आज संपूर्ण अध्यायाचा एकत्रित अर्थ संदर्भातील विवेचनासह ऎकताना अतिशय समाधान मिळाले. कानाला इअरफोन लावून ऎकताना वैयक्तिक मलाच समजावून सांगत आहात असा भास झाला. खूपच छान. धन्यवाद मानसीताई
सौ. मानसी ताई, तुम्हांला विनम्र नमस्कार, आपला गीते वरचा व्यासंग, अभ्यास खूप आहे, मी दिनांक 23-11-22 पासून आपल्या गीतेच्या सहवासात आहे, आपले शिकवणे अप्रतिम आहे, पण माझी अशी मागणी आहे की प्रत्येक गीता अध्याय मधील शेवटचे श्लोक 7-8 याचा अर्थ लगेच सम्पवतात, ही तक्रार नाहीं पण विनम्र प्रार्थना आहे की हें श्लोक आपण खूप चांगले समजावून देऊ शकतात, हें ज्ञान, हें दान सर्वांना मिळावे, ही नम्र विंनती,
गीतेतील प्रत्येक श्लोकची संथा,संधी विग्रह,अन्वय, अर्थ आणि विवरण अशी प्रत्येक अध्यायाची link खाली देत आहे. Link वर click केले की तो अध्याय उघडेल. #गीता अध्याय 1 ला लिंक खाली दिली आहे th-cam.com/play/PLsKhBgkEi76ejjVVx8iciE9HEEV70car8.html #गीता अध्याय 2 रा लिंक खाली दिली आहे th-cam.com/play/PLsKhBgkEi76fE1oiJB-8NjXGk2NaaTaES.html गीता अध्याय 3 रा लिंक खाली दिली आहे th-cam.com/play/PLsKhBgkEi76fF_AkbMtBuUpCIvmcaeUQt.html गीता अध्याय 4 था लिंक खाली दिली आहे th-cam.com/play/PLsKhBgkEi76cDqyDdJemZidFZ2l_45HL_.html गीता अध्याय 5 वा लिंक खाली दिली आहे th-cam.com/play/PLsKhBgkEi76eNbu2qYF31l3DpatEuqLeI.html गीता अध्याय 6 वा लिंक खाली दिली आहे th-cam.com/play/PLsKhBgkEi76drIVogWaptWIlxH2yG_CZ4.html गीता अध्याय 7 वा लिंक खाली दिली आहे th-cam.com/play/PLsKhBgkEi76eKYETIHJsY3TCtZPIIYt2j.html गीता अध्याय 8 वा लिंक खाली दिली आहे th-cam.com/play/PLsKhBgkEi76dz0VmYsxy6agiRjpkzyZ9_.html गीता अध्याय 9 वा लिंक खाली दिली आहे th-cam.com/play/PLsKhBgkEi76evA6K0w6C-ECqQh4PdQlDv.html गीता अध्याय 10 वा लिंक खाली दिली आहे th-cam.com/play/PLsKhBgkEi76flD7cvtPRUERz87tYuBIwQ.html गीता अध्याय 11 वा लिंक खाली दिली आहे th-cam.com/play/PLsKhBgkEi76eFbX84GYPKS_yny84nsRyO.html गीता अध्याय 12 वा लिंक खाली दिली आहे th-cam.com/play/PLsKhBgkEi76flynTLlWRHSA8K1RLddO-5.html गीता संथा अध्याय 13 वा लिंक खाली दिलेली आहे. th-cam.com/play/PLsKhBgkEi76dSSTQ2cPkBGCt14-bQrxpu.html
"The Divine Song of God Series." अध्याय 1 श्लोक 20 उस समय हनुमान से अंकित ध्वजा लगे रथ पर आसीन पाण्डुपुत्र अर्जुन अपना धनुष उठा कर तीर चलाने के लिए उद्यत हुआ | हे राजन् ! धृतराष्ट्र के पुत्रों को व्यूह में खड़ा देखकर अर्जुन ने श्रीकृष्ण से ये वचन कहे | अध्याय 1: कुरुक्षेत्र के युद्धस्थल में सैन्यनिरीक्षण श्लोक 1 . 20 अथ व्यवस्थितान्दृष्टवा धार्तराष्ट्रान्कपिध्वजः | प्रवृत्ते शस्त्रसम्पाते धनुरुद्यम्य पाण्डवः | हृषीकेशं तदा वाक्यमिदमाह महीपते || २० ||
अथ - तत्पशचात्; व्यवस्थितान् - स्थित; दृष्ट्वा - देखकर; धार्तराष्ट्रान् - धृतराष्ट्र के पुत्रों को; कपिध्वजः - जिसकी पताका पर हनुमान अंकित है; प्रवृत्ते - कटिवद्ध; शस्त्र-सम्पाते - वाण चलाने के लिए; धनुः - धनुष; उद्यम्य - ग्रहण करके, उठाकर; पाण्डवः - पाण्डुपुत्र (अर्जुन) ने; हृषीकेशम् - भगवान् कृष्ण से; तदा - उस समय; वाक्यम् - वचन; इदम् - ये; आह - कहे; मही-पते - हे राजा
भावार्थ उस समय हनुमान से अंकित ध्वजा लगे रथ पर आसीन पाण्डुपुत्र अर्जुन अपना धनुष उठा कर तीर चलाने के लिए उद्यत हुआ | हे राजन् ! धृतराष्ट्र के पुत्रों को व्यूह में खड़ा देखकर अर्जुन ने श्रीकृष्ण से ये वचन कहे |
तात्पर्य
युद्ध प्रारम्भ होने ही वाला था | उपर्युक्त कथन से ज्ञात होता है कि पाण्डवों की सेना कि अप्रत्याशित व्यवस्था से धृतराष्ट्र के पुत्र बहुत कुछ निरुत्साहित थे क्योंकि युद्धभूमि में पाण्डवों का निर्देशन भगवान् कृष्ण के आदेशानुसार हो रहा था | अर्जुन की ध्वजा पर हनुमान का चिन्ह भी विजय का सूचक है क्योंकि हनुमान ने राम तथा रावण युद्ध में राम कि सहायता की थी जिससे राम विजयी हुए थे | इस समय अर्जुन कि सहायता के लिए उनके रथ पर राम तथा हनुमान दोनों उपस्थित थे | भगवान् कृष्ण साक्षात् राम हैं और जहाँ भी राम रहते हैं वहाँ नित्य सेवक हनुमान होता है तथा उनकी नित्यसंगिनी, वैभव कि देवी सीता उपस्थित रहती हैं | अतः अर्जुन के लिए किसी भी शत्रु से भय का कोई कारण नहीं था | इससे भी अधिक इन्द्रियों के स्वामी भगवान् कृष्ण निर्देश देने की लिए साक्षात् उपस्थित थे | इस प्रकार अर्जुन को युद्ध करने के मामले में सारा सत्परामर्श प्राप्त था | ऐसी स्थितियों में, जिनकी व्यवस्था भगवान् ने अपने शाश्र्वत भक्त के लिए की थी, निश्चित विजय के लक्षण स्पष्ट थे | ( hseguru@yahoo.in / alstom.manojkumar@gmail.com / manojkumarhseofficer@gmail.com / hk.manojkumarhse@gmail.com / manojkumarhseprofessional@gmail.com / manojkumarhiramunidevi@gmail.com / manojkumarkameshwarsingh@gmail.com / manojpriyankajagriti@gmail.com / sushilkteacher@gmail.com / kmadhavameducation@gmail.com / +91-8252771261 / +91-8252338692 / +91-9067589585).
Chapter 1 of Bhagavad Gita: Bhagavad Gita Chapter 1 is also known as Arjun Visada Yog. Vishada / Visada means “despair”. In summary, chapter 1 of Bhagavad Gita portrays Arjuna's despair on seeing the army of Kauravas. The thought of killing his relatives makes him numb. The first sloka of Bhagavad Gita. First Shloka - Bhagavad Gita 1/1 dharma-ksetre kuru-ksetre samaveta yuyutsavah, mamakah pandavas caiva kim akurvata sanjaya # MEANING - Dhrtarastra said: O Sanjaya, after assembling in the place of pilgrimage at Kuruksetra, what did my sons and the sons of Pandu do, being desirous to fight? - 1st Shloka. Chapter 2 (Sankhya Yoga/Path of Knowledge) Summary - Rather than performing such an act it will be better to beg. Even if he was to win the battle, he will have to live with the grief of the death of Dhrirashtra's sons. He further says - I have forgotten my duty and asks Shri Krishna to lead him on the righteous path. Famous Quotes From Bhagavad Gita Soul Is Permanent. The soul is never born, it never dies having come into being once, it never ceases to be. ... Death Is Truth. ... Do Not Expect Anything. ... Soul Is Immortal. ... He, Who Knows Everything. ... Stay Away From Bad Things. ... Practice Yoga. ... Control Over Your Senses. etc. Five Topics of the Bhagavad-Gita: The Supreme Controller, the living being, material nature, time and. karma. (manojkumarkameshwarsingh@gmail.com/ manojkumarhiramunidevi@gmail.com/ +91-8252771261/ +91-8252338692/+91-9067589585).
अध्याय 1 श्लोक 4 इस सेना में भीम तथा अर्जुन के समान युद्ध करने वाले अनेक वीर धनुर्धर हैं - यथा महारथी युयुधान, विराट तथा द्रुपद ।
अध्याय 1: कुरुक्षेत्र के युद्धस्थल में सैन्यनिरीक्षण श्लोक 1 . 4 अत्र श्रूरा महेष्वासा भीमार्जुनसमा युधि | युयुधानो विराटश्र्च द्रुपदश्र्च महारथः || ४ || अत्र - यहाँ; शूराः - वीर; महा-इषु -आसा - महान धनुर्धर; भीम-अर्जुन - भीम तथा अर्जुन; समाः - के समान; युधि - युद्ध में; युयुधानः - युयुधान; विराटः - विराट; च - भी; द्रुपदः - द्रुपद; च - भी; महारथः - महान योद्धा । भावार्थ इस सेना में भीम तथा अर्जुन के समान युद्ध करने वाले अनेक वीर धनुर्धर हैं - यथा महारथी युयुधान, विराट तथा द्रुपद । तात्पर्य: यद्यपि युद्धकला में द्रोणाचार्य की महान शक्ति के समक्ष धृष्टदयुम्न महत्त्वपूर्ण बाधक नहीं था किन्तु ऐसे अनेक योद्धा थे जिनसे भय था । दुर्योधन इन्हें विजय-पथ में अत्यन्त बाधक बताता है क्योंकि इनमें से प्रत्येक योद्धा भीम तथा अर्जुन के समान दुर्जेय था । उसे भीम तथा अर्जुन के बल का ज्ञान था, इसीलिए वह अन्यों की तुलना इन दोनों से करता है । ( manojkumarhiramunidevi@gmail.com / manojkumarkameshwarsingh@gmail.com / manojpriyankajagriti@gmail.com / sushilkteacher@gmail.com / kmadhavameducation@gmail.com / +91-8252771261 / +91-8252338692/ +91-9067589585).
Bhagavad Gita Chapter 1 is also known as Arjun Visada Yog. Vishada / Visada means “despair”. In summary, chapter 1 of Bhagavad Gita portrays Arjuna's despair on seeing the army of Kauravas. The thought of killing his relatives makes him numb. The Bhagavad Gita is a poem written in the Sanskrit language. Its 700 verses are structured into several ancient Indian poetic meters, with the principal being the shloka (Anushtubh chanda). It has 18 chapters in total. First Shloka - Bhagavad Gita 1/1 dharma-ksetre kuru-ksetre samaveta yuyutsavah, mamakah pandavas caiva kim akurvata sanjaya # MEANING - Dhrtarastra said: O Sanjaya, after assembling in the place of pilgrimage at Kuruksetra, what did my sons and the sons of Pandu do, being desirous to fight? - 1st Shloka. Chapter 2 (Sankhya Yoga/Path of Knowledge) Summary - Rather than performing such an act it will be better to beg. Even if he was to win the battle, he will have to live with the grief of the death of Dhrirashtra's sons. He further says - I have forgotten my duty and asks Shri Krishna to lead him on the righteous path. Bhagavad Gita: 18 Chapters, 700 Verses Chapter 1: Arjuna Vishada Yoga. Chapter 2: Sankhya Yoga. Chapter 3: Karma Yoga. Chapter 4: Jnana Yoga. Chapter 5: Karma Sanyāsa Yoga. Chapter 6: Dhyana Yoga. Chapter 7: Vijnana Yoga. Chapter 8: Akṣhara Parabrahma Yoga. etc. [ KMADHAVAMEDUCATION@GMAIL.COM ( E-Mail ID for Proposed Educational Institution)/ +91-8252771261/ Address: C/O Late Sri Kameshwar Singh and Late Smt. Hiramuni Devi, Saraswati Nagar(Tara Nagar),Near BHU Gate No.-04, Village- Chittupur, PO-BHU,Lanka, Benaras(Uttar-Pradesh)/ Other E-Mail IDs: manojkumarkameshwarsingh@gmail.com/ manojkumarhiramunidevi@gmail.com/ manojpriyankajagriti@gmail.com].
खूप छान अनेक बारकाव्यांसह सुंदर विवेचन. धन्यवाद
🙏🏻🙏🏻🙏🏻🌹🌹❤️ॐ नमो भगवते वासुदेवाय 🙏🏻🙏🏻🙏🏻
खुप छान विवेचन 🙏🙏👍
खूप छान 👌🏽
खूप छान.ऐकत रहावं वाटत.
Jai shree Krishna... Jai shree Ram.
जय श्री कृष्णा 🙏🙏🙏🌹🌹
छान। पुनःपुनः ऐक ले तेव्हा
गर्भितार्थः समजू लागला।
नमोनमः। ताई!
खूप छान, परत परत ऐकावे ऐकत राहावे
अतिशय मधुर वाणी आणी समजवण्याची पध्दत अतिशय सोपी आहे.
Khoop sundar 🙏🏻 khoop chan samjavun sangitala ahe
खूपच छान विवेचन झाले ताई ऐकत रहावेसे असे वाटत होते. प्रत्यक्षात चितंनात संवाद होत आहे समोर भगवंत व अर्जुन आहे त्यांना नमस्कार
छान विश्लेषण केले आहे
खूप छान विवेचन .
वा वा ताई खुपचं छान धन्यवाद ताई आणि नमस्कार 🙏🏻🙏🏻
ऐकत राहावं. खुप सुंदर विवेचन 👍👌🏻खुप छान, धन्यवाद 🙏🙏🌹🌹
खूप सुंदर ऐकत रहावं असं सांगितलं 👌👌
खरं आहे.
आज संपूर्ण अध्यायाचा एकत्रित अर्थ संदर्भातील विवेचनासह ऎकताना अतिशय समाधान मिळाले. कानाला इअरफोन लावून ऎकताना वैयक्तिक मलाच समजावून सांगत आहात असा भास झाला. खूपच छान. धन्यवाद मानसीताई
I hear this through headphone, I feel that you are talking with me only. very nice explanation.
Nicely narrated and well explained
खूप छान।अर्जुनाच्या विचार
धन्यवादसरणतिल दोष छान पद्धतीने सांगितले त आपण।
Nice explanation 🙏🙏🙏
खूप छान
धन्यवाद
खुप सुंदर. नमस्कार.
ॐ
सौ. मानसी ताई, तुम्हांला विनम्र नमस्कार, आपला गीते वरचा व्यासंग, अभ्यास खूप आहे, मी दिनांक 23-11-22 पासून आपल्या गीतेच्या सहवासात आहे, आपले शिकवणे अप्रतिम आहे, पण माझी अशी मागणी आहे की प्रत्येक गीता अध्याय मधील शेवटचे श्लोक 7-8 याचा अर्थ लगेच सम्पवतात, ही तक्रार नाहीं पण विनम्र प्रार्थना आहे की हें श्लोक आपण खूप चांगले समजावून देऊ शकतात, हें ज्ञान, हें दान सर्वांना मिळावे, ही नम्र विंनती,
मी,सौ. माधुरी होनप,आज तुमचे १४ व्या अध्यायाचे विवेचन ऐक ले.खूपच आवडले.तुम्हाला खूप खूप धन्यवाद आणि अनेक अनेक अनेक शुभेच्छा!
Khup chan, tumchi link ahe ka
गीतेतील प्रत्येक श्लोकची संथा,संधी विग्रह,अन्वय, अर्थ आणि विवरण अशी प्रत्येक अध्यायाची link खाली देत आहे. Link वर click केले की तो अध्याय उघडेल.
#गीता अध्याय 1 ला लिंक खाली दिली आहे
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गीता संथा अध्याय 13 वा लिंक खाली दिलेली आहे.
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खूप छान 👌👌💐
धन्यवाद🙏🙏🙏
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"The Divine Song of God Series."
अध्याय 1 श्लोक 20
उस समय हनुमान से अंकित ध्वजा लगे रथ पर आसीन पाण्डुपुत्र अर्जुन अपना धनुष उठा कर तीर चलाने के लिए उद्यत हुआ | हे राजन् ! धृतराष्ट्र के पुत्रों को व्यूह में खड़ा देखकर अर्जुन ने श्रीकृष्ण से ये वचन कहे |
अध्याय 1: कुरुक्षेत्र के युद्धस्थल में सैन्यनिरीक्षण
श्लोक 1 . 20
अथ व्यवस्थितान्दृष्टवा धार्तराष्ट्रान्कपिध्वजः |
प्रवृत्ते शस्त्रसम्पाते धनुरुद्यम्य पाण्डवः |
हृषीकेशं तदा वाक्यमिदमाह महीपते || २० ||
अथ - तत्पशचात्; व्यवस्थितान् - स्थित; दृष्ट्वा - देखकर; धार्तराष्ट्रान् - धृतराष्ट्र के पुत्रों को; कपिध्वजः - जिसकी पताका पर हनुमान अंकित है; प्रवृत्ते - कटिवद्ध; शस्त्र-सम्पाते - वाण चलाने के लिए; धनुः - धनुष; उद्यम्य - ग्रहण करके, उठाकर; पाण्डवः - पाण्डुपुत्र (अर्जुन) ने; हृषीकेशम् - भगवान् कृष्ण से; तदा - उस समय; वाक्यम् - वचन; इदम् - ये; आह - कहे; मही-पते - हे राजा
भावार्थ
उस समय हनुमान से अंकित ध्वजा लगे रथ पर आसीन पाण्डुपुत्र अर्जुन अपना धनुष उठा कर तीर चलाने के लिए उद्यत हुआ | हे राजन् ! धृतराष्ट्र के पुत्रों को व्यूह में खड़ा देखकर अर्जुन ने श्रीकृष्ण से ये वचन कहे |
तात्पर्य
युद्ध प्रारम्भ होने ही वाला था | उपर्युक्त कथन से ज्ञात होता है कि पाण्डवों की सेना कि अप्रत्याशित व्यवस्था से धृतराष्ट्र के पुत्र बहुत कुछ निरुत्साहित थे क्योंकि युद्धभूमि में पाण्डवों का निर्देशन भगवान् कृष्ण के आदेशानुसार हो रहा था | अर्जुन की ध्वजा पर हनुमान का चिन्ह भी विजय का सूचक है क्योंकि हनुमान ने राम तथा रावण युद्ध में राम कि सहायता की थी जिससे राम विजयी हुए थे | इस समय अर्जुन कि सहायता के लिए उनके रथ पर राम तथा हनुमान दोनों उपस्थित थे | भगवान् कृष्ण साक्षात् राम हैं और जहाँ भी राम रहते हैं वहाँ नित्य सेवक हनुमान होता है तथा उनकी नित्यसंगिनी, वैभव कि देवी सीता उपस्थित रहती हैं | अतः अर्जुन के लिए किसी भी शत्रु से भय का कोई कारण नहीं था | इससे भी अधिक इन्द्रियों के स्वामी भगवान् कृष्ण निर्देश देने की लिए साक्षात् उपस्थित थे | इस प्रकार अर्जुन को युद्ध करने के मामले में सारा सत्परामर्श प्राप्त था | ऐसी स्थितियों में, जिनकी व्यवस्था भगवान् ने अपने शाश्र्वत भक्त के लिए की थी, निश्चित विजय के लक्षण स्पष्ट थे |
( hseguru@yahoo.in / alstom.manojkumar@gmail.com / manojkumarhseofficer@gmail.com / hk.manojkumarhse@gmail.com / manojkumarhseprofessional@gmail.com / manojkumarhiramunidevi@gmail.com / manojkumarkameshwarsingh@gmail.com / manojpriyankajagriti@gmail.com / sushilkteacher@gmail.com / kmadhavameducation@gmail.com / +91-8252771261 / +91-8252338692 / +91-9067589585).
Chapter 1 of Bhagavad Gita:
Bhagavad Gita Chapter 1 is also known as Arjun Visada Yog. Vishada / Visada means “despair”. In summary, chapter 1 of Bhagavad Gita portrays Arjuna's despair on seeing the army of Kauravas. The thought of killing his relatives makes him numb.
The first sloka of Bhagavad Gita.
First Shloka - Bhagavad Gita 1/1
dharma-ksetre kuru-ksetre samaveta yuyutsavah, mamakah pandavas caiva kim akurvata sanjaya # MEANING - Dhrtarastra said: O Sanjaya, after assembling in the place of pilgrimage at Kuruksetra, what did my sons and the sons of Pandu do, being desirous to fight? - 1st Shloka.
Chapter 2 (Sankhya Yoga/Path of Knowledge) Summary -
Rather than performing such an act it will be better to beg. Even if he was to win the battle, he will have to live with the grief of the death of Dhrirashtra's sons. He further says - I have forgotten my duty and asks Shri Krishna to lead him on the righteous path.
Famous Quotes From Bhagavad Gita
Soul Is Permanent. The soul is never born, it never dies having come into being once, it never ceases to be. ...
Death Is Truth. ...
Do Not Expect Anything. ...
Soul Is Immortal. ...
He, Who Knows Everything. ...
Stay Away From Bad Things. ...
Practice Yoga. ...
Control Over Your Senses.
etc.
Five Topics of the Bhagavad-Gita:
The Supreme Controller,
the living being,
material nature,
time and.
karma.
(manojkumarkameshwarsingh@gmail.com/ manojkumarhiramunidevi@gmail.com/ +91-8252771261/ +91-8252338692/+91-9067589585).
ज्ञान प्राप्त करण्यासाठी आपणास भेटण्याची इच्छा आहे. पत्ता कळल्यास आभारी राहीन
तुमचा फोन नंबर कळवा मी फोन करीन तुम्हाला.
गीता संथा वर्ग ऑनलाईन घेतात का
हो
वरील टिपण्णी.. सौ जयश्री कुलकर्णी, रा. ओरंगाबाद वय 70 असून याबाबत गैरसमज करून घेऊ नये मला ते ज्ञान , सम्पूर्ण पाहिजे, ही नम्र विंनती.
अध्याय 1 श्लोक 4
इस सेना में भीम तथा अर्जुन के समान युद्ध करने वाले अनेक वीर धनुर्धर हैं - यथा महारथी युयुधान, विराट तथा द्रुपद ।
अध्याय 1: कुरुक्षेत्र के युद्धस्थल में सैन्यनिरीक्षण
श्लोक 1 . 4
अत्र श्रूरा महेष्वासा भीमार्जुनसमा युधि |
युयुधानो विराटश्र्च द्रुपदश्र्च महारथः || ४ ||
अत्र - यहाँ; शूराः - वीर; महा-इषु -आसा - महान धनुर्धर; भीम-अर्जुन - भीम तथा अर्जुन; समाः - के समान; युधि - युद्ध में; युयुधानः - युयुधान; विराटः - विराट; च - भी; द्रुपदः - द्रुपद; च - भी; महारथः - महान योद्धा ।
भावार्थ
इस सेना में भीम तथा अर्जुन के समान युद्ध करने वाले अनेक वीर धनुर्धर हैं - यथा महारथी युयुधान, विराट तथा द्रुपद ।
तात्पर्य:
यद्यपि युद्धकला में द्रोणाचार्य की महान शक्ति के समक्ष धृष्टदयुम्न महत्त्वपूर्ण बाधक नहीं था किन्तु ऐसे अनेक योद्धा थे जिनसे भय था । दुर्योधन इन्हें विजय-पथ में अत्यन्त बाधक बताता है क्योंकि इनमें से प्रत्येक योद्धा भीम तथा अर्जुन के समान दुर्जेय था । उसे भीम तथा अर्जुन के बल का ज्ञान था, इसीलिए वह अन्यों की तुलना इन दोनों से करता है ।
( manojkumarhiramunidevi@gmail.com / manojkumarkameshwarsingh@gmail.com / manojpriyankajagriti@gmail.com / sushilkteacher@gmail.com / kmadhavameducation@gmail.com / +91-8252771261 / +91-8252338692/ +91-9067589585).
धन्यवाद
Bhagavad Gita Chapter 1 is also known as Arjun Visada Yog. Vishada / Visada means “despair”. In summary, chapter 1 of Bhagavad Gita portrays Arjuna's despair on seeing the army of Kauravas. The thought of killing his relatives makes him numb.
The Bhagavad Gita is a poem written in the Sanskrit language. Its 700 verses are structured into several ancient Indian poetic meters, with the principal being the shloka (Anushtubh chanda). It has 18 chapters in total.
First Shloka - Bhagavad Gita 1/1
dharma-ksetre kuru-ksetre samaveta yuyutsavah, mamakah pandavas caiva kim akurvata sanjaya # MEANING - Dhrtarastra said: O Sanjaya, after assembling in the place of pilgrimage at Kuruksetra, what did my sons and the sons of Pandu do, being desirous to fight? - 1st Shloka.
Chapter 2 (Sankhya Yoga/Path of Knowledge) Summary -
Rather than performing such an act it will be better to beg. Even if he was to win the battle, he will have to live with the grief of the death of Dhrirashtra's sons. He further says - I have forgotten my duty and asks Shri Krishna to lead him on the righteous path.
Bhagavad Gita: 18 Chapters, 700 Verses
Chapter 1: Arjuna Vishada Yoga.
Chapter 2: Sankhya Yoga.
Chapter 3: Karma Yoga.
Chapter 4: Jnana Yoga.
Chapter 5: Karma Sanyāsa Yoga.
Chapter 6: Dhyana Yoga.
Chapter 7: Vijnana Yoga.
Chapter 8: Akṣhara Parabrahma Yoga.
etc.
[ KMADHAVAMEDUCATION@GMAIL.COM ( E-Mail ID for Proposed Educational Institution)/ +91-8252771261/ Address: C/O Late Sri Kameshwar Singh and Late Smt. Hiramuni Devi, Saraswati Nagar(Tara Nagar),Near BHU Gate No.-04, Village- Chittupur, PO-BHU,Lanka, Benaras(Uttar-Pradesh)/ Other E-Mail IDs: manojkumarkameshwarsingh@gmail.com/ manojkumarhiramunidevi@gmail.com/ manojpriyankajagriti@gmail.com].