पार्वतीजी का महादेव से काकभुशुण्डि-गरुड़ संवाद के बारे में प्रश्न
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- เผยแพร่เมื่อ 15 ธ.ค. 2024
- गिरिजा सुनहु बिसद यह कथा। मैं सब कही मोरि मति जथा॥
राम चरित सत कोटि अपारा। श्रुति सारदा न बरनै पारा॥1॥
भावार्थ:-(शिवजी कहते हैं-) हे गिरिजे! सुनो, मैंने यह उज्ज्वल कथा, जैसी मेरी बुद्धि थी, वैसी पूरी कह डाली। श्री रामजी के चरित्र सौ करोड़ (अथवा) अपार हैं। श्रुति और शारदा भी उनका वर्णन नहीं कर सकते॥1॥
राम अनंत अनंत गुनानी। जन्म कर्म अनंत नामानी॥
जल सीकर महि रज गनि जाहीं। रघुपति चरित न बरनि सिराहीं॥2॥
भावार्थ:-भगवान् श्री राम अनंत हैं, उनके गुण अनंत हैं, जन्म, कर्म और नाम भी अनंत हैं। जल की बूँदें और पृथ्वी के रजकण चाहे गिने जा सकते हों, पर श्री रघुनाथजी के चरित्र वर्णन करने से नहीं चूकते॥2॥
बिमल कथा हरि पद दायनी। भगति होइ सुनि अनपायनी॥
उमा कहिउँ सब कथा सुहाई। जो भुसुंडि खगपतिहि सुनाई॥3॥
भावार्थ:-यह पवित्र कथा भगवान् के परम पद को देने वाली है। इसके सुनने से अविचल भक्ति प्राप्त होती है। हे उमा! मैंने वह सब सुंदर कथा कही जो काकभुशुण्डिजी ने गरुड़जी को सुनाई थी॥3॥
कछुक राम गुन कहेउँ बखानी। अब का कहौं सो कहहु भवानी॥
सुनि सुभ कथा उमा हरषानी। बोली अति बिनीत मृदु बानी॥4॥
भावार्थ:-मैंने श्री रामजी के कुछ थोड़े से गुण बखान कर कहे हैं। हे भवानी! सो कहो, अब और क्या कहूँ? श्री रामजी की मंगलमयी कथा सुनकर पार्वतीजी हर्षित हुईं और अत्यंत विनम्र तथा कोमल वाणी बोलीं-॥4॥
धन्य धन्य मैं धन्य पुरारी। सुनेउँ राम गुन भव भय हारी॥5॥
भावार्थ:-हे त्रिपुरारि। मैं धन्य हूँ, धन्य-धन्य हूँ जो मैंने जन्म-मृत्यु के भय को हरण करने वाले श्री रामजी के गुण (चरित्र) सुने॥5॥
दोहा :
तुम्हरी कृपाँ कृपायतन अब कृतकृत्य न मोह।
जानेउँ राम प्रताप प्रभु चिदानंद संदोह॥52 क॥
भावार्थ:-हे कृपाधाम। अब आपकी कृपा से मैं कृतकृत्य हो गई। अब मुझे मोह नहीं रह गया। हे प्रभु! मैं सच्चिदानंदघन प्रभु श्री रामजी के प्रताप को जान गई॥52 (क)॥
*नाथ तवानन ससि स्रवत कथा सुधा रघुबीर।
श्रवन पुटन्हि मन पान करि नहिं अघात मतिधीर॥52 ख॥
भावार्थ:-हे नाथ! आपका मुख रूपी चंद्रमा श्री रघुवीर की कथा रूपी अमृत बरसाता है। हे मतिधीर मेरा मन कर्णपुटों से उसे पीकर तृप्त नहीं होता॥52 (ख)॥
चौपाई :
राम चरित जे सुनत अघाहीं। रस बिसेष जाना तिन्ह नाहीं॥
जीवनमुक्त महामुनि जेऊ। हरि गुन सुनहिं निरंतर तेऊ॥1॥
भावार्थ:-श्री रामजी के चरित्र सुनते-सुनते जो तृप्त हो जाते हैं (बस कर देते हैं), उन्होंने तो उसका विशेष रस जाना ही नहीं। जो जीवन्मुक्त महामुनि हैं, वे भी भगवान् के गुण निरंतर सुनते रहते हैं॥1॥
भव सागर चह पार जो पावा। राम कथा ता कहँ दृढ़ नावा॥
बिषइन्ह कहँ पुनि हरि गुन ग्रामा। श्रवन सुखद अरु मन अभिरामा॥2॥
भावार्थ:-जो संसार रूपी सागर का पार पाना चाहता है, उसके लिए तो श्री रामजी की कथा दृढ़ नौका के समान है। श्री हरि के गुणसमूह तो विषयी लोगों के लिए भी कानों को सुख देने वाले और मन को आनंद देने वाले हैं॥2॥
श्रवनवंत अस को जग माहीं। जाहि न रघुपति चरित सोहाहीं॥
ते जड़ जीव निजात्मक घाती। जिन्हहि न रघुपति कथा सोहाती॥3॥
भावार्थ:-जगत् में कान वाला ऐसा कौन है, जिसे श्री रघुनाथजी के चरित्र न सुहाते हों। जिन्हें श्री रघुनाथजी की कथा नहीं सुहाती, वे मूर्ख जीव तो अपनी आत्मा की हत्या करने वाले हैं॥3॥
हरिचरित्र मानस तुम्ह गावा। सुनि मैं नाथ अमिति सुख पावा॥
तुम्ह जो कही यह कथा सुहाई। कागभुशण्डि गरुड़ प्रति गाई॥4॥
भावार्थ:-हे नाथ! आपने श्री रामचरित्र मानस का गान किया, उसे सुनकर मैंने अपार सुख पाया। आपने जो यह कहा कि यह सुंदर कथा काकभुशुण्डिजी ने गरुड़जी से कही थी-॥4॥
दोहा :
बिरति ग्यान बिग्यान दृढ़ राम चरन अति नेह।
बायस तन रघुपति भगति मोहि परम संदेह॥53॥
भावार्थ:-सो कौए का शरीर पाकर भी काकभुशुण्डि वैराग्य, ज्ञान और विज्ञान में दृढ़ हैं, उनका श्री रामजी के चरणों में अत्यंत प्रेम है और उन्हें श्री रघुनाथजी की भक्ति भी प्राप्त है, इस बात का मुझे परम संदेह हो रहा है॥53॥
चौपाई :
नर सहस्र महँ सुनहु पुरारी। कोउ एक होई धर्म ब्रतधारी॥
धर्मसील कोटिक महँ कोई। बिषय बिमुख बिराग रत होई॥1॥
भावार्थ:-हे त्रिपुरारि! सुनिए, हजारों मनुष्यों में कोई एक धर्म के व्रत का धारण करने वाला होता है और करोड़ों धर्मात्माओं में कोई एक विषय से विमुख (विषयों का त्यागी) और वैराग्य परायण होता है॥1॥
*कोटि बिरक्त मध्य श्रुति कहई। सम्यक ग्यान सकृत कोउ लहई॥
ग्यानवंत कोटिक महँ कोऊ। जीवनमुक्त सकृत जग सोऊ॥2॥
भावार्थ:-श्रुति कहती है कि करोड़ों विरक्तों में कोई एक ही सम्यक् (यथार्थ) ज्ञान को प्राप्त करता है और करोड़ों ज्ञानियों में कोई एक ही जीवन मुक्त होता है। जगत् में कोई विरला ही ऐसा (जीवन मुक्त) होगा॥2॥
तिन्ह सहस्र महुँ सबसुख खानी। दुर्लभ ब्रह्म लीन बिग्यानी॥
धर्मसील बिरक्त अरु ग्यानी। जीवनमुक्त ब्रह्मपर प्रानी॥3॥
भावार्थ:-हजारों जीवन मुक्तों में भी सब सुखों की खान, ब्रह्म में लीन विज्ञानवान् पुरुष और भी दुर्लभ है। धर्मात्मा, वैराग्यवान्, ज्ञानी, जीवन मुक्त और ब्रह्मलीन-॥3॥
*सत ते सो दुर्लभ सुरराया। राम भगति रत गत मद माया॥
सो हरिभगति काग किमि पाई। बिस्वनाथ मोहि कहहु बुझाई॥4॥
भावार्थ:-इन सबमें भी हे देवाधिदेव महादेवजी! वह प्राणी अत्यंत दुर्लभ है जो मद और माया से रहित होकर श्री रामजी की भक्ति के परायण हो। हे विश्वनाथ! ऐसी दुर्लभ हरि भक्ति को कौआ कैसे पा गया, मुझे समझाकर कहिए॥4॥
दोहा :
राम परायन ग्यान रत गुनागार मति धीर।
नाथ कहहु केहि कारन पायउ काक सरीर॥54॥
भावार्थ:-हे नाथ! कहिए, (ऐसे) श्री रामपरायण, ज्ञाननिरत, गुणधाम और धीरबुद्धि भुशुण्डिजी ने कौए का शरीर किस कारण पाया?॥54॥
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।ॐ नमः शिवाय ॐ।।
जय सियाराम 💝❣️💝 जय सियाराम
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Jay mata parvati mahadev ki
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बहुत सुंदर गान जय श्री राम
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Jay shree krishna jamavwnti ji ki
सदगुरुदेव भगवान श्री रामकिंकर को मेरा कोटि कोटि प्रणाम 🙏🏻 जय सियाराम 🙏🏻
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जय श्री राम हर हर महादेव
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जय शिव शंभु 👏👏
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जय श्री सिताराम
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यहीं सही जीवन है। चौपाई गान।सीता राम ॐ।।
Siyawar Ramchandra ki Jay.
Bahut bahut dhanyvad
।।जय सियाराम।।जय सियाराम।।जय सियाराम।।
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Jai Jai .....!
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रामाय रामभद्राय रामचन्द्राय वेधसे।
रघुनाथाय नाथाय सीताये पतये नमः।।🚩🙏
Ramcharit je sunat aghahin.
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JAY SHRI SITA-RAM
Jay Shree Sita-Ram 🙏
जय श्री राम जय हनुमान जय गोस्वामी तुलसीदास जी महाराज की जय हो ।हर हर महादेव ।🙏🙏🚩
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सियावर राम चंद्र की जय
Jay Shri Ram
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Jai Jai Shree Ram 🙏
मेरे राम
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Jay Shree Ram..Jay Gouri Shankar🙏🙏
अति सुन्दर ढंग से व्यक्त की गई है। रामचरितमानस कथा।
Jai Shri Ram 🙏🙏🙏
🌹🙏जय सियाराम🙏🌹
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Jai Jai Shree SitaRam Ji ki! 🙏🙏🙏🙏🙏
Jay shri umapati mahadev ji ki jay kagbhusundi garun ji ki
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Ati sundar
Jai Shree Ram 🙏 Radhe Radhe 🌹
अति मार्मिक गायन 🙏🌺🌺🙏
Jai shree ram.🌺🌸🌺🙏
जय जय श्रीराम 🙏
Jaldi se iske baad ka upload kariye pleaseeeee! 🙏
Jay shri sitaram ji sarkar ki
So beautiful
Thank you so much
*Shiva Shiv Bhushundi Garud Yagyavalkya Bhardwaj sabhi dhanya aur Karuna Saagar hain*
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सूंदर कांड का लिंक भी भेज दे तो बहुत बहुत महेरबानी होगी आपकी
We are Amritasya putrah😀
अर्थ सहित सुनाइए?
अर्थसहित भी लगाऊंगा जल्दी ही।
🏳🌈💕💘💖💟💟💖📹☎🚚🪀🏑
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जय श्रीराम
श्री राम जय राम जय जय राम
Har har mahadev
जय श्री राम
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Jai SiyaRam Jiki
🙏🙏🙏🙏🙏
जय श्री कृष्ण
जय श्री गौरीशंकर
जय सियाराम
जय श्री राम🙏🙏🙏🙏
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