बिल्कुल सही कहा आपने दिल से धन्यवाद।पाप न लग जाए आपको भी गुरु की संतों की, शास्त्रों की,वेदों-पुराणो में कही गई झूंठी बातो को न मानने के लिए पाप से आपको डर नहीं लगता , मुझे तो लगता है पर मानता किसी की नहीं चाहे विज्ञान ही क्यों न हो।जैसे बंदर हमारे पूर्वज हैं तो मनुष्य बंदर आज भी मौजूद है सारे जीव मौजूद है फिर बंदर से एक भी मनुष्य अभी तक तो नहीं बना क्यों ॽ।कैसे मानू
@@swamianandbhartiya6241 नबी के बाद "गुरु नानक देव" जी आये,जिनके कारण "सिक्ख धर्म" है । इसलिए अंतिम नबी का राग अलापना जाकिर नाईक की तरह बन्द कर दें ।। रामायण में 1443 बार राम का नाम आया है,बाइबिल में 23 बार राम का नाम आया है, गुरु ग्रन्थ साहिब में 9258 बार राम का नाम आया है । कुरान में एक बार भी राम का नाम नहीं आया है,इसीलिए एवं अनेक कारणो से "अली सीना" ने USA में जाकर एक किताब Understanding Mohammad लिखी । इस किताब को Google से download किया जा सकता है । इस किताब को पढ़े,तब मोहम्मद की वास्तविकता पता चलती है । बिना पढ़े Cross reply ना दें ,क्योंकि आखिरत में "राम" ही "काल्कि-अवतार" लेकर आयेंगे एवं सभी मनुष्यो का कल्याण करेंगें,इस बात को डा जाकिर नाईक साहित कई अन्य बड़े आलिम भी स्वीकार करते है ।। आखिरत का Concept केवल मुसलमानों पर लागू होता है,क्योंकि नबी मोहम्मद ने ही इस्लाम को सर्वाधिक चोट पहुँचायी है ।।
@@SunderLal-vi1kj नबी के बाद "गुरु नानक देव" जी आये,जिनके कारण "सिक्ख धर्म" है । इसलिए अंतिम नबी का राग अलापना जाकिर नाईक की तरह बन्द कर दें ।। रामायण में 1443 बार राम का नाम आया है,बाइबिल में 23 बार राम का नाम आया है, गुरु ग्रन्थ साहिब में 9258 बार राम का नाम आया है । कुरान में एक बार भी राम का नाम नहीं आया है,इसीलिए एवं अनेक कारणो से "अली सीना" ने USA में जाकर एक किताब Understanding Mohammad लिखी । इस किताब को Google से download किया जा सकता है । इस किताब को पढ़े,तब मोहम्मद की वास्तविकता पता चलती है । बिना पढ़े Cross reply ना दें ,क्योंकि आखिरत में "राम" ही "काल्कि-अवतार" लेकर आयेंगे एवं सभी मनुष्यो का कल्याण करेंगें,इस बात को डा जाकिर नाईक साहित कई अन्य बड़े आलिम भी स्वीकार करते है ।। आखिरत का Concept केवल मुसलमानों पर लागू होता है,क्योंकि नबी मोहम्मद ने ही इस्लाम को सर्वाधिक चोट पहुँचायी है ।।
@@prakashbhikajighewande1784 नबी के बाद "गुरु नानक देव" जी आये,जिनके कारण "सिक्ख धर्म" है । इसलिए अंतिम नबी का राग अलापना जाकिर नाईक की तरह बन्द कर दें ।। रामायण में 1443 बार राम का नाम आया है,बाइबिल में 23 बार राम का नाम आया है, गुरु ग्रन्थ साहिब में 9258 बार राम का नाम आया है । कुरान में एक बार भी राम का नाम नहीं आया है,इसीलिए एवं अनेक कारणो से "अली सीना" ने USA में जाकर एक किताब Understanding Mohammad लिखी । इस किताब को Google से download किया जा सकता है । इस किताब को पढ़े,तब मोहम्मद की वास्तविकता पता चलती है । बिना पढ़े Cross reply ना दें ,क्योंकि आखिरत में "राम" ही "काल्कि-अवतार" लेकर आयेंगे एवं सभी मनुष्यो का कल्याण करेंगें,इस बात को डा जाकिर नाईक साहित कई अन्य बड़े आलिम भी स्वीकार करते है ।। आखिरत का Concept केवल मुसलमानों पर लागू होता है,क्योंकि नबी मोहम्मद ने ही इस्लाम को सर्वाधिक चोट पहुँचायी है ।।
. किसी भी धर्म के बारे में विचार करने के लिए सबसे पहले आवश्यक होता है कि यह जानने की कोशिश की जाये कि वह धर्म अपने वास्तविक रूप में आज शेष भी है या नहीं । यदि वह अपने वास्तविक रूप में शेष नहीं है और उसकी शिक्षाओं में बहुत कुछ परिर्वतन और कमी - बेशी हो गई है , तो फिर वह धर्म सुरक्षित ही कहाँ रहा कि उस पर विचार करने का कोई सवाल पैदा हो । किसी धर्म के बारे में यह जानने के लिए कि वह अपने वास्तविक रूप में बाकी है या नही हमें उसके ग्रन्थों का अध्ययन करना पड़ता है । क्योंकि किसी धर्म के विषय में जानकारी प्राप्त करने का मूल साधन उसके ग्रन्थ ही हैं । यदि किसी धर्म के अनुयायी अपने धार्मिक ग्रन्थ को सुरक्षित न रख सके , तो इसका अर्थ यह है कि उनका धर्म ही सुरक्षित न रहा ।
@@akramparvez6510 नबी के बाद "गुरु नानक देव" जी आये,जिनके कारण "सिक्ख धर्म" है । इसलिए अंतिम नबी का राग अलापना जाकिर नाईक की तरह बन्द कर दें ।। रामायण में 1443 बार राम का नाम आया है,बाइबिल में 23 बार राम का नाम आया है, गुरु ग्रन्थ साहिब में 9258 बार राम का नाम आया है । कुरान में एक बार भी राम का नाम नहीं आया है,इसीलिए एवं अनेक कारणो से "अली सीना" ने USA में जाकर एक किताब Understanding Mohammad लिखी । इस किताब को Google से download किया जा सकता है । इस किताब को पढ़े,तब मोहम्मद की वास्तविकता पता चलती है । बिना पढ़े Cross reply ना दें ,क्योंकि आखिरत में "राम" ही "काल्कि-अवतार" लेकर आयेंगे एवं सभी मनुष्यो का कल्याण करेंगें,इस बात को डा जाकिर नाईक साहित कई अन्य बड़े आलिम भी स्वीकार करते है ।। आखिरत का Concept केवल मुसलमानों पर लागू होता है,क्योंकि नबी मोहम्मद ने ही इस्लाम को सर्वाधिक चोट पहुँचायी है ।।
Dhram naya nahi hai pahle din se hai islam same same per nabi aye allah ka mesage leker jinhe sudhrna tha sudhrye baqi ko allah ne anjam pr phonchya sari duniya mere nabi ke liye baniour islam mukammal hoa ab bhi jo mane theek nahi to qyamat ke bad anjam per phonchyengy in main musalman bhi hain munafiq hai dikhawa kartye hainsabka anjam allah ko maloom hain
बाइबल और संविधान की किताब में कुछ फर्क नहीं दोनों में न्याय हैं। बाइबल में संविधान की किताब से भी ज्यादा न्याय है विश्वास नहीं होता तो बाइबल पूरा पढ़ कर देख लेना ❤❤
यही बात सभी धर्म वाले कहते हैं,जब बाइबिल इतना संवैधानिक हैं तो किस देश में बाइबिल संविधान के रूप में चलता है,सिर्फ बाइबिल नहीं सभी धार्मिक किताबें इंसान ने लिखा है।
@@arshadahmed6081 42साल के बाद एक ज़ाहिल व्यभिचारी को इल्म होता है कि वो तो नबी हैं पिगंबर हैं 🤓🧐🤔😅🤣😂😃 उसे अपने पापी इस्लाम को स्थापित करने में 12साल लगे वो भी आतंक हत्या लूट बलात्कार दहशतगर्दी के दमपर, जिसे दुनियां ने फर्जी कहा, जबकि कुरआन स्वयं कहती है। फिर भी ज़ाहिलो को सुअर की तरह तट्टी में अच्छाई देख रहे है 🧐🤔🤓😂🤣😅
Be waquf insan Quran to padh lena tha phir pata chalta ke humare Malik ka duniya hi s qanoon hai we Quran Quran Quran har ingale se parfect hai padh le
बाइबल 2000 साल पहले नही आप को नही पत्ता बाइबल जब संसार की उत्पति हुई तब से आया है बाइबल पढ के देख ले बोलने वाले कुछ भी बोल देने है जय मसीह की ईशवर को धनयावाद ❤❤
@@Funnndommm नबी के बाद "गुरु नानक देव" जी आये,जिनके कारण "सिक्ख धर्म" है । इसलिए अंतिम नबी का राग अलापना जाकिर नाईक की तरह बन्द कर दें ।। रामायण में 1443 बार राम का नाम आया है,बाइबिल में 23 बार राम का नाम आया है, गुरु ग्रन्थ साहिब में 9258 बार राम का नाम आया है । कुरान में एक बार भी राम का नाम नहीं आया है,इसीलिए एवं अनेक कारणो से "अली सीना" ने USA में जाकर एक किताब Understanding Mohammad लिखी । इस किताब को Google से download किया जा सकता है । इस किताब को पढ़े,तब मोहम्मद की वास्तविकता पता चलती है । बिना पढ़े Cross reply ना दें ,क्योंकि आखिरत में "राम" ही "काल्कि-अवतार" लेकर आयेंगे एवं सभी मनुष्यो का कल्याण करेंगें,इस बात को डा जाकिर नाईक साहित कई अन्य बड़े आलिम भी स्वीकार करते है ।। आखिरत का Concept केवल मुसलमानों पर लागू होता है,क्योंकि नबी मोहम्मद ने ही इस्लाम को सर्वाधिक चोट पहुँचायी है ।।
दुनिया जब से बनी है तब से लेकर 1400 साल पहले तक ईश्वर ने एक लाख 24 हज़ार इससे कम या ज़्यादा धरती पर अपने दूत भेजे है ,आदम से लेकर प्रॉफिट मोहम्मद साहब तक,आप कुरान को अभी की किताब कह रहे हो,पर उस क़िताब में दुनिया बानी तब से लेकर खत्म होने तक की ख़बर मौजूद है,,,दुनिया के रचयता ने सब कुछ सहने: शनः ही दुनिया को ग्ज्ञान दिया ,अगर आप वेद की बात करते हो तो उसमें भी आने अंतिम ऋषि का वर्णन होगा ही,बहुत लंबी बहस हो जाएगी सत्य तो यह के इस धरती का निर्माता निर्देशक एक अल्लाह,अर्थात, एक ईश्वर, god है जो निराकार है,न उसे किसी ने पैदा किया न उसने किसी को पैदा किया, बस वह कहता है होजा तो होजाता है,सूरज ,चांद धरती बदल ,बारिश,जीवन मृत्यु सब का मालिक वह सब उसकी मर्जी से होता है,ईश्वर एक है अनेक नही,,किताबे जो आसमानी है,,अर्थात ईश्वरी हो उसका अधिययन करो,, आगे बढ़ो,किसी के धर्म को नीचा न करो किसी भी धर्म के पेशवा को ग़लत मत कहे मौत बहुत करीब है उसके बाद सारा भेद खुल जावेगा,,कौन सत्य है और कौन असत्य,,,
कुरान में चपटी जमीन का कोई उल्लेख नहीं 😅 अगर कुरान जमीन को चपटी कहेगा , तो भला कोई इस्लाम कबूल करेगा 🤔 यानी कुरान में धरती चपटी है 😅 जान बुझ कर फैलाया एक भ्रम है ,जो सिर्फ हिंदू बोलते है 😅
भाई यही लोग हैं। जो मानवता को भटका कर अपना उल्लू सीधा करते है। जो हवन का मंत्र पड़ कर गिनती बताया है। उस मंत्र को आप पड़े और अनुवाद करे ।तब अनुवाद कुछ और ही निकलेगा । दूसरी बात 2 अरब साल पहले वेद आया तो इसको किसने लिखा था कौनसी भाषा में था । रिसर्च से मालूम होता है। आज से 3000 हजार साल पहले चमड़े पर लिखाई शुरू हुई फिर पते पर फिर कागज बना । इनका सब कुछ प्रवचन झूट पर है। इसलिए लोगो को धर्म की शिक्षा के बजाए साइंस टेक्नोलॉजी की शिक्षा लेनी चाहिए। और जब देश शिक्षित होंगा यह सब गायब होंगे तब इनको सुनने वाला कोई नहीं होंगा ।
महाराज जी आप 100% सत्य बोलरहे है मशीन के साथ किताब आना ही चाहिए। आपने तीन धर्मो की बात की और मनगढ़ंत तर्को से ये सिद्ध करने की कोशिश की है कि कौन सा धर्म सत्य है और भूमिका बांधी ऊटपटांग तर्को से ये सिद्ध करने कि वैदिक धर्म ही सत्य है बाकी असत्य है। आपने एक मिसाल दी कि मशीन के साथ मशीन बनाने वाला मशीन के साथ किताब भी देता, और किताब के साथ ही आनी चाहिए, बिल्कुल सही लेकिन किताब मशीन और किताब का लाने वाला कोई होना चाहिए, मशीन बनाने वाला तो पूरी दुनियाभर मे मशीन और किताब बांटता तो नही फिरे गा? तो आपने नही बताया की मशीन (धर्म), और किताब ( वेद) लाने वाला कौन था और मशीन ( धर्म) और किताब ( वेद) बनाने वाला कौन है? और आपने किताब का जिक्र किया है जो बहुवचन है लेकिन वेद तो 3 है जिनका लेखन कार्य तीनो वेदो के बीच भी कई वर्षो का अंतर है जबकि मशीन की पूरी टेक्निक एक ही किताब मे लिखता है उस किताब की प्रतिलिपिया आवश्यकता के अनुसार अनेक हो सकती है लेकिन हर प्रतिलिपि का नाम एक ही हो गा लेकिन वेद अपने अलग अलग नाम से तीन है ,तो आपका दावा कि सनातन वैदिक धर्म सत्य है, सिद्ध नही होता, आपने कुरान का मजाक उडाते हुए कहा कुरान "शरीफ है या बदमाश है " ------------------------------- आपने कुरान का अपमान किया है आपने केवल मुसलमानो के लिए कुरान और ईसाइयो के लिए बाईबिल का जिक्र किया है और यहूदी और उनकी किताब के बारे मे कुछ नही कहा ,और इन तीनो की अपनी अपनी किताब और किताब लाने वाले भी है, यहूदी धर्म की किताब "तौरेत " और किताब लाने वाले का नाम "मूसा " है ईसाई धर्म की किताब इंजील (बाईबिल) और किताब लाने वाले का नाम "ईसा मसीह " है और इस्लाम धर्म की किताब " क़ुरआन " और किताब लाने वाले का नाम " मुहम्मद " है और ये तीनो महान व्यक्तित्व , महान पैगम्बर है। और इन तीनो को अपनी अपनी किताब देकर भेजनेवाला भी एक ही है जो संसार का रचियता है, जिसे हम अल्लाह, ईसाई व यहूदी गाड और आप ईश्वर कहते है। और आपकी न तो एक किताब है और न ही कोई, किताब लाने वाला है। जिसका पिता नही होता उसे सभ्य माज स्वीकार नही करता। और एक बात जबतक किसी धर्म के बारे मै जानकारी न हो उस वक्त तक किसी भी धर्म के बारे मे अपनी राय रखने से बचना चाहिए। आपने कहा भ्रमाड बनने के सथ ही किताब भी लिखी जानी चाहिए उदाहरण दिया, मशीन के साथ किताब भी लिखी जानी चाहिए आपका ते तर्क भी सही नही है, पहले थ्योरी लिखी जाती फिर प्रैक्टिकल, फिर निर्माण जिसे आप ईश्वर कहते है(क्रेटर) हम उसे अल्लाह, ईसाई गाड उसने सृष्टि की रचना करने से पहले थ्योरी (किताब) लिखी जिस मे सृष्टि के आरंभ से अंत तक का वर्णन है, उस किताब को लौहे महफूज का नाम दिया उसमे कुरान भी है तौरेत भी है इंजील भी है और इनकिताबो को लाने वाले पैगम्बरो काभी नाम है के कब कौन किस युग मै संसार मै अवतरित किया जाएगा। जब दुनिया मे पहला मानव आया वो इस्लाम का पहला पैगम्बर था, धीरे धीरे मानव संख्या बढ़ी आवश्यकता के अनुसार थोड़े थोड़े उपदेश अवतरित किए गए ,आबादी बढ़ती गई आवशयकताए भी बढ़ती गई समय समय पर मार्गदर्शन के लिए आवश्यकतानुसार उपदेश के साथ पैगम्बर भी अवतरित वकिए जाते रहे यही उपदेशो का थोडा थोड़ा पैगंबरो के साथ-साथ आते आते, लगभग एक लाख चौबीस हजार पैगंबर होते रहे अंत मे 1400 साल पहले आखरो पैगम्बर मुहम्मद साहब 40साल की उम्र मे पैगम्बर बने और 23साल की अवधी मे इस्लाम और कुरान पूर्ण हुआ। जो अनेको साइंसदानो ने कुरान की भिन्न भिन्न आयतो का अध्ययन कर सिद्ध किया की केवल इस्लाम ही समस्त मानव जाति का एकमात्र सत्य धर्म है। अपनी तसल्ली के लिए इन्साइकलोपीडिया बरिटानिका, एवं इस्लाम और आधुनिक साइंस का अध्ययन करे। वेदो मे इसकी शिक्षाए मिलती है। धन्यवाद
तुम खामखां झूठ बोलकर अंधभक्ति फैलाने में लगे हों। सारी दुनिया आज़ इस्लामी आतंकवाद से जूझ रही है। औरतों को पैरों की जूती और कामूकता का साधन मानकर सात सात बीबी रखने का हुक्म खुदा ने कुरान में दिया है। पैगंबर साहब के तों तेरह बीबियां थी। अब तुम कुतर्क ज़रूर करोगे कि उन्होंने उन बीबियों को सहारा देकर अपने घर में रखा। क्या सलमान खान की तरह बहन बेटियों को हम उम्र लड़के से शादी नहीं करा सकते थे ? प्रश्न मैं नहीं कर रहा आज जरहा जरहा पूछ रहा है। धरती चपटी है सूरज को बीच दरिया के डूबा बताता है। अब बताओ सूर्य तो पृथ्वी से करोड़ों गुणा बड़ा और करोड़ों कोश दूर है वह पृथ्वी के ऊपर किसी झील या समुद्र में कैसे समा सकता है ? इससे पता चलता है कि खुदा को भूगोल नहीं आता था खगोल नहीं आता था गणित नहीं आता था और मेघविज्ञान का भी खुदा को ज्ञान नहीं था। लेकिन वही खुदा निर्दोष अन्य मतावलंबियों को काफिर मानकर मुसलमानों द्वारा क्रूरतापूर्वक उनकों मरवाने से बाज़ नहीं आता। ईद पर तो निर्दोष जानवरों के खून से लथपथ शरीर देखकर खुदा बडा ही खुश होता है। अहमदिया मुसलमानों को मार-मार पाकिस्तान में उनके सारे अधिकार छीन लिए हैं।सिया सुन्नी मतभेद जगजाहिर है। वाह जी वाह एक झूठ को छिपाने के लिए हजारों झूठ बोलने पडते है तब भी झूठ की बुनियाद पर बनी विचार धारा तार तार हो कर रह जाती है। जय हिन्द वन्देमातरम विश्व गुरु भारत 🙏🙏
भाई एक बात बताओ एक पापी इंसान पैगम्बर हो सकता है क्या और एक 60 साल के आदमी का एक 6 साल की बच्ची से शादी करना पाप है या पुण्य और किस आधार पर मोहमद को पैगम्बर बनाया गया
Bhaiyo aur behno, Islam pahla insaan Adam ke saath Aya, jab log uske laye hue kanoon ko bhul gaye to bahut baar kanoon Aya aur akhri main Quran Aya.Thoda muslim scholars se mil lo tumhara hi fayda hoga.😊
@@akramparvez6510 wah yar tabhi to vishnarh Kashi , ramjanam bhumi kishrn janam stan sab par masjid banyi hai , Talwar par kitne covered kar diya , 100 chuhe kha kar billi to jayegi na ,
तेरा इस्लाम कहता है जहाँ काफिर मिले उसे मार दो और जिहाद क्या है काफिर को लूटो मारो संपत्ति उनकी बहन बेटी के साथ दुराचार करो यही है तेरा इस्लाम इस्लाम में किसी भी काजी मोलवी से सवाल जबाव नहीं कर सकते इन्होंने तो सिर्फ जन्नत और जिहाद का लालच देकर कहीं भी फट जाते हैं
भाई लोग एक बात तुम लोग बताओ तुम्हारे भगवान तो बहुत सारे हैं मगर क्या उन्होंने सिर्फ हिन्दुस्तान को ही बनाया है यार जितने भी भगवान आए हैं तो यहीं पर जितनी किताबें हैं वह भी यहीं पर
Duniy ki yahi ek kitaab hai jiske saath sharif shabd ka prayog hua hai aur wah hai Quran sharif yahi duniya ki achchhi aur sachchi kitab hai isme koi Shak nahi Islam jindabad.
सर आपका विश्लेषण बहुत अच्छा है लेकिन बात अगर मशीन और किताब की करें तो आपको ये पता होगा कि हर मशीन का अपडेट समय समय पर आता अब 2अरब पुरानी मशीन को अपडेट की जरूरत थी तो ये कुरान पाक आया नहीं तो कब तक हम पुराण के भरोसे पुरानी जिंदगी जीते प्रकृति का नियम है बदलाव और इस कुरान ने पिछले 2अरब सालों से लेकर अगले 2अरब सालों तक का अपडेट है 🙏🙏🙏🙏🙏
धर्म का कोई नाम नहीं हो सकता । धर्म है तो फिर अधर्म भी है । धर्म सृष्टि व प्रकृर्ति के नियमों का पालन करना है जो समय और स्थान के साथ नहीं बदलते । सृष्टि और प्रकृर्ति में जो कुछ भी है सब नियमों से बंधा है । धरती पर जिव-निर्जिव आग पानी हवा आकाश हैं । यह भी नियमों से बंधे हैं । नियम का अनुसरण/पालन ही धर्म है । नहीं तो अधर्म है । अपने माता-पिता की तरफ आपका क्या दीन है या क्या मजहब है या क्या मत है या क्या पंथ है ? नहीं अपने माता-पिता की तरफ आपका क्या धर्म है ? धर्म एक सामाजिक इकाई है । दीन मजहब मत पंथ एक अध्यात्मिक पथ प्रदर्शक हैं । धर्म का अध्यात्म से कोई लेना-देना नहीं है ।
'धर्म'/'फित्र'/ 'मूल प्रकृति' किसी वस्तु या जीव की जन्मजात/आंतरिक प्रकृति है। उदाहरण के लिए सांप का धर्म है डंसना, आग का है तपना, बर्फ का है ठंडा करना। और चुंकी हम सब इंसान हैं तो हमारा 'धर्म' है 'इंसानियत'/ 'मानवता'। कोई भी 'मजहब'/ 'पंथ' इसी सहज/अंतर्निहित इंसानियत की प्रकृति/ प्रवृत्ति को उच्चत्तम स्तर तक ले जाने की और विकसित करने की एक प्रणाली है अत: हमें गारंटीकृत सफलता के लिए सर्वोत्तम उपलब्ध 'प्रणाली' / 'पंथ' (सच्चे ईश्वर द्वारा दिए गए धर्म) (उपलब्ध अनेको में से) का ही पालन करना चाहिए। ये जरूरी इंसान नहीं कि जिस धर्म/देश में (गलती से) पैदा हुआ है, वह सही ही हो। संस्कृत या अरबी या तुर्की भाषा में 'पानी'को अलग अलग नाम से पुकारते हैं पर वो 'एक' ही है। इसी प्रकार सबका ईश्वर- एक ही है और अकेला वह ही है। और च्योंकी हमारा कि हमारा निर्माता/पैदा करने वाला एक है इसलिए हम सभी एक जैसे ही हैं और हमारी ज़रूरतें और इच्छाएँ भी समान हैं। क्या आप तथाकथित भगवान से ये नहीं कह सकते हैं कि मुसलमान को मत बनाओ? या, इसके बजाय आपको दो सिर और चार हाथ दे दें ताकि आपको 'मनुष्यों के भगवान' ने उन्हें जो बनाया है, उससे अलग आपको पहचाना जा सके? और ये ज्ञात हो सके कि आपका बननेवाला भगवान उनसे अलग हैl हम सब एक जैसे हैं क्योंकि हमारा रचयिता 'एक' है। जैसे हमारा रचयिता एक है और वैसे ही उनका संदेश भी पृथ्वी पर मानव सभ्यता की शुरुआत से सभी के लिए 'एक ही' है - 1. कि हम झूठे भगवानो की पूजा कदापि न करें' और 2. 'अच्छे कर्म करें'। और इसलिए इस्लाम का संदेश 'सनातन काल' (प्राचीन दिनों) से एक ही है। वैदिक काल के लोग जो 'एक अन्देखे ईश्वर' की पूजा करते थे, वो वास्तव में उस समय के संस्कृत भाषा बोलने वाले मुसलमान थे। और इसलिए 'इस्लाम' (सच्चे ईश्वर की इच्छाओं के लिए अपनी इच्छा का समर्पण करना) प्राचीन काल से ही है और इसे एक बार फिर से पुनर्जीवित किया गया है (यदा यदा हि ... ईश्वर के सिद्धांत के अनुसार) अंतिम संदेशवाहक मुहम्मद सo द्वारा। सनातन( प्राचीन) काल से मनुष्यों का मार्गदर्शन करने वाले एक ही सच्चे हितैषी ईश्वर (सभी के निर्माता) की नवीनतम आज्ञाओं (कुरआन) का पालन न करने के पीछे यदि कोई भी श्रेष्ठता, अहंकार (किसी श्रेष्ठ समुदाय में पैदा होने का)है तो वो एक बड़ा पाप है अपने सच्चे निर्माता के प्रति, जो की पूर्ण अकृतघ्नता और विश्वासघात का परिचायक है। आशा है कि अल्लाह (एक निराकार भगवान) हम सभी की मदद करेगा।आमीन!
वही बाबा आदम अलैहिस्सलाम से ही धर्म है,वह पहले ईशदूत हैं और मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम आखिरी हैं। मालिक सब का एक ही है अन्यथा पूरी सृष्टि का नाश हो जाता।
@@ankitjat2575 भाई आप को समझ नहीं आएगा, कोई अच्छा मुस्लिम किसी और धर्म के बारे में कुछ ग़लत नहीं कहते है। जब से दुनिया है तभी से धर्म है,जब धर्म का स्वरूप बिगड़ने लगता है तो नया पैग़म्बर आता है मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम आखिरी पैग़म्बर हैं उनके बाद कोई नया पैग़म्बर नहीं आएगा।हम मुसलमान सारे पैग़म्बर को फालो करते हैं, यदि यकीन नहीं हो तो वेदों, और कुरआन का तुलनात्मक अध्ययन कर लें शायद कुछ बातें कामन मिल जाए। और हां सूरह बक़रा आयत नंबर 1से5 तक का हिन्दी अनुवाद सर्च कर देखा जा सकता है।आदम अलैहिस्सलाम के बारे में सर्च कर देखा जा सकता है कुरआन में कहां कहां वर्णन है।
@@ankitjat2575 'धर्म'/'फित्र'/ 'मूल प्रकृति' किसी वस्तु या जीव की जन्मजात/आंतरिक प्रकृति है। उदाहरण के लिए सांप का धर्म है डंसना, आग का है तपना, बर्फ का है ठंडा करना। और चुंकी हम सब इंसान हैं तो हमारा 'धर्म' है 'इंसानियत'/ 'मानवता'। कोई भी 'मजहब'/ 'पंथ' इसी सहज/अंतर्निहित इंसानियत की प्रकृति/ प्रवृत्ति को उच्चत्तम स्तर तक ले जाने की और विकसित करने की एक प्रणाली है अत: हमें गारंटीकृत सफलता के लिए सर्वोत्तम उपलब्ध 'प्रणाली' / 'पंथ' (सच्चे ईश्वर द्वारा दिए गए धर्म) (उपलब्ध अनेको में से) का ही पालन करना चाहिए। ये जरूरी इंसान नहीं कि जिस धर्म/देश में (गलती से) पैदा हुआ है, वह सही ही हो। संस्कृत या अरबी या तुर्की भाषा में 'पानी'को अलग अलग नाम से पुकारते हैं पर वो 'एक' ही है। इसी प्रकार सबका ईश्वर- एक ही है और अकेला वह ही है। और च्योंकी हमारा कि हमारा निर्माता/पैदा करने वाला एक है इसलिए हम सभी एक जैसे ही हैं और हमारी ज़रूरतें और इच्छाएँ भी समान हैं। क्या आप तथाकथित भगवान से ये नहीं कह सकते हैं कि मुसलमान को मत बनाओ? या, इसके बजाय आपको दो सिर और चार हाथ दे दें ताकि आपको 'मनुष्यों के भगवान' ने उन्हें जो बनाया है, उससे अलग आपको पहचाना जा सके? और ये ज्ञात हो सके कि आपका बननेवाला भगवान उनसे अलग हैl हम सब एक जैसे हैं क्योंकि हमारा रचयिता 'एक' है। जैसे हमारा रचयिता एक है और वैसे ही उनका संदेश भी पृथ्वी पर मानव सभ्यता की शुरुआत से सभी के लिए 'एक ही' है - 1. कि हम झूठे भगवानो की पूजा कदापि न करें' और 2. 'अच्छे कर्म करें'। और इसलिए इस्लाम का संदेश 'सनातन काल' (प्राचीन दिनों) से एक ही है। वैदिक काल के लोग जो 'एक अन्देखे ईश्वर' की पूजा करते थे, वो वास्तव में उस समय के संस्कृत भाषा बोलने वाले मुसलमान थे। और इसलिए 'इस्लाम' (सच्चे ईश्वर की इच्छाओं के लिए अपनी इच्छा का समर्पण करना) प्राचीन काल से ही है और इसे एक बार फिर से पुनर्जीवित किया गया है (यदा यदा हि ... ईश्वर के सिद्धांत के अनुसार) अंतिम संदेशवाहक मुहम्मद सo द्वारा। सनातन( प्राचीन) काल से मनुष्यों का मार्गदर्शन करने वाले एक ही सच्चे हितैषी ईश्वर (सभी के निर्माता) की नवीनतम आज्ञाओं (कुरआन) का पालन न करने के पीछे यदि कोई भी श्रेष्ठता, अहंकार (किसी श्रेष्ठ समुदाय में पैदा होने का)है तो वो एक बड़ा पाप है अपने सच्चे निर्माता के प्रति, जो की पूर्ण अकृतघ्नता और विश्वासघात का परिचायक है। आशा है कि अल्लाह (एक निराकार भगवान) हम सभी की मदद करेगा।आमीन!!
@@togetservi4342 Quraan aur allah jhuth he. Yeshu Masih ne yeh sabit kar diya, Yeshu Masih ne kaha " Mey mar gaya tha aur ab dekho mey yoganu yug jibit hu ( Bible Revelation 1:18). Yeshu Masih kahta he " Mera hatheli aur chati ke ched me ungli dal kar dhekhlo (Biblle John 20:27). Quraan ka allah ko yeh sab pata nahi he. Quraan kahta Yeshu Masih cross par nahi mara. Yeshu Masih jhutho ka pardafash karne ke liye hi aya tha (Bible 1 John 3:8). Jisne manab jati ka moksh/ananta jibon ke liye Lohu bahaya, salib par apna jan diya, usko inkar karne wala saitan iblish nahi to aur kya he. Yeshu Masih ne Vabiswa bani kar rakha he, Sare jhutho ka pardafash hoga ( Bible Matthew 10:26)
@@togetservi4342 भाई आपने कितनी अच्छी जलेबी बनाई है आपकी जितनी प्रशंसा की जाए कम है आप एक बार ex मुस्लिम के साथ डिबेट में शामिल हो आपकी कैसी जलेबी है यह पता लग जाएगा
अंकल, क़ुरान पढ़ना कभी मौका मिले तो, क़ुरान में परमात्मा बोलते है कि मैंने ब्रह्मांड में 1लाख 24 हजार ऋषि, मुनि, संदेष्टा भेजे है ताकि मनुष्य को सत्य मार्ग पर चलने की शिक्षा दे और एक परमात्मा की भक्ति का ज्ञान सिखाये।
Quraan aur allah jhuth he. Yeshu Masih ne yeh sabit kar diya, Yeshu Masih ne kaha " Mey mar gaya tha aur ab dekho mey yoganu yug jibit hu ( Bible Revelation 1:18). Yeshu Masih kahta he " Mera hatheli aur chati ke ched me ungli dal kar dhekhlo (Biblle John 20:27). Quraan ka allah ko yeh sab pata nahi he. Quraan kahta Yeshu Masih cross par nahi mara. Yeshu Masih jhutho ka pardafash karne ke liye hi aya tha (Bible 1 John 3:8). Jisne manab jati ka moksh/ananta jibon ke liye Lohu bahaya, salib par apna jan diya, usko inkar karne wala saitan iblish nahi to aur kya he. Yeshu Masih ne Vabiswa bani kar rakha he, Sare jhutho ka pardafash hoga ( Bible Matthew 10:26)
Sirji, Bina padhe gyaan nahi, na Bina khaaye mite bhook, bole Kabir soon mere bhaiyya Jo na maane wahi kahlaaye murkh.. Padhoge to samajhoge, Bina padhe kayse samajh aayegi...jayse jisko bhook lagi hoti hai, wo khaayega to bhook mitegi, dusre k khaane se uski bhook mitegi kya ?
गुरुजी 2000 हजार अरब साल पहले ना तो आग थी ना कागज था ना स्याही थी ना कपडा ,था ना समिधाओ की पहचान थी ना भाषा थी हर 100 सौ साल के के अन्तराल मे इन्सान ने अपनी अपनी बुद्धि विवेक से समय के ऐसी चीजें ईजाद की लोगों के विचारों के हिसाब से लोगों ने अपने अपने धर्म बना लिए जिन लोगो के के पास जैसा दिमाग था उसने अपने दिमाग के हिसाब से अपने धर्म की रचना कर डाली भगवान ने तो मानव को बनाया है मानव ने आपसी मतभेद के चलते अपने अपने धर्मों की रचना कर डाली अगर भगवान धर्मों को बनाता तो हर धर्म हर जाति के लोगों आख नाक हाथ पेर पाखाना अलग-अलग जगह बनाता ईश्वर ने ईन्सान को बनाया ईन्सान ने जाति धर्म धर्म शास्त्र बनाये जय श्रीराम
धर्मों का सम्मान करना ठीक है लेकिन गलत धर्म या स्वार्थी लोगों द्वारा तुच्छ लाभ के लिए दूषित धर्म का पालन करना सही काम नहीं हो सकता है। इसलिए, सभी के लिए यह सत्यापित करना आवश्यक हो जाता है कि वे जो मानते हैं वह 'सत्य' है भी या नहीं। यदि ईश्वर सभी के लिए 'एक' है तो तमाम मानवता के लिए उसका संदेश भी एक ही होना चाहिए ना की अलग-अलग युग/काल, भाषा या भौगोलिक क्षेत्र के विभिन्न लोगों के लिए अलग-अलग । वह 'एक संदेश' क्या है जो ईश्वर आदि काल से अलग-अलग ऋषियों और पैगम्बरों के माध्यम से इंसानो को दे रहा है? इसे समझने के लिए सबसे पहले हमें अपने जन्म द्वारा दी गई अपनी सांसारिक पहचान जैसे- मुस्लिम, ईसाई, हिंदू, बौद्ध आदि को छोड़ना होगा और खुद से ये पूछना होगा कि 'अगर मैं दूसरे समुदाय में पैदा हुआ होता तो मेरा 'सत्य' क्या होता'? क्या वो 'सत्य' मेरे आज के माननेवाले 'विश्वास' से भिन्न नहीं होता? यदि वह एक 'अलग' 'सत्य' होता तो फिर या तो वह गलत है या वह जिसका मैं अभी अनुसरण करता हूं वह गलत है। क्योंकि 'सत्य' को तो सभी इंसानो के लिए प्रकृति में सार्वभौमिक,एक समान होना चाहिए और बिना किसी अंतर या विसंगति के सभी के लिए समान रूप से लागू होना चाहिए। कोई भी 'सत्य' जो समान रूप से दुनिया के तमाम इंसानों पर लागू नहीं होता वो कतई 'यूनिवर्सल सत्य' नहीं हो सकता l मानवता ने जो सबसे बड़ी 'ऐतिहासिक गलती' बार बार हर काल में की है, वह यह है कि उन्होंने झूठे भगवानों/मानव-निर्मित भगवानों या मनुष्यों/ पशुओं या प्रकृति को 'भगवान' के रूप में पूजा करना शुरू कर दिया और सभी के 'सच्चे एक भगवान' के अधिकार और संप्रभुता कि अहवेलना कर खुद का नुक्सान किया है। और इसलिए आज हम देख रहे हैं कि सबके 'अलग अलग भगवान' पूरी मानवता को भ्रमित कर रहे हैं ... और इसी पाप को रोकने के लिए भगवान समय-समय पर संतों और पैगम्बरों के माध्यम से अपना दिव्य ज्ञान भेजते रहे। जिन्होंने अपने रहते समाज में पुनः सत्य की स्थापना की, लेकिन उनके जाने के बाद आने वाली पीढ़ियों तक उनका ज्ञान सही ढंग से नहीं पहुंचा और साथ ही बेईमान लोगों के छल-कपट के कारण 'सच्चा संदेश' दूषित हो गया। और इसीलिए 'एक खुदा' के सत्य को फिर से स्थापित करने के लिए अंतिम संदेशवाहक पैगंबर मुहम्मद (PBUH) को पूरी मानवता के लिए धरती पर भेजा गया था ... लेकिन अपनी 'भौगोलिक सांसारिक पहचान' के भ्रम में जकड़े लोग यह नहीं देख पा रहे हैं कि उन्हें वही संदेश दिया गया है जो उनके पहले आने वाले सभी पैगम्बरों और संतों को दिया गया था, यानी की- 'भटकी हुई मानवता को उनके सच्चे ईश्वर की ओर बुलाना' .......और जब तक हम सभी राष्ट्रों के सभी समय के संदेशवाहको को एक ही 'संदेश' देने वाले के रूप में स्वीकार नहीं करते हैं, तब तक हम हमेशा 'तेरा-मेरा' कर के अलग रहेंगे या 'अपनी डफली अपना राग' के लिए प्रवण होंगे..जबकि हमारे दिल और अंतरात्मा की गहराई में हम सभी जानते हैं कि हम सभी भाई-बहन 'एक ही मानव परिवार' के हैं। एक विनम्र आत्मा दूसरों को तब तक अस्वीकार नहीं करती जब तक कि उसने अपनी 'पसंद/चुनाव' बनाने से पहले दूसरे धर्म के संदेश का अध्ययन और विचार नहीं किया हो। ये समस्त छनिक संसारिक जीवन सिर्फ दो बातों को चुनने के बारे में है- 1. सही विश्वास ('एक निराकार खुदा') और 2. सत्य कर्म (अच्छे कर्म)। किसी भी ''आत्मा' को तब तक मुक्ति नहीं मिलेगी जब तक कि उसने इस्लाम की उपरोक्त दो सत्य चुनावो को आत्मसात ना कर लिया हो। सम्मान सहित,
@@ankitjat2575कुरान 1बार पढ सारा ग्रंथ कुडा हो जायेगा और है भी कूडा जिसने अभी तुझे ग्यान दिया वो खुद कुडा है, जिसने लाखों करोडो तुम्हारे सनातनी किताब को एक झटके मे कुडा कर दिया 😂😂😂 उसका दिमाग देख 3किताब कुरान बाईबिल, और वेद एक ही भाषा बोल रहा मेरी बात मानो रास्ता सही मिलेगा तो सिर्फ वेद क्यों सही 3 तनो किताब सही तो फिर ये इसान पंडित नही, जो 1को सही कहे इसलिए तुम झुठ फैलाने वाले सभी कुडे हो
आप का तर्क सुंदर है गुरु जी। पर कुरआन से पहले भी बहुत सी किताबे आई हैं जिन्हें सहीफे कहा जाता है। कुरआन तो आखिरी किताब है। आपने बहुत सी किताबे पढ़ी होंगी अब कुरआन को एक बार जरूर पढ़िएगा।आपके बहुत से विचार जरूर बदलेंगे। इंशा अल्लाह।
कृपया निष्पक्ष होकर महर्षि दयानंद सरस्वती जी की अमृतवाणी सत्यार्थ प्रकाश का चौदहवां समुल्लास कुरान विषय पर अवश्य पढ़ें आपको असली ज्ञान मिलेगा अन्यथा हठधर्मिता और स्वार्थ सिद्धि में तो ज़लालत ही ज़लालत है।
@@naseeruddinansari8051 मैंने कुरान बारह साल पहले पढ़ी है। लेकिन तुम कट्टरपंथी लोगों को कुछ भी समझ नहीं आता खामखां अंधभक्ति करने आते हों कुरान के सही अर्थों को जानना नहीं चाहते इसलिए अल्लाह मियां तुम से बहुत नाराज़ हो कर तुम्हारे पर अजाब डालता रहता है। अल्लाह ने कहा है कि ऐ मेरे मानने वालों मैंने तुम्हारे लिए दुनिया की सारी नेहमत बख्स दी है यदि तुम मेरे बताए हुए रास्ते से भटकोगें तो मैं ऐसे लोगों को भेजूंगा जो तुम्हें सही रास्ते पर ले आयेंगे। अल्लाह ने यह नहीं बताया था कि वह किस वेष भूषा में होगा, उसके दाढ़ी टोपी पहनी होगी या कटे आस्तीन का कुर्ता पहने होगा या भगवा रंग के कपड़े पहन कर आयेगा। मानों या ना मानो मोदी योगी दोनों ही फरीस्तें है जो तुम्हारे गुनाहों के बावजूद भी बिना पक्षपात के कोराना काल में फ्री राशन और वैक्सीन देते रहे लेकिन सबसे ज्यादा गाली मोदी जी और योगी जी को देकर तुमने अपनी अहसान फरामोशी दिखाई है। तुम्हें क्या ज्यादा पता है आ गये मगज मारने। कुरान के शांति प्रिय आयतों को छोड़कर अपनी बात चलाना चाहते हो।
बाईबिल के अनुसार परमपिता परमात्मा सृष्टि का रचनाकार है। आदि में वचन था वचन परमेश्वर के साथ था, और यही वचन यीशु मसीह हैं, परमेश्वर कहता है आदि और अन्त मैं हूँ, अल्फा और ओमेगा मैं हूँ। आमीन धन्यवाद यीशु मसीह प्रेम है, यीशु मसीह ने कहा सत्य मार्ग और जीवन मैं हूँ, मेरे बिना कोई पिता के पास नहीं पहुंच सकता है, जो मुझे जानता है वो पिता को जानता है
धर्मों का सम्मान करना ठीक है लेकिन गलत धर्म या स्वार्थी लोगों द्वारा तुच्छ लाभ के लिए दूषित धर्म का पालन करना सही काम नहीं हो सकता है। इसलिए, सभी के लिए यह सत्यापित करना आवश्यक हो जाता है कि वे जो मानते हैं वह 'सत्य' है भी या नहीं। यदि ईश्वर सभी के लिए 'एक' है तो तमाम मानवता के लिए उसका संदेश भी एक ही होना चाहिए ना की अलग-अलग युग/काल, भाषा या भौगोलिक क्षेत्र के विभिन्न लोगों के लिए अलग-अलग । वह 'एक संदेश' क्या है जो ईश्वर आदि काल से अलग-अलग ऋषियों और पैगम्बरों के माध्यम से इंसानो को दे रहा है? इसे समझने के लिए सबसे पहले हमें अपने जन्म द्वारा दी गई अपनी सांसारिक पहचान जैसे- मुस्लिम, ईसाई, हिंदू, बौद्ध आदि को छोड़ना होगा और खुद से ये पूछना होगा कि 'अगर मैं दूसरे समुदाय में पैदा हुआ होता तो मेरा 'सत्य' क्या होता'? क्या वो 'सत्य' मेरे आज के माननेवाले 'विश्वास' से भिन्न नहीं होता? यदि वह एक 'अलग' 'सत्य' होता तो फिर या तो वह गलत है या वह जिसका मैं अभी अनुसरण करता हूं वह गलत है। क्योंकि 'सत्य' को तो सभी इंसानो के लिए प्रकृति में सार्वभौमिक,एक समान होना चाहिए और बिना किसी अंतर या विसंगति के सभी के लिए समान रूप से लागू होना चाहिए। कोई भी 'सत्य' जो समान रूप से दुनिया के तमाम इंसानों पर लागू नहीं होता वो कतई 'यूनिवर्सल सत्य' नहीं हो सकता l मानवता ने जो सबसे बड़ी 'ऐतिहासिक गलती' बार बार हर काल में की है, वह यह है कि उन्होंने झूठे भगवानों/मानव-निर्मित भगवानों या मनुष्यों/ पशुओं या प्रकृति को 'भगवान' के रूप में पूजा करना शुरू कर दिया और सभी के 'सच्चे एक भगवान' के अधिकार और संप्रभुता कि अहवेलना कर खुद का नुक्सान किया है। और इसलिए आज हम देख रहे हैं कि सबके 'अलग अलग भगवान' पूरी मानवता को भ्रमित कर रहे हैं ... और इसी पाप को रोकने के लिए भगवान समय-समय पर संतों और पैगम्बरों के माध्यम से अपना दिव्य ज्ञान भेजते रहे। जिन्होंने अपने रहते समाज में पुनः सत्य की स्थापना की, लेकिन उनके जाने के बाद आने वाली पीढ़ियों तक उनका ज्ञान सही ढंग से नहीं पहुंचा और साथ ही बेईमान लोगों के छल-कपट के कारण 'सच्चा संदेश' दूषित हो गया। और इसीलिए 'एक खुदा' के सत्य को फिर से स्थापित करने के लिए अंतिम संदेशवाहक पैगंबर मुहम्मद (PBUH) को पूरी मानवता के लिए धरती पर भेजा गया था ... लेकिन अपनी 'भौगोलिक सांसारिक पहचान' के भ्रम में जकड़े लोग यह नहीं देख पा रहे हैं कि उन्हें वही संदेश दिया गया है जो उनके पहले आने वाले सभी पैगम्बरों और संतों को दिया गया था, यानी की- 'भटकी हुई मानवता को उनके सच्चे ईश्वर की ओर बुलाना' .......और जब तक हम सभी राष्ट्रों के सभी समय के संदेशवाहको को एक ही 'संदेश' देने वाले के रूप में स्वीकार नहीं करते हैं, तब तक हम हमेशा 'तेरा-मेरा' कर के अलग रहेंगे या 'अपनी डफली अपना राग' के लिए प्रवण होंगे..जबकि हमारे दिल और अंतरात्मा की गहराई में हम सभी जानते हैं कि हम सभी भाई-बहन 'एक ही मानव परिवार' के हैं। एक विनम्र आत्मा दूसरों को तब तक अस्वीकार नहीं करती जब तक कि उसने अपनी 'पसंद/चुनाव' बनाने से पहले दूसरे धर्म के संदेश का अध्ययन और विचार नहीं किया हो। ये समस्त छनिक संसारिक जीवन सिर्फ दो बातों को चुनने के बारे में है- 1. सही विश्वास ('एक निराकार खुदा') और 2. सत्य कर्म (अच्छे कर्म)। किसी भी ''आत्मा' को तब तक मुक्ति नहीं मिलेगी जब तक कि उसने इस्लाम की उपरोक्त दो सत्य चुनावो को आत्मसात ना कर लिया हो। सम्मान सहित,
@@togetservi4342 Quraan aur allah jhuth he. Yeshu Masih ne yeh sabit kar diya, Yeshu Masih ne kaha " Mey mar gaya tha aur ab dekho mey yoganu yug jibit hu ( Bible Revelation 1:18). Yeshu Masih kahta he " Mera hatheli aur chati ke ched me ungli dal kar dhekhlo (Biblle John 20:27). Quraan ka allah ko yeh sab pata nahi he. Quraan kahta Yeshu Masih cross par nahi mara. Yeshu Masih jhutho ka pardafash karne ke liye hi aya tha (Bible 1 John 3:8). Jisne manab jati ka moksh/ananta jibon ke liye Lohu bahaya, salib par apna jan diya, usko inkar karne wala saitan iblish nahi to aur kya he. Yeshu Masih ne Vabiswa bani kar rakha he, Sare jhutho ka pardafash hoga ( Bible Matthew 10:26)
Bsdk lode ye sab suna to pata nai chalta kya kutte ,,or simple sa pata nai chalta Aaj tumare yaha log bakre katte hai itna bhayankar pap karte hai kuran alla ye sab gilona gatiya Kam karne ko bolega kya murkh isliye sach ko jab Jan liya to juth tyag do sanata dhrm ko mano jo log jag jate hai vo 1 second me juth ko fek dete hai ab itna proof Dene ke bad saval karna tumare muh se to fir ye janbujakar saval karne jesi bat hai fir tumari marji baki sty to ye hi hai
मनुष्य को किसने बनाया? आग की खोज कब की गई? दुनिया का सबसे पुराना भाषा कौन है? सबसे पहले की लीपि का अविष्कार कब हुआ था? सबसे पहले किस चीज पर लिखा जाता था और क्यों दाएं से बाएं लिखा जाता था ? वेद , पुराण और बाईबल में किसमें ईश्वर के बारे में कम मतभेद की बात लिखी हुई है? सबसे अधिक समय तक किस शास्त्र को लिखा गया था? सबसे अधिक ईश्वर के प्रेरणा,दर्शन, आत्मा द्वारा नबी द्वारा अर्थात लोगों के द्वारा किस शास्त्र को लिखा गया है? सबसे अधिक क्षेत्र में अर्थात देशों के अलग-अलग जातियों एवं भाषाओं द्वारा किस शास्त्र को लिखा गया है? उपरोक्त सवाल का जवाब जान लेने से अपने जीवन को अनंत काल तक के लिए बचाया जा सकता हैं ।
@@jasmeltudu1547 नबी के बाद "गुरु नानक देव" जी आये,जिनके कारण "सिक्ख धर्म" है । इसलिए अंतिम नबी का राग अलापना जाकिर नाईक की तरह बन्द कर दें ।। रामायण में 1443 बार राम का नाम आया है,बाइबिल में 23 बार राम का नाम आया है, गुरु ग्रन्थ साहिब में 9258 बार राम का नाम आया है । कुरान में एक बार भी राम का नाम नहीं आया है,इसीलिए एवं अनेक कारणो से "अली सीना" ने USA में जाकर एक किताब Understanding Mohammad लिखी । इस किताब को Google से download किया जा सकता है । इस किताब को पढ़े,तब मोहम्मद की वास्तविकता पता चलती है । बिना पढ़े Cross reply ना दें ,क्योंकि आखिरत में "राम" ही "काल्कि-अवतार" लेकर आयेंगे एवं सभी मनुष्यो का कल्याण करेंगें,इस बात को डा जाकिर नाईक साहित कई अन्य बड़े आलिम भी स्वीकार करते है ।। आखिरत का Concept केवल मुसलमानों पर लागू होता है,क्योंकि नबी मोहम्मद ने ही इस्लाम को सर्वाधिक चोट पहुँचायी है ।।
गुरु जी आप तो ज्ञानी हो आपने इंजील, तौरात, जबर किताब को सुना है आपने कभी इनका भी जिक्र कर देते तो मेहरबानी होती और कुरान एक बार पढ़ देखिए चकाचौंध हो जाएगी आपकी मस्तिष्क आपको पढ़ना चाहिए।
सत्य सनातनी इसाइ धमॅकी जय हो । येशू पापीयोके पाप धोनेकेलिये क्रुशपर चढकर पापका सजा भोगा खुन बहाया । हिन्दु और दुस्रेलोगोके नक्कली भगवान तो सादी करके विविसे मोज करते रहा ,वेकारका जीवन विताया । कोही अच्छा काम और पाप मोक्षके काम नही किया है ।
BAHI AAP KABHI QURAN MAJEED PADHE HAZARAT ESA (Allah ki un per Rehnmat ho) ko krus per nahi chadaa gaya tha Allah ne unhe aasman per zinda udha liya hai.
अफसोस इसी का है के वेद आचरण मे क्यो नही है, किन के स्वार्थ के कारण ऐसा हुआ, और वह कौन लोग है जो वेद सुने तो कानो मे शीष भरदिऐ, पढे तो जुबान काट दिए, और ऐक बात पर भी ध्यान देना "यदा यादाहि ग्लानिरभवती " इस का मतलब क्या हुआ, सिर्फ युद्ध ज्ञान ही नही साथ मे धर्म ज्ञान भी ।।। अगर यह बात समझ आगई तो खुर् आन , बाइबिल व वेद मे अंतर ईश्वर का नही प्रार्थना का है।।।।। धर्म को अपने स्वार्थ के लिए इस्तेमाल करने वालो के कारण ऐसा ईश्वर ने किया है, ईश्वर इन्सान के बारे मे अच्छी तरहा जानता है, बुद्धिहीन ही ईश्वर के इच्छा पर सवाल करता है।।।।।
'धर्म'/'फित्र'/ 'मूल प्रकृति' किसी वस्तु या जीव की जन्मजात/आंतरिक प्रकृति है। उदाहरण के लिए सांप का धर्म है डंसना, आग का है तपना, बर्फ का है ठंडा करना। और चुंकी हम सब इंसान हैं तो हमारा 'धर्म' है 'इंसानियत'/ 'मानवता'। कोई भी 'मजहब'/ 'पंथ' इसी सहज/अंतर्निहित इंसानियत की प्रकृति/ प्रवृत्ति को उच्चत्तम स्तर तक ले जाने की और विकसित करने की एक प्रणाली है अत: हमें गारंटीकृत सफलता के लिए सर्वोत्तम उपलब्ध 'प्रणाली' / 'पंथ' (सच्चे ईश्वर द्वारा दिए गए धर्म) (उपलब्ध अनेको में से) का ही पालन करना चाहिए। ये जरूरी इंसान नहीं कि जिस धर्म/देश में (गलती से) पैदा हुआ है, वह सही ही हो। संस्कृत या अरबी या तुर्की भाषा में 'पानी'को अलग अलग नाम से पुकारते हैं पर वो 'एक' ही है। इसी प्रकार सबका ईश्वर- एक ही है और अकेला वह ही है। और च्योंकी हमारा कि हमारा निर्माता/पैदा करने वाला एक है इसलिए हम सभी एक जैसे ही हैं और हमारी ज़रूरतें और इच्छाएँ भी समान हैं। क्या आप तथाकथित भगवान से ये नहीं कह सकते हैं कि मुसलमान को मत बनाओ? या, इसके बजाय आपको दो सिर और चार हाथ दे दें ताकि आपको 'मनुष्यों के भगवान' ने उन्हें जो बनाया है, उससे अलग आपको पहचाना जा सके? और ये ज्ञात हो सके कि आपका बननेवाला भगवान उनसे अलग हैl हम सब एक जैसे हैं क्योंकि हमारा रचयिता 'एक' है। जैसे हमारा रचयिता एक है और वैसे ही उनका संदेश भी पृथ्वी पर मानव सभ्यता की शुरुआत से सभी के लिए 'एक ही' है - 1. कि हम झूठे भगवानो की पूजा कदापि न करें' और 2. 'अच्छे कर्म करें'। और इसलिए इस्लाम का संदेश 'सनातन काल' (प्राचीन दिनों) से एक ही है। वैदिक काल के लोग जो 'एक अन्देखे ईश्वर' की पूजा करते थे, वो वास्तव में उस समय के संस्कृत भाषा बोलने वाले मुसलमान थे। और इसलिए 'इस्लाम' (सच्चे ईश्वर की इच्छाओं के लिए अपनी इच्छा का समर्पण करना) प्राचीन काल से ही है और इसे एक बार फिर से पुनर्जीवित किया गया है (यदा यदा हि ... ईश्वर के सिद्धांत के अनुसार) अंतिम संदेशवाहक मुहम्मद सo द्वारा। सनातन( प्राचीन) काल से मनुष्यों का मार्गदर्शन करने वाले एक ही सच्चे हितैषी ईश्वर (सभी के निर्माता) की नवीनतम आज्ञाओं (कुरआन) का पालन न करने के पीछे यदि कोई भी श्रेष्ठता, अहंकार (किसी श्रेष्ठ समुदाय में पैदा होने का)है तो वो एक बड़ा पाप है अपने सच्चे निर्माता के प्रति, जो की पूर्ण अकृतघ्नता और विश्वासघात का परिचायक है। आशा है कि अल्लाह (एक निराकार भगवान) हम सभी की मदद करेगा।आमीन!
यीशु मसीह ही सनातन ईश्वर है, जो आकाश और पृथ्वी, पेड़ और पौधे, पशु पक्षी, और सारी सृष्टि का सिरजन हार ईश्वर है। जो कलियुग में इंसान बनकर पापों को मिटाने इस धरती पर आया है। आप पवित्र शास्त्र बाइबल में नया नियम पढ़कर देखें, तब आप सच्चाई को पहचान सकते है। सम्पूर्ण विश्व 🌎 के लोगों के लिए ईश्वर की कानून व्यवस्था की ✝️ पुस्तक है पवित्र शास्त्र बाइबल जो सारी मानवजाति को प्रेम करना सिखाती है।✝️✝️
@@RameshbhaiJadav-db5cx प्रभु यीशु मसीह सारी मानवजाति को स्वर्गीय पिता परमेश्वर से मिलाने और सारी सृष्टि के लोगों को अनन्त जीवन देने के लिए इस धरती पर आए हैं।
हम लड क्यूं रहे हैं क्या हमारे किताब हमे भटकाते है या हममे इंसानियत नही है, सारे किताब यही कहता है आपसी सामंजस्य बनाये रखो फिर अपना आपा किताब से हटकर क्यों
@@punarutthan23 सत्य खोजने वालों को मिलता है। आप जैसे बहुत से लोग यीशु मसीह को नहीं पहचान पाते हैं। क्योंकि उनकी आंखों के ऊपर धर्म का चश्मा लगा रहता है। लेकिन जो लोग सांसारिक पिता की तरह, अपने स्वर्गीय पिता परमेश्वर को जानने की कोशिश करते हैं वे लोग अपने सिरजन हार ईश्वर को प्राप्त कर लेते हैं, वे सब कुछ समझ लेते हैं।
@@sanatan_prabhu-yeshu koi putra ko nahi janta, kewal pita janta he, aur koi pita ko nahi janta he, kewal putra janta he(Bible Matthew :- 11: 27) tum satya ko janoge, aur satya tumhe satantra karega (Bible John :- 8: 32)
'धर्म'/'फित्र'/ 'मूल प्रकृति' किसी वस्तु या जीव की जन्मजात/आंतरिक प्रकृति है। उदाहरण के लिए सांप का धर्म है डंसना, आग का है तपना, बर्फ का है ठंडा करना। और चुंकी हम सब इंसान हैं तो हमारा 'धर्म' है 'इंसानियत'/ 'मानवता'। कोई भी 'मजहब'/ 'पंथ' इसी सहज/अंतर्निहित इंसानियत की प्रकृति/ प्रवृत्ति को उच्चत्तम स्तर तक ले जाने की और विकसित करने की एक प्रणाली है अत: हमें गारंटीकृत सफलता के लिए सर्वोत्तम उपलब्ध 'प्रणाली' / 'पंथ' (सच्चे ईश्वर द्वारा दिए गए धर्म) (उपलब्ध अनेको में से) का ही पालन करना चाहिए। ये जरूरी इंसान नहीं कि जिस धर्म/देश में (गलती से) पैदा हुआ है, वह सही ही हो। संस्कृत या अरबी या तुर्की भाषा में 'पानी'को अलग अलग नाम से पुकारते हैं पर वो 'एक' ही है। इसी प्रकार सबका ईश्वर- एक ही है और अकेला वह ही है। और च्योंकी हमारा कि हमारा निर्माता/पैदा करने वाला एक है इसलिए हम सभी एक जैसे ही हैं और हमारी ज़रूरतें और इच्छाएँ भी समान हैं। क्या आप तथाकथित भगवान से ये नहीं कह सकते हैं कि मुसलमान को मत बनाओ? या, इसके बजाय आपको दो सिर और चार हाथ दे दें ताकि आपको 'मनुष्यों के भगवान' ने उन्हें जो बनाया है, उससे अलग आपको पहचाना जा सके? और ये ज्ञात हो सके कि आपका बननेवाला भगवान उनसे अलग हैl हम सब एक जैसे हैं क्योंकि हमारा रचयिता 'एक' है। जैसे हमारा रचयिता एक है और वैसे ही उनका संदेश भी पृथ्वी पर मानव सभ्यता की शुरुआत से सभी के लिए 'एक ही' है - 1. कि हम झूठे भगवानो की पूजा कदापि न करें' और 2. 'अच्छे कर्म करें'। और इसलिए इस्लाम का संदेश 'सनातन काल' (प्राचीन दिनों) से एक ही है। वैदिक काल के लोग जो 'एक अन्देखे ईश्वर' की पूजा करते थे, वो वास्तव में उस समय के संस्कृत भाषा बोलने वाले मुसलमान थे। और इसलिए 'इस्लाम' (सच्चे ईश्वर की इच्छाओं के लिए अपनी इच्छा का समर्पण करना) प्राचीन काल से ही है और इसे एक बार फिर से पुनर्जीवित किया गया है (यदा यदा हि ... ईश्वर के सिद्धांत के अनुसार) अंतिम संदेशवाहक मुहम्मद सo द्वारा। सनातन( प्राचीन) काल से मनुष्यों का मार्गदर्शन करने वाले एक ही सच्चे हितैषी ईश्वर (सभी के निर्माता) की नवीनतम आज्ञाओं (कुरआन) का पालन न करने के पीछे यदि कोई भी श्रेष्ठता, अहंकार (किसी श्रेष्ठ समुदाय में पैदा होने का)है तो वो एक बड़ा पाप है अपने सच्चे निर्माता के प्रति, जो की पूर्ण अकृतघ्नता और विश्वासघात का परिचायक है। आशा है कि अल्लाह (एक निराकार भगवान) हम सभी की मदद करेगा।आमीन!
ब्रह्माण्ड की सृष्टि चलते रहे हैं और चलते रहेंगे, सूरज चांद जमीन आसमान,जल स्थल, मगर मनुष्य नहीं, मगर मनुष्य जन्म लेता है और कुछ मुद्दत १०० साल के आयु के बाद मृत्यु वरण करता है, क्या आज का मनुष्य वह मनुष्य है जो जंगल के जीवन जापन करता था, रेल गाड़ी, हवाई जहाज, मोटरसाइकिल के जाना आना करता था अगर नहीं तो वह समय ओर आज का समय अलग है, इसलिए द्वापरयुग में श्रीकृष्ण श्रीमद्भागवत गीता में कहते हैं धर्मसंसथापनर्थाय समभवामि युग युग, सर्वधर्मानपरितयजय मामैकं शरणं व्रज, इस कथा के अनुसार चलने वाले युग युग का सम्मान करते हुए युग धर्म के साथ चलने में कामयाब है , धन्यवाद्
@@maqsoodalam2391 Quraan aur allah jhuth he. Yeshu Masih ne yeh sabit kar diya, Yeshu Masih ne kaha " Mey mar gaya tha aur ab dekho mey yoganu yug jibit hu ( Bible Revelation 1:18). Yeshu Masih kahta he " Mera hatheli aur chati ke ched me ungli dal kar dhekhlo (Biblle John 20:27). Quraan ka allah ko yeh sab pata nahi he. Quraan kahta Yeshu Masih cross par nahi mara. Yeshu Masih jhutho ka pardafash karne ke liye hi aya tha (Bible 1 John 3:8). Jisne manab jati ka moksh/ananta jibon ke liye Lohu bahaya, salib par apna jan diya, usko inkar karne wala saitan iblish nahi to aur kya he. Yeshu Masih ne Vabiswa bani kar rakha he, Sare jhutho ka pardafash hoga ( Bible Matthew 10:26)
आचार्य जी उस दिन तेरे पापा ने गिनती सीख ली थी, वेद कितने है, ये भी मालूम है या हमे बताना पड़ेगा, आचार्य का मतलब तो मालूम नहीं? भोली जनता को तो पहले ही लोगों ने दिमाग मे देवी, देवताओ का भूत घुसा रखा है, आप नही निकलने देंगे और आपको भी धन्यवाद देता हूँ कि आप कम से कम इनको एक ग्रंथ पर तो लाकर खड़ा कर रहे हो, किन्तु अब ये लोग अंध भक्त हो चुके हैं, इनका दिमाग हैंग हो चुका है है वापस मुश्किल से लोटेगा अगर आपने लौटा दिया तो मैं आपसे मिलकर आपका शुक्रिया अदा करूँगा, आखरी समय भी मरे हुए मुर्दे से कहते है*राम का नाम सत्य है, सत्य बोल गति है* बेचारा बोल नही पाता विचित्र स्थिति है महाराज
LOVE U JESUS SARVSHAKTIMAN JIVIT PARMESHWAR YESHU PRABHU ne kaha SATY JIVAN aur MARG main HI hu main V nahin main HI hu . aur har kisi ki paapon ka shyama karta hai. 💯😄😄🌷🌹♥️✝️✝️✝️✝️✝️✝️✝️✝️✝️✝️💪👌👍
सृष्टि के प्रारंभ से यहूदी धर्म है यहूदी से ही मुस्लिम एवं ईसाई धर्म निकला है। जो एक ईश्वर निराकार को मनता है। ईसामसीह 2000 वर्ष पहले इस धरती परआए मनुष्य के रूप मे लोगो को सत्य के रास्ते मे चलने की शिक्षा देने एवं विन्रमता का पाठ पढाने आपस मे भाइचारे के साथ रहने प्रेम बांटने की शिक्षा देने सूली मे बलिदान हो गए। एव तीसरे दिन जी उठे। ईसा मसीह सदा से ही विदमान है।
BAHI AAP KABHI QURAN MAJEED PADHE HAZARAT ESA (Allah ki un per Rehnmat ho) ko krus per nahi chadaa gaya tha Allah ne unhe aasman per zinda udha liya hai.
इसका मतलब ईश्वर नहीं है यदि ईश्वर एक होता तो हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई जैन यहूदी फारसी बौद्धो की एक किताब होती ऋग्वेद अविस्ता ग्रन्थ से लिया गया 4500 साल पुराना सिन्धु घाटी सभ्यता का लेख नहीं पढ़ा जा सका तुमने वेद कैसे पढ़ लिये 15 करोड़ साल पुराने डायनासोरों के आर्कोलोजिकल प्रमाण मिले तुम्हारे वेदों के आर्कोलोजिकल प्रमाण क्यों नहीं मिले
डायनासोर में हड्डी होती है भाई। यह भौतिक माने के मटेरियल है। वेद तो ज्ञान है, नानमटेरियल है, इसके हासिल हो भी नहीं सकते, आपका सवाल सवाल ही नहीं हो सका।
अहंकार( जाहिल)की सबसे बड़ी खराबी यही है कि, वो कभी भी सच (हक़ीक़त)को जानने की कोशिश नहीं कराता! इस लिये इनको ये बतया जाता है की आप सब से उतम हो, ताकि ये सोचना और समझना बंद कर दे! और ये ही है गुलामी
हिन्दू शब्द मुस्लिमों की देन सनातन शब्द संस्कृत भाषा देवनागरी पाली और प्रकृति भाषा के बाद आई फिर वेद पुराने कैसे हुए पुष्यमित्र शुंग से पहले सनातन का सबूत दो भारत का पहला विश्वविद्यालय नालंदा बौद्धों का उसमें वेद नहीं थे घोड़े भारत में आर्य लिए फिर रामायण युग में अश्वमेघ यज्ञ कैसे हुआ O की खोज आर्य भट्ट ने की तो रावण के दस सर किसने गिने ओर अरबों वर्षों की गाड़ना रामायण की गाड़ना कैसे की गई वैदिक काल में गौ मास का सेवन किया जाता था फिर बदलाव कैसे हुआ और मनु स्मृति के अनुसार ब्राह्मणों के अलावा ओर किसी को पढ़ने लिखने का अधिकार नहीं है साक्षरता से दूर करने का प्रयास सिर्फ वेदों में ही क्यों किया गया लंगोट धोने से संतान मेंढक से संतान मेल से संतान हिरण से मानुष संतान मछली से बानर संतान दूसरों पर उंगली उठाने से पहले खुद के ग़लेबाँ में झांक कर देखलो
युगों से कोई पता नहीं लगता है असन जुग से सनातन धर्म चालू है यानी मनुष्य पैदा हुए उसी समय से सनातन धर्म है वहीं भगवान वही मनुष्य और वही सनातन धर्म यानी पहले भगवान और मनुष्य एक जैसे थे जैसे दस जनों के बीच में कोई एक ज्ञानी व्यक्ति होता है तो वह होशियार ज्ञानी महात्मा माना जाता है इसी प्रकार भगवान थे 626
अल्लाह ने सारी कायनात को अपने दोनों हाथों से छ दिन में बनाया है और सातवें रोज अर्श (आसमान) पर आराम करने के लिए लेट गया इससे दो बातों का पता चलता है 1, खुदा दो हाथों वाला एक मनुष्य है और छः दिन काम करने से थकावट महसूस कर रहा था अतः सातवें दिन आसमान पर आराम फरमाया यार क्या फिलासफी है कुछ समझ नहीं आती।😩😩
@@pankajsharma-wt6lgअल्लाह को न नींद आती है और न हीं उंघ। न ही वह थकाता है और न हीं उसे आराम की जरूरत है। न किसी ने उसे जन्म दिया है और न ही उसने किसी को जन्म दिया है।उसका कोई माता पिता, पत्नी या संतान नहीं।और उसके तुलनीय/समकक्ष कोई नहीं। ब्राह्म ने सारे संसार को बनाने के बाद स्त्री की रचना शुरू किया।उसे 6 दिन लग गय किन्तु स्त्री की रचना पूरा न हो सका उसने और समय लिया तब जाकर स्त्री की रचना पूरा किया। और जब वह मुकम्मल भगवान था तो एक पल में क्यों नहीं बना सका।उसके बाद विवाह किया जैसा की सभी जानते है।जैसा कि त्रिदेव में सभी के पत्नी और संतान की जानकारी मिलती है।इससे दो बातो का पता चलता है 1,ये कोई खुदा नहीं है इंसान है। जो शादी शुदा है जिनके अपनी इच्छाएं है जरूरियात है 2 इनको पैदा करने वाला भी कोई है और ये फिलोसोफी खुदा के संप्रभुता को चुनौती देता है क्योंकि यहां तीन तीन खुदा है जो इतिहास में लड़ाई भी किए थे अपने बात मनवाने के लिए।अल्लाह कुरान पाक में कहता है की अगर इस कायनात में दो खुदा होता तो इस कायनात का निजाम ही नहीं चलता। इसी लिए तुम्हारा फिलोस्फी भी हमे कुछ समझ नहीं आती। (अल्लाह का कोई साझीदार नहीं न ही वह किसी से राय/सलाह का मोहताज है) वह चाहे तो एक पल में कायनात बनाए या एक हफ्ता में यह उसकी मर्जी है और मुझे लगता है की ये जो सात दिन के एक सप्ताह होता हैं यह उसी की निशानियां है।अल्लाह चाहे तो सूई के नोक में इस धरती को क्या पुरी कायनात को समेट सकता है।और हम मुसलमान उसे ही अपना खुदा ( खुद+आ/ स्वयं आया हो) मानते है।
Is Kayinat / Brahmand Ka Khaliq Aur Malik Wo Akela Badshah ALLAH Hi Hai Apni Maon K Pet Se Paida Hone Wala Koyi Bhi Insan / Banda Apne Zamane Me Doosron Se Afzal / Shreshth To Ho Sakta Hai Lekin Khuda Nahi Ho Sakta. ALLAH TA'ALA Quraan Me Farma Raha Hai Ki Woh Insan Ko Ek Universal Qanoon e Fitrat Yaani Deene Islam Par Paida Karta Hai Lekin Dunya Me Aane K Baad Us K Ma Bap Use Jab Wo Dunya Ki Bhasha Samajhne Lagta Hai To Wo Use Apne Apne Raston / Manytaon Aur Alag Alag Dharmon Me Bant Dete Hain. Bachchon Ki Isi Universal Paidayish Ki Sachchayi Ko Samne Rakh Kar Aaiye Parakhte Hain. ..... Sansar Me Paida Hone Wala Har Bachcha ( Chahe Us K Ma Bap Dunya K Kisi Bhi Part K Rahne Wale Hon Ya Un Ka Dharm Zat Aur Mazhab Koyi Bhi Ho Jab Tak Wo Apne Ma Bap Ki Boli Nahi Bol Pata ) Masoom Hota Hai Zara Ghaur Se Aur Nishpakshta Se Ye Observe Karna Ki Jab Wo Bhookh Se Ya Dard Aur Takleef Se Vyakul Hota Hai To Wo Kise Pukarta Hai ? Han Rone Bilakhne K Waqt Us Ki Zaban Se Kisi Aur Ka Nahi Balki Sirf ALLAH ALLAH Hi Ka Nam Nikalta Hai. Ham Ne Aaj Tak Kisi Bachche Ko Aisi Halat Me He Ram, He Bhagwan He Ishwar , Oh Moses, Oh Jesus Ya Oh My God Pukarte Nahi Paya. To Phir Aakhir In Masoom Bachchon Ki Zaban Se ALLAH ALLAH Hi Kyun Nikalta Hai ? ❤Because Is Sansar Me Aankhen Kholne Se pahle 9 Maheene Tak Use Andheri Kothri Me Jisne Us Ko Zinda Aur Salamat Rakkha Lihaza Abhi Bhi Wo Takleef Aur Pareshani Me Apne Usi Khaliq O Malik Ko Yad Karta Hai Use Pahchanta Hai Aur Bar Bar Usi Ka Nam Pukarta Hai.❤
अब से लगभग 100 साल पुरानी कार की किताब आज की मर्सडीज कार के साथ दे दे तो किया आप उस किताब से मर्सडीज कार को चला पायेंगे इस लिए जब जब अवतार आए उन्हें किताब दी गई
.यह कैसे होगा कि ई’श्वर जो सारी दुनिया का पैदा करने वाला है, जब मानव के मार्गदर्शन का इरादा करे तो स्वयं ही पै’दा किए हुए किसी आदमी का वी’र्य बन जाए, अपनी ही बनाई हुई किसी म’हिला के ग’र्भ के अंधेरी कोठरी में प्रवेश करे, नौ महीने तक वहां कै’द रहे, निर्माण के विभिन्न चरणों से गज़रता रहे, खून और मांस में मिलकर पलता बढ़ता रहे, फिर अत्यंत तंग जगह से निकले, दूध पी’ने की आयु पूर्ण करे, बाल्यावस्था से गुजरते हुए जवान हो, फिर वह भग’वान बन जाए? …. फिर क्या ऐसा नहीं कि इंसान के रूप में पैदा होने के कारण लोग उसे इंसान ही मानेंगे? उसके साथ लोग वैसा ही व्यवहार करेंगे जो दूसरों के साथ करते हैं. उसको गालियां सु’नना पड़ सकती हैं, झूठे आ’रोपों में फँ’साया जा सकता है. सारांश यह कि इंसान के रूप में आने की वजह से उसको भी वही पाप’ड़ बेलने पड़ेंगे जो किसी मनुष्य को बे’लने पड़ते हैं …. क्या इस से उसके ईश्व’रत्व में ब’ट्टा न लगेगा? …. साफ बात है कि इश्वर यकता और बे मिस्ल है,
O bhai jesus Dharma badlne ka nhi khete dharam aap hindu hi rakho magar jesus to jivan badlta hai bhlae hi aap hinndu ho ya muslman ushke liye to sub ak hi hai bus wo to jivan badlta hai jivan @@rajivmandal4140
आचार्य जी आप आधेअधूरे ज्ञान से प्रवचन दे रहे हैं। परमेश्वर ने सारी सृष्टि के जीव जन्तु, पेड़ पौधा, सुर्य तारे, जल थल, को बनाने के बाद मनुष्य को बनाया । उसके पहले मनुष्य था ही नही। आप 2अरब साल की बात कर रहे हैं आप को बाईबल पढने की आवश्यकता है जिससे आपकी आखें खुल जायेगा।
दो अरब साल तक पृथ्वी आग का गोला व बरसात लगातार हो रही थी वैज्ञानिकों के अनुसार कोई जीव जन्तु ही नहीं पैदा हुए थे। तों वेद पुराण कहा से आ गये। भाई साहब जनता अब पढ़ने लिखने लगी है।
आप का तर्क अतिउत्तम है।इस संसार में वेद सबसे पहले आए।पहले वेदों को ब्राह्मणों द्वारा कंठस्थ किया जाता था। जिसको एक वेद आता था उसे वेदी, जिसे दो वेद आते उसे द्विवेदी,जिसे तीन वेद आते उसे त्रिवेदी, जिसे चार वेद कंठस्त होते उसे चतुर्वेदी कहते थे।
Manliya Ved, Bible aur Quran ek hai. Ab manual book k old version loge ya update version. Manabsavyata ab bahut develope ho chuka hai . Koi agar Mobile phone ka android chala raha hai wo kya mobile k keypad version ka manual book kaam chalayega?
जी आचार्य जी सनातन धर्म के मुख्य किताब वेद है । ( वेद वेद कि हमे बात हि नही पढना भी चाहिए ) हमे गीताजी भी पढ लेनी चाहिए । जो समानता सिखाती है लेकिन पुराणो को मनुस्मृति ( हमे कुछ नुकसान ) इससे भी हमको को नही पढना चाहिए | प्रमआत्मा हमे सद्बुद्धि दे । हरि ॐ
नगरी लिपि( nagari script) में लिखे वेद ....नागरि लिपि( After 8 AD) के पैदा होने से पहले पैदा हो गए.......वाह धूर्तआचार्य वाह...कहा से पढ़ ..कर आये हो....???
'धर्म'/'फित्र'/ 'मूल प्रकृति' किसी वस्तु या जीव की जन्मजात/आंतरिक प्रकृति है। उदाहरण के लिए सांप का धर्म है डंसना, आग का है तपना, बर्फ का है ठंडा करना। और चुंकी हम सब इंसान हैं तो हमारा 'धर्म' है 'इंसानियत'/ 'मानवता'। कोई भी 'मजहब'/ 'पंथ' इसी सहज/अंतर्निहित इंसानियत की प्रकृति/ प्रवृत्ति को उच्चत्तम स्तर तक ले जाने की और विकसित करने की एक प्रणाली है अत: हमें गारंटीकृत सफलता के लिए सर्वोत्तम उपलब्ध 'प्रणाली' / 'पंथ' (सच्चे ईश्वर द्वारा दिए गए धर्म) (उपलब्ध अनेको में से) का ही पालन करना चाहिए। ये जरूरी इंसान नहीं कि जिस धर्म/देश में (गलती से) पैदा हुआ है, वह सही ही हो। संस्कृत या अरबी या तुर्की भाषा में 'पानी'को अलग अलग नाम से पुकारते हैं पर वो 'एक' ही है। इसी प्रकार सबका ईश्वर- एक ही है और अकेला वह ही है। और च्योंकी हमारा कि हमारा निर्माता/पैदा करने वाला एक है इसलिए हम सभी एक जैसे ही हैं और हमारी ज़रूरतें और इच्छाएँ भी समान हैं। क्या आप तथाकथित भगवान से ये नहीं कह सकते हैं कि मुसलमान को मत बनाओ? या, इसके बजाय आपको दो सिर और चार हाथ दे दें ताकि आपको 'मनुष्यों के भगवान' ने उन्हें जो बनाया है, उससे अलग आपको पहचाना जा सके? और ये ज्ञात हो सके कि आपका बननेवाला भगवान उनसे अलग हैl हम सब एक जैसे हैं क्योंकि हमारा रचयिता 'एक' है। जैसे हमारा रचयिता एक है और वैसे ही उनका संदेश भी पृथ्वी पर मानव सभ्यता की शुरुआत से सभी के लिए 'एक ही' है - 1. कि हम झूठे भगवानो की पूजा कदापि न करें' और 2. 'अच्छे कर्म करें'। और इसलिए इस्लाम का संदेश 'सनातन काल' (प्राचीन दिनों) से एक ही है। वैदिक काल के लोग जो 'एक अन्देखे ईश्वर' की पूजा करते थे, वो वास्तव में उस समय के संस्कृत भाषा बोलने वाले मुसलमान थे। और इसलिए 'इस्लाम' (सच्चे ईश्वर की इच्छाओं के लिए अपनी इच्छा का समर्पण करना) प्राचीन काल से ही है और इसे एक बार फिर से पुनर्जीवित किया गया है (यदा यदा हि ... ईश्वर के सिद्धांत के अनुसार) अंतिम संदेशवाहक मुहम्मद सo द्वारा। सनातन( प्राचीन) काल से मनुष्यों का मार्गदर्शन करने वाले एक ही सच्चे हितैषी ईश्वर (सभी के निर्माता) की नवीनतम आज्ञाओं (कुरआन) का पालन न करने के पीछे यदि कोई भी श्रेष्ठता, अहंकार (किसी श्रेष्ठ समुदाय में पैदा होने का)है तो वो एक बड़ा पाप है अपने सच्चे निर्माता के प्रति, जो की पूर्ण अकृतघ्नता और विश्वासघात का परिचायक है। आशा है कि अल्लाह (एक निराकार भगवान) हम सभी की मदद करेगा।आमीन!
'धर्म'/'फित्र'/ 'मूल प्रकृति' किसी वस्तु या जीव की जन्मजात/आंतरिक प्रकृति है। उदाहरण के लिए सांप का धर्म है डंसना, आग का है तपना, बर्फ का है ठंडा करना। और चुंकी हम सब इंसान हैं तो हमारा 'धर्म' है 'इंसानियत'/ 'मानवता'। कोई भी 'मजहब'/ 'पंथ' इसी सहज/अंतर्निहित इंसानियत की प्रकृति/ प्रवृत्ति को उच्चत्तम स्तर तक ले जाने की और विकसित करने की एक प्रणाली है अत: हमें गारंटीकृत सफलता के लिए सर्वोत्तम उपलब्ध 'प्रणाली' / 'पंथ' (सच्चे ईश्वर द्वारा दिए गए धर्म) (उपलब्ध अनेको में से) का ही पालन करना चाहिए। ये जरूरी इंसान नहीं कि जिस धर्म/देश में (गलती से) पैदा हुआ है, वह सही ही हो। संस्कृत या अरबी या तुर्की भाषा में 'पानी'को अलग अलग नाम से पुकारते हैं पर वो 'एक' ही है। इसी प्रकार सबका ईश्वर- एक ही है और अकेला वह ही है। और च्योंकी हमारा कि हमारा निर्माता/पैदा करने वाला एक है इसलिए हम सभी एक जैसे ही हैं और हमारी ज़रूरतें और इच्छाएँ भी समान हैं। क्या आप तथाकथित भगवान से ये नहीं कह सकते हैं कि मुसलमान को मत बनाओ? या, इसके बजाय आपको दो सिर और चार हाथ दे दें ताकि आपको 'मनुष्यों के भगवान' ने उन्हें जो बनाया है, उससे अलग आपको पहचाना जा सके? और ये ज्ञात हो सके कि आपका बननेवाला भगवान उनसे अलग हैl हम सब एक जैसे हैं क्योंकि हमारा रचयिता 'एक' है। जैसे हमारा रचयिता एक है और वैसे ही उनका संदेश भी पृथ्वी पर मानव सभ्यता की शुरुआत से सभी के लिए 'एक ही' है - 1. कि हम झूठे भगवानो की पूजा कदापि न करें' और 2. 'अच्छे कर्म करें'। और इसलिए इस्लाम का संदेश 'सनातन काल' (प्राचीन दिनों) से एक ही है। वैदिक काल के लोग जो 'एक अन्देखे ईश्वर' की पूजा करते थे, वो वास्तव में उस समय के संस्कृत भाषा बोलने वाले मुसलमान थे। और इसलिए 'इस्लाम' (सच्चे ईश्वर की इच्छाओं के लिए अपनी इच्छा का समर्पण करना) प्राचीन काल से ही है और इसे एक बार फिर से पुनर्जीवित किया गया है (यदा यदा हि ... ईश्वर के सिद्धांत के अनुसार) अंतिम संदेशवाहक मुहम्मद सo द्वारा। सनातन( प्राचीन) काल से मनुष्यों का मार्गदर्शन करने वाले एक ही सच्चे हितैषी ईश्वर (सभी के निर्माता) की नवीनतम आज्ञाओं (कुरआन) का पालन न करने के पीछे यदि कोई भी श्रेष्ठता, अहंकार (किसी श्रेष्ठ समुदाय में पैदा होने का)है तो वो एक बड़ा पाप है अपने सच्चे निर्माता के प्रति, जो की पूर्ण अकृतघ्नता और विश्वासघात का परिचायक है। आशा है कि अल्लाह (एक निराकार भगवान) हम सभी की मदद करेगा।आमीन!!
Quraan aur allah jhuth he. Yeshu Masih ne yeh sabit kar diya, Yeshu Masih ne kaha " Mey mar gaya tha aur ab dekho mey yoganu yug jibit hu ( Bible Revelation 1:18). Yeshu Masih kahta he " Mera hatheli aur chati ke ched me ungli dal kar dhekhlo (Biblle John 20:27). Quraan ka allah ko yeh sab pata nahi he. Quraan kahta Yeshu Masih cross par nahi mara. Yeshu Masih jhutho ka pardafash karne ke liye hi aya tha (Bible 1 John 3:8). Jisne manab jati ka moksh/ananta jibon ke liye Lohu bahaya, salib par apna jan diya, usko inkar karne wala saitan iblish nahi to aur kya he. Yeshu Masih ne Vabiswa bani kar rakha he, Sare jhutho ka pardafash hoga ( Bible Matthew 10:26)
Arya Samaj .Hindu me kya fark he jo Nastik .marksvadi .girgit .Hindu murti pujta to kya duniya pujte he murti ईसा मसीह किस पर बुद्ध kispar..majar..kiski
Consider the following verses: Quran 21.30 Do the disbelievers not realize that the heavens and earth were ˹once˺ one mass then We split them apart?1 And We created from water every living thing. Will they not then believe? 51.47 We built the universe with ˹great˺ might, and We are certainly expanding ˹it˺. 53.1 By the stars when they fade away. “Then God turned to the creation of the heavens (the planets), when they were but a smoky substance.” (41:11) 27.88 Now you see the mountains, thinking they are firmly fixed, but they are travelling ˹just˺ like clouds. ˹That is˺ the design of Allah, Who has perfected everything. Surely He is All-Aware of what you do. 67.30 Say, “Consider this: if your water were to sink ˹into the earth˺, then who ˹else˺ could bring you flowing water?” Only earth has flowing water which is a miracle and is told in the Quran.
There's one thing which is similar in all..... God is one and his final messanger is prophet Muhammad.. Rig Veda Book no 1 hymn 165 verse 46........god is one and truth.... Bavisya Purana kand.3 adyaa 3 purve 3 Verse 5 to 8..
Offcourse god is one but he is not allah allah do magic real ishwar created this universe scientifically he gave physics aviation space science in Vedas om hi Satya ha murti puja asatya ha
किताब मशीन के साथ आती है तुम्हारी किताब से बहुत पहले द्वापर,त्रेता और सतयुग का तो इतिहास भर रखा है सनातन वैदिक धर्म में आर्यसमाज के सत्संग में जाओ सनातन धर्म को जानना है तो
हम लोग सदियों से यह बात कहते और सुनते आ रहे कि परमेश्वर निराकार है प्रकाश स्वरूप हैं, निराकार का मतलब जो सृष्टि के कण-कण में व्यापत हैं, सिद्ध पुरुष सर्वदा सर्वव्यापक, सर्वान्तर्यामी न्यायकारी परमात्मा को सर्वत्र जानता और मानता है वह पुरुष सर्वदा परमेश्वर को सबके बुरे-भले कर्मों का द्रष्टा जानकर एक क्षणमात्र भी परमात्मा से अपने को अलग न मानते हुए कुकर्म करना तो बड़ी दूर का बात रही वह मन में भी कुचेष्टा नहीं कर सकता । क्योंकि वह जानता है जो मैं मन, वचन, कर्म से भी बुरा काम करूंगा तो इस अन्तर्यामी निराकार ब्रह्म के न्याय से बिना दण्ड पाए कदापि नही बचूंगा। इसलिए ईश्वर को निराकार रूप में भजने वाले उपासक साधक कण कण में विराजमान मानते हुए शुद्ध, पवित्र जीवन जीते हुए सबकों श्रेष्ठ मार्ग पर चलने की प्रेरणा देते रहते हैं। भगवान एक अनंत अगाध समुद्र की भाँती है, जिस साधक ने जितनी डुबकी लगाई उसने परमात्मा का उतना ही बखान किया।
'धर्म'/'फित्र'/ 'मूल प्रकृति' किसी वस्तु या जीव की जन्मजात/आंतरिक प्रकृति है। उदाहरण के लिए सांप का धर्म है डंसना, आग का है तपना, बर्फ का है ठंडा करना। और चुंकी हम सब इंसान हैं तो हमारा 'धर्म' है 'इंसानियत'/ 'मानवता'। कोई भी 'मजहब'/ 'पंथ' इसी सहज/अंतर्निहित इंसानियत की प्रकृति/ प्रवृत्ति को उच्चत्तम स्तर तक ले जाने की और विकसित करने की एक प्रणाली है अत: हमें गारंटीकृत सफलता के लिए सर्वोत्तम उपलब्ध 'प्रणाली' / 'पंथ' (सच्चे ईश्वर द्वारा दिए गए धर्म) (उपलब्ध अनेको में से) का ही पालन करना चाहिए। ये जरूरी इंसान नहीं कि जिस धर्म/देश में (गलती से) पैदा हुआ है, वह सही ही हो। संस्कृत या अरबी या तुर्की भाषा में 'पानी'को अलग अलग नाम से पुकारते हैं पर वो 'एक' ही है। इसी प्रकार सबका ईश्वर- एक ही है और अकेला वह ही है। और च्योंकी हमारा कि हमारा निर्माता/पैदा करने वाला एक है इसलिए हम सभी एक जैसे ही हैं और हमारी ज़रूरतें और इच्छाएँ भी समान हैं। क्या आप तथाकथित भगवान से ये नहीं कह सकते हैं कि मुसलमान को मत बनाओ? या, इसके बजाय आपको दो सिर और चार हाथ दे दें ताकि आपको 'मनुष्यों के भगवान' ने उन्हें जो बनाया है, उससे अलग आपको पहचाना जा सके? और ये ज्ञात हो सके कि आपका बननेवाला भगवान उनसे अलग हैl हम सब एक जैसे हैं क्योंकि हमारा रचयिता 'एक' है। जैसे हमारा रचयिता एक है और वैसे ही उनका संदेश भी पृथ्वी पर मानव सभ्यता की शुरुआत से सभी के लिए 'एक ही' है - 1. कि हम झूठे भगवानो की पूजा कदापि न करें' और 2. 'अच्छे कर्म करें'। और इसलिए इस्लाम का संदेश 'सनातन काल' (प्राचीन दिनों) से एक ही है। वैदिक काल के लोग जो 'एक अन्देखे ईश्वर' की पूजा करते थे, वो वास्तव में उस समय के संस्कृत भाषा बोलने वाले मुसलमान थे। और इसलिए 'इस्लाम' (सच्चे ईश्वर की इच्छाओं के लिए अपनी इच्छा का समर्पण करना) प्राचीन काल से ही है और इसे एक बार फिर से पुनर्जीवित किया गया है (यदा यदा हि ... ईश्वर के सिद्धांत के अनुसार) अंतिम संदेशवाहक मुहम्मद सo द्वारा। सनातन( प्राचीन) काल से मनुष्यों का मार्गदर्शन करने वाले एक ही सच्चे हितैषी ईश्वर (सभी के निर्माता) की नवीनतम आज्ञाओं (कुरआन) का पालन न करने के पीछे यदि कोई भी श्रेष्ठता, अहंकार (किसी श्रेष्ठ समुदाय में पैदा होने का)है तो वो एक बड़ा पाप है अपने सच्चे निर्माता के प्रति, जो की पूर्ण अकृतघ्नता और विश्वासघात का परिचायक है। आशा है कि अल्लाह (एक निराकार भगवान) हम सभी की मदद करेगा।आमीन!
@@togetservi4342 @togetservi4342 @togetservi4342 Quraan aur allah jhuth he. Yeshu Masih ne yeh sabit kar diya, Yeshu Masih ne kaha " Mey mar gaya tha aur ab dekho mey yoganu yug jibit hu ( Bible Revelation 1:18). Yeshu Masih kahta he " Mera hatheli aur chati ke ched me ungli dal kar dhekhlo (Biblle John 20:27). Quraan ka allah ko yeh sab pata nahi he. Quraan kahta Yeshu Masih cross par nahi mara. Yeshu Masih jhutho ka pardafash karne ke liye hi aya tha (Bible 1 John 3:8). Jisne manab jati ka moksh/ananta jibon ke liye Lohu bahaya, salib par apna jan diya, usko inkar karne wala saitan iblish nahi to aur kya he. Yeshu Masih ne Vabiswa bani kar rakha he, Sare jhutho ka pardafash hoga ( Bible Matthew 10:26) @togetservi4342 @togetservi4342 Quraan aur allah jhuth he. Yeshu Masih ne yeh sabit kar diya, Yeshu Masih ne kaha " Mey mar gaya tha aur ab dekho mey yoganu yug jibit hu ( Bible Revelation 1:18). Yeshu Masih kahta he " Mera hatheli aur chati ke ched me ungli dal kar dhekhlo (Biblle John 20:27). Quraan ka allah ko yeh sab pata nahi he. Quraan kahta Yeshu Masih cross par nahi mara. Yeshu Masih jhutho ka pardafash karne ke liye hi aya tha (Bible 1 John 3:8). Jisne manab jati ka moksh/ananta jibon ke liye Lohu bahaya, salib par apna jan diya, usko inkar karne wala saitan iblish nahi to aur kya he. Yeshu Masih ne Vabiswa bani kar rakha he, Sare jhutho ka pardafash hoga ( Bible Matthew 10:26) @togetservi4342 @togetservi4342 Quraan aur allah jhuth he. Yeshu Masih ne yeh sabit kar diya, Yeshu Masih ne kaha " Mey mar gaya tha aur ab dekho mey yoganu yug jibit hu ( Bible Revelation 1:18). Yeshu Masih kahta he " Mera hatheli aur chati ke ched me ungli dal kar dhekhlo (Biblle John 20:27). Quraan ka allah ko yeh sab pata nahi he. Quraan kahta Yeshu Masih cross par nahi mara. Yeshu Masih jhutho ka pardafash karne ke liye hi aya tha (Bible 1 John 3:8). Jisne manab jati ka moksh/ananta jibon ke liye Lohu bahaya, salib par apna jan diya, usko inkar karne wala saitan iblish nahi to aur kya he. Yeshu Masih ne Vabiswa bani kar rakha he, Sare jhutho ka pardafash hoga ( Bible Matthew 10:26) @togetservi4342 @togetservi4342 Quraan aur allah jhuth he. Yeshu Masih ne yeh sabit kar diya, Yeshu Masih ne kaha " Mey mar gaya tha aur ab dekho mey yoganu yug jibit hu ( Bible Revelation 1:18). Yeshu Masih kahta he " Mera hatheli aur chati ke ched me ungli dal kar dhekhlo (Biblle John 20:27). Quraan ka allah ko yeh sab pata nahi he. Quraan kahta Yeshu Masih cross par nahi mara. Yeshu Masih jhutho ka pardafash karne ke liye hi aya tha (Bible 1 John 3:8). Jisne manab jati ka moksh/ananta jibon ke liye Lohu bahaya, salib par apna jan diya, usko inkar karne wala saitan iblish nahi to aur kya he. Yeshu Masih ne Vabiswa bani kar rakha he, Sare jhutho ka pardafash hoga ( Bible Matthew 10:26)
Atal ji ka sasan tha janta unke संविधान पर चलती थी अब मोदी जी का सासन है मोदी जी ने संविधान में संशोधन कर दिए तो अब मोदी जी के संविधान पर चलना पड़े गा ab atal ji ka kanoon nahi chalega vaid se jo mila us samay ke log chalte thhe jab संशोधन संविधान में आया तो बाइबल पर चलना पड़ेगा संविधान संदोधित हो कर कुरान agsya तो कुरान पर चलना पड़ेगा की वैद ओर बाइबल पर जब कुरान पर नहीं चलो ge t o ishwar ke kanoon ka उल्लंघन होगा तो न्याय में क्या मिलेगा दंड के भागीदार होगे लोगोंको बहकाकर pop ka भागीदार न बनिए धन्यवाद
गुरुजी आप इसका व्याख्यान अगले जन्म में जरूर बता पाएंगे क्योंकि जब आपका जन्म अलग किसी धर्म में होगा और तब आप उसे धर्म को श्रेष्ठ बताएंगे क्योंकि आप हिंदू धर्म से हैं तो वेद को श्रेष्ठ बता रहे हैं जब आप मुस्लिम या इसाई धर्म के होंगे में पैदा होंगे तब आपको बाइबल कुरान श्रेष्ठ ग्रंथलगेगा
धर्मों का सम्मान करना ठीक है लेकिन गलत धर्म या स्वार्थी लोगों द्वारा तुच्छ लाभ के लिए दूषित धर्म का पालन करना सही काम नहीं हो सकता है। इसलिए, सभी के लिए यह सत्यापित करना आवश्यक हो जाता है कि वे जो मानते हैं वह 'सत्य' है भी या नहीं। यदि ईश्वर सभी के लिए 'एक' है तो तमाम मानवता के लिए उसका संदेश भी एक ही होना चाहिए ना की अलग-अलग युग/काल, भाषा या भौगोलिक क्षेत्र के विभिन्न लोगों के लिए अलग-अलग । वह 'एक संदेश' क्या है जो ईश्वर आदि काल से अलग-अलग ऋषियों और पैगम्बरों के माध्यम से इंसानो को दे रहा है? इसे समझने के लिए सबसे पहले हमें अपने जन्म द्वारा दी गई अपनी सांसारिक पहचान जैसे- मुस्लिम, ईसाई, हिंदू, बौद्ध आदि को छोड़ना होगा और खुद से ये पूछना होगा कि 'अगर मैं दूसरे समुदाय में पैदा हुआ होता तो मेरा 'सत्य' क्या होता'? क्या वो 'सत्य' मेरे आज के माननेवाले 'विश्वास' से भिन्न नहीं होता? यदि वह एक 'अलग' 'सत्य' होता तो फिर या तो वह गलत है या वह जिसका मैं अभी अनुसरण करता हूं वह गलत है। क्योंकि 'सत्य' को तो सभी इंसानो के लिए प्रकृति में सार्वभौमिक,एक समान होना चाहिए और बिना किसी अंतर या विसंगति के सभी के लिए समान रूप से लागू होना चाहिए। कोई भी 'सत्य' जो समान रूप से दुनिया के तमाम इंसानों पर लागू नहीं होता वो कतई 'यूनिवर्सल सत्य' नहीं हो सकता l मानवता ने जो सबसे बड़ी 'ऐतिहासिक गलती' बार बार हर काल में की है, वह यह है कि उन्होंने झूठे भगवानों/मानव-निर्मित भगवानों या मनुष्यों/ पशुओं या प्रकृति को 'भगवान' के रूप में पूजा करना शुरू कर दिया और सभी के 'सच्चे एक भगवान' के अधिकार और संप्रभुता कि अहवेलना कर खुद का नुक्सान किया है। और इसलिए आज हम देख रहे हैं कि सबके 'अलग अलग भगवान' पूरी मानवता को भ्रमित कर रहे हैं ... और इसी पाप को रोकने के लिए भगवान समय-समय पर संतों और पैगम्बरों के माध्यम से अपना दिव्य ज्ञान भेजते रहे। जिन्होंने अपने रहते समाज में पुनः सत्य की स्थापना की, लेकिन उनके जाने के बाद आने वाली पीढ़ियों तक उनका ज्ञान सही ढंग से नहीं पहुंचा और साथ ही बेईमान लोगों के छल-कपट के कारण 'सच्चा संदेश' दूषित हो गया। और इसीलिए 'एक खुदा' के सत्य को फिर से स्थापित करने के लिए अंतिम संदेशवाहक पैगंबर मुहम्मद (PBUH) को पूरी मानवता के लिए धरती पर भेजा गया था ... लेकिन अपनी 'भौगोलिक सांसारिक पहचान' के भ्रम में जकड़े लोग यह नहीं देख पा रहे हैं कि उन्हें वही संदेश दिया गया है जो उनके पहले आने वाले सभी पैगम्बरों और संतों को दिया गया था, यानी की- 'भटकी हुई मानवता को उनके सच्चे ईश्वर की ओर बुलाना' .......और जब तक हम सभी राष्ट्रों के सभी समय के संदेशवाहको को एक ही 'संदेश' देने वाले के रूप में स्वीकार नहीं करते हैं, तब तक हम हमेशा 'तेरा-मेरा' कर के अलग रहेंगे या 'अपनी डफली अपना राग' के लिए प्रवण होंगे..जबकि हमारे दिल और अंतरात्मा की गहराई में हम सभी जानते हैं कि हम सभी भाई-बहन 'एक ही मानव परिवार' के हैं। एक विनम्र आत्मा दूसरों को तब तक अस्वीकार नहीं करती जब तक कि उसने अपनी 'पसंद/चुनाव' बनाने से पहले दूसरे धर्म के संदेश का अध्ययन और विचार नहीं किया हो। ये समस्त छनिक संसारिक जीवन सिर्फ दो बातों को चुनने के बारे में है- 1. सही विश्वास ('एक निराकार खुदा') और 2. सत्य कर्म (अच्छे कर्म)। किसी भी ''आत्मा' को तब तक मुक्ति नहीं मिलेगी जब तक कि उसने इस्लाम की उपरोक्त दो सत्य चुनावो को आत्मसात ना कर लिया हो। सम्मान सहित,
Muslim dharm 1448 saal pahele aaya aur aaj duniya mein 57 muslim desh hai christan dharm duniya mein 2000 saal pahele aaya aur aaj duniya mein 70 christan desh hai Aur aap keh rahe hain ki hindu dharm duniya mein 2 arab saal pahele aaya issliye hindu dharm hi saccha hai toh phir mera ek sawal hai ki 2 arab saal pahele aakar bhi aaj duniya mein ek bhi sanatan (hindu) desh kyun nahi hai ?
अद्भुत अद्भुत मेरी जिंदगी में ऐसा वीडियो नहीं देखा है मैंने कभी भी यह हम हमारे पाखंडी लंपट महाराज ऐसी बातें बताते ही नहीं है बारे में कुछ वेद के बारे में कुछ बताते
जिस दिन भारत की समस्त जनता प्रश्न करने लग जाएगी उस दिन सभी मूर्खाधीशों और पाखंडाधीशों के ध्वज गिर जाएंगे।
बिल्कुल सही कहा आपने दिल से धन्यवाद।पाप न लग जाए आपको भी गुरु की संतों की, शास्त्रों की,वेदों-पुराणो में कही गई झूंठी बातो को न मानने के लिए पाप से आपको डर नहीं लगता , मुझे तो लगता है पर मानता किसी की नहीं चाहे विज्ञान ही क्यों न हो।जैसे बंदर हमारे पूर्वज हैं तो मनुष्य बंदर आज भी मौजूद है सारे जीव मौजूद है फिर बंदर से एक भी मनुष्य अभी तक तो नहीं बना क्यों ॽ।कैसे मानू
बिलकुल सही.जैसे हनुमान और वानर सैना@@SunderLal-vi1kj
@@swamianandbhartiya6241 नबी के बाद "गुरु नानक देव" जी आये,जिनके कारण "सिक्ख धर्म" है । इसलिए अंतिम नबी का राग अलापना जाकिर नाईक की तरह बन्द कर दें ।। रामायण में 1443 बार राम का नाम आया है,बाइबिल में 23 बार राम का नाम आया है, गुरु ग्रन्थ साहिब में 9258 बार राम का नाम आया है । कुरान में एक बार भी राम का नाम नहीं आया है,इसीलिए एवं अनेक कारणो से "अली सीना" ने USA में जाकर एक किताब Understanding Mohammad लिखी । इस किताब को Google से download किया जा सकता है । इस किताब को पढ़े,तब मोहम्मद की वास्तविकता पता चलती है । बिना पढ़े Cross reply ना दें ,क्योंकि आखिरत में "राम" ही "काल्कि-अवतार" लेकर आयेंगे एवं सभी मनुष्यो का कल्याण करेंगें,इस बात को डा जाकिर नाईक साहित कई अन्य बड़े आलिम भी स्वीकार करते है ।। आखिरत का Concept केवल मुसलमानों पर लागू होता है,क्योंकि नबी मोहम्मद ने ही इस्लाम को सर्वाधिक चोट पहुँचायी है ।।
@@SunderLal-vi1kj नबी के बाद "गुरु नानक देव" जी आये,जिनके कारण "सिक्ख धर्म" है । इसलिए अंतिम नबी का राग अलापना जाकिर नाईक की तरह बन्द कर दें ।। रामायण में 1443 बार राम का नाम आया है,बाइबिल में 23 बार राम का नाम आया है, गुरु ग्रन्थ साहिब में 9258 बार राम का नाम आया है । कुरान में एक बार भी राम का नाम नहीं आया है,इसीलिए एवं अनेक कारणो से "अली सीना" ने USA में जाकर एक किताब Understanding Mohammad लिखी । इस किताब को Google से download किया जा सकता है । इस किताब को पढ़े,तब मोहम्मद की वास्तविकता पता चलती है । बिना पढ़े Cross reply ना दें ,क्योंकि आखिरत में "राम" ही "काल्कि-अवतार" लेकर आयेंगे एवं सभी मनुष्यो का कल्याण करेंगें,इस बात को डा जाकिर नाईक साहित कई अन्य बड़े आलिम भी स्वीकार करते है ।। आखिरत का Concept केवल मुसलमानों पर लागू होता है,क्योंकि नबी मोहम्मद ने ही इस्लाम को सर्वाधिक चोट पहुँचायी है ।।
@@prakashbhikajighewande1784 नबी के बाद "गुरु नानक देव" जी आये,जिनके कारण "सिक्ख धर्म" है । इसलिए अंतिम नबी का राग अलापना जाकिर नाईक की तरह बन्द कर दें ।। रामायण में 1443 बार राम का नाम आया है,बाइबिल में 23 बार राम का नाम आया है, गुरु ग्रन्थ साहिब में 9258 बार राम का नाम आया है । कुरान में एक बार भी राम का नाम नहीं आया है,इसीलिए एवं अनेक कारणो से "अली सीना" ने USA में जाकर एक किताब Understanding Mohammad लिखी । इस किताब को Google से download किया जा सकता है । इस किताब को पढ़े,तब मोहम्मद की वास्तविकता पता चलती है । बिना पढ़े Cross reply ना दें ,क्योंकि आखिरत में "राम" ही "काल्कि-अवतार" लेकर आयेंगे एवं सभी मनुष्यो का कल्याण करेंगें,इस बात को डा जाकिर नाईक साहित कई अन्य बड़े आलिम भी स्वीकार करते है ।। आखिरत का Concept केवल मुसलमानों पर लागू होता है,क्योंकि नबी मोहम्मद ने ही इस्लाम को सर्वाधिक चोट पहुँचायी है ।।
. किसी भी धर्म के बारे में विचार करने के लिए सबसे पहले आवश्यक होता है कि यह जानने की कोशिश की जाये कि वह धर्म अपने वास्तविक रूप में आज शेष भी है या नहीं । यदि वह अपने वास्तविक रूप में शेष नहीं है और उसकी शिक्षाओं में बहुत कुछ परिर्वतन और कमी - बेशी हो गई है , तो फिर वह धर्म सुरक्षित ही कहाँ रहा कि उस पर विचार करने का कोई सवाल पैदा हो । किसी धर्म के बारे में यह जानने के लिए कि वह अपने वास्तविक रूप में बाकी है या नही हमें उसके ग्रन्थों का अध्ययन करना पड़ता है । क्योंकि किसी धर्म के विषय में जानकारी प्राप्त करने का मूल साधन उसके ग्रन्थ ही हैं । यदि किसी धर्म के अनुयायी अपने धार्मिक ग्रन्थ को सुरक्षित न रख सके , तो इसका अर्थ यह है कि उनका धर्म ही सुरक्षित न रहा ।
@@akramparvez6510 नबी के बाद "गुरु नानक देव" जी आये,जिनके कारण "सिक्ख धर्म" है । इसलिए अंतिम नबी का राग अलापना जाकिर नाईक की तरह बन्द कर दें ।। रामायण में 1443 बार राम का नाम आया है,बाइबिल में 23 बार राम का नाम आया है, गुरु ग्रन्थ साहिब में 9258 बार राम का नाम आया है । कुरान में एक बार भी राम का नाम नहीं आया है,इसीलिए एवं अनेक कारणो से "अली सीना" ने USA में जाकर एक किताब Understanding Mohammad लिखी । इस किताब को Google से download किया जा सकता है । इस किताब को पढ़े,तब मोहम्मद की वास्तविकता पता चलती है । बिना पढ़े Cross reply ना दें ,क्योंकि आखिरत में "राम" ही "काल्कि-अवतार" लेकर आयेंगे एवं सभी मनुष्यो का कल्याण करेंगें,इस बात को डा जाकिर नाईक साहित कई अन्य बड़े आलिम भी स्वीकार करते है ।। आखिरत का Concept केवल मुसलमानों पर लागू होता है,क्योंकि नबी मोहम्मद ने ही इस्लाम को सर्वाधिक चोट पहुँचायी है ।।
@@akramparvez6510 torat old bible ko change kar ke new kar ke nya dhram bana dena dena to usko dhram ki suraksha khite hai ,
Dhram naya nahi hai pahle din se hai islam same same per nabi aye allah ka mesage leker jinhe sudhrna tha sudhrye baqi ko allah ne anjam pr phonchya sari duniya mere nabi ke liye baniour islam mukammal hoa ab bhi jo mane theek nahi to qyamat ke bad anjam per phonchyengy in main musalman bhi hain munafiq hai dikhawa kartye hainsabka anjam allah ko maloom hain
@Rafiakazmi jab yhudiyo ne khuda ak hi btaya to itne Nabi ane ki kya jarurat thi
To ved ki hi bat mana kro ved me likha hai khuda ek hai uska koi akar nhi hai
Fir murti pooja kyu krte ho
बाइबल और संविधान की किताब में कुछ फर्क नहीं दोनों में न्याय हैं। बाइबल में संविधान की किताब से भी ज्यादा न्याय है विश्वास नहीं होता तो बाइबल पूरा पढ़ कर देख लेना ❤❤
यहोवा धर्मी और सिधा है, इसलिये वो पापीयों को मार्ग दिखायेगा. ..Praise the Lord
यही बात सभी धर्म वाले कहते हैं,जब बाइबिल इतना संवैधानिक हैं तो किस देश में बाइबिल संविधान के रूप में चलता है,सिर्फ बाइबिल नहीं सभी धार्मिक किताबें इंसान ने लिखा है।
Bayble ki sabi battt hindo k dharam sa li gayi h
Sb sahi hai bt isa ko ishwar ka beta manna khudkpr zulm Krna hai
Ek Allah
Ek Nabi
Ek qur an
Ek ummat
Ye hai Mera Islam ❤🎉
Lakum deenukum walya deen
कुरान से पहले अल्लाह कहीं नहीं था किसी भी किताब में
Ap galat bata Raheho ,Jara study karo..
Y@@atulgupta6476aisa aqal ke andhe samajhte hain .......
It's your islam 👎👎👎
th-cam.com/video/L8mn1VgTgcE/w-d-xo.htmlsi=QQJE2gqy9BeZUvwM
@@arshadahmed6081 42साल के बाद एक ज़ाहिल व्यभिचारी को इल्म होता है कि वो तो नबी हैं पिगंबर हैं 🤓🧐🤔😅🤣😂😃
उसे अपने पापी इस्लाम को स्थापित करने में 12साल लगे वो भी आतंक हत्या लूट बलात्कार दहशतगर्दी के दमपर, जिसे दुनियां ने फर्जी कहा, जबकि कुरआन स्वयं कहती है।
फिर भी ज़ाहिलो को सुअर की तरह तट्टी में अच्छाई देख रहे है 🧐🤔🤓😂🤣😅
तुम्हारा मकसद है सिर्फ सनातन को सच्चा साबित करना , तुम सिर्फ सनातन को मानते रहो भाई
दूसरों की फटी मैं टांग मत अढ़ाओ......!
Be waquf insan Quran to padh lena tha phir pata chalta ke humare Malik ka duniya hi s qanoon hai we Quran Quran Quran har ingale se parfect hai padh le
क़ुरआन को शरीफ मानने वाले 300 करोड़ से ज़यादा लोग हैं।
th-cam.com/video/L8mn1VgTgcE/w-d-xo.html
Ex Muslim sahil and andam shkeer ktm kr daga
संसार में पहला इंसान कौन है स्वामी जी बताइए
आदम
@@Mahendrasingh-yp4gjright
Adam alayhis salam duniya me sabse pehle aye the
बाइबल 2000 साल पहले नही आप को नही पत्ता बाइबल जब संसार की उत्पति हुई तब से आया है बाइबल पढ के देख ले बोलने वाले कुछ भी बोल देने है
जय मसीह की ईशवर को धनयावाद ❤❤
ऐसे ऐसे तर्कों ने ही हिन्दू धर्म का मज़ाक उड़वाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है।
@@Funnndommm नबी के बाद "गुरु नानक देव" जी आये,जिनके कारण "सिक्ख धर्म" है । इसलिए अंतिम नबी का राग अलापना जाकिर नाईक की तरह बन्द कर दें ।। रामायण में 1443 बार राम का नाम आया है,बाइबिल में 23 बार राम का नाम आया है, गुरु ग्रन्थ साहिब में 9258 बार राम का नाम आया है । कुरान में एक बार भी राम का नाम नहीं आया है,इसीलिए एवं अनेक कारणो से "अली सीना" ने USA में जाकर एक किताब Understanding Mohammad लिखी । इस किताब को Google से download किया जा सकता है । इस किताब को पढ़े,तब मोहम्मद की वास्तविकता पता चलती है । बिना पढ़े Cross reply ना दें ,क्योंकि आखिरत में "राम" ही "काल्कि-अवतार" लेकर आयेंगे एवं सभी मनुष्यो का कल्याण करेंगें,इस बात को डा जाकिर नाईक साहित कई अन्य बड़े आलिम भी स्वीकार करते है ।। आखिरत का Concept केवल मुसलमानों पर लागू होता है,क्योंकि नबी मोहम्मद ने ही इस्लाम को सर्वाधिक चोट पहुँचायी है ।।
दुनिया जब से बनी है तब से लेकर 1400 साल पहले तक ईश्वर ने एक लाख 24 हज़ार इससे कम या ज़्यादा धरती पर अपने दूत भेजे है ,आदम से लेकर प्रॉफिट मोहम्मद साहब तक,आप कुरान को अभी की किताब कह रहे हो,पर उस क़िताब में दुनिया बानी तब से लेकर खत्म होने तक की ख़बर मौजूद है,,,दुनिया के रचयता ने सब कुछ सहने: शनः ही दुनिया को ग्ज्ञान दिया ,अगर आप वेद की बात करते हो तो उसमें भी आने अंतिम ऋषि का वर्णन होगा ही,बहुत लंबी बहस हो जाएगी सत्य तो यह के इस धरती का निर्माता निर्देशक एक अल्लाह,अर्थात, एक ईश्वर, god है जो निराकार है,न उसे किसी ने पैदा किया न उसने किसी को पैदा किया, बस वह कहता है होजा तो होजाता है,सूरज ,चांद धरती बदल ,बारिश,जीवन मृत्यु सब का मालिक वह सब उसकी मर्जी से होता है,ईश्वर एक है अनेक नही,,किताबे जो आसमानी है,,अर्थात ईश्वरी हो उसका अधिययन करो,, आगे बढ़ो,किसी के धर्म को नीचा न करो किसी भी धर्म के पेशवा को ग़लत मत कहे मौत बहुत करीब है उसके बाद सारा भेद खुल जावेगा,,कौन सत्य है और कौन असत्य,,,
Aur Kuran ne Bata Diya ki Dharti chapti hai
Right
Dharti chapti hai yahi batata h Kiran 😂
कुरान में चपटी जमीन का कोई उल्लेख नहीं 😅 अगर कुरान जमीन को चपटी कहेगा , तो भला कोई इस्लाम कबूल करेगा 🤔 यानी कुरान में धरती चपटी है 😅 जान बुझ कर फैलाया एक भ्रम है ,जो सिर्फ हिंदू बोलते है 😅
A little knowledge is a dangerous thing. Ostrich ka Anda dekha hai The Earth resembles that .Quran padhein .
इतने साल पहले तो इंसान नही था, तो वेद किसके पास था
भाई यही लोग हैं। जो मानवता को भटका कर अपना उल्लू सीधा करते है। जो हवन का मंत्र पड़ कर गिनती बताया है। उस मंत्र को आप पड़े और अनुवाद करे ।तब अनुवाद कुछ और ही निकलेगा । दूसरी बात 2 अरब साल पहले वेद आया तो इसको किसने लिखा था कौनसी भाषा में था । रिसर्च से मालूम होता है। आज से 3000 हजार साल पहले चमड़े पर लिखाई शुरू हुई फिर पते पर फिर कागज बना । इनका सब कुछ प्रवचन झूट पर है। इसलिए लोगो को धर्म की शिक्षा के बजाए साइंस टेक्नोलॉजी की शिक्षा लेनी चाहिए। और जब देश शिक्षित होंगा यह सब गायब होंगे तब इनको सुनने वाला कोई नहीं होंगा ।
सही बात है सत्य मेव जयते
Khoj kare, puchh kyo rahi hai, ye aap ki dharm ki bat hai
Enike dada ke paas
कागज का अविष्कार चाइना ने किया तो वेद भारत में कहा था
उससे पहले वेद taad पत्र की पांडुलिपियों में लिखा जाता था, कागज पे नहीं महोदय।
Ved ka matlab janne ko सत्यार्थ प्रकाश पढ़ो
Nile kabutaro ka ka gyan latring saaf karne layak hota hai
Jab desh ajad hua tha to satta galat hatho mai thi phir saty ka astay kiya hai , jhut ko Satya ki tarah prosha gya
महाराज जी आप 100% सत्य बोलरहे है मशीन के साथ किताब आना ही चाहिए।
आपने तीन धर्मो की बात की और मनगढ़ंत तर्को से ये सिद्ध करने की कोशिश की है कि कौन सा धर्म सत्य है और भूमिका बांधी ऊटपटांग तर्को से ये सिद्ध करने कि वैदिक धर्म ही सत्य है बाकी असत्य है।
आपने एक मिसाल दी कि मशीन के साथ मशीन बनाने वाला मशीन के साथ किताब भी देता, और किताब के साथ ही आनी चाहिए, बिल्कुल सही
लेकिन किताब मशीन और किताब का लाने वाला कोई होना चाहिए, मशीन बनाने वाला तो पूरी दुनियाभर मे मशीन और किताब बांटता तो नही फिरे गा?
तो आपने नही बताया की मशीन (धर्म), और किताब ( वेद) लाने वाला कौन था और मशीन ( धर्म) और किताब ( वेद) बनाने वाला कौन है?
और आपने किताब का जिक्र किया है जो बहुवचन है लेकिन वेद तो 3 है जिनका लेखन कार्य तीनो वेदो के बीच भी कई वर्षो का अंतर है जबकि मशीन की पूरी टेक्निक एक ही किताब मे लिखता है उस किताब की प्रतिलिपिया आवश्यकता के अनुसार अनेक हो सकती है लेकिन हर प्रतिलिपि का नाम एक ही हो गा लेकिन वेद अपने अलग अलग नाम से तीन है ,तो आपका दावा कि सनातन वैदिक धर्म सत्य है, सिद्ध नही होता,
आपने कुरान का मजाक उडाते हुए कहा कुरान "शरीफ है या बदमाश है "
-------------------------------
आपने कुरान का अपमान किया है
आपने केवल मुसलमानो के लिए कुरान और ईसाइयो के लिए बाईबिल का जिक्र किया है और यहूदी और उनकी किताब के बारे मे कुछ नही कहा ,और इन तीनो की अपनी अपनी किताब और किताब लाने वाले भी है, यहूदी धर्म की किताब "तौरेत " और किताब लाने वाले का नाम "मूसा " है ईसाई धर्म की किताब इंजील (बाईबिल) और किताब लाने वाले का नाम "ईसा मसीह " है और इस्लाम धर्म की किताब " क़ुरआन " और किताब लाने वाले का नाम " मुहम्मद " है और ये तीनो महान व्यक्तित्व , महान पैगम्बर है।
और इन तीनो को अपनी अपनी किताब देकर भेजनेवाला भी एक ही है जो संसार का रचियता है, जिसे हम अल्लाह, ईसाई व यहूदी गाड और आप ईश्वर कहते है।
और आपकी न तो एक किताब है और न ही कोई, किताब लाने वाला है।
जिसका पिता नही होता उसे सभ्य माज स्वीकार नही करता।
और एक बात जबतक किसी धर्म के बारे मै जानकारी न हो उस वक्त तक किसी भी धर्म के बारे मे अपनी राय रखने से बचना चाहिए।
आपने कहा भ्रमाड बनने के सथ ही किताब भी लिखी जानी चाहिए उदाहरण दिया, मशीन के साथ किताब भी लिखी जानी चाहिए आपका ते तर्क भी सही नही है, पहले थ्योरी लिखी जाती फिर प्रैक्टिकल, फिर निर्माण
जिसे आप ईश्वर कहते है(क्रेटर) हम उसे अल्लाह, ईसाई गाड उसने सृष्टि की रचना करने से पहले थ्योरी (किताब) लिखी जिस मे सृष्टि के आरंभ से अंत तक का वर्णन है, उस किताब को लौहे महफूज का नाम दिया उसमे कुरान भी है तौरेत भी है इंजील भी है और इनकिताबो को लाने वाले पैगम्बरो काभी नाम है के कब कौन किस युग मै संसार मै अवतरित किया जाएगा।
जब दुनिया मे पहला मानव आया वो इस्लाम का पहला पैगम्बर था, धीरे धीरे मानव संख्या बढ़ी आवश्यकता के अनुसार थोड़े थोड़े उपदेश अवतरित किए गए ,आबादी बढ़ती गई आवशयकताए भी बढ़ती गई समय समय पर मार्गदर्शन के लिए आवश्यकतानुसार उपदेश के साथ पैगम्बर भी अवतरित वकिए जाते रहे यही उपदेशो का थोडा थोड़ा पैगंबरो के साथ-साथ आते आते, लगभग एक लाख चौबीस हजार पैगंबर होते रहे अंत मे 1400 साल पहले आखरो पैगम्बर मुहम्मद साहब 40साल की उम्र मे पैगम्बर बने और 23साल की अवधी मे इस्लाम और कुरान पूर्ण हुआ।
जो अनेको साइंसदानो ने कुरान की भिन्न भिन्न आयतो का अध्ययन कर सिद्ध किया की केवल इस्लाम ही समस्त मानव जाति का एकमात्र सत्य धर्म है।
अपनी तसल्ली के लिए इन्साइकलोपीडिया बरिटानिका, एवं इस्लाम और आधुनिक साइंस का अध्ययन करे।
वेदो मे इसकी शिक्षाए मिलती है।
धन्यवाद
तुम खामखां झूठ बोलकर अंधभक्ति फैलाने में लगे हों। सारी दुनिया आज़ इस्लामी आतंकवाद से जूझ रही है। औरतों को पैरों की जूती और कामूकता का साधन मानकर सात सात बीबी रखने का हुक्म खुदा ने कुरान में दिया है। पैगंबर साहब के तों तेरह बीबियां थी। अब तुम कुतर्क ज़रूर करोगे कि उन्होंने उन बीबियों को सहारा देकर अपने घर में रखा। क्या सलमान खान की तरह बहन बेटियों को हम उम्र लड़के से शादी नहीं करा सकते थे ? प्रश्न मैं नहीं कर रहा आज जरहा जरहा पूछ रहा है। धरती चपटी है सूरज को बीच दरिया के डूबा बताता है। अब बताओ सूर्य तो पृथ्वी से करोड़ों गुणा बड़ा और करोड़ों कोश दूर है वह पृथ्वी के ऊपर किसी झील या समुद्र में कैसे समा सकता है ? इससे पता चलता है कि खुदा को भूगोल नहीं आता था खगोल नहीं आता था गणित नहीं आता था और मेघविज्ञान का भी खुदा को ज्ञान नहीं था। लेकिन वही खुदा निर्दोष अन्य मतावलंबियों को काफिर मानकर मुसलमानों द्वारा क्रूरतापूर्वक उनकों मरवाने से बाज़ नहीं आता। ईद पर तो निर्दोष जानवरों के खून से लथपथ शरीर देखकर खुदा बडा ही खुश होता है। अहमदिया मुसलमानों को मार-मार पाकिस्तान में उनके सारे अधिकार छीन लिए हैं।सिया सुन्नी मतभेद जगजाहिर है। वाह जी वाह एक झूठ को छिपाने के लिए हजारों झूठ बोलने पडते है तब भी झूठ की बुनियाद पर बनी विचार धारा तार तार हो कर रह जाती है। जय हिन्द वन्देमातरम विश्व गुरु भारत 🙏🙏
Sir aapne bahut acha samjhaya hai
मुर्ख नही समझ सकता
Bhai tum apna dimaag bhi laga liya kro, copy paste karte ho only,
भाई एक बात बताओ एक पापी इंसान पैगम्बर हो सकता है क्या और एक 60 साल के आदमी का एक 6 साल की बच्ची से शादी करना पाप है या पुण्य और किस आधार पर मोहमद को पैगम्बर बनाया गया
बाइबल को पूरा पढ़कर देखिये सर फिर पता लगेगा कब आया धन्यवाद
Bhaiyo aur behno, Islam pahla insaan Adam ke saath Aya, jab log uske laye hue kanoon ko bhul gaye to bahut baar kanoon Aya aur akhri main Quran Aya.Thoda muslim scholars se mil lo tumhara hi fayda hoga.😊
मेरा इस्लाम कहता है अपने दीन की लाखों तारीफ करो -मगर किसी दूसरे धर्म की एक भी बुराई न करो..✍️
अल तकिया ही मजहब है.
Chup kar gair muslim se nafrat sikhata hai islam 🧐
@@akramparvez6510 wah yar tabhi to vishnarh Kashi , ramjanam bhumi kishrn janam stan sab par masjid banyi hai , Talwar par kitne covered kar diya , 100 chuhe kha kar billi to jayegi na ,
सच्ची बात हमेशा झुठी लगती हैं😂
तेरा इस्लाम कहता है जहाँ काफिर मिले उसे मार दो और जिहाद क्या है काफिर को लूटो मारो संपत्ति उनकी बहन बेटी के साथ दुराचार करो यही है तेरा इस्लाम
इस्लाम में किसी भी काजी मोलवी से सवाल जबाव नहीं कर सकते इन्होंने तो सिर्फ जन्नत और जिहाद का लालच देकर कहीं भी फट जाते हैं
भाई लोग एक बात तुम लोग बताओ
तुम्हारे भगवान तो बहुत सारे हैं
मगर क्या उन्होंने सिर्फ हिन्दुस्तान को ही बनाया है
यार जितने भी भगवान आए हैं तो यहीं पर जितनी किताबें हैं वह भी यहीं पर
@@ankitjat2575ab isme bhi confusion paida kar lo 😂😂😂
History thik se pado Muslim apne doglami kr ke desh ko luta he
कुएं के मेढक को कुआं ही सब कुछ लगता है जब तक कि वो उस कुएं से बाहर नहीं निकलता
Duniy ki yahi ek kitaab hai jiske saath sharif shabd ka prayog hua hai aur wah hai Quran sharif yahi duniya ki achchhi aur sachchi kitab hai isme koi Shak nahi Islam jindabad.
Yes Alhamdolillah
❤❤❤
@@aenaali6668😂k
@harshalarya m😢m😢kmaaa
Duniya me hindu sanatan dharm hi sabse best or purana dharm hai dusre to sab majhab hai or bhi jute hai
सर आपका विश्लेषण बहुत अच्छा है लेकिन बात अगर मशीन और किताब की करें तो आपको ये पता होगा कि हर मशीन का अपडेट समय समय पर आता अब 2अरब पुरानी मशीन को अपडेट की जरूरत थी तो ये कुरान पाक आया नहीं तो कब तक हम पुराण के भरोसे पुरानी जिंदगी जीते प्रकृति का नियम है बदलाव और इस कुरान ने पिछले 2अरब सालों से लेकर अगले 2अरब सालों तक का अपडेट है 🙏🙏🙏🙏🙏
Ab update karo na
@@pseudoclips6369 Hindu dhram humesha update hota rha hai tumara to yesa hai ki jsme ab jannat jahhnum ki baat bol di hai
Jab nayi bat aayegi tab to apdate hogi
Fir swarg nark kya hai ye arbi ki bhasha nahi
Hindu koi dharm hi nahi asli dharm to sanatan hai isme Kahan update hoga
धर्म का कोई नाम नहीं हो सकता ।
धर्म है तो फिर अधर्म भी है ।
धर्म सृष्टि व प्रकृर्ति के नियमों का पालन
करना है जो समय और स्थान के साथ
नहीं बदलते ।
सृष्टि और प्रकृर्ति में जो कुछ भी है सब नियमों
से बंधा है ।
धरती पर जिव-निर्जिव आग पानी हवा आकाश हैं । यह भी नियमों से बंधे हैं ।
नियम का अनुसरण/पालन ही धर्म है ।
नहीं तो अधर्म है ।
अपने माता-पिता की तरफ आपका क्या दीन है या क्या मजहब है या क्या मत है या क्या पंथ है ? नहीं
अपने माता-पिता की तरफ आपका क्या धर्म है ?
धर्म एक सामाजिक इकाई है ।
दीन मजहब मत पंथ एक अध्यात्मिक पथ प्रदर्शक हैं ।
धर्म का अध्यात्म से कोई लेना-देना नहीं है ।
'धर्म'/'फित्र'/ 'मूल प्रकृति' किसी वस्तु या जीव की जन्मजात/आंतरिक प्रकृति है। उदाहरण के लिए सांप का धर्म है डंसना, आग का है तपना, बर्फ का है ठंडा करना। और चुंकी हम सब इंसान हैं तो हमारा 'धर्म' है 'इंसानियत'/ 'मानवता'।
कोई भी 'मजहब'/ 'पंथ' इसी सहज/अंतर्निहित इंसानियत की प्रकृति/ प्रवृत्ति को उच्चत्तम स्तर तक ले जाने की और विकसित करने की एक प्रणाली है अत: हमें गारंटीकृत सफलता के लिए सर्वोत्तम उपलब्ध 'प्रणाली' / 'पंथ' (सच्चे ईश्वर द्वारा दिए गए धर्म) (उपलब्ध अनेको में से) का ही पालन करना चाहिए।
ये जरूरी इंसान नहीं कि जिस धर्म/देश में (गलती से) पैदा हुआ है, वह सही ही हो।
संस्कृत या अरबी या तुर्की भाषा में 'पानी'को अलग अलग नाम से पुकारते हैं पर वो 'एक' ही है। इसी प्रकार सबका ईश्वर- एक ही है और अकेला वह ही है।
और च्योंकी हमारा कि हमारा निर्माता/पैदा करने वाला एक है इसलिए हम सभी एक जैसे ही हैं और हमारी ज़रूरतें और इच्छाएँ भी समान हैं।
क्या आप तथाकथित भगवान से ये नहीं कह सकते हैं कि मुसलमान को मत बनाओ?
या, इसके बजाय आपको दो सिर और चार हाथ दे दें ताकि आपको 'मनुष्यों के भगवान' ने उन्हें जो बनाया है, उससे अलग आपको पहचाना जा सके? और ये ज्ञात हो सके कि आपका बननेवाला भगवान उनसे अलग हैl
हम सब एक जैसे हैं क्योंकि हमारा रचयिता 'एक' है।
जैसे हमारा रचयिता एक है और वैसे ही उनका संदेश भी पृथ्वी पर मानव सभ्यता की शुरुआत से सभी के लिए 'एक ही' है -
1. कि हम झूठे भगवानो की पूजा कदापि न करें'
और
2. 'अच्छे कर्म करें'।
और इसलिए इस्लाम का संदेश 'सनातन काल' (प्राचीन दिनों) से एक ही है।
वैदिक काल के लोग जो 'एक अन्देखे ईश्वर' की पूजा करते थे, वो वास्तव में उस समय के संस्कृत भाषा बोलने वाले मुसलमान थे।
और इसलिए 'इस्लाम' (सच्चे ईश्वर की इच्छाओं के लिए अपनी इच्छा का समर्पण करना) प्राचीन काल से ही है और इसे एक बार फिर से पुनर्जीवित किया गया है (यदा यदा हि ... ईश्वर के सिद्धांत के अनुसार) अंतिम संदेशवाहक मुहम्मद सo द्वारा।
सनातन( प्राचीन) काल से मनुष्यों का मार्गदर्शन करने वाले एक ही सच्चे हितैषी ईश्वर (सभी के निर्माता) की नवीनतम आज्ञाओं (कुरआन) का पालन न करने के पीछे यदि कोई भी श्रेष्ठता, अहंकार (किसी श्रेष्ठ समुदाय में पैदा होने का)है तो वो एक बड़ा पाप है अपने सच्चे निर्माता के प्रति, जो की पूर्ण अकृतघ्नता और विश्वासघात का परिचायक है।
आशा है कि अल्लाह (एक निराकार भगवान) हम सभी की मदद करेगा।आमीन!
वही बाबा आदम अलैहिस्सलाम से ही धर्म है,वह पहले ईशदूत हैं और मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम आखिरी हैं। मालिक सब का एक ही है अन्यथा पूरी सृष्टि का नाश हो जाता।
@@ankitjat2575 भाई आप को समझ नहीं आएगा, कोई अच्छा मुस्लिम किसी और धर्म के बारे में कुछ ग़लत नहीं कहते है। जब से दुनिया है तभी से धर्म है,जब धर्म का स्वरूप बिगड़ने लगता है तो नया पैग़म्बर आता है मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम आखिरी पैग़म्बर हैं उनके बाद कोई नया पैग़म्बर नहीं आएगा।हम मुसलमान सारे पैग़म्बर को फालो करते हैं, यदि यकीन नहीं हो तो वेदों, और कुरआन का तुलनात्मक अध्ययन कर लें शायद कुछ बातें कामन मिल जाए। और हां सूरह बक़रा आयत नंबर 1से5 तक का हिन्दी अनुवाद सर्च कर देखा जा सकता है।आदम अलैहिस्सलाम के बारे में सर्च कर देखा जा सकता है कुरआन में कहां कहां वर्णन है।
@@ankitjat2575 आप का धर्म आप के साथ मेरा धर्म मेरे साथ।
@@ankitjat2575
'धर्म'/'फित्र'/ 'मूल प्रकृति' किसी वस्तु या जीव की जन्मजात/आंतरिक प्रकृति है। उदाहरण के लिए सांप का धर्म है डंसना, आग का है तपना, बर्फ का है ठंडा करना। और चुंकी हम सब इंसान हैं तो हमारा 'धर्म' है 'इंसानियत'/ 'मानवता'।
कोई भी 'मजहब'/ 'पंथ' इसी सहज/अंतर्निहित इंसानियत की प्रकृति/ प्रवृत्ति को उच्चत्तम स्तर तक ले जाने की और विकसित करने की एक प्रणाली है अत: हमें गारंटीकृत सफलता के लिए सर्वोत्तम उपलब्ध 'प्रणाली' / 'पंथ' (सच्चे ईश्वर द्वारा दिए गए धर्म) (उपलब्ध अनेको में से) का ही पालन करना चाहिए।
ये जरूरी इंसान नहीं कि जिस धर्म/देश में (गलती से) पैदा हुआ है, वह सही ही हो।
संस्कृत या अरबी या तुर्की भाषा में 'पानी'को अलग अलग नाम से पुकारते हैं पर वो 'एक' ही है। इसी प्रकार सबका ईश्वर- एक ही है और अकेला वह ही है।
और च्योंकी हमारा कि हमारा निर्माता/पैदा करने वाला एक है इसलिए हम सभी एक जैसे ही हैं और हमारी ज़रूरतें और इच्छाएँ भी समान हैं।
क्या आप तथाकथित भगवान से ये नहीं कह सकते हैं कि मुसलमान को मत बनाओ?
या, इसके बजाय आपको दो सिर और चार हाथ दे दें ताकि आपको 'मनुष्यों के भगवान' ने उन्हें जो बनाया है, उससे अलग आपको पहचाना जा सके? और ये ज्ञात हो सके कि आपका बननेवाला भगवान उनसे अलग हैl
हम सब एक जैसे हैं क्योंकि हमारा रचयिता 'एक' है।
जैसे हमारा रचयिता एक है और वैसे ही उनका संदेश भी पृथ्वी पर मानव सभ्यता की शुरुआत से सभी के लिए 'एक ही' है -
1. कि हम झूठे भगवानो की पूजा कदापि न करें'
और
2. 'अच्छे कर्म करें'।
और इसलिए इस्लाम का संदेश 'सनातन काल' (प्राचीन दिनों) से एक ही है।
वैदिक काल के लोग जो 'एक अन्देखे ईश्वर' की पूजा करते थे, वो वास्तव में उस समय के संस्कृत भाषा बोलने वाले मुसलमान थे।
और इसलिए 'इस्लाम' (सच्चे ईश्वर की इच्छाओं के लिए अपनी इच्छा का समर्पण करना) प्राचीन काल से ही है और इसे एक बार फिर से पुनर्जीवित किया गया है (यदा यदा हि ... ईश्वर के सिद्धांत के अनुसार) अंतिम संदेशवाहक मुहम्मद सo द्वारा।
सनातन( प्राचीन) काल से मनुष्यों का मार्गदर्शन करने वाले एक ही सच्चे हितैषी ईश्वर (सभी के निर्माता) की नवीनतम आज्ञाओं (कुरआन) का पालन न करने के पीछे यदि कोई भी श्रेष्ठता, अहंकार (किसी श्रेष्ठ समुदाय में पैदा होने का)है तो वो एक बड़ा पाप है अपने सच्चे निर्माता के प्रति, जो की पूर्ण अकृतघ्नता और विश्वासघात का परिचायक है।
आशा है कि अल्लाह (एक निराकार भगवान) हम सभी की मदद करेगा।आमीन!!
@@togetservi4342 Quraan aur allah jhuth he. Yeshu Masih ne yeh sabit kar diya, Yeshu Masih ne kaha " Mey mar gaya tha aur ab dekho mey yoganu yug jibit hu ( Bible Revelation 1:18). Yeshu Masih kahta he " Mera hatheli aur chati ke ched me ungli dal kar dhekhlo (Biblle John 20:27). Quraan ka allah ko yeh sab pata nahi he. Quraan kahta Yeshu Masih cross par nahi mara. Yeshu Masih jhutho ka pardafash karne ke liye hi aya tha (Bible 1 John 3:8). Jisne manab jati ka moksh/ananta jibon ke liye Lohu bahaya, salib par apna jan diya, usko inkar karne wala saitan iblish nahi to aur kya he. Yeshu Masih ne Vabiswa bani kar rakha he, Sare jhutho ka pardafash hoga ( Bible Matthew 10:26)
@@togetservi4342 भाई आपने कितनी अच्छी जलेबी बनाई है आपकी जितनी प्रशंसा की जाए कम है आप एक बार ex मुस्लिम के साथ डिबेट में शामिल हो आपकी कैसी जलेबी है यह पता लग जाएगा
अंकल,
क़ुरान पढ़ना कभी मौका मिले तो,
क़ुरान में परमात्मा बोलते है कि मैंने
ब्रह्मांड में 1लाख 24 हजार ऋषि, मुनि,
संदेष्टा भेजे है ताकि मनुष्य को सत्य मार्ग
पर चलने की शिक्षा दे और एक परमात्मा की भक्ति का ज्ञान सिखाये।
Quraan aur allah jhuth he. Yeshu Masih ne yeh sabit kar diya, Yeshu Masih ne kaha " Mey mar gaya tha aur ab dekho mey yoganu yug jibit hu ( Bible Revelation 1:18). Yeshu Masih kahta he " Mera hatheli aur chati ke ched me ungli dal kar dhekhlo (Biblle John 20:27). Quraan ka allah ko yeh sab pata nahi he. Quraan kahta Yeshu Masih cross par nahi mara. Yeshu Masih jhutho ka pardafash karne ke liye hi aya tha (Bible 1 John 3:8). Jisne manab jati ka moksh/ananta jibon ke liye Lohu bahaya, salib par apna jan diya, usko inkar karne wala saitan iblish nahi to aur kya he. Yeshu Masih ne Vabiswa bani kar rakha he, Sare jhutho ka pardafash hoga ( Bible Matthew 10:26)
कुरान को जिस दिन कुरान को मानने वालों ने समझ लिया.
उस दिन किसी को पढ़ने की जरूरत ही नही पड़ेगी
Sirji,
Bina padhe gyaan nahi, na Bina khaaye mite bhook, bole Kabir soon mere bhaiyya Jo na maane wahi kahlaaye murkh..
Padhoge to samajhoge, Bina padhe kayse samajh aayegi...jayse jisko bhook lagi hoti hai, wo khaayega to bhook mitegi, dusre k khaane se uski bhook mitegi kya ?
गुरुजी 2000 हजार अरब साल पहले ना तो आग थी ना कागज था ना स्याही थी ना कपडा ,था ना समिधाओ की पहचान थी ना भाषा थी हर 100 सौ साल के के अन्तराल मे इन्सान ने अपनी अपनी बुद्धि विवेक से समय के ऐसी चीजें ईजाद की लोगों के विचारों के हिसाब से लोगों ने अपने अपने धर्म बना लिए जिन लोगो के के पास जैसा दिमाग था उसने अपने दिमाग के हिसाब से अपने धर्म की रचना कर डाली भगवान ने तो मानव को बनाया है मानव ने आपसी मतभेद के चलते अपने अपने धर्मों की रचना कर डाली अगर भगवान धर्मों को बनाता तो हर धर्म हर जाति के लोगों आख नाक हाथ पेर पाखाना अलग-अलग जगह बनाता ईश्वर ने ईन्सान को बनाया ईन्सान ने जाति धर्म धर्म शास्त्र बनाये जय श्रीराम
ये ही सत्य है जुग जुग जियो भाई
धर्मों का सम्मान करना ठीक है लेकिन गलत धर्म या स्वार्थी लोगों द्वारा तुच्छ लाभ के लिए दूषित धर्म का पालन करना सही काम नहीं हो सकता है। इसलिए, सभी के लिए यह सत्यापित करना आवश्यक हो जाता है कि वे जो मानते हैं वह 'सत्य' है भी या नहीं।
यदि ईश्वर सभी के लिए 'एक' है तो तमाम मानवता के लिए उसका संदेश भी एक ही होना चाहिए ना की अलग-अलग युग/काल, भाषा या भौगोलिक क्षेत्र के विभिन्न लोगों के लिए अलग-अलग ।
वह 'एक संदेश' क्या है जो ईश्वर आदि काल से अलग-अलग ऋषियों और पैगम्बरों के माध्यम से इंसानो को दे रहा है?
इसे समझने के लिए सबसे पहले हमें अपने जन्म द्वारा दी गई अपनी सांसारिक पहचान जैसे- मुस्लिम, ईसाई, हिंदू, बौद्ध आदि को छोड़ना होगा और खुद से ये पूछना होगा कि 'अगर मैं दूसरे समुदाय में पैदा हुआ होता तो मेरा 'सत्य' क्या होता'?
क्या वो 'सत्य' मेरे आज के माननेवाले 'विश्वास' से भिन्न नहीं होता?
यदि वह एक 'अलग' 'सत्य' होता तो फिर या तो वह गलत है या वह जिसका मैं अभी अनुसरण करता हूं वह गलत है।
क्योंकि 'सत्य' को तो सभी इंसानो के लिए प्रकृति में सार्वभौमिक,एक समान होना चाहिए और बिना किसी अंतर या विसंगति के सभी के लिए समान रूप से लागू होना चाहिए।
कोई भी 'सत्य' जो समान रूप से दुनिया के तमाम इंसानों पर लागू नहीं होता वो कतई 'यूनिवर्सल सत्य' नहीं हो सकता l
मानवता ने जो सबसे बड़ी 'ऐतिहासिक गलती' बार बार हर काल में की है, वह यह है कि उन्होंने झूठे भगवानों/मानव-निर्मित भगवानों या मनुष्यों/ पशुओं या प्रकृति को 'भगवान' के रूप में पूजा करना शुरू कर दिया और सभी के 'सच्चे एक भगवान' के अधिकार और संप्रभुता कि अहवेलना कर खुद का नुक्सान किया है।
और इसलिए आज हम देख रहे हैं कि सबके 'अलग अलग भगवान' पूरी मानवता को भ्रमित कर रहे हैं ... और इसी पाप को रोकने के लिए भगवान समय-समय पर संतों और पैगम्बरों के माध्यम से अपना दिव्य ज्ञान भेजते रहे। जिन्होंने अपने
रहते समाज में पुनः सत्य की स्थापना की, लेकिन उनके जाने के बाद आने वाली पीढ़ियों तक उनका ज्ञान सही ढंग से नहीं पहुंचा और साथ ही बेईमान लोगों के छल-कपट के कारण 'सच्चा संदेश' दूषित हो गया। और इसीलिए 'एक खुदा' के सत्य को फिर से स्थापित करने के लिए अंतिम संदेशवाहक पैगंबर मुहम्मद (PBUH) को पूरी मानवता के लिए धरती पर भेजा गया था ... लेकिन अपनी 'भौगोलिक सांसारिक पहचान' के भ्रम में जकड़े लोग यह नहीं देख पा रहे हैं कि उन्हें वही संदेश दिया गया है
जो उनके पहले आने वाले सभी पैगम्बरों और संतों को दिया गया था, यानी की- 'भटकी हुई मानवता को उनके सच्चे ईश्वर की ओर बुलाना' .......और जब तक हम सभी राष्ट्रों के सभी समय के संदेशवाहको को एक ही 'संदेश' देने वाले के रूप में स्वीकार नहीं करते हैं, तब तक हम हमेशा 'तेरा-मेरा' कर के अलग रहेंगे या 'अपनी डफली अपना राग' के लिए प्रवण होंगे..जबकि हमारे दिल और अंतरात्मा की गहराई में हम सभी जानते हैं कि हम सभी भाई-बहन 'एक ही मानव परिवार' के हैं।
एक विनम्र आत्मा दूसरों को तब तक अस्वीकार नहीं करती जब तक कि उसने अपनी 'पसंद/चुनाव' बनाने से पहले दूसरे धर्म के संदेश का अध्ययन और विचार नहीं किया हो।
ये समस्त छनिक संसारिक जीवन सिर्फ दो बातों को चुनने के बारे में है-
1. सही विश्वास ('एक निराकार खुदा') और
2. सत्य कर्म (अच्छे कर्म)।
किसी भी ''आत्मा' को तब तक मुक्ति नहीं मिलेगी जब तक कि उसने इस्लाम की उपरोक्त दो सत्य चुनावो को आत्मसात ना कर लिया हो।
सम्मान सहित,
@@jpnagar2755 itne sal pahle sal pahle Kahe per likhe hue the
सत्य ज्ञान को स्याही कागज की जरूरत नहीं दिमाग की जरूरत होती ,जो ऋषियों की बुद्धि में थे,बाद में लिखे
@@sudhakarsen9817 kisis to liki hogi fast time or kis time liki 😂😂
कुरआन इश्वर की आखिरी किताबे है जिसे पढ़ कर बड़े बड़े विज्ञानिक इस्लाम अपना रहे हैं
काहे कुरआन की गन्दगी को बीच में घुसा रहा गालियाँ खाने के लिए??
@@ankitjat2575कुरान 1बार पढ सारा ग्रंथ कुडा हो जायेगा और है भी कूडा जिसने अभी तुझे ग्यान दिया वो खुद कुडा है, जिसने लाखों करोडो तुम्हारे सनातनी किताब को एक झटके मे कुडा कर दिया 😂😂😂 उसका दिमाग देख 3किताब कुरान बाईबिल, और वेद एक ही भाषा बोल रहा मेरी बात मानो रास्ता सही मिलेगा तो सिर्फ वेद क्यों सही 3 तनो किताब सही तो फिर ये इसान पंडित नही, जो 1को सही कहे इसलिए तुम झुठ फैलाने वाले सभी कुडे हो
Atangkhbadi quraan ko dekhte hi apna leta he
जो देशद्रोही हो अंधभक हो जो अपने ग्ंथ पर लिखी गयी बाते नही माने वह नास्तिक है। उनकी लिखी बात पर ध्यान न दे
Kuran ka malik hindu tha Luli kaat ke hi kitab ke nirman kiya
Fir bhut sare suwar peda huye
कोई भी धर्म हो , अगर मानव के प्रति प्रेम नहीं वो धर्म नहीं, वहां सिर्फ अधर्म है। इसलिए इन्सानियत ही सबसे बडा धर्म है।
आप का तर्क सुंदर है गुरु जी। पर कुरआन से पहले भी बहुत सी किताबे आई हैं जिन्हें सहीफे कहा जाता है। कुरआन तो आखिरी किताब है। आपने बहुत सी किताबे पढ़ी होंगी अब कुरआन को एक बार जरूर पढ़िएगा।आपके बहुत से विचार जरूर बदलेंगे। इंशा अल्लाह।
बिल्कुल सही बात
E xmuslim sahil, adam, sameer se pata chal geya hai tere rasul or alha kesa hai😁😁😁fictional
कृपया निष्पक्ष होकर महर्षि दयानंद सरस्वती जी की अमृतवाणी सत्यार्थ प्रकाश का चौदहवां समुल्लास कुरान विषय पर अवश्य पढ़ें आपको असली ज्ञान मिलेगा अन्यथा हठधर्मिता और स्वार्थ सिद्धि में तो ज़लालत ही ज़लालत है।
यह अगर कुरआन को पढ़ने वाला होतो तो यह ऐसी बकवास नहीं करता, पहले इन सब किताबों को पढ़ता तब कोई दलील पेश करता
@@naseeruddinansari8051 मैंने कुरान बारह साल पहले पढ़ी है। लेकिन तुम कट्टरपंथी लोगों को कुछ भी समझ नहीं आता खामखां अंधभक्ति करने आते हों कुरान के सही अर्थों को जानना नहीं चाहते इसलिए अल्लाह मियां तुम से बहुत नाराज़ हो कर तुम्हारे पर अजाब डालता रहता है। अल्लाह ने कहा है कि ऐ मेरे मानने वालों मैंने तुम्हारे लिए दुनिया की सारी नेहमत बख्स दी है यदि तुम मेरे बताए हुए रास्ते से भटकोगें तो मैं ऐसे लोगों को भेजूंगा जो तुम्हें सही रास्ते पर ले आयेंगे। अल्लाह ने यह नहीं बताया था कि वह किस वेष भूषा में होगा, उसके दाढ़ी टोपी पहनी होगी या कटे आस्तीन का कुर्ता पहने होगा या भगवा रंग के कपड़े पहन कर आयेगा।
मानों या ना मानो मोदी योगी दोनों ही फरीस्तें है जो तुम्हारे गुनाहों के बावजूद भी बिना पक्षपात के कोराना काल में फ्री राशन और वैक्सीन देते रहे लेकिन सबसे ज्यादा गाली मोदी जी और योगी जी को देकर तुमने अपनी अहसान फरामोशी दिखाई है। तुम्हें क्या ज्यादा पता है आ गये मगज मारने। कुरान के शांति प्रिय आयतों को छोड़कर अपनी बात चलाना चाहते हो।
Naraye Takbir _ Allah hu Akbar, Naraye risalat _ Yeh rasullullah
बाईबिल के अनुसार परमपिता परमात्मा सृष्टि का रचनाकार है। आदि में वचन था वचन परमेश्वर के साथ था, और यही वचन यीशु मसीह हैं, परमेश्वर कहता है आदि और अन्त मैं हूँ, अल्फा और ओमेगा मैं हूँ। आमीन धन्यवाद यीशु मसीह प्रेम है, यीशु मसीह ने कहा सत्य मार्ग और जीवन मैं हूँ, मेरे बिना कोई पिता के पास नहीं पहुंच सकता है, जो मुझे जानता है वो पिता को जानता है
AMEN
धर्मों का सम्मान करना ठीक है लेकिन गलत धर्म या स्वार्थी लोगों द्वारा तुच्छ लाभ के लिए दूषित धर्म का पालन करना सही काम नहीं हो सकता है। इसलिए, सभी के लिए यह सत्यापित करना आवश्यक हो जाता है कि वे जो मानते हैं वह 'सत्य' है भी या नहीं।
यदि ईश्वर सभी के लिए 'एक' है तो तमाम मानवता के लिए उसका संदेश भी एक ही होना चाहिए ना की अलग-अलग युग/काल, भाषा या भौगोलिक क्षेत्र के विभिन्न लोगों के लिए अलग-अलग ।
वह 'एक संदेश' क्या है जो ईश्वर आदि काल से अलग-अलग ऋषियों और पैगम्बरों के माध्यम से इंसानो को दे रहा है?
इसे समझने के लिए सबसे पहले हमें अपने जन्म द्वारा दी गई अपनी सांसारिक पहचान जैसे- मुस्लिम, ईसाई, हिंदू, बौद्ध आदि को छोड़ना होगा और खुद से ये पूछना होगा कि 'अगर मैं दूसरे समुदाय में पैदा हुआ होता तो मेरा 'सत्य' क्या होता'?
क्या वो 'सत्य' मेरे आज के माननेवाले 'विश्वास' से भिन्न नहीं होता?
यदि वह एक 'अलग' 'सत्य' होता तो फिर या तो वह गलत है या वह जिसका मैं अभी अनुसरण करता हूं वह गलत है।
क्योंकि 'सत्य' को तो सभी इंसानो के लिए प्रकृति में सार्वभौमिक,एक समान होना चाहिए और बिना किसी अंतर या विसंगति के सभी के लिए समान रूप से लागू होना चाहिए।
कोई भी 'सत्य' जो समान रूप से दुनिया के तमाम इंसानों पर लागू नहीं होता वो कतई 'यूनिवर्सल सत्य' नहीं हो सकता l
मानवता ने जो सबसे बड़ी 'ऐतिहासिक गलती' बार बार हर काल में की है, वह यह है कि उन्होंने झूठे भगवानों/मानव-निर्मित भगवानों या मनुष्यों/ पशुओं या प्रकृति को 'भगवान' के रूप में पूजा करना शुरू कर दिया और सभी के 'सच्चे एक भगवान' के अधिकार और संप्रभुता कि अहवेलना कर खुद का नुक्सान किया है।
और इसलिए आज हम देख रहे हैं कि सबके 'अलग अलग भगवान' पूरी मानवता को भ्रमित कर रहे हैं ... और इसी पाप को रोकने के लिए भगवान समय-समय पर संतों और पैगम्बरों के माध्यम से अपना दिव्य ज्ञान भेजते रहे। जिन्होंने अपने
रहते समाज में पुनः सत्य की स्थापना की, लेकिन उनके जाने के बाद आने वाली पीढ़ियों तक उनका ज्ञान सही ढंग से नहीं पहुंचा और साथ ही बेईमान लोगों के छल-कपट के कारण 'सच्चा संदेश' दूषित हो गया। और इसीलिए 'एक खुदा' के सत्य को फिर से स्थापित करने के लिए अंतिम संदेशवाहक पैगंबर मुहम्मद (PBUH) को पूरी मानवता के लिए धरती पर भेजा गया था ... लेकिन अपनी 'भौगोलिक सांसारिक पहचान' के भ्रम में जकड़े लोग यह नहीं देख पा रहे हैं कि उन्हें वही संदेश दिया गया है
जो उनके पहले आने वाले सभी पैगम्बरों और संतों को दिया गया था, यानी की- 'भटकी हुई मानवता को उनके सच्चे ईश्वर की ओर बुलाना' .......और जब तक हम सभी राष्ट्रों के सभी समय के संदेशवाहको को एक ही 'संदेश' देने वाले के रूप में स्वीकार नहीं करते हैं, तब तक हम हमेशा 'तेरा-मेरा' कर के अलग रहेंगे या 'अपनी डफली अपना राग' के लिए प्रवण होंगे..जबकि हमारे दिल और अंतरात्मा की गहराई में हम सभी जानते हैं कि हम सभी भाई-बहन 'एक ही मानव परिवार' के हैं।
एक विनम्र आत्मा दूसरों को तब तक अस्वीकार नहीं करती जब तक कि उसने अपनी 'पसंद/चुनाव' बनाने से पहले दूसरे धर्म के संदेश का अध्ययन और विचार नहीं किया हो।
ये समस्त छनिक संसारिक जीवन सिर्फ दो बातों को चुनने के बारे में है-
1. सही विश्वास ('एक निराकार खुदा') और
2. सत्य कर्म (अच्छे कर्म)।
किसी भी ''आत्मा' को तब तक मुक्ति नहीं मिलेगी जब तक कि उसने इस्लाम की उपरोक्त दो सत्य चुनावो को आत्मसात ना कर लिया हो।
सम्मान सहित,
@@togetservi4342 Quraan aur allah jhuth he. Yeshu Masih ne yeh sabit kar diya, Yeshu Masih ne kaha " Mey mar gaya tha aur ab dekho mey yoganu yug jibit hu ( Bible Revelation 1:18). Yeshu Masih kahta he " Mera hatheli aur chati ke ched me ungli dal kar dhekhlo (Biblle John 20:27). Quraan ka allah ko yeh sab pata nahi he. Quraan kahta Yeshu Masih cross par nahi mara. Yeshu Masih jhutho ka pardafash karne ke liye hi aya tha (Bible 1 John 3:8). Jisne manab jati ka moksh/ananta jibon ke liye Lohu bahaya, salib par apna jan diya, usko inkar karne wala saitan iblish nahi to aur kya he. Yeshu Masih ne Vabiswa bani kar rakha he, Sare jhutho ka pardafash hoga ( Bible Matthew 10:26)
Bsdk lode ye sab suna to pata nai chalta kya kutte ,,or simple sa pata nai chalta Aaj tumare yaha log bakre katte hai itna bhayankar pap karte hai kuran alla ye sab gilona gatiya Kam karne ko bolega kya murkh isliye sach ko jab Jan liya to juth tyag do sanata dhrm ko mano jo log jag jate hai vo 1 second me juth ko fek dete hai ab itna proof Dene ke bad saval karna tumare muh se to fir ye janbujakar saval karne jesi bat hai fir tumari marji baki sty to ye hi hai
अमेन
मनुष्य को किसने बनाया?
आग की खोज कब की गई?
दुनिया का सबसे पुराना भाषा कौन है?
सबसे पहले की लीपि का अविष्कार कब हुआ था?
सबसे पहले किस चीज पर लिखा जाता था और क्यों दाएं से बाएं लिखा जाता था ?
वेद , पुराण और बाईबल में किसमें ईश्वर के बारे में कम मतभेद की बात लिखी हुई है?
सबसे अधिक समय तक किस शास्त्र को लिखा गया था?
सबसे अधिक ईश्वर के प्रेरणा,दर्शन, आत्मा द्वारा नबी द्वारा अर्थात लोगों के द्वारा किस शास्त्र को लिखा गया है?
सबसे अधिक क्षेत्र में अर्थात देशों के अलग-अलग जातियों एवं भाषाओं द्वारा किस शास्त्र को लिखा गया है?
उपरोक्त सवाल का जवाब जान लेने से अपने जीवन को अनंत काल तक के लिए बचाया जा सकता हैं ।
@@jasmeltudu1547 नबी के बाद "गुरु नानक देव" जी आये,जिनके कारण "सिक्ख धर्म" है । इसलिए अंतिम नबी का राग अलापना जाकिर नाईक की तरह बन्द कर दें ।। रामायण में 1443 बार राम का नाम आया है,बाइबिल में 23 बार राम का नाम आया है, गुरु ग्रन्थ साहिब में 9258 बार राम का नाम आया है । कुरान में एक बार भी राम का नाम नहीं आया है,इसीलिए एवं अनेक कारणो से "अली सीना" ने USA में जाकर एक किताब Understanding Mohammad लिखी । इस किताब को Google से download किया जा सकता है । इस किताब को पढ़े,तब मोहम्मद की वास्तविकता पता चलती है । बिना पढ़े Cross reply ना दें ,क्योंकि आखिरत में "राम" ही "काल्कि-अवतार" लेकर आयेंगे एवं सभी मनुष्यो का कल्याण करेंगें,इस बात को डा जाकिर नाईक साहित कई अन्य बड़े आलिम भी स्वीकार करते है ।। आखिरत का Concept केवल मुसलमानों पर लागू होता है,क्योंकि नबी मोहम्मद ने ही इस्लाम को सर्वाधिक चोट पहुँचायी है ।।
गुरु जी आप तो ज्ञानी हो आपने इंजील, तौरात, जबर किताब को सुना है आपने कभी इनका भी जिक्र कर देते तो मेहरबानी होती और कुरान एक बार पढ़ देखिए चकाचौंध हो जाएगी आपकी मस्तिष्क आपको पढ़ना चाहिए।
YE BNDA KUCH BHI HO DHARMIK BILKUL NHI HO SKTA .
ज्ञान की खोखली दलीलें देने वाले मूर्खता परोसेगे ।देश की तस्वीर कया होगी इश्वर जाने ।
पुरानी चीज अच्छी है तो बैलगाड़ी में सफर करो हवाई जहाज में नहीं
कीपैड फोन यूज करो स्मार्ट फोन नहीं
Sahi kaha
सत्य सनातनी इसाइ धमॅकी जय हो । येशू पापीयोके पाप धोनेकेलिये क्रुशपर चढकर पापका सजा भोगा खुन बहाया । हिन्दु और दुस्रेलोगोके नक्कली भगवान तो सादी करके विविसे मोज करते रहा ,वेकारका जीवन विताया । कोही अच्छा काम और पाप मोक्षके काम नही किया है ।
तुम्हारे भगवान ने तो शादी नही की थी वो तो कुँवारे थे आप शादी क्यों करते हो फिर?
BAHI AAP KABHI QURAN MAJEED PADHE HAZARAT ESA (Allah ki un per Rehnmat ho) ko krus per nahi chadaa gaya tha Allah ne unhe aasman per zinda udha liya hai.
ईश्वर के कानून की व्याख्या ही धर्म है।
चालाक लोगों ने अपने हिसाब से कानून की व्याख्या कर दी और इंसानों को झुंड में बदल दिया।
अफसोस इसी का है के वेद आचरण मे क्यो नही है, किन के स्वार्थ के कारण ऐसा हुआ, और वह कौन लोग है जो वेद सुने तो कानो मे शीष भरदिऐ, पढे तो जुबान काट दिए, और ऐक बात पर भी ध्यान देना "यदा यादाहि ग्लानिरभवती " इस का मतलब क्या हुआ, सिर्फ युद्ध ज्ञान ही नही साथ मे धर्म ज्ञान भी ।।। अगर यह बात समझ आगई तो खुर् आन , बाइबिल व वेद मे अंतर ईश्वर का नही प्रार्थना का है।।।।। धर्म को अपने स्वार्थ के लिए इस्तेमाल करने वालो के कारण ऐसा ईश्वर ने किया है, ईश्वर इन्सान के बारे मे अच्छी तरहा जानता है, बुद्धिहीन ही ईश्वर के इच्छा पर सवाल करता है।।।।।
'धर्म'/'फित्र'/ 'मूल प्रकृति' किसी वस्तु या जीव की जन्मजात/आंतरिक प्रकृति है। उदाहरण के लिए सांप का धर्म है डंसना, आग का है तपना, बर्फ का है ठंडा करना। और चुंकी हम सब इंसान हैं तो हमारा 'धर्म' है 'इंसानियत'/ 'मानवता'।
कोई भी 'मजहब'/ 'पंथ' इसी सहज/अंतर्निहित इंसानियत की प्रकृति/ प्रवृत्ति को उच्चत्तम स्तर तक ले जाने की और विकसित करने की एक प्रणाली है अत: हमें गारंटीकृत सफलता के लिए सर्वोत्तम उपलब्ध 'प्रणाली' / 'पंथ' (सच्चे ईश्वर द्वारा दिए गए धर्म) (उपलब्ध अनेको में से) का ही पालन करना चाहिए।
ये जरूरी इंसान नहीं कि जिस धर्म/देश में (गलती से) पैदा हुआ है, वह सही ही हो।
संस्कृत या अरबी या तुर्की भाषा में 'पानी'को अलग अलग नाम से पुकारते हैं पर वो 'एक' ही है। इसी प्रकार सबका ईश्वर- एक ही है और अकेला वह ही है।
और च्योंकी हमारा कि हमारा निर्माता/पैदा करने वाला एक है इसलिए हम सभी एक जैसे ही हैं और हमारी ज़रूरतें और इच्छाएँ भी समान हैं।
क्या आप तथाकथित भगवान से ये नहीं कह सकते हैं कि मुसलमान को मत बनाओ?
या, इसके बजाय आपको दो सिर और चार हाथ दे दें ताकि आपको 'मनुष्यों के भगवान' ने उन्हें जो बनाया है, उससे अलग आपको पहचाना जा सके? और ये ज्ञात हो सके कि आपका बननेवाला भगवान उनसे अलग हैl
हम सब एक जैसे हैं क्योंकि हमारा रचयिता 'एक' है।
जैसे हमारा रचयिता एक है और वैसे ही उनका संदेश भी पृथ्वी पर मानव सभ्यता की शुरुआत से सभी के लिए 'एक ही' है -
1. कि हम झूठे भगवानो की पूजा कदापि न करें'
और
2. 'अच्छे कर्म करें'।
और इसलिए इस्लाम का संदेश 'सनातन काल' (प्राचीन दिनों) से एक ही है।
वैदिक काल के लोग जो 'एक अन्देखे ईश्वर' की पूजा करते थे, वो वास्तव में उस समय के संस्कृत भाषा बोलने वाले मुसलमान थे।
और इसलिए 'इस्लाम' (सच्चे ईश्वर की इच्छाओं के लिए अपनी इच्छा का समर्पण करना) प्राचीन काल से ही है और इसे एक बार फिर से पुनर्जीवित किया गया है (यदा यदा हि ... ईश्वर के सिद्धांत के अनुसार) अंतिम संदेशवाहक मुहम्मद सo द्वारा।
सनातन( प्राचीन) काल से मनुष्यों का मार्गदर्शन करने वाले एक ही सच्चे हितैषी ईश्वर (सभी के निर्माता) की नवीनतम आज्ञाओं (कुरआन) का पालन न करने के पीछे यदि कोई भी श्रेष्ठता, अहंकार (किसी श्रेष्ठ समुदाय में पैदा होने का)है तो वो एक बड़ा पाप है अपने सच्चे निर्माता के प्रति, जो की पूर्ण अकृतघ्नता और विश्वासघात का परिचायक है।
आशा है कि अल्लाह (एक निराकार भगवान) हम सभी की मदद करेगा।आमीन!
बुद्धिहीन? मतलब बुद्धि का ठेका किसी एक ग्रुप के पास है? जय हो।
Vastvik ishwer prabhu yeshu masih, vahi saty hai vahi rasta hai,vahi jeevan hai.
Toret, Anjeel, zahur and quran holy epic
सृष्टिवाला गुण ईश्वर में कभी मत ढूंढना, वर्ना बरबाद हो जाओगे/ जैसे खाना- पीना, बैठना- सोना, दिखाई पड़ना, शादी- विवाह करना, बच्चे पैदा करना इत्यादि/
यीशु मसीह ही सनातन ईश्वर है, जो आकाश और पृथ्वी, पेड़ और पौधे, पशु पक्षी, और सारी सृष्टि का सिरजन हार ईश्वर है। जो कलियुग में इंसान बनकर पापों को मिटाने इस धरती पर आया है। आप पवित्र शास्त्र बाइबल में नया नियम पढ़कर देखें, तब आप सच्चाई को पहचान सकते है। सम्पूर्ण विश्व 🌎 के लोगों के लिए ईश्वर की कानून व्यवस्था की ✝️ पुस्तक है पवित्र शास्त्र बाइबल जो सारी मानवजाति को प्रेम करना सिखाती है।✝️✝️
@@RameshbhaiJadav-db5cx प्रभु यीशु मसीह सारी मानवजाति को स्वर्गीय पिता परमेश्वर से मिलाने और सारी सृष्टि के लोगों को अनन्त जीवन देने के लिए इस धरती पर आए हैं।
हम लड क्यूं रहे हैं क्या हमारे किताब हमे भटकाते है या हममे इंसानियत नही है, सारे किताब यही कहता है आपसी सामंजस्य बनाये रखो फिर अपना आपा किताब से हटकर क्यों
Purana sika chal nahi raha he, jabar jasti karne ke wajai pituwa ke anguthi bana lo
@@punarutthan23 सत्य खोजने वालों को मिलता है। आप जैसे बहुत से लोग यीशु मसीह को नहीं पहचान पाते हैं। क्योंकि उनकी आंखों के ऊपर धर्म का चश्मा लगा रहता है। लेकिन जो लोग सांसारिक पिता की तरह, अपने स्वर्गीय पिता परमेश्वर को जानने की कोशिश करते हैं वे लोग अपने सिरजन हार ईश्वर को प्राप्त कर लेते हैं, वे सब कुछ समझ लेते हैं।
@@sanatan_prabhu-yeshu koi putra ko nahi janta, kewal pita janta he, aur koi pita ko nahi janta he, kewal putra janta he(Bible Matthew :- 11: 27) tum satya ko janoge, aur satya tumhe satantra karega (Bible John :- 8: 32)
Sir ji I have no words to ur praise
U have a huge and exaggerate Knowledge ❤❤❤❤❤🎉🎉🎉🎉😊😊😊😊
सनातन धर्म की जय🙏
Nastiko marksvadi korona Giroh Se bach ke Rahna Arya Samaj ka..Naam le .mrti.puja
Se prablam kya .Jo Ajay Arya
Nafrat bech
पर्शियन "हिंदू " शब्द को क्या ...छूआ छूत हो गया जो अब...सनातन कहने लगे गए.
@@vinodmishra2888❤🎉
'धर्म'/'फित्र'/ 'मूल प्रकृति' किसी वस्तु या जीव की जन्मजात/आंतरिक प्रकृति है। उदाहरण के लिए सांप का धर्म है डंसना, आग का है तपना, बर्फ का है ठंडा करना। और चुंकी हम सब इंसान हैं तो हमारा 'धर्म' है 'इंसानियत'/ 'मानवता'।
कोई भी 'मजहब'/ 'पंथ' इसी सहज/अंतर्निहित इंसानियत की प्रकृति/ प्रवृत्ति को उच्चत्तम स्तर तक ले जाने की और विकसित करने की एक प्रणाली है अत: हमें गारंटीकृत सफलता के लिए सर्वोत्तम उपलब्ध 'प्रणाली' / 'पंथ' (सच्चे ईश्वर द्वारा दिए गए धर्म) (उपलब्ध अनेको में से) का ही पालन करना चाहिए।
ये जरूरी इंसान नहीं कि जिस धर्म/देश में (गलती से) पैदा हुआ है, वह सही ही हो।
संस्कृत या अरबी या तुर्की भाषा में 'पानी'को अलग अलग नाम से पुकारते हैं पर वो 'एक' ही है। इसी प्रकार सबका ईश्वर- एक ही है और अकेला वह ही है।
और च्योंकी हमारा कि हमारा निर्माता/पैदा करने वाला एक है इसलिए हम सभी एक जैसे ही हैं और हमारी ज़रूरतें और इच्छाएँ भी समान हैं।
क्या आप तथाकथित भगवान से ये नहीं कह सकते हैं कि मुसलमान को मत बनाओ?
या, इसके बजाय आपको दो सिर और चार हाथ दे दें ताकि आपको 'मनुष्यों के भगवान' ने उन्हें जो बनाया है, उससे अलग आपको पहचाना जा सके? और ये ज्ञात हो सके कि आपका बननेवाला भगवान उनसे अलग हैl
हम सब एक जैसे हैं क्योंकि हमारा रचयिता 'एक' है।
जैसे हमारा रचयिता एक है और वैसे ही उनका संदेश भी पृथ्वी पर मानव सभ्यता की शुरुआत से सभी के लिए 'एक ही' है -
1. कि हम झूठे भगवानो की पूजा कदापि न करें'
और
2. 'अच्छे कर्म करें'।
और इसलिए इस्लाम का संदेश 'सनातन काल' (प्राचीन दिनों) से एक ही है।
वैदिक काल के लोग जो 'एक अन्देखे ईश्वर' की पूजा करते थे, वो वास्तव में उस समय के संस्कृत भाषा बोलने वाले मुसलमान थे।
और इसलिए 'इस्लाम' (सच्चे ईश्वर की इच्छाओं के लिए अपनी इच्छा का समर्पण करना) प्राचीन काल से ही है और इसे एक बार फिर से पुनर्जीवित किया गया है (यदा यदा हि ... ईश्वर के सिद्धांत के अनुसार) अंतिम संदेशवाहक मुहम्मद सo द्वारा।
सनातन( प्राचीन) काल से मनुष्यों का मार्गदर्शन करने वाले एक ही सच्चे हितैषी ईश्वर (सभी के निर्माता) की नवीनतम आज्ञाओं (कुरआन) का पालन न करने के पीछे यदि कोई भी श्रेष्ठता, अहंकार (किसी श्रेष्ठ समुदाय में पैदा होने का)है तो वो एक बड़ा पाप है अपने सच्चे निर्माता के प्रति, जो की पूर्ण अकृतघ्नता और विश्वासघात का परिचायक है।
आशा है कि अल्लाह (एक निराकार भगवान) हम सभी की मदद करेगा।आमीन!
ब्रह्माण्ड की सृष्टि चलते रहे हैं और चलते रहेंगे, सूरज चांद जमीन आसमान,जल स्थल, मगर मनुष्य नहीं, मगर मनुष्य जन्म लेता है और कुछ मुद्दत १०० साल के आयु के बाद मृत्यु वरण करता है,
क्या आज का मनुष्य वह मनुष्य है जो जंगल के जीवन जापन करता था, रेल गाड़ी, हवाई जहाज, मोटरसाइकिल के जाना आना करता था अगर नहीं तो वह समय ओर आज का समय अलग है,
इसलिए द्वापरयुग में श्रीकृष्ण श्रीमद्भागवत गीता में कहते हैं धर्मसंसथापनर्थाय समभवामि युग युग,
सर्वधर्मानपरितयजय मामैकं शरणं व्रज,
इस कथा के अनुसार चलने वाले युग युग का सम्मान करते हुए युग धर्म के साथ चलने में कामयाब है , धन्यवाद्
Ek iswar hai ,Allah ek hai ,suru se baat ek hi lekin kuran new addition bhi log samjhane liye
Quraan Allah ki sachchi kitab hai.Vedas Puran Geeta Ramayan Bibal sabhi Badal Gaye Lekin Quraan Aabhi tak nahi Badla .Islam zindabaad AllahoAkbar
@@maqsoodalam2391 Quraan aur allah jhuth he. Yeshu Masih ne yeh sabit kar diya, Yeshu Masih ne kaha " Mey mar gaya tha aur ab dekho mey yoganu yug jibit hu ( Bible Revelation 1:18). Yeshu Masih kahta he " Mera hatheli aur chati ke ched me ungli dal kar dhekhlo (Biblle John 20:27). Quraan ka allah ko yeh sab pata nahi he. Quraan kahta Yeshu Masih cross par nahi mara. Yeshu Masih jhutho ka pardafash karne ke liye hi aya tha (Bible 1 John 3:8). Jisne manab jati ka moksh/ananta jibon ke liye Lohu bahaya, salib par apna jan diya, usko inkar karne wala saitan iblish nahi to aur kya he. Yeshu Masih ne Vabiswa bani kar rakha he, Sare jhutho ka pardafash hoga ( Bible Matthew 10:26)
आचार्य जी आप के साथ भी कोई किताब आई या नहीं आई माता पिता से पूछना....?
सबको बताना
आचार्य जी उस दिन तेरे पापा ने गिनती सीख ली थी, वेद कितने है, ये भी मालूम है या हमे बताना पड़ेगा, आचार्य का मतलब तो मालूम नहीं?
भोली जनता को तो पहले ही लोगों ने दिमाग मे देवी, देवताओ का भूत घुसा रखा है, आप नही निकलने देंगे और आपको भी धन्यवाद देता हूँ कि आप कम से कम इनको एक ग्रंथ पर तो लाकर खड़ा कर रहे हो, किन्तु अब ये लोग अंध भक्त हो चुके हैं,
इनका दिमाग हैंग हो चुका है है वापस मुश्किल से लोटेगा अगर आपने लौटा दिया तो मैं आपसे मिलकर आपका शुक्रिया अदा करूँगा, आखरी समय भी मरे हुए मुर्दे से कहते है*राम का नाम सत्य है, सत्य बोल गति है*
बेचारा बोल नही पाता
विचित्र स्थिति है महाराज
LOVE U JESUS
SARVSHAKTIMAN JIVIT PARMESHWAR YESHU PRABHU ne kaha SATY JIVAN aur MARG main HI hu main V nahin main HI hu .
aur har kisi ki paapon ka shyama karta hai.
💯😄😄🌷🌹♥️✝️✝️✝️✝️✝️✝️✝️✝️✝️✝️💪👌👍
सृष्टि के प्रारंभ से यहूदी धर्म है यहूदी से ही मुस्लिम एवं ईसाई धर्म निकला है। जो एक ईश्वर निराकार को मनता है। ईसामसीह 2000 वर्ष पहले इस धरती परआए मनुष्य के रूप मे लोगो को सत्य के रास्ते मे चलने की शिक्षा देने एवं विन्रमता का पाठ पढाने आपस मे भाइचारे के साथ रहने प्रेम बांटने की शिक्षा देने सूली मे बलिदान हो गए। एव तीसरे दिन जी उठे। ईसा मसीह सदा से ही विदमान है।
BAHI AAP KABHI QURAN MAJEED PADHE HAZARAT ESA (Allah ki un per Rehnmat ho) ko krus per nahi chadaa gaya tha Allah ne unhe aasman per zinda udha liya hai.
इसका मतलब ईश्वर नहीं है यदि ईश्वर एक होता तो हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई जैन यहूदी फारसी बौद्धो की एक किताब होती ऋग्वेद अविस्ता ग्रन्थ से लिया गया 4500 साल पुराना सिन्धु घाटी सभ्यता का लेख नहीं पढ़ा जा सका तुमने वेद कैसे पढ़ लिये 15 करोड़ साल पुराने डायनासोरों के आर्कोलोजिकल प्रमाण मिले तुम्हारे वेदों के आर्कोलोजिकल प्रमाण क्यों नहीं मिले
डायनासोर में हड्डी होती है भाई। यह भौतिक माने के मटेरियल है। वेद तो ज्ञान है, नानमटेरियल है, इसके हासिल हो भी नहीं सकते, आपका सवाल सवाल ही नहीं हो सका।
DHARAM ACCHA AUR SACCHA
HAI PHIR BHI GUBAR KHA RAHE
PYARE
भारत देश में 80 बरस से केस मुकदमा लड़ते रहना, ये कौन सा कानून है?
अहंकार( जाहिल)की सबसे बड़ी खराबी यही है कि, वो कभी भी सच (हक़ीक़त)को जानने की कोशिश नहीं कराता!
इस लिये इनको ये बतया जाता है की आप सब से उतम हो, ताकि ये सोचना और समझना बंद कर दे!
और ये ही है गुलामी
Jesus Christ is great
हिन्दू शब्द मुस्लिमों की देन सनातन शब्द संस्कृत भाषा देवनागरी पाली और प्रकृति भाषा के बाद आई फिर वेद पुराने कैसे हुए
पुष्यमित्र शुंग से पहले सनातन का सबूत दो
भारत का पहला विश्वविद्यालय नालंदा बौद्धों का उसमें वेद नहीं थे घोड़े भारत में आर्य लिए फिर रामायण युग में अश्वमेघ यज्ञ कैसे हुआ
O की खोज आर्य भट्ट ने की तो रावण के दस सर किसने गिने ओर अरबों वर्षों की गाड़ना रामायण की गाड़ना कैसे की गई
वैदिक काल में गौ मास का सेवन किया जाता था फिर बदलाव कैसे हुआ
और मनु स्मृति के अनुसार ब्राह्मणों के अलावा ओर किसी को पढ़ने लिखने का अधिकार नहीं है
साक्षरता से दूर करने का प्रयास सिर्फ वेदों में ही क्यों किया गया
लंगोट धोने से संतान
मेंढक से संतान
मेल से संतान
हिरण से मानुष संतान मछली से बानर संतान
दूसरों पर उंगली उठाने से पहले खुद के ग़लेबाँ में झांक कर देखलो
🙏 सबसे सुंदर और पुराना सनातन धर्म है
सतयुग, त्रेता ,द्वापर , कलयुग इन युगो से पता लगता है की कितना पुराना है
Buddhism is सनातन
युगों से कोई पता नहीं लगता है असन जुग से सनातन धर्म चालू है यानी मनुष्य पैदा हुए उसी समय से सनातन धर्म है वहीं भगवान वही मनुष्य और वही सनातन धर्म यानी पहले भगवान और मनुष्य एक जैसे थे जैसे दस जनों के बीच में कोई एक ज्ञानी व्यक्ति होता है तो वह होशियार ज्ञानी महात्मा माना जाता है इसी प्रकार भगवान थे 626
Duniya ka pahla aadmi Adam tha pahli kitab ke sath 1400 saal pehle quran akhari kitab hai jisme rahati duniya ke liye jindagi gujarne kanun hai
I Love Islam , मेरा इस्लाम, प्यारा इस्लाम
सब मौसेरे भाइ है.
धार्मिक ग्रंथों की बात तो ठीक है लेकिन हर इंसान के जिस्म मे कुदरत ने जमीर नाम एक ग्रथी पैदा की है जो इंसानियत सिखाती है ओ धर्म सचा है
Allah ne hi Puri duniya banaya hai
Aur uske khudai me koi dusra shamil nahi. उसका कोई माता पिता , पत्नी या संतान नहीं है।
😁😁😁😁
अल्लाह ने सारी कायनात को अपने दोनों हाथों से छ दिन में बनाया है और सातवें रोज अर्श (आसमान) पर आराम करने के लिए लेट गया इससे दो बातों का पता चलता है 1, खुदा दो हाथों वाला एक मनुष्य है और छः दिन काम करने से थकावट महसूस कर रहा था अतः सातवें दिन आसमान पर आराम फरमाया यार क्या फिलासफी है कुछ समझ नहीं आती।😩😩
@@pankajsharma-wt6lgअल्लाह को न नींद आती है और न हीं उंघ। न ही वह थकाता है और न हीं उसे आराम की जरूरत है। न किसी ने उसे जन्म दिया है और न ही उसने किसी को जन्म दिया है।उसका कोई माता पिता, पत्नी या संतान नहीं।और उसके तुलनीय/समकक्ष कोई नहीं।
ब्राह्म ने सारे संसार को बनाने के बाद स्त्री की रचना शुरू किया।उसे 6 दिन लग गय किन्तु स्त्री की रचना पूरा न हो सका उसने और समय लिया तब जाकर स्त्री की रचना पूरा किया। और जब वह मुकम्मल भगवान था तो एक पल में क्यों नहीं बना सका।उसके बाद विवाह किया जैसा की सभी जानते है।जैसा कि त्रिदेव में सभी के पत्नी और संतान की जानकारी मिलती है।इससे दो बातो का पता चलता है 1,ये कोई खुदा नहीं है इंसान है। जो शादी शुदा है जिनके अपनी इच्छाएं है जरूरियात है
2 इनको पैदा करने वाला भी कोई है
और ये फिलोसोफी खुदा के संप्रभुता को चुनौती देता है क्योंकि यहां तीन तीन खुदा है जो इतिहास में लड़ाई भी किए थे अपने बात मनवाने के लिए।अल्लाह कुरान पाक में कहता है की अगर इस कायनात में दो खुदा होता तो इस कायनात का निजाम ही नहीं चलता।
इसी लिए तुम्हारा फिलोस्फी भी हमे कुछ समझ नहीं आती।
(अल्लाह का कोई साझीदार नहीं न ही वह किसी से राय/सलाह का मोहताज है)
वह चाहे तो एक पल में कायनात बनाए या एक हफ्ता में यह उसकी मर्जी है और मुझे लगता है की ये जो सात दिन के एक सप्ताह होता हैं यह उसी की निशानियां है।अल्लाह चाहे तो सूई के नोक में इस धरती को क्या पुरी कायनात को समेट सकता है।और हम मुसलमान उसे ही अपना खुदा ( खुद+आ/ स्वयं आया हो) मानते है।
Yeh sab banane se pahle 1 Akela usko na neend na bhook & usko kisi ki zarurat @@pankajsharma-wt6lg
Is Kayinat / Brahmand Ka Khaliq Aur Malik Wo Akela Badshah ALLAH Hi Hai
Apni Maon K Pet Se Paida Hone Wala Koyi Bhi Insan / Banda Apne Zamane Me Doosron Se Afzal / Shreshth To Ho Sakta Hai Lekin Khuda Nahi Ho Sakta.
ALLAH TA'ALA Quraan Me Farma Raha Hai Ki Woh Insan Ko Ek Universal Qanoon e Fitrat Yaani Deene Islam Par Paida Karta Hai Lekin Dunya Me Aane K Baad Us K Ma Bap Use Jab Wo Dunya Ki Bhasha Samajhne Lagta Hai To Wo Use Apne Apne Raston / Manytaon Aur Alag Alag Dharmon Me Bant Dete Hain.
Bachchon Ki Isi Universal Paidayish Ki Sachchayi Ko Samne Rakh Kar Aaiye Parakhte Hain. .....
Sansar Me Paida Hone Wala Har Bachcha ( Chahe Us K Ma Bap Dunya K Kisi Bhi Part K Rahne Wale Hon Ya Un Ka Dharm Zat Aur Mazhab Koyi Bhi Ho Jab Tak Wo Apne Ma Bap Ki Boli Nahi Bol Pata ) Masoom Hota Hai
Zara Ghaur Se Aur Nishpakshta Se Ye Observe Karna Ki Jab Wo Bhookh Se Ya Dard Aur Takleef Se Vyakul Hota Hai To Wo Kise Pukarta Hai ?
Han Rone Bilakhne K Waqt Us Ki Zaban Se Kisi Aur Ka Nahi Balki Sirf ALLAH ALLAH Hi Ka Nam Nikalta Hai.
Ham Ne Aaj Tak Kisi Bachche Ko Aisi Halat Me
He Ram, He Bhagwan He Ishwar , Oh Moses, Oh Jesus Ya Oh My God Pukarte Nahi Paya. To Phir
Aakhir In Masoom Bachchon Ki Zaban Se ALLAH ALLAH Hi Kyun Nikalta Hai ?
❤Because Is Sansar Me Aankhen Kholne Se pahle 9 Maheene Tak Use Andheri Kothri Me Jisne Us Ko Zinda Aur Salamat Rakkha Lihaza Abhi Bhi Wo Takleef Aur Pareshani Me Apne Usi Khaliq O Malik Ko Yad Karta Hai Use Pahchanta Hai Aur Bar Bar Usi Ka Nam Pukarta Hai.❤
अब से लगभग 100 साल पुरानी कार की किताब आज की मर्सडीज कार के साथ दे दे तो किया आप उस किताब से मर्सडीज कार को चला पायेंगे इस लिए जब जब अवतार आए उन्हें किताब दी गई
@@ankitjat2575
Aapka Qur'an ka gyan whatsapp University se hai😂😂
Jawab na ho to dant nikal do badhiya jawab he@@togetservi4342
.यह कैसे होगा कि ई’श्वर जो सारी दुनिया का पैदा करने वाला है, जब मानव के मार्गदर्शन का इरादा करे तो स्वयं ही पै’दा किए हुए किसी आदमी का वी’र्य बन जाए, अपनी ही बनाई हुई किसी म’हिला के ग’र्भ के अंधेरी कोठरी में प्रवेश करे, नौ महीने तक वहां कै’द रहे, निर्माण के विभिन्न चरणों से गज़रता रहे, खून और मांस में मिलकर पलता बढ़ता रहे, फिर अत्यंत तंग जगह से निकले, दूध पी’ने की आयु पूर्ण करे, बाल्यावस्था से गुजरते हुए जवान हो, फिर वह भग’वान बन जाए? ….
फिर क्या ऐसा नहीं कि इंसान के रूप में पैदा होने के कारण लोग उसे इंसान ही मानेंगे? उसके साथ लोग वैसा ही व्यवहार करेंगे जो दूसरों के साथ करते हैं. उसको गालियां सु’नना पड़ सकती हैं, झूठे आ’रोपों में फँ’साया जा सकता है. सारांश यह कि इंसान के रूप में आने की वजह से उसको भी वही पाप’ड़ बेलने पड़ेंगे जो किसी मनुष्य को बे’लने पड़ते हैं …. क्या इस से उसके ईश्व’रत्व में ब’ट्टा न लगेगा? ….
साफ बात है कि इश्वर यकता और बे मिस्ल है,
यीशु मसीह पापों को माफ कर नया जीवन देते हैं जय मसीह
हिन्दू से इशाई बने हो किया ।
O bhai jesus Dharma badlne ka nhi khete dharam aap hindu hi rakho magar jesus to jivan badlta hai bhlae hi aap hinndu ho ya muslman ushke liye to sub ak hi hai bus wo to jivan badlta hai jivan @@rajivmandal4140
आचार्य जी आप आधेअधूरे ज्ञान से प्रवचन दे रहे हैं। परमेश्वर ने सारी सृष्टि के जीव जन्तु, पेड़ पौधा, सुर्य तारे, जल थल, को बनाने के बाद मनुष्य को बनाया । उसके पहले मनुष्य था ही नही। आप 2अरब साल की बात कर रहे हैं आप को बाईबल पढने की आवश्यकता है जिससे आपकी आखें खुल जायेगा।
Saty ki khoj karoge to
Saty tukhhe swatanrt karega
Amen
वेद, पुराण, छंद, नाराशवी,
इंजीलम, जंबूरण, तारायतिनि
सर्वाणि सत्य त:त क़ुरान,
नामाकुन, आज्ञानसी आ गच्छति
Allah hu akbar
दो अरब साल तक पृथ्वी आग का गोला व बरसात लगातार हो रही थी वैज्ञानिकों के अनुसार कोई जीव जन्तु ही नहीं पैदा हुए थे। तों वेद पुराण कहा से आ गये। भाई साहब जनता अब पढ़ने लिखने लगी है।
आप का तर्क अतिउत्तम है।इस संसार में वेद सबसे पहले आए।पहले वेदों को ब्राह्मणों द्वारा कंठस्थ किया जाता था। जिसको एक वेद आता था उसे वेदी, जिसे दो वेद आते उसे द्विवेदी,जिसे तीन वेद आते उसे त्रिवेदी, जिसे चार वेद कंठस्त होते उसे चतुर्वेदी कहते थे।
100% सच बोल रहे हैं आप सर जी सबसे पुराना हमारा भेद है कुरान बाइबल यह सब तो कलयुग की देन है
Manliya Ved, Bible aur Quran ek hai. Ab manual book k old version loge ya update version. Manabsavyata ab bahut develope ho chuka hai . Koi agar Mobile phone ka android chala raha hai wo kya mobile k keypad version ka manual book kaam chalayega?
Allah Hu Akbar
Bible is a word of. And there is a humanity
बिल्कुल सत्य आचार्य जी सादर। बहुत बहुत साधुवाद आपको।
प्रणाम गुरु जी🙏 वेद कब लिखे गये इस का कोई प्रमाण इव्हिडंस ?
जय श्रीराम बहुत सुंदर जो किसी ने निचोड़ नहीं निकला जो आप ने बोला जय श्री राम
जी आचार्य जी सनातन धर्म के मुख्य किताब वेद है । ( वेद वेद कि हमे बात हि नही पढना भी चाहिए )
हमे गीताजी भी पढ लेनी चाहिए ।
जो समानता सिखाती है
लेकिन पुराणो को मनुस्मृति ( हमे कुछ नुकसान ) इससे भी हमको को नही पढना चाहिए |
प्रमआत्मा हमे सद्बुद्धि दे ।
हरि ॐ
Angrejo unke Sains Vale Robot Ne .Garib kanvart kar pandit maar kar .pak kashmir 😊
milavat..hui hai Har Varna ka Raja hote The Vanvasi Raja .mallah Raja
नगरी लिपि( nagari script) में लिखे वेद ....नागरि लिपि( After 8 AD) के पैदा होने से पहले पैदा हो गए.......वाह धूर्तआचार्य वाह...कहा से पढ़ ..कर आये हो....???
Old is outdated
Bewakoof banane ka achcha tarika
अपनी पीठ थपथपा कर खुश होना यदि कोई सीखना चाहे, तो आपसे बढ़कर कम ही मिलता है
संबूक ऋषि को मारने के समय कोन सा कानून वा किसने बनाया था ,क्या उसे मौत की सजा मिलना चाहिए था।
bdahirwar ji apko sambhuk rishi ka udhar karna hai yaa khud ka Pehle yahi decide Kar lo
'धर्म'/'फित्र'/ 'मूल प्रकृति' किसी वस्तु या जीव की जन्मजात/आंतरिक प्रकृति है। उदाहरण के लिए सांप का धर्म है डंसना, आग का है तपना, बर्फ का है ठंडा करना। और चुंकी हम सब इंसान हैं तो हमारा 'धर्म' है 'इंसानियत'/ 'मानवता'।
कोई भी 'मजहब'/ 'पंथ' इसी सहज/अंतर्निहित इंसानियत की प्रकृति/ प्रवृत्ति को उच्चत्तम स्तर तक ले जाने की और विकसित करने की एक प्रणाली है अत: हमें गारंटीकृत सफलता के लिए सर्वोत्तम उपलब्ध 'प्रणाली' / 'पंथ' (सच्चे ईश्वर द्वारा दिए गए धर्म) (उपलब्ध अनेको में से) का ही पालन करना चाहिए।
ये जरूरी इंसान नहीं कि जिस धर्म/देश में (गलती से) पैदा हुआ है, वह सही ही हो।
संस्कृत या अरबी या तुर्की भाषा में 'पानी'को अलग अलग नाम से पुकारते हैं पर वो 'एक' ही है। इसी प्रकार सबका ईश्वर- एक ही है और अकेला वह ही है।
और च्योंकी हमारा कि हमारा निर्माता/पैदा करने वाला एक है इसलिए हम सभी एक जैसे ही हैं और हमारी ज़रूरतें और इच्छाएँ भी समान हैं।
क्या आप तथाकथित भगवान से ये नहीं कह सकते हैं कि मुसलमान को मत बनाओ?
या, इसके बजाय आपको दो सिर और चार हाथ दे दें ताकि आपको 'मनुष्यों के भगवान' ने उन्हें जो बनाया है, उससे अलग आपको पहचाना जा सके? और ये ज्ञात हो सके कि आपका बननेवाला भगवान उनसे अलग हैl
हम सब एक जैसे हैं क्योंकि हमारा रचयिता 'एक' है।
जैसे हमारा रचयिता एक है और वैसे ही उनका संदेश भी पृथ्वी पर मानव सभ्यता की शुरुआत से सभी के लिए 'एक ही' है -
1. कि हम झूठे भगवानो की पूजा कदापि न करें'
और
2. 'अच्छे कर्म करें'।
और इसलिए इस्लाम का संदेश 'सनातन काल' (प्राचीन दिनों) से एक ही है।
वैदिक काल के लोग जो 'एक अन्देखे ईश्वर' की पूजा करते थे, वो वास्तव में उस समय के संस्कृत भाषा बोलने वाले मुसलमान थे।
और इसलिए 'इस्लाम' (सच्चे ईश्वर की इच्छाओं के लिए अपनी इच्छा का समर्पण करना) प्राचीन काल से ही है और इसे एक बार फिर से पुनर्जीवित किया गया है (यदा यदा हि ... ईश्वर के सिद्धांत के अनुसार) अंतिम संदेशवाहक मुहम्मद सo द्वारा।
सनातन( प्राचीन) काल से मनुष्यों का मार्गदर्शन करने वाले एक ही सच्चे हितैषी ईश्वर (सभी के निर्माता) की नवीनतम आज्ञाओं (कुरआन) का पालन न करने के पीछे यदि कोई भी श्रेष्ठता, अहंकार (किसी श्रेष्ठ समुदाय में पैदा होने का)है तो वो एक बड़ा पाप है अपने सच्चे निर्माता के प्रति, जो की पूर्ण अकृतघ्नता और विश्वासघात का परिचायक है।
आशा है कि अल्लाह (एक निराकार भगवान) हम सभी की मदद करेगा।आमीन!
'धर्म'/'फित्र'/ 'मूल प्रकृति' किसी वस्तु या जीव की जन्मजात/आंतरिक प्रकृति है। उदाहरण के लिए सांप का धर्म है डंसना, आग का है तपना, बर्फ का है ठंडा करना। और चुंकी हम सब इंसान हैं तो हमारा 'धर्म' है 'इंसानियत'/ 'मानवता'।
कोई भी 'मजहब'/ 'पंथ' इसी सहज/अंतर्निहित इंसानियत की प्रकृति/ प्रवृत्ति को उच्चत्तम स्तर तक ले जाने की और विकसित करने की एक प्रणाली है अत: हमें गारंटीकृत सफलता के लिए सर्वोत्तम उपलब्ध 'प्रणाली' / 'पंथ' (सच्चे ईश्वर द्वारा दिए गए धर्म) (उपलब्ध अनेको में से) का ही पालन करना चाहिए।
ये जरूरी इंसान नहीं कि जिस धर्म/देश में (गलती से) पैदा हुआ है, वह सही ही हो।
संस्कृत या अरबी या तुर्की भाषा में 'पानी'को अलग अलग नाम से पुकारते हैं पर वो 'एक' ही है। इसी प्रकार सबका ईश्वर- एक ही है और अकेला वह ही है।
और च्योंकी हमारा कि हमारा निर्माता/पैदा करने वाला एक है इसलिए हम सभी एक जैसे ही हैं और हमारी ज़रूरतें और इच्छाएँ भी समान हैं।
क्या आप तथाकथित भगवान से ये नहीं कह सकते हैं कि मुसलमान को मत बनाओ?
या, इसके बजाय आपको दो सिर और चार हाथ दे दें ताकि आपको 'मनुष्यों के भगवान' ने उन्हें जो बनाया है, उससे अलग आपको पहचाना जा सके? और ये ज्ञात हो सके कि आपका बननेवाला भगवान उनसे अलग हैl
हम सब एक जैसे हैं क्योंकि हमारा रचयिता 'एक' है।
जैसे हमारा रचयिता एक है और वैसे ही उनका संदेश भी पृथ्वी पर मानव सभ्यता की शुरुआत से सभी के लिए 'एक ही' है -
1. कि हम झूठे भगवानो की पूजा कदापि न करें'
और
2. 'अच्छे कर्म करें'।
और इसलिए इस्लाम का संदेश 'सनातन काल' (प्राचीन दिनों) से एक ही है।
वैदिक काल के लोग जो 'एक अन्देखे ईश्वर' की पूजा करते थे, वो वास्तव में उस समय के संस्कृत भाषा बोलने वाले मुसलमान थे।
और इसलिए 'इस्लाम' (सच्चे ईश्वर की इच्छाओं के लिए अपनी इच्छा का समर्पण करना) प्राचीन काल से ही है और इसे एक बार फिर से पुनर्जीवित किया गया है (यदा यदा हि ... ईश्वर के सिद्धांत के अनुसार) अंतिम संदेशवाहक मुहम्मद सo द्वारा।
सनातन( प्राचीन) काल से मनुष्यों का मार्गदर्शन करने वाले एक ही सच्चे हितैषी ईश्वर (सभी के निर्माता) की नवीनतम आज्ञाओं (कुरआन) का पालन न करने के पीछे यदि कोई भी श्रेष्ठता, अहंकार (किसी श्रेष्ठ समुदाय में पैदा होने का)है तो वो एक बड़ा पाप है अपने सच्चे निर्माता के प्रति, जो की पूर्ण अकृतघ्नता और विश्वासघात का परिचायक है।
आशा है कि अल्लाह (एक निराकार भगवान) हम सभी की मदद करेगा।आमीन!!
Quraan aur allah jhuth he. Yeshu Masih ne yeh sabit kar diya, Yeshu Masih ne kaha " Mey mar gaya tha aur ab dekho mey yoganu yug jibit hu ( Bible Revelation 1:18). Yeshu Masih kahta he " Mera hatheli aur chati ke ched me ungli dal kar dhekhlo (Biblle John 20:27). Quraan ka allah ko yeh sab pata nahi he. Quraan kahta Yeshu Masih cross par nahi mara. Yeshu Masih jhutho ka pardafash karne ke liye hi aya tha (Bible 1 John 3:8). Jisne manab jati ka moksh/ananta jibon ke liye Lohu bahaya, salib par apna jan diya, usko inkar karne wala saitan iblish nahi to aur kya he. Yeshu Masih ne Vabiswa bani kar rakha he, Sare jhutho ka pardafash hoga ( Bible Matthew 10:26)
Quran shareef right
Jesus is only way to heaven
ओ३म् का झण्डा ऊंचा रहे
सनातन वैदिक धर्म की जय
Danda Aacha hii lge rho
सत्य सनातन वैदिक धर्म की जय हो
Arya Samaj .Hindu me kya fark he jo Nastik .marksvadi .girgit .Hindu murti pujta to kya duniya pujte he murti ईसा मसीह किस पर बुद्ध kispar..majar..kiski
Sanatan Vo Har kaam karta Jo Arya Samaj bolta hai .murti Chod .Fir Ajay Arya Kyo nafrat bechta he
Consider the following verses:
Quran 21.30 Do the disbelievers not realize that the heavens and earth were ˹once˺ one mass then We split them apart?1 And We created from water every living thing. Will they not then believe?
51.47 We built the universe with ˹great˺ might, and We are certainly expanding ˹it˺.
53.1 By the stars when they fade away.
“Then God turned to the creation of the heavens (the planets), when they were but a smoky substance.” (41:11)
27.88 Now you see the mountains, thinking they are firmly fixed, but they are travelling ˹just˺ like clouds. ˹That is˺ the design of Allah, Who has perfected everything. Surely He is All-Aware of what you do.
67.30 Say, “Consider this: if your water were to sink ˹into the earth˺, then who ˹else˺ could bring you flowing water?”
Only earth has flowing water which is a miracle and is told in the Quran.
Islam zindabad
There's one thing which is similar in all.....
God is one and his final messanger is prophet Muhammad..
Rig Veda Book no 1 hymn 165 verse 46........god is one and truth....
Bavisya Purana kand.3 adyaa 3 purve 3 Verse 5 to 8..
Offcourse god is one but he is not allah allah do magic real ishwar created this universe scientifically he gave physics aviation space science in Vedas om hi Satya ha murti puja asatya ha
किताब मशीन के साथ आती है तुम्हारी किताब से बहुत पहले द्वापर,त्रेता और सतयुग का तो इतिहास भर रखा है सनातन वैदिक धर्म में आर्यसमाज के सत्संग में जाओ सनातन धर्म को जानना है तो
जय जय श्री राम 🙏🏻🕉️🚩🚩🚩🚩
जय जय श्री राम 🙏🏻🕉️🚩🚩🚩🚩
जय जय श्री राम 🙏🏻🕉️🚩🚩🚩🚩
Sanatan dharm ki sari kitabo mai sab savalo ke javab milte hai ki logo ko jivan kaise jina hai . Jay shree ram, Jay shree krishna, bhole baba
Quran zindabad
हम लोग सदियों से यह बात कहते और सुनते आ रहे कि परमेश्वर निराकार है प्रकाश स्वरूप हैं, निराकार का मतलब जो सृष्टि के कण-कण में व्यापत हैं, सिद्ध पुरुष सर्वदा सर्वव्यापक, सर्वान्तर्यामी न्यायकारी परमात्मा को सर्वत्र जानता और मानता है वह पुरुष सर्वदा परमेश्वर को सबके बुरे-भले कर्मों का द्रष्टा जानकर एक क्षणमात्र भी परमात्मा से अपने को अलग न मानते हुए कुकर्म करना तो बड़ी दूर का बात रही वह मन में भी कुचेष्टा नहीं कर सकता । क्योंकि वह जानता है जो मैं मन, वचन, कर्म से भी बुरा काम करूंगा तो इस अन्तर्यामी निराकार ब्रह्म के न्याय से बिना दण्ड पाए कदापि नही बचूंगा। इसलिए ईश्वर को निराकार रूप में भजने वाले उपासक साधक कण कण में विराजमान मानते हुए शुद्ध, पवित्र जीवन जीते हुए सबकों श्रेष्ठ मार्ग पर चलने की प्रेरणा देते रहते हैं। भगवान एक अनंत अगाध समुद्र की भाँती है, जिस साधक ने जितनी डुबकी लगाई उसने परमात्मा का उतना ही बखान किया।
'धर्म'/'फित्र'/ 'मूल प्रकृति' किसी वस्तु या जीव की जन्मजात/आंतरिक प्रकृति है। उदाहरण के लिए सांप का धर्म है डंसना, आग का है तपना, बर्फ का है ठंडा करना। और चुंकी हम सब इंसान हैं तो हमारा 'धर्म' है 'इंसानियत'/ 'मानवता'।
कोई भी 'मजहब'/ 'पंथ' इसी सहज/अंतर्निहित इंसानियत की प्रकृति/ प्रवृत्ति को उच्चत्तम स्तर तक ले जाने की और विकसित करने की एक प्रणाली है अत: हमें गारंटीकृत सफलता के लिए सर्वोत्तम उपलब्ध 'प्रणाली' / 'पंथ' (सच्चे ईश्वर द्वारा दिए गए धर्म) (उपलब्ध अनेको में से) का ही पालन करना चाहिए।
ये जरूरी इंसान नहीं कि जिस धर्म/देश में (गलती से) पैदा हुआ है, वह सही ही हो।
संस्कृत या अरबी या तुर्की भाषा में 'पानी'को अलग अलग नाम से पुकारते हैं पर वो 'एक' ही है। इसी प्रकार सबका ईश्वर- एक ही है और अकेला वह ही है।
और च्योंकी हमारा कि हमारा निर्माता/पैदा करने वाला एक है इसलिए हम सभी एक जैसे ही हैं और हमारी ज़रूरतें और इच्छाएँ भी समान हैं।
क्या आप तथाकथित भगवान से ये नहीं कह सकते हैं कि मुसलमान को मत बनाओ?
या, इसके बजाय आपको दो सिर और चार हाथ दे दें ताकि आपको 'मनुष्यों के भगवान' ने उन्हें जो बनाया है, उससे अलग आपको पहचाना जा सके? और ये ज्ञात हो सके कि आपका बननेवाला भगवान उनसे अलग हैl
हम सब एक जैसे हैं क्योंकि हमारा रचयिता 'एक' है।
जैसे हमारा रचयिता एक है और वैसे ही उनका संदेश भी पृथ्वी पर मानव सभ्यता की शुरुआत से सभी के लिए 'एक ही' है -
1. कि हम झूठे भगवानो की पूजा कदापि न करें'
और
2. 'अच्छे कर्म करें'।
और इसलिए इस्लाम का संदेश 'सनातन काल' (प्राचीन दिनों) से एक ही है।
वैदिक काल के लोग जो 'एक अन्देखे ईश्वर' की पूजा करते थे, वो वास्तव में उस समय के संस्कृत भाषा बोलने वाले मुसलमान थे।
और इसलिए 'इस्लाम' (सच्चे ईश्वर की इच्छाओं के लिए अपनी इच्छा का समर्पण करना) प्राचीन काल से ही है और इसे एक बार फिर से पुनर्जीवित किया गया है (यदा यदा हि ... ईश्वर के सिद्धांत के अनुसार) अंतिम संदेशवाहक मुहम्मद सo द्वारा।
सनातन( प्राचीन) काल से मनुष्यों का मार्गदर्शन करने वाले एक ही सच्चे हितैषी ईश्वर (सभी के निर्माता) की नवीनतम आज्ञाओं (कुरआन) का पालन न करने के पीछे यदि कोई भी श्रेष्ठता, अहंकार (किसी श्रेष्ठ समुदाय में पैदा होने का)है तो वो एक बड़ा पाप है अपने सच्चे निर्माता के प्रति, जो की पूर्ण अकृतघ्नता और विश्वासघात का परिचायक है।
आशा है कि अल्लाह (एक निराकार भगवान) हम सभी की मदद करेगा।आमीन!
@@togetservi4342 @togetservi4342 @togetservi4342 Quraan aur allah jhuth he. Yeshu Masih ne yeh sabit kar diya, Yeshu Masih ne kaha " Mey mar gaya tha aur ab dekho mey yoganu yug jibit hu ( Bible Revelation 1:18). Yeshu Masih kahta he " Mera hatheli aur chati ke ched me ungli dal kar dhekhlo (Biblle John 20:27). Quraan ka allah ko yeh sab pata nahi he. Quraan kahta Yeshu Masih cross par nahi mara. Yeshu Masih jhutho ka pardafash karne ke liye hi aya tha (Bible 1 John 3:8). Jisne manab jati ka moksh/ananta jibon ke liye Lohu bahaya, salib par apna jan diya, usko inkar karne wala saitan iblish nahi to aur kya he. Yeshu Masih ne Vabiswa bani kar rakha he, Sare jhutho ka pardafash hoga ( Bible Matthew 10:26) @togetservi4342 @togetservi4342 Quraan aur allah jhuth he. Yeshu Masih ne yeh sabit kar diya, Yeshu Masih ne kaha " Mey mar gaya tha aur ab dekho mey yoganu yug jibit hu ( Bible Revelation 1:18). Yeshu Masih kahta he " Mera hatheli aur chati ke ched me ungli dal kar dhekhlo (Biblle John 20:27). Quraan ka allah ko yeh sab pata nahi he. Quraan kahta Yeshu Masih cross par nahi mara. Yeshu Masih jhutho ka pardafash karne ke liye hi aya tha (Bible 1 John 3:8). Jisne manab jati ka moksh/ananta jibon ke liye Lohu bahaya, salib par apna jan diya, usko inkar karne wala saitan iblish nahi to aur kya he. Yeshu Masih ne Vabiswa bani kar rakha he, Sare jhutho ka pardafash hoga ( Bible Matthew 10:26) @togetservi4342 @togetservi4342 Quraan aur allah jhuth he. Yeshu Masih ne yeh sabit kar diya, Yeshu Masih ne kaha " Mey mar gaya tha aur ab dekho mey yoganu yug jibit hu ( Bible Revelation 1:18). Yeshu Masih kahta he " Mera hatheli aur chati ke ched me ungli dal kar dhekhlo (Biblle John 20:27). Quraan ka allah ko yeh sab pata nahi he. Quraan kahta Yeshu Masih cross par nahi mara. Yeshu Masih jhutho ka pardafash karne ke liye hi aya tha (Bible 1 John 3:8). Jisne manab jati ka moksh/ananta jibon ke liye Lohu bahaya, salib par apna jan diya, usko inkar karne wala saitan iblish nahi to aur kya he. Yeshu Masih ne Vabiswa bani kar rakha he, Sare jhutho ka pardafash hoga ( Bible Matthew 10:26) @togetservi4342 @togetservi4342 Quraan aur allah jhuth he. Yeshu Masih ne yeh sabit kar diya, Yeshu Masih ne kaha " Mey mar gaya tha aur ab dekho mey yoganu yug jibit hu ( Bible Revelation 1:18). Yeshu Masih kahta he " Mera hatheli aur chati ke ched me ungli dal kar dhekhlo (Biblle John 20:27). Quraan ka allah ko yeh sab pata nahi he. Quraan kahta Yeshu Masih cross par nahi mara. Yeshu Masih jhutho ka pardafash karne ke liye hi aya tha (Bible 1 John 3:8). Jisne manab jati ka moksh/ananta jibon ke liye Lohu bahaya, salib par apna jan diya, usko inkar karne wala saitan iblish nahi to aur kya he. Yeshu Masih ne Vabiswa bani kar rakha he, Sare jhutho ka pardafash hoga ( Bible Matthew 10:26)
ब्राह्मण और क्षत्रिय को डुबकी लगाई है अतः वे मनुवादी बने घमण्डी करते 626
Atal ji ka sasan tha janta unke संविधान पर चलती थी अब मोदी जी का सासन है मोदी जी ने संविधान में संशोधन कर दिए तो अब मोदी जी के संविधान पर चलना पड़े गा ab atal ji ka kanoon nahi chalega vaid se jo mila us samay ke log chalte thhe jab संशोधन संविधान में आया तो बाइबल पर चलना पड़ेगा संविधान संदोधित हो कर कुरान agsya तो कुरान पर चलना पड़ेगा की वैद ओर बाइबल पर जब कुरान पर नहीं चलो ge t o ishwar ke kanoon ka उल्लंघन होगा तो न्याय में क्या मिलेगा दंड के भागीदार होगे लोगोंको बहकाकर pop ka भागीदार न बनिए धन्यवाद
Right,, dear, सलाम,,,❤❤
अपनी फिलॉस्फी अपने पास रखो
गुरुजी आप इसका व्याख्यान अगले जन्म में जरूर बता पाएंगे क्योंकि जब आपका जन्म अलग किसी धर्म में होगा और तब आप उसे धर्म को श्रेष्ठ बताएंगे क्योंकि आप हिंदू धर्म से हैं तो वेद को श्रेष्ठ बता रहे हैं जब आप मुस्लिम या इसाई धर्म के होंगे में पैदा होंगे तब आपको बाइबल कुरान श्रेष्ठ ग्रंथलगेगा
ओउम् नमस्ते आचार्य जी🙏 स्वामि जी🙏.
Aap bahut hi badhiya se samjha rahe hain❤
जय आर्य समाज 🙏🏻🙏🏻
ATI Sundar video ki parustuti Gyan she pari purn Jai bhim namo budhdhay
Alahabad up she
सभी तर्कवादी मानवतावादी विज्ञानवादी लोगों को एक मंच पर लाना होगा कृपया इसके लिए प्रयास करें
धर्मों का सम्मान करना ठीक है लेकिन गलत धर्म या स्वार्थी लोगों द्वारा तुच्छ लाभ के लिए दूषित धर्म का पालन करना सही काम नहीं हो सकता है। इसलिए, सभी के लिए यह सत्यापित करना आवश्यक हो जाता है कि वे जो मानते हैं वह 'सत्य' है भी या नहीं।
यदि ईश्वर सभी के लिए 'एक' है तो तमाम मानवता के लिए उसका संदेश भी एक ही होना चाहिए ना की अलग-अलग युग/काल, भाषा या भौगोलिक क्षेत्र के विभिन्न लोगों के लिए अलग-अलग ।
वह 'एक संदेश' क्या है जो ईश्वर आदि काल से अलग-अलग ऋषियों और पैगम्बरों के माध्यम से इंसानो को दे रहा है?
इसे समझने के लिए सबसे पहले हमें अपने जन्म द्वारा दी गई अपनी सांसारिक पहचान जैसे- मुस्लिम, ईसाई, हिंदू, बौद्ध आदि को छोड़ना होगा और खुद से ये पूछना होगा कि 'अगर मैं दूसरे समुदाय में पैदा हुआ होता तो मेरा 'सत्य' क्या होता'?
क्या वो 'सत्य' मेरे आज के माननेवाले 'विश्वास' से भिन्न नहीं होता?
यदि वह एक 'अलग' 'सत्य' होता तो फिर या तो वह गलत है या वह जिसका मैं अभी अनुसरण करता हूं वह गलत है।
क्योंकि 'सत्य' को तो सभी इंसानो के लिए प्रकृति में सार्वभौमिक,एक समान होना चाहिए और बिना किसी अंतर या विसंगति के सभी के लिए समान रूप से लागू होना चाहिए।
कोई भी 'सत्य' जो समान रूप से दुनिया के तमाम इंसानों पर लागू नहीं होता वो कतई 'यूनिवर्सल सत्य' नहीं हो सकता l
मानवता ने जो सबसे बड़ी 'ऐतिहासिक गलती' बार बार हर काल में की है, वह यह है कि उन्होंने झूठे भगवानों/मानव-निर्मित भगवानों या मनुष्यों/ पशुओं या प्रकृति को 'भगवान' के रूप में पूजा करना शुरू कर दिया और सभी के 'सच्चे एक भगवान' के अधिकार और संप्रभुता कि अहवेलना कर खुद का नुक्सान किया है।
और इसलिए आज हम देख रहे हैं कि सबके 'अलग अलग भगवान' पूरी मानवता को भ्रमित कर रहे हैं ... और इसी पाप को रोकने के लिए भगवान समय-समय पर संतों और पैगम्बरों के माध्यम से अपना दिव्य ज्ञान भेजते रहे। जिन्होंने अपने
रहते समाज में पुनः सत्य की स्थापना की, लेकिन उनके जाने के बाद आने वाली पीढ़ियों तक उनका ज्ञान सही ढंग से नहीं पहुंचा और साथ ही बेईमान लोगों के छल-कपट के कारण 'सच्चा संदेश' दूषित हो गया। और इसीलिए 'एक खुदा' के सत्य को फिर से स्थापित करने के लिए अंतिम संदेशवाहक पैगंबर मुहम्मद (PBUH) को पूरी मानवता के लिए धरती पर भेजा गया था ... लेकिन अपनी 'भौगोलिक सांसारिक पहचान' के भ्रम में जकड़े लोग यह नहीं देख पा रहे हैं कि उन्हें वही संदेश दिया गया है
जो उनके पहले आने वाले सभी पैगम्बरों और संतों को दिया गया था, यानी की- 'भटकी हुई मानवता को उनके सच्चे ईश्वर की ओर बुलाना' .......और जब तक हम सभी राष्ट्रों के सभी समय के संदेशवाहको को एक ही 'संदेश' देने वाले के रूप में स्वीकार नहीं करते हैं, तब तक हम हमेशा 'तेरा-मेरा' कर के अलग रहेंगे या 'अपनी डफली अपना राग' के लिए प्रवण होंगे..जबकि हमारे दिल और अंतरात्मा की गहराई में हम सभी जानते हैं कि हम सभी भाई-बहन 'एक ही मानव परिवार' के हैं।
एक विनम्र आत्मा दूसरों को तब तक अस्वीकार नहीं करती जब तक कि उसने अपनी 'पसंद/चुनाव' बनाने से पहले दूसरे धर्म के संदेश का अध्ययन और विचार नहीं किया हो।
ये समस्त छनिक संसारिक जीवन सिर्फ दो बातों को चुनने के बारे में है-
1. सही विश्वास ('एक निराकार खुदा') और
2. सत्य कर्म (अच्छे कर्म)।
किसी भी ''आत्मा' को तब तक मुक्ति नहीं मिलेगी जब तक कि उसने इस्लाम की उपरोक्त दो सत्य चुनावो को आत्मसात ना कर लिया हो।
सम्मान सहित,
Muslim dharm 1448 saal pahele aaya aur aaj duniya mein 57 muslim desh hai
christan dharm duniya mein 2000 saal pahele aaya aur aaj duniya mein 70 christan desh hai
Aur aap keh rahe hain ki hindu dharm duniya mein 2 arab saal pahele aaya issliye hindu dharm hi saccha hai toh phir mera ek sawal hai ki 2 arab saal pahele aakar bhi aaj duniya mein ek bhi sanatan (hindu) desh kyun nahi hai ?
अद्भुत अद्भुत मेरी जिंदगी में ऐसा वीडियो नहीं देखा है मैंने कभी भी यह हम हमारे पाखंडी लंपट महाराज ऐसी बातें बताते ही नहीं है बारे में कुछ वेद के बारे में कुछ बताते