Sangat Ep.46 | Wagish Shukla on Bhashya, Mahabharat, History, Ram, Ved, Ghalib, Bedil | Anjum Sharma
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- เผยแพร่เมื่อ 9 พ.ย. 2023
- वागीश शुक्ल हिंदी के समादृत लेखक हैं। उनकी दो पुस्तकें, 'शहंशाह के कपड़े कहाँ हैं’ और 'छंद-छंद पर कुमकुम’ प्रकाशित हैं। पहली पुस्तक में साहित्य के अनेक मूलभूत प्रश्नों पर वैचारिक निबंध हैं। 'छंद-छंद पर कुमकुम’ निराला की सुदीर्घ कविता 'राम की शक्ति पूजा’ की अद्वितीय टीका है। आधुनिक समय में ऐसा कोई वैचारिक उद्यम किसी अन्य भारतीय लेखक ने इस स्तर का नहीं किया है। यह टीका निराला की इस महत्त्वाकांक्षी कविता को भारतीय साहित्य की देशी और मार्गी परंपरा के परिवेश में अवस्थित कर उसकी अर्थ समृद्धि को सहज उद्घाटित करती है। आइ.आई.टी दिल्ली में गणित के प्रोफ़ेसर वागीश शुक्ल के पिता संस्कृत के आचार्य रहे। साहित्य के प्रारंभिक संस्कार उन्हें पिता से ही मिले। हिंदी, संस्कृत, फ़ारसी और अंग्रेज़ी वाङ्मय के गहरे और गंभीर अध्येता वागीश शुक्ल इंटरव्यू ने दौरान अंजुम शर्मा से बात करते हुए कौन-से मास्टर नैरेटिव की बात की? उनकी साहित्य-यात्रा में इलाहाबाद विश्वविद्यालय का कितना योगदान है? वागीश नाम के पीछे की क्या कहानी है? विषयों में इतनी विविधता के बावजूद उन्होंने गणित का चुनाव उन्होंने क्यों किया? उन्होंने कविताएँ लिखनी क्यों छोड़ दी?
ऐसे तमाम सवालों के जवाब और वागीश शुक्ल के निजी जीवन से लेकर उनके रचना-संसार और उनके संघर्ष को जानने-समझने के लिए देखिए अंजुम शर्मा के साथ संगत का यह एपिसोड।
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इन वार्ताओं को दुबारा , तीबारा सुनना पड़ेगा । धन्यवाद हिन्दवी ।😊😊
मैं चौथी बार देख रहा हूँ।
एक विनम्र सुझाव है। इस प्रकार के उद्भट विद्वानों का साक्षात्कार लेते समय साक्षात्कारकर्ता के रूप में किसी अन्य विद्वान् व्यक्ति को भी अंजुम जी के साथ होना चाहिए जिससे गहन चिंतन के उनके संकेतों को और बारीक़ी से समझा और खोला जा सके।
बिलकुल। शुरुआती 5-7 मिनट तो ऐसा लगा कि इन्हें बात करने का शऊर बिलकुल नहीं है।
प्रष्टा का उत्साह और आयोजन नि:संदेह प्रशंसायोग्य है।
यह बातचीत तो अद्भुत है।
हर वाक्य एक संदर्भ दे गया।
अंजुम जी को बधाई।
यह तलवार की धार पर चलने की तरह था।
शुक्रिया टीम हिंदवी।
वाह। उद्भट विद्वान से बुद्धिमत्तापूर्ण साक्षात्कार। बधाई अंजुम भाई और टीम हिंदवी।
बहुत ही सुन्दर बौद्धिक तार्किक, अद्भुत अद्वितीय साक्षात्कार।
बहुत भिन्न कोणों से उन्होंने चीजों को खोला। बहुत गंभीर और मनन योग्य बातें। अंजुम जी वाकई परिश्रम करते हैं, और निजी सवाल पूछने में उनकी झिझक उनकी संवेदनशीलता को रेखांकित कर रही थी। यही सच्चा साक्षात्कार होता है।
बहुत गंभीर बाते हुई हैं। हार्दिक आभार।
"मैं प्रतिरोध की कविता लिखता हूँ "- जब कवि से आप सारे शब्द छीन लेंगे तो वो और क्या कहेगा ! ये बढ़िया बात कही वागीशजी ने.
वागीश शुक्ल उद्भट विद्वान हैं, इनको पढ़ना और सुनना, दोनों अपने में आनन्द का स्रोत है। 💯🔥🙏
बहुत ही सुंदर दृष्टि ।
बहुत बढ़िया साक्षात्कार. बहुत बधाई❤❤❤
विद्वान है। पर आपके सीधे प्रश्नों के भी वर्तुल जवाब वागीश जी ने दिए हैं ।
यह दंगल अच्छा लगा। अंजुम इसमें अच्छा माहिर हैं। इसमें अच्छी कुश्ती की
बहुत सुंदर।
यथा मकरकः स्वस्य आन्तरिकद्रवात् जालं बुनति तस्मिन् फसति च - तथैव भयंकरः विद्वान् जनाः स्वस्य आन्तरिकपाशात् घोरं जालं बुनन्ति तस्मिन् फसन्ति च एतत् उच्चतमं बुद्धिविमानं वदन्ति।
अत्र प्रश्नकर्ता जालं बुनति, साक्षात्कारदाता वा?
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साक्षात्कारं दत्तवन्तः विद्वांसः वदन्ति यत् जगत् मिथ्या अस्ति।
तस्य अर्थः अस्ति यत् जगति सर्वं मिथ्या अस्ति।
ते अपि इह लोके सन्ति इति मिथ्या इत्यर्थः ।
असत्यात् सत्यं न उद्भवितुं शक्नोति।
अनेन युक्त्या तस्य सर्वाणि वचनानि मिथ्या।
कितनी गहरी बात कर रहे हैं।❤❤❤
बस, अद्भुत!!
Wagish shukla ji ka ye interview badhiya laga. Shukla ji ke review se hi mein prachand praveer ji ke lekhani se parichit hua. Prachand praveer ji ke saath bhi aap kabhi ek interview kijiye. Dhanyavad
10 घंटा तो होना ही चाहिए।❤❤❤
Anjum ki mehnat saaf dikh rhi hai ❤❤
वागीश ❤❤❤
वाकई उद्भट विद्वान है
Bahut uchch koti ka interview hai
इतना आसान नही शुक्ल जी को समझना। संवाद को सरल बनाना भी कला है।
स्फटिक की भाँति स्वच्छ दृष्टि।
Inka toh bahut pahle interview ho jana chahiye tha.
अरे सर सेंटर का मुद्दा वास्तव में फ़ाउंडेशन से है। वागीश जी एंटी-फ़ाउंडेशनिस्ट अप्रोच से है। आधुनिकता का सेंटर नैरेटिव अर्थ पर अधिकार है। इसी कारण से वागीश सर मास्टर नैरेटिव के विरुद्ध हैं।
Authorship को लेकर इन के विचार नवाचारी, रोचक और रचनात्मक हैं , लेकिन मेरी मोटी बुद्धि में एक बात नहीं समझ आती है कि इतिहास यदि History से अलग भी है तो भी महाभारत साहित्य, आख्यान, महाकाव्य, फिक्शन या फोकलोर ( लोकवार्ता) क्यों नहीं है? इतिहास क्यों है? भारत में इतिहास लेखन की कोई पुरानी परंपरा रही है क्या?
इस बातचीत के बाद हम ये कह सकते हैं कि हिन्दवी कुछ अच्छा कर रही है।
बीच में मत बोलो अंजुम भाई, रामानुजन की बात पे भी बीच में सवाल ले आए, x की बात पर बीच में बोल दिए, इंटरव्यू तस्सली से सुनने दे भाई
❤❤❤
Gyanvardhk batcheet