A memorable presentation by an author, lyricist, and a writer. He had such a modest start, underestimated himself but rose to such a level in a cut-throat competitive world of the Bombay Movie industry that he received the Dada Saheb Phalke award in the presence of his parents. Born in 1946, Abhilash-ji died of cancer relatively young in 2020 but he sounded contented on becoming both Dada and Nana. Indeed, just as the life of a legend like Sahir was an inspiration to him, his life must be an inspiration to many. In the Sanatani tradition, praying for Abhilash-ji's Sadagati..🙏🙏
Kuchh din pehle hi maine aap ke bahut se interviews apni Facebook per share kiye the, aap bhi chale gaye ,Vijay Nagar, Delhi me Om Parkash Sethi aur Meri dosti ki yaadein hi rah gayi,RIP
आज की सुबह जीवन भर याद रहेगी। अभिलाष जी के दोनो ही गीत मेरे और मेरी माँ के अत्यंत प्रिय .. अम्मा को अक्सर सुनाया करता। संसार है एक नदिया/ इतनी शक्ति हमें देना दाता। आज बेकल मन था अम्मा को याद करते.. फिर गीत सुने और अभिलाष जी को ढूंढ़ने लगे। अनसुने भी गीत सुने और लिंक में जहाँ रचनाकार का नाम नहीं उनको comments box पर कहा कि शब्द प्रति जो गीत दिल मे उतरता उस शब्दकार उस रचनाधर्मी का नाम क्यों नहीं description में देते। लता दी का प्राईवेट 'साँझ भई घर आ जा रे पिया" .. सुना। संगीतमर्मज्ञ मित्रों को भी शेयर किया लिंक -- th-cam.com/video/vX0RxxbYgIw/w-d-xo.html फिर एक unreleased movie का बेहद कर्णप्रिय गीत झूमता मुस्कुराता चल कई बार सुना लिंक -- th-cam.com/video/4y72N5Dv_1M/w-d-xo.html और फिर साक्षात्कार की चाह में divine melody के चैनल और आना हुआ। पूरी टीम को कोटि कोटि आभार और ओमप्रकाश "अभिलाष" सर कोटिशः नमन !! बेहद दिलचस्प .. खूब से ख़ूबतर ! 💐💐 सप्रेम अनुराग त्रिवेदी 'एहसास" लेखक एक्टिविस्ट सम्पादक, प्रगल्भ साहित्य जबलपुर, मध्यप्रदेश
संसार इक नदिया है
इतनी शक्ति हमें देना दाता....
उत्कृष्ट गीतकार
A memorable presentation by an author, lyricist, and a writer. He had such a modest start, underestimated himself but rose to such a level in a cut-throat competitive world of the Bombay Movie industry that he received the Dada Saheb Phalke award in the presence of his parents. Born in 1946, Abhilash-ji died of cancer relatively young in 2020 but he sounded contented on becoming both Dada and Nana. Indeed, just as the life of a legend like Sahir was an inspiration to him, his life must be an inspiration to many. In the Sanatani tradition, praying for Abhilash-ji's Sadagati..🙏🙏
Really inspiring! Thanks sir!
हे परम आदरणीय अभिलाष जी, आपके चरणों में शीश झुकाकर कोटि कोटि नमन करता हूं......🙏🙏🙏🙏🙏🙏❤️❤️❤️❤️❤️❤️
Waaah kitni khubsurat video .. dil khush ho gaya iss dekh ke ❤️❤️❤️
शत शत नमन. . .
Sach mein sansar hai ik nadia wah kiya khoob likha sir aap ne
Pahale kitane milansar Lok the koi kisi se Hindu muslim bhedbhav nahi karte the sabhi ke tallent ko Hindu ya muslim Lok support karate the
Background music ने बहुत परेशान किया।
Itni shakti hame dena data..... Great
भाई जी, इस साक्षात्कार में आपने जो बैकग्राउंड म्युजिक दिया है, क्या वो जरूरी था 😢?
Rest in peace ,mausa ji
😭😭🙏🙏
Unsung genius. Sadly being identified after he is no more. But what he has written is immortal.
Kuchh din pehle hi maine aap ke bahut se interviews apni Facebook per share kiye the, aap bhi chale gaye ,Vijay Nagar, Delhi me Om Parkash Sethi aur Meri dosti ki yaadein hi rah gayi,RIP
Great vdo on great theme.
Background music is too loud and disturbing
Yeah.. it's disturbing
Thank you for uploading that
आज की सुबह जीवन भर याद रहेगी। अभिलाष जी के दोनो ही गीत मेरे और मेरी माँ के अत्यंत प्रिय .. अम्मा को अक्सर सुनाया करता। संसार है एक नदिया/ इतनी शक्ति हमें देना दाता। आज बेकल मन था अम्मा को याद करते.. फिर गीत सुने और अभिलाष जी को ढूंढ़ने लगे।
अनसुने भी गीत सुने और लिंक में जहाँ रचनाकार का नाम नहीं उनको comments box पर कहा कि शब्द प्रति जो गीत दिल मे उतरता उस शब्दकार उस रचनाधर्मी का नाम क्यों नहीं description में देते। लता दी का प्राईवेट 'साँझ भई घर आ जा रे पिया" .. सुना। संगीतमर्मज्ञ मित्रों को भी शेयर किया लिंक -- th-cam.com/video/vX0RxxbYgIw/w-d-xo.html
फिर एक unreleased movie का बेहद कर्णप्रिय गीत झूमता मुस्कुराता चल कई बार सुना लिंक -- th-cam.com/video/4y72N5Dv_1M/w-d-xo.html
और फिर साक्षात्कार की चाह में divine melody के चैनल और आना हुआ।
पूरी टीम को कोटि कोटि आभार और ओमप्रकाश "अभिलाष" सर कोटिशः नमन !!
बेहद दिलचस्प .. खूब से ख़ूबतर ! 💐💐
सप्रेम
अनुराग त्रिवेदी 'एहसास"
लेखक एक्टिविस्ट
सम्पादक, प्रगल्भ साहित्य
जबलपुर, मध्यप्रदेश
Rest in peace Sir
ॐ शान्ति: शान्ति: शान्ति:।
RIP....
Nice but background music too loud
I feel bad.. that he was not given importance in his later life,
Please mute the background music! It is spoiling everything.
Rip
ॐ शान्ति: शान्ति:शान्ति: ।