Vaccine Maitri: India's Vaccine Story (H)

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  • เผยแพร่เมื่อ 11 เม.ย. 2023
  • क्या आप जानते हैं, कि टीके सालाना 30 लाख लोगों की जान बचाते हैं? स्वास्थ्य जगत में टीकों ने कई बीमारियों खासकर चेचक का सफाया कर दिया है, पोलियो को उन्मूलन के कगार पर धकेल दिया है और अब मानव जाति के साथ संघर्ष में खुद का वजूद बनाए रखने के लिए लगातार अपना रूप बदलने वाले काविड-19 के मुकाबले में टीके अहम हथियार साबित हो रहे हैं।
    लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन से पब्लिक हैल्थ में पीएचडी और वर्तमान में अतिरिक्त सचिव, व्यय विभाग, भारत सरकार में कार्यरत सज्जन सिंह यादव (आईएएस), द्वारा लिखी गई एक नई किताब 'भारत की वैक्सीन विकास यात्रा' भारत में टीकाकरण के इतिहास की आश्चर्यजनक जानकारी देती है।
    1796 में पश्चिम जगत द्वारा टीकों की खोज से सदियों पहले भारतीयों द्वारा टीके का इस्तेमाल किया जा रहा था। भारत की वैक्सीन ग्रोथ स्टोरी जेनेरियन युग से लेकर कोविड-19 महामारी तक के टीकों की यात्रा की जानकारी देती है, जिसमें भारतीय और वैश्विक दृष्टिकोण से टीकों के कई पहलुओं को शामिल किया गया है। ये किताब पाठको को दुनिया के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान को क्रियान्वित करने के भारत के रोमांचक और सुनियोजित प्रयास के बारे में जानकारी देती है।
    भारत ने कोविड-19 वैक्सीन बनाने और उपयोग करने के लिए बहुत से उपकरणों का इस्तेमाल किया, क्या अब इससे भारत वैक्सीन निर्माण का हब बन सकेगा, क्योंकि देश को पहले से ही ' फार्मेसी ऑफ द वर्ल्ड' का तमगा मिला हुआ है। कोई सोच भी नहीं सकता था, कि 130 करोड़ की आबादी वाला देश, कोविड-19 के खिलाफ इतनी जल्दी और इतनी प्रभावी ढंग से सार्वभौमिक टीकाकरण अभियान शुरू कर सकेगा। भारत ने कोविड-19 के खिलाफ टीके की दो अरब से अधिक खुराक अपने नागरिकों को दी है, जो भारत के इतिहास में एक अद्वितीय उपलब्धि है। इसके अलावा भारत ने दुनिया भर के लगभग 100 देशों को टीकों की 1 करोड़ 60 लाख से अधिक खुराक भी वितरित की है। देश में 'नोवेल कोरोना वायरस' का पहला मामला 30 जनवरी, 2020 को सामने आया था और एक साल से भी कम समय में भारत ने अपना पहला टीका तैयार कर लिया था। आम तौर पर एक नए टीके को विकसित करने और लोगों तक उसका लाभ पहुंचाने में एक दशक से अधिक का समय लगता है। इसके अलावा अधिकांश टीकों को पहले ज्यादा उन्नत देशों में विकसित किया जाता है और फिर नए टीकों को भारत जैसे विकासशील देशों तक आने में वर्षों लग जाते हैं। आज भारत में न केवल ब्रिटिश निर्मित कोविशील्ड वैक्सीन के उत्पादन में तेजी आई, बल्कि भारत बायोटेक प्राइवेट लिमिटेड, हैदराबाद द्वारा कोवाक्सिन का विकास भी एक अनूठी भारतीय कामयाबी की कहानी है।
  • วิทยาศาสตร์และเทคโนโลยี

ความคิดเห็น • 3

  • @nandanm3826
    @nandanm3826 ปีที่แล้ว

    Thank you for sharing.

  • @anuj4767
    @anuj4767 ปีที่แล้ว

    🎉