अत्रि ऋषि के पुत्र दुर्वासा ऋषि ने बताया था दशरथ को उनके पुत्रों का भविष्य | रामायण | दिव्य कथाएँ

แชร์
ฝัง
  • เผยแพร่เมื่อ 11 ต.ค. 2024
  • "भक्त को भगवान से और जिज्ञासु को ज्ञान से जोड़ने वाला एक अनोखा अनुभव। तिलक प्रस्तुत करते हैं दिव्य भूमि भारत के प्रसिद्ध धार्मिक स्थानों के अलौकिक दर्शन। दिव्य स्थलों की तीर्थ यात्रा और संपूर्ण भागवत दर्शन का आनंद। दर्शन दो भगवान!
    Watch the video song of ''Darshan Do Bhagwaan'' here - • दर्शन दो भगवान | Darsh...
    मिथिला से लौटने के पश्चात एक दिन महर्षि वशिष्ठ के आश्रम के प्रांगण में मंत्री सुमन्त से वार्तालाप करते समय लक्ष्मण उनसे कहते है कि बड़े भैया को ज्ञान और दर्शन की नहीं, संवेदना की आवश्यकता है। तो सुमन्त कहते है कि धर्म और ज्ञान ही नया पथ बनाता है। लक्ष्मण जब होनी के विषय में चर्चा करते है तब सुमन्त कहते है कि होनी को बदला नहीं जा सकता, इसलिए होनी को जान लेने से कुछ नहीं होता। सुमन्त एक बड़े रहस्य का खुलासा करते हुए कहते है कि वशिष्ठ जी को राम और सीता के जीवन में होने वाली समस्त घटनाएं पहले से ही पता थी, जो उनके आश्रम में दशरथ जी द्वारा अपने पुत्रों के भविष्य पूछने पर अत्रि ऋषि के पुत्र ऋषि दुर्वासा द्वारा बताई गई थी। जब दशरथ जी उनसे पूछा कि उनके सबसे प्रिय पुत्र के साथ ऐसा क्यों होगा। तब दुर्वासा मुनि ने उन्हें बताया कि राम स्वयं विष्णु के अवतार हैं। देवासुर संग्राम के समय असुरों को भृगु ऋषि की पत्नी द्वारा शरण दिए जाने से क्रोधित विष्णु ने सुदर्शन चक्र से ऋषि पत्नी का सिर काट दिया था। तब भृगु ऋषि ने उन्हें श्राप दिया था कि उन्हें मानव रूप में धरती पर जन्म लेना पड़ेगा और पत्नी वियोग का दुख सहना पड़ेगा। रात्रि में लक्ष्मण बड़े भाई के चरण दबाते हुए प्रश्न करते है कि क्या वह सचमुच भगवान का अवतार हैं। श्री राम उनसे कहते हैं कि हर व्यक्ति में भगवान का वास होता है। यदि भगवान अगर नर रूप में हैं तो उन्हें माया के वशीभूत होकर भी अपने धर्म का निर्वाह करना है। श्री राम कहते हैं कि सीता लक्ष्मी का अवतार हैं तो वह होनी को बदल भी सकती थी, लेकिन उसने धर्म निर्वाह करते हुए वनवास का दुख भोगना स्वीकार किया।
    महाकाव्य रामायण का एक अति महत्वपूर्ण काण्ड है - उत्तर काण्ड अर्थात उत्तर रामायण, रावण के वध के पश्चात श्री राम के सीता सहित अयोध्या वापस आकर राजसिंहासन संभालने की कथा, एक बार पुनः श्री राम सीता के बिछड़ने की कथा, लव-कुश की कथा। श्री राम के राजकीय जीवन और पारिवारिक जीवन के अंतर्द्वंद्व का चित्रण, जिसे रामायण धारावाहिक की सफलता के पश्चात जन भावना को ध्यान में रखते हुए रामानंद सागर जी ने रविन्द्र जैन के मधुर गीत-संगीत से लयवद्ध करा के “उत्तर रामायण” के रूप में प्रस्तुत किया। “तिलक” अपने इस नये संकलन “गीत-संवाद” में उत्तर रामायण के अनेक काव्यबद्ध प्रसंगों को आपके समक्ष प्रस्तुत करेगा। भक्ति भाव से इनका आनन्द लीजिये और तिलक से जुड़े रहिये।
    #tilak #ramayan #kathayen #divyakathayen #ayodhya #ayodhyarammandir #rammandir

ความคิดเห็น • 25