योग का व्यापार | Yog Ka Vyapar | Avoid These Yoga Mistakes | Yoga Business | Secrets of Yoga
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- เผยแพร่เมื่อ 5 ต.ค. 2024
- अष्टांग योग | उसका व्यापार | Yog Ka Vyapar
अष्टांग योग का उद्देश ईश्वर से जुडना और मोक्ष पाना हैं |
आत्मा का चक्र और कुंडलिनी पर कंट्रोल करना ही जागृती हैं। चक्र और कुंडलिनी जन्म से ही जागृत होते हैं |
जब अष्टांग योग के कारण आत्मा इनपर कंट्रोल कर लेता हैं तो कुछ सिद्धियो की प्राप्ति होती हैं। उन सिद्धीयो में निरोगी शरीर, काल ज्ञान आदी प्रारंभिक सिद्धी होती हैं।
जब आदमी रोग मुक्त होने के लिए योग करता हैं तो योग के कारण अंतराय पैदा होते हैं। अंतराय योग में रूकावट डालते हैं। इसमें कभी कभी गंभीर बिमारी पैदा होती हैं
आसन के नाम पर अरेबिक कसरत और ध्यान के नामपर संमोहन सिखाते हैं |
संमोहन पद्धती और क्रियामान पद्धति ऐसे दो पद्धति हैं। इसमें क्रियामान पद्धति सबसे शुद्ध पद्धती हैं। यम नियम आसन प्राणायाम प्रत्याहार धारणा ध्यान और समाधी और उसके बाद फिर यम आदी ऐसे क्रमसे पुन्हा पुन्हा करना और वो भी देशकाल समय के बंधन को तोडकर हमेशा चलता हो, निंद में भी चलता हो, तो इस क्रिया को क्रियायोग कहते हैं |
जीसतरा दुध और दही को बेचते हैं और व्यापार होता हैं, उसीतरा आज योग का व्यापार चल रहा हैं। व्यापारियों से दूर रहे, ईश्वर और आत्मा के बीच कोई नही होता। अष्टांग योग दैवी शास्र हैं, इसका बाजारीकरण व्यापार ना करे
ॐ नमः शिवाय | ॐ नमो परब्रह्म परमात्माय परमशिवाय नमो नमः |
@ सचिन गाड़े
19/03 /2024
Part 1 :- • || अष्टांगयोग - भाग १ ...
Part 2 :- • || अष्टांगयोग - भाग २ ...
Part 3 :- • || अष्टांगयोग - भाग ३ ...
Part 4 :- • || अष्टांगयोग - भाग ४ ...
Part 5 :- • || अष्टांगयोग - भाग ५ ...
Part 6 :- • ईश्वर प्रणिधान क्या है...
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