Sangat Ep.42 | Sheoraj Singh Bechain on Dalit Literature, Caste Census, DU & Ambedkar | Anjum Sharma
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- เผยแพร่เมื่อ 12 ต.ค. 2023
- हिंदी साहित्य-संस्कृति-संसार के व्यक्तित्वों के वीडियो साक्षात्कार से जुड़ी सीरीज़ ‘संगत’ के 42वें एपिसोड में मिलिए कवि-लेखक श्यौराज सिंह बेचैन से। 5 जनवरी 1960 को उत्तर प्रदेश के बदायूँ ज़िले के नंदरौली गाँव में जन्मे श्यौराज सिंह बेचैन के पिता चर्मकार का काम किया करते थे। अपने परिवेश अपने वातावरण से और अपने अनुभव से उन्होंने बचपन से ही कविताएँ लिखने लगे थे। दिल्ली आने के बाद उन्होंने आगे की पढ़ाई की। दिल्ली विश्वविद्यालय में हिंदी विभाग के प्रोफ़ेसर श्यौराज सिंह बेचैन कहानियाँ और आत्मकथा लेखन भी किया है। उन्होंने दो दर्जन से अधिक किताबें लिखी हैं। 'मेरा बचपन मेरे कंधों पर', 'चमार की चाय', 'क्रौंच हूँ मैं', 'नई फसल', 'सामाजिक न्याय और दलित साहित्य' उनकी प्रमुख रचनाएँ हैं। लेखन के साथ-साथ उन्होंने राजेंद्र यादव के साथ 'हंस' के प्रथम दलित विशेषांक का संपादन भी किया है। इंटरव्यू में अंजुम शर्मा से बात करते हुए श्यौराज सिंह बेचैन ने दलित विमर्श, जाति जनगणना, दलित साहित्य और साहित्यकारों के संघर्षों के बारे में बताया। कविता 'ठाकुर का कुआँ' पर हो रहे विवाद पर उनका क्या कहना है? वह क्यों कहते हैं जब उन्होंने लिखना शुरू किया तब दलित-साहित्य का बाज़ार नहीं था? क्या दलित विमर्श सिर्फ़ जाति आधारित अस्मिता मूलक विमर्श है? क्या दलितों द्वारा लिखा गया साहित्य ही दलित-साहित्य की श्रेणी में माना जाए? श्यौराज सिंह बेचैन के साथ और उनके परिवार के साथ किस तरह का भेदभाव हुआ? मार्क्सवाद से उनका मोहभंग कैसे हुआ? क्या दलित-साहित्य जातियों का साहित्य बन गया है? ऐसे तमाम सवालों के जवाब और श्यौराज सिंह बेचैन के निजी जीवन से लेकर उनके रचना-संसार और उनके संघर्ष को जानने-समझने के लिए देखिए अंजुम शर्मा के साथ संगत का यह एपिसोड।
श्यौराज सिंह बेचैन की कविताएँ : www.hindwi.org/poets/sheoraj-...
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#sangat #Hindwi - บันเทิง
2005 के बाद आज श्योराज जी को सुनने का मौका मिला। बहुत अच्छा लगा। बहुत सुंदर।
श्योराज सिंह बेचैन जी ने बिना लाग लपेट के जैसा लिखा है, वैसा ही यहाँ पर बोल और स्वीकार भी रहे हैं।
दलित साहित्य व सरोकार के यथार्थ का विश्लेषण बिलकुल तर्क संगत किया है बधाई सर जी,
महिपाल मानव हिसार हरियाणा
Bilkul Bhai
वास्तविक तथ्यों को लेकर संगत प्लेटफॉर्म द्वारा प्रस्तुत प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ श्यौराज सिंह बेचैन सर का महत्वपूर्ण साक्षात्कार, बहुत बेहतरीन साक्षात्कार।
श्योराज सर जी को सुना बहुत-बहुत अच्छा लगा!
हर बार की तरह शानदार। अंजुम भाई, संगत के प्लेटफार्म पर गीतांजलि श्री जी के साक्षात्कार का इंतजार रहेगा। संगत और उसकी टीम को ढेरों शुभकामनाएं।
आप जामिया के राहुल हैं?
जी।
सार्थक संवाद। आईना। आभार अंजुम सार्थक संवाद के लिए।
बहुत ही अच्छा और शानदार।
आदरणीय श्यौराज सर, आपका लिखना -बोलना हमारे अंदर व्याप्त कमियों को बाहर निकाल फेंकता है, हममें सुधार करता है, हमें बेहतर मनुष्य बनाता है। यद्यपि आप उस शिक्षक का नाम लेते, जिन्होंने आप में संभावना की रिपोर्ट दी तथा उस मित्र का भी, जिसके यहां पढ़ते थे (बाद में रोक लगवा दी गई), तो और बेहतर होता।
बहुत लाजवाब साक्षात्कार 😊
बहुत सुंदर बातचीत 👍🙏
अत्यंत सार्थक चर्चापूर्ण संगत, अंजुम जी का चुन चुन कर सवाल दागना और श्योराज जी का बेलाग सटीक जवाब, बस महिलाओं के मामले में थोड़ी उदारता की आव्यशयकता थी
बेहतरीन संवाद 💐
बहुत शानदार 💐
इसके समाधान की पहल सवर्ण नही करेगा बल्कि दलित बुद्धिजीवियों को अपने बच्चों की शादी अपने पायदान से नीचे खड़ी जाति से करना चाहिए लेकिन दलित बुद्धिजीवी जब उनका वर्ग बदल जाता है तब वो अपने से नीचे पायदान पर खड़ी जाति के व्यक्ति से नहीं करता है तब वो अपने से ऊपर की जाती और अपने आर्थिक वर्ग से करता है यह कथनी और करनी का अंतर जब तक बना हुआ है जाती नही टूट सकती।
बेहद निराश करने वाला साक्षात्कार
Bahut achcha sir bas kashi nath ji ko bhi la hi do sir
बहुत शानदार
बहुत सही💐💐💐
जाति जिसने बनाया उसने तोड़ने का प्रयास नहीं किया है। आपने फायदा के लिए
Ye bade aascharay ki bat h kuchh din mahino pahle social media par muhim chala tha ki EWS ka reservation nhi chahiye jo spacially general caste ke kamjor aay varg wale logon ko dhyan me rakhkar banaya gya tha......log reservation chhorne ke liye taiyar ho gye lekin jaati chhorne ke liye taiyar nhi hue.
Sarthak samvaad
Caste based census is already doing in India as per 2011 census schedule caste papulation was 16.7 %percent and 8.6%percent schedule tribe in India 😢😢😢😢
Poverty not depend on caste majority of upper caste doing labor work 😢😢😢😢😢😢😢😢😢😢
मुझे समझ नही आता की दलित लेखक अस्पृश्यता के विरुद्ध गांधी जी के योगदान को स्वीकार क्यों नही करते?
हिन्दी ने आपको इतना बड़ा मंच दिया,पहचान दी ,दिल्ली यूनिवर्सिटी हिंदी विभाग का अध्यक्ष बनने के बावजूद भी आप हिंदी को एक बेहतर भविष्य नही दे पाये, हिन्दी के शोध में अपने जाति व निजी पहचान वालो लोगों को वरियता दी , हिंदी शोध के भविष्य को अपने चाटूकार लोगो के हाथो मे सोंपा दिया
😂
ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। आप जो कह रहे हैं बिल्कुल गलत कह रहे हैं।
Sir aapke pass ache teacher nahi ka h?