क्यों सारे भगवान का जन्म भारत में हुआ? | Neha Rajpput | Sanatan Dharm | Ved | Puaranas
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- เผยแพร่เมื่อ 20 ก.ย. 2024
- #podcast #dharmasamwad #sanatandharma #veda #purana #bhagwatgeeta #geeta #aryasamaj #trending #viral #neharajpput
Podcast: क्यों सारे भगवान का जन्म भारत में हुआ? | Dharma Live | Sanatan Dharm | Ved | Puaranas | Lajpat Rai Aggarwal | Yogi Vishal Tiwari | Neha Rajpput
Dharma Live के Podcast #DharmaSamvad में इस बार हमारे मेहमान हैं, Lajpat Rai Aggarwal जी ( वैदिक मिशनरी ), जो एक संपादक हैं और Yogi Vishal Tiwari जी ,जो Spiritual Mentor हैं, आज इस Podcast में हम जानेंगे कि क्या वाकई भगवान अवतार लेते हैं? साथ ही Vedas, Purana और सनातन धर्म से जुड़े अनेक रहस्यों पर चर्चा होगी.
Anchor- Neha Rajpput
Producer- Mukesh Kaushik
Video Editor- Subodh Sinha
Video Journalist- Dharm Ji & Jassie
DHARMA LIVE is a Spirituality based Entertainment channel. The channel brings viewers information about Daily Horoscope Predictions, Weekly Horoscope Predictions, Monthly Horoscope Predictions, Yearly Horoscope prediction, Planetary Movements and Its Effect. We also talk about Remedies, Transit, Conjunction, Mythology, Numerology, Vedic Astrology, Tarot, Palmistry, Vastu, Yog, Yoga Gurus and Influential Personality and a lot more. We believe Spirituality should be an encouraging and positive part of our daily life. The motive is to bring Spirituality alive while dispelling fears and myths. This vertical is a part of ABP Live.
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वैधानिक चेतावनी -
इस चैनल पर दी गयी जानकारी विभिन्न पंचांग, ज्योतिषियों, धर्म ग्रन्थों से संग्रहित कर आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज आपको ज्योतिष और उस से जुड़ी घटनाओं से अवगत कराना है। यहां प्राप्त कोई भी भविष्यवाणी या अन्य संदेश सलाह या उपचार का विकल्प नहीं है, जो आमतौर पर एक लाइसेंस प्राप्त पेशेवर जैसे वकील, डॉक्टर, मनोचिकित्सक, या वित्तीय सलाहकार से प्राप्त होता है। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी। Dharma Live TH-cam चैनल पर दी गयी जानकारी केवल आपके मनोरंजन के उद्देश्य से है।
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/ abplivedharma
महर्षि दयानंद सरस्वती जी महाराज की जय कृणवन्तोविश्मार्यम् 🙏🚩
Three of you are humbly requested to not waste this precious time with futile gossips for confusing relegions.
The relegion, God and Goddess are True only that are witnessed alongwith the creation by Sun, Moon and the Planets.
Apart from above, this earth, plants and animals are also giving witnesses for the Allohim God foretold in the Bible.
To clearly know about the Real Divine Parents, you should concern with the teachers into the Zion nearby your hometown.
The Zion is Church of God only where the Passover Festivals are often celebrated, but not the other churches.
Re-incarnation and Ressuraction both are possible if God desires. For those who are said to be gods themselves in India or any where they are frauds.
Because for the re-incarnation, or messenger for the God to come in this world are already predicted in the Bible 2100 to 3500 BC.
Akmaeakvijdinakvijdinakmaeho
जिंदगी मे सबको एक बार स्वामी विवेकानंद के पुरे सब ग्रंथो को संपूर्ण अवश्य पढना चाहिए उसके बिना सनातन धर्म को संपूर्ण समजना असंभव है
Have your studied them yourself?
सही कहा गुरु जी वेद में ही केवल मंत्र है
Mantra sirf Vedo me nahi hai,agar Maa kisi bete se kah rahi waha mat jao gir jayega,to ye usake liye mantra hi hai.....
Mana kisne kiya ? Par Pramaan keval ved hi hai yeh kehna galat hai ..warna toot jaoge aap
Mantra ke mayne hai jisme mann ka tran ho yani jisse mann stambhit ho prasann ho
Upanishad me bhi hai
Yes pls see in Google there are also mantras@@VedicYaduvanshi
Aapka bahut bahut DHANYWAAD, HAMAARA SAMAY BARBAAD KARNE KE LIYE.
Arya samaj ke logo ko apni baat bade paimane par rakhana chahiye inki bato me logic, reasoning aur authenticity hoti hai❤❤
एक काम करों कोर्ट जाओ तब पता चलेगा तुमको जैसे मुल्ले गएँ थे राम मंदिर पर
क्योंकि राम मंदिर जिन सबुतो पर बना है वो तो आर्यसमाज के हिसाब से गलत है
पाखंडी होता है। आर्य समाज बाले
पाखंदी तो योगी है दोनों प्रश्नों में से एक का भी जबाब और देकर पुराणी के ही गीत गा रहा है जा से जागृति तो बोलता है लेकिन जिद्दी क्यो नहीं मानता। मंगदंत को ओरिजिनल मानता है। @@Artist.Rishikesh
भाई इनकी बहुत बड़ी संस्था है और प्रचार भी खूब करते हैं इनको लोग मानते ही नहीं हैं क्यूंकि ये विवाद पे उतारू हो जाते हैं अगर इनकी बात na मानो
@@RishiBhaiNoida bhai aapke Baton ka Samman hai lekin yah bataiye aaj ke Jamane mein prachar kaun nahin karta hai Sabse Jyada prajati yah Katha vachak hi Karte Hain jinki baten tarksangat Nahin Najar Aati Hain kam se kam Arya Samaj ki baten tarksangat to Najar Aati Hain
75 वर्ष k गुरु जी 101%सत्य कह रहे है वेद k अनुसार.
Om
सिर्फ उम्र से तुम नही बता सकते वो कितना ज्ञानी है😂
आर्य समाजी बडे या तुकाराम महाराज ? तुकाराम जी कहते हैं: वेद अनंत बोलीला , अर्थ इतकाची साधिला, विठ्ठलाशी शरण जावे, निज निष्ठे नाम गावे!!
@@A-KR18Yajurveda Aadhya 32 mantra 3 padhke aa khud kabhi ved nahi padha joh padhe hai unhe Gyan deta hai nastik kahika😂
@@realisticcoments283ved bada ya tukaram ji Arya samaj wo kahta hai Jo ved mein likha hai ved virudh tum mante hoge hamm nahi
@@Ram-q4u7x वेदका हम आदर करते है; लेकिन आर्यसमाज ने वेदों का अर्थ अपने मनगढंत रूप से किया है. तुकाराम महाराज के साथ तुम्हारे स्वामीने एक कोटी जन्म लिया तो भी बराबरी नहीं हो सकती; तुकाराम महाराज वैकुंठ गये, तुम्हारा महाराज विष से मर गया.
यैशी चर्चा ये होती रहनी चाहिए ता कि भ्रम समाप्त हो के सत्य सबको पता चले❤
अनेक अवैज्ञानिक गपोड़ गाथाओं से सटीक और कम शब्दों में बुजुर्ग गुरु जी के कथन तार्किक है।
Guruji to nastik hai . Kya anubhab hai . Kuch nahin
Agar jankari Lena hai to adhyatmik Iswariya Viswavidyala ko khoj kijiye
Guruji ki naim par pura murkh hai
Bhagwan ka parichay koi shashtra de nahi Sakta hai parantu woh aakar khud deta hai . Isliye unhen Khuda kahagaya hai.
Ye gapodne me kam nahi hai
पात्र बनो । कहना आसान है किन्तु पात्रता कैसे हो? यम,नियम,साधना,पवित्रता,ध्यान ,समाधी से?? शुद्ध उचाचारण? संस्कृत व्याकरण का ज्ञान ? मंत्रोच्चारण के लिए पात्रता ? ईश्वर को प्राप्त करने के लिए मानव बनना जरूरी है। मानवोचित कर्म करते हुए इस शरीर साधन से ही ईश्वरदर्शन,ध्यान साधना संभव है।
वेदों का ज्ञान आज की youth के लिए अनिवार्य है। कृपया कोई भी धर्म से जुड़े सवाल और उसके सही उतर ढूँढने का सही प्रयास करे। वेदों के ज्ञान के पूर्ण ही हम सब भारत वासी हर सवाल के सटीक उतर देने योग्य बनेंगे। 🙏🏻
बहुत सही कहा 👍
Jis dharm me bahut saare bhagwan ko puja jata hai use dharm nahi pakkhand kehte hai😃😃😃kaafir
आपने कभी वेद पढ़ा है?
😂th-cam.com/video/CwQk6JX0jk0/w-d-xo.htmlsi=7ygIRMzzNGVR5R4P
बहन जी धर्म तो एक ही है बाकी तो सब मजहब एवं पंत हैं धर्म तो केवल सनातन वैदिक धर्म है
We great by your sadhana by your sarvish and by your sacrifices
अच्छा मंच है होना ही चाहिए,,सत्य स्पष्ट होकर ही रहता है।वेदो अखिलो धर्ममूलम्।
सत्य वचन
Satya vachan❤
बहुत अच्छी बात गुरुजी ने बताई
जितने भी अवतार हुए यह धर्म के अनुसार लिए गए हैं आंखें यह सब गलत है इन अवतारों ने मानवता को तार तार किया
प्रकृति ही भगवान है
आप बहुत बहुत धन्यवाद दूंगा आर्य समाज का जिन्होंने मेरे जीवन परिवर्तन किया
योगी जी बहुत बोले चुप नहीं हुए पर उत्तर कुछ भी नही दिया हां कविताएं अच्छी सुनाई 😂😂😂
आँप बताओ कि क्या सत्य हे
Yogi ji sawaal ka jawab nhi diya
योगी विशाल जी जिस अनुभव की बात कर रहे हैं वह हमारे पूर्व स्मृति होती है, यह प्रयोग हमारे आश्रम में हमने साधको पर किए हैं, पांच साधक को बताया गया कि हमने गधे कि मूर्ति में प्राण प्रतिष्ठा कर दी है यह ईश्वर की स्वरूप हो गई है मूर्ति, जबकि पाँच साधकों को बताया गया कि कृष्ण की मूर्ति में प्राण प्रतिष्ठा कर दी गई है अब यह ईश्वर रूप हो गई है मूर्ति, और पांच साधकों को बिना मूर्ति के साधन में बैठाया गया। परिणाम उत्तम थे गधे वाले को गधा ही परमात्मा रूप में बात कर रहा था अनुभव दिला रहा था कृष्ण वालों को कृष्ण रूप में बाते और अनुभव करा रहा था जबकि बिना मूर्ति वालों को वह आनंद का अनुभव कर रहा था और ज्ञान विज्ञान का अनुभव कराया जो बात उनको नहीं बताई गई कभी उन्होंने सुनी भी नहीं थी उस पर तर्क वितर्क कर रहें थे। इसे ही ईस्वर कि कृपा कहते हैं. और योगी होने के नाते हमारे तो अनुभव सभी प्रकार के हैं। अगर किसी को ईश्वर के दर्शन करने हैं जिस रूप में भी करना है वह संपर्क कर सकते हैं। लेकिन ध्यान रहे वह ईस्वर नहीं आपकी स्मृति आधारित ईस्वर होगा। ईश्वर के अनुभव को शब्दों में बयां नहीं कर सकते। हमने बहुत प्रयास किया कि उन्हें शब्दों में लिखा जा सके परंतु नहीं लिख सकते जिस प्रकार जब स्त्री पुरुष में संबंध बनाए जाते हैं तो जो आनंद के अनुभूति होती है उन्हें शब्दों में नहीं लिखा जा सकता उसी प्रकार ईश्वर के अनुभव को शब्दों में नहीं लिखा जा सकता।
गुरूजी को नमस्कार और योगी जी को अभी और साधना कि आवश्यकता हैं। बहुत-बहुत धन्यवाद जय श्री राम
Sadhu santon ka sang karna padega guruji ki baat samajhne ke liye murkhon ko baat samajh mein nahin aaegi
Correct.
योगी जी नें एक बात बहूत अच्छी कहीं कि समय के साथ हर चीज को अपडेटे होना आवश्यक है अगर अपडेट नही होगा तो चीज पाखण्ड बन जाती हैं l इश्वर ने बराबर update किया मग़र पिछ्ले लोगो ने इश्वर के द्वारा किया अपडेट को ही नकारा दिया l वेदों के पाश्चात्य इश्वर कि ओर से जो धार्मिक ग्रंथ अवतरित हुए जैसे पारसी धर्म का ग्रंथ हो या यहूदी या क्रिश्चियन या कुरान हो, ये सब इश्वर के द्वारा भेजा गया वेदों का ही undated version है और उन सभी की मूल शिक्षा एक ही है l जो पाखंड समय के साथ लोगों ने धर्म के नाम पर पुराने version में जोड़ दिया था इश्वर उस पाखंड को दूर करने के लिए एक के एक updated version भेजता रहा l मशीनरी को update करने के लिए उसमे नयी अथवा उन्नत जानकारी को जोड़ा जाता हैं परंतु धर्म को अपडेट करने के लिए उसमे से मनुष्यों द्वारा जोड़ी गए पाखंड का उन्मूलन करके पूना वास्तविक धर्म को स्थापित करना होता है l
गुरू जी की बाते लॉजिकल और सत्येपूर्ण हैं
योगी बस घुमा रहा है।।।
अगर भगवान ने अवतार लिया है तो वो हर जगह या तो डरा है या हारा है।।।
राम को हनुमान की जरूरत पड़ी।।
भगवान होता तो अकेला ही क्रलेटा।।।
सत्य हो आर्य समाज ❤❤
जय हो सत्य सनातन ❤❤
केवल पढ़ने से पुस्तक ज्ञान होता गुरु से ज्ञान की समझ और सिद्धि प्राप्त होती है
Lगुरुका मतलब है सिन्डिगेट
I am with Aggarwal ji. Jasa jasa i listen you. I become fan of you. Now I will study Arya samaj
Same I'll also study about arya samaj
Read Satyarth Prakash first.
पूर्ण बकवास है आर्य समाज मेरे भाई।
@@KALKIKALIYUGtumhare jese budhimaan vyakti ko ishwar sadbudhi de
@@shona2262 पढ़ लिया पूरा? पहले पढ़ लो, बिना पढ़े मैं निष्कर्ष नहीं देता।🙏 सद्बुद्धि की आवश्यकता आपको अधिक है।
यह अच्छी चर्चा है। जब वेद एवं तर्कों के अनुसार सृष्टिकर्ता परमात्मा निराकार, सर्वव्यापी है तो वह सब स्थानों पर पहले ही है तो उसको अवतार लेने की आवश्यकता ही नही है। इसलिए अवतारवाद का सिद्धान्त गलत है। अतः अवतार होने प्रश्न नहीं उठता। जहां भी अवतार का समर्थन किया गया है वह भ्रमात्मक है। अवतारवाद के कारण बहुत से गलत विचार प्रचलित हो गये हैं। जब निराकार है तो परमात्मा की मूर्ती भी नहीं बनाई जा सकती। जड मूर्ति पूजा के कारण मजार पूजा भी प्रचलित हो गयी है और मूर्तियो व मजार पर चढावा चढाने का प्रचार करके जनता को चढावा चढाने के लिए प्रेरित किया जाता और चढावे को प्रचारकों व पुजारियों द्वारा उठा लिया जाति है। कुछ व्यक्ति अपने को ईश्वर या ईश्वर का अवतार बताकर चढावे आदि के द्वारा लूट रहे हैं। विद्वानों का कर्तव्य है कि वेद व तर्क के अनुसार सृष्टिकर्ता परमात्मा, आत्मा, व प्रकृति के गुणों व परिभाषा का सही सही प्रचार करके जनता से अज्ञान को दूर करें।
Nirakar ka arth bina aakar nahihe.
@@hetvantbarot4473यहां निर उपसर्ग किस अर्थ में है
बताओ
@@vijendraverma799 कलिके पहले सत्य, त्रेता, द्वापार युग में भी विद्वान, मनिषि हो चुके हैं. उनका भी आदर करना कर्तव्य है. गीता कहती है: यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत, अभ्युत्थानमधर्मस्य
तदात्मानं सृजाम्यहम् !! मतलब अवतार होते है. अब बताओ, हम आपका और दयानंद जी का सुने या भगवान श्रीकृष्ण का सुने?
Mujhe ye bata itne sare grah hi prithivi par hi jeevan kyu hi.....
Baba Nam kevlam Baba Nam kevlam Baba Nam kevlam Baba kevlam
संत सतगुरु भगवान आपके चरणों में साष्टांग दंडवत प्रणाम आपका सवाल बहुत अच्छा है योगी जी का उत्तर नहीं दे पाए लेकिन मैं अपने सदगुरु और परमात्मा की कृपा से जो जाना है वह सुनाता हूं जो भगवान का ना हुआ अवतार है वह अपने गुरुजी से एक प्रश्न करते हैं वह प्रश्न में आप से भी कर रहा हूं मेने श्रुति स्मृति शस्त्र पुराणादि है पड़े यथा विधान कर्मों को उनके करके लखा तो भी मेरे मन की चंचलता मिटती नहीं अब बात अवतार भगवान और परमात्मा की करते हैं तो परमात्मा निराकार भी है सरकार भी है और परमात्मा कहते है मैं सर्व आकार में हूं यानी कण कण बस दिखाने वाला चाहिए परमात्मा और भगवान अलग है अलग होते हुए भी एक हैं भगवान हर इंसान है अवतारों को भगवान इसलिए कहा गया है क्योंकि वह परमात्मा के विशेष अंश है वह विश्व के अंश भाव से कह सकते हैं कि मैं ही परमात्मा हूं विशेष अंश यानी ज्ञानियों में श्रेष्ठ वैसे तो हम भी परमात्मा के अंश हैं और हम अज्ञानी है परमात्मा की माया में लुप्त है वैसे भगवान पांच तत्वों को कहा गया है इन्हीं पांच तत्वों से हर जीव का शरीर बना और इन्हीं पांच तत्वों में लय होना है यह परमात्मा का एक खेल है जिसे मानव सत्य मान बैठा है यह नवम बुद्ध अवतार का का ज्ञान है जो भगवान कृष्ण का गीता का ज्ञान है जो अर्जुन को विराट रूप दिखाया था वह कैसा विराट रूप इसमें लोग चमत्कार और कल्पना में फस गए जैसा टीवी में दिखाया जाता है वैसा मान लिया है उसी ज्ञान को बुद्ध भगवान ने सहज रूप से अपने भक्तों के लिए निचोड़ किया इसीलिए मैंने कहा भगवान और परमात्मा अलग है परमात्मा उसकी स्वयंभू लीला को कहा परमात्मा ना कहीं आता है ना कहीं जाता है ना बनता है ना बिगड़ा है अंदर बाहर एक समान वह अंशी है हम अंश है इसीलिए मेरे ज्ञानी भाइयों वेद बहुत बड़े होते हैं नहीं पढ़ पाते हैं इसीलिए प्रतिदिन गीता पढ़िए अपने घर पर जिसमें सभी मानवो का कल्याण छुपा हुआ अधिक जानकारी के लिए पहले अध्यात्म ज्ञान से जुड़े सतयुग में इस ज्ञान को आत्मज्ञान कहते त्रेता में इस ज्ञान को ब्रह्म ज्ञान द्वापर में इस ज्ञान को दिव्य चक्षु और कलयुग में इसे आध्यात्मिक ज्ञान कहते हैं यह जान वही है सतयुग वाला और यह उसे ही मिलेगा जिसका पुण्य उदय हुआ है साधारण आदमी तो अपने कान तक भी नहीं जाने देगा । ओम तत सत विश्वरूप परमात्मा जय हो सदगुरुदेव भगवान की
'वेद'नाम जानने का है ।जानना, देखे 7:57 हुए
'वेद'नाम जानने का है जानना, देखे हुए
को दिखाना, वेद है। दिखाया नहीं, सुनाया है शुर्ति है वेद स्वयंभू है जो अपौरुषेय है जो आर्य समाजियों को
जानकारी है शुर्ति पौरुषेय है।वेद दर्शाने वाली ऋचायें नारायण, ब्रह्मदेव महिर्षि
प्रणीत हैं ब्रह्म विद्या में ऋचाऐं, की सिध्दी(साक्ष)करने को वेद प्रमाण माना जाता है वाकी सब शुर्ति है वेद स्वयंभू अपरोक्ष ज्ञान है अन्य परोक्षज्ञान है।।
bhai,ved,ki,to,esi,tesi,in,panditp,ne,kardi,sab,jagah,apña,naam,fit,kar,rakha,he,padho,phir,bolna
satsahib
😢😢😢😢
Bahut dukh ki bat he manushya bahut gyani ho gaye he
मैं आर्यसमाज और उसके विद्वानों के प्रति श्रद्धा और सम्मान रखता हूं और जानता हूं कि वे सत्य को जानते एवम् समझते हैं परंतु यह भी जानता हूं की आम आदमी वास्तव में ज्ञानी और पंडित नही है।इस एपिसोड में कई कमेंट देखकर लगता है कि सत्य को जानने या स्वीकार करने में उनका ज्ञान समर्थ ही नहीं है।
मेरे विचार से इस संबंध में मैं आर्य समाजियों से भी निवेदन करना चाहता हु कि वे मूर्ति पूजा को उस पहली कक्षा के बच्चे के समान समझे कि वह बच्चा अ एक अक्षर है,नही जानता वह अ से अनार ही बोलेगा अगली कक्षा में अ से अनार के साथ अमरूद,अन्नानास, अदरख भी पढ़ता है तब उसे पता चलता है कि अ से बहुत शब्द बनते हैं अ अनार नही एक स्वतंत्र अक्षर है उसी प्रकार यदि मूर्ति पूजक भी यह सत्य जान ले कि मूर्ति में भी भगवान हैं,ठीक वैसे ही जैसे कण कण में हैं,किंतु मूर्ति ही भगवान नहीं है।परंतु पौराणिक मूर्ति को ही भगवान मान बैठा है उसका ज्ञान आगे बढ़ना ही नही चाहता।
आपने सत्य वचन कहा है मान्यवर ❤❤
वाह अदभुत
धन्य हैं
आप को प्रणाम है
आस्था का संबंध भाव से है, मूर्ति के रूप में भाव प्रदर्शित किए जाते हैं और उन्हें ही निहिलाया खिलाया और सुलाया जाता है।
@@user-tg8sb6dv1e 🤦♂🖐😃😃😃🤣
अत्यंत सहज व सरल अभिव्यक्ति।।ज्ञान का परम तो अ उ म से शब्द ब्रह्म को जान लेना है जो कि ध्वनि ॐ है जिसे माहेश्वर सूत्र में शिव के डमरू से पाण्नी महाराज ने प्रथम बार सुना,। तो *म* मकार से मौनता की अनुभूतिगम्यता हेतु हमारे सामने रख दिया। कोई सांसारिक ध्वनि नही केवल अनहद ॐ😊वही परमब्रह्म:तत्सत।।
विश्व का ऐसा कौन सा देश है जहां भगवान अवतार लेता है और ज्यादा तर अंध-भक्त मौजूद हैं।
भगवान कहीं पर हों कि न हों
उसके पचड़े में पड़ते हैं क्यों
करके आपस में बाद विवाद वृथा। कल्पित के पीछे पडनते क्यों
इन कल्पित देवी देवों की मानव को आज जरूरत क्या
जो आप न अपना ताप हरे हर सकती कोई मूरत क्या।
जैसी करनी जो करता है वैसी भरनी भर पाएगा।
कोई भी देवी देव उसे फिर माफ न ही कर पाएगा।
गर सुद्ध आचरण हो जाए अभिशाप स्वयं बरदान बने
गर पंचशील धारणा करले इंसान स्वयं भगवान बने।
I purely agreed with Yogi ji 🙏❤️ . It's really appreciate 👏🙏
Pagol
योगी जी कुछ कहें हैं 😂😂😂
हम तो केवल बुलडोजर वाले योगी जी को जानते हैं। छपरी कोई भी योगी बन नही जाता।
Acharan se pata chal jata hai , Kaun kitne pani me hai. Ek tota bhi ratta Mar sakta hai par bhasya nehi de sakta . Yogi really heart touching.
Are wa arya ji kmal ker diya 🙌🙌🙌🙌
Om hi satya h🎉
जब भी किसी दो लोगों से धर्म संवाद करे तो दोनों का सवाल जवाब का समय निर्धारित करे ताकि अपने समय में रहकर अपने विचार रख सके यहाँ योगी जी को ज़्यादा समय दिया गया गुरुजी को कम समय मिला तय समय नहीं होने का कारण गुरु जी बात को योगी जी बीच में काटते रहे ये सही नहीं है ये न्याय भी नहीं है समय निर्धारित कर संवाद करे
@@princestudiomdsअग्रवाल साहेब को हरियाण मे विराजमान साकार हरि बाबा के चरण मे शरण ले के तोडा ज्ञान अर्जन करना चाहिए क्योङ्कि उन सेशबढकर कोई नही है। श्रुत है कि * न हरेश्च परम् न हरेश्च परम्*
बुद्ध जी ने भी यही कहा था, कि मानो मत, जानो,, भारत देश बुद्ध का देश था, कण कण में इसके सबूत भी मिलते है, फिर भी हम भारतवासी, बुद्ध को कम जानते है,, कारण,, आप जानना ही नही चाहते है,,,,,,
Bharat Desh bhud ka desh nahi hai unka desh Nepal hai comment karne se pehle khud ka pura jankar hona awashk hai
बहना बौद्ध शव्द अर्थ ज्ञान होता है,जीस प्रकार भारत में शव्द का कार्थ भी ज्ञान होता है इसलिए
सनातन धर्म नहीं है यह विशेषण है योगी जी का समझने का तरीका उलझने का है सनातन का अर्थ होता है आदिकाल अर्थात जिसका अंत न हो भारत का सनातन धर्म बौद्ध धर्म है गुरु जी का समझने का तरीका सही है
Bhudh wale muh utha k ghus jayenge😂
अशोक से पहले बुद्ध का कोई सबूत है तुम्हारे पास कुछ भी😅😅😅😅😅
योगी जी हर बात की जलेबी बना रहे हैं तथ्य के साथ कोई जबाव नहीं है
योगी जी के ज्ञान के आगे अग्रवाल जी कोई मायने नहीं रखते अग्रवाल की लकीर के फकीर है आर्य समाज में श्रद्धा की बहुत कमी होती बहुत कम लोग है जो श्रद्धा वान होते हैं अग्रवाल जी ने अपना समय खराब करा हे
वेद प्रमाणित है इसके अलावा सब धंधा के लिए ब्राह्मण खूद किताब लिखा है@@Prakash-hm6tc
Agar ishwar ko dekhna hai to apne andar dekho कहानिया sunne se kuch nhi honga iswar dekha jata hai God allah bhagwan waheguru sab ek hai alag alag nhi ram ji ko dekha jata hai puran guru ki madad se agar janna cahte ho iswar ko to kabhi aaye divya jyoti jagriti sansthan mei apne andar iswar ko dekho fir pta chalega iswar hai ja nhi
@@Amanhindu563 iska matlab na aapne Allah ko jana he na aapne ishwar ko,aap sirf gyan de rahe h,gita or quran pad kar dekho pta chal jayega kon kalpnik he or kon real h,esa bakwas gyan sirf murkh or dogle hindu hi de sakte h jinhe na apna pta he na dusre ka 😄
बकवास करना बंद करो तुम्हारे योगी जी को बोलने की भी तमीज नहीं है 12 मिनट पर देखो क्या कह रहा है नेहा जी मुझे आपका बहुत कुछ नहीं दिखाई दे रहा 😂😂 @@Prakash-hm6tc
भगवान ने स्वय कहा है मुझे ज्ञान बुद्धि से नही जान सकते ❤❤❤
आपने भगवान के मुख से सुना ?
Bhgwan swaroop santo k shree mukh se suna h
Sahi Baat Inshan ki Buddhi Mein Itni power nahi Hai Ki Bhagwan ko Jaan Paye lekin Prem se pukaroge to pahchan jaaoge
🙏🌹धन निरंकार जी 🌹🙏
🙏🌹 परमात्मा को मानना और
जानने में बहुत अंतर है 🌹🙏
🙏🌹 परमात्मा शब्द में नहीं आ सकता और कहीं कोई जगह खाली नही है 🌹🙏
Yk Rana
29:05
फलसफी को बहस में खुदा मिलता नहीं
डोर सुलझाता है मगर सिरा मिलता नहीं ।
श्री लाजपत राय अग्रवाल जी देश के प्रतिष्ठित अमर प्रकाशन के संस्थापक है। ये अमर स्वामी के शिष्य है। गुरुकुल कांगड़ी के स्नातक है। हजारों पुस्तको के संपादक है। बहुत योग्य पुरुष है।इसीलिए वे टू द प्वाइंट उत्तर दे रहे है। योगी जी आपके सारे प्रश्न का उत्तर बहुत आसानी से मिल सकता है।प्रश्न का उत्तर नही दे रहे योगी जी
लाजपत राय जी के वर्णन किसी विद्वान के अनुसार तो नहीं लग रहे हैं....
Kyunki wo shabdon ki jalebi nhi bana rhe to maza nhi aa rha hoga@@alpanamittal8270
विद्वान कहते हैं। जो वेद का ज्ञाता हो। और गुरु जी केवल वेद के अनुसार ही अपनी बात कह रहे हैं। उससे अलग नही। @@alpanamittal8270
Ekdm sahi kaha apne, uttar santushi vale ni the@@alpanamittal8270
@@alpanamittal8270mujhe apse bt krna h kuch
महऋषि दयानंद सरस्वती जी की जय।
What is His parampara?
🙏🙏🙏❤️❤️
@realistiवेद की मन्ये और किसी का नहीं ccoments283
अकथ कहानी है । नेति नेति ।धन्यवाद बहुत बहुत धन्यवाद साधुवाद
पवित्र यजुर्वेद अध्याय 40 मंत्र 8 : पूर्ण ब्रह्म का शरीर नूर तत्व से बना है
स पर्य् अगाच् छुक्रम् अकायम् अव्रणम् अस्नाविरम् शुद्धम् अपापविद्धम् । कविर् मनीषी परिभूः स्वयंभूर् याथातथ्यतो ऽर्थान् व्यदधाच्छाश्वतीभ्यः समाभ्यः ॥
सत्य सनातन धर्म की जय श्रीराम जय श्रीराम जय श्रीराम
वेद सत्य विद्याओं का पुस्तक है। इसमें सब विद्या की जननी है
Sanskaar dikhao ved me ...yagyapabit or nama Karan sanskaar dikhao ved me ..agar nehin hai toh karte kyun ho ?
Chal be
Satya koi praman nhi de sakta,ye anubhuti ka vishay, Bhagwan, Bed , aur ye sab lekar
Satya ka koi praman nhi hota, praman khali anubhuti, debate ek murkhta, jo avi ho raha hai, aur Guru ji jisko khe rahe ho, unka attitude koi gayni insaan ka lakshan nhi hai,isko ( Guru ji) kaha se le aaye.
@@bikashraut645
ये पता है वेद में कितने प्रकार के मुख्य विषय है ???
दुख का कारण क्या है आत्मा शरीर को धारण करता है शरीर के दुख सुख का अनुभव करता है परमात्मा शरीर को धारण नहीं करता इसलिए दुख सुख से पड़े हैं इसलिए परमानंद के आसन पर प्रतिष्ठित है आत्मा और परमात्मा में इतना ही अंतर है परमात्मा सर्वव्यापी है मगर आत्मा सर्वव्यापी नहीं है दोनों दो पदार्थ हैं अतः जीव और परमात्मा का संबंध एक प्रजापत पुत्र के समान है अतः अलख निरंजन है
दुःख का कारण सुख है क्योंकि दुःख और सुख पृथक नहीं है जब सुख होता है तभी तो दुःख होता है
सारी बात वेद की रोशनी में होना चाहिए आप का सवाल बहुत ही अच्छा है कि सारे भगवान भारत में कयो आते हैं।जबकि भगवान ने सारी दुनिया की बनाया है
क्योंकि भारत जो अभी है भारत का बहुत छोटा हिस्सा है, जंबू द्वीप के बारे में पढ़ें लगभग पूरी दुनिया ही भारत का हिस्सा था
भाइ क्या सिर्फ भारतके लोग ही भगवानको पूजते है?आप जहाँ भी नजर उठाके देखो वहाँके लोग किसि न किसि भगवानको पूजते ही हैं जिस देशका जैसा भेष भाषा है ईश्वर वैसा ही है...
@@ShantanuJh
Kiyonki bhagwaan unchi jaat ka h isliye usne Bharat me aakar jaatiya banani thi 😂
Neechli jaati waalo ko gulaam banana tha
Taake asaraam raam rheem chimyanand raampal Baba radhey maa jese babao ko apna dharm nibhane me asaani ho sake
बहन जी आप ऐसी चर्चा निरंतर करती रहे जिससे समाज की आंखें खोल सके आज आज ऐसे लोगों ने समाज में भ्रांति फैला रखी है आज आए दिन मौतें हो रही है
गुरूजी पढ़े लिखे गधे हैं
ई
Yogi ji sach me gyani vyakti h...👌👌👌
दर्शनशास्त्र का वचन है ज्ञानेंमुक्ति: यानी ज्ञान ही मुक्ति का मार्ग है | यानी जब हम वेद और दर्शन शास्त्र पढके ज्ञान प्राप्त करते हैं तब हमें परमात्मा का सही स्वरूप पता चलता है हमें परमात्मा के गुण कर्म स्वभाव के बारे में पता चलता है| बिना ईश्वर को जाने ध्यान साधना व्यर्थ है क्योंकि व्यक्ति ध्यान ही उसी चीज का करता है जिसे वह जानता है बिना ईश्वर को जाने अगर व्यक्ति ध्यान करता है तो वह ध्यान नहीं वह उस व्यक्ति की कल्पना मात्र है|
इसलिए मैं आदरणीय गुरुजी के बाद से सहमत हूं हमें ईश्वर को वेदों एवं दर्शन शास्त्र के माध्यम से जानना चाहिए और उसके बाद ध्यान करना चाहिए|
Lajpat Rai agarwal जी पूजनीय है चारो वेदो के प्रकाण्ड विद्वान दिखायी दे रहे है।मे उनके ज्ञान को कोटि कोटि नमन करता हु।मे परमात्मा मे विश्वास करता हु।जिस ने ये सृष्टि बनाई है।
अति सुन्दर संवाद सत्य सनातन वैदिक धर्म की जय
Pura naam me batata hu.. satya santan vaidik brahmin dharma....
लाजपत जी लाजवाब है उनका कथन सच है वेद से उपर कोई किताब नहीं है, और वेद को समजने वाले ही सच है बाकी तो सब दूकाने चलाने के लिए थीक है,
Ved se upar koi nehin par keval ved hi pramaan nehin hai ...yadi aisa hai..Sanskar jo karte ho yagyapabit aadi iska pramaan ved me hai kya ?
@@bikashraut645 जो वेद मे है यही प़माण है और कुछ उपनिषद जैसे की छंद उपनिषद,कठो उपनिषद तथा सत्यार्थ प्रकाश में भी हमारे 16 संस्कार को समझाया है लेकिन वोह पुरानो के संस्कार से थोड़ा अलग समझाया है जैसे कि 16 संस्कार तो है लेकिन उसे लेकर जो उनकी विधीयां है वोह पुरानो मे सिर्फ कर्मकांड में ही निपटा ली गई है सही अर्थ आप को सत्यार्थ प्रकाश में मील जायेगा और वेद सर्वोच्च हे उसका मतलब ऐसा नहीं हे की पुरान और दुसरे गंथ सही नहीं है लेकिन वोह वेद तुल्य नहीं है
@@bikashraut645 जो वेद मे है यही प़माण है और कुछ उपनिषद जैसे की छंद उपनिषद,कठो उपनिषद तथा सत्यार्थ प्रकाश में भी हमारे 16 संस्कार को समझाया है लेकिन वोह पुरानो के संस्कार से थोड़ा अलग समझाया है जैसे कि 16 संस्कार तो है लेकिन उसे लेकर जो उनकी विधीयां है वोह पुरानो मे सिर्फ कर्मकांड में ही निपटा ली गई है सही अर्थ आप को सत्यार्थ प्रकाश में मील जायेगा और वेद सर्वोच्च हे उसका मतलब ऐसा नहीं हे की पुरान और दुसरे गंथ सही नहीं है लेकिन वोह वेद तुल्य नहीं है
@@Jiwandarshnam19 संस्कार परम्पराओं की देन है ? जब आप के अनुसार वेद से भिन्न सभी अवैदिक है तब संस्कार वेद मे वर्णन ना होने के कारण अवैदिक कैसे नहीं है ? थुंक के चाटना ईसी को कहते हैं ,,। वेद मंत्र से जोडकर निष्ठावान किया जाता है ? जब विषय वेद है ही नहीं तब जोडना तो व्यर्थ ही है , कौनसा संस्कार वेद में है ? जो आप जोडने की बात करते हो ? और आप बोल रहे हैं मंत्र को पूर्णता प्रदान करते हैं ,अच्छा इसका अर्थ यह हुआ की मंत्र अपुर्ण है जीसको आप वाद मे जोडकर पुर्ण करते हो ? गझब है भाई , पर सिद्धान्त तो कुछ ओर ही कहता है की "पुर्ण से पुर्ण की उत्पत्ति होती है" तब वेद ईश्वर से उत्पन्न होने के कारण पुर्ण होने चाहिए था ,पर आपका तो कहना है की मंत्र को पूर्णता प्रदान करते हो 😊
Sabse pahle main apko dhanyawad deta hun jo aapne dharm ke vishay ko chuna.
Pahle aap dharm ko paribhashit
karway😂e.Meri alp jankari ke anussr dharm shabd ko bahut se
alag alag arthon me prayog kiya
jata hai.
Ekdam se bhagwan eeshwar per Sam ad samajhna mushkil hai.
सत्य इतनी सस्ती चीज नहीं की जो लोगों के माने या ना मानने से प्रभावित हो सत्य को कोई बदल नहीं सकता सत्य को जानने या ना जाने से कोई प्रभाव नहीं पड़ता सत्य तो सत्य है
भारत भगवान का हृदय भगवान हृदय में ही रहते हैं अंग में नहीं
भाई आज से ढाई 3000 साल पहले एक ही आर्यावर्त देश था उसमें चक्रवर्ती राजा शासन करते थे| जैस श्री रामचंद्र जी अपने समय में पूरे आर्यावर्त देश के चक्रवर्ती राजा थे| पहले तो देश ही एक था| आपके अनुसार देश मतलब हृदय पहले तो देश ही एक था तो पूरा संसार ही भगवान का हृदय होना चाहिए मतलब आपके अनुसार तब ईश्वर तो कहीं भी अवतार ले सकता था तो भारत में ही क्यों|
मैं वेदों को मानने वाला हूं | मेरे लिए वेद ही परम प्रमाण है| वेद में लिखा है न तस्य प्रतिमा अस्ति यानी उसे परमात्मा की कोई प्रतिमा नहीं है यानी उसे परमात्मा के समान कोई भी वस्तु या पदार्थ पूरे संसार में नहीं है| इस मंत्र से जो साफ स्पष्ट हो जाता है कि वह ईश्वर अवतार नहीं लेता बिना शरीर के वह सारी सृष्टि बन सकता है चला सकता है प्रलय कर सकते हैं अथवा अनेक अनेक काम कर सकता है तो उसे अवतार लेने की आवश्यकता नहीं है इसलिए वह अवतार नहीं लेता|
@@Brahmachari-df7lk
नाम ब्रह्मचारी है... और परमात्मा को रे ते कहकर संबोधित कर रहे हो... ये क्या तरीका है !
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कह रहे हो.. की मै वेद को मानने वाला हूँ /
तो क्या....
ये संस्कार वेदों से सीखे हो !
जरा बताना मुझे.. मैं जानने का इच्छुक हूँ ?? ऊँ.
@@श्रीहरि-ङ4फ प्रिय भ्राता श्री, टाइपिंग में कोई भी प्रकार से गलती हो उसके लिए माफी चाहूंगा।
कृपया करके बोल की खाल मत निकालो।
@@Brahmachari-df7lk
मिस्टेक एक बार होता है.. बार बार नहीं /
खैर ---
मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता...
मैने ये तुम्हारे लिए कहा.. की अपवाधबोध से बचो !
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अब मैं.. चलना चाहूंगा ---
हमसे कुछ पूछने की इच्छा है तो पूछ लो ?? ऊँ.
योगी विशाल जी जिस अनुभव की बात कर रहे हैं वह हमारे पूर्व स्मृति होती है, यह प्रयोग हमारे आश्रम में हमने साधको पर किए हैं, पांच साधक को बताया गया कि हमने गधे कि मूर्ति में प्राण प्रतिष्ठा कर दी है यह ईश्वर की स्वरूप हो गई है मूर्ति, जबकि पाँच साधकों को बताया गया कि कृष्ण की मूर्ति में प्राण प्रतिष्ठा कर दी गई है अब यह ईश्वर रूप हो गई है मूर्ति, और पांच साधकों को बिना मूर्ति के साधन में बैठाया गया। परिणाम उत्तम थे गधे वाले को गधा ही परमात्मा रूप में बात कर रहा था अनुभव दिला रहा था कृष्ण वालों को कृष्ण रूप में बाते और अनुभव करा रहा था जबकि बिना मूर्ति वालों को वह आनंद का अनुभव कर रहा था और ज्ञान विज्ञान का अनुभव कराया जो बात उनको नहीं बताई गई कभी उन्होंने सुनी भी नहीं थी उस पर तर्क वितर्क कर रहें थे। इसे ही ईस्वर कि कृपा कहते हैं. और योगी होने के नाते हमारे तो अनुभव सभी प्रकार के हैं। अगर किसी को ईश्वर के दर्शन करने हैं जिस रूप में भी करना है वह संपर्क कर सकते हैं। लेकिन ध्यान रहे वह ईस्वर नहीं आपकी स्मृति आधारित ईस्वर होगा। ईश्वर के अनुभव को शब्दों में बयां नहीं कर सकते। हमने बहुत प्रयास किया कि उन्हें शब्दों में लिखा जा सके परंतु नहीं लिख सकते जिस प्रकार जब स्त्री पुरुष में संबंध बनाए जाते हैं तो जो आनंद के अनुभूति होती है उन्हें शब्दों में नहीं लिखा जा सकता उसी प्रकार ईश्वर के अनुभव को शब्दों में नहीं लिखा जा सकता।
गुरूजी को नमस्कार और योगी जी को अभी और साधना कि आवश्यकता हैं। बहुत-बहुत धन्यवाद जय श्री राम
🙏🙏🙏🙏🙏 उत्तम जानकारी
जय श्री राम
जय श्री कृष्णा
गुरु जी को सादर प्रणाम
अद्भुत ज्ञान दिया आपने
अग्रवाल जी सत्यबोल रहे हैं
इन्सान से ऊपर कोई नहीं ! यह आप पर निर्भर करता है कि आप इंसान हों या जानवर ........................?
1 भाषा का अविष्कार -इंसान द्वारा
2.लिखने वाला -इंसान
3. कागज का निर्माण -इंसान
4. वेद पुराण धर्मग्रंथों को लिखने वाला -इंसान
5.स्याही का अविष्कार -इंसान
6.पूरी दुनिया में एकमात्र बुद्धिमान जीव - इंसान
7.भगवान,अल्हा,परमात्मा ,रब, खुदा,गॉड शब्दों कि रचना करने वाला, उच्चारण करने वाला,बताने वाला, प्रमाण देनें वाला भी - इंसान
8. धर्मों कि रचना,निर्माण करने वाला - इंसान
जब तक जिवित हों बस बुद्धीमान बनो, इंसानियत रखो ,इंसान होकर मुर्ख नहीं,क्योंकि आपसे से बड़ा इस प्रकृति मैं और कोई नहीं !
ईश्वर कि खोज नहीं, मानव द्वारा अविष्कार हुआ है, और ये मानव सभ्यता का आज तक सबसे विनाशकारी अविष्कार हैं.....?
भाई इंसान होकर मूर्खता, भ्रांतियां, अंधविश्वास नहीं, विज्ञान अपनाओ.! जय ज्ञान - जय विज्ञान 🙏🙏🙏
You are right
वेद का अर्थ शायद आपने नही सुना।। वेद का अर्थ है श्रुति । मतलब की सुनना वेद सुनकर लिखा है।
@@TheHiddenThings बोलने वाला मनुष्य ही होगा, तभी सुना !!
@@Smile_kukaa ईश्वर ने वेद का ज्ञान चार ऋषियों को दिया
। और ऋषि मुनि को मौखिकता की अवश्यकता नही होती।।
माना की इंसान ही सही है लेकिन इंसान को बनाया किसने, ये सोच और समझ दी किसने? वह कौन है जो इंसान के पहले था और बाद में भी रहेगा ?
भारत मै परमेश्वर बहुत पीछे चला गया. भगवान अपडेट हो गया अब हर जगह मौजूद है. परमेश्वर कही नही. वैद कही नही. वैदीक धर्म की जय हौ.
नेहा जी को ऐसे धर्म संवाद कराने के लिए धन्यवाद।
मानने वाला मूर्ख और अहंकारी होता है परंतु जानने वाला ज्ञानी और विनम्र होता है।
शास्त्री जी को नमन। वेद ही जीवन है। हम सभी को वेद पढ़ना और पढ़ना परम कर्तव्य है। 🚩🙏🏻
वेदों मे मूर्खतापूर्ण बातें लिखी गयी है।मूर्ख बनना चाहते हो तो आपको बधाई
Sahi Baat Kahi @@Radheshyamthakur56941
#sciencejourney par jao aur ved khokar dikhate h kitna gahtiya book hai..
@@ooboytrends वेद जैसी घटिया बुक कोई हो ही नही सकता । शायद आपने पढ़ा नही है । स्वध्ययन करो भाई तब पता चलेगा क्या क्या गंदगी भरी पड़ी है।
सत्य सनातन वैदिक धर्म ही सही धर्म है, क्योंकि श्रष्टि में सबसे पहले वेद ही आये थे इसीलिए मनुष्यों का वैदिक धर्म ही सबसे पुराना ( सनातन ) ईश्वर पूरी पृथ्वी ही नहीं पूरे ब्रह्माड में है, ईश्वर का भी भी जन्म नहीं होता, इस अवतरित के कारण ही मनुष्य भर्मित होते है
गुरु जी का एक बात बहुत अच्छा लगा , लड़ाई आस्तिको के कारण होता है और ये बात सत्य है आज तक जितना भी लड़ाई हुआ है सब धर्म के कारन हुआ है |
वेद नित्य, सत्य और शाश्वत ग्रन्थ हैं ! योगी जी को यह पता होना चाहिए कि नित्य सत्य ज्ञान को कभी अपडेट किया ही नहीं जा सकता! जैसे गन्ना मीठा होता है, यह सत्य है , तो क्या भविष्य में कभी गन्ने में उसके मिठास - गुण को अपडेट करने की अपेक्षा होगी, कदापि नहीं!
Genetic modification ke bare me kya khyal hai?
@@anuradhanandanrkyaduvanshi9489 जैनेटिक मोडिफिकेशन के सम्बन्ध में स्पष्ट करें कि क्या जानना चाहते हैं
@@anuradhanandanrkyaduvanshi9489 जैनेटिक मोडिफिकेशन के सम्बन्ध में स्पष्ट करें जी, कि क्या कहना चाहते हैं
हवा जब चलती हे तो उसे महसूस कर सकते है लेकिन देख नही सकते किसी आकर में या दूसरे किसी भी तरह तो इस का मतलब ये थोड़ी हुआ की हवा का अस्तित्व नहीं है, अगर कोई कहता है हवा का अस्तित्व नहीं है तो फिर वह महसूस क्यों होती है। बस इसी तरह भगवान का असित्व है जो दिखता नहीं है लेकिन उसे हम हर जगह महसूस कर सकते है शक्ति स्त्रोत से ।
अरे भाई हवा को सिलेंडरो मे भरा गया और देखा भी गया कि कैसी होती है । कोई ईश्वर नही होता है
भारत विश्व का हृदय है जहां ईश्वर का स्थान है, निवास है। भा में रत प्रकाश में लीन,ज्ञान के प्रकाश में रत रहने से यह स्थान भारत है। एक ब्रह्मनिष्ठ संत सद्गुरु की कृपा से ही आत्मा के स्तर पहुंचकर ही ईश्वर दर्शन संभव है ।
लाजपत जी की बातें सटीक और न्यायसंगत प्रतीत होती हैं ।।
योगी जी का ज्ञान इस विषय पर असाधारण है। गुरूजी का ज्ञान अल्प है ,वे अपनी बात को स्पष्ट करने में कुतर्क एवं ज्ञानी दिखा रहे हैं।
धर्म का एक अर्थ कर्तव्य भी कहा गया है।
व्यक्ति का उच्च आचरण एवं कर्म ही उसे अवतार का रुप देते हैं।
ताऊ dhore ratta हुआ gyan है
हिंदुओ का धार्मिक ग्रंथ क्या है _ वेद
तो धर्म क्या हुआ वैदिक धर्म , सिम्पल❤
गुरूजी की बातों में तर्क है l
जब भी किसी दो लोगों से धर्म संवाद करे तो दोनों का सवाल जवाब का समय निर्धारित करे ताकि अपने समय में रहकर अपने विचार रख सके यहाँ योगी जी को ज़्यादा समय दिया गया गुरुजी को कम समय मिला तय समय नहीं होने का कारण गुरु जी बात को योगी जी बीच में काटते रहे ये सही नहीं है ये न्याय भी नहीं है समय निर्धारित कर संवाद करे
Kutark he
सही कहा भारत में भी अवतरण होता है। बाहर भी अवतरण होते हैं, लेकिन वे मानते नहीं।
सनातन धर्म की जय
Sanatan Vedic Dharma ! Bolo.
Satya Sanatan Vadikdharm
हमारा धर्म सत्य सनातन वैदिक धर्म है।
सनातन कोई धर्म नहीं है बल्कि हम खुद सनातनी हैं
@@shashiprabha9887bhai pehle dharm shabd ka arth Jano aur sanatan shabd ka arth pehele Sandi viched Karo phir tumhe apne aap pata chal jayega ❤
@@shashiprabha9887सनातन का अर्थ होता है ,सदा रहने वाला क्या आप का शरीर सदा रहेगा ? अगर आप का उत्तर" नही " है तो फिर सनातन क्या है ?
@@SanataniArya83bhai tera bat sahi hai sada rahne wala sada khane wala Lekin india me 90% mit machhli khata hai ? mit machhli khane wala aadmi hindu hai ki nhi
@@SanataniArya83gussa mat hona tera se jana chahte hai ye log hindu hai ki nhi
सत्य सनातन वैदिक धर्म सहि है।गुरुजी हर शब्द सहि बोल रहेहै विशाल जि ने सत्य स्वीकार करन चाहिय।
मानव जीवनसे हर कालमे अगर कोई ग्रंथ वचन जूडा है तो वो है "पवित्र बायबल " एकमात्र !!
जैसे राष्ट्र पति की कोई पार्टी नहीं होती ठीक वैसे ही सृष्टि कर्ता ईश्वर का कोई मत महजब पथ सम्प्रदाय आदि अलग से नहीं होता है।। सत्य सनातन धर्म एक है और असत्य झूठ पाखंड मन घडंत पथ अनेक है। जय वेद भगवान्। ओउम्।
ईसिलिए कस्मिर सेभागना पडा पंडिताे काे अाप बेद करते रहे अाैर अाे लाेग गिराेह बनाके अापका जायदाद हडिना चाहाते है
ईश्वर निराकार है, सर्वशक्तिमान है,अगर वह इच्छा अनुसार साकार रूप धारण करते हैं तो इसमें आश्चर्य की गुंजाइश नहीं। रिषि मुनि निराकार की अराधना करते हैं। लेकिन सर्व साधारण खासकर वह जो पढ़े लिखे नहीं है उनके लिए साकार की अराधना उपयुक्त है। कर्मकांड
भाई जी भगवान शिव निराकार राजस्थान में आया है इस भषटाचारी दुनिया को खत्म कर नयी श्रेष्ठाचारी दुनिया बनाने 1936 से धरती पर आया है उसका नाम परमपिता परमात्मा शिव निराकार सत्यम शिवम् सुंदरम है ज्योति बिन्दु स्वरूप है अब वह प्रजापति ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय द्वारा भारत को स्वर्ग बनाने आया है
Sri Gitaji me likha hai dharm ki sthapana ke liye aate hai,
Pahle tha vahan ab vahan Nahin Hai
कृण्वन्तो विश्वमार्यम्...💐💐💐
श्री मानव अगर ईश्वर है तो एक वर्ग पर पर क्यों दर्शन देता है यह एक विचाणिय प्रशन है
योगी जी को मन भा गया नेहा जी पर तो नेहा जी योगीजन के लिए भगवान है ।यानी जाकी रही भावना जैसी देखी प्रभू मूर्ती तीन तैसी।
दोनो अलग है योगी जी आराम से बात कर रहे है और गुरु को थोड़ा गुस्सा आ रहा है इस से ये पता चलता है सही kon hai jo आराम से समझा रहा है योगी जी वही सही है ❤
AA
मैं भी देखा परम शक्ति को , आवाज भी सुनी , अनुभव तो हर कभी होते रहते हैं । ईश्वर है उसका अस्तित्व भी है और यह सब पारलौकिक चीज हर व्यक्ति को दिखाई नहीं देती और अनुभव नहीं होता ।
Ha mai vi dekhta hu roj o aate hai mera pair dawate hai or kavi laxmi ke rup me to kavi parwati ke rup me mujhe sex karne deti hai or chali jati hai
मैं एक मुसलमान हूं और निराकार एकेश्वर का मानने वाला हूं । विशाल साहब मैं और मुझमें मैं के साथ साथ विषय को भटकाने और सरल को कठिन करने के इलावा एक भी सार्थक उत्तर नहीं दे पा रहे ।
तार्किक और सरलता से समझने लायक अगली श्रंखला में प्रतीक्षा करूंगा ।
मुस्लिम हो??
कुरान की खूनी आयते पढ़े हो??
@@sirajamani9895 निराकार एकेश्वर ?🤣
कौनसी क़ुर'आन पढते हो भाई ?
तुम्हारा ईश्वर कोई निराकार नही है बस उसे किसी ने देखा नही है ऐसा दावा है
पर उसके हाथ पांव मुह सब है और ये क़ुरान ओ हदीस से साबित है !
तुम्हें अपने मज़हब की ही knowledge नही है और दूस्रों पे सवाल उठा rahe ।
Tumhe kya malum hai apne dharm ka aapke guruko to gharm ka nam hi nahi malum, aur ex Muslim channel se galat Islam padhrahe ho
@@shivdasverma1447Bechara bhakt what's app university Ka gyan pel raho andhkar ki jindagi
आएं!! निराकार एकेश्वर इस्लाम में कब से हो गया? पहली बात कुरान में ईश्वर नहीं है अल्लाह और शैतान की जोड़ी है दोनों एक दूसरे के अपोजिट है। दूसरी बात कुरान का अल्लाह निराकार नहीं है क्योंकि वह 7वें अर्श नामक आसमान पर एक तखत पर बैठा है। बैठा वही होगा जिसका कोई आकार होता है। निराकार तत्व एक स्थान पर न तो बैठता है न लेटता है। कुरान ही कहती है अल्लाह ने आदम को अपने हाथों से बनाया है।तो अल्लाह के हाथ भी हैं निराकार कैसे हुआ?
यदायदाहिघर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत, तदा अम्युथानमधर्मस्य आत्मनमसृजाम्यहम्
योगी जी मैं आपसे सहमत हूं।❤❤❤ भगवान तो सिर्फ अनुभव का भगवान है।
Gud me neem ka anubhav ho sakte hai kya bhai
Tum To yogi Ji Se sahmat Ho Gaye na Kyunki dukaan Tumhara chal raha hai na jitne bhi Brahman Samaj yogi Ji ke Baton Se Sab sahmat hai
Nahi Abe unki baat dheyan se sun pahle thik hai wah bhagwan ko janne ki baat kar rahe hai manne ki nahi tum bhi Jano bhagwan kaun hai kaisa roop hai kya hai kya nahi@@mdalirahi67
Bhagwaan ka anubhav kis sources se hoga.... bta bhai
gobar ko haluya samgh ke khale
ईश्वर कभी आवतरित नहीं होता जब इंसानी समताये और उसके आयाम ऊपर जाने लगते है तो व्यक्ति उसे भगवान मानने लगता है
Avatar concept bhakti movement me aya i.e 4th century AD...
Hero worship pehle se chalti aa rahi thi especially from mauryan Empire
Gadhon ko samajh mein nahin aaega yogi Ji ki baten Sadhu Sadhu sang karna padega yogi Ji ki baten
परमात्मा प्रेम के वशीभूत होकर अवतार भी लेते है श्री मद भगवद गीता में श्री भगवान यह सत्य बताते हे
ईश्वर को पुस्तक से नही निस्वार्थ प्रेम वाली भक्ति से ही जाना जा सकता है मित्र
@@sanatandharmgyangangasanat5707 इस दुनिया में ऐसा क़ोई नहीं jiska स्वार्थ ना रहा हो भक्ति के पीछे क़ोई मोक्ष के लिये क़ोई सक्तियों के लिये क़ोई किसी लिये भक्ति करता है. और ये अवतार क्या होता है q🤣🤣🤣avtar🤣matlab अवतरित होना है योनि से नहीं आना aur🤣आपने किसको देखा अवतरित होते हुवै 🤣qq
Jab jab dharti par pap aur anyai badega tab tab avatar ayega uch pap ko mitane .
सतय कभी भी बदलता नही केवल झूठ ही अपडेट होता है. सभी मनुष्य कृत वस्तुएं संशोधन मांगती हैं. ईश्वरकृत कोई वस्तु संशोधित नहीं होती. आप उनको बिगाड अवश्य सकते हैं 🙏🕉️
मेरी दृष्टी से योगी जी भक्त और ज्ञानी हैं और अग्रवाल जी ज्ञानी और भक्त हैं
Agarwaal ji hi satya hai
Bro
Yogi ji satya h
Tu uska ristedar hai isliya sate Lagta murk 😂😂 tere bar bar lekne SE jit har nai hota
ईश्वर अवतार ले सकता है उसमें इतनी शक्ति है
भगवान ने पृथ्वी पर अवतार ले लिया है।
वेद में अवतार का न कोई जिक्र है और न ही आज के कहानी इतिहास से सिद्ध होता है ,
ईश्वर का अवतार होता है लेकिन इसका विश्लेषण अलग है , ईश्वर का गुण, बल एवं ज्ञान का अवतरीत होता है और अवतरीत हमेशा सच्चे वैदिक अनुयायी मनुष्य के अंदर होती है और जैसा मनुष्य का योग्यता वैसा और उतना हीं ईश्वर का अवतरण उसके कर्म से व्यवहार में आता है, उदाहरण भगवान राम-कृष्ण एवं अनगिनत ऋषि गण , अपने गुण, कर्म, व्यवहार से ही मनुष्य ईश्वर के तुल्य सा दिखने लगता है
Kitni shakti h ishwar m
Moorkh. Agyani ishver kabhi majboor nahi ho sakta vo bina pet se paida huve , bina neeche ae bhi sab kuch ker sakta hai😅
आपके गुरु केवल प़श्न करने के आदी है, उत्तर का भार सामने वाले डालते हैं। दयानन्द महान है, अनेकों महान से महानतम ऋषि, विद्वान हैं।
Aaj muje khushi he es prkar mnch lgt rahe
किसी भी किताब को पढ़ने के लिए आपका पढ़ा लिखा होना काफी है । उस किताब को समझने के लिए उसके जैसा जीवन जीना होता है। जय श्री कृष्णा
आपने बिल्कुल सही कहाँ है गुरु जी ने 🙏🕉️
वेद ईश्वरीय ज्ञान है
गुरु जी की बात सत्य है
भगवान के सब रूप है निराकार भी आकर भी ज्योति स्वरुप भी, कड़ कड़ मे भी वो है सबके अंदर भी वो है सब वो ही है उसके सिबा कुछ भी नहीं है जिसकी जैसी श्रद्धा है वैसा भगवान को मान लो उसी से बेडा पार हो जायेगा.. जय श्री राम
Sambhav sambhav hota hai asambhav sambhav nahi hota.
Samjhe kuch
Jiska akaar nahi ho sakta use hi to nirakaar kehte hai bhai
Uska aakar ho gya to nirakar nahi ho sakta
Nirakar ka definition...
विशाल जी, बातें घुमाते दिख रहे हैं। लाजपत जी, तर्क और तथ्य पर बात करते दिख रहे हैं।
haa reh mulle tere viradari wale hain arya namazi
🙏 हरि ॐ 🙏
यदि वह दयालु है तो वह निराकार कैसे दया तो भाव ही साकार का है ,
स ईक्षत कथं न्विदं मद्दते स्यादिति स ईक्षत कतरेण प्रपद्या इति । स ईक्षत यदि वाचाऽभिव्याहृतं यदि प्राणेनाभिप्राणितं यदि चक्षुषा दृष्टं यदि श्रोत्रेण श्रुतं यदि त्वचा स्पृष्टं यदि मनसा ध्यातं यद्यपानेनाभ्यपानितं यदि शिश् न विसृष्टमथ कोऽहमिति ॥
इस वचन से स्पष्ट है की परमात्मा ने विचार किया , एवं विचार मन का विषय है और मन सदा निराकार रहते हुए भी साकार में स्थित है , क्योंकि बिना किसी (बुद्धि , चेतना , शक्ति , इंद्री आदि ) साधन के उसका विचार किसी कार्य का नहीं , ठीक उसी प्रकार यदि किसी जड़ पदार्थ में गुण आदि चेतनता नहीं तो वह व्यर्थ है , एवं उस परमात्मा की रचाई श्रृष्टि में जहां भी जड़ता है वहां किसी न किसी रूप में चैतन्य है , जैसे औषधि जड़ प्रतीत होती है किंतु उसमे गुण की चेतनता है , उसी प्रकार बीज जड़ है किंतु उसमे वृक्ष के ज्ञान की चेतनता है और वह ज्ञान ही निराकार से वृक्ष रूप में आकर लेता है ,
तो हमारा मत यही है की (निराकार एवं साकार इस विषय पर तो शास्त्रार्थ निरर्थक है) क्योंकि जब वही "ईशा वाश्यम इदम् सर्वम्" है तो वही सभी आकर रूप में व्याप्त है और यदि उसका आकार है एवं उसमे चैतन्य है तो वही निराकार रूप में ही है ।
"ना साकार हूं ना निराकार हूं मैं भक्त के भाव से तदाकार हूं मैं" जहां जैसी दृष्टि हो वैसी ही सृष्टि है(संरचना) है । एवं जहां बात है भारत भूमि पर अवतरित होने की , भारत भूमि के सपूतों में वह प्रबल चेतना शक्ति है जो परमात्मा को पहचान लेती है । वही कहीं खंबे में देखती है , कहीं सिलबट्टे में तो कहीं मिट्टी में कहीं पक्षी में तो कहीं पशु में , जर्रे जर्रे में है झांकी भगवान की किसी सूझ वाली आंख ने पहचान की , अर्थात् भारत भूमि में वह सूझ वाली दृष्टि विकसित है जो परमात्म तत्व को पहचान ही लेटी है ।अब जैसे तिल में तेल है तो उसका प्रयोग तभी होगा जब वह अपने अदृश्य रूप का त्याग कर दृश्य रूप में बाहर आए , उसी प्रकार परमात्मा को भी अपने अदृश्य रूप का त्याग कर अपने दृश्य रूप में आना ही पड़ता है , एवं ऋषि मुनि उन्हे अवतरित करवाने वाला उपकरण सिद्ध होते हैं ।🙏 हरि ॐ 🙏
Hari om tatsat 🕉
हां ईश्वर अवतरित होते हैं और इशारे से ईश्वर का दर्शन कराते हैं और जिसे समझाना चाहते हैं उसे ही समझ में आता है।आज भी संभव हैं।
गुरु जी ने ईश्वर की प्रार्थना उपासना के प्रथम मंत्र का व्याकरण सहित हिंदी अनुवाद सत्य है ... वेदानुसार सत्य है
दीवाना अंचल दीवान
पुरी चर्चा में शुरुआत से लेकर के अंत तक तर्क से आरंभ होकर के अंत तक दोनों की बातें समानंतर उसी बातों को आपस में पुष्टि कर रहे है लेकिन आर्यसमाजी गुरूजी अपने कल्ट की तरह से संवाद करने के आदी है और लगातार उसीको पुष्टि कर रहे है और विवाद भी स्थापित कर रहे है.. लेकिन चर्चा का अंत तक मज़ा आया.. और ज्ञानवर्धन भी हुआ 😍
आर्य समाज किसी व्यक्ति को उलझाता नही तर्क सहित प्रमाणित बाते करता है। या तो या तो नही हे बस बात खत्म।।
बिखरे हुए समाज को जो एक सूत्र में बंद है वही धर्म सबसे उत्तम धर्म है
दोनों विद्वान हैं लेकिन दोनों अल्प ज्ञानी हैं जो मानव अपने आपको जाना सबको जाना
जिस परमात्मा ने विशाल ब्रम्हांड को बनाया जिसमे अनगिनत आकाश गंगाए ,तारे,ग्रह बनाये है जिसने विविध प्रकार के जीव जंतु पक्षी ,विभिन्न प्रकार के पेड़ पौधे बनाये और अरबों की जनसंख्या में हर व्यक्ति की पहचान और चेहरा अलग है इतनी विविधता जिस परमात्मा ने बनायीं है उसके लिए अवतरित होना कोनसी बड़ी बात है जो निराकार होकर साकर सृष्टि की रचना करता है वो खुद भी साकर रूप में प्रकट हो सकता है उस सर्वशक्तिमान ईश्वर के लिए कुछ भी असंभव नही है।
सत्य ❤❤
Wo kar sakata hai par karega nahi ye uski attributes ke kilaf ab tum aise bol sakte iswar sabkuch kar sakta to use bhuk bhi lag sakti bachhe bhi paida kar sakta hai aorat se ye sab kar sakata par karega nahi ye uske attributes ke kilaf hai
@@SajidKhan-g5e7s mat samjha bhai inhe ye us layak nhi hai jo samjh saken 😂
Jab Maine kaha ishvar sarv vidyaman hai to bhai avtak kyun hi lega jab pahle se hi har jagah hai 😂😂
Har jaga hai prakat ki khud is nirakar bhada ideilogy ko hamesh ghumate raho
Bahut sahi Bhaiji
मेरे को तो इतना खुशी है कि हमारे सनातन धर्म में इतना महान व्यक्ति हैं जो भटके हुए लोगों को राहपे लाने के लिए अपनी पूरी जीवन वैद और ग्रंथ को समझने में और जनता तक पहुंचने में अपने सारा जीवन बिता देते है इस चैनल को मैं सब्सक्राइब किया हूं यही हमारे धर्म के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए जय सियाराम सत्य सनातन वैदिक धर्म कि जय
गुरु जी और योगी जी दोनो वीद्वान है परन्तु यदि अंहकार को छोड़ कर सहजता स्वीकार्यता सम्मान का सहारा लिया जाय,ओर सतर्कता से बात कही जाय, प्रमाण तब तक न मांगा जाय जब तक मंथन न करलिया जाय तो संवाद सार्थक होगा!
कृपया बताएं कि धर्म क्या है,यह प्रश्न योगी जी से व गुरुजी दोनों से है?
गुरुजी आज की जनरेशन जो अंग्रेजी माध्यम में पढ़ रही है उन्हें हमारे वेद और पुराणों का ज्ञान किस तरह समझाया जाए उस पर योगी जी काम कर रहे हैं ज्ञान आप दोनों का ही असीम है बस शिक्षक आप दोनों अलग तरह के है ।
Aapko agarwaal ji ka nahi pata
Sahitya jagat me inka naam hi kafi hai
Kuraan ,baibel,bodho ke granth sabki khaal utari hai agarwaal ji ne. Aapk kya jano inke bare me
एक अच्छा इंसान बन जाओ, ये बहुत बडी बात है, जो किसी को दुःख न दे, बल्कि इंसान के दुःख को कम करने का प्रयास करे,, वो ही देवता है, जो सिर्फ देता है,,,,,
वेद नित्य जब राम हुए तब भी वेद था । जब कृष्ण हुए तब भी वेद था । जैसे कि अश्वमेध यज्ञ राम जी ने किया जो कि यजुर्वेद के 22 अध्याय में प्रतिपादित है यज्ञ को ही सब कुछ माना गया है यज्ञ में ही ईश्वर का स्वरूप देखा गया है पुरुष सूक्त में यज्ञ की या उस नारायण का स्वरूप है उसकी व्याख्या किया गया है किंतु समय हमारे यहां ऋषियों ने शास्त्र स्मृति पुराण का का लेखन किया दयानंद सरस्वती जी 18 वीं शताब्दी के हैं उससे पूर्व हमारे यहां पतंजलि की आदि गुरु शंकराचार्य जी आदि ऋषि हुए हैं उन्होंने ईश्वर को स्वीकार किया है
काल्पनिक कहानियां मत बताओ