अथ राग सारंग | Ath Raag Sarang | Amargranth Sahib by Sant Rampal Ji Maharaj
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- เผยแพร่เมื่อ 11 ส.ค. 2023
- अथ राग सारंग | Ath Raag Sarang | Amargranth Sahib by Sant Rampal Ji Maharaj
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मन मानसरोवर न्हान रे। जल के जंतु रहैं जल मांहीं, आठौं बखत बिहान रे।। टेक।।
लख चौरासी जल के बासी, भ्रमें चार्यौं खान रे। चेतन होय कर जड़ कूँ पूजैं, गांठ बांध पषान रे।।1।।
मरकब कहां चंदन के लेपैं, क्या गंग न्हावावें श्वान रे। सूधी होय न पूँछ तास की, छोड़त नाहीं बान्य रे।।2।।
द्वादश कोटि जहां जम किंकर, बड़े बड़े दैत्य हैवान रे। धर्मराय की दरगह मांहीं, हो रही खैंचा तान रे।।3।।
लख चौरासी कठिन त्रासी, बचन हमारा मान रे। जैसे लोह तार जंती में, ऐसे खैंचें प्रान रे।।4।।
जूनी संकट मेट देत हैं, शब्द हमारा मान रे। हरदम जाप जपौ हरि हीरा, चलना आंब दिवान रे।।5।।
स्वर्ग रसातल लोक कुसातल, रचे जमीं असमान रे। चौदह तबक किये छिन मांहीं, सृजे शशि अरु भान रे।।6।।
निर्गुण नूर जहूर जुहारो, निरख परख प्रवान रे। गरीबदास निज नाम निरंतर, सतगुरु दीन्हा दान रे।।7।।1।।
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मन मानसरोवर गंग रे। जहां का बिछुड़या तहां मिलाऊँ, सुनों शब्द प्रसंग रे।। टेक।।
दहनै गंगा बामैं जमना, मध्य सरस्वती रंग रे। कलविष कुसमल मोच होत हैं, पलपल परबी अंग रे।।1।।
काशी करोंत काहे लेही, बिना भजन नहीं ढंग रे। कोटि ग्रन्थ का यौही अर्थ है, करो साध सत्संग रे।।2।।
सूक्ष्म रूप स्वरूप सुभानं, निश्चल अचल अभंग रे। आसन असतल नहीं तास के, बाना बिरद बिनंग रे।।3।।
बिनहीं पंखौं उड़ै गगन कूँ, चालै चाल बिहंग रे। दिव्य दृष्टि तो दर्श करत है, हरदम कला उमंग रे।।4।।
परानन्दनी पारिख लीजै, मूल मंत्र ॐ अंग रे। गायत्री गलतान ध्यान है, सोहं सुरति सुहंग रे।।5।।
अजपा जाप जपौ निश बासर, जीत चलो यम जंग रे। गरीबदास दर्शन देवा का, देख भया मन दंग रे।।6।।2।।
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मन मानसरोवर मेल रे। भवसागर से पार उतारै, अगम अगोचर खेल रे।। टेक।।
श्रवण बिना शब्द एक सुनिये, परखै ताहि बलेल रे। गगन मंडल में ध्यान धरै रे, जहां दीपक है बिन तेल रे।।1।।
च्यार्यौं युग में संत पुकारै, कूक कह्या हम हेल रे। हीरे मोती माणिक बरषैं, यौह जग चुगता डेल रे।।2।।
पांच पच्चीस तीन पर तकिया, यौह मन सुन्न सकेल रे। बर्दवान ले बुद्धि का बांधौ, भवजल नौका पेल रे।।3।।
बारु के सी गांठ बंधी है, नर समझौं मूढ रबेल रे। लखी करोड़ी भये जगत में, संग न चाल्या धेल रे।।4।।
हस्ती घोड़े रथ पालकी, ताजी घाल हमेल रे। सूरे हो कर शीश कटावैं, लावत है तन सेल रे।।5।।
एक पापी एक पुंनी आया, एक है सूंम दलेल रे। गरीबदास एक सत्यनाम भजन बिन, सब ही जम की जेल रे।।6।।4।।
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मन माणिक लहर समंद रे। मुरजीवा नघ सीप न सायर, निर्मल आनंद कंद रे।। टेक।।
मोती मुक्ता दर्शत नांहीं, यौह जग है सब अंध रे। दीखत के तो नैन चिसम हैं, फिर्या मोतिया बिंद रे।।1।।
नर नारायण देह पाय कर, जे कट्या ना जम का फंध रे। रत्न अमोली दर्शत नांहीं, ध्रिग है वाकी जिंद रे।।2।।
पूर्ण ब्रह्म रते अविनाशी, जो भजन करैं गोविंद रे। भाव भक्ति जा हिरदै होई, फिर क्या कर है सुरपति इंद रे।।3।।
लख चौरासी बहे जात थे, ज्यों सूवटा गंदा अंड रे। तत्त नाम सतगुरु कूँ दीन्हा, जाय मिले सुख सिंध रे।।4।।
इंद्री कर्म न लगैं लगारं, जो भजन करै निर्द्वंद्व रे। गरीबदास जग कीर्ति होगी, जब लग सूरज चंद रे।।5।।5।।
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बंदी छोड़ सतगुरु रामपाल जी भगवान जी के चरणो में दास का कोटि कोटि दंडवत प्रणाम 😢😢
संत गुरु रामपाल जी महाराज की जय हो जय हो बंदी छोड की
सतगुरु मिलैं तो इच्छा मेटैं, पद मिल पदे समाना।
चल हंसा उस लोक पठाऊं, जो आदि अमर अस्थाना।।🙏🙏🙏
जय जय जय हो बंदी छोङ सद्गुरु रामपाल जी भगवान जी की जय हो 🙏 🙏 🙏 🙏 🙏
परमेश्वर का नाम कविर्देव अर्थात् कबीर परमेश्वर है, जिसने सर्व रचना की है। जो परमेश्वर अचल अर्थात् वास्तव में अविनाशी है।
- पवित्र अथर्ववेद काण्ड 4 अनुवाक 1 मंत्र 7
कबीर, पीछे लागया जाऊं था, मैं लोक वेद के साथ।
रास्ते में सतगुरु मिले दीपक दे दिया हाथ।।
पूरे विश्व में संत रामपाल जी महाराज ही पूर्ण गुरु है जो तत्वज्ञान द्वारा सत भक्ति प्रदान करते हैं कृपया विश्व के सभी भाई बहनों से अनुरोध है संत रामपाल जी महाराज के सत्संग ओं को बहुत ध्यान पूर्वक सुनें उनसे नाम दीक्षा लेकर भक्ति करके मोक्ष प्राप्त करें
कबीर, यो मन मलिन है, धोए ना छूटे रंग। कै छुटे प्रभु नाम से, कै छुटे सत्संग
पूर्ण गुरु संत रामपाल जी महाराज
पूर्ण परमात्मा कविर्देव (कबीर परमेश्वर) तीसरे मुक्ति धाम अर्थात् सतलोक में रहता है। - ऋग्वेद
ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 96 मंत्र 18
कबीर साहेब पूर्ण समर्थ अविनाशी परमात्मा है
सतगुरु की वाणी (सत्संग) हमारे मन के विकारों को दूर करके सद्विचारों का आलोक प्रसारित करती है।
सत्संग मोक्ष की धारा, कोई समझे राम का प्यारा ।।
Bandi Chhod Satguru Rampal Ji Bhagavan Ji Ki Jay Ho 🙏🌹
गरीब, जम जौरा जासे डरें मिटैं कर्म के लेख, अदली अदल कबीर है कुल के सतगुरु एक,,
Bandi chhor satguru Rampal Ji Maharaj ki Jai Ho
कबीर, दर्शन साधु का,मुख पर बसै सुहाग ।
दर्श उन्ही को होत हैँ ,जिनके पुर्ण भाग ।।
तैमूर लंग की रोटी के बदले में कबीर साहेब ने उसे सात पीढ़ी का राज दे दिया और मोक्ष भी प्रदान किया। इतिहास गवाह है तैमूर लंग से लेकर औरंगजेब तक ने भारत में शासन किया फिर उनका राज टुकड़ो में बंट गया था।
रोटी तिमरलंग कुं दीन्हीं, तातैं सात बादशाही लीन्हीं।
सब जन्मे एक बीज से सबकी मिट्टी एक मन में दुविधा पड़ गई हो गए रूप अनेक
सत् साहेब जी 😢😢
ऐसा निर्मल ज्ञान है जो निर्मल करे शरीर।
और ज्ञान मंडलीक है, चकवे ज्ञान कबीर।।
हे स्वामी सृष्टा मैं, सृष्टि मेरे तीर |
दास गरीब अधर बसूं, अविगत सत कबीर ||
रजगुण ब्रह्मा तमगुण शंकर, सतगुण बिष्णु कहावै रे।
चौथे पद का भेद न्यारा, कोई बिरला साधु पावै रे।।1।।
सतलोक निरामय लोक है जहाँ वृद्धावस्था व रोग नहीं है।
जबकि पृथ्वी लोक में इन दोनों स्तिथियों से कोई नहीं बचा है
काल लोक/पृथ्वी लोक में जन्म-मृत्यु और वृद्धावस्था सबसे बड़े दुख हैं।
जबकि सतलोक में सर्व सुख हैं। न ही जन्म-मृत्यु का दुख, न ही वृद्धावस्था का दुःख।
Jai ho bandi chhod ki
गरीब, तीन लोक का राज है, ब्रह्मा विष्णु महेश।
ऊँचा धाम कबीर का, सतलोक प्रदेश।।
तीन देवा कमल दल बसें, ब्रह्मा विष्णु महेश।
प्रथम इनकी वन्दना ,फिर सुनो सत गुरु उपदेश।।
Sat saheb ji
🏡सतलोक में हर हंस आत्मा का अविनाशी शरीर होता है।
जबकि पृथ्वी लोक / काल लोक में सब कुछ विनाश के अंदर आता है।
True decisive spritual satsang
Sat saheb ji 🙏❤️❤️❤️❤️
काल लोक/पृथ्वी लोक में सब कर्म बंधन से बंधे हैं। जीव को तीनों गुणों के प्रभाव से विवश कर सब कार्य करवाया जाता है।
जबकि सतलोक में किसी गुण का कोई दवाब नहीं है। जीव पूर्णतया स्वतंत्र है।
Awesome Satsang 🙏
Sat saheb ji 🙏🙇♀️
सत साहेब जी
ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 96 मंत्र 18 के अनुसार पूर्ण परमात्मा कविर्देव का निजधाम तीसरा मुक्ति धाम "सतलोक" में है। जहाँ जाने के बाद मनुष्य का जन्म मरण नहीं होता है।
जबकि पृथ्वी लोक / काल लोक पर जन्म - मरण का चक्र चलता ही रहता है।
बहुत ही अनमोल ज्ञान का सत्संग है।
jai ho bandichhod sagruru Rampal Ji Maharaj ki jai ho
Anmol gyan
Anant koti avtaar hain, Maya ke Govind |
Karta ho ho avtare, bahur pade jag fandh ||
So Nice Satang 🙏🙏
Kabir is God 🎉
ये सत्संग से हमे लाभ होते 🎉
True spiritual knowledge 🙏
Sat sahib ji
Nice satsang
बहुत अच्छा लगता है ये ज्ञान
Bandi chod sat guru rampalji ki jay ho
Bahut anmol vachan
धरती ऊपर स्वर्ग पुस्तक को पढ़ने से स्पष्ट होता है कि पूर्ण परमात्मा अपने साधक द्वारा किए गए घोर से घोर पापों का भी नाश कर देते हैं। प्रमाण - पवित्र यजुर्वेद अध्याय 8 मंत्र 13
Amezing वाणी
True spiritual knowledge
तत्व ज्ञान
AMAZING satsang
jay malik ki
Anmol Gyan
So nice
Very nice
😢😢🎉🎉🎉
anmol wani prmatma ki amrit wani se
❤❤
Nirmal Gyan hai
,🙏🏻🙏🏻🙏🏻
True knowledge
A
😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂❤❤❤
सत् साहेब जी 😢😢
ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 96 मंत्र 18 के अनुसार पूर्ण परमात्मा कविर्देव का निजधाम तीसरा मुक्ति धाम "सतलोक" में है। जहाँ जाने के बाद मनुष्य का जन्म मरण नहीं होता है। जबकि पृथ्वी लोक / काल लोक पर जन्म-मरण का चक्र चलता ही रहता है।
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