अथ राग सरबंग | Ath Raag Sarbang | Amargranth Sahib by Sant Rampal Ji Maharaj
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- เผยแพร่เมื่อ 9 ส.ค. 2023
- अथ राग सरबंग | Ath Raag Sarbang | Amargranth Sahib by Sant Rampal Ji Maharaj
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ररंकार रटता रहै मन बौरा रे। तुंही तुंही फुनलार। समझ मन बौरा रे।। टेक।।
सोहं शब्द सही मिलै मन बौरा रे। आगै भेद अपार समझ मन बौरा रे।।1।।
जहां ज्ञान ध्यान की गम नहीं मन बौरा रे। सुरति निरति नहीं जाय समझ मन बौरा रे।।2।।
कोटिक प्राणी ध्यान धरें मन बौरा रे। उलट पड़े भौ आय समझ मन बौरा रे।।3।।
सिर साटे का खेल है मन बौरा रे। सूली ऊपर सेज समझ मन बौरा रे।।4।।
जहां संख कोटि रवि झिलमिलैं मन बौरा रे। नूर जहूरं तेज समझ मन बौरा रे।।5।।
कायर भागै देखते मन बौरा रे। सुन अनहद घनघोर समझ मन बौरा रे।।6।।
घावन ही में घावले मन बौरा रे। कोई सूरा रहसी ठौर समझ मन बौरा रे।।7।।
लोझा पीठ न फेर हीं मन बौरा रे। सनमुख अर्पैं शीश समझ मन बौरा रे।।8।।
तन मन मृतक हो रहै मन बोरा रे। तिस भेटे जगदीश समझ मन बौरा रे।।9।।
सतलोक कूँ चालिये मन बौरा रे। संत समागम हेत समझ मन बौरा रे।।10।।
तहां एक गुमट अनूप है मन बौरा रे। जहां छत्र सिहांसन सेत समझ मन बौरा रे।।11।।
जहाँ बिराजै पुरूष कबीर, मन बौरा रे। जहां ढुरैं सुहंगम चँवर समझ मन बौरा रे।।12।।
दास गरीब जहां रते मन बौरा रे। जहां उठें मेहर की लहर समझ मन बौरा रे।।13।। 1।।
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याह काया छिन भंग है मन बौरा रे। सुमरो सिरजनहार समझ मन बौरा रे।। टेक।।
रूंम रूंम धुंनि ध्यान धर मन बौरा रे। नौवें कमल करतार समझ मन बौरा रे।।1।।
यौह लाहा क्यों न लीजिये मन बौरा रे। सुरति निरति कर लीन समझ मन बौरा रे।।2।।
पंछी खोज न पाइये मन बौरा रे। ज्यों दरिया मध्य मीन समझ मन बौरा रे।।3।।
पांच तत्व के मध्य है मन बौरा रे। नौ तत्व लिंग शरीर समझ मन बौरा रे।।4।।
नौ तत्व के से आगै है मन बौरा रे। अजर अमर गुरु कबीर समझ मन बौरा रे।।5।।
सूक्ष्म रूप है तास का मन बौरा रे। चतुर्भुजी चितरंग समझ मन बौरा रे।।6।।
अष्ट भुजा हैं तास मध्य मन बौरा रे। मूरति अचल अभंग समझ मन बौरा रे।।7।।
सहंस भुजा संगीत हैं मन बौरा रे। शिखर सरू बैराठ समझ मन बौरा रे।।8।।
विश्व रूप है तास मध्य मन बौरा रे। गुरु लखाई बाट समझ मन बौरा रे।।9।।
शंख चक्र गदा पदम है मन बौरा रे। कौस्तभ मणि झलकंत समझ मन बौरा रे।।10।।
धनुष बाण मूसल ध्वजा मन बौरा रे। अजब नबेला कंत समझ मन बौरा रे।।11।।
खड्ग धार भुज डंड है मन बौरा रे। फरकैं ध्वजा निशान समझ मन बौरा रे।।12।।
निरख परख कर देख ले मन बौरा रे। साचे सतगुरु कै प्रवान समझ मन बौरा रे।।13।।
ता आगै सत पुरुष है मन बौरा रे। जाकै भुजा असंख समझ मन बौरा रे।।14।।
अनंत कोटि रवि झिलमिलैं मन बौरा रे। हंस उड़ैं बिन पंख समझ मन बौरा रे।।15।।
सेत छत्रा चँवर ढुरैं मन बौरा रे। दामिनी दमक दयाल समझ मन बौरा रे।।16।।
अमर कछ अनहदपुरी मन बौरा रे। सतगुरु नजर निहाल समझ मन बौरा रे।।17।।
अनंत युगन की बाट थी मन बौरा रे। पल अंदर प्रवान समझ मन बौरा रे।।18।।
मेहर दया से पाइये मन बौरा रे। औह दरगह दिवान समझ मन बौरा रे।।19।।
संख योजन पर लाल है मन बौरा रे। दमक्या चिसम्यौं तीर समझ मन बौरा रे।।20।।
दास गरीब लखाइया मन बौरा रे। मुर्शीद मिले कबीर समझ मन बौरा रे।।21।।2।।
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संत रामपाल जी महाराज जी के सत्संग वचन सुनकर उनसे नाम उपदेश प्राप्त करके जुड़ने के बाद जीवन के सभी दुःख समाप्त हो जाऐंगे। सत्संग से मनुष्य को जीवन के मूल कर्त्तव्य का ज्ञान होता है,
मनुष्य सारे विकार त्याग देता है। उसके जीवन में सुखों की बहार आ जाती है, किसी भी प्रकार का दुःख
नहीं रहता।
आत्मिक सुखदाई वाणी है।संत रामपाल जी महाराज ने निहाल कर दिया ।
बंदी छोड़ सतगुरु संत रामपाल जी महाराज जी का अनमोल ज्ञान
जिस समय सर्व सन्त जन शास्त्र विधि त्यागकर मनमानी पूजा द्वारा भक्त समाज को मार्ग दर्शन कर रहे होते हैं। तब अपने तत्वज्ञान का संदेशवाहक बन कर स्वयं कबीर प्रभु ही आते हैं।
पूर्ण परमात्मा कबीर जी
परमपिता परमात्मा संत रामपाल जी महाराज जी जय हो
परमेश्वर का नाम कविर्देव अर्थात् कबीर परमेश्वर है, जिसने सर्व रचना की है। जो परमेश्वर अचल अर्थात् वास्तव में अविनाशी है।
- पवित्र अथर्ववेद काण्ड 4 अनुवाक 1 मंत्र 7
🙏💗ज्ञान समागम प्रेम सुख,दया भक्ति विश्वास।
गुरु सेवा ते पाईये,सदगुरू चरण निवास।।💗🙏
कबीर, राम नाम को सुमरतां, अधम तरे अपार।
अजामेल गणिका स्वपच, सदना सबरी नारी
संत रामपाल जी महाराज जी के सत्संग वचन सुनकर उनसे निःशुल्क जुड़ें ताकि हमारी तरह आप भी सुखी हों, उनसे जुड़ने के बाद शरीर के सभी प्रकार के रोग नष्ट होंगे। सभी प्रकार के नशे छूट जाऐंगे। जीवन यापन के लिए थोड़ी कमाई से ही काम चल जाएगा। निर्धनता खत्म हो जाएगी।
परमपिता परमात्मा के चरणकमलों में कोटि कोटि दण्डवत प्रणाम🙇🙇🙇🙇🙏🏼🙏🏻🙏🏻🙏🏻
कबीर, रस्सी बंधी पांव में, तू क्यों सोए सुख चैन।
ये श्वास नगाड़े मौत के, बाज रहे दिन रैन॥
सार नाम सरजीवन बूटी, घिस घिस अंग लगावे।
कहे कबीर या सच कर मानो, आवा गमन मिट जावे।।
जय हो बंदी छोड़ सत गुरु रामपाल जी भगवान जी की जय हो
तत्वदर्शी संत रामपाल जी भगवान की जय हो
सतलोक जाने के लिए तथा पूर्ण मोक्ष प्राप्त करने के लिए संत रामपाल जी महाराज जी द्वारा बताई गई भक्ति काटनी होगी उसी से मोक्ष प्राप्त हो सकता है क्योंकि संत रामपाल जी महाराज शास्त्रों के अनुसार सत भक्ति बताते हैं
संत रामपाल जी महराज ही पुर्ण संत है जो शस्त्रों पर आधारित ज्ञान बता रहे हैं और मोक्ष मार्ग पर चलने वाली विधि बता रहे हैं
पूर्ण परमात्मा कबीर जी
सतगुरु मिले तो इच्छा मेटै, पद मिल पदे समाना।
चल हंसा उस लोक पठाऊँ, जो आदि अमर अस्थाना।।
इच्छा को केवल सतगुरु अथार्त् तत्वदर्शी संत ही समाप्त कर सकता है तथा यथार्थ भक्ति मार्ग पर लगा कर अमर पद अथार्त् पूर्ण मोक्ष प्राप्त कराता है।
धरती ऊपर स्वर्ग पुस्तक के माध्यम से संत रामपाल जी महाराज ने पवित्र गीता जी अध्याय नंबर 15 के श्लोक 1 से 4 तथा 16-17 का आशय स्पष्ट
करते हुए उल्टे लटके हुए वृक्ष के माध्यम से पूर्ण परमात्मा तथा अन्य देवी-देवताओं की स्थिति को समझाया है।
चारों युगों में अपनी प्यारी आत्माओं को पार करने आते हैं परमेश्वर कबीर जी
परमात्मा कबीर जी सतयुग में सत सुकृत नाम से प्रकट हुए थे। उस समय अपनी एक प्यारी आत्मा सहते जी को अपना शिष्य बनाया और अमृत ज्ञान समझाकर सतलोक का वासी बनाया।
पूर्ण परमात्मा कबीर जी
पूर्ण परमात्मा कविर्देव चारों युगों में आए हैं। सृष्टी व वेदों की रचना से पूर्व भी अनामी लोक में मानव सदृश कविर्देव नाम से विद्यमान थे। कबीर परमात्मा ने फिर सतलोक की रचना की, बाद में परब्रह्म, ब्रह्म के लोकों व वेदों की रचना की इसलिए वेदों में कविर्देव का विवरण है।
बंदी छोड़ सतगुरु रामपाल जी भगवान की जय हो
सत् गुरु आये दया करी ऐसे दिन दया बंदी छोड़ बृज दास का जठरग्नि प्रति पाल🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
सतगुरु पुरुष कबीर है ये चारों युग प्रमाण, ये झूठे गुरुआं मर गए हो गए भूत मसान।
जय हो बंदी छोङ सद्गुरु रामपाल जी भगवान जी की जय हो 🙏 🙏 🙏 🙏 🙏 🙏 🙏 🙏 🙏 🙏 🙏 🙏 🙏 🙏 🙏 🙏 🙏 🙏
अवधु अविगत से चल आया, कोई मेरा भेद मर्म नहीं पाया।
ना मेरा जन्म न गर्भ बसेरा, बालक बन दिखलाया।
काशी नगर जल कमल पर डेरा, तहाँ जुलाहे ने पाया।।
कबीर परमेश्वर का जन्म माता के गर्भ से नहीं हुआ था, वे एकमात्र सर्वशक्तिमान व अविनाशी परमेश्वर हैं।
सतलोक कैसा है ?
सतलोक ऐसा अमर लोक है जहां प्रत्येक हंस आत्मा के शरीर का तेज 16 सूर्यों के समान है। जहां सिर्फ पूर्ण गुरु द्वारा बताई गई सतभक्ति से ही जा सकते हैं।
सतलोक अविनाशी लोक है। जहाँ ऊंच-नीच की अवधारणा नहीं है। इस कारण द्वेष उत्पन्न नहीं होता।
जबकि पृथ्वी लोक पर ऊंच-नीच, छोटे-बड़े की आग में सारा संसार जल रहा है।
परमपिता परमात्मा के चणनोमे कोटि कोटि दडवत प्रणाम करते हैं❤❤❤❤❤😢
आज पूरे विश्व में संत रामपाल जी महाराज ही वह तत्वदर्शी पूर्ण संत जो सच्चा ज्ञान और सद् भक्तति प्रदान कर रहे हैं कृपया विभिन्न चैनलों में महाराज जी का ज्ञान सुने
Bandi shod satguru rampal ji bhagwan ji ki jai 🙏
पूर्ण परमात्मा कबीर जी
परमात्मा कबीर साहेब पाप विनाशक हैं
यजुर्वेद अध्याय 8 मन्त्र 13 में कहा गया है कि परमात्मा पाप नष्ट कर सकता है। संत रामपाल जी महाराज जी से उपदेश लेने व मर्यादा में रहने वाले भक्त के पाप नष्ट हो जाते हैं।
परम पूजनीय सदगुरूदेव ने असीम दया की।
अतिसुंदर ज्ञान सत्संग❤
कबीर सबका भगवान है।
गरीब जल थल पृथ्वी गगन में बाहर भीतर एक।
पूर्ण ब्रह्म कबीर है अविगत पुरुष अलेख।।
Bandi Chhod Parameshwer Kabir Saheb Ji Ki Jay Ho 🙏🌹
कबीर, राम कृष्ण अवतार हैं, इनका नाहीं संसार।
जिन साहब संसार किया, सो किनहु न जनम्यां नारि।।
📚हजरत मुहम्मद जी को भी जिंदा वेश धारण करके अल्लाह कबीर मिले थे।
कबीर परमेश्वर ने कहा है -
हम मुहम्मद को सतलोक ले गया। इच्छा रूप वहाँ नहीं रहयो।
सतभक्ति करने वाले की पूर्ण परमात्मा आयु बढ़ा सकता है और कोई भी रोग को नष्ट कर सकता है।
- ऋग्वेद मण्डल 10 सुक्त 161 मंत्र 2, 5, सुक्त 162 मंत्र 5, सुक्त 163 मंत्र 1 - 3
परमात्मा कबीर साहेब पाप विनाशक हैं
यजुर्वेद अध्याय 8 मन्त्र 13 में कहा गया है कि परमात्मा पाप नष्ट कर सकता है। संत रामपाल जी महाराज जी से उपदेश लेने व मर्यादा में रहने वाले भक्त के पाप नष्ट हो जाते हैं।
पूर्ण परमात्मा कबीर जी
परमात्मा के गुणों पर विचार करते रहना ‘ध्यान यज्ञ’कहलाता है। जो पूर्व में अन्य द्वारा बताया तथा किया जाने वाला हठ योग ध्यान नहीं है,ध्यान की परिभाषा ही नहीं है। किसी वस्तु पर मन को केन्द्रित करना ध्यान कहलाता है। यह ध्यान की परिभाषा है।
Sant Rampalji Maharaj
कबीर,गुरु बिन माला फेरते, गुरु बिन देते दान।
गुरु बिन दोनों निष्फल है, चाहे पूछो वेद पुराण।।🙏🙏🙏
बहुत अनमोल सत्संग ❤
Nice satsang 👍
परमात्मा शिशु रूप में प्रकट होकर लीला करता है। तब उनकी परवरिश कंवारी गायों के दूध से होती है।
ऋग्वेद मंडल 9 सूक्त 1 मंत्र 9
यह लीला कबीर परमेश्वर ही आकर करते हैं।
Jagatguru Tavtdarshi Sant Rampal Ji Bhagavan Ji Ke Param Pavan Charno Me Dass Ka Koti Koti Dandvat Pranam He 🙏🙏🌹
Sant rampal ji maharaj ji ki jai ho
कबीर साहेब अल्लाह ताला हैं
नाइस सत्संग
मौत बिसारी बावले, तने अचरज किया कौन। तन माटी में मिल जाएगा, ज्यों आटे में लौन ।।
कबीरा सिमरन सार है और सकल जंजाल
वेद शास्त्र से प्रमाणित सत्य ज्ञान
⚡️गरीब, दुनी कहै योह देव है, देव कहत हैं ईश।
ईश कहै परब्रह्म है, पूरण बीसवे बीस।।
संत गरीबदास जी कहते हैं कि शिशु रूप में कबीर परमेश्वर जी को देखकर काशी के लोग कह रहे थे कि यह तो कोई देवता का अवतार है। देवता कह रहे थे कि यह स्वयं ईश्वर है और ईश्वर कहते हैं कि स्वयं पूर्ण ब्रह्म पृथ्वी पर आए हैं।
परमात्मा कहते हैं -
पृथ्वी ऊपर पग जो धारे, करोड़ जीव एक दिन में मारे।
ये काल का लोक है यहाँ पल भर में न जाने कितने पाप कराता है ये काल।
जबकि सतलोक में कोई पाप/ जीव हिंसा नहीं होती। सतलोक सुख सागर है।
Permatma ka gyan adbhut hai sat bhakti batate vale Sant rampal ji bhagwan ke charno me dandvat pranaam 🙏🙏 Jay bandi chhod ki 🙏🙏🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
"धरती ऊपर स्वर्ग"
संत रामपाल जी महाराज द्वारा लिखित यह अनमोल पुस्तक व्यर्थ सामाजिक परंपराओं, धार्मिक आडंबरों के दौर से गुजर रही दुनिया के लिए एक वरदान है।
परमात्मा साकार है व सहशरीर है (प्रभु राजा के समान दर्शनीय है)
यजुर्वेद अध्याय 5, मंत्र 1, 6, 8, यजुर्वेद अध्याय 1, मंत्र 15, यजुर्वेद अध्याय 7 मंत्र 39, ऋग्वेद मण्डल 1, सूक्त 31, मंत्र 17, ऋग्वेद मण्डल 9, सूक्त 86, मंत्र 26, 27, ऋग्वेद मण्डल 9, सूक्त 82, मंत्र 1 - 3
Very nice Satsang
परमात्मा के गुणों पर विचार करते रहना ‘‘ध्यान यज्ञ’’ कहलाता है। जो पूर्व में अन्य द्वारा बताया तथा किया जाने वाला हठ योग ध्यान नहीं है, ध्यान की परिभाषा ही नहीं है। किसी वस्तु पर मन को केन्द्रित करना ध्यान
कहलाता है। यह ध्यान की परिभाषा है।
सत साहिब जी
Very important Satsang
काल लोक/पृथ्वी लोक पर साधना करके जीव कुछ समय स्वर्ग रूपी होटल में चला जाता है। फिर अपनी पुण्य कमाई खर्च करके वापिस नरक तथा चौरासी लाख प्राणियों के शरीर में जाता है।
सतलोक में भक्ति नष्ट नहीं होती। सतलोक शाश्वत स्थान है। वहां हंस आत्माएं हैं।
ANMOL VACHAN PARMATMA KE BANDI CHHOD SATGURU RAMPAL JI BHAGWAN JI KI JAY HO 💐
Sat Saheb ji bhgmti bhagt ji bandichhor ki jay 🙏🙏🌹🌹
Sat saheb ji 🙇♀️🙇♀️
Bahut acha satsang
बिन सतगुरू पावै नहीं खालक खोज विचार।
चौरासी जग जात है, चिन्हत नाहीं सार।।
सतगुरू के बिना खालिक (परमात्मा) का विचार यानि यथार्थ ज्ञान नहीं मिलता। जिस कारण से संसार के व्यक्ति चौरासी लाख प्रकार के प्राणियों के शरीरों को प्राप्त करते हैं क्योंकि वे सार नाम, मूल ज्ञान को नहीं पहचानते।
सूक्ष्म ज्ञान
bhagwan Sant rampal ji maharaj ki jai ho
Anmol satsang hai
Great saint rampal ji maharaj
सतगुरु जी की असीम दया से ये ज्ञान सुनने को मिल रहा है।
Sat saheb ji ❤
पूर्ण परमात्मा कबीर जी
अल्लाह का नाम कबीर है
सुरत-फुर्कानि 25 आयत 58:
व तवक्कल् अलल् हरूिल्लजी ला यमूतु व सब्बिह बिहम्दिही व कफा बिही बिजुनूबि अिबादिही खबीरा (कबीरा) ।
कुरान ज्ञान दाता अल्लाह कह रहा है कि हे पैगम्बर ! तारीफ के साथ अल्लाह कबीर की पाकी (पवित्र महिमा) का गुणगान किए जा ।
• बाखबर संत रामपाल जी महाराज
आध्यात्मिक पुस्तक "धरती ऊपर स्वर्ग" में बताया गया है कि धार्मिक शास्त्र परमात्मा का बनाया संविधान है। जो व्यक्ति संविधान का उल्लंघन करता है, वह दंडित होता है। उसे न सुख प्राप्त होता है, न कार्य सिद्ध होते हैं न उसका मोक्ष (गति) होता है।
प्रमाण- गीता अध्याय 16 श्लोक 23-24 में है।
बहुत अनमोल वाणी गरीबदास जी महाराज की।
anmol tatv gyan prmatma ki amrit wani se
। गीता अध्याय 15 श्लोक 3 में कहा है कि संसार रूपी वृक्ष को तत्त्वज्ञान रूपी शस्त्र द्वारा काटकर अर्थात् तत्त्वज्ञान द्वारा सशय समाप्त करके उस परम पद परमेश्वर की खोज करनी चाहिए जहां जाने के पश्चात् साधक लौटकर कभी संसार में नहीं आते अर्थात् पूर्ण हो जाते हैं। जिस परमेश्वर से सर्व संसार रूपी वृक्ष की प्रवृति विस्तार को प्राप्त हुई है। वह पूर्ण प्रभु चौथे धाम अर्थात् अनामी लोक में रहता हैं, जैसे प्रथम सतलोक दूसरा अलख लोक, तीसरा अगम लोक, चौथा अनामी लोक है। इसलिए इस मंत्र 19 में स्पष्ट किया है कि कविर्देव (कबीर परमेश्वर) ही अनामी पुरुष रूप में चौथे धाम अर्थात् अनामी लोक में भी अन्य तेजोमय रूप धारण करके रहता है।
Sat Sahib Ji ❤❤❤❤
अनमोल सत्संग
परमात्मा साकार है व सहशरीर है (प्रभु राजा के समान दर्शनीय है)
यजुर्वेद अध्याय 5, मंत्र 1, 6, 8, यजुर्वेद अध्याय 1, मंत्र 15, यजुर्वेद अध्याय 7 मंत्र 39, ऋग्वेद मण्डल 1, सूक्त 31, मंत्र 17, ऋग्वेद मण्डल 9, सूक्त 86, मंत्र 26, 27, ऋग्वेद मण्डल 9, सूक्त 82, मंत्र 1 - 3
🙏🙏पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी 🙏🙏
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Very nice Vani ❤❤❤❤❤
🌹🌹🙏🙏🏵️🏵️❤❤🖐️🖐️🌺🌺😂😅🌷🌷👋👋🥀🥀 sat Saheb ji bandichhor ki jay 🙏🙏🌹🌹🌺🌺👋👋🏵️🏵️🥀🥀
श्रीमद्भागवत गीता अध्याय 17 श्लोक 23 में सच्चिदानंद घन ब्रह्म (परम अक्षर ब्रह्म) अर्थात पूर्ण परमात्मा की भक्ति के लिए "ओम् तत् सत्" इस तीन मंत्र के जाप (सुमिरन) का निर्देश किया गया है। जिसके सुमिरन की तीन प्रकार की विधि बताई गई है। जिसे पूर्ण संत यानि तत्वदर्शी संत ही बता सकता है और वे तत्वदर्शी संत ही सत्यनाम और सारनाम के जाप करने की विधि बताते हैं। इन नामों के जाप करने से साधक का पूर्ण मोक्ष हो जाता है।
This is True spiritual knowledge (Tatvgyan).
Sat sahib ji
Anamol Satya Gyan He 🙏🙏
कबीर,अगम निगम को खोज ले, बुद्धि विवेक विचार। उदय अस्त का राज मिले, तो भी बिन नाम बेगार।।
Sat saheb ji
तीर्थों व धामों पर जाना तो उस यादगार स्थान रूपी भट्ठी को देखना मात्र ही है। यह पवित्र गीता जी में वर्णित न होने से शास्त्र विरूद्ध हुई। जिससे कोई लाभ नहीं (प्रमाण पवित्र गीता अध्याय 16 मंत्र 23-24)।
Sat sahib ji 🙏🏻
Agam gyan ka prakasha .
True spiritual knowledge
Hari aaye hariyane nu
Supreme God is Kabeer.
Anmol satsang
খুব ভালো সৎসঙ্গ
Anmol vani🙏🙏😌😌😌😌
तत्व ज्ञान