हमारा दुर्भाग्य है कि आदरणीय नौटियाल जी जैसे बुद्धिजीवी लोगों की बातों पर कोई ध्यान ही नहीं दें रहा है. बारामासा के जब भी वीडियोज देखता हूं तो अपने प्रदेश की दयनीय स्थिति को देखकर बड़ा दुख होता है. आशा करता हूं कि आपकी इस पहल और कोशिशों से भविष्य में प्रदेश की स्थिति में सुधार हो पाये.
राहुल जी और नौटियाल जी के मुताबिक हमें पाषाण युग में लौट जाना चाहिए। ये 6 महीने की योजना में दून के लिए शहरी एजेंडा की बात करते हैं, लेकिन पूरी वीडियो में शहरीकरण के खिलाफ ही बोले हैं। 5 साल की योजना, 6 महीने की योजना या मेयर कैसा होना चाहिए, ये बताते हुए ऐसा लगता है कि नौटियाल जी मानते हैं कि जो कुछ भी हो रहा है वह बिना किसी योजना के हो रहा है। या फिर अब तक के मेयर इन योग्यताओं से दूर रहे हैं। इनके सुझाव बहुत सामान्य (जेनरिक) हैं। किसी भी तर्क के समर्थन में कोई ठोस डेटा या अध्ययन का जिक्र नहीं है। बस तीन जगहों पर मतदाता प्रतिशत बढ़ने की बात कही गई है, लेकिन यह नहीं बताया गया कि यह बढ़ोतरी क्यों हुई, किस तरह के मतदाता जुड़े, आदि। कुल मिलाकर, यह बातें अअनुसंधानित, अस्पष्ट और अधूरी लगती हैं। साथ ही, यह मूल निवासी और बाहरी लोगों के बीच दूरी बढ़ाने वाली भी लगती हैं।
यह समस्या मात्र देहरादून अथवा उत्तराखंड का नहीं है । देश के अनेक राज्यों में लोग रोटी और कपड़े तक के लिए मोहताज हैं । ये राज्य सरकारें पूरी तरह से असफल रही हैं । जब तक बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड, छत्तीसगढ़, उड़ीसा आदि जैसे राज्य अपने नागरिकों को अपने यहां रोकने का प्रण नहीं करेंगे, हमारा हर बड़ा और सुंदर शहर नर्क बनता रहेगा एक हफ्ते में आधार और वोटर कार्ड बन जाता है, आप कहीं भी जाईए
ये लिबरल प्रजाति के तथाकथित उत्तराखंडी दो तरह के हैं एक जो चीन के विकास का उदाहरण पेश कर सरकारों को कोसते हैं उत्तराखंड के लोग आज भी सड़के बिजली पानी जैसे मूलभूत आवश्कताओं से वंचित हैं । दूसरे वो जो पर्यावरण के संरक्षण नाम पर विकास को अभिशाप मानते हैं । डुटियाल जी जैसे लोग ख़ुद मुंबई दिल्ली शहरों में रहते हैं और ज्ञान पेलते पहाड़ पर पहाड़ियों पर ।
देहरादून शहर से ही शुरू हुआ यह खेल😢धीरे धीरे संपूर्ण उत्तराखंड की बर्बादी की ओर बढ़ रहा है😢आज फिर से हुई एक बस दुर्घटना राज्य की परिवहन व्यवस्था पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है😢भगवान सभी लोगों की रक्षा करें🙏
राहुल जी और नौटियाल जी के मुताबिक हमें पाषाण युग में लौट जाना चाहिए। ये 6 महीने की योजना में दून के लिए शहरी एजेंडा की बात करते हैं, लेकिन पूरी वीडियो में शहरीकरण के खिलाफ ही बोले हैं। 5 साल की योजना, 6 महीने की योजना या मेयर कैसा होना चाहिए, ये बताते हुए ऐसा लगता है कि नौटियाल जी मानते हैं कि जो कुछ भी हो रहा है वह बिना किसी योजना के हो रहा है। या फिर अब तक के मेयर इन योग्यताओं से दूर रहे हैं। इनके सुझाव बहुत सामान्य (जेनरिक) हैं। किसी भी तर्क के समर्थन में कोई ठोस डेटा या अध्ययन का जिक्र नहीं है। बस तीन जगहों पर मतदाता प्रतिशत बढ़ने की बात कही गई है, लेकिन यह नहीं बताया गया कि यह बढ़ोतरी क्यों हुई, किस तरह के मतदाता जुड़े, आदि। कुल मिलाकर, यह बातें अअनुसंधानित, अस्पष्ट और अधूरी लगती हैं। साथ ही, यह मूल निवासी और बाहरी लोगों के बीच दूरी बढ़ाने वाली भी लगती हैं।
ब्यास घाटी, आदि कैलाश, ॐ पर्वत तीर्थ मै चार धाम की तर्ज पर जो हिमालय का सर्वनाश शुरू हो रहा...कृपया उस पे भी वीडियो बनाए... Schedule 5 आर्टिकल 13(१),13(3)
उत्तराखंड के सभी नेता पार्टियां, अधिकारी/कर्मचारी एक तरफ कर दें तब भी आप दोनो भारी पड़ेंगे। मैने किसी भी प्लेटफार्म पर इतना ज्यांबर्धक और जागरूक करे वाली चर्चा आज तक नहीं देखी। बहुत शानदार ! आप दोनो विद्वानों का आभार ! ❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤
Anoop Nautiyal could be a strong candidate for Dehradun city Mayor. He possesses a solid understanding of the city’s dynamics and a well-defined vision for addressing its challenges and fostering progress for the benefit of its citizens.
यदि नौटियाल जी स्वीकार कर भी लें तो भी वह मेयर का चुनाव कभी नहीं जीत सकते क्यों कि आज चुनाव पंचायत से लेकर लोकसभा का चुनाव में उन मुद्दो पर लड़ा और जीता जाता है जो हर मनुष्य के व्यक्तिगत जीवनचर्या से सम्बन्धित होता है। हर हर महादेव।।
राहुल जी और नौटियाल जी के मुताबिक हमें पाषाण युग में लौट जाना चाहिए। ये 6 महीने की योजना में दून के लिए शहरी एजेंडा की बात करते हैं, लेकिन पूरी वीडियो में शहरीकरण के खिलाफ ही बोले हैं। 5 साल की योजना, 6 महीने की योजना या मेयर कैसा होना चाहिए, ये बताते हुए ऐसा लगता है कि नौटियाल जी मानते हैं कि जो कुछ भी हो रहा है वह बिना किसी योजना के हो रहा है। या फिर अब तक के मेयर इन योग्यताओं से दूर रहे हैं। इनके सुझाव बहुत सामान्य (जेनरिक) हैं। किसी भी तर्क के समर्थन में कोई ठोस डेटा या अध्ययन का जिक्र नहीं है। बस तीन जगहों पर मतदाता प्रतिशत बढ़ने की बात कही गई है, लेकिन यह नहीं बताया गया कि यह बढ़ोतरी क्यों हुई, किस तरह के मतदाता जुड़े, आदि। कुल मिलाकर, यह बातें अअनुसंधानित, अस्पष्ट और अधूरी लगती हैं। साथ ही, यह मूल निवासी और बाहरी लोगों के बीच दूरी बढ़ाने वाली भी लगती हैं।
@@Jai_Hanuman207 It’s unfortunate when people underestimate a candidate who has deep knowledge of the city’s issues and a clear vision for addressing them. Elections should be about selecting correct leaders not on political narratives. If voters don’t prioritize city-related issues, the real challenges will remain unresolved, affecting everyone in the long run.
अनूप नौटियाल सर और राहुल कोटियाल जी को मेरा प्रणाम 🙏🏻 सर आपने इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर अपने विचार रखें आपके विचार बहुत ही सत्य है. देहरादून शहर में ट्रांसपोर्ट, ठोस कूड़ा प्रबंधन, देहरादून की नदियों का जल प्रदूषण, तथा अर्बन स्प्रोल और स्लम बढ़ता जा रहा है, जो चिंता का विषय है आने वाला निगम चुनाव इन्हीं मुद्दों पर लड़े जाना चाहिए। सच्ची पत्रकारिता तथा तथ्य/सत्य वचा के लिए बारहमासा की समस्त टीम , राहुल कोटियाल जी और अनूप नौटियाल सर को बहुत-बहुत धन्यवाद
एक बहुत ही सामयिक और नितान्त आवश्यक विश्लेषण किया है। हमारा दुर्भाग्य है कि नौटियाल जी जैसे बुद्धिजीवी नागरिक को सरकार और खुद हम सब देहरादून और उत्तराखंड वासियों का भी उत्तरदायित्व है कि ऐसे व्यक्तित्व और भावनाओं के साथ खड़े हों। बारामासा और राहुल जी को ऐसे प्रस्तुति के लिए साधुवाद।,
राहुल जी और नौटियाल जी के मुताबिक हमें पाषाण युग में लौट जाना चाहिए। ये 6 महीने की योजना में दून के लिए शहरी एजेंडा की बात करते हैं, लेकिन पूरी वीडियो में शहरीकरण के खिलाफ ही बोले हैं। 5 साल की योजना, 6 महीने की योजना या मेयर कैसा होना चाहिए, ये बताते हुए ऐसा लगता है कि नौटियाल जी मानते हैं कि जो कुछ भी हो रहा है वह बिना किसी योजना के हो रहा है। या फिर अब तक के मेयर इन योग्यताओं से दूर रहे हैं। इनके सुझाव बहुत सामान्य (जेनरिक) हैं। किसी भी तर्क के समर्थन में कोई ठोस डेटा या अध्ययन का जिक्र नहीं है। बस तीन जगहों पर मतदाता प्रतिशत बढ़ने की बात कही गई है, लेकिन यह नहीं बताया गया कि यह बढ़ोतरी क्यों हुई, किस तरह के मतदाता जुड़े, आदि। कुल मिलाकर, यह बातें अअनुसंधानित, अस्पष्ट और अधूरी लगती हैं। साथ ही, यह मूल निवासी और बाहरी लोगों के बीच दूरी बढ़ाने वाली भी लगती हैं।
देहरादून को राजधानी बनाकर देहरादून की बर्बादी की पटकथा लिख दी यहां सामाजिक और आर्थिक अपराध हर रोज बढ़ते जा रहे हैं. आप लोग बिल्कुल सही बात कर रहे हैं किन्तु इसकी चिंता किसको है और कौन इसको रोकेगा
राहुल जी और नौटियाल जी के मुताबिक हमें पाषाण युग में लौट जाना चाहिए। ये 6 महीने की योजना में दून के लिए शहरी एजेंडा की बात करते हैं, लेकिन पूरी वीडियो में शहरीकरण के खिलाफ ही बोले हैं। 5 साल की योजना, 6 महीने की योजना या मेयर कैसा होना चाहिए, ये बताते हुए ऐसा लगता है कि नौटियाल जी मानते हैं कि जो कुछ भी हो रहा है वह बिना किसी योजना के हो रहा है। या फिर अब तक के मेयर इन योग्यताओं से दूर रहे हैं। इनके सुझाव बहुत सामान्य (जेनरिक) हैं। किसी भी तर्क के समर्थन में कोई ठोस डेटा या अध्ययन का जिक्र नहीं है। बस तीन जगहों पर मतदाता प्रतिशत बढ़ने की बात कही गई है, लेकिन यह नहीं बताया गया कि यह बढ़ोतरी क्यों हुई, किस तरह के मतदाता जुड़े, आदि। कुल मिलाकर, यह बातें अअनुसंधानित, अस्पष्ट और अधूरी लगती हैं। साथ ही, यह मूल निवासी और बाहरी लोगों के बीच दूरी बढ़ाने वाली भी लगती हैं।
Hamare dhamo ji ek he dialog hai ,hamare pradhanmantri ji ke nitritva mein hum bahut tarakki kar rahe hain ,hamare pradhanmantri, hamare pradhanmantri Bass ,yehi bol bol ke ye 5 saal nikal dega
राहुल जी और नौटियाल जी के मुताबिक हमें पाषाण युग में लौट जाना चाहिए। ये 6 महीने की योजना में दून के लिए शहरी एजेंडा की बात करते हैं, लेकिन पूरी वीडियो में शहरीकरण के खिलाफ ही बोले हैं। 5 साल की योजना, 6 महीने की योजना या मेयर कैसा होना चाहिए, ये बताते हुए ऐसा लगता है कि नौटियाल जी मानते हैं कि जो कुछ भी हो रहा है वह बिना किसी योजना के हो रहा है। या फिर अब तक के मेयर इन योग्यताओं से दूर रहे हैं। इनके सुझाव बहुत सामान्य (जेनरिक) हैं। किसी भी तर्क के समर्थन में कोई ठोस डेटा या अध्ययन का जिक्र नहीं है। बस तीन जगहों पर मतदाता प्रतिशत बढ़ने की बात कही गई है, लेकिन यह नहीं बताया गया कि यह बढ़ोतरी क्यों हुई, किस तरह के मतदाता जुड़े, आदि। कुल मिलाकर, यह बातें अअनुसंधानित, अस्पष्ट और अधूरी लगती हैं। साथ ही, यह मूल निवासी और बाहरी लोगों के बीच दूरी बढ़ाने वाली भी लगती हैं।
राहुल जी और नौटियाल जी के मुताबिक हमें पाषाण युग में लौट जाना चाहिए। ये 6 महीने की योजना में दून के लिए शहरी एजेंडा की बात करते हैं, लेकिन पूरी वीडियो में शहरीकरण के खिलाफ ही बोले हैं। 5 साल की योजना, 6 महीने की योजना या मेयर कैसा होना चाहिए, ये बताते हुए ऐसा लगता है कि नौटियाल जी मानते हैं कि जो कुछ भी हो रहा है वह बिना किसी योजना के हो रहा है। या फिर अब तक के मेयर इन योग्यताओं से दूर रहे हैं। इनके सुझाव बहुत सामान्य (जेनरिक) हैं। किसी भी तर्क के समर्थन में कोई ठोस डेटा या अध्ययन का जिक्र नहीं है। बस तीन जगहों पर मतदाता प्रतिशत बढ़ने की बात कही गई है, लेकिन यह नहीं बताया गया कि यह बढ़ोतरी क्यों हुई, किस तरह के मतदाता जुड़े, आदि। कुल मिलाकर, यह बातें अअनुसंधानित, अस्पष्ट और अधूरी लगती हैं। साथ ही, यह मूल निवासी और बाहरी लोगों के बीच दूरी बढ़ाने वाली भी लगती हैं।
राहुल जी जब तक हम जनता इस बात को की मेयर चुनाव हमारे लिए क्या है इस बात को समझे तभी हम अपने सिटी को बचा सकते है नेताओं का क्या कहना वह चुनावी जुमला थमा देंगे पर आपके प्रोग्राम देखकर बहुत अच्छा लगता है सब मुद्दों की बात होती है शुक्रिया आपका ❤❤❤❤❤❤❤
राहुल जी और नौटियाल जी के मुताबिक हमें पाषाण युग में लौट जाना चाहिए। ये 6 महीने की योजना में दून के लिए शहरी एजेंडा की बात करते हैं, लेकिन पूरी वीडियो में शहरीकरण के खिलाफ ही बोले हैं। 5 साल की योजना, 6 महीने की योजना या मेयर कैसा होना चाहिए, ये बताते हुए ऐसा लगता है कि नौटियाल जी मानते हैं कि जो कुछ भी हो रहा है वह बिना किसी योजना के हो रहा है। या फिर अब तक के मेयर इन योग्यताओं से दूर रहे हैं। इनके सुझाव बहुत सामान्य (जेनरिक) हैं। किसी भी तर्क के समर्थन में कोई ठोस डेटा या अध्ययन का जिक्र नहीं है। बस तीन जगहों पर मतदाता प्रतिशत बढ़ने की बात कही गई है, लेकिन यह नहीं बताया गया कि यह बढ़ोतरी क्यों हुई, किस तरह के मतदाता जुड़े, आदि। कुल मिलाकर, यह बातें अअनुसंधानित, अस्पष्ट और अधूरी लगती हैं। साथ ही, यह मूल निवासी और बाहरी लोगों के बीच दूरी बढ़ाने वाली भी लगती हैं।
मैं सोचती थी कि मेरे सिवा कोई और देहरादून और मेरे उत्तराखंड के बारे में कोई नहीं सोचता है, पर भईया आपके इस वीडियो ने मेरा होंसला बढ़ा दिया है। हम सब को एक होना पड़ेगा। देवभूमि को शराब भूमि बना दिया गया है। माँ गंगा में मीट मछि और शराब का सेवन टिहरी में कराया जा रहा है।
राहुल जी और नौटियाल जी के मुताबिक हमें पाषाण युग में लौट जाना चाहिए। ये 6 महीने की योजना में दून के लिए शहरी एजेंडा की बात करते हैं, लेकिन पूरी वीडियो में शहरीकरण के खिलाफ ही बोले हैं। 5 साल की योजना, 6 महीने की योजना या मेयर कैसा होना चाहिए, ये बताते हुए ऐसा लगता है कि नौटियाल जी मानते हैं कि जो कुछ भी हो रहा है वह बिना किसी योजना के हो रहा है। या फिर अब तक के मेयर इन योग्यताओं से दूर रहे हैं। इनके सुझाव बहुत सामान्य (जेनरिक) हैं। किसी भी तर्क के समर्थन में कोई ठोस डेटा या अध्ययन का जिक्र नहीं है। बस तीन जगहों पर मतदाता प्रतिशत बढ़ने की बात कही गई है, लेकिन यह नहीं बताया गया कि यह बढ़ोतरी क्यों हुई, किस तरह के मतदाता जुड़े, आदि। कुल मिलाकर, यह बातें अअनुसंधानित, अस्पष्ट और अधूरी लगती हैं। साथ ही, यह मूल निवासी और बाहरी लोगों के बीच दूरी बढ़ाने वाली भी लगती हैं।
एक संस्था बनानी चाहिए स्थानीय निवासियों को मिलकर । इस संस्था के लोगों पहाड़ों पर गाँव गाँव जाकर लोगों को पूछना चाहिए कि उन्हें विकास चाहिए या विनाश । क्योंकि पछाड़ों पर रहने वाले लोग बोलते हैं कि हमें भी सुविधाए चाहिए । विकास चाहिए । उन्हें बताना होगा की विकास आएगा तो विनाश भी होगा । तब भी वह विकास का है चुनाव करते हैं तो फिर ना हम रोक पाएंगे और ना हमें अधिकार होगा । क्योंकि बहुत से पहाड़ी भी अपने पहाड़ी गाँवें को छोड़कर नीचे आकर बस जाते हैं सुविधाओं के लिए । तो फिर उन्हें कोई अधिकार नहीं रह जाता । पर मैं नी मानता हूँ कि विकास नहीं होना चाहिए । दुर्गम स्थलों पर ही देवता बसते हैं ।
@@bipins7295 pehle ye bata tu pahadi h yaa desi. Tu kya chahta hai ki pahadi 21st century mein bhi basic facilities k bina jeevan yapan kare. Aur agar kare bhi to tu badle mein mei unhe kya incentive dega ?? Saari jimmedaari pahadiyon par hi thopega environment bachaane ki?
राहुल जी और नौटियाल जी के मुताबिक हमें पाषाण युग में लौट जाना चाहिए। ये 6 महीने की योजना में दून के लिए शहरी एजेंडा की बात करते हैं, लेकिन पूरी वीडियो में शहरीकरण के खिलाफ ही बोले हैं। 5 साल की योजना, 6 महीने की योजना या मेयर कैसा होना चाहिए, ये बताते हुए ऐसा लगता है कि नौटियाल जी मानते हैं कि जो कुछ भी हो रहा है वह बिना किसी योजना के हो रहा है। या फिर अब तक के मेयर इन योग्यताओं से दूर रहे हैं। इनके सुझाव बहुत सामान्य (जेनरिक) हैं। किसी भी तर्क के समर्थन में कोई ठोस डेटा या अध्ययन का जिक्र नहीं है। बस तीन जगहों पर मतदाता प्रतिशत बढ़ने की बात कही गई है, लेकिन यह नहीं बताया गया कि यह बढ़ोतरी क्यों हुई, किस तरह के मतदाता जुड़े, आदि। कुल मिलाकर, यह बातें अअनुसंधानित, अस्पष्ट और अधूरी लगती हैं। साथ ही, यह मूल निवासी और बाहरी लोगों के बीच दूरी बढ़ाने वाली भी लगती हैं।
बहुत अच्छी विश्लेषणात्मक चर्चा। जो परिस्थिति है उसका सुधार करने के लिए यह जरूरी है की, राजधानी गैरसैंण में हो । उत्तराखंड शासन के 75% कार्यालय देहरादून में हैं । इस कारण यहाँ की अस्थाई जनसंख्या देहरादून में अव्यवस्था बनाने के लिए जिम्मेदार है।
राहुल जी और नौटियाल जी के मुताबिक हमें पाषाण युग में लौट जाना चाहिए। ये 6 महीने की योजना में दून के लिए शहरी एजेंडा की बात करते हैं, लेकिन पूरी वीडियो में शहरीकरण के खिलाफ ही बोले हैं। 5 साल की योजना, 6 महीने की योजना या मेयर कैसा होना चाहिए, ये बताते हुए ऐसा लगता है कि नौटियाल जी मानते हैं कि जो कुछ भी हो रहा है वह बिना किसी योजना के हो रहा है। या फिर अब तक के मेयर इन योग्यताओं से दूर रहे हैं। इनके सुझाव बहुत सामान्य (जेनरिक) हैं। किसी भी तर्क के समर्थन में कोई ठोस डेटा या अध्ययन का जिक्र नहीं है। बस तीन जगहों पर मतदाता प्रतिशत बढ़ने की बात कही गई है, लेकिन यह नहीं बताया गया कि यह बढ़ोतरी क्यों हुई, किस तरह के मतदाता जुड़े, आदि। कुल मिलाकर, यह बातें अअनुसंधानित, अस्पष्ट और अधूरी लगती हैं। साथ ही, यह मूल निवासी और बाहरी लोगों के बीच दूरी बढ़ाने वाली भी लगती हैं।
Mr. Anoop Nautiyal is one of the visionary for Uttarakhand and among the best mature voice for sustainable development of Uttarakhand. Thanks to Baramasa for having him in your show.
राहुल जी और नौटियाल जी के मुताबिक हमें पाषाण युग में लौट जाना चाहिए। ये 6 महीने की योजना में दून के लिए शहरी एजेंडा की बात करते हैं, लेकिन पूरी वीडियो में शहरीकरण के खिलाफ ही बोले हैं। 5 साल की योजना, 6 महीने की योजना या मेयर कैसा होना चाहिए, ये बताते हुए ऐसा लगता है कि नौटियाल जी मानते हैं कि जो कुछ भी हो रहा है वह बिना किसी योजना के हो रहा है। या फिर अब तक के मेयर इन योग्यताओं से दूर रहे हैं। इनके सुझाव बहुत सामान्य (जेनरिक) हैं। किसी भी तर्क के समर्थन में कोई ठोस डेटा या अध्ययन का जिक्र नहीं है। बस तीन जगहों पर मतदाता प्रतिशत बढ़ने की बात कही गई है, लेकिन यह नहीं बताया गया कि यह बढ़ोतरी क्यों हुई, किस तरह के मतदाता जुड़े, आदि। कुल मिलाकर, यह बातें अअनुसंधानित, अस्पष्ट और अधूरी लगती हैं। साथ ही, यह मूल निवासी और बाहरी लोगों के बीच दूरी बढ़ाने वाली भी लगती हैं।
राहुल जी और नौटियाल जी के मुताबिक हमें पाषाण युग में लौट जाना चाहिए। ये 6 महीने की योजना में दून के लिए शहरी एजेंडा की बात करते हैं, लेकिन पूरी वीडियो में शहरीकरण के खिलाफ ही बोले हैं। 5 साल की योजना, 6 महीने की योजना या मेयर कैसा होना चाहिए, ये बताते हुए ऐसा लगता है कि नौटियाल जी मानते हैं कि जो कुछ भी हो रहा है वह बिना किसी योजना के हो रहा है। या फिर अब तक के मेयर इन योग्यताओं से दूर रहे हैं। इनके सुझाव बहुत सामान्य (जेनरिक) हैं। किसी भी तर्क के समर्थन में कोई ठोस डेटा या अध्ययन का जिक्र नहीं है। बस तीन जगहों पर मतदाता प्रतिशत बढ़ने की बात कही गई है, लेकिन यह नहीं बताया गया कि यह बढ़ोतरी क्यों हुई, किस तरह के मतदाता जुड़े, आदि। कुल मिलाकर, यह बातें अअनुसंधानित, अस्पष्ट और अधूरी लगती हैं। साथ ही, यह मूल निवासी और बाहरी लोगों के बीच दूरी बढ़ाने वाली भी लगती हैं।
राहुल जी और नौटियाल जी के मुताबिक हमें पाषाण युग में लौट जाना चाहिए। ये 6 महीने की योजना में दून के लिए शहरी एजेंडा की बात करते हैं, लेकिन पूरी वीडियो में शहरीकरण के खिलाफ ही बोले हैं। 5 साल की योजना, 6 महीने की योजना या मेयर कैसा होना चाहिए, ये बताते हुए ऐसा लगता है कि नौटियाल जी मानते हैं कि जो कुछ भी हो रहा है वह बिना किसी योजना के हो रहा है। या फिर अब तक के मेयर इन योग्यताओं से दूर रहे हैं। इनके सुझाव बहुत सामान्य (जेनरिक) हैं। किसी भी तर्क के समर्थन में कोई ठोस डेटा या अध्ययन का जिक्र नहीं है। बस तीन जगहों पर मतदाता प्रतिशत बढ़ने की बात कही गई है, लेकिन यह नहीं बताया गया कि यह बढ़ोतरी क्यों हुई, किस तरह के मतदाता जुड़े, आदि। कुल मिलाकर, यह बातें अअनुसंधानित, अस्पष्ट और अधूरी लगती हैं। साथ ही, यह मूल निवासी और बाहरी लोगों के बीच दूरी बढ़ाने वाली भी लगती हैं।
मैं आपका चैनल फॉलो करता हूं । सही बात करते हैं आप । मैं 1994 में पहली बार देहरादून में करीबन 20 दिन रहा था । धरमपुर के बाद बहुत कम आबादी थी। हरिद्वार से देहरादून की तरफ आते हुए रिसपन्ना पुल के पास आने के बाद जो सड़क बाएं तरफ मुड़ती थी उसके बाएं तरफ नाम की आबादी थी । बंगाली कोठी शायद पहले रहा हो परंतु यहां खेत और खेत थे । मोथरावाला गांव ही था जिसका देहरादून से शायद वैसा वास्ता नहीं था जैसा आज । आज मोथरावाला केवल एक नाम का गांव है । जोगीवाला तो 2003 तक भी एक बेहद छितरी आबादी थी । देहरादून का जो भविष्य बताया जा रहा है वह सही आकलन है । हमें इसके लिए तैयार रहना चाहिए । और यदि कुछ बदलना है तो वह केवल बौद्धिकता से नहीं होगा ।
राहुल जी और नौटियाल जी के मुताबिक हमें पाषाण युग में लौट जाना चाहिए। ये 6 महीने की योजना में दून के लिए शहरी एजेंडा की बात करते हैं, लेकिन पूरी वीडियो में शहरीकरण के खिलाफ ही बोले हैं। 5 साल की योजना, 6 महीने की योजना या मेयर कैसा होना चाहिए, ये बताते हुए ऐसा लगता है कि नौटियाल जी मानते हैं कि जो कुछ भी हो रहा है वह बिना किसी योजना के हो रहा है। या फिर अब तक के मेयर इन योग्यताओं से दूर रहे हैं। इनके सुझाव बहुत सामान्य (जेनरिक) हैं। किसी भी तर्क के समर्थन में कोई ठोस डेटा या अध्ययन का जिक्र नहीं है। बस तीन जगहों पर मतदाता प्रतिशत बढ़ने की बात कही गई है, लेकिन यह नहीं बताया गया कि यह बढ़ोतरी क्यों हुई, किस तरह के मतदाता जुड़े, आदि। कुल मिलाकर, यह बातें अअनुसंधानित, अस्पष्ट और अधूरी लगती हैं। साथ ही, यह मूल निवासी और बाहरी लोगों के बीच दूरी बढ़ाने वाली भी लगती हैं।
मैं खुद मैदानी क्षेत्र से हूं जब भी मैं देहरादून आता था तो बहुत अच्छा और शकुन मिलता था लेकिन 5 साल पहले जब मैं देहरादून गया तो वहां पर इतनी गन्दगी और भीड़भाड़ थी उसके बाद में कभी देहरादून नहीं गया आज से 20 साल पहले देहरादून बहुत अच्छा था लेकिन आज देहरादून बहुत गन्दा और भीड़भाड़ वाली जगह बन गई है
राहुल जी और नौटियाल जी के मुताबिक हमें पाषाण युग में लौट जाना चाहिए। ये 6 महीने की योजना में दून के लिए शहरी एजेंडा की बात करते हैं, लेकिन पूरी वीडियो में शहरीकरण के खिलाफ ही बोले हैं। 5 साल की योजना, 6 महीने की योजना या मेयर कैसा होना चाहिए, ये बताते हुए ऐसा लगता है कि नौटियाल जी मानते हैं कि जो कुछ भी हो रहा है वह बिना किसी योजना के हो रहा है। या फिर अब तक के मेयर इन योग्यताओं से दूर रहे हैं। इनके सुझाव बहुत सामान्य (जेनरिक) हैं। किसी भी तर्क के समर्थन में कोई ठोस डेटा या अध्ययन का जिक्र नहीं है। बस तीन जगहों पर मतदाता प्रतिशत बढ़ने की बात कही गई है, लेकिन यह नहीं बताया गया कि यह बढ़ोतरी क्यों हुई, किस तरह के मतदाता जुड़े, आदि। कुल मिलाकर, यह बातें अअनुसंधानित, अस्पष्ट और अधूरी लगती हैं। साथ ही, यह मूल निवासी और बाहरी लोगों के बीच दूरी बढ़ाने वाली भी लगती हैं।
मुझे खुशी है कि हमारी भागम भाग वाली जिंदगी में बारामासा के माध्यम से कुछ मनन करने समय मिला। बहुत सटीक विश्लेषण सुनने को मिला। मेरा विचार अलग है और वह यह कि उत्तराखंड नामक भेड़ को अब तक सिर्फ नोचा और निचोड़ा गया है चारा नहीं दिया गया। किसने किया ?कौन दोषी रहे? और क्यों मैदान की ओर दौड़ लगाई गई,विशेषकर देहरादून, अल्मोड़ा, हल्द्वानी,कोटद्वार आदि । यकीनन मैदानी इलाकों की ओर जो रुझान रहा और अभी भी है, ये दुर्भाग्यपूर्ण है। कोई पहाड़ नहीं चढ़ना चाहता।
राहुल जी और नौटियाल जी के मुताबिक हमें पाषाण युग में लौट जाना चाहिए। ये 6 महीने की योजना में दून के लिए शहरी एजेंडा की बात करते हैं, लेकिन पूरी वीडियो में शहरीकरण के खिलाफ ही बोले हैं। 5 साल की योजना, 6 महीने की योजना या मेयर कैसा होना चाहिए, ये बताते हुए ऐसा लगता है कि नौटियाल जी मानते हैं कि जो कुछ भी हो रहा है वह बिना किसी योजना के हो रहा है। या फिर अब तक के मेयर इन योग्यताओं से दूर रहे हैं। इनके सुझाव बहुत सामान्य (जेनरिक) हैं। किसी भी तर्क के समर्थन में कोई ठोस डेटा या अध्ययन का जिक्र नहीं है। बस तीन जगहों पर मतदाता प्रतिशत बढ़ने की बात कही गई है, लेकिन यह नहीं बताया गया कि यह बढ़ोतरी क्यों हुई, किस तरह के मतदाता जुड़े, आदि। कुल मिलाकर, यह बातें अअनुसंधानित, अस्पष्ट और अधूरी लगती हैं। साथ ही, यह मूल निवासी और बाहरी लोगों के बीच दूरी बढ़ाने वाली भी लगती हैं।
राहुल जी और नौटियाल जी के मुताबिक हमें पाषाण युग में लौट जाना चाहिए। ये 6 महीने की योजना में दून के लिए शहरी एजेंडा की बात करते हैं, लेकिन पूरी वीडियो में शहरीकरण के खिलाफ ही बोले हैं। 5 साल की योजना, 6 महीने की योजना या मेयर कैसा होना चाहिए, ये बताते हुए ऐसा लगता है कि नौटियाल जी मानते हैं कि जो कुछ भी हो रहा है वह बिना किसी योजना के हो रहा है। या फिर अब तक के मेयर इन योग्यताओं से दूर रहे हैं। इनके सुझाव बहुत सामान्य (जेनरिक) हैं। किसी भी तर्क के समर्थन में कोई ठोस डेटा या अध्ययन का जिक्र नहीं है। बस तीन जगहों पर मतदाता प्रतिशत बढ़ने की बात कही गई है, लेकिन यह नहीं बताया गया कि यह बढ़ोतरी क्यों हुई, किस तरह के मतदाता जुड़े, आदि। कुल मिलाकर, यह बातें अअनुसंधानित, अस्पष्ट और अधूरी लगती हैं। साथ ही, यह मूल निवासी और बाहरी लोगों के बीच दूरी बढ़ाने वाली भी लगती हैं।
यह वीडियो उत्तराखंड के आगामी निकाय चुनावों और विशेष रूप से देहरादून नगर निगम की वर्तमान स्थिति पर एक गहन दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है। इसमें शहर की बर्बादी के कारणों और भविष्य में संभावित सुधारों पर चर्चा को बड़े ही प्रभावशाली तरीके से प्रस्तुत किया गया है। सामाजिक और राजनीतिक कार्यकर्ता अनूप नौटियाल द्वारा दी गई अंतर्दृष्टि न केवल समस्या की गहराई को उजागर करती है बल्कि समाधान की दिशा में सोचने के लिए प्रेरित भी करती है। वीडियो की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह जमीनी हकीकत को साफ-सुथरे और तथ्यपूर्ण तरीके से दर्शाता है। साथ ही, दर्शकों को यह सोचने पर मजबूर करता है कि आने वाले मेयर से क्या अपेक्षाएं होनी चाहिए। यह जानकारीपूर्ण, प्रासंगिक और विचारोत्तेजक है, जो किसी भी जागरूक नागरिक के लिए बेहद उपयोगी है। ऐसे मुद्दों पर प्रकाश डालना और एक शहर के भविष्य पर चर्चा करना बेहद सराहनीय प्रयास है। इस प्रकार की सामग्री समाज में जागरूकता लाने और सकारात्मक बदलाव के लिए प्रेरित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
आदरणीय नौटियाल जी के बहुत ही महत्वपूर्ण सुझाव है इस पर सरकार सरकार को और आम जनमानस को भी बहुत गंभीरता से लेना चाहिए देहरादून को और बर्बाद होने से बचना चाहिए इस प्रकार के संवाद आम जनमानस तक ले जाने के लिए बारामासा टीम को बहुत बहुत धन्यवाद
राहुल जी और नौटियाल जी के मुताबिक हमें पाषाण युग में लौट जाना चाहिए। ये 6 महीने की योजना में दून के लिए शहरी एजेंडा की बात करते हैं, लेकिन पूरी वीडियो में शहरीकरण के खिलाफ ही बोले हैं। 5 साल की योजना, 6 महीने की योजना या मेयर कैसा होना चाहिए, ये बताते हुए ऐसा लगता है कि नौटियाल जी मानते हैं कि जो कुछ भी हो रहा है वह बिना किसी योजना के हो रहा है। या फिर अब तक के मेयर इन योग्यताओं से दूर रहे हैं। इनके सुझाव बहुत सामान्य (जेनरिक) हैं। किसी भी तर्क के समर्थन में कोई ठोस डेटा या अध्ययन का जिक्र नहीं है। बस तीन जगहों पर मतदाता प्रतिशत बढ़ने की बात कही गई है, लेकिन यह नहीं बताया गया कि यह बढ़ोतरी क्यों हुई, किस तरह के मतदाता जुड़े, आदि। कुल मिलाकर, यह बातें अअनुसंधानित, अस्पष्ट और अधूरी लगती हैं। साथ ही, यह मूल निवासी और बाहरी लोगों के बीच दूरी बढ़ाने वाली भी लगती हैं।
21 मई 1970 तारीख थी जब मैं देहरादून पहुंचा था। फिर 1987 तक वहां राजपुर रोड पर रहा। उस जमाने को आज बहुत मिस करते हैं। साल दो साल में 2-4 दिन के लिए जाता रहता हूँ परन्तु अब वो बात कहाँ !! 😔
As an environmentalist, we have to face more severe climate changes in Doon valley in upcoming years. Its very sad. Thankkyou #Barmaasateam & #AnoopNautiyal ji...
राहुल जी और नौटियाल जी के मुताबिक हमें पाषाण युग में लौट जाना चाहिए। ये 6 महीने की योजना में दून के लिए शहरी एजेंडा की बात करते हैं, लेकिन पूरी वीडियो में शहरीकरण के खिलाफ ही बोले हैं। 5 साल की योजना, 6 महीने की योजना या मेयर कैसा होना चाहिए, ये बताते हुए ऐसा लगता है कि नौटियाल जी मानते हैं कि जो कुछ भी हो रहा है वह बिना किसी योजना के हो रहा है। या फिर अब तक के मेयर इन योग्यताओं से दूर रहे हैं। इनके सुझाव बहुत सामान्य (जेनरिक) हैं। किसी भी तर्क के समर्थन में कोई ठोस डेटा या अध्ययन का जिक्र नहीं है। बस तीन जगहों पर मतदाता प्रतिशत बढ़ने की बात कही गई है, लेकिन यह नहीं बताया गया कि यह बढ़ोतरी क्यों हुई, किस तरह के मतदाता जुड़े, आदि। कुल मिलाकर, यह बातें अअनुसंधानित, अस्पष्ट और अधूरी लगती हैं। साथ ही, यह मूल निवासी और बाहरी लोगों के बीच दूरी बढ़ाने वाली भी लगती हैं।
भाई जी, सबसे बड़ा समस्याएं यह है की जो लॉग बाहर से यूपी, हरियाणा, आदि शहर से अब यहां बस गया है। राजनेता तो बस वोट ही देखता है। अब उत्तराखंड में वो वह जो यहां के मूल निवासी हैं जिनकी दादा परदादा सब यही रहे हैं वो तो 2050 तक पता नहीं उत्तराखंड के होगे या नहीं। मुझको तो लगता है की हम उत्तराखंडी फिर से यूपी पहुंच गए। जिस हिसाब से यह बाहरी लोग बस गाय हैं।🙏🙏🙏
Jameen up hariyana walo ko bechna band karna chahiye. Or pahado se logo ka ncr me kamane k liye aana band hona chahiye jis se jiske pass jo hai vo unke bacho ko mile yaha aakar badi naukariya khai hai
राहुल जी और नौटियाल जी के मुताबिक हमें पाषाण युग में लौट जाना चाहिए। ये 6 महीने की योजना में दून के लिए शहरी एजेंडा की बात करते हैं, लेकिन पूरी वीडियो में शहरीकरण के खिलाफ ही बोले हैं। 5 साल की योजना, 6 महीने की योजना या मेयर कैसा होना चाहिए, ये बताते हुए ऐसा लगता है कि नौटियाल जी मानते हैं कि जो कुछ भी हो रहा है वह बिना किसी योजना के हो रहा है। या फिर अब तक के मेयर इन योग्यताओं से दूर रहे हैं। इनके सुझाव बहुत सामान्य (जेनरिक) हैं। किसी भी तर्क के समर्थन में कोई ठोस डेटा या अध्ययन का जिक्र नहीं है। बस तीन जगहों पर मतदाता प्रतिशत बढ़ने की बात कही गई है, लेकिन यह नहीं बताया गया कि यह बढ़ोतरी क्यों हुई, किस तरह के मतदाता जुड़े, आदि। कुल मिलाकर, यह बातें अअनुसंधानित, अस्पष्ट और अधूरी लगती हैं। साथ ही, यह मूल निवासी और बाहरी लोगों के बीच दूरी बढ़ाने वाली भी लगती हैं।
Thank you Rahul and Nautiyal ji for very meaningful discussion and sharing of information regarding Dehradun.We are not residing in the area but indirectly connected with Utherakhand specially with Dehradun.Appreciate & all the best.
राहुल जी और नौटियाल जी के मुताबिक हमें पाषाण युग में लौट जाना चाहिए। ये 6 महीने की योजना में दून के लिए शहरी एजेंडा की बात करते हैं, लेकिन पूरी वीडियो में शहरीकरण के खिलाफ ही बोले हैं। 5 साल की योजना, 6 महीने की योजना या मेयर कैसा होना चाहिए, ये बताते हुए ऐसा लगता है कि नौटियाल जी मानते हैं कि जो कुछ भी हो रहा है वह बिना किसी योजना के हो रहा है। या फिर अब तक के मेयर इन योग्यताओं से दूर रहे हैं। इनके सुझाव बहुत सामान्य (जेनरिक) हैं। किसी भी तर्क के समर्थन में कोई ठोस डेटा या अध्ययन का जिक्र नहीं है। बस तीन जगहों पर मतदाता प्रतिशत बढ़ने की बात कही गई है, लेकिन यह नहीं बताया गया कि यह बढ़ोतरी क्यों हुई, किस तरह के मतदाता जुड़े, आदि। कुल मिलाकर, यह बातें अअनुसंधानित, अस्पष्ट और अधूरी लगती हैं। साथ ही, यह मूल निवासी और बाहरी लोगों के बीच दूरी बढ़ाने वाली भी लगती हैं I
मेयर पद पर ऐसे लोगों की अधिकांश नियुक्ति हो जाती है जिनकी सोच चल खाल नाली एवं प्रॉपर्टी तक सीमित रहती है आदरणीय नौटियाल जी जैसे लोग जीने देहरादून तथा अन्यत्र उत्तराखंड की जानकारी है महत्व देने की आवश्यकताहै राजनीतिक दलोंको भी आरक्षण तथा धनबल आदि को महत्व में देते हुए योग्यता को भी महत्व देना चाहिए
राहुल जी और नौटियाल जी के मुताबिक हमें पाषाण युग में लौट जाना चाहिए। ये 6 महीने की योजना में दून के लिए शहरी एजेंडा की बात करते हैं, लेकिन पूरी वीडियो में शहरीकरण के खिलाफ ही बोले हैं। 5 साल की योजना, 6 महीने की योजना या मेयर कैसा होना चाहिए, ये बताते हुए ऐसा लगता है कि नौटियाल जी मानते हैं कि जो कुछ भी हो रहा है वह बिना किसी योजना के हो रहा है। या फिर अब तक के मेयर इन योग्यताओं से दूर रहे हैं। इनके सुझाव बहुत सामान्य (जेनरिक) हैं। किसी भी तर्क के समर्थन में कोई ठोस डेटा या अध्ययन का जिक्र नहीं है। बस तीन जगहों पर मतदाता प्रतिशत बढ़ने की बात कही गई है, लेकिन यह नहीं बताया गया कि यह बढ़ोतरी क्यों हुई, किस तरह के मतदाता जुड़े, आदि। कुल मिलाकर, यह बातें अअनुसंधानित, अस्पष्ट और अधूरी लगती हैं। साथ ही, यह मूल निवासी और बाहरी लोगों के बीच दूरी बढ़ाने वाली भी लगती हैं।
बेहद सार्थक चर्चा, नगर निगम के चुनावों में हर नागरिक को बढ़चढ़कर कर हिस्सा लेना चाहिए और शहर के मेयर और स्थानीय पार्षदों पर शहर को फिर से हरा भरा बनाने, नहरों से लबरेज़ करने और सस्ते, sustainable पब्लिक ट्रांसपोर्ट, बढ़ते अपराध और नशे से मुक्ति दिलाने के लिए काम करना चाहिए!!!
श्री नौटियाल जैसे विजनरी लोगों को समाज निर्माण और समाज सुधार जैसे कार्यो में अहम भूमिका निभाने का जिम्मा दिया जाना चाहिए। बल्कि ऐसे लोगों को नेतृत्व में लिया जाना चाहिए।
श्री नौटियाल जी को राजनीति में आना चाहिए। आज का जनमानस श्री नौटियाल जी जैसे बुद्धिजीवी वर्ग का उत्तराखंड में तीसरे विकल्प के रूप में इंतजार कर रहा है। बुद्धजीवी वर्ग अगर राजनीति में रहेगा तो अवश्य इस प्रदेश के विकास में अपना प्रभाव छोड़ पाएगा।
सलाम,, बात देहरादून की है या ऋषिकेश की या हल्द्वानी की मेरा कोटद्वार आज भी बेजान है थोडा नजीमाबाद का दबाव पड़ा है लेकीन उसका हिस्सा कम है, बजाय ऋषिकेस देहरादुन का, इन दोनों शहरो मे लोकल कुछ भी नहीं है, अब हमारे मूल निवासी पहाड़ी अल्प आबादी से जुड़ चुका जिसका नतीजा सरकार की नीतियों में पड़ा और बाहरी लोग सरकार और नौकरी में आने लगे, लगता है उत्तराखंड उत्तराखंडीयों को भूल जायेगा,, अगर शहरी करण करना है और जिनको देहरादून में बसना है उनके लिए पहली शर्त है वे हमारे पहाड़ी क्षेत्र के बाजारों में बसे जिसे गांव में खेती करने को बाजार से जोड़ने में मदद मिलेगी, इसके लिए नेतागिरी को अपनी खेती और गांव को बचाने के लिए काम करना होगा, होगे तुम देहरादून वाले, तुम्हारे होने से पहाड़ी गांव खेती के लिए क्या फायदा, उसके लिए तुम्हारा होना न होना किसी काम का नही,,
राहुल जी और नौटियाल जी के मुताबिक हमें पाषाण युग में लौट जाना चाहिए। ये 6 महीने की योजना में दून के लिए शहरी एजेंडा की बात करते हैं, लेकिन पूरी वीडियो में शहरीकरण के खिलाफ ही बोले हैं। 5 साल की योजना, 6 महीने की योजना या मेयर कैसा होना चाहिए, ये बताते हुए ऐसा लगता है कि नौटियाल जी मानते हैं कि जो कुछ भी हो रहा है वह बिना किसी योजना के हो रहा है। या फिर अब तक के मेयर इन योग्यताओं से दूर रहे हैं। इनके सुझाव बहुत सामान्य (जेनरिक) हैं। किसी भी तर्क के समर्थन में कोई ठोस डेटा या अध्ययन का जिक्र नहीं है। बस तीन जगहों पर मतदाता प्रतिशत बढ़ने की बात कही गई है, लेकिन यह नहीं बताया गया कि यह बढ़ोतरी क्यों हुई, किस तरह के मतदाता जुड़े, आदि। कुल मिलाकर, यह बातें अअनुसंधानित, अस्पष्ट और अधूरी लगती हैं। साथ ही, यह मूल निवासी और बाहरी लोगों के बीच दूरी बढ़ाने वाली भी लगती हैं।
In a fatalist civil society ... that of like this Doon Valley.... It's inevitable....😢 होए वही जो राम रची राखा..... राजा हरिश्चंद्र गए रघुवंशी गए यदुवंशी गए ..... दून की क्या बिसात😞🙏😊 ....it's a tipping point, and I believe 🙏 let it happen 👍.... The most essential experiences come around by the experience itself 🥺
देहरादून के लोग कौन हैं? मुझे तो अब ये आप्रवासियों का शहर लगता है। उत्तराखंड के नेताओं की करतूतों को देखकर लगता नहीं कि कुछ सकारात्मक होने वाला है। ये राज्य, इसके शहर, गाँव, जंगल व पर्यावरण बर्बाद होने को शायद अभिशप्त हैं।
समय की मांग है क्या पीछे चलना चाहते हैं या वहीं पर खड़े रहना चाहते हैं या आगे चलना चाहते हैं हर स्थिति में स्थितियां अलग-अलग होती हैं इसमें कोई भी नया बात नहीं है l तरक्की अगर हमको बड़े शहर जैसी चाहिए तो ये सब समस्याएं आएंगी... कलयुग के समय में हम सतयुग नहीं ला सकते ये भी क्लियर है
बारोमासा चैनल बहुत ही महत्वपूर्ण मुद्दों को उठाता वो काबिले तारीफ है। वास्तव में भविष्य को देखते हुए शहर प्लान तैयार किया जाना चाहिए। उत्तराखंड में सरकारें संवेदनशील नहीं है।
हमारा दुर्भाग्य है कि आदरणीय नौटियाल जी जैसे बुद्धिजीवी लोगों की बातों पर कोई ध्यान ही नहीं दें रहा है.
बारामासा के जब भी वीडियोज देखता हूं तो अपने प्रदेश की दयनीय स्थिति को देखकर बड़ा दुख होता है.
आशा करता हूं कि आपकी इस पहल और कोशिशों से भविष्य में प्रदेश की स्थिति में सुधार हो पाये.
neta uttrakhand ko kha gae
राहुल जी और नौटियाल जी के मुताबिक हमें पाषाण युग में लौट जाना चाहिए। ये 6 महीने की योजना में दून के लिए शहरी एजेंडा की बात करते हैं, लेकिन पूरी वीडियो में शहरीकरण के खिलाफ ही बोले हैं।
5 साल की योजना, 6 महीने की योजना या मेयर कैसा होना चाहिए, ये बताते हुए ऐसा लगता है कि नौटियाल जी मानते हैं कि जो कुछ भी हो रहा है वह बिना किसी योजना के हो रहा है। या फिर अब तक के मेयर इन योग्यताओं से दूर रहे हैं।
इनके सुझाव बहुत सामान्य (जेनरिक) हैं। किसी भी तर्क के समर्थन में कोई ठोस डेटा या अध्ययन का जिक्र नहीं है। बस तीन जगहों पर मतदाता प्रतिशत बढ़ने की बात कही गई है, लेकिन यह नहीं बताया गया कि यह बढ़ोतरी क्यों हुई, किस तरह के मतदाता जुड़े, आदि।
कुल मिलाकर, यह बातें अअनुसंधानित, अस्पष्ट और अधूरी लगती हैं। साथ ही, यह मूल निवासी और बाहरी लोगों के बीच दूरी बढ़ाने वाली भी लगती हैं।
यह समस्या मात्र देहरादून अथवा उत्तराखंड का नहीं है । देश के अनेक राज्यों में लोग रोटी और कपड़े तक के लिए मोहताज हैं । ये राज्य सरकारें पूरी तरह से असफल रही हैं ।
जब तक बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड, छत्तीसगढ़, उड़ीसा आदि जैसे राज्य अपने नागरिकों को अपने यहां रोकने का प्रण नहीं करेंगे, हमारा हर बड़ा और सुंदर शहर नर्क बनता रहेगा
एक हफ्ते में आधार और वोटर कार्ड बन जाता है, आप कहीं भी जाईए
Aap kaun se sunder rajya se hain jra bataye @@atulmalhotra2303
ये लिबरल प्रजाति के तथाकथित उत्तराखंडी दो तरह के हैं एक जो चीन के विकास का उदाहरण पेश कर सरकारों को कोसते हैं उत्तराखंड के लोग आज भी सड़के बिजली पानी जैसे मूलभूत आवश्कताओं से वंचित हैं ।
दूसरे वो जो पर्यावरण के संरक्षण नाम पर विकास को अभिशाप मानते हैं ।
डुटियाल जी जैसे लोग ख़ुद मुंबई दिल्ली शहरों में रहते हैं और ज्ञान पेलते पहाड़ पर पहाड़ियों पर ।
देहरादून शहर से ही शुरू हुआ यह खेल😢धीरे धीरे संपूर्ण उत्तराखंड की बर्बादी की ओर बढ़ रहा है😢आज फिर से हुई एक बस दुर्घटना राज्य की परिवहन व्यवस्था पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है😢भगवान सभी लोगों की रक्षा करें🙏
राहुल जी और नौटियाल जी के मुताबिक हमें पाषाण युग में लौट जाना चाहिए। ये 6 महीने की योजना में दून के लिए शहरी एजेंडा की बात करते हैं, लेकिन पूरी वीडियो में शहरीकरण के खिलाफ ही बोले हैं।
5 साल की योजना, 6 महीने की योजना या मेयर कैसा होना चाहिए, ये बताते हुए ऐसा लगता है कि नौटियाल जी मानते हैं कि जो कुछ भी हो रहा है वह बिना किसी योजना के हो रहा है। या फिर अब तक के मेयर इन योग्यताओं से दूर रहे हैं।
इनके सुझाव बहुत सामान्य (जेनरिक) हैं। किसी भी तर्क के समर्थन में कोई ठोस डेटा या अध्ययन का जिक्र नहीं है। बस तीन जगहों पर मतदाता प्रतिशत बढ़ने की बात कही गई है, लेकिन यह नहीं बताया गया कि यह बढ़ोतरी क्यों हुई, किस तरह के मतदाता जुड़े, आदि।
कुल मिलाकर, यह बातें अअनुसंधानित, अस्पष्ट और अधूरी लगती हैं। साथ ही, यह मूल निवासी और बाहरी लोगों के बीच दूरी बढ़ाने वाली भी लगती हैं।
ब्यास घाटी, आदि कैलाश, ॐ पर्वत तीर्थ मै चार धाम की तर्ज पर जो हिमालय का सर्वनाश शुरू हो रहा...कृपया उस पे भी वीडियो बनाए...
Schedule 5
आर्टिकल 13(१),13(3)
उत्तराखंड के सभी नेता पार्टियां, अधिकारी/कर्मचारी एक तरफ कर दें तब भी आप दोनो भारी पड़ेंगे।
मैने किसी भी प्लेटफार्म पर इतना ज्यांबर्धक और जागरूक करे वाली चर्चा आज तक नहीं देखी।
बहुत शानदार !
आप दोनो विद्वानों का आभार !
❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤
Anoop Nautiyal could be a strong candidate for Dehradun city Mayor. He possesses a solid understanding of the city’s dynamics and a well-defined vision for addressing its challenges and fostering progress for the benefit of its citizens.
लेकिन नौटियाल जी क्या इस जिम्मेदारी को उठाने के लिए सहमत हैं? उनको बेशक इस चुनौती को स्वीकार करना चाहिए
Han fir ho gaya kaam ..aise activist ek number ke chor nikamme hote ha
यदि नौटियाल जी स्वीकार कर भी लें तो भी वह मेयर का चुनाव कभी नहीं जीत सकते क्यों कि आज चुनाव पंचायत से लेकर लोकसभा का चुनाव में उन मुद्दो पर लड़ा और जीता जाता है जो हर मनुष्य के व्यक्तिगत जीवनचर्या से सम्बन्धित होता है।
हर हर महादेव।।
राहुल जी और नौटियाल जी के मुताबिक हमें पाषाण युग में लौट जाना चाहिए। ये 6 महीने की योजना में दून के लिए शहरी एजेंडा की बात करते हैं, लेकिन पूरी वीडियो में शहरीकरण के खिलाफ ही बोले हैं।
5 साल की योजना, 6 महीने की योजना या मेयर कैसा होना चाहिए, ये बताते हुए ऐसा लगता है कि नौटियाल जी मानते हैं कि जो कुछ भी हो रहा है वह बिना किसी योजना के हो रहा है। या फिर अब तक के मेयर इन योग्यताओं से दूर रहे हैं।
इनके सुझाव बहुत सामान्य (जेनरिक) हैं। किसी भी तर्क के समर्थन में कोई ठोस डेटा या अध्ययन का जिक्र नहीं है। बस तीन जगहों पर मतदाता प्रतिशत बढ़ने की बात कही गई है, लेकिन यह नहीं बताया गया कि यह बढ़ोतरी क्यों हुई, किस तरह के मतदाता जुड़े, आदि।
कुल मिलाकर, यह बातें अअनुसंधानित, अस्पष्ट और अधूरी लगती हैं। साथ ही, यह मूल निवासी और बाहरी लोगों के बीच दूरी बढ़ाने वाली भी लगती हैं।
@@Jai_Hanuman207
It’s unfortunate when people underestimate a candidate who has deep knowledge of the city’s issues and a clear vision for addressing them. Elections should be about selecting correct leaders not on political narratives. If voters don’t prioritize city-related issues, the real challenges will remain unresolved, affecting everyone in the long run.
Thanks
Thankyou so much. Keep supporting 🙏🏻
अनूप नौटियाल सर और राहुल कोटियाल जी को मेरा प्रणाम 🙏🏻 सर आपने इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर अपने विचार रखें आपके विचार बहुत ही सत्य है. देहरादून शहर में ट्रांसपोर्ट, ठोस कूड़ा प्रबंधन, देहरादून की नदियों का जल प्रदूषण, तथा अर्बन स्प्रोल और स्लम बढ़ता जा रहा है, जो चिंता का विषय है आने वाला निगम चुनाव इन्हीं मुद्दों पर लड़े जाना चाहिए। सच्ची पत्रकारिता तथा तथ्य/सत्य वचा के लिए बारहमासा की समस्त टीम , राहुल कोटियाल जी और अनूप नौटियाल सर को बहुत-बहुत धन्यवाद
एक बहुत ही सामयिक और नितान्त आवश्यक विश्लेषण किया है। हमारा दुर्भाग्य है कि नौटियाल जी जैसे बुद्धिजीवी नागरिक को सरकार और खुद हम सब देहरादून और उत्तराखंड वासियों का भी उत्तरदायित्व है कि ऐसे व्यक्तित्व और भावनाओं के साथ खड़े हों। बारामासा और राहुल जी को ऐसे प्रस्तुति के लिए साधुवाद।,
राहुल जी और नौटियाल जी के मुताबिक हमें पाषाण युग में लौट जाना चाहिए। ये 6 महीने की योजना में दून के लिए शहरी एजेंडा की बात करते हैं, लेकिन पूरी वीडियो में शहरीकरण के खिलाफ ही बोले हैं।
5 साल की योजना, 6 महीने की योजना या मेयर कैसा होना चाहिए, ये बताते हुए ऐसा लगता है कि नौटियाल जी मानते हैं कि जो कुछ भी हो रहा है वह बिना किसी योजना के हो रहा है। या फिर अब तक के मेयर इन योग्यताओं से दूर रहे हैं।
इनके सुझाव बहुत सामान्य (जेनरिक) हैं। किसी भी तर्क के समर्थन में कोई ठोस डेटा या अध्ययन का जिक्र नहीं है। बस तीन जगहों पर मतदाता प्रतिशत बढ़ने की बात कही गई है, लेकिन यह नहीं बताया गया कि यह बढ़ोतरी क्यों हुई, किस तरह के मतदाता जुड़े, आदि।
कुल मिलाकर, यह बातें अअनुसंधानित, अस्पष्ट और अधूरी लगती हैं। साथ ही, यह मूल निवासी और बाहरी लोगों के बीच दूरी बढ़ाने वाली भी लगती हैं।
देहरादून को राजधानी बनाकर देहरादून की बर्बादी की पटकथा लिख दी यहां सामाजिक और आर्थिक अपराध हर रोज बढ़ते जा रहे हैं. आप लोग बिल्कुल सही बात कर रहे हैं किन्तु इसकी चिंता किसको है और कौन इसको रोकेगा
Iski chinta dehradun ke har ek vyakti ko krni chaiye isliye neta sahi chune jo in sab baton ko manne ke liye aur krne ke liye tyar ho
राहुल जी और नौटियाल जी के मुताबिक हमें पाषाण युग में लौट जाना चाहिए। ये 6 महीने की योजना में दून के लिए शहरी एजेंडा की बात करते हैं, लेकिन पूरी वीडियो में शहरीकरण के खिलाफ ही बोले हैं।
5 साल की योजना, 6 महीने की योजना या मेयर कैसा होना चाहिए, ये बताते हुए ऐसा लगता है कि नौटियाल जी मानते हैं कि जो कुछ भी हो रहा है वह बिना किसी योजना के हो रहा है। या फिर अब तक के मेयर इन योग्यताओं से दूर रहे हैं।
इनके सुझाव बहुत सामान्य (जेनरिक) हैं। किसी भी तर्क के समर्थन में कोई ठोस डेटा या अध्ययन का जिक्र नहीं है। बस तीन जगहों पर मतदाता प्रतिशत बढ़ने की बात कही गई है, लेकिन यह नहीं बताया गया कि यह बढ़ोतरी क्यों हुई, किस तरह के मतदाता जुड़े, आदि।
कुल मिलाकर, यह बातें अअनुसंधानित, अस्पष्ट और अधूरी लगती हैं। साथ ही, यह मूल निवासी और बाहरी लोगों के बीच दूरी बढ़ाने वाली भी लगती हैं।
सही बोला अपने राजधानी यहाँ नही होनी चाहिए
Nautiyal ji का DUN vision सरकार के कानों तक पहुंचे ऐसी प्रार्थना करते हैं। आप सभी को शुभकामनाएं।
Hamare dhamo ji ek he dialog hai ,hamare pradhanmantri ji ke nitritva mein hum bahut tarakki kar rahe hain ,hamare pradhanmantri, hamare pradhanmantri
Bass ,yehi bol bol ke ye 5 saal nikal dega
राहुल जी और नौटियाल जी के मुताबिक हमें पाषाण युग में लौट जाना चाहिए। ये 6 महीने की योजना में दून के लिए शहरी एजेंडा की बात करते हैं, लेकिन पूरी वीडियो में शहरीकरण के खिलाफ ही बोले हैं।
5 साल की योजना, 6 महीने की योजना या मेयर कैसा होना चाहिए, ये बताते हुए ऐसा लगता है कि नौटियाल जी मानते हैं कि जो कुछ भी हो रहा है वह बिना किसी योजना के हो रहा है। या फिर अब तक के मेयर इन योग्यताओं से दूर रहे हैं।
इनके सुझाव बहुत सामान्य (जेनरिक) हैं। किसी भी तर्क के समर्थन में कोई ठोस डेटा या अध्ययन का जिक्र नहीं है। बस तीन जगहों पर मतदाता प्रतिशत बढ़ने की बात कही गई है, लेकिन यह नहीं बताया गया कि यह बढ़ोतरी क्यों हुई, किस तरह के मतदाता जुड़े, आदि।
कुल मिलाकर, यह बातें अअनुसंधानित, अस्पष्ट और अधूरी लगती हैं। साथ ही, यह मूल निवासी और बाहरी लोगों के बीच दूरी बढ़ाने वाली भी लगती हैं।
अति उत्तम राहुल कोठियाल एवं अनूप नौटियाल जी उत्तराखंड नगर निगम चुनाव पर जनसंख्या वृद्धि और विकास का रचयिता वार्ता सर्वश्रेष्ठ
राहुल जी और नौटियाल जी के मुताबिक हमें पाषाण युग में लौट जाना चाहिए। ये 6 महीने की योजना में दून के लिए शहरी एजेंडा की बात करते हैं, लेकिन पूरी वीडियो में शहरीकरण के खिलाफ ही बोले हैं।
5 साल की योजना, 6 महीने की योजना या मेयर कैसा होना चाहिए, ये बताते हुए ऐसा लगता है कि नौटियाल जी मानते हैं कि जो कुछ भी हो रहा है वह बिना किसी योजना के हो रहा है। या फिर अब तक के मेयर इन योग्यताओं से दूर रहे हैं।
इनके सुझाव बहुत सामान्य (जेनरिक) हैं। किसी भी तर्क के समर्थन में कोई ठोस डेटा या अध्ययन का जिक्र नहीं है। बस तीन जगहों पर मतदाता प्रतिशत बढ़ने की बात कही गई है, लेकिन यह नहीं बताया गया कि यह बढ़ोतरी क्यों हुई, किस तरह के मतदाता जुड़े, आदि।
कुल मिलाकर, यह बातें अअनुसंधानित, अस्पष्ट और अधूरी लगती हैं। साथ ही, यह मूल निवासी और बाहरी लोगों के बीच दूरी बढ़ाने वाली भी लगती हैं।
राहुल जी जब तक हम जनता इस बात को की मेयर चुनाव हमारे लिए क्या है इस बात को समझे तभी हम अपने सिटी को बचा सकते है नेताओं का क्या कहना वह चुनावी जुमला थमा देंगे पर आपके प्रोग्राम देखकर बहुत अच्छा लगता है सब मुद्दों की बात होती है शुक्रिया आपका ❤❤❤❤❤❤❤
राहुल जी और नौटियाल जी के मुताबिक हमें पाषाण युग में लौट जाना चाहिए। ये 6 महीने की योजना में दून के लिए शहरी एजेंडा की बात करते हैं, लेकिन पूरी वीडियो में शहरीकरण के खिलाफ ही बोले हैं।
5 साल की योजना, 6 महीने की योजना या मेयर कैसा होना चाहिए, ये बताते हुए ऐसा लगता है कि नौटियाल जी मानते हैं कि जो कुछ भी हो रहा है वह बिना किसी योजना के हो रहा है। या फिर अब तक के मेयर इन योग्यताओं से दूर रहे हैं।
इनके सुझाव बहुत सामान्य (जेनरिक) हैं। किसी भी तर्क के समर्थन में कोई ठोस डेटा या अध्ययन का जिक्र नहीं है। बस तीन जगहों पर मतदाता प्रतिशत बढ़ने की बात कही गई है, लेकिन यह नहीं बताया गया कि यह बढ़ोतरी क्यों हुई, किस तरह के मतदाता जुड़े, आदि।
कुल मिलाकर, यह बातें अअनुसंधानित, अस्पष्ट और अधूरी लगती हैं। साथ ही, यह मूल निवासी और बाहरी लोगों के बीच दूरी बढ़ाने वाली भी लगती हैं।
मैं सोचती थी कि मेरे सिवा कोई और देहरादून और मेरे उत्तराखंड के बारे में कोई नहीं सोचता है, पर भईया आपके इस वीडियो ने मेरा होंसला बढ़ा दिया है।
हम सब को एक होना पड़ेगा।
देवभूमि को शराब भूमि बना दिया गया है।
माँ गंगा में मीट मछि और शराब का सेवन टिहरी में कराया जा रहा है।
राहुल जी और नौटियाल जी के मुताबिक हमें पाषाण युग में लौट जाना चाहिए। ये 6 महीने की योजना में दून के लिए शहरी एजेंडा की बात करते हैं, लेकिन पूरी वीडियो में शहरीकरण के खिलाफ ही बोले हैं।
5 साल की योजना, 6 महीने की योजना या मेयर कैसा होना चाहिए, ये बताते हुए ऐसा लगता है कि नौटियाल जी मानते हैं कि जो कुछ भी हो रहा है वह बिना किसी योजना के हो रहा है। या फिर अब तक के मेयर इन योग्यताओं से दूर रहे हैं।
इनके सुझाव बहुत सामान्य (जेनरिक) हैं। किसी भी तर्क के समर्थन में कोई ठोस डेटा या अध्ययन का जिक्र नहीं है। बस तीन जगहों पर मतदाता प्रतिशत बढ़ने की बात कही गई है, लेकिन यह नहीं बताया गया कि यह बढ़ोतरी क्यों हुई, किस तरह के मतदाता जुड़े, आदि।
कुल मिलाकर, यह बातें अअनुसंधानित, अस्पष्ट और अधूरी लगती हैं। साथ ही, यह मूल निवासी और बाहरी लोगों के बीच दूरी बढ़ाने वाली भी लगती हैं।
There are a lot of silent people who support your thoughts Smita. I am one of them.
एक संस्था बनानी चाहिए स्थानीय निवासियों को मिलकर । इस संस्था के लोगों पहाड़ों पर गाँव गाँव जाकर लोगों को पूछना चाहिए कि उन्हें विकास चाहिए या विनाश । क्योंकि पछाड़ों पर रहने वाले लोग बोलते हैं कि हमें भी सुविधाए चाहिए । विकास चाहिए । उन्हें बताना होगा की विकास आएगा तो विनाश भी होगा । तब भी वह विकास का है चुनाव करते हैं तो फिर ना हम रोक पाएंगे और ना हमें अधिकार होगा । क्योंकि बहुत से पहाड़ी भी अपने पहाड़ी गाँवें को छोड़कर नीचे आकर बस जाते हैं सुविधाओं के लिए । तो फिर उन्हें कोई अधिकार नहीं रह जाता । पर मैं नी मानता हूँ कि विकास नहीं होना चाहिए । दुर्गम स्थलों पर ही देवता बसते हैं ।
@@bipins7295 pehle ye bata tu pahadi h yaa desi. Tu kya chahta hai ki pahadi 21st century mein bhi basic facilities k bina jeevan yapan kare. Aur agar kare bhi to tu badle mein mei unhe kya incentive dega ?? Saari jimmedaari pahadiyon par hi thopega environment bachaane ki?
सबको अधिक से अधिक धन चाहिए, इसीलिए सर्वत्र नाश और अशांति है
Very solid points raised by Anoop sur! Waste management is a serious matter of concern that needs immediate attention .
Jabardast journalist and journalism at it’s best. Salute to both of you and yes we all people should follow you guy’s.
Jai Uttarakhand.
राहुल जी और नौटियाल जी के मुताबिक हमें पाषाण युग में लौट जाना चाहिए। ये 6 महीने की योजना में दून के लिए शहरी एजेंडा की बात करते हैं, लेकिन पूरी वीडियो में शहरीकरण के खिलाफ ही बोले हैं।
5 साल की योजना, 6 महीने की योजना या मेयर कैसा होना चाहिए, ये बताते हुए ऐसा लगता है कि नौटियाल जी मानते हैं कि जो कुछ भी हो रहा है वह बिना किसी योजना के हो रहा है। या फिर अब तक के मेयर इन योग्यताओं से दूर रहे हैं।
इनके सुझाव बहुत सामान्य (जेनरिक) हैं। किसी भी तर्क के समर्थन में कोई ठोस डेटा या अध्ययन का जिक्र नहीं है। बस तीन जगहों पर मतदाता प्रतिशत बढ़ने की बात कही गई है, लेकिन यह नहीं बताया गया कि यह बढ़ोतरी क्यों हुई, किस तरह के मतदाता जुड़े, आदि।
कुल मिलाकर, यह बातें अअनुसंधानित, अस्पष्ट और अधूरी लगती हैं। साथ ही, यह मूल निवासी और बाहरी लोगों के बीच दूरी बढ़ाने वाली भी लगती हैं।
बहुत अच्छी विश्लेषणात्मक चर्चा। जो परिस्थिति है उसका सुधार करने के लिए यह जरूरी है की, राजधानी गैरसैंण में हो । उत्तराखंड शासन के 75% कार्यालय देहरादून में हैं । इस कारण यहाँ की अस्थाई जनसंख्या देहरादून में अव्यवस्था बनाने के लिए जिम्मेदार है।
राहुल जी और नौटियाल जी के मुताबिक हमें पाषाण युग में लौट जाना चाहिए। ये 6 महीने की योजना में दून के लिए शहरी एजेंडा की बात करते हैं, लेकिन पूरी वीडियो में शहरीकरण के खिलाफ ही बोले हैं।
5 साल की योजना, 6 महीने की योजना या मेयर कैसा होना चाहिए, ये बताते हुए ऐसा लगता है कि नौटियाल जी मानते हैं कि जो कुछ भी हो रहा है वह बिना किसी योजना के हो रहा है। या फिर अब तक के मेयर इन योग्यताओं से दूर रहे हैं।
इनके सुझाव बहुत सामान्य (जेनरिक) हैं। किसी भी तर्क के समर्थन में कोई ठोस डेटा या अध्ययन का जिक्र नहीं है। बस तीन जगहों पर मतदाता प्रतिशत बढ़ने की बात कही गई है, लेकिन यह नहीं बताया गया कि यह बढ़ोतरी क्यों हुई, किस तरह के मतदाता जुड़े, आदि।
कुल मिलाकर, यह बातें अअनुसंधानित, अस्पष्ट और अधूरी लगती हैं। साथ ही, यह मूल निवासी और बाहरी लोगों के बीच दूरी बढ़ाने वाली भी लगती हैं।
Mr. Anoop Nautiyal is one of the visionary for Uttarakhand and among the best mature voice for sustainable development of Uttarakhand. Thanks to Baramasa for having him in your show.
बहुत महत्वपूर्ण और ज्वलंत मुद्दों पर निश्चित रूप से सार्थक वार्ता
सर ने जो बात कही सारी बातों से मैं सहमत हूं 👍
राहुल जी और नौटियाल जी के मुताबिक हमें पाषाण युग में लौट जाना चाहिए। ये 6 महीने की योजना में दून के लिए शहरी एजेंडा की बात करते हैं, लेकिन पूरी वीडियो में शहरीकरण के खिलाफ ही बोले हैं।
5 साल की योजना, 6 महीने की योजना या मेयर कैसा होना चाहिए, ये बताते हुए ऐसा लगता है कि नौटियाल जी मानते हैं कि जो कुछ भी हो रहा है वह बिना किसी योजना के हो रहा है। या फिर अब तक के मेयर इन योग्यताओं से दूर रहे हैं।
इनके सुझाव बहुत सामान्य (जेनरिक) हैं। किसी भी तर्क के समर्थन में कोई ठोस डेटा या अध्ययन का जिक्र नहीं है। बस तीन जगहों पर मतदाता प्रतिशत बढ़ने की बात कही गई है, लेकिन यह नहीं बताया गया कि यह बढ़ोतरी क्यों हुई, किस तरह के मतदाता जुड़े, आदि।
कुल मिलाकर, यह बातें अअनुसंधानित, अस्पष्ट और अधूरी लगती हैं। साथ ही, यह मूल निवासी और बाहरी लोगों के बीच दूरी बढ़ाने वाली भी लगती हैं।
अनुप जी आप ही खड़े हो जाएं चुनाव मैं । मेरा वोट आपको🙏
राहुल जी और नौटियाल जी के मुताबिक हमें पाषाण युग में लौट जाना चाहिए। ये 6 महीने की योजना में दून के लिए शहरी एजेंडा की बात करते हैं, लेकिन पूरी वीडियो में शहरीकरण के खिलाफ ही बोले हैं।
5 साल की योजना, 6 महीने की योजना या मेयर कैसा होना चाहिए, ये बताते हुए ऐसा लगता है कि नौटियाल जी मानते हैं कि जो कुछ भी हो रहा है वह बिना किसी योजना के हो रहा है। या फिर अब तक के मेयर इन योग्यताओं से दूर रहे हैं।
इनके सुझाव बहुत सामान्य (जेनरिक) हैं। किसी भी तर्क के समर्थन में कोई ठोस डेटा या अध्ययन का जिक्र नहीं है। बस तीन जगहों पर मतदाता प्रतिशत बढ़ने की बात कही गई है, लेकिन यह नहीं बताया गया कि यह बढ़ोतरी क्यों हुई, किस तरह के मतदाता जुड़े, आदि।
कुल मिलाकर, यह बातें अअनुसंधानित, अस्पष्ट और अधूरी लगती हैं। साथ ही, यह मूल निवासी और बाहरी लोगों के बीच दूरी बढ़ाने वाली भी लगती हैं।
Mera bhi
उठे तो थे, बचा नहीं पाए,
जमानत,
ये चचा बहुत हाथ पैर मार रहे हैं।
पहले 108 सफेद हाथी चलाते थे।
Best explained by sh. Anoop Nautialji
राहुल जी और नौटियाल जी के मुताबिक हमें पाषाण युग में लौट जाना चाहिए। ये 6 महीने की योजना में दून के लिए शहरी एजेंडा की बात करते हैं, लेकिन पूरी वीडियो में शहरीकरण के खिलाफ ही बोले हैं।
5 साल की योजना, 6 महीने की योजना या मेयर कैसा होना चाहिए, ये बताते हुए ऐसा लगता है कि नौटियाल जी मानते हैं कि जो कुछ भी हो रहा है वह बिना किसी योजना के हो रहा है। या फिर अब तक के मेयर इन योग्यताओं से दूर रहे हैं।
इनके सुझाव बहुत सामान्य (जेनरिक) हैं। किसी भी तर्क के समर्थन में कोई ठोस डेटा या अध्ययन का जिक्र नहीं है। बस तीन जगहों पर मतदाता प्रतिशत बढ़ने की बात कही गई है, लेकिन यह नहीं बताया गया कि यह बढ़ोतरी क्यों हुई, किस तरह के मतदाता जुड़े, आदि।
कुल मिलाकर, यह बातें अअनुसंधानित, अस्पष्ट और अधूरी लगती हैं। साथ ही, यह मूल निवासी और बाहरी लोगों के बीच दूरी बढ़ाने वाली भी लगती हैं।
What a intelligence of nautiyal ji
Keep it up rahul bhai,
We are supporting you❤
मैं आपका चैनल फॉलो करता हूं । सही बात करते हैं आप ।
मैं 1994 में पहली बार देहरादून में करीबन 20 दिन रहा था । धरमपुर के बाद बहुत कम आबादी थी। हरिद्वार से देहरादून की तरफ आते हुए रिसपन्ना पुल के पास आने के बाद जो सड़क बाएं तरफ मुड़ती थी उसके बाएं तरफ नाम की आबादी थी ।
बंगाली कोठी शायद पहले रहा हो परंतु यहां खेत और खेत थे ।
मोथरावाला गांव ही था जिसका देहरादून से शायद वैसा वास्ता नहीं था जैसा आज । आज मोथरावाला केवल एक नाम का गांव है ।
जोगीवाला तो 2003 तक भी एक बेहद छितरी आबादी थी ।
देहरादून का जो भविष्य बताया जा रहा है वह सही आकलन है । हमें इसके लिए तैयार रहना चाहिए ।
और यदि कुछ बदलना है तो वह केवल बौद्धिकता से नहीं होगा ।
Sir, aapne ekdam sahi baat kahi hi...500% real truth hai.... 🎉
उत्तराखंड के बारे में बहुत ही अच्छी राय है और सरकार को भी इन बातों पर अमल करना चाहिए
राहुल जी और नौटियाल जी के मुताबिक हमें पाषाण युग में लौट जाना चाहिए। ये 6 महीने की योजना में दून के लिए शहरी एजेंडा की बात करते हैं, लेकिन पूरी वीडियो में शहरीकरण के खिलाफ ही बोले हैं।
5 साल की योजना, 6 महीने की योजना या मेयर कैसा होना चाहिए, ये बताते हुए ऐसा लगता है कि नौटियाल जी मानते हैं कि जो कुछ भी हो रहा है वह बिना किसी योजना के हो रहा है। या फिर अब तक के मेयर इन योग्यताओं से दूर रहे हैं।
इनके सुझाव बहुत सामान्य (जेनरिक) हैं। किसी भी तर्क के समर्थन में कोई ठोस डेटा या अध्ययन का जिक्र नहीं है। बस तीन जगहों पर मतदाता प्रतिशत बढ़ने की बात कही गई है, लेकिन यह नहीं बताया गया कि यह बढ़ोतरी क्यों हुई, किस तरह के मतदाता जुड़े, आदि।
कुल मिलाकर, यह बातें अअनुसंधानित, अस्पष्ट और अधूरी लगती हैं। साथ ही, यह मूल निवासी और बाहरी लोगों के बीच दूरी बढ़ाने वाली भी लगती हैं।
मैं खुद मैदानी क्षेत्र से हूं जब भी मैं देहरादून आता था तो बहुत अच्छा और शकुन मिलता था लेकिन 5 साल पहले जब मैं देहरादून गया तो वहां पर इतनी गन्दगी और भीड़भाड़ थी उसके बाद में कभी देहरादून नहीं गया आज से 20 साल पहले देहरादून बहुत अच्छा था लेकिन आज देहरादून बहुत गन्दा और भीड़भाड़ वाली जगह बन गई है
राहुल जी और नौटियाल जी के मुताबिक हमें पाषाण युग में लौट जाना चाहिए। ये 6 महीने की योजना में दून के लिए शहरी एजेंडा की बात करते हैं, लेकिन पूरी वीडियो में शहरीकरण के खिलाफ ही बोले हैं।
5 साल की योजना, 6 महीने की योजना या मेयर कैसा होना चाहिए, ये बताते हुए ऐसा लगता है कि नौटियाल जी मानते हैं कि जो कुछ भी हो रहा है वह बिना किसी योजना के हो रहा है। या फिर अब तक के मेयर इन योग्यताओं से दूर रहे हैं।
इनके सुझाव बहुत सामान्य (जेनरिक) हैं। किसी भी तर्क के समर्थन में कोई ठोस डेटा या अध्ययन का जिक्र नहीं है। बस तीन जगहों पर मतदाता प्रतिशत बढ़ने की बात कही गई है, लेकिन यह नहीं बताया गया कि यह बढ़ोतरी क्यों हुई, किस तरह के मतदाता जुड़े, आदि।
कुल मिलाकर, यह बातें अअनुसंधानित, अस्पष्ट और अधूरी लगती हैं। साथ ही, यह मूल निवासी और बाहरी लोगों के बीच दूरी बढ़ाने वाली भी लगती हैं।
1 bachcha palo to satyanas na ho
मुझे खुशी है कि हमारी भागम भाग वाली जिंदगी में बारामासा के माध्यम से कुछ मनन करने समय मिला। बहुत सटीक विश्लेषण सुनने को मिला। मेरा विचार अलग है और वह यह कि उत्तराखंड नामक भेड़ को अब तक सिर्फ नोचा और निचोड़ा गया है चारा नहीं दिया गया। किसने किया ?कौन दोषी रहे? और क्यों मैदान की ओर दौड़ लगाई गई,विशेषकर देहरादून, अल्मोड़ा, हल्द्वानी,कोटद्वार आदि । यकीनन मैदानी इलाकों की ओर जो रुझान रहा और अभी भी है, ये दुर्भाग्यपूर्ण है। कोई पहाड़ नहीं चढ़ना चाहता।
राहुल जी और नौटियाल जी के मुताबिक हमें पाषाण युग में लौट जाना चाहिए। ये 6 महीने की योजना में दून के लिए शहरी एजेंडा की बात करते हैं, लेकिन पूरी वीडियो में शहरीकरण के खिलाफ ही बोले हैं।
5 साल की योजना, 6 महीने की योजना या मेयर कैसा होना चाहिए, ये बताते हुए ऐसा लगता है कि नौटियाल जी मानते हैं कि जो कुछ भी हो रहा है वह बिना किसी योजना के हो रहा है। या फिर अब तक के मेयर इन योग्यताओं से दूर रहे हैं।
इनके सुझाव बहुत सामान्य (जेनरिक) हैं। किसी भी तर्क के समर्थन में कोई ठोस डेटा या अध्ययन का जिक्र नहीं है। बस तीन जगहों पर मतदाता प्रतिशत बढ़ने की बात कही गई है, लेकिन यह नहीं बताया गया कि यह बढ़ोतरी क्यों हुई, किस तरह के मतदाता जुड़े, आदि।
कुल मिलाकर, यह बातें अअनुसंधानित, अस्पष्ट और अधूरी लगती हैं। साथ ही, यह मूल निवासी और बाहरी लोगों के बीच दूरी बढ़ाने वाली भी लगती हैं।
बहुत ही सटीक विश्लेषण किया है नौटियाल जी ने
बहुत सटीक विश्लेषण 👍
Ghantaaa......Adhoora hai..Aaankde sahi nahi hai
राहुल जी और नौटियाल जी के मुताबिक हमें पाषाण युग में लौट जाना चाहिए। ये 6 महीने की योजना में दून के लिए शहरी एजेंडा की बात करते हैं, लेकिन पूरी वीडियो में शहरीकरण के खिलाफ ही बोले हैं।
5 साल की योजना, 6 महीने की योजना या मेयर कैसा होना चाहिए, ये बताते हुए ऐसा लगता है कि नौटियाल जी मानते हैं कि जो कुछ भी हो रहा है वह बिना किसी योजना के हो रहा है। या फिर अब तक के मेयर इन योग्यताओं से दूर रहे हैं।
इनके सुझाव बहुत सामान्य (जेनरिक) हैं। किसी भी तर्क के समर्थन में कोई ठोस डेटा या अध्ययन का जिक्र नहीं है। बस तीन जगहों पर मतदाता प्रतिशत बढ़ने की बात कही गई है, लेकिन यह नहीं बताया गया कि यह बढ़ोतरी क्यों हुई, किस तरह के मतदाता जुड़े, आदि।
कुल मिलाकर, यह बातें अअनुसंधानित, अस्पष्ट और अधूरी लगती हैं। साथ ही, यह मूल निवासी और बाहरी लोगों के बीच दूरी बढ़ाने वाली भी लगती हैं।
बहुत बहुत आभार नौटियाल जी और बारमासा टीम का.. इसको ज्यादा से ज्यादा शेयर और लाइक करें.
Shri Nautiyal ji is absolutely Right. I salute him.
Nautiyal ji aapki soch ko salam..
Salute of baramasa
सटीक विश्लेषण 👌👌बहुत बहुत धन्यवाद
apki report ka hmesha intezar rehta hai ... uttrakhand ke bare mai shi jankari milti hai ...baramasa ki poori team ko badhai .❤
यह वीडियो उत्तराखंड के आगामी निकाय चुनावों और विशेष रूप से देहरादून नगर निगम की वर्तमान स्थिति पर एक गहन दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है। इसमें शहर की बर्बादी के कारणों और भविष्य में संभावित सुधारों पर चर्चा को बड़े ही प्रभावशाली तरीके से प्रस्तुत किया गया है। सामाजिक और राजनीतिक कार्यकर्ता अनूप नौटियाल द्वारा दी गई अंतर्दृष्टि न केवल समस्या की गहराई को उजागर करती है बल्कि समाधान की दिशा में सोचने के लिए प्रेरित भी करती है।
वीडियो की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह जमीनी हकीकत को साफ-सुथरे और तथ्यपूर्ण तरीके से दर्शाता है। साथ ही, दर्शकों को यह सोचने पर मजबूर करता है कि आने वाले मेयर से क्या अपेक्षाएं होनी चाहिए। यह जानकारीपूर्ण, प्रासंगिक और विचारोत्तेजक है, जो किसी भी जागरूक नागरिक के लिए बेहद उपयोगी है।
ऐसे मुद्दों पर प्रकाश डालना और एक शहर के भविष्य पर चर्चा करना बेहद सराहनीय प्रयास है। इस प्रकार की सामग्री समाज में जागरूकता लाने और सकारात्मक बदलाव के लिए प्रेरित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
Great gob daaju,you are doing well job for uttrakhand ❤
आदरणीय नौटियाल जी के बहुत ही महत्वपूर्ण सुझाव है इस पर सरकार सरकार को और आम जनमानस को भी बहुत गंभीरता से लेना चाहिए देहरादून को और बर्बाद होने से बचना चाहिए इस प्रकार के संवाद आम जनमानस तक ले जाने के लिए बारामासा टीम को बहुत बहुत धन्यवाद
राहुल जी और नौटियाल जी के मुताबिक हमें पाषाण युग में लौट जाना चाहिए। ये 6 महीने की योजना में दून के लिए शहरी एजेंडा की बात करते हैं, लेकिन पूरी वीडियो में शहरीकरण के खिलाफ ही बोले हैं।
5 साल की योजना, 6 महीने की योजना या मेयर कैसा होना चाहिए, ये बताते हुए ऐसा लगता है कि नौटियाल जी मानते हैं कि जो कुछ भी हो रहा है वह बिना किसी योजना के हो रहा है। या फिर अब तक के मेयर इन योग्यताओं से दूर रहे हैं।
इनके सुझाव बहुत सामान्य (जेनरिक) हैं। किसी भी तर्क के समर्थन में कोई ठोस डेटा या अध्ययन का जिक्र नहीं है। बस तीन जगहों पर मतदाता प्रतिशत बढ़ने की बात कही गई है, लेकिन यह नहीं बताया गया कि यह बढ़ोतरी क्यों हुई, किस तरह के मतदाता जुड़े, आदि।
कुल मिलाकर, यह बातें अअनुसंधानित, अस्पष्ट और अधूरी लगती हैं। साथ ही, यह मूल निवासी और बाहरी लोगों के बीच दूरी बढ़ाने वाली भी लगती हैं।
नौटियाल जी जैसे लोगों की जरुरत है आज की राजनीति में, लेकिन लोग पार्टी विशेष में डूब जाते हैं, और अपना भविष्य बिगाड़ देते हैं .
नौटियाल जी की सारी बातें सही बात कह रहे हैं
Asli patrkar Uttrakhand ka ❤ baramasha❤
21 मई 1970 तारीख थी जब मैं देहरादून पहुंचा था। फिर 1987 तक वहां राजपुर रोड पर रहा। उस जमाने को आज बहुत मिस करते हैं। साल दो साल में 2-4 दिन के लिए जाता रहता हूँ परन्तु अब वो बात कहाँ !! 😔
As an environmentalist, we have to face more severe climate changes in Doon valley in upcoming years. Its very sad. Thankkyou #Barmaasateam & #AnoopNautiyal ji...
राहुल जी और नौटियाल जी के मुताबिक हमें पाषाण युग में लौट जाना चाहिए। ये 6 महीने की योजना में दून के लिए शहरी एजेंडा की बात करते हैं, लेकिन पूरी वीडियो में शहरीकरण के खिलाफ ही बोले हैं।
5 साल की योजना, 6 महीने की योजना या मेयर कैसा होना चाहिए, ये बताते हुए ऐसा लगता है कि नौटियाल जी मानते हैं कि जो कुछ भी हो रहा है वह बिना किसी योजना के हो रहा है। या फिर अब तक के मेयर इन योग्यताओं से दूर रहे हैं।
इनके सुझाव बहुत सामान्य (जेनरिक) हैं। किसी भी तर्क के समर्थन में कोई ठोस डेटा या अध्ययन का जिक्र नहीं है। बस तीन जगहों पर मतदाता प्रतिशत बढ़ने की बात कही गई है, लेकिन यह नहीं बताया गया कि यह बढ़ोतरी क्यों हुई, किस तरह के मतदाता जुड़े, आदि।
कुल मिलाकर, यह बातें अअनुसंधानित, अस्पष्ट और अधूरी लगती हैं। साथ ही, यह मूल निवासी और बाहरी लोगों के बीच दूरी बढ़ाने वाली भी लगती हैं।
भाई जी, सबसे बड़ा समस्याएं यह है की जो लॉग बाहर से यूपी, हरियाणा, आदि शहर से अब यहां बस गया है।
राजनेता तो बस वोट ही देखता है।
अब उत्तराखंड में वो वह जो यहां के मूल निवासी हैं जिनकी दादा परदादा सब यही रहे हैं वो तो 2050 तक पता नहीं उत्तराखंड के होगे या नहीं।
मुझको तो लगता है की हम उत्तराखंडी फिर से यूपी पहुंच गए।
जिस हिसाब से यह बाहरी लोग बस गाय हैं।🙏🙏🙏
चमोली जी आप भी तो पहाड़ से नीचे आ गए है वहां क्यों नहीं रुके।
Jameen up hariyana walo ko bechna band karna chahiye. Or pahado se logo ka ncr me kamane k liye aana band hona chahiye jis se jiske pass jo hai vo unke bacho ko mile yaha aakar badi naukariya khai hai
Bhai sirf up haryana nhi uttrakhand k saare district se log dehradun aa k bss gye hain ,,, to sirf UP haryana walo ko bolna justified nhi h...
बहुत विचारोत्तेजक चर्चा ❤
A true citizen is speaking..
Bahut sundar information sir thanks 🙏🙏👍👍 Dil se salute ❤❤❤
Loved the interaction ❤
पहाड़ की आवाज गणेश गोदियाल जीजिंदाबाद जिंदाबाद जिंदाबाद❤❤❤
😂😂😂😂😂
Uttarakhand was considered as the most peaceful states in India… but sadly, this won’t stay for long…
Outsiders
@ because of our Govt.
@@urgyentenzin6663tu Tibetan h na ?
@@urgyentenzin6663 Tibetan ho tum ?
Yes you are absolutely right.
Your channel just speaks true facts. Worst political will , worst planning of govt is ruining Dehradun.
राहुल जी और नौटियाल जी के मुताबिक हमें पाषाण युग में लौट जाना चाहिए। ये 6 महीने की योजना में दून के लिए शहरी एजेंडा की बात करते हैं, लेकिन पूरी वीडियो में शहरीकरण के खिलाफ ही बोले हैं।
5 साल की योजना, 6 महीने की योजना या मेयर कैसा होना चाहिए, ये बताते हुए ऐसा लगता है कि नौटियाल जी मानते हैं कि जो कुछ भी हो रहा है वह बिना किसी योजना के हो रहा है। या फिर अब तक के मेयर इन योग्यताओं से दूर रहे हैं।
इनके सुझाव बहुत सामान्य (जेनरिक) हैं। किसी भी तर्क के समर्थन में कोई ठोस डेटा या अध्ययन का जिक्र नहीं है। बस तीन जगहों पर मतदाता प्रतिशत बढ़ने की बात कही गई है, लेकिन यह नहीं बताया गया कि यह बढ़ोतरी क्यों हुई, किस तरह के मतदाता जुड़े, आदि।
कुल मिलाकर, यह बातें अअनुसंधानित, अस्पष्ट और अधूरी लगती हैं। साथ ही, यह मूल निवासी और बाहरी लोगों के बीच दूरी बढ़ाने वाली भी लगती हैं।
❤❤ important and thoughtful podcast
Thank you Rahul and Nautiyal ji for very meaningful discussion and sharing of information regarding Dehradun.We are not residing in the area but indirectly connected with Utherakhand specially with Dehradun.Appreciate & all the best.
अब तो गांव का भी शहरीकरण करने से गांव की भी सुंदरता खत्म हो गई है 🌹🙏🌹
Mai aap ki baat se sahmat hu sair 🙏
रवीन्द्र जुगरान
अनूप नौटियाल जी लोग को मेयर पद हेतु निर्वाचित होना चाहिए
राहुल जी और नौटियाल जी के मुताबिक हमें पाषाण युग में लौट जाना चाहिए। ये 6 महीने की योजना में दून के लिए शहरी एजेंडा की बात करते हैं, लेकिन पूरी वीडियो में शहरीकरण के खिलाफ ही बोले हैं।
5 साल की योजना, 6 महीने की योजना या मेयर कैसा होना चाहिए, ये बताते हुए ऐसा लगता है कि नौटियाल जी मानते हैं कि जो कुछ भी हो रहा है वह बिना किसी योजना के हो रहा है। या फिर अब तक के मेयर इन योग्यताओं से दूर रहे हैं।
इनके सुझाव बहुत सामान्य (जेनरिक) हैं। किसी भी तर्क के समर्थन में कोई ठोस डेटा या अध्ययन का जिक्र नहीं है। बस तीन जगहों पर मतदाता प्रतिशत बढ़ने की बात कही गई है, लेकिन यह नहीं बताया गया कि यह बढ़ोतरी क्यों हुई, किस तरह के मतदाता जुड़े, आदि।
कुल मिलाकर, यह बातें अअनुसंधानित, अस्पष्ट और अधूरी लगती हैं। साथ ही, यह मूल निवासी और बाहरी लोगों के बीच दूरी बढ़ाने वाली भी लगती हैं I
मेयर पद पर ऐसे लोगों की अधिकांश नियुक्ति हो जाती है जिनकी सोच चल खाल नाली एवं प्रॉपर्टी तक सीमित रहती है आदरणीय नौटियाल जी जैसे लोग जीने देहरादून तथा अन्यत्र उत्तराखंड की जानकारी है महत्व देने की आवश्यकताहै राजनीतिक दलोंको भी आरक्षण तथा धनबल आदि को महत्व में देते हुए योग्यता को भी महत्व देना चाहिए
Rahul g आप बहुत अच्छे पत्रकार है.
मैं सोच रहा था कि अजकल पानी इतना ज्यादा क्यों आ रहा है तो याद आया कि चुनाव आ रहा है पार्षद के!
Bhai parshad ka chunav kab hai any date
राहुल जी और नौटियाल जी के मुताबिक हमें पाषाण युग में लौट जाना चाहिए। ये 6 महीने की योजना में दून के लिए शहरी एजेंडा की बात करते हैं, लेकिन पूरी वीडियो में शहरीकरण के खिलाफ ही बोले हैं।
5 साल की योजना, 6 महीने की योजना या मेयर कैसा होना चाहिए, ये बताते हुए ऐसा लगता है कि नौटियाल जी मानते हैं कि जो कुछ भी हो रहा है वह बिना किसी योजना के हो रहा है। या फिर अब तक के मेयर इन योग्यताओं से दूर रहे हैं।
इनके सुझाव बहुत सामान्य (जेनरिक) हैं। किसी भी तर्क के समर्थन में कोई ठोस डेटा या अध्ययन का जिक्र नहीं है। बस तीन जगहों पर मतदाता प्रतिशत बढ़ने की बात कही गई है, लेकिन यह नहीं बताया गया कि यह बढ़ोतरी क्यों हुई, किस तरह के मतदाता जुड़े, आदि।
कुल मिलाकर, यह बातें अअनुसंधानित, अस्पष्ट और अधूरी लगती हैं। साथ ही, यह मूल निवासी और बाहरी लोगों के बीच दूरी बढ़ाने वाली भी लगती हैं।
26:45 summer capital ke naam pe kya hota hai ....koi expain karo bhai
Noriyaal sir you have such a great knowledge 🙏🙏🙏🙏...
Keep doing you support to uttrakhand
Awsome and informative video..!!!
शानदार चर्चा । अच्छा मन्थन ।
Bahut sahi thankyou for bringing and speaking up.
बहुत सुन्दर प्रस्तुति..... 😍
बेहद सार्थक चर्चा, नगर निगम के चुनावों में हर नागरिक को बढ़चढ़कर कर हिस्सा लेना चाहिए और शहर के मेयर और स्थानीय पार्षदों पर शहर को फिर से हरा भरा बनाने, नहरों से लबरेज़ करने और सस्ते, sustainable पब्लिक ट्रांसपोर्ट, बढ़ते अपराध और नशे से मुक्ति दिलाने के लिए काम करना चाहिए!!!
श्री नौटियाल जैसे विजनरी लोगों को समाज निर्माण और समाज सुधार जैसे कार्यो में अहम भूमिका निभाने का जिम्मा दिया जाना चाहिए। बल्कि ऐसे लोगों को नेतृत्व में लिया जाना चाहिए।
सही कहा D .Dun के साथ साथ UK की बर्बादी निश्च है ।
Nice analysis 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
Really true said
Respted sir Namaskar
Great talk ❤
Bahut badhiya aise hi jaankari dete rahiye god bless you
Salute Anoop sir 🙏
श्री नौटियाल जी को राजनीति में आना चाहिए। आज का जनमानस श्री नौटियाल जी जैसे बुद्धिजीवी वर्ग का उत्तराखंड में तीसरे विकल्प के रूप में इंतजार कर रहा है। बुद्धजीवी वर्ग अगर राजनीति में रहेगा तो अवश्य इस प्रदेश के विकास में अपना प्रभाव छोड़ पाएगा।
Great Anoop ji
Still Anup sir ... Amazing..
Appreciation for this video
Thank you jagruk karne ko🙏
वर्ल्ड क्लास रिपोर्टिंग भाई 🙏🏽
सलाम,, बात देहरादून की है या ऋषिकेश की या हल्द्वानी की मेरा कोटद्वार आज भी बेजान है थोडा नजीमाबाद का दबाव पड़ा है लेकीन उसका हिस्सा कम है, बजाय ऋषिकेस देहरादुन का, इन दोनों शहरो मे लोकल कुछ भी नहीं है, अब हमारे मूल निवासी पहाड़ी अल्प आबादी से जुड़ चुका जिसका नतीजा सरकार की नीतियों में पड़ा और बाहरी लोग सरकार और नौकरी में आने लगे, लगता है उत्तराखंड उत्तराखंडीयों को भूल जायेगा,,
अगर शहरी करण करना है और जिनको देहरादून में बसना है उनके लिए पहली शर्त है वे हमारे पहाड़ी क्षेत्र के बाजारों में बसे जिसे गांव में खेती करने को बाजार से जोड़ने में मदद मिलेगी, इसके लिए नेतागिरी को अपनी खेती और गांव को बचाने के लिए काम करना होगा, होगे तुम देहरादून वाले, तुम्हारे होने से पहाड़ी गांव खेती के लिए क्या फायदा, उसके लिए तुम्हारा होना न होना किसी काम का नही,,
Anoop for Mayor ❤
देहरादून इंदौर ओर सूरत जैसा बनाना चाहिए ❤❤
सरल संवाद से गम्भीर विषयों पर प्रकाश डालने के लिए साधुवाद।
Congrss bjp dono me uk barbad kiya sare desi bqsa dye mafia
bahut hi shaandar interview
राहुल जी और नौटियाल जी के मुताबिक हमें पाषाण युग में लौट जाना चाहिए। ये 6 महीने की योजना में दून के लिए शहरी एजेंडा की बात करते हैं, लेकिन पूरी वीडियो में शहरीकरण के खिलाफ ही बोले हैं।
5 साल की योजना, 6 महीने की योजना या मेयर कैसा होना चाहिए, ये बताते हुए ऐसा लगता है कि नौटियाल जी मानते हैं कि जो कुछ भी हो रहा है वह बिना किसी योजना के हो रहा है। या फिर अब तक के मेयर इन योग्यताओं से दूर रहे हैं।
इनके सुझाव बहुत सामान्य (जेनरिक) हैं। किसी भी तर्क के समर्थन में कोई ठोस डेटा या अध्ययन का जिक्र नहीं है। बस तीन जगहों पर मतदाता प्रतिशत बढ़ने की बात कही गई है, लेकिन यह नहीं बताया गया कि यह बढ़ोतरी क्यों हुई, किस तरह के मतदाता जुड़े, आदि।
कुल मिलाकर, यह बातें अअनुसंधानित, अस्पष्ट और अधूरी लगती हैं। साथ ही, यह मूल निवासी और बाहरी लोगों के बीच दूरी बढ़ाने वाली भी लगती हैं।
Very good and important topic 👍👍
100% agree with you sir.
Bahut badiya sir...🎉
नौटियाल सर जी को और इन जैसे लोगो को चुनाव में आना बहुत जरूरी है। बीजेपी और कांग्रेस से किसी भी विकास की उम्मीद बेकार ही है
In a fatalist civil society ... that of like this Doon Valley.... It's inevitable....😢
होए वही जो राम रची राखा.....
राजा हरिश्चंद्र गए
रघुवंशी गए
यदुवंशी गए
..... दून की क्या बिसात😞🙏😊
....it's a tipping point, and I believe 🙏 let it happen 👍.... The most essential experiences come around by the experience itself 🥺
माँ की कसम नौटियाल जी ने तो आईना दिखा दिया दून वालो को... अभी भी समझ जाओ दून वालो वरना देर होजाएगी.
प्रगती जी कैसे हो आप
इट्स बीन लोंग time ❤
You are right sir 🙏
बहुत सुंदर ❤
Sir Bahut badhiya analysis
देहरादून के लोग कौन हैं? मुझे तो अब ये आप्रवासियों का शहर लगता है। उत्तराखंड के नेताओं की करतूतों को देखकर लगता नहीं कि कुछ सकारात्मक होने वाला है। ये राज्य, इसके शहर, गाँव, जंगल व पर्यावरण बर्बाद होने को शायद अभिशप्त हैं।
Cract and Right Analysis Great 👍 theek hai sir jee 😂
Great keep it up God bless you
समय की मांग है क्या पीछे चलना चाहते हैं या वहीं पर खड़े रहना चाहते हैं या आगे चलना चाहते हैं हर स्थिति में स्थितियां अलग-अलग होती हैं इसमें कोई भी नया बात नहीं है l तरक्की अगर हमको बड़े शहर जैसी चाहिए तो ये सब समस्याएं आएंगी... कलयुग के समय में हम सतयुग नहीं ला सकते ये भी क्लियर है
❤❤positive thinking
बारोमासा चैनल बहुत ही महत्वपूर्ण मुद्दों को उठाता वो काबिले तारीफ है।
वास्तव में भविष्य को देखते हुए शहर प्लान तैयार किया जाना चाहिए।
उत्तराखंड में सरकारें संवेदनशील नहीं है।
Big Fan of Baramasa Team, keep it up
Bhut badiya sir ji apke soo bhut axe hai🎉🎉