कुंडली के षष्टम भाव में राहु के सटीक फल- आचार्य वासुदेव

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  • เผยแพร่เมื่อ 25 ม.ค. 2025
  • वैदिक ज्योतिष में षष्टम भाव का विचार और उससे संबंधित फल- वैदिक ज्योतिष में कन्या राशि षष्टम राशि होती है जिसके स्वामी ग्रह बुध देव होतें है इस भाव को अर्थ भाव मतलब धन कमाने का भाव भी कहतें है क्योकि इस भाव को हम नौकरी का भाव भी कहतें है। आपकी नौकरी कैसी होगी इस भाव से पता चलता है। यह सेवा का भाव कहलाता है। इस भाव से एकीकृत की भावना और कर्म प्रधान की भी भावना देखी जाती है। इस भाव के कारक ग्रह मंगल देव है जो बुध के अतिशत्रु भी कहे जातें है। षष्टम भाव से हम आपके स्वास्थ्य और नौकरी के विषय में अनुमान लगा सकतें है। आपको कैसा रोग होगा कितना होगा और वह इस भाव से देखा जाता है। इस भाव का स्वामी ग्रह यदि प्रबल हो तो जातक को प्रतियोगिता परीक्षा में सफलता जरूर मिलती है। इस भाव से हम माता के भाई- मामा-मामी का विचार करतें है क्योंकि यह चतुर्थ से तीसरा भाव है इस भाव से हम डॉक्टर्स, नर्सिंग, सहयोगी subordnite अतार्थ किसी के अधीन काम करने का भी विचार करतें है। इस भाव से हम रोग, ऋण, शत्रु और कोर्ट कचहरी का भी अनुमान लगा सकतें है। इस भाव से हम लिवर और आंतों की बीमारी का भी आँकलन करतें है। इस भाव से हम अपने मन और शरीर के अंतर को भी देखतें है। इस भाव से हम अपने स्वास्थ्य के विषय में चेतना को भी देखतें है। इस भाव से हम रोज़ाना के कामकाज को और सेवा भाव को और काम करने के स्थान को भी देखतें है। यदि यह भाव प्रबल है तो ऐसा व्यक्ति अपने काम में मगन रहने वाला होता है। यदि इस भाव में राहु विराजमान हो तो जातक को अच्छे फल प्राप्त होतें है क्योंकि यह भाव एक उपचय भाव है, 3,6,11 को हम उपचय भाव कहतें है। राहु यदि इस भाव में हो तो जातक के कार्य, सेवा भाव, स्वास्थ्य,शत्रुता, भेदभाव, आदि को प्रभावित करता है। इस भाव के अधिकतर फल अशुभ होतें है जिसे प्रत्येक मनुष्य अनदेखा करना चाहता है। कोई नहीं चाहता कि उसके जीवन में रोग, ऋण, शत्रु हो, छठा भाव हमारे किशोरावस्था को भी दर्शाता है इस भाव में यदि राहु हो तो यह जातक को किशोरावस्था में ही अपने उद्देश्य के प्रति बहुत निष्ठावान बनाता है। इस भाव में राहु किशोरावस्था में भी जातक को निष्ठावान और कोई कलंक नही लगने देता बशर्ते कुंडली में कोई अन्य योग ख़राब न हो। यदि इस भाव में राहु ग्रसित हो खराब हो तो यह आपको दुष्कर्म करने के लिए प्रेरित कर सकता है जो उनके स्वंय के लिए और दूसरों के लिए भी नुकसानदेह होतें है और बाद में वो उनका पछतावा भी बहुत करतें है। राहु इस भाव में आपको एक अच्छा चिकित्सक बनाता है क्योंकि राहु का संबंध औषधियों से है क्योंकि राहु ज़हर भी है, राहु यहां आपको आरोग्य प्रदान करने वाला, और उस प्रकार के सभी काम जो चिकित्सीय व्यवसाय से जुड़े है में भी आपको अच्छा ज्ञान देता है। राहु के षष्टम भाव में होने से यह आपको विदेशों से लाभ भी देता है। कलयुग के प्रभाव में आज अधिकतर लोग जो विदेश सेवाओं से, पर्यटन मंत्रालयों से विदेश जाना, आयात-निर्यात का व्यापार, शिपिंग कॉर्पोरेशन्स सब राहु के षष्टम भाव में होने से संबंधित है। यहां बैठा राहु आपको बहुत मेहनती भी बनाता है। यहाँ बैठा राहु आपको निडर बनाता है और आपके फैसले बहुत मज़बूत होतें है। इस भाव पर यदि अशुभ प्रभाव हो तो ऐसा जातक गंभीर रोगों से ग्रस्त रहता है। शत्रुओं से कष्ट होता है। अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें-
    आचार्य-वासदेव
    ज्योतिषाचार्य, हस्तरेखा विशेषज्ञ, वास्तुविशेषज्ञ
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