Sangat Ep.45 | Badri Narayan on Poetry, Prempatra, Sociology, Ideology, Marx & RSS | Anjum Sharma
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- เผยแพร่เมื่อ 2 พ.ย. 2023
- 5 अक्टूबर 1965, भोजपुर, बिहार में जन्मे बद्री नारायण हिंदी के प्रतिष्ठित कवि-लेखक हैं उनके चार कविता संग्रह प्रकाशित हैं। उनके प्रकाशित कविता-संग्रह हैं-‘खुदाई में हिंसा’, ‘शब्दपदीयम’, ‘सच सुने कई दिन हुए’ और ‘तुमड़ी के शब्द’। बद्री नारायण की कविताएँ अंग्रेज़ी, बांग्ला, उड़िया, मलयालम, उर्दू तथा अन्य भारतीय भाषाओं में अनूदित हो चुकी हैं। राजनीतिक विश्लेषणों पर आधारित बद्री नारायण के कॉलम हिंदी और अंग्रेज़ी के शीर्षस्थ पत्र-पत्रिकाओं में भी प्रकाशित होते रहते हैं। उनकी चर्चित कविता ‘प्रेमपत्र’ के लिए उन्हें भारतभूषण अग्रवाल पुरस्कार मिला और 'तुमड़ी के शब्द' कविता-संग्रह के लिए 2022 के साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किए गए। कवि एवं समाज-वैज्ञानिक के रूप में जाने जाने वाले बद्री नारायण जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) के ‘सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ़ डिस्क्रिमिनेशन एंड एक्सक्लूज़न’ में प्रोफ़ेसर भी रहे हैं। उन्होंने येल विश्वविद्यालय में विज़िटिंग प्रोफ़ेसर, इंटरनेशनल इंस्टीटयूट ऑफ एशियन स्टडीज़, लाइडेन यूनिवर्सिटी, द नीदरलैंड, मैसौन द साइंसेज़ द ला होम, पेरिस में विज़िटिंग फ़ेलो और सिंगापुर नेशनल यूनिवर्सिटी में आईसीसीआर चेयर प्रोफ़ेसर के पदों पर भी रहे हैं। हाल ही में आई उनकी किताब ‘रिपब्लिक ऑफ़ हिन्दुत्व : हाउ द संघ इज़ रिशेपिंग इंडियन डेमोक्रेसी’ में भारतीय लोकतंत्र की संरचना के अंदर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की कार्य पद्धति, संगठन, विचार और उसकी व्यापकता पर प्रकाश डाला गया है। उन्होंने कांशीराम की जीवनी भी लिखी है। इस संगत के दौरान अंजुम शर्मा से बात करते हुए बद्री नारायण ने कविता, कविता की रचना-प्रक्रिया, शोधकार्य पर विस्तार से बात की। उन्होंने कविता के विकास, कविता की भाषा, प्रेरणा, कवियों की पृष्ठभूमि, कविता के प्रतिरोध और कविता की गुणवत्ता पर भी ख़ूब चर्चा की। दलितों पर शोध करने पर बद्री नारायण पर क्या आरोप लगे? क्या बदलते हुए समाज के हिसाब से साहित्य बदल रहा है? वह क्यों कहते हैं क्वालिटी लिटरेचर आज क्राइसिस में है? उनके हिसाब से क्वालिटी लिटरेचर क्या है? क्या उनका समाजविज्ञानी होने कविता प्रभावित होती है? वामपंथ से उनका मोहभंग कैसे हुआ? ऐसे तमाम सवालों के जवाब और बद्री नारायण निजी जीवन से लेकर उनके रचना-संसार और उनके संघर्ष को जानने-समझने के लिए देखिए अंजुम शर्मा के साथ संगत का यह एपिसोड।
श्यौराज सिंह बेचैन की कविताएँ : www.hindwi.org/poets/sheoraj-...
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#sangat #Hindwi #badrinarayan - บันเทิง
बहुत अच्छी बातचीत। बद्रीनारायण जी ने बद्रीनारायण की तरह ही बात की, यह इस अंक की बड़ी विशेषता है। आपने भी अंजुम की तरह ही निभाया।
यदि अपूर्वानंद जी के साथ बातचीत हो तो कितना अच्छा रहे.....🙏
अंजुम जी धन्यवाद । मैं आपका हर एपिसोड अत्यंत गंभीरता से देखती हूं और सुनती हूं ।
मेरा मानना हैं कोई कृति लिखने के बाद जनता की संपद हो जाती हैं । जो कवि कहना चाहता हैं वह पाठक नही भी समझ सकता वह उसे अपनी दृष्टि से देखता हैं । कवि उसे कंट्रोल नही कर सकता हैं और न ही करना चाहिए । लेखक एक तरह मृत हो जाता वह हर पाठक की संपत्ति हो जाती हैं ।
डा मधु कपूर
प्राक्तन दर्शन विभाग कोलकाता
इस बातचीत से यही निष्कर्ष निकलता है कि दमितों के लिए आधार खोजता है शोधकर्ता, उसकी आवाज बनता है साहित्यकार लेकिन उसके नाम पर मजे लेता है राजनेता।
बेहद सुंदर बातचीत।
किन मानसिकताओं से बचना चाहिए, यह समझाती हुई
गाँव, शहर, लोक, समाज, राजनीति, आधुनिकता, भूमंडलीकरण और अन्य कई सारे मुद्दों से साहित्य को जोड़ने, समझने-परखने की गंभीर, सम्यक दृष्टि लेकर आया है यह साक्षात्कार। अंजुम भी बराबर गंभीरता से इस गहरी, विचारणीय बातचीत को अंत तक सार्थक बनाये रखने में बखूबी सफल नज़र आते हैं।
बद्रीनारायण जी को पहली बार सुना। इतने सशक्त साक्षात्कार के लिए हिंदवी और अंजुम जी को खूब खूब बधाई।
दो चिंतनशील व्यक्तित्व, एक ज्ञानवर्धक साक्षात्कार 🙏🙏
"prem" bahut mahatwapurna sabda hai, it has two nature --- heavenly "prem", which is associated with purity of mind & worldly "prem" comes from affection of nature !
This poet seems to be described as a good human being with love for society's reform, realistic poet !
🙏 A touchy pure heart 🙏 in Indian society :: excellent personality ।।
इतना मुश्किल भी नहीं है जीना
लोक हमारे भीतर भी है
हमारी अन्तर्चेतना में है
हम ही लोक में नहीं जाते, लोक भी हमारे यहाँ आता है
बद्री सर सत्तामुखी कवि लेखक हैं।
बद्री नारायण जी इलाहाबाद विश्विद्यालय में क्लासफेलो रहे हैं, उस समय से ही आप कवि के रुप में चर्चित रहे🎉
अंजुम जी आप अपने इस कार्यक्रम में जेंसिता केरकेट्टा को भी आमंत्रित कीजिये।
बद्री जी अपना ज्यादा समय समाज विज्ञानी को देते हैं,कवि को कम समय देते हैं और बद्री जी को समझने के लिए पैमाना प्रगतिशील होना चाहिए न कि दृष्टि प्रगतिशील हो।
अंजुम जी सुन्दर प्रश्न पूछ रहे हैं
अंजुम जी, अच्छे कवि के साथ शानदार साक्षात्कार लगा
Very good and didactic interview
अंजुम जी आप इंटरव्यू लेते हो या तैयारी में स्कैनिंग भी शामिल हैं बद्रीनारायण जी ने पूछा आप बताते कहां से जाना सातवीं से वह कविता से जुड़े।
Anjum sir ❤You
लेखक टेकचंद से और रत्नकुमार संभरियाँ जी से भी संगत कीजिए, अंजुम जी।
एक हिंदी कवि अपनी व्याख्याएं प्रचुर अंग्रेजी शब्दावली के जरिए कर रहा है।
यह कवि की अभिव्यक्ति पर समाजशास्त्री का भाषिक दबाव है।
इसे निरंतरता माने या रिक्तता की पूर्ति
का प्रयत्न। बद्री दुविधा या द्वैत में हैं।
आमतौर पर बुद्धिजीवी अवसरवादी होते हैं। चूंकि बुद्धिजीवी विमर्श को अवसर की दिशा में मोड़ देता है ताकि अवसर का लाभ उठा सके। बहुत कम आंदोलनकारी बुद्धिजीवी प्रगतिशील विचारधारा और उसके सतत उत्थान से भटकते नहीं बेशक खुद तबाह हो जाएं।
बद्री जी बहुरूपिया भी हैं। कभी ये बद्री नारायण और कभी बद्री नारायण तिवारी हो जाते हैं।
NFS guru badri narayana 😂
जितना खराब किसी महत्वपूर्ण बात को कमतर समझना है, उतना ही दोषपूर्ण किसी अति सामान्य बात को अति विशिष्ट बना देना। एक महिला द्वारा राहुल को संन्यासी की तरह टूलने को इतना महिमामंडित करना खतरनाक है।
जिस विचारधारा को प्रश्न कर रहे हैं उसी तरह की दूसरी विचारधारा से खुद भी ग्रसित हैं, लेखक के तौर पर टिप्पणी है, कविता मैंने सुनी पढ़ी नहीं है
जातिवादी बहुत दिनों तक दलित लेखक बनता था, अब संघी लेखक है
Axis
सत्ता के कवि
ये not found suitable वाले बद्रीनारायण है ना 😂😂😂
Tumhari हैसियत वो बोलने की भी नहीं है।
Ha wahi hain jinko highcourt me Mayank Yadav pele the
Prntu aisey zheen kavi ka RSS se nata khatakta zroor hai aur shnka paida karta hai. Kyonke RSS aur saathi daloN ki bhasha hi
" Akramak" hai.
Badri Narayan kitane bade top ho wo duniya janti hai..range siyar k liye ek baris kafi hai be ..kya hota hai bhothra activism be???Teri bhasha me bhothra aaya sabit karta hai tu kitna poorwgrahi hai...social justice jante ho????
NFS guru hai badri narayana