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Kadwi Coffee I कड़वी कॉफी
India
เข้าร่วมเมื่อ 30 เม.ย. 2023
A Hindi blog of long-form discussions on contemporary cultural and socio-political questions faced by the Indian society.
कड़वी कॉफी लम्बी बातचीतों के अलग- अलग सिलसिले हैं. हमारे जिंदगी, दुनिया, देश से जुड़े मसलों को समझने, उनकी बारीकियों और गहराइयों तक जाने की एक कोशिश. हिंदी में क्योंकि वहां शोर और सनसनी से बाहर तसल्ली और धीरज से विचार, विमर्श की जरूरत ज्यादा है. लोकतंत्र, समाज, नागरिकता, शिक्षा, न्याय, राज्य, मीडिया, जेंडर, संस्कृति, बाज़ार जैसे व्यापक संकायों के वे सिरे जो हम सबको प्रभावित कर रहे हैं.
कोशिश रहेगी तथ्य, तर्क और मनुष्यता की रौशनी में बातों को देखना और उस रौशनी को आगे बढ़ाना. यह एक खुला मंच है जो हिंदी के प्रोफेसर अपूर्वानंद, सामाजिक कार्यकर्ता पंकज, पत्रकार एन.आर. मोहंती और निधीश त्यागी की पहल से शुरू हुआ है. इसमें संपादकीय सहयोग पत्रकार अजय शर्मा और तकनीकी सहयोग कुमार मनीष सिंह का है. बिना किसी मुनाफे की मंशा या मकसद के.
आपका स्वागत है. और हमें उम्मीद है कि आपके जरिये ये विमर्श थोड़ा और सार्थक और समृद्ध होगा.
कड़वी कॉफी लम्बी बातचीतों के अलग- अलग सिलसिले हैं. हमारे जिंदगी, दुनिया, देश से जुड़े मसलों को समझने, उनकी बारीकियों और गहराइयों तक जाने की एक कोशिश. हिंदी में क्योंकि वहां शोर और सनसनी से बाहर तसल्ली और धीरज से विचार, विमर्श की जरूरत ज्यादा है. लोकतंत्र, समाज, नागरिकता, शिक्षा, न्याय, राज्य, मीडिया, जेंडर, संस्कृति, बाज़ार जैसे व्यापक संकायों के वे सिरे जो हम सबको प्रभावित कर रहे हैं.
कोशिश रहेगी तथ्य, तर्क और मनुष्यता की रौशनी में बातों को देखना और उस रौशनी को आगे बढ़ाना. यह एक खुला मंच है जो हिंदी के प्रोफेसर अपूर्वानंद, सामाजिक कार्यकर्ता पंकज, पत्रकार एन.आर. मोहंती और निधीश त्यागी की पहल से शुरू हुआ है. इसमें संपादकीय सहयोग पत्रकार अजय शर्मा और तकनीकी सहयोग कुमार मनीष सिंह का है. बिना किसी मुनाफे की मंशा या मकसद के.
आपका स्वागत है. और हमें उम्मीद है कि आपके जरिये ये विमर्श थोड़ा और सार्थक और समृद्ध होगा.
क्या यह जनतंत्र का आख़िरी वक्त है ?
देश के बड़े शिक्षाविद प्रो. प्रताप भानु मेहता से जनतंत्र पर प्रो. अपूर्वानंद के साथ चर्चा।
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कड़वी कॉफी लम्बी बातचीतों के अलग- अलग सिलसिले हैं. हमारे जिंदगी, दुनिया, देश से जुड़े मसलों को समझने, उनकी बारीकियों और गहराइयों तक जाने की एक कोशिश. हिंदी में क्योंकि वहां शोर और सनसनी से बाहर तसल्ली और धीरज से विचार, विमर्श की जरूरत ज्यादा है. लोकतंत्र, समाज, नागरिकता, शिक्षा, न्याय, राज्य, मीडिया, जेंडर, संस्कृति, बाज़ार जैसे व्यापक संकायों के वे सिरे जो हम सबको प्रभावित कर रहे हैं.
कोशिश रहेगी तथ्य, तर्क और मनुष्यता की रौशनी में बातों को देखना और उस रौशनी को आगे बढ़ाना. यह एक खुला मंच है जो हिंदी के प्रोफेसर अपूर्वानंद, सामाजिक कार्यकर्ता पंकज, पत्रकार एन.आर. मोहंती और निधीश त्यागी की पहल से शुरू हुआ है. इसमें संपादकीय सहयोग पत्रकार अजय शर्मा और तकनीकी सहयोग के मनीष सिंह का है. बिना किसी मुनाफे की मंशा या मकसद के.
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कोशिश रहेगी तथ्य, तर्क और मनुष्यता की रौशनी में बातों को देखना और उस रौशनी को आगे बढ़ाना. यह एक खुला मंच है जो हिंदी के प्रोफेसर अपूर्वानंद, सामाजिक कार्यकर्ता पंकज, पत्रकार एन.आर. मोहंती और निधीश त्यागी की पहल से शुरू हुआ है. इसमें संपादकीय सहयोग पत्रकार अजय शर्मा और तकनीकी सहयोग के मनीष सिंह का है. बिना किसी मुनाफे की मंशा या मकसद के.
आपका स्वागत है. और हमें उम्मीद है कि आपके जरिये ये विमर्श थोड़ा और सार्थक और समृद्ध होगा.
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जाति राजनीतिक सच्चाई है : Satish Deshpande with #kadwicoffee
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कैसे बनती हैं स्कूली किताबें: योगेंद्र यादव और सुहास पल्शीकर से अपूर्वानंद की बातचीत I #kadwicoffee
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संघ के लोगों ने मेरे घर से खाना बँधवाया और बाहर जाकर फेंक दिया: भँवर मेघवंशी
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#rss #hindurashtra #hindutva #kadwicoffee A Hindi blog of long-form discussions on contemporary cultural and socio-political questions faced by the Indian society. कड़वी कॉफी लम्बी बातचीतों के अलग- अलग सिलसिले हैं. हमारे जिंदगी, दुनिया, देश से जुड़े मसलों को समझने, उनकी बारीकियों और गहराइयों तक जाने की एक कोशिश. हिंदी में क्योंकि वहां शोर और सनसनी से बाहर तसल्ली और धीरज से विचार, विमर्श की जरूर...
आशंकाओं से संभावनाओं की तरफ़ : #kadwicoffee
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#राजनीतिक हिंसा कितनी जायज ? : #kadwicoffee
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क्या #Gandhi -हत्या में #godse अकेला था ? : #kadwicoffee
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क्या भारत को सांस्कृतिक आज़ादी मिली ? I #kadwicoffee
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#culture #tradition #hindutva #hindurashtra संस्कृति और सांस्कृतिक बदलाव पर अशोक वाजपेयी के साथ चर्चा में प्रो. अपूर्वानंद A Hindi blog of long-form discussions on contemporary cultural and socio-political questions faced by the Indian society. कड़वी कॉफी लम्बी बातचीतों के अलग- अलग सिलसिले हैं. हमारे जिंदगी, दुनिया, देश से जुड़े मसलों को समझने, उनकी बारीकियों और गहराइयों तक जाने की एक कोशिश. हि...
ग़रीबी ग़ैरबराबरी और जनतंत्र
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#poorpeople #poor #democracy A Hindi blog of long-form discussions on contemporary cultural and socio-political questions faced by the Indian society. कड़वी कॉफी लम्बी बातचीतों के अलग- अलग सिलसिले हैं. हमारे जिंदगी, दुनिया, देश से जुड़े मसलों को समझने, उनकी बारीकियों और गहराइयों तक जाने की एक कोशिश. हिंदी में क्योंकि वहां शोर और सनसनी से बाहर तसल्ली और धीरज से विचार, विमर्श की जरूरत ज्यादा है. ...
स्कूली पाठ्यचर्या 2023 : शिक्षकों और अभिभावकों की चिंतायें
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#schoolcurriculum #textbook #schoolsyllabus स्कूली पाठ्यचर्य पर गंभीर चर्चा प्रो. अपूर्वानंद और शिक्षाविद प्रो. अनीता रामपाल के साथ A Hindi blog of long-form discussions on contemporary cultural and socio-political questions faced by the Indian society. कड़वी कॉफी लम्बी बातचीतों के अलग- अलग सिलसिले हैं. हमारे जिंदगी, दुनिया, देश से जुड़े मसलों को समझने, उनकी बारीकियों और गहराइयों तक जाने की एक ...
Music of #hindutva : #हिंदुत्व का संगीत I #KadwiCoffee
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#hindutva #bhajan #religioussongs #hpop #hindumantra कुछ ऐसे प्रश्न हैं जिन्हें पत्रकार कुणाल पुरोहित ने इस पुस्तक H-Pop में खोजा है, जब वह भारत भर में यात्रा करते हैं, और ऐसा करने में, पुरोहित एक नए भारत के भयावह चेहरे से रूबरू होते हैं, जो नफरत से एकजुट है, कला से विभाजित है... सुने Kunal Purohit से उनके इस किताब पर चर्चा, Apoorvanand और Nidheesh Tyagi के साथ... A Hindi blog of long-form disc...
#राममंदिर : #बाबरीमस्जिद की छाया में I Kadwi Coffee
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#rammandir #jaishreeram #ayodhya #babrimasjid राम मय हुए पूरे देश में बेशक ये समय ऐतिहासिक समय है. लेकिन इस समय के सुनहलेपन पर कुछ सवाल तो हैं. "जय श्री राम" के प्रचंड उद्घोष के बीच "हे राम" के जप की धुन दूर जाती सुनाई दे रही है. ऐसे में राम मंदिर निर्माण की यात्रा पर वरिष्ठ पत्रकार नीलांजन मुखोपाध्यय और प्रो. अपूर्वानंद के बीच ये विमर्श कितना सार्थक ? सुने और विचार करें... A Hindi blog of long...
Secularism is a Primary need for Indian Politics ? I कड़वी कॉफ़ी
มุมมอง 1.4Kปีที่แล้ว
#secularism #secularindia #indianpolitics #election2024 Rajeev Bhargava a noted Indian political theorist expressing their view on Indian politics with/without SECULARISM with Prof. Apoorvanand. A Hindi blog of long-form discussions on contemporary cultural and socio-political questions faced by the Indian society. कड़वी कॉफी लम्बी बातचीतों के अलग- अलग सिलसिले हैं. हमारे जिंदगी, दुनिया, देश से ...
#Manipur #issue : इतनी क्रूरता तो #गुजरात #मुंबई और #कंधमाल में भी नहीं दिखी थी I Kadwi Coffee
มุมมอง 777ปีที่แล้ว
#manipur #kuki #maitei #northeast #religion India में #northeast के राज्य Manipur में मई से हिंसा जारी है. हाल ही में #human #right #activist Harsh Mander और John Dayal ने मणिपुर का दौरा कर कुकी और मैतेई बाशिंदों से मुलाकात की. हर्ष मंदर और जॉन दयाल का कहना है कि यह #हिंदू बनाम #ईसाई की #सांप्रदायिक हिंसा नहीं है और न ही इसे उस चश्मे से देखा जाना चाहिए. दोनों इस निष्कर्ष पर पहुँचे कि यह एक तरह ...
Larger #society needs to #trust our #universities: Academics को Industry के साथ इंगेज करने की जरूरत
มุมมอง 942ปีที่แล้ว
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The #bitter truth: Kadwi Coffee and the Remaining Hope I जब तक हम हँस सकते हैं, उम्मीद बाकी है
มุมมอง 2.1Kปีที่แล้ว
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#geetapress : #गांधी हत्या के समर्थक विचारधारा के साथ खड़े लोगों को मिला है गांधी शांति पुरस्कार
มุมมอง 1.6Kปีที่แล้ว
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#wrestlersprotest : इस साल एशियन गेम्स में भारत को गँवाने पड़ेंगे कई पदक I Kadwi Coffee
มุมมอง 323ปีที่แล้ว
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" #vajpayee is credited with bringing #sanghparivar into the #mainstream "
มุมมอง 3.9Kปีที่แล้ว
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Why coffee is bitter ? I क्यों है कड़वी कॉफी ? क्या ज़रूरत है इसकी ?
มุมมอง 691ปีที่แล้ว
Why coffee is bitter ? I क्यों है कड़वी कॉफी ? क्या ज़रूरत है इसकी ?
The #media doesn't set the #agenda , they fit it in : #एजेंडा सेट नहीं, फिट कर रहा है #मीडियाा
มุมมอง 937ปีที่แล้ว
The #media doesn't set the #agenda , they fit it in : #एजेंडा सेट नहीं, फिट कर रहा है #मीडियाा
What causes violence at #ramnavami I आखिर #रामनवमी पर क्यों होती है हिंसा ?
มุมมอง 904ปีที่แล้ว
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Changes in #ncert #textbooks : क्या मकसद #राजनीतिक है ?
มุมมอง 619ปีที่แล้ว
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वाह बेहतरीन प्रयास अकादमिक विमर्श को आमजन तक पहुंचाने के लिए.
Mai pahli baar dekh raha hoo.
Bhai sahab itna kyu dar rhe ho caste census se ?
Ye hai education ❤❤
❤
End of history: fukuyama End of ideology: Daniel Bell End of democracy: me Oh wait, to hell with you Aristotle, You have already said that... Democracy ---- aristocracy -----& The End 😂
Loved it!
Why the Indian intellectuals are confused about Isarel struggles for survival. HMAS, Hezbullah, hooties, Iran, are extremists, if include, Rsussia, China, North Korea these are all non democratic forces, and countries supporting are democratic countries. It is essential it is a fight for Democracy. Iran should accept the existence of Israel, that will pave the way for Palestinian solution.
Pratap you have already travelled so much criticising the current government that now u don’t have any choice except to defend your self constructed realities………
Apoorvanand ji …..you suffer a complex wherein a person suffers his own imagination and perceptual realities ………..
बड़ी हैरानी है कि प्रताप भानु जी इतनी अच्छी हिंदी बोल सकते है। आपका बहुत बहुत धन्यवाद।
Enlighting discussion. Tkank u🎉
20 century idealism 21st century pragmatism
Prof Apurvanand is the foremost intellectual of this country. Bhanu Pratap has no idea of the realities of this country.
From the looks of Prof Apurvanand , he's clearly not impressed. He's just tolerating him .
He still wants to blame Congress for ModiShah shenanigans. He is highly overrated.
This man was spectacularly wrong on Modi & Rahul , to decipher Modi was not so difficult , Prof Apurvanand & Arundhati Roy were spot on . Rahul Gandhi was difficult to decipher & he proved a dud .
The following is clear from the discussion : 1. They don't like the social media, as it exposes the double standard of the communists, Leftist and Islamist. 2. The Leftist doesn't like Indian and specially Hindus to take pride on their culture, civilization and religion. 3. Everything wrong is attributed to elites (read Hindu upper caste) 4. India is almost as backward as it was in 70s and 80s These idiots nothing but pseudo illectuals, very shallow. They brainwashed many generations, now they are frustrated
Apoorvanand ji is perpetually agonising over Muslims!
बहुत सुंदर वहस
Intellectual exchange that was long missing in our discourses. Grateful and hope such forums abound.
बहुत अच्छी चर्चा रही।
अपूर्वा,नंद,जी,बात,चीत,बेहतर,है,इस,समय,जनतन्नंत्र,खतरे,में,है,
Just bring people from both perspective.. We know what Bhanu Pratap will say....He will be Anti BJP. .. Bring someone form pro BJP guest also....let people hear both the guets and then come to conclusions....It like eco chamber debate just like godi media debate
बहुत बहुत धन्यवाद आपका अपूर्वान्द जी आप मानवता के लिए ख़ूब कौशिश कर रहे हैं सलाम जय भीम सर, महिपाल मानव
कई जगह पर प्रोफ़ेसर साहब से जब अच्छी किताब पढ़ने के बाबत पुच्छा गया है तो ये साहब महाभारत पढ़ने के लिए कहते हैं? मुझे बड़ा अजीब लगता है उसमें क्या है सिवा सड़यंत्रों. अनेतिकताओं. जातिवाद के इन्ही रामायण महाभारत के बलबूते आज RSS तमाम देश का सत्यानाश कर रही है? कुछ बातें ठीक न्यायसंगत करके आरक्षण वाले इशु पर फिर कंफूज कर गए, महिपाल मानव हिसार हरियाणा
Coffe ko mithi banaye
Nice initiative👍
प्रोफ़ेसर साहब को सुनने के बाद मैंने एक बात पर ध्यान दिया, कि जब आज के वैज्ञानिक युग में एक क़ौम को हर लिहाज़ से दुश्मन बना कर देश के अधिकतर नागरिकों को उनसे नफ़रत करने को उन्माद तक ला दिया और सरे आम लीचिंग करवाई जा रही है? मुझे यही बात उस पर भी सोचने को प्रेरित कर रही जब करोड़ों निर्दोष निर्दोष ही नहीं हर प्रकार का सृजन करने वाले लोगों को खामखां नीच( सूद्र) बना कर मानवीय ज़रूरतों से बरतरफ़ कर दिया हज़ारों साल तक वो क़ौमें ज़िंदा कैसे रही यह बहुत ही विचारणीय है? महिपाल मानव हिसार हरियाणा
सहज-सरल सवाल--चिंता होनी चाहिये। और इससे भी ज्यादा सहज-सरल जवाब होना चाहिए। जनतंत्र-प्रजातंत्र के जो रक्षक-संरक्षक हैं वह आमलोग हैं। एक और धक्का देने की जरूरत है। अधिनायक की दिशा में सोचने वालों का मंशा चूर हुआ है। चकना चूर करने की जरूरत है। जनादेश के मायने समझना ही होगा। सबों को बदलना ही होगा। जो नहीं समझेगा ध्वस्त हो जायेगा। जय संविधान ।
Excellent brain storming discussion 🎉
❤❤❤❤ बहुत ही शानदार चर्चा
Excellent discussion, most relevant, intellectually stimulating, posing challenging questions and possibly showing a streak of light in dark tunnel. thanks a million.
मैं पूरी बातचीत ध्यान से सुना ,अन्यथा पल्ले नहीं पड़ता है ऐसा विमर्श।
Hypothetical talks with no practical insight
तुम भी हम जैसे निकले अब तक कहाँ छिपे थे भाई वोहि मूर्खता वोहि घामड़पन जिसमें हमने सदी गँवाई आख़िर पहुँची द्वार तुम्हारे अरे बधाई बहुत बधाई प्रीत धर्म का नाच रहे हो क़ायम हिंदू राज करोगे सारे उल्टे काज करोगे तुम भी बैठे सोचा करोगे पूरी है ऐसी तैयारी कौन है हिंदू कौन नहीं है तुम भी फ़तवे करोगे जारी होगा कठिन यहाँ भी जीना दांतों आ जाएगा पसीना जैसी- तैसी कट्टा करेगी यहाँ सबकी साँस घुटेगी भाड़ में जाए शिक्षा विक्षा अब जाहिलपन के गुण गाना आगे गढ़ा है यह मत देखो वापिस लाओ गया ज़माना एक जाप सा करते जाओ बस पीछे ही कदम बढ़ाओ कैसा वीर महान था भारत कितना आलीशान था भारत फिर तुम लोग पहुँच जाओगे बस परलोक पहुँच जाओगे हम तो पहले से हैं वहाँ पर तुम भी वक्त निकलते रहना अब जिस नरक में वहाँ से चिट्टी विट्टी डालते रहना। कवयियत्रि फ़हमीदा रियाज़ जी का २०२१ में निधन हो गया ऐसी कविताएँ लिखते रहने से उंहे पाकिस्तान सरकारों ने जेलों में बंद रखा? महिपाल मानव हिसार हरियाणा
एक मिसटेक अब जिस नरक में जाओ वहाँ चिट्टी विट्टी डालते रहना
Bahut samay baad
maine pura suna. insightful
Excellent discussion to ignite the rational thinking with regard to global& social issues.
अपूर्वान्द जी प्रोफ़ेसर साहब ने जो यह बताया कि अतीत से स्वाभिमान जगाने के धूर्त एजेंडे पर RSS जो ज़ोर दे रहा है और यहाँ की मिली जूली सभ्यता संस्कृति को तहस नहस करने पर आमादा है, इस पर पाकिस्तान की फ़हमिदा रियाज़ ने एक कविता लिखी थी अभी मोदी के PM बनने के बाद, हमारे वालों ने तो इस राह पर चल कर विनाश कर दिया है आप भी उसी राह पर चल पड़े? उनकी कविता मै आगे लिख रहा हूँ, महिपाल मानव हिसार हरियाणा
आदर्शवाद हर चीज में उत्कृष्टता का जनक हो सकता है ! शायद!
Nice couple ❤
👍❤️👍
इस बहुलता का सबसे बड़ा शत्रु तो फिर शिक्षा हुई?वर्तमान शिक्षा का जो स्वरूप है
तो क्या किसी विशेष सामूहिकता को उसके लक्ष्यों यदि कोई लक्ष्य हों उनकी प्राप्ति के बाद स्थगित कर देना चाहिए??
After reading few books written by Ramesh Chandra Mazumder and Jadu nath sarkar, the concept of history of india is change at large scale. Now i can understand the censorship of history.
Nepotism is one of the biggest threat of democracy .
I think that seeing the history and background of psyche of an average indian it is possible to divert the thought process of majority and minority only by talking in the terms of oppressor and the oppressed. I clearly find that in our present ociety there are only two classes. when i read Noah harari then it becomes clear to me that this narrative of religion etc is ony to divert attention frm the real issues of survival and to grab power. oppressed Indians will have to understand this truth
Sarkar, media, Judiciary 😢😢.
Evm hatao loktantra bachao 😢