संगीतमय श्रीरामचरितमानस बालकाण्ड दोहा 66 से 70, ramcharitmanas। पं. राहुल पाण्डेय

แชร์
ฝัง
  • เผยแพร่เมื่อ 3 มิ.ย. 2024
  • संगीतमय श्रीरामचरितमानस बालकाण्ड दोहा 66 से 70, ramcharitmanas। पं. राहुल पाण्डेय
    #ramayan #shriram #ram #doha #indianhistory #hanuman #choupai #ramcharitmanas
    सरिता सब पुनित जलु बहहीं। खग मृग मधुप सुखी सब रहहीं॥
    सहज बयरु सब जीवन्ह त्यागा। गिरि पर सकल करहिं अनुरागा॥
    सोह सैल गिरिजा गृह आएँ। जिमि जनु रामभगति के पाएँ॥
    नित नूतन मंगल गृह तासू। ब्रह्मादिक गावहिं जसु जासू॥
    नारद समाचार सब पाए। कौतुकहीं गिरि गेह सिधाए॥
    सैलराज बड़ आदर कीन्हा। पद पखारि बर आसनु दीन्हा॥
    नारि सहित मुनि पद सिरु नावा। चरन सलिल सबु भवनु सिंचावा॥
    निज सौभाग्य बहुत गिरि बरना। सुता बोलि मेली मुनि चरना॥
    दोहा- त्रिकालग्य सर्बग्य तुम्ह गति सर्बत्र तुम्हारि॥
    कहहु सुता के दोष गुन मुनिबर हृदयँ बिचारि॥६६॥
    कह मुनि बिहसि गूढ़ मृदु बानी। सुता तुम्हारि सकल गुन खानी॥
    सुंदर सहज सुसील सयानी। नाम उमा अंबिका भवानी॥
    सब लच्छन संपन्न कुमारी। होइहि संतत पियहि पिआरी॥
    सदा अचल एहि कर अहिवाता। एहि तें जसु पैहहिं पितु माता॥
    होइहि पूज्य सकल जग माहीं। एहि सेवत कछु दुर्लभ नाहीं॥
    एहि कर नामु सुमिरि संसारा। त्रिय चढ़हहिँ पतिब्रत असिधारा॥
    सैल सुलच्छन सुता तुम्हारी। सुनहु जे अब अवगुन दुइ चारी॥
    अगुन अमान मातु पितु हीना। उदासीन सब संसय छीना॥
    दोहा- जोगी जटिल अकाम मन नगन अमंगल बेष॥
    अस स्वामी एहि कहँ मिलिहि परी हस्त असि रेख॥६७॥
    सुनि मुनि गिरा सत्य जियँ जानी। दुख दंपतिहि उमा हरषानी॥
    नारदहुँ यह भेदु न जाना। दसा एक समुझब बिलगाना॥
    सकल सखीं गिरिजा गिरि मैना। पुलक सरीर भरे जल नैना॥
    होइ न मृषा देवरिषि भाषा। उमा सो बचनु हृदयँ धरि राखा॥
    उपजेउ सिव पद कमल सनेहू। मिलन कठिन मन भा संदेहू॥
    जानि कुअवसरु प्रीति दुराई। सखी उछँग बैठी पुनि जाई॥
    झूठि न होइ देवरिषि बानी। सोचहि दंपति सखीं सयानी॥
    उर धरि धीर कहइ गिरिराऊ। कहहु नाथ का करिअ उपाऊ॥
    दोहा- कह मुनीस हिमवंत सुनु जो बिधि लिखा लिलार।
    देव दनुज नर नाग मुनि कोउ न मेटनिहार॥६८॥
    तदपि एक मैं कहउँ उपाई। होइ करै जौं दैउ सहाई॥
    जस बरु मैं बरनेउँ तुम्ह पाहीं। मिलहि उमहि तस संसय नाहीं॥
    जे जे बर के दोष बखाने। ते सब सिव पहि मैं अनुमाने॥
    जौं बिबाहु संकर सन होई। दोषउ गुन सम कह सबु कोई॥
    जौं अहि सेज सयन हरि करहीं। बुध कछु तिन्ह कर दोषु न धरहीं॥
    भानु कृसानु सर्ब रस खाहीं। तिन्ह कहँ मंद कहत कोउ नाहीं॥
    सुभ अरु असुभ सलिल सब बहई। सुरसरि कोउ अपुनीत न कहई॥
    समरथ कहुँ नहिं दोषु गोसाई। रबि पावक सुरसरि की नाई॥
    दोहा- जौं अस हिसिषा करहिं नर जड़ि बिबेक अभिमान।
    परहिं कलप भरि नरक महुँ जीव कि ईस समान॥६९॥
    सुरसरि जल कृत बारुनि जाना। कबहुँ न संत करहिं तेहि पाना॥
    सुरसरि मिलें सो पावन जैसें। ईस अनीसहि अंतरु तैसें॥
    संभु सहज समरथ भगवाना। एहि बिबाहँ सब बिधि कल्याना॥
    दुराराध्य पै अहहिं महेसू। आसुतोष पुनि किएँ कलेसू॥
    जौं तपु करै कुमारि तुम्हारी। भाविउ मेटि सकहिं त्रिपुरारी॥
    जद्यपि बर अनेक जग माहीं। एहि कहँ सिव तजि दूसर नाहीं॥
    बर दायक प्रनतारति भंजन। कृपासिंधु सेवक मन रंजन॥
    इच्छित फल बिनु सिव अवराधे। लहिअ न कोटि जोग जप साधें॥
    दोहा- अस कहि नारद सुमिरि हरि गिरिजहि दीन्हि असीस।
    होइहि यह कल्यान अब संसय तजहु गिरीस॥७०॥
    #motivation #ram #krishna #shriram #shrikrishna #ayodhya #mathura #indianhistory #bhakti #religion #truth #ramayan #mahabharat #sitaram #motivationalvideo #quotes #achhevicharinhindi #shriramcharitmanas #shriram #hanuman #sholka #choupai #doha #ramayan #tulsidas
  • เพลง

ความคิดเห็น • 1