बहुत अच्छा साक्षात्कार अंजुम जी। मैंने संगत के लगभग सभी साक्षात्कार सुने हैं। अत्यंत रोचक हैं। जिस आत्मविश्वास के साथ आप साहित्यकार से परिचर्चा करते हैं, वह सचमुच प्रभावित करता है। अच्छी बात यह है कि आप संबंधित साहित्यकार के रचनाकर्म से गुजरकर पर्याप्त जानकारी के साथ आते हैं। इस साक्षात्कार श्रृंखला के लिए आपको हार्दिक बधाई!! प्रियंवद जी के जवाब भी बहुत सटीक लगे। बेबाकी के लिए उनको भी साधुवाद।
अभी लगभग एक महीने से हिंदवी में प्रसारित हिंदी लेखकों के साक्षात्कार देख, सुन रही हूँ, सभी एपिसोड शानदार, लेकिन अफसोस कि इतने अच्छे चैनलों के subscriber itne km क्यों होते हैं, अंजुम जी इतनी गम्भीर व ज्ञानवर्धक चर्चा करते हैं, काबिल ए तारीफ़ है
कथन में स्पष्टता नहीं है । उलझाव सा है । शायद मैं ही समझ नहीं पा रहा हूँ। मैंने अभी तक उन्हें पढ़ा नहीं है ।उन्हें संगत में सुनकर लगा कि प्रियम्वद जी बहुत मौलिक ,अद्वितीय और अद्भुत कथाकार हैं । अब पढूँगा ।
प्रियंवद जी की कहानियों की लेखन शैली अद्वितीय है, हिन्दी जगत में उनके जैसी लेखन शैली वाला कोई और रचनाकार दिखाई नहीं पड़ता. वे अपनी ही तरह के अनूठे रचनाकार हैं.
इस संगत को मैं अनेक बार सुन चुका हूँ. हर बार कुछ न कुछ नया ही सीखने/जानने को मिला, प्रियंवद जी से. यह अंजुम जी की भी सफलता है कि वे इतना कुछ अपने श्रोताओं के सम्मुख ला सके.
बहुत सुन्दर बोल रहे प्रियंवद जी उनकी कहानियां मुझे बहुत अच्छी लगी ... लगती हैं। मेरे मानस पटल को उनकी कहानियों ने प्रभावित किया... मैंने बहुत पहले उनकी कुछ कहानियां सारिका में पढ़ी थी बहुत अच्छी लगी । इस साक्षात्कार को सुनकर उन्हें फिर से पढ़ने का मन है । साक्षात्कार बहुत अच्छा लगा जितने अच्छे प्रश्न अंजुम जी ने पूछे उतने ही सुन्दर उत्तर प्रियवंद जी ने दिए..
प्रियंवद नाम सा प्रवाह लिए रचनाधर्मिता के हर एक पहलू पर शानदार विमर्श। अंजुम शर्मा जी इतना बेहतरीन तारतम्य बिठाते हैं रचनाकार के साथ कि वो सहज ही परत दर परत अंतस तक जाते हैं।जब निजत्व प्रेम परिपूर्ण हो तो सृजन भी सहज और प्रेममयी हो जाता है, प्रियंवद जी इसे सार्थक करते हैं। अंजुम जी आपका हर लेखक/साहित्यकार की पृष्ठभूमि पर रिसर्च अतिसघन व गहन रहता है, इतनी मेहनत के लिए प्रणाम है आपको 🙏। धन्यवाद हिंदवी और संगत 🙏🙏 आप ऐसे ही साहित्यक विमर्श को बढ़ाते रहिए। 💚
अंजुम भाई आपका बहुत-बहुत शुक्रिया, इन सभी रचनाकारों के अनुभव को आम जन तक पहुंचाने के लिए। आप साहित्य के क्षेत्र में यह अद्भुत कार्य कर रहे है। आपसे दिल्ली विश्वविद्यालय में स्थित पंडित जी कैंटीन में मुलाकात हुई थी, पता नहीं आपको ये ध्यान भी हो। आप यूं ही कार्यरत रहे, स्वस्थ रहे और हम लोगों तक उन तमाम रचनाकारों को पहुंचाते रहे जिनसे मिलना हर किसी के लिए मुमकिन नहीं। ईश्वर आपको लंबी आयु दे। [राहुल खंडेलवाल (पी. एच. डी. शोधार्थी, इतिहास विभाग, जामिया मिलिया इस्लामिया)]
महर्षि पतंजलि ने योग दर्शन में दिया तो है कि मन पर नियंत्रण रखें। अब वो मां से संभोग करना चाहता है कल व किसी का क़त्ल करना चाहेंगा।समाज ऐसे नहीं चलता है।
It's a humble request, please mention the links of his collection of all the books so that we can purchase and access it right from here. That way hindwi might also promote the affiliate marketing and we'll get the access of his creation. Thanks.
6:30 एक तथ्यात्मक भूल हो गई है प्रियंवद जी से। उपन्यास का नाम Ulysses नहीं Finnegans Wake है, जो जॉयस ने Ulysses के बाद लिखा था। जॉयस ने 16 साल लगा कर इसे लिखा, और बेकेट ने कई हिस्सों को सुन कर टाइप किया। सारे विवरण सही हैं बस नाम Finnegans Wake है ।
Baah ...ek avivahit doosre avivahit se avivahit jeevan ke gur poochta hua....Sach hi hai ki ek baar avivahit jeevan ka aadi hone par aur kuch nahi bhata...avivahit hone ka matlab samvednaon ka hras nahi hai...Pantjee se bhi sadha gya tha yahi prashn...unka uttar yaha suna ja sakta hai: th-cam.com/video/Xk7BInsQUY0/w-d-xo.html
जब हम निराशा/ Depression की चरम अवस्था में होते हैं तो धर्म और समाज ही उससे बाहर निकालकर मनन लगने/ मरने/sucide करने से बचाता है। आज जब किसी का Break up होगा, किसी प्रिय+करीबी व्यक्ति का Death होगा तो कल वह सरस्वती पूजा, दुर्गा पूजा, गणपति पूजा मनाकर एवं विसर्जन यात्रा में मन भर डांस करके आपना दुख को कम कर सकता है। धर्म और समाज ज्ञानियों के नही बने हैं।
यह तुम्हारा अपना नज़रिया है कि धार्मिकता इंसान को दुःख के वक्त सहारा देता है? नहीं यह एक भ्रम है मूर्खता है धर्म आदमी को नपूसंक ग़ुलाम बनाता है। मानव के लिए सबसे बड़ा सहारा या कहें मज़बूती ख़ुशी देगी तो उसकी विवेकपूर्ण समझ देखने का विशाल दायरा धर्म जात और सामाजिक परंपराओं बंधना इंसान की सोच को संकुचित बनाता है।
मै एक प्रगतिशील मार्क्सवादी हूं। सत्य क्या है मुझे मालुम है। हमारी किसी भी कृत्य से किसी भी जीवित प्राणियों को हतासा, निराशा,कष्ट, दुख नही होना चाहिए क्योंकि यदि ऐसा हुआ तो वो भी पाप की श्रेणी में गिना जायेगा/आयेगा। सत्य क्या है निम्नलिखित पंक्ति से हम समझ सकते हैं - एक बार 10 साल के एक बच्चे ने अपने पिता से पुछा- पापा तरबुजा/खरबुजा मे चिनी कहा से आया ? पिता - जब तुम सो रहे थे तब भगवान जी आये थे , डाक्टर की सुई से चिनी भर कर चले गये। बच्चा जब पढ़कर 20 साल का हुआ तो पिता से नफ़रत करने लगा क्योंकि उसे पता चल गया कि उस फल में चिनी कैसे आया। पिता जी हमसे झुठ बोल रहे थे। फिर वही बच्चा 30 साल का हुआ और उससे उसके 10 साल के बच्चे ने पुछा कि पापा इस फल में चिनी कैसे आया ? तब उसने जवाब दिया.. बेटा जब तुम सो रहे थे तब भगवान जी आये थे और सुई से चिनी भरकर चले गये। Morning walk पे निकले एक बुजुर्ग ने पार्क में बैठे एक प्रेमी-प्रेमिका की जोड़ी को देख कर हंस रहे थे ये सोचकर कि पता नही आगे क्या होगा इनका। बुजुर्ग को हंसता देख प्रेमी जोड़े भी उस बुजुर्ग पे हंसने लगे ये सोचकर कि इसे क्या मालुम हम किस आनंद की चरम अवस्था में हैं। फिर एक विवेकपूर्ण व्यक्ति ने दोनों को समझाया कि अपने अपने उम्र के हिसाब से आप दोनों सही हो। नोट :- कोई भी समजिक व्यवस्था (धर्म) कुछ सोच समझकर ही बनायी जाती है। जब तक हमारे पास कोई नया + उससे अच्छा विकल्प मौजूद ना हो , उसे ही follow करते रहिए। शंकराचार्य ने भक्ति का विरोध कते हुए कहा था - भक्ति करने से Concentration बढ़ती है, और जब तुम अपना Concentration भक्ति करके बढा लोगे तो ज्ञान प्राप्त कर लेना उसके बाद भक्ति करना ( धर्म समाज को मानना) छोड़ देना। उससे पहले भक्ति करना मत छोड़ना। निष्कर्ष :- बैलगाड़ी के रेस में धर्म वह खराब गाड़ी बन गयी है जिसे यदि ठिक कर दिए जाए तो कोई भी उससे जीत नही पायेगा।
प्रियंवद जी से एक बार मिलना हुआ है, संगमन में । इस इंटरव्यू में उसी प्रियंवद से फिर मिला। उसी सहजता के साथ। एक ऑथेंटिक व्यक्ति के साथ मिलने की तरह। इन्होंने मेरी कुछ महत्वपूर्ण चीज़ें छापी हैं। सब से महत्वपूर्ण चीज़ें ज्ञानरंजन ने छापीं थीं। कभी ज्ञान जी से भी मिलवाईए, अंजुम।
48:23 पर ऋषि के मल मे दुर्गंध नहीं होती, कितनी आवैज्ञानिक बात है, मल का मतलब ही दुर्गंध होता है नहीं तो उसे मल कहा ही क्यूँ जाता. मुझे तो ये बिल्कुल भी दिलचस्प नहीं लगा बल्कि अंधविश्वास की बू आई इससे.
Abdul Kalam Muslim they, Maulana Azaad Muslim they, Manto Muslim they, Gulzar muslim hai, MF Hussain saahab Muslim they, Javed Akhtar muslim hai ! Phir musalmanose shikayat kyu? PS : I'm Jain
संपूर्ण विश्व मे अल्पसंख्यको की सबसे बड़ी मुक्ति और शरण गाँधी नही बल्कि डॉ. आंबेडकर है।और रही बात मुसलमानो की तो उन्होंने बाबा साहेब की जीवन दर्शन और विचार को स्वीकार करना चाहिए। प्रियंवद् जी आप यहा पर गलत है आपको इस विषय पर इतिहास को दोबारा पढ़ना चाहिए।
सारे हिन्दू समाज ने भी गांधी को नहीं अपनाया। गांधी ने भी खिलाफत और रामराज्य का ध्रुवांतर कर मिलनस्थल को बाधित किया। गांधी ने अपने समांतर मुस्लिम लीग को रखा, जबकि विभाजन विरोधी और राष्ट्रवादी जमीयत- उलमा-ए-हिंद से दूरी रखी , क्यों?
Anjum bhai aap apne poorvagrah se kisi ki natikta aur vichardhara nhi samjh sakte…. Aap apne vicharo me ladte aur kuch had tak harte najar aa rhe is interview me… Aapko Mohan Rakesh ka Ashadh ka ek din me Mallika Bhi shayd buri lagi hogi….bhavnaye naisargik hoti hai use vaidh awaidh hum banate hain…
बहुत अच्छा साक्षात्कार अंजुम जी। मैंने संगत के लगभग सभी साक्षात्कार सुने हैं। अत्यंत रोचक हैं। जिस आत्मविश्वास के साथ आप साहित्यकार से परिचर्चा करते हैं, वह सचमुच प्रभावित करता है। अच्छी बात यह है कि आप संबंधित साहित्यकार के रचनाकर्म से गुजरकर पर्याप्त जानकारी के साथ आते हैं। इस साक्षात्कार श्रृंखला के लिए आपको हार्दिक बधाई!! प्रियंवद जी के जवाब भी बहुत सटीक लगे। बेबाकी के लिए उनको भी साधुवाद।
अंजुम जी, इंटरव्यू लेने अथवा किसी लेखक के साथ
संवाद करने की कला में आप निपुण हैं।
प्रियंवद जी उच्च कोटि के रचनाकार हैं।
शानदार!
अभी लगभग एक महीने से हिंदवी में प्रसारित हिंदी लेखकों के साक्षात्कार देख, सुन रही हूँ, सभी एपिसोड शानदार, लेकिन अफसोस कि इतने अच्छे चैनलों के subscriber itne km क्यों होते हैं, अंजुम जी इतनी गम्भीर व ज्ञानवर्धक चर्चा करते हैं, काबिल ए तारीफ़ है
कथन में स्पष्टता नहीं है । उलझाव सा है । शायद मैं ही समझ नहीं पा रहा हूँ। मैंने अभी तक उन्हें पढ़ा नहीं है ।उन्हें संगत में सुनकर लगा कि प्रियम्वद जी बहुत मौलिक ,अद्वितीय और अद्भुत कथाकार हैं । अब पढूँगा ।
He is such a true secularist who doesn't pretend anything like typical Leftists. He is honest and blunt. Salute.
Admin liked this comment. Does it mean they have a right wing ideology?
ये हिंदवी मात्र एक चैनल नहीं है
ये you tube का मोती है
अंजुम शर्मा नए संवाद माध्यम में
नए युग की शुरुआत कर रहे हैं
प्रियंवद जी की कहानियों की लेखन शैली अद्वितीय है, हिन्दी जगत में उनके जैसी लेखन शैली वाला कोई और रचनाकार दिखाई नहीं पड़ता. वे अपनी ही तरह के अनूठे रचनाकार हैं.
परिक्षा का समय है लेकिन रहा नही जाता सुने बिना 😢.......
बहुत सराहनीय काम करते है आप अंजुम जी❤❤
एक उपन्यास कितनी कहानियों से बनता है क्या बात है ...
शाबाश प्रियंवद!
आपकी पहले शब्द से ही आपकी यात्रा प्रारंभ हो जाती है, कितनी सुंदर व्याख्या
प्रियंवद जी का अद्भुत व्यक्तित्व साक्षात्कार के रूप में सामने लाने के लिए हिंदवी की टीम संगत और अंजुम जी को अनेकों धन्यवाद🙏🙏🙏
सुमुखी तुम्हारे नैन लजीले, अधरों पर अंकित मृदुहास,
क्षण भर को फिर जी उठते हैं, ईश्वर और पूजन विश्वास।
अद्भुत रचना। ❤❤❤❤❤
प्रियंवद जी बड़े रचनाकार हैं 🙏🙏
इंटरव्यू बहुत ही अच्छा लगा।
इस संगत को मैं अनेक बार सुन चुका हूँ. हर बार कुछ न कुछ नया ही सीखने/जानने को मिला, प्रियंवद जी से. यह अंजुम जी की भी सफलता है कि वे इतना कुछ अपने श्रोताओं के सम्मुख ला सके.
बहुत सुन्दर बोल रहे प्रियंवद जी उनकी कहानियां मुझे बहुत अच्छी लगी ... लगती हैं। मेरे मानस पटल को उनकी कहानियों ने प्रभावित किया... मैंने बहुत पहले उनकी कुछ कहानियां सारिका में पढ़ी थी बहुत अच्छी लगी । इस साक्षात्कार को सुनकर उन्हें फिर से पढ़ने का मन है ।
साक्षात्कार बहुत अच्छा लगा जितने अच्छे प्रश्न अंजुम जी ने पूछे उतने ही सुन्दर उत्तर प्रियवंद जी ने दिए..
सार्थक संवाद! बधाई दोनों कों! बहुत मौलिक!
प्रियंवद नाम सा प्रवाह लिए रचनाधर्मिता के हर एक पहलू पर शानदार विमर्श। अंजुम शर्मा जी इतना बेहतरीन तारतम्य बिठाते हैं रचनाकार के साथ कि वो सहज ही परत दर परत अंतस तक जाते हैं।जब निजत्व प्रेम परिपूर्ण हो तो सृजन भी सहज और प्रेममयी हो जाता है, प्रियंवद जी इसे सार्थक करते हैं।
अंजुम जी आपका हर लेखक/साहित्यकार की पृष्ठभूमि पर रिसर्च अतिसघन व गहन रहता है, इतनी मेहनत के लिए प्रणाम है आपको 🙏।
धन्यवाद हिंदवी और संगत 🙏🙏
आप ऐसे ही साहित्यक विमर्श को बढ़ाते रहिए।
💚
अंजुम भाई आपका बहुत-बहुत शुक्रिया, इन सभी रचनाकारों के अनुभव को आम जन तक पहुंचाने के लिए। आप साहित्य के क्षेत्र में यह अद्भुत कार्य कर रहे है। आपसे दिल्ली विश्वविद्यालय में स्थित पंडित जी कैंटीन में मुलाकात हुई थी, पता नहीं आपको ये ध्यान भी हो। आप यूं ही कार्यरत रहे, स्वस्थ रहे और हम लोगों तक उन तमाम रचनाकारों को पहुंचाते रहे जिनसे मिलना हर किसी के लिए मुमकिन नहीं। ईश्वर आपको लंबी आयु दे। [राहुल खंडेलवाल (पी. एच. डी. शोधार्थी, इतिहास विभाग, जामिया मिलिया इस्लामिया)]
आपकी स्वतंत्रता बहुत व्यक्तिगत है।
माइकल सेंडल को पढ़िए
हिंदी साहित्य में प्रियवंद जी को थोड़ा बहुत पढ़ा था आज उनको सुनकर मुझे बहुत सुखद अनुभव हुआ। इसके लिए संगत की पूरी टीम और अंजुम सर को कोटि कोटि नमन।
उदय प्रकाश, संजीव, और अरुण कमल को भी सुनने की इच्छा है।
आज से लगभग 40 वर्ष पहले मैने इनकी एक कहानी सारिका मैगजीन में " बहती हुई कोख" पढ़ी थी जो मुझे बहुत अच्छी लगी थी
bahut Deen baad padhe jayengey priyamvad..
एक बेहतरीन इंटरव्यू एक बेहतरीन लेखक के साथ।
बहुत ही क्लियर साक्षात्कार , साफ स्वीकृति के साथ , सफगोई बहुत पसंद आई , कहानियां हमेशा से पसंद थी
आपके इस विस्फोटक साक्षात्कार के बाद प्रियंवद जी को पढ़ना ही होगा.अब तक उन्हें जीनियस पत्रकार के रूप में ही जानता था.
सार्थक संवाद ! हार्दिक बधाई 🙏🙏
आदरणीय प्रियम्वद जी के पुस्तको को मेंशन कीजिए अंजुम जी
अंजुम शर्मा की आवाज में भी कविता है
छुट्टी के दिन का कोरस , एक बेहतरीन कृति है। बातचीत स्पष्ट और सुंदर है। शुक्रिया हिन्दवी।
अद्भुत साक्षात्कार…शुक्रिया हिन्दवी
प्रियम्वद जीनियस रचनाकार का एक विरल उदाहरण है।
Agreed .free of all religion .i m human only
शानदार साक्षात्कार! मनन करने योग्य!
बहुत गंभीर और सारगर्भित साक्षात्कार
पता नहीं मैं प्रियंवद के आपके द्वारा दैहिक सबंध और प्रेम वाले प्रश्न पर, दिये उत्तर पर स्वीकृत या यूं कहूँ बेहद मतभेद पूर्ण लगा, kind of an escapism!
छात्र जीवन के लंबे समय में प्रियंवद को पढ़ा था।अलग -सए लगे। अच्छे भी। सारिका में शुरू हुआ था।
अद्भुत अद्भुत अद्भूत ।।।।।।अंजुम भाई❤️❤️❤️
बहुत ही अच्छी बेलाग बातचीत वाह प्रियम्बद् जी
शानदार!साक्षात्कार सहज और स्पष्ट 🙏🙏
ज्ञानवर्धक साक्षात्कार।
अद्भुत साक्षात्कार 👌 बेहद समृद्ध बातचीत 🌻
बहुत ही अच्छा रहा,,
महर्षि पतंजलि ने योग दर्शन में दिया तो है कि मन पर नियंत्रण रखें। अब वो मां से संभोग करना चाहता है कल व किसी का क़त्ल करना चाहेंगा।समाज ऐसे नहीं चलता है।
प्रियंवद ❤
बहुत सुंदर बातचीत !
Bahut Sarthak baatchit
सुशोभित का इंटरव्यू लीजिये.
Sushobhit Shaktawat?
अंत में अरुण कमल जी को देख के इंतजार में हूं
संगत में रविभूषण जी का साक्षात्कार भी लें।
प्रियंवद जी बेबाक बोले
बहुत शानदार 💐
It's a humble request, please mention the links of his collection of all the books so that we can purchase and access it right from here. That way hindwi might also promote the affiliate marketing and we'll get the access of his creation. Thanks.
6:30 एक तथ्यात्मक भूल हो गई है प्रियंवद जी से। उपन्यास का नाम Ulysses नहीं Finnegans Wake है, जो जॉयस ने Ulysses के बाद लिखा था। जॉयस ने 16 साल लगा कर इसे लिखा, और बेकेट ने कई हिस्सों को सुन कर टाइप किया। सारे विवरण सही हैं बस नाम Finnegans Wake है ।
प्रियंवद मेरे एक पसंदीदा लेखक हैं। पर यहाँ असहमति है। बीमार उदास हो यह आवश्यक नहीं है।
26:48 आज सब कोई मज़दूर हुआ जा रहा है और सर्विस सेक्टर में मज़दूर या नीचे तबके के कर्मचारियों की कोई सुनवाई नहीं है।
करण थापर के बाद साक्षात्कार की विधा में भाई अंजूम का नाम आता है।
जिन मुस्लमानों ने गांधी जी का रास्ता अपनाया वही मुस्लमान हिंदुस्तान में रह गए थे, बाकी को अपनाने वाले तो पाकिस्तान चले गए थे।
मुझे दिलरस में खूब मजे आई थी
Baah ...ek avivahit doosre avivahit se avivahit jeevan ke gur poochta hua....Sach hi hai ki ek baar avivahit jeevan ka aadi hone par aur kuch nahi bhata...avivahit hone ka matlab samvednaon ka hras nahi hai...Pantjee se bhi sadha gya tha yahi prashn...unka uttar yaha suna ja sakta hai: th-cam.com/video/Xk7BInsQUY0/w-d-xo.html
Sex aur prem alag ho sakte hain aur hote bhi hain. Sex never means love ...
संस्कृत पढ़ लेते तो दिशा पा जाते अब दिशाहार
नाम प्रियमवाद लागत है जैसे रेलवे vendor
एक लेखक को प्रधानमंत्री जी के समकक्ष रखने का यह तरीका पसंद आया।
इनकी सारी किताबें खरीदने का कोई जुगाड़ है?
राजेंद्र राव जी से मिलाएं अंजुम जी
1:34:30 गांधी क्यूँ दिखने चाहिए ??
मैं भी वही सोच रहा हूं, गांधी जी को ही क्यों?
गांधी जी से मतलब? मुस्लमानों को गांधी जी से क्या अपनाना चाहिए था? कुछ भी स्पष्ट नहीं किया।
What about prostitution . Wahan daihik sambandhon me pyar kahan se agaya
जब हम निराशा/ Depression की चरम अवस्था में होते हैं तो धर्म और समाज ही उससे बाहर निकालकर मनन लगने/ मरने/sucide करने से बचाता है।
आज जब किसी का Break up होगा, किसी प्रिय+करीबी व्यक्ति का Death होगा तो कल वह सरस्वती पूजा, दुर्गा पूजा, गणपति पूजा मनाकर एवं विसर्जन यात्रा में मन भर डांस करके आपना दुख को कम कर सकता है।
धर्म और समाज ज्ञानियों के नही बने हैं।
यह तुम्हारा अपना नज़रिया है कि धार्मिकता इंसान को दुःख के वक्त सहारा देता है? नहीं यह एक भ्रम है मूर्खता है धर्म आदमी को नपूसंक ग़ुलाम बनाता है। मानव के लिए सबसे बड़ा सहारा या कहें मज़बूती ख़ुशी देगी तो उसकी विवेकपूर्ण समझ देखने का विशाल दायरा धर्म जात और सामाजिक परंपराओं बंधना इंसान की सोच को संकुचित बनाता है।
मै एक प्रगतिशील मार्क्सवादी हूं। सत्य क्या है मुझे मालुम है। हमारी किसी भी कृत्य से किसी भी जीवित प्राणियों को हतासा, निराशा,कष्ट, दुख नही होना चाहिए क्योंकि यदि ऐसा हुआ तो वो भी पाप की श्रेणी में गिना जायेगा/आयेगा। सत्य क्या है निम्नलिखित पंक्ति से हम समझ सकते हैं -
एक बार 10 साल के एक बच्चे ने अपने पिता से पुछा-
पापा तरबुजा/खरबुजा मे चिनी कहा से आया ?
पिता - जब तुम सो रहे थे तब भगवान जी आये थे , डाक्टर की सुई से चिनी भर कर चले गये।
बच्चा जब पढ़कर 20 साल का हुआ तो पिता से नफ़रत करने लगा क्योंकि उसे पता चल गया कि उस फल में चिनी कैसे आया। पिता जी हमसे झुठ बोल रहे थे।
फिर वही बच्चा 30 साल का हुआ और उससे उसके 10 साल के बच्चे ने पुछा कि पापा इस फल में चिनी कैसे आया ?
तब उसने जवाब दिया.. बेटा जब तुम सो रहे थे तब भगवान जी आये थे और सुई से चिनी भरकर चले गये।
Morning walk पे निकले एक बुजुर्ग ने पार्क में बैठे एक प्रेमी-प्रेमिका की जोड़ी को देख कर हंस रहे थे ये सोचकर कि पता नही आगे क्या होगा इनका।
बुजुर्ग को हंसता देख प्रेमी जोड़े भी उस बुजुर्ग पे हंसने लगे ये सोचकर कि इसे क्या मालुम हम किस आनंद की चरम अवस्था में हैं।
फिर एक विवेकपूर्ण व्यक्ति ने दोनों को समझाया कि अपने अपने उम्र के हिसाब से आप दोनों सही हो।
नोट :- कोई भी समजिक व्यवस्था (धर्म) कुछ सोच समझकर ही बनायी जाती है। जब तक हमारे पास कोई नया + उससे अच्छा विकल्प मौजूद ना हो , उसे ही follow करते रहिए।
शंकराचार्य ने भक्ति का विरोध कते हुए कहा था - भक्ति करने से Concentration बढ़ती है, और जब तुम अपना Concentration भक्ति करके बढा लोगे तो ज्ञान प्राप्त कर लेना उसके बाद भक्ति करना ( धर्म समाज को मानना) छोड़ देना। उससे पहले भक्ति करना मत छोड़ना।
निष्कर्ष :- बैलगाड़ी के रेस में धर्म वह खराब गाड़ी बन गयी है जिसे यदि ठिक कर दिए जाए तो कोई भी उससे जीत नही पायेगा।
6:00
मुक्तिबोधी मैटेरियल
पगलापा आलाप
मैं सोच रहा हूं, गांधी जी को ही क्यों?
गांधी जी से मतलब? मुस्लमानों को गांधी जी से क्या अपनाना चाहिए था? कुछ भी स्पष्ट नहीं किया।
प्रियंवद जी से एक बार मिलना हुआ है, संगमन में । इस इंटरव्यू में उसी प्रियंवद से फिर मिला। उसी सहजता के साथ। एक ऑथेंटिक व्यक्ति के साथ मिलने की तरह।
इन्होंने मेरी कुछ महत्वपूर्ण चीज़ें छापी हैं। सब से महत्वपूर्ण चीज़ें ज्ञानरंजन ने छापीं थीं। कभी ज्ञान जी से भी मिलवाईए, अंजुम।
48:23 पर ऋषि के मल मे दुर्गंध नहीं होती, कितनी आवैज्ञानिक बात है, मल का मतलब ही दुर्गंध होता है नहीं तो उसे मल कहा ही क्यूँ जाता. मुझे तो ये बिल्कुल भी दिलचस्प नहीं लगा बल्कि अंधविश्वास की बू आई इससे.
जब तक बच्चे का अन्नप्राशन नहीं होता, उसके मल- मूत्र में उतनी दुर्गन्ध होती है?
खानपान और सात्विकता के प्रभाव?
Abdul Kalam Muslim they, Maulana Azaad Muslim they, Manto Muslim they, Gulzar muslim hai, MF Hussain saahab Muslim they, Javed Akhtar muslim hai ! Phir musalmanose shikayat kyu?
PS : I'm Jain
The Khalifat movement was an example of a Muslim leader ( community ) working WITH Gandhi !
संपूर्ण विश्व मे अल्पसंख्यको की सबसे बड़ी मुक्ति और शरण गाँधी नही बल्कि डॉ. आंबेडकर है।और रही बात मुसलमानो की तो उन्होंने बाबा साहेब की जीवन दर्शन और विचार को स्वीकार करना चाहिए।
प्रियंवद् जी आप यहा पर गलत है आपको इस विषय पर इतिहास को दोबारा पढ़ना चाहिए।
गांधी ही क्यों
सारे हिन्दू समाज ने भी गांधी को नहीं अपनाया।
गांधी ने भी खिलाफत और रामराज्य का ध्रुवांतर
कर मिलनस्थल को बाधित किया। गांधी ने अपने समांतर मुस्लिम लीग को रखा, जबकि विभाजन विरोधी और राष्ट्रवादी
जमीयत- उलमा-ए-हिंद से दूरी रखी , क्यों?
Jameeyat can't be compared with ML. League was a big force and had huge Muslim support.
मैं भी वही सोच रहा हूं, गांधी जी को ही क्यों?
गांधी जी से मतलब? मुस्लमानों को गांधी जी से क्या अपनाना चाहिए था? कुछ भी स्पष्ट नहीं किया।
Anjum bhai aap apne poorvagrah se kisi ki natikta aur vichardhara nhi samjh sakte…. Aap apne vicharo me ladte aur kuch had tak harte najar aa rhe is interview me…
Aapko Mohan Rakesh ka Ashadh ka ek din me Mallika Bhi shayd buri lagi hogi….bhavnaye naisargik hoti hai use vaidh awaidh hum banate hain…
मुस्लमान और गांधीजी वाली बात बिलकुल तर्कहीन है। सुनकर अच्छा नहीं लगा।
Priyamvad agar viklaang hote to kya apni Maa se apne youn iccha ki poorti karte? Paglo jaisa tark hai.