Sukanya Samriddhi || इस सरकारी योजना से मुफ़्त में मिल सकते हैं पैसे || गाँव TOP TRENDS
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- เผยแพร่เมื่อ 15 ก.ย. 2024
- Government Scheme || इस सरकारी योजना से मुफ़्त में मिल सकते हैं पैसे || गाँव TOP TRENDS
सुकन्या समृद्धि योजना के नियमों में बदलाव
सरकार ने सुकन्या समृद्धि योजना के नियमों में बदलाव किए हैं, जो 1 अक्टूबर 2024 से लागू होंगे। अब इस योजना के तहत बेटी के नाम से खाता केवल उसके कानूनी अभिभावक या नेचुरल पेरेंट्स ही खुलवा सकेंगे। नए नियमों के अनुसार, जो व्यक्ति कानूनी रूप से अभिभावक नहीं है, उसे खाता ट्रांसफर करना होगा, वरना खाता बंद किया जा सकता है।
बच्चियों के खातों पर नए नियमों का असर
सुकन्या योजना के तहत अब बच्ची का खाता चाचा-चाची, दादा-दादी या अन्य रिश्तेदार नहीं खुलवा पाएंगे। पहले 18 साल की उम्र तक ये खाता रिश्तेदारों द्वारा खुलवाया जाता था, जिसे बालिग होने पर बच्ची के नाम ट्रांसफर किया जाता था। नए नियमों के बाद केवल कानूनी रूप से अभिभावक ही खाता खोल सकेंगे।सुकन्या समृद्धि योजना के माध्यम से बेटी की उच्च शिक्षा और शादी के लिए एक बड़ी धनराशि जमा की जा सकती है। यह योजना बेटियों के लिए सुरक्षित निवेश का विकल्प है, जिससे अभिभावक बेटी के भविष्य के लिए तैयारी कर सकते हैं।
गमले में उगा सकते हैं काली मिर्च
काली मिर्च का पौधा घर के गमले में आसानी से उगाया जा सकता है। इसके लिए मध्यम आकार का गमला चुनें और उसमें मिट्टी और गोबर की खाद मिक्स करके भरें। पौधा अच्छी तरह फैल सके, इसके लिए सही आकार और गुणवत्ता का बीज चुनना जरूरी है। बीज को मिट्टी में दबाकर पानी डालें और उचित देखभाल करें।
ऐसे करें पौधे की सही देखभाल
काली मिर्च के पौधे को नियमित पानी और हर 15 दिन में जैविक खाद की जरूरत होती है। पौधे के 2-3 इंच बढ़ने पर पानी की मात्रा घटा दें और सप्ताह में एक या दो बार ही पानी दें। इसके साथ ही, पौधों को मौसमी कीड़ों से बचाने के लिए कीटनाशक स्प्रे का उपयोग करें। घर के गमले में काली मिर्च के पौधे का बीज लगाने के लगभग 8 से 10 महीने बाद इसके पौधे में आपको फल दिखाई देने लगेंगे। अब आपको इसके बीच तोड़कर कुछ दिनों के लिए धूप में रख देने हैं।
केले की खेती में जलभराव से बचें
मानसून के मौसम में केले की खेती में जलभराव, फंगल संक्रमण और पोषक तत्वों के रिसाव जैसी चुनौतियां उत्पन्न होती हैं। इन समस्याओं से बचने के लिए, अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी और उपयुक्त स्थल का चयन करना आवश्यक है। भारी बारिश से पोषक तत्वों का रिसाव होने पर फसल के लिए मृदा प्रबंधन महत्वपूर्ण हो जाता है, ताकि पौधों की पोषक तत्वों की आवश्यकताओं को पूरा किया जा सके।
मैदानी राज्यों में भी सेब की खेती
अब आप उत्तर प्रदेश, बिहार जैसे मैदानी राज्यों में भी सेब की खेती कर सकते हैं। भारतीय कृषि प्रणाली अनुसंधान संस्थान ने सेब की फसल को मैदानी क्षेत्रों में लोकप्रिय बनाने के लिए नई प्रजाति तैयार की है। इनमें फूल आने के लिए 250- 300 सर्दी की ज़रूरत होती है, कम शीतलन की ज़रूरत वाली प्रजातियों में अन्ना, डॉर्सेट गोल्डन, एचआर एमएन-99, इन शेमर, माइकल, बेबर्ली हिल्स, पार्लिन्स ब्यूटी, ट्रापिकल ब्यूटी, पेटेगिल, तम्मा शामिल हैं।
उत्तर-पश्चिम भारत में भारी बारिश का अलर्ट
मौसम विभाग ने 7 सितंबर को पूर्वी राजस्थान, जम्मू, हिमाचल प्रदेश, और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भारी बारिश की चेतावनी जारी की है। इसके अलावा, 9-10 सितंबर को उत्तराखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में मूसलाधार बारिश होने की संभावना है। विभाग ने इन क्षेत्रों में बाढ़ और जलभराव की चेतावनी भी दी है। स्थानीय प्रशासन को सतर्क रहने की सलाह दी गई है।
महाराष्ट्र में मूसलाधार वर्षा की संभावना
मौसम विभाग के अनुसार, 7 से 9 सितंबर के बीच गुजरात, सौराष्ट्र, कच्छ और कोंकण-गोवा में भारी बारिश हो सकती है। साथ ही, मध्य महाराष्ट्र और विदर्भ में भी अगले कुछ दिनों में भारी वर्षा की चेतावनी जारी की गई है। इन इलाकों में किसानों को फसलों की सुरक्षा को लेकर सतर्कता बरतने की सलाह दी गई है। कुछ क्षेत्रों में पानी की निकासी की समस्याओं को लेकर भी चेतावनी दी गई है।
दक्षिण भारत में तेज बारिश का पूर्वानुमान
8 से 10 सितंबर के दौरान तेलंगाना, तटीय आंध्र प्रदेश, और तटीय कर्नाटक में भारी बारिश हो सकती है। इसी समय केरल के विभिन्न हिस्सों में भी भारी वर्षा की संभावना जताई गई है। मौसम विभाग ने इन राज्यों में बिजली गिरने और तेज हवाओं के साथ बारिश की चेतावनी भी दी है। लोगों से सुरक्षित स्थानों पर रहने की अपील की गई है।
पूर्वी भारत में मूसलाधार बारिश की चेतावनी
9 से 12 सितंबर के बीच असम, मेघालय, नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम, और त्रिपुरा में भारी बारिश होने की संभावना है। वहीं, ओडिशा, झारखंड और बिहार के कुछ हिस्सों में भी 7 से 10 सितंबर के दौरान भारी वर्षा का अनुमान है। इन इलाकों में नदियों के जलस्तर में वृद्धि की संभावना है, जिससे बाढ़ का खतरा बना हुआ है। राहत और बचाव दलों को अलर्ट पर रखा गया है।
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