Experiential and observational कविता होती है यह कहा कि हम पहले पक्ष के कवि हैं। तब प्रेम पत्र कविता अख़बार में पढ़ी एक ख़बर पर लिखी वो अनुभव कैसे बना ?
गाँव, शहर, लोक, समाज, राजनीति, आधुनिकता, भूमंडलीकरण और अन्य कई सारे मुद्दों से साहित्य को जोड़ने, समझने-परखने की गंभीर, सम्यक दृष्टि लेकर आया है यह साक्षात्कार। अंजुम भी बराबर गंभीरता से इस गहरी, विचारणीय बातचीत को अंत तक सार्थक बनाये रखने में बखूबी सफल नज़र आते हैं। बद्रीनारायण जी को पहली बार सुना। इतने सशक्त साक्षात्कार के लिए हिंदवी और अंजुम जी को खूब खूब बधाई।
अंजुम जी धन्यवाद । मैं आपका हर एपिसोड अत्यंत गंभीरता से देखती हूं और सुनती हूं । मेरा मानना हैं कोई कृति लिखने के बाद जनता की संपद हो जाती हैं । जो कवि कहना चाहता हैं वह पाठक नही भी समझ सकता वह उसे अपनी दृष्टि से देखता हैं । कवि उसे कंट्रोल नही कर सकता हैं और न ही करना चाहिए । लेखक एक तरह मृत हो जाता वह हर पाठक की संपत्ति हो जाती हैं । डा मधु कपूर प्राक्तन दर्शन विभाग कोलकाता
इस साक्षात्कार से लगा काश इसी तरह आप का सामना मेजर पांडेय और नामवर सिंह से होता और आप इसी मुहब्बत से उनसे कड़वे सवाल पूछते । बहुत अच्छी लगी बातचीत - फिर यही कहूँगा कि आप सवाल कमाल के करते है और कमाल का अध्ययन रखते है ❤
"prem" bahut mahatwapurna sabda hai, it has two nature --- heavenly "prem", which is associated with purity of mind & worldly "prem" comes from affection of nature ! This poet seems to be described as a good human being with love for society's reform, realistic poet ! 🙏 A touchy pure heart 🙏 in Indian society :: excellent personality ।।
बद्री जी अपना ज्यादा समय समाज विज्ञानी को देते हैं,कवि को कम समय देते हैं और बद्री जी को समझने के लिए पैमाना प्रगतिशील होना चाहिए न कि दृष्टि प्रगतिशील हो।
एक हिंदी कवि अपनी व्याख्याएं प्रचुर अंग्रेजी शब्दावली के जरिए कर रहा है। यह कवि की अभिव्यक्ति पर समाजशास्त्री का भाषिक दबाव है। इसे निरंतरता माने या रिक्तता की पूर्ति का प्रयत्न। बद्री दुविधा या द्वैत में हैं।
आमतौर पर बुद्धिजीवी अवसरवादी होते हैं। चूंकि बुद्धिजीवी विमर्श को अवसर की दिशा में मोड़ देता है ताकि अवसर का लाभ उठा सके। बहुत कम आंदोलनकारी बुद्धिजीवी प्रगतिशील विचारधारा और उसके सतत उत्थान से भटकते नहीं बेशक खुद तबाह हो जाएं।
जितना खराब किसी महत्वपूर्ण बात को कमतर समझना है, उतना ही दोषपूर्ण किसी अति सामान्य बात को अति विशिष्ट बना देना। एक महिला द्वारा राहुल को संन्यासी की तरह टूलने को इतना महिमामंडित करना खतरनाक है।
Badri Narayan kitane bade top ho wo duniya janti hai..range siyar k liye ek baris kafi hai be ..kya hota hai bhothra activism be???Teri bhasha me bhothra aaya sabit karta hai tu kitna poorwgrahi hai...social justice jante ho????
Very nice interview !!!.... It must be done every now and again.
प्रेम नहीं है तो तटस्थता है। ये आवश्यक तो नहीं के प्रेम का ना हो तो द्वेष और घृणा ही उसकी जगह ले ले।
अंजुम का सवाल और बद्री जी का जवाब ..क्या शानदार बातचीत । बद्री नारायण जी ने रेशा रेशा अलग कर दिया और कितना ठहर कर बोलते हैं वह
बीएनटी जी एक सफल बहुरूपिये है और अपने चेहरे के दम पर बहुत दिनों तक समाज को छलता रहा और फायदा उठाया..
दो चिंतनशील व्यक्तित्व, एक ज्ञानवर्धक साक्षात्कार 🙏🙏
Experiential and observational कविता होती है यह कहा कि हम पहले पक्ष के कवि हैं। तब प्रेम पत्र कविता अख़बार में पढ़ी एक ख़बर पर लिखी वो अनुभव कैसे बना ?
इस बातचीत से यही निष्कर्ष निकलता है कि दमितों के लिए आधार खोजता है शोधकर्ता, उसकी आवाज बनता है साहित्यकार लेकिन उसके नाम पर मजे लेता है राजनेता।
बहुत अच्छी बातचीत। बद्रीनारायण जी ने बद्रीनारायण की तरह ही बात की, यह इस अंक की बड़ी विशेषता है। आपने भी अंजुम की तरह ही निभाया।
गाँव, शहर, लोक, समाज, राजनीति, आधुनिकता, भूमंडलीकरण और अन्य कई सारे मुद्दों से साहित्य को जोड़ने, समझने-परखने की गंभीर, सम्यक दृष्टि लेकर आया है यह साक्षात्कार। अंजुम भी बराबर गंभीरता से इस गहरी, विचारणीय बातचीत को अंत तक सार्थक बनाये रखने में बखूबी सफल नज़र आते हैं।
बद्रीनारायण जी को पहली बार सुना। इतने सशक्त साक्षात्कार के लिए हिंदवी और अंजुम जी को खूब खूब बधाई।
अंजुम जी धन्यवाद । मैं आपका हर एपिसोड अत्यंत गंभीरता से देखती हूं और सुनती हूं ।
मेरा मानना हैं कोई कृति लिखने के बाद जनता की संपद हो जाती हैं । जो कवि कहना चाहता हैं वह पाठक नही भी समझ सकता वह उसे अपनी दृष्टि से देखता हैं । कवि उसे कंट्रोल नही कर सकता हैं और न ही करना चाहिए । लेखक एक तरह मृत हो जाता वह हर पाठक की संपत्ति हो जाती हैं ।
डा मधु कपूर
प्राक्तन दर्शन विभाग कोलकाता
बेहद सुंदर बातचीत।
किन मानसिकताओं से बचना चाहिए, यह समझाती हुई
इस साक्षात्कार से लगा काश इसी तरह आप का सामना मेजर पांडेय और नामवर सिंह से होता और आप इसी मुहब्बत से उनसे कड़वे सवाल पूछते । बहुत अच्छी लगी बातचीत - फिर यही कहूँगा कि आप सवाल कमाल के करते है और कमाल का अध्ययन रखते है ❤
मैनेजर पांडेय
यदि अपूर्वानंद जी के साथ बातचीत हो तो कितना अच्छा रहे.....🙏
Nice 😊
"prem" bahut mahatwapurna sabda hai, it has two nature --- heavenly "prem", which is associated with purity of mind & worldly "prem" comes from affection of nature !
This poet seems to be described as a good human being with love for society's reform, realistic poet !
🙏 A touchy pure heart 🙏 in Indian society :: excellent personality ।।
अंजुम जी, अच्छे कवि के साथ शानदार साक्षात्कार लगा
अंजुम जी सुन्दर प्रश्न पूछ रहे हैं
बद्री जी अपना ज्यादा समय समाज विज्ञानी को देते हैं,कवि को कम समय देते हैं और बद्री जी को समझने के लिए पैमाना प्रगतिशील होना चाहिए न कि दृष्टि प्रगतिशील हो।
Anjum sir ❤You
इतना मुश्किल भी नहीं है जीना
लोक हमारे भीतर भी है
हमारी अन्तर्चेतना में है
हम ही लोक में नहीं जाते, लोक भी हमारे यहाँ आता है
बद्री नारायण जी इलाहाबाद विश्विद्यालय में क्लासफेलो रहे हैं, उस समय से ही आप कवि के रुप में चर्चित रहे🎉
अंजुम जी आप अपने इस कार्यक्रम में जेंसिता केरकेट्टा को भी आमंत्रित कीजिये।
Very good and didactic interview
बद्री सर सत्तामुखी कवि लेखक हैं।
अंजुम जी आप इंटरव्यू लेते हो या तैयारी में स्कैनिंग भी शामिल हैं बद्रीनारायण जी ने पूछा आप बताते कहां से जाना सातवीं से वह कविता से जुड़े।
एक हिंदी कवि अपनी व्याख्याएं प्रचुर अंग्रेजी शब्दावली के जरिए कर रहा है।
यह कवि की अभिव्यक्ति पर समाजशास्त्री का भाषिक दबाव है।
इसे निरंतरता माने या रिक्तता की पूर्ति
का प्रयत्न। बद्री दुविधा या द्वैत में हैं।
बद्री जी बहुरूपिया भी हैं। कभी ये बद्री नारायण और कभी बद्री नारायण तिवारी हो जाते हैं।
आमतौर पर बुद्धिजीवी अवसरवादी होते हैं। चूंकि बुद्धिजीवी विमर्श को अवसर की दिशा में मोड़ देता है ताकि अवसर का लाभ उठा सके। बहुत कम आंदोलनकारी बुद्धिजीवी प्रगतिशील विचारधारा और उसके सतत उत्थान से भटकते नहीं बेशक खुद तबाह हो जाएं।
लेखक टेकचंद से और रत्नकुमार संभरियाँ जी से भी संगत कीजिए, अंजुम जी।
जातिवादी बहुत दिनों तक दलित लेखक बनता था, अब संघी लेखक है
जितना खराब किसी महत्वपूर्ण बात को कमतर समझना है, उतना ही दोषपूर्ण किसी अति सामान्य बात को अति विशिष्ट बना देना। एक महिला द्वारा राहुल को संन्यासी की तरह टूलने को इतना महिमामंडित करना खतरनाक है।
NFS guru badri narayana 😂
बद्री बुझे बुझे लगे
जिस विचारधारा को प्रश्न कर रहे हैं उसी तरह की दूसरी विचारधारा से खुद भी ग्रसित हैं, लेखक के तौर पर टिप्पणी है, कविता मैंने सुनी पढ़ी नहीं है
ये not found suitable वाले बद्रीनारायण है ना 😂😂😂
Tumhari हैसियत वो बोलने की भी नहीं है।
Ha wahi hain jinko highcourt me Mayank Yadav pele the
Badri Narayan kitane bade top ho wo duniya janti hai..range siyar k liye ek baris kafi hai be ..kya hota hai bhothra activism be???Teri bhasha me bhothra aaya sabit karta hai tu kitna poorwgrahi hai...social justice jante ho????
NFS guru hai badri narayana
Prntu aisey zheen kavi ka RSS se nata khatakta zroor hai aur shnka paida karta hai. Kyonke RSS aur saathi daloN ki bhasha hi
" Akramak" hai.
सत्ता के कवि
Ye log desh ko barnadkarna chate jai