भारतीय संविधान में आर्टिकल50 में न्यायपालिका ओर कार्यपालिका का प्रथकरण किया गया । न्यायपालिका का कार्य संविधान का संरक्षण करना है जबकि कार्यपालिका का कार्य कानून लागू कराना है। भारत एक लोकतांत्रिक देश है। जहां हर नागरिक को मूल अधिकार प्राप्त है और साथ साथ एक कल्याणकारी राज्य बनाने की बात जो आर्टिकल 38 में वर्णित है। नागरिकों को भोजन,स्वच्छ जल , स्वच्छ वायु , रोजगार , आवास, बिजली , शिक्षा, स्वास्थ्य इत्यादि सहायता सरकार प्रदान करती है ,लेकिन आज 2020 तक लोग को प्राप्त नहीं हो सकी इसका कारण राजनीति भ्रष्टचार है इस समय न्यापालिका की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है न्यायपलिका ने अपने निर्णय में जो राजनेता भ्रष्ट या अपराधी है उसको चुनाव लड़ने का अधिकार नहीं है तब जरूरत है न्याय पालिका की क्यूंकि जो कानून जनप्रतिनिधित्व कानून,1951इतना कारगर साबित नहीं हुआ। अभी कुछ समय पहले मुंबई में कॉलोनी निर्माण के लिए पेड का निर्वनिकरण किया गया उससे प्रदुषण की समस्या हुए तो न्यापालिका का निर्णय महत्पूर्ण हो जाता है। संविधान में दायर तब महत्पूर्ण हो जाता है जब कार्यपालिका ओर विधायिका अपने क्षेत्र में कल्याणकारी राज्य निर्माण की आदर्श विचारधारा पर चले । वस्तुत: न्यायपालिका कार्यपालिका मै समन्वयन की आवश्यक है। सरकार/संसद नागरिकों की आवश्यकता और विकास के लिए कानून बनाने की पूर्ण स्वतंत्रता प्राप्त है।लेकिन 1973 केशवानंद भारती में sc के निर्णय में आधारभूत ढांचे की बात की गई उसका उलंघन ना करती हो अन्यथा कानून समाप्त हो जाएगा।
मेरा मानना है कि मल्होत्रा जी ने कहा बिल्कुल सही कहा अनुच्छेद 50 के तहत दोनों का पृथक्करण जरूर किया गया है पर अगर कार्यपालिका सही से कार्स अपना नहीं करें अपने दायरे में रहकर तो न्यायपालिका दोनों की निगरानी कर सकते हैं और इसे मान्य समझा जाएगा
Baap SC nhi Karyapalika that is Parliament hai.... Jab Jawaharlal Nehru Indira Gandhi PM rhe tab is SC k muh se Awaz tsk nhi Niklty thi !!! Aur av Baap bna rhe ho isko... First Constituitional Amendment jiske Through Reservation Mila SC ST ko Uska Kitna Virodh kiya SC aur kai HC bhi Art 14 Violate ho rha hai etc bolkar but 1950 me Jawaharlal Nehru First Constituitional Amendment Act laya Isi SC k samane Reservation for SCST .... Tab SC mar gya tha kya ??? Muh se awaz tak nhi nikli.... Shabhano Case ko 1980s me Rajiv Gandhi Palat diya Parliament ... Kya Kar Liya SC ??? Aisa Baap hota hai ??? BAAP is always Parliament and the PM with 2/3rd Majority more than 366 seats ....which today Mr Mody has !!!! "Parliament is Supreme .": Stated by the Law Minister JayShankar Prasad.
Some Crux: 1. There is no any fine line between Judicial activism and Judicial overreach. 2. If there is a socio-eco issue, it is perceived as Judicial activism. ( Delhi fire crakers, wine shop not near Highways, Vishakha judgement etc) 3 If it is commercial or other issue, then it is usually seen as judicial overreach. (eg. National Anthem in Cinemas ruling) Judicial Overreach/ adventurism refer to an extreme form of judicial activism. It is when judiciary crosses the territory pertaining to Legislature or executive; thus disrupting the balance of powers between the three organs of the government. 4. There is very thin line between both. It's very difficult to draw a proper limit over any of the organ of the government. Reason to occur: 5.There is always an untold power supremacy between judiciary and legislature. In fact, none of them are superior than other but the Constitution only. Consequences of Judicial activism: 6. High public trust in Judiciary than executive or legislature. Conclusion: All the three organs have to keep in mind while performing any duty that they ought not to be in the territory of others. Our constitution has conferred Supreme Court to make balance among them and make the India a successful democracy.
DESH KA JUDICIAL SYSTEM 1% PUBLIC KO TIMELY JUSTICE DELIVERED KARNE MAI UNSUCCESS FULL RAHA HAI AAJADI KAI AFTER 75 YEARS BHI, AAM AADMI INJUSTICE KAI AGAINST JUDICIAL SYSTEM MAI AANE KI BAJAYE INJUSTICE SAHANA PASAND KARTA HAI, JUSTICE SARAL,SASTA, TAVRIT, SULABH HONA CHAHIYE, ACCESS TO JUSTICE HONA CHAHIYE, JUSTICE DELAY JUSTICE DENIED, ADVOCATE KI FEES 20000 THOUSANS SE STARAT HOTI HAI
कवीन्द्र जी जो भी मल्होत्रा जी ने कहा वह गलत नहीं कहा है कि ऐसे कानून को तोह कार्यपालिका को देखने चाहिए क्या न्यायपालिका के पास इतना समय है कि वह ऐसे कानून को भी लागू करें जैसे कि प्रदूषण, सिनेमा, कोरोना में मास्क न लगाने पर कानून ये सब तो कार्यपालिका को देखना चाहिए... जब माननीय सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट ऐसे कानून को बनाने में लगे रहेंगे तो फिर कार्यपालिका को किसलिए बनाया है इसलिए मेरा ऐसा मानना है कि तीनों को ही संविधान के दायरे में रहकर अपने अपने कार्य को करें.... MAHIPAL SINGH LL.B third year (AGRA COLLEGE AGRA) PRACTICING LAWYER IN CIVIL COURT AGRA....... My TH-cam channel is Vidhik Study
Problem to yeh hai ki executive and legislative apna kaam proper way me nahi kar raha hai agar kiya hota to desh aaj kuchh jyada better exist karta aazadi ke 70 saal baad bhi India ki major problems solve nahi ho paa rahi hai iske liye kon jimmedar hai ? Poverty, unemployment, population , development yeh sabhi chize aaj bhi India ki major needs hai And finally judicial activism is controlled to government for work constitution 👍
Nyaypalika Kendra Sarkar Ko nirankush hone serukti hai kisi Ko Samvidhan se upar nahin Rakha Gaya hai balki hamare Samvidhan mein teenon Ko santulit Kiya gaya hai
Despite being signatory of international convention and not having a law related to women security at work place, judiciary postulated Vishakha guidelines- judicial activism
Are yar toka taki kyu karte h bich main ... Thik se sunne diya kare kavindra ji pls .. jo guest ate h unhe thik se pura bolne diya kare... Ham apko nahi unko sunane ate h so pls 🙏🙏🙏🙏
Isse achcha discussion to hamare llb ke class me hota thha itna bada national news chanel pe yadi aap debate karwate hai to uss topic ke specialist ko bulaya kijiye
भारतीय संविधान में आर्टिकल50 में न्यायपालिका ओर कार्यपालिका का प्रथकरण किया गया । न्यायपालिका का कार्य संविधान का संरक्षण करना है जबकि कार्यपालिका का कार्य कानून लागू कराना है।
भारत एक लोकतांत्रिक देश है। जहां हर नागरिक को मूल अधिकार प्राप्त है और साथ साथ एक कल्याणकारी राज्य बनाने की बात जो आर्टिकल 38 में वर्णित है। नागरिकों को भोजन,स्वच्छ जल , स्वच्छ वायु , रोजगार , आवास, बिजली , शिक्षा, स्वास्थ्य इत्यादि सहायता सरकार प्रदान करती है ,लेकिन आज 2020 तक लोग को प्राप्त नहीं हो सकी इसका कारण राजनीति भ्रष्टचार है इस समय न्यापालिका की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है
न्यायपलिका ने अपने निर्णय में जो राजनेता भ्रष्ट या अपराधी है उसको चुनाव लड़ने का अधिकार नहीं है तब जरूरत है न्याय पालिका की क्यूंकि जो कानून जनप्रतिनिधित्व कानून,1951इतना कारगर साबित नहीं हुआ। अभी कुछ समय पहले मुंबई में कॉलोनी निर्माण के लिए पेड का निर्वनिकरण किया गया उससे प्रदुषण की समस्या हुए तो न्यापालिका का निर्णय महत्पूर्ण हो जाता है।
संविधान में दायर तब महत्पूर्ण हो जाता है जब कार्यपालिका ओर विधायिका अपने क्षेत्र में कल्याणकारी राज्य निर्माण की आदर्श विचारधारा पर चले ।
वस्तुत: न्यायपालिका कार्यपालिका मै समन्वयन की आवश्यक है। सरकार/संसद नागरिकों की आवश्यकता और विकास के लिए कानून बनाने की पूर्ण स्वतंत्रता प्राप्त है।लेकिन 1973 केशवानंद भारती में sc के निर्णय में आधारभूत ढांचे की बात की गई उसका उलंघन ना करती हो अन्यथा कानून समाप्त हो जाएगा।
Guardian of the constitution supreme court hota entire judiciary nahi
Kavin sir...bahut bahut dhanyawad
मेरा मानना है कि मल्होत्रा जी ने कहा बिल्कुल सही कहा अनुच्छेद 50 के तहत दोनों का पृथक्करण जरूर किया गया है पर अगर कार्यपालिका सही से कार्स अपना नहीं करें अपने दायरे में रहकर तो न्यायपालिका दोनों की निगरानी कर सकते हैं और इसे मान्य समझा जाएगा
"अगर बेटे नाकारा निकल जाएं तो जिम्मेदारी बाप को लेनी पड़ती है।" माननीय सुप्रीम कोर्ट
Thanks rstv
Ekdam sahi example....
Baap SC nhi Karyapalika that is Parliament hai....
Jab Jawaharlal Nehru Indira Gandhi PM rhe tab is SC k muh se Awaz tsk nhi Niklty thi !!!
Aur av Baap bna rhe ho isko...
First Constituitional Amendment jiske Through Reservation Mila SC ST ko Uska Kitna Virodh kiya SC aur kai HC bhi Art 14 Violate ho rha hai etc bolkar but 1950 me Jawaharlal Nehru First Constituitional Amendment Act laya Isi SC k samane Reservation for SCST .... Tab SC mar gya tha kya ??? Muh se awaz tak nhi nikli....
Shabhano Case ko 1980s me Rajiv Gandhi Palat diya Parliament ... Kya Kar Liya SC ???
Aisa Baap hota hai ???
BAAP is always Parliament and the PM with 2/3rd Majority more than 366 seats ....which today Mr Mody has !!!!
"Parliament is Supreme .": Stated by the Law Minister JayShankar Prasad.
@@DhirajKumar-rx8hi my phone
Baap executive hai
Kavindra sachaan g 👍👍👍
Some Crux:
1. There is no any fine line between Judicial activism and Judicial overreach.
2. If there is a socio-eco issue, it is perceived as Judicial activism. ( Delhi fire crakers, wine shop not near Highways, Vishakha judgement etc)
3 If it is commercial or other issue, then it is usually seen as judicial overreach. (eg. National Anthem in Cinemas ruling)
Judicial Overreach/ adventurism refer to an extreme form of judicial activism. It is when judiciary crosses the territory pertaining to Legislature or executive; thus disrupting the balance of powers between the three organs of the government.
4. There is very thin line between both. It's very difficult to draw a proper limit over any of the organ of the government.
Reason to occur:
5.There is always an untold power supremacy between judiciary and legislature. In fact, none of them are superior than other but the Constitution only.
Consequences of Judicial activism:
6. High public trust in Judiciary than executive or legislature.
Conclusion:
All the three organs have to keep in mind while performing any duty that they ought not to be in the territory of others. Our constitution has conferred Supreme Court to make balance among them and make the India a successful democracy.
Very nice...
बेहतरीन सकारात्मक चर्चा जो शक्तियों के पृथककरण को समझने मे सहायक साबित हुई..
निस्संदेह
P.K. Malhotra Sir's S.C. Judgements are important for UPSC mains ! 👍
And vidhaanpalika also
@@korbinrocky4026
IT ACT 2000
SEC. 66 C
upto 3 years of punishment and/or upto 1 lakh fine
Don't do such things !
Ashok sir's opinion is very practical. Judicial activism is necessary for survival of democracy.
Thnkuu PK Malhotra sahab🙏
P.k malhotra sir 🙏🙏🙏
your points are very important to note down.
Very good P k malhotra sir....
Malhotra ji has raised valid and pertinent points. Always a delight to hear him.
Thanks RSTV.
Wonderful content to explore
Very helpful dabate
Thanks Rajya sbha tv🙏🏿🙏🏿🙏🏿🙏🏿🙏🏿🙏🏿🙏🏿
Very pleasure to listion , Mr kavindra sir ji....I hope you are very well , I will wait regularly...,one ..
P.K.Malhotra sir ne bahot acche se deep me samjhaya .....🙏......🙏
P. K. Malhotra sir is right advise
End by P.k.malhotra sir is epic😍😍😍
Supreme court is Protection Agency of Fundamental Rights,Personal Leberty of Citizens 👍
Most constructive program I have ever seen......
jai Hind
Thank you very much rstv team.
Special thanks to Sachan sir.
🙏🙏🙏aise hi achi debate laya karo rstv
Thanks sir 👍
Nice debate
Molhotra sir topics ko bhut hi deeply treeke se btate hai
Garda discussion hua hai bhai
Informative debate.
Thank you sir
This is the spirit of constitutionalism ...seperation of power with reasonable constraints
Malhotra sir Said well...
Very good 👍
Nice debat
Good
Thanks sir
Bilkul sahi bat he nyay palika hadse jyada dakhal andaji kar raha he police or sarkaro ke kam o me pichhle Kai samay se dakhal andaji kar raha he
Government apna kaam proper way me kare to koi judicial activism nahi hoga
Democracy ke liye judicial activism important hai
@@chauhandharmik1999 judicial activism hoye to thikk h
Lekin aajakal judicial over reach jayda ho raha h
Thank you rstv 😊
Thanks rstv
Thanks rstv ♥️♥️
Arnab goswamy interim bail is judicial overreach
Awesome session. All the three panelist are scholars
Pk mahlotra ji full homework krke aate Hain❤️❤️❤️
DESH KA JUDICIAL SYSTEM 1% PUBLIC KO TIMELY JUSTICE DELIVERED KARNE MAI UNSUCCESS FULL RAHA HAI AAJADI KAI AFTER 75 YEARS BHI, AAM AADMI INJUSTICE KAI AGAINST JUDICIAL SYSTEM MAI AANE KI BAJAYE INJUSTICE SAHANA PASAND KARTA HAI, JUSTICE SARAL,SASTA, TAVRIT, SULABH HONA CHAHIYE, ACCESS TO JUSTICE HONA CHAHIYE, JUSTICE DELAY JUSTICE DENIED, ADVOCATE KI FEES 20000 THOUSANS SE STARAT HOTI HAI
good morning Rstv family
ESE hi mudde me IAS exam me liye chahiye bhaizaan srg ur gd anchor in rstv chanal in dehli
Thanks 😊 🙏 😊
कवीन्द्र जी जो भी मल्होत्रा जी ने कहा वह गलत नहीं कहा है कि ऐसे कानून को तोह कार्यपालिका को देखने चाहिए क्या न्यायपालिका के पास इतना समय है कि वह ऐसे कानून को भी लागू करें जैसे कि प्रदूषण, सिनेमा, कोरोना में मास्क न लगाने पर कानून ये सब तो कार्यपालिका को देखना चाहिए...
जब माननीय सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट ऐसे कानून को बनाने में लगे रहेंगे तो फिर कार्यपालिका को किसलिए बनाया है इसलिए मेरा ऐसा मानना है कि तीनों को ही संविधान के दायरे में रहकर अपने अपने कार्य को करें....
MAHIPAL SINGH LL.B third year (AGRA COLLEGE AGRA)
PRACTICING LAWYER IN CIVIL COURT AGRA.......
My TH-cam channel is Vidhik Study
Problem to yeh hai ki executive and legislative apna kaam proper way me nahi kar raha hai agar kiya hota to desh aaj kuchh jyada better exist karta aazadi ke 70 saal baad bhi India ki major problems solve nahi ho paa rahi hai iske liye kon jimmedar hai ?
Poverty, unemployment, population , development yeh sabhi chize aaj bhi India ki major needs hai
And finally judicial activism is controlled to government for work constitution 👍
🙏🙏🙏
Classic piece of discussion by the penalists...
Nice
5 star for RSTV
Support uniform civil code
👏🇳🇪👏
अगर मैं सही हूं तो मैं अशोक जी से सहमत हूं
Nyaypalika Kendra Sarkar Ko nirankush hone serukti hai kisi Ko Samvidhan se upar nahin Rakha Gaya hai balki hamare Samvidhan mein teenon Ko santulit Kiya gaya hai
👍👍
Good 🙏🏼👍
Judicial adventurism
P K Malhotra
The Parliament uphold the Judgment of Supreme Court though it was against the Government
When executive and judiciary are overlapping one's liberty can not be protected.-Montesquieu.
Judiciary is the balance of pass.
Progressive to give momentum to executives function. Judicial Activism.
Thin line between judicial activism and judicial overreach.
Comment of judiciary on the aggravated pollution in delhi to reduce the number of disel vehicles with CNG one led to come down the pollution.
Despite being signatory of international convention and not having a law related to women security at work place, judiciary postulated Vishakha guidelines- judicial activism
SC should prevent from giving direction or guidelines of the area which it doesn't have expeties.
Stya sir ko bulaye plz
14:00
आज देख ले प्याज और आलू के दामो का फायदा कौन ले रहा है क्या ये किसान है।
किसान की आह जो दिल से निकाली जाएगी क्या समझते हो कि ख़ाली जाएगी
🙄🙄
Are yar toka taki kyu karte h bich main ... Thik se sunne diya kare kavindra ji pls .. jo guest ate h unhe thik se pura bolne diya kare... Ham apko nahi unko sunane ate h so pls 🙏🙏🙏🙏
Pk 😎 all day
Isse achcha discussion to hamare llb ke class me hota thha itna bada national news chanel pe yadi aap debate karwate hai to uss topic ke specialist ko bulaya kijiye
I need ur GS class depending ur chanal rstv and pib and lstv
not seperation of power division of power
जिथे कमी तिथे आम्ही ,मराठी म्हण
Madam ji jo point hai uspe focus kriya....aap main points chhod kr sb bta rhi........thoda home work krke aaiye....
कुछ तो गड़बड़ है
People who dislike this video go get some life.
सार्थक बहस ।
Gunda act 😂😂
Good