50. योग दर्शन 1/34 प्राणायाम का अभ्यास कैसे करें?

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  • เผยแพร่เมื่อ 13 ก.ย. 2024
  • प्रच्छर्दनविधारणाभ्यां वा प्राणस्य ॥ ३४ ॥
    शब्दार्थ - (प्रच्छर्दन- विधारणाभ्याम्) नासिका द्वारा [प्राणको] बाहर फेंकना - बाहर रोके रहना, इन दो प्रकारों से (वा) अथवा (प्राणस्य) प्राण के ।
    सूत्रार्थ - प्राण को नासिका द्वारा बाहर फेंकने और फेंककर बाहर रोके रहना इन दो प्रकारों से 'चित्त की एकाग्रता' होती है ।
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ความคิดเห็น • 7

  • @PrabhakarSharma-qg4ov
    @PrabhakarSharma-qg4ov ปีที่แล้ว

    🚩🕉️🔱🌞🙏🙏🙏

  • @cosmicmind9293
    @cosmicmind9293 ปีที่แล้ว

    bahut sundar abhyas OM🙏

  • @shalugoyal5358
    @shalugoyal5358 ปีที่แล้ว

    धन्यवाद आचार्य जी,आपने जो सिखाया उसके लिए कोई शब्द नहीं है

  • @maheshbari8703
    @maheshbari8703 ปีที่แล้ว +1

    ओउम् नमस्ते आचार्य जी, महाराष्ट्र बोईसर नवापूर,, बहुत बहुत धन्यवाद आचार्य जी

  • @ashokagrawal4513
    @ashokagrawal4513 ปีที่แล้ว

    सादर प्रणाम आचार्य जी

  • @omprakasharya7880
    @omprakasharya7880 ปีที่แล้ว

    नमस्ते आचार्य जी क्या बाह्य प्राणायाम और आभ्यान्तर प्राणायाम एक सात कार सकते हैं?