ग़रीबी ग़ैरबराबरी और जनतंत्र
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- เผยแพร่เมื่อ 4 พ.ย. 2024
- #poorpeople #poor #democracy
A Hindi blog of long-form discussions on contemporary cultural and socio-political questions faced by the Indian society.
कड़वी कॉफी लम्बी बातचीतों के अलग- अलग सिलसिले हैं. हमारे जिंदगी, दुनिया, देश से जुड़े मसलों को समझने, उनकी बारीकियों और गहराइयों तक जाने की एक कोशिश. हिंदी में क्योंकि वहां शोर और सनसनी से बाहर तसल्ली और धीरज से विचार, विमर्श की जरूरत ज्यादा है. लोकतंत्र, समाज, नागरिकता, शिक्षा, न्याय, राज्य, मीडिया, जेंडर, संस्कृति, बाज़ार जैसे व्यापक संकायों के वे सिरे जो हम सबको प्रभावित कर रहे हैं.
कोशिश रहेगी तथ्य, तर्क और मनुष्यता की रौशनी में बातों को देखना और उस रौशनी को आगे बढ़ाना. यह एक खुला मंच है जो हिंदी के प्रोफेसर अपूर्वानंद, सामाजिक कार्यकर्ता पंकज, पत्रकार एन.आर. मोहंती और निधीश त्यागी की पहल से शुरू हुआ है. इसमें संपादकीय सहयोग पत्रकार अजय शर्मा और तकनीकी सहयोग के मनीष सिंह का है. बिना किसी मुनाफे की मंशा या मकसद के.
आपका स्वागत है. और हमें उम्मीद है कि आपके जरिये ये विमर्श थोड़ा और सार्थक और समृद्ध होगा.
Extremely informative discussion.. Thank you.
राजनीतिक दल की हीन सोचें बल्कि जो जहाँ खड़ा है वह वातावरण पैदा करने की पुरजोर कोशिश कर एकजुटता को बाध्य करे!
Useful interactions
Govn should provide a safety net to the people who are struggling to get a job & poor family must have economic security to atleast survive in this difficult time, these startup culture can't solve the problems like income inequality & joblessness in India 🇮🇳🇮🇳....
SHANDAR