटी सोच से ईश्वर को समझो.... वहां का क्या मतलब है और अगर ईश्वर इतना ताकत वर नहीं है तो वो ईश्वर नही है

    • @Itz_adarshshukla_98765
      @Itz_adarshshukla_98765 2 หลายเดือนก่อน

      Woh khud ko anek roop m bna skta h murkh ye smjh pehle

  • @himalayan_map
    @himalayan_map 3 หลายเดือนก่อน +3

    Jai Arya samaj 😊

  • @bechanjaiswal6983
    @bechanjaiswal6983 ชั่วโมงที่ผ่านมา

    सत्य को नकारता नहीं, यदि कोई ज्ञानी नकारता है तो कुछ संसय या कल्पना है तो ही नकारेगा,
    ईश्वर या अवतार वाद को कयी महा पुरुष, ज्ञानी लोग नकारें है

  • @ajaysaini8759
    @ajaysaini8759 3 หลายเดือนก่อน +4

    स्वामी जी आपका मैं बहुत आदर करता हूं किंतु आप सनातन की सभी परंपराओं को जानने की कोशिश करें

  • @BhagwanBansal-q1w
    @BhagwanBansal-q1w 18 วันที่ผ่านมา

    राम जी को आदर्श पिता कहते कहते आगे चले गए।

  • @avadheshrai4611
    @avadheshrai4611 3 หลายเดือนก่อน +9

    रामभद्राचार्य जी माफीमांगे

  • @krishna9482
    @krishna9482 หลายเดือนก่อน

    आप भी सनातनियों को बांटने की बात ही कर रहे हैं किसी प्रकार से सनातन के लोग एक दूसरे के साथ जुड़ने के लिए प्रयास करना सुरू हुआ है क्षमायाचना चाहता हूं

  • @haripalsingh454
    @haripalsingh454 12 วันที่ผ่านมา

    तर्क से भगवत प्राप्ति नहीं हो सकती हैं जहाँ विस्वास है वहीं ईश्वर है दयानंद सरस्वती जी महराज ईश्वर को कण कण में देखा ईश्वर को तर्क से प्राप्त नहीं किया जा सकता राम जी कृष्ण जी के जीवन को जीना ही जीवन जीवन है जय श्री राम जय श्री राधा कृष्ण

  • @vinaypandey5038
    @vinaypandey5038 3 หลายเดือนก่อน +10

    उनके लिए रामभद्राचार्य जी और आप एक ही हो.. हिन्दू..
    जब वह काटने पर आएंगे तो आपको सलाम नहीं करेंगे....
    आपस में गणउ-ग़दर बंद करिये..
    स्वामी दयानन्द का व्यक्तित्व इतना छोटा नहीं है की किसी के कुछ कहने से मलिन हो जाएगा....
    इतनी कठोरता ठीक नहीं है.... आर्य समाज को इस्लाम न बनाइये

    • @anandsharma9892
      @anandsharma9892 2 หลายเดือนก่อน

      @@vinaypandey5038 वह खुद आपस में लड़ मर रहे हैं और यह लोग भी।
      जी
      साहेब ने 600 साल पहले ही कहा था कि जब :-
      कलयुग बीते पचपन सौ पाँचा,
      तब मेरा बचन होगा साँचा।
      तेरहवें वंश हम ही चल आवें,
      सब पंथ मिटा एक पंथ चलावें।
      (कबीर सागर जो कि धर्मदास जी ने 600 साल पहले लिखा, उससे यह प्रमाणित है, आज 5505 + ही चल रहा है कलयुग)
      कलयुग 5505 बीत जायेगा तब संत कबीर जी स्वयम आकर सारी दुनिया को कबीर मार्ग पर लगा देंगे। दुनिया में एक ईश्वर एक भक्ति और एक धर्म वही करेंगे। कबीर सागर में बोल कर लिखा दिया।
      अपने पास रखी गीता जी में आज की संध्या /भक्ति/नियम करते समय जरूर देखिये अद्भुत रहस्य:-
      गीता अध्याय :-
      अध्याय श्लोक
      👇 👇
      10 श्लोक 2 :- ऋषियों की स्थिति
      4 श्लोक 34:- तत्वदर्शी संत की महिमा
      15 श्लोक 1 :- तत्वदर्शी संत की पहिचान
      18 श्लोक 46:- सबसे बड़े ईश्वर की महिमा
      16 श्लोक 34 :- शास्त्र विधि से हटने से
      नुकसान
      7श्लोक 23,29 :- देवताओं और गीता ज्ञान
      दाता के आगे
      9 श्लोक 21 :- महास्वर्गों से बापस आने
      का प्रमाण
      8 श्लोक 13 :- ओम् मंत्र बृह्म का जो
      पूर्ण नहीं
      17 श्लोक 23 :- इसमें पूर्ण परमात्मा का
      मंत्र
      जो केवल तत्वदर्शी संत बताएगा
      नोट :- आत्मा परमात्मा में विलीन नहीं होगी
      क्योंकि यह वेद या गीता शास्त्र में
      कहीं नहीं लिखा
      ऐसे गहरे रहस्य शास्त्रों से जानने और ज्ञान गंगा बुक मंगाने के लिए
      पूरा पता :-
      मोबाइल नम्बर :-
      हमें कमेंट में लिखकर भेजिये
      #गीता_तेरा_ज्ञान_अमृत (रामपाल जी संकलन कर्ता हैं)

    • @ravimohan1998
      @ravimohan1998 2 หลายเดือนก่อน

      जो हिंदू को पाखंड और अंधविश्वास की तरफ ले जाए वो ही इस्लाम और बाहर से आए लोगों ने किया

  • @SShendge-j2x
    @SShendge-j2x 22 วันที่ผ่านมา

    अंध भक्त बुद्धी हिन माणव होते हैं.. सोचने समझ ने की शमता खतम कर दि पाखंडी लोगो ने...❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤

  • @PraveenKumar-go2uy
    @PraveenKumar-go2uy 3 หลายเดือนก่อน +3

    रामभद्राचार्य गुरु वह होता है जो अपने शिक्षकों को अपने राष्ट्र के लिए एकदम तक पर खड़ा रहने को बोलता है आप तो जरा सा भी नहीं बोलते जैसे हिंदू अफगानिस्तान से मिटा नहीं बोले बांग्लादेश से मिट्टी रहा है नहीं बोल रहे कश्मीर से मिटा नहीं बोले पाकिस्तान बना मिटा मिटा नहीं बोले

    • @RamPrakash-wy5nd
      @RamPrakash-wy5nd 3 หลายเดือนก่อน

      इसलिए नहीं बोले फतवा जारी कर दिया जाएगा