ज्वालपा देवी मंदिर | माँ भगवती का ज्वाला स्वरूप | नवरात्रि विशेष | पौड़ी गढ़वाल | 4K | दर्शन 🙏

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  • เผยแพร่เมื่อ 11 ต.ค. 2024
  • जय माता दी, आप सभी का हमारे कार्यक्रम दर्शन में हार्दिक अभिननंदन है. भक्तो देव भूमि उत्तराखंड में दिव्य पर्वतो और नदियों के बीच अनेको तीर्थ स्थल हैं , इन्ही तीर्थ स्थलों में एक माँ शक्ती का सिद्ध पीठ है जहाँ माँ शक्ति ने असुर कन्या शचि की तपस्या से प्रसन्न होकर शचि को स्वर्ग की महारानी बना दिया था, यहाँ विराजमान माँ भगवती कृपा की मूर्ति हैं. जो श्रद्धालुओं को उनके थोड़े से कर्म का बहुत बड़ा फल देने वाली मानी जाती हैं, तो आइये दर्शन करते हैं कृपालु माँ भगवती के ज्वाल्पा रूप के जो विराजमान है "ज्वाल्पा देवी मंदिर" में।
    मंदिर के बारे में:
    उत्तराखंड राज्य के पौड़ी से लगभग ३० किलोमीटर दूर पौड़ी-कोटद्वार मार्ग पर सतपुली के निकट न्यार नदी के तट पर स्थित है "ज्वालपा देवी मंदिर" सुन्दर पहाड़ियों के बीच और शीतल नदी के तट स्थित ये एक बहुत ही मनोरम तीर्थ स्थल है , यहाँ माँ शक्ति भगवती ज्वाला रूप में विराजमान है इसीलिए इस स्थान को ज्वाल्पा धाम भी कहते हैं , लगभग ४०० वर्ष पूर्व यहाँ के नरेश ने मंदिर के आस-पास की ज़मीन को सरसो उगाने के लिए दे दिया था, ताकि माँ के दरबार में अखंड तेल का दीपक जलता रहे क्यूंकि यहाँ माँ ज्वाला रूप में है इसलिए माँ के सम्मुख ज्वालारूप दीपक जलता रहे।
    मंदिर का इतिहास:
    स्कन्द पुराण के केदार खंड में वर्णन आता है कि असुर पुलोम की शचि नामक कन्या ने एक बार ऐरावत पर सवार देवराज इंद्र को देख लिया और शचि इंद्र के उस रूप पर मोहित हो गई, अब वो इंद्र देव को पाने का प्रयास करने लगी पर जब उसके सभी प्रयास विफल हो गए तब नारद जी ने उसे माँ भगवती की उपासना करने को कहा, तब शचि ने नारद जी को गुरु मानकर माँ भगवती की आराधना और घोर तप प्रारंभ कर दिया, माँ शक्ति शचि की तपस्या से प्रसन्न हो गयी और उसे देवराज इंद्र के साथ विवाह का वरदान देकर स्वर्ग की महारानी बना दिया, भक्तो इसी स्थान पर माँ भगवती ने शचि को दर्शन दिए थे और फिर सदा के लिए दिव्य ज्योति के रूप में यहाँ प्रतिष्ठित हो गयी थी.
    किवदंतियां ऐसी भी हैं, कि 9वी शताब्दी में गुरु आदि शकंराचार्य जी ने भी यहाँ माँ ज्वालपा के दर्शन किये थे और इसीलिए उन्होंने यहाँ मंदिर निर्माण कर माँ की मूर्ति में प्राण प्रतिष्ठा की थी. भक्तो माँ "ज्वालपा देवी मंदिर" बहुत ही प्राचीन मंदिर है। वर्तमान मंदिर का निर्माण 1892 ई. में किया गया था।
    मंदिर परिसर:
    मंदिर का प्रवेश द्वार सड़क के किनारे ही बना हुआ है, प्रवेश द्वार के पास कई प्रसाद और पूजा सामग्री की दुकाने हैं, प्रवेश द्वार में प्रवेश करते ही लगभग २०० मीटर नीचे सीढ़ियों से उतरकर "ज्वालपा देवी मंदिर" के दर्शन होते हैं, प्रवेश द्वार से मंदिर तक मार्ग के ऊपर शेड लगा है, तथा घंटी और मन्त्र लिखित पट्टियाँ भी लगी हैं इनसे मार्ग की शोभा ही नहीं बढ़ रही है बल्कि मार्ग में चलते हुए स्वभाविक ही सकारात्मक ऊर्जा का अनुभव होने लगता है, यहाँ शिव परिवार की पूजा अर्चना की जाती है, माँ ज्वालपा माँ पार्वती का ही स्वरुप है इसलिए यहाँ आनेवाले श्रद्धालु तन मन से शिव परिवार की उपासना और पूजा करते हैं। मंदिर पश्चिमी न्यार नदी के तट पर स्थित होने के कारण मंदिर की सीढ़ियों से सीधे नदी पर पहुँच सकते हैं, यहाँ कल कल की नदी की दिव्य ध्वनि और पर्वतो की हरियाली मन को किसी अलग ही लोक में पहुंचा देती हैं मंदिर के पास का वातावरण पूर्णतः दिव्य है, यहाँ पूजा अर्चना करने से भक्तो और श्रद्धालुओं की मनोकामना शीघ्रता से पूर्ण होती है।
    गर्भ गृह व अन्य देव मूर्तियां:
    मंदिर के गर्भ गृह में माँ ज्वालपा विराजमान हो भाक्तों पर अभी कृपा बरसा रहीं हैं. माँ के साथ ही यहाँ सम्पूर्ण शिव परिवार भी विराजित है, महादेव भोलेनाथ, श्री गणेश जी, कार्तिकेय जी की पूजा भी माँ भगवती ज्वालपा के साथ ही भक्तजन बड़े भाव से करते हैं आस्था है कि माँ ज्वालपा भक्तो की उपासना से बहुत शीघ्र प्रसन्न हो मनवांछित फल प्रदान करती हैं।
    मंदिर में गणेश जी, भोलेनाथ महादेव, शनिदेव, कालीमाता, माँ शेरावाली, हनुमान जी और भैरव नाथ जी के भी दर्शन और पूजा होती है, जो भक्त माँ ज्वालपा के दर्शनों को आते हैं वो इन् सभी मंदिरो में दर्शन और पूजा भी अवश्य करते हैं।
    आरती का समय:
    माँ ज्वाल्पा के मंदिर में आरती का समय प्रातः 6:30 बजे का है तथा संध्या आरती लगभग 7 बजे होती है, भक्तो मन्दिर में आरती के समय का वातावरण अति दिव्य होता है, भक्तजन यहाँ संध्या आरती बड़े ही हर्षो-उल्लास के साथ करते हैं।
    अन्य दर्शनीय स्थल:
    यदि आप उत्तराखंड राज्य के पौड़ी गढ़वाल में स्थित "ज्वालपा देवी मंदिर", के दर्शनों के लिए आयें तो साथ ही श्री नीलकंठ मंदिर, श्री ताड़केश्वर मंदिर, बिनसर महादेव मंदिर, कण्डोलीया मंदिर, परमार्थ निकेतन, श्री सिद्ध बलि बाबा धाम मंदिर, त्रंबकेश्वर मंदिर चंडी माई मंदिर, धारी देवी मंदिर, सूर्य मंदिर, हनुमान मंदिर, हित देवता मंदिर, कर्ण मंदिर , अलकनंदा पिंडर संगम, सप्त बद्री मंदिर तथा पंच केदार मंदिर, तुंगनाथ मंदिर, रुद्रनाथ मंदिर, श्री कल्पेश्वर नाथ महादेव मंदिर, मध्यमहेश्वर नाथ मंदिर, केदार नाथ मंदिर आदि के दर्शन भी कर सकते हैं .
    श्रेय:
    लेखक - याचना अवस्थी
    Disclaimer: यहाँ मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहाँ यह बताना जरूरी है कि तिलक किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
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ความคิดเห็น • 15

  • @sweetu6298
    @sweetu6298 ปีที่แล้ว +2

    जय माता ज्वालपा देवी जी 🙏💐

  • @sandhyalingwal2323
    @sandhyalingwal2323 4 หลายเดือนก่อน

    Jai maa bhagwati jwalpa🙏❤

  • @rajannegi6135
    @rajannegi6135 10 หลายเดือนก่อน

    Jai ma jwalpa devi🙏🙏

  • @RadheRadheKrishna-d1t
    @RadheRadheKrishna-d1t ปีที่แล้ว

    🌹🙏🌹जय माता दी 🌹🙏🌹

  • @Jaisiyaramji1100
    @Jaisiyaramji1100 ปีที่แล้ว +1

    Jai maa jwalpa ❤❤🙏🙏

  • @Chandresh_khantwal
    @Chandresh_khantwal 9 หลายเดือนก่อน

    Jai maa jwalpa

  • @AMITYT1341
    @AMITYT1341 ปีที่แล้ว

    Jai shree ram

  • @sweetu6298
    @sweetu6298 ปีที่แล้ว +1

    जय माता दी 🙏

  • @latanegi6972
    @latanegi6972 ปีที่แล้ว

    Jay ma❤❤❤❤❤

  • @dengerboyganeshdengerboyganesh
    @dengerboyganeshdengerboyganesh ปีที่แล้ว

    Jay maa

  • @shrabantidebi7071
    @shrabantidebi7071 ปีที่แล้ว

    Jai siya ram❤

  • @matrix2fool
    @matrix2fool 10 หลายเดือนก่อน

    Please publish a book on these temples. It will be of great value for us. Make it volume wise or state wise whatever suits you.

  • @AMITYT1341
    @AMITYT1341 ปีที่แล้ว

    Jai mata dii🛕🛕

  • @sharadsrivastav728
    @sharadsrivastav728 ปีที่แล้ว +1

    Jai siya Ram 😊🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏