Taraweeh and Ramadan moon sighting | Javed Ahmad Ghamidi

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  • เผยแพร่เมื่อ 9 พ.ย. 2024

ความคิดเห็น • 219

  • @qurantafseerbymrsadnan2837
    @qurantafseerbymrsadnan2837 3 ปีที่แล้ว +2

    Allah tera shukr h aisa scholar deny ka

  • @syedsiddiqullah3071
    @syedsiddiqullah3071 6 ปีที่แล้ว +7

    Totally agreed. Logical answers. Undeniable revealed- reality. Eminent person of this era. God bless you more and more and keeps your unceasing shadow on our heads.

    • @fightforpeace7854
      @fightforpeace7854 5 ปีที่แล้ว

      یار کیا آپ امام ابو حنیفہ رحمتہ علیہ پر اس غامدی کو فوقیت دے رہے ہو؟
      جنہوں نے پوری زندگی اسلام کی خدمت کی اور احادیث کو صحیح طور پر جمع کیا، کیا ان کو علم نہیں تھا؟
      اور دوسری بات، پوری اسلامی دنیا میں تراویع باجماعت عشاء کی نماز کے بعد ادا کی جاتی ہے، یہ اسلام ہے سچا دین ہے محمد صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا کہ میری امت کی اکثریت کسی غلط بات پر متفق نہیں ہو سکتی،
      اس غامدی کے چہرے پر داڑھی نہیں ہے ، اس کی ایک وجہ ہے، یہ ڈرتا ہے ہے لوگ اسے مولوی نہ کہیں، اگر دین کی بات کرنے والے کہ چہرے پر ڈاڑھی ہوگی تو وہ مولوی کہلائے گا اور اگر ڈاڑھی نہ ہو تو مفکر اور دانشور، یہ اسلام کی بات نہیں کرتا یہ ایک فتنہ ہے،

    • @shahnawazalam3611
      @shahnawazalam3611 3 ปีที่แล้ว

      Illogical answer how roza is possible without farz namaz which is more superior "prophet Muhammad pbuh said Not a single prayer by a fasting person at the time of breaking fast is rejected...."

    • @imransyed1370
      @imransyed1370 3 ปีที่แล้ว

      Ghamdi is a big shaitan for this world now.

    • @imransyed1370
      @imransyed1370 3 ปีที่แล้ว

      Ghamdi is a shaitan of this world who is mis guiding from his fitna

  • @javedtak6638
    @javedtak6638 2 หลายเดือนก่อน

    zabardast cacha aap bahot behtrin alim h ,👍👍👍

  • @muhammadsohaibtariq3087
    @muhammadsohaibtariq3087 5 ปีที่แล้ว +4

    غامدی صاحب ، اللہ تعالیٰ آپ کی عُمر میں برکت عطا کرے اور آپ سے دین کا مزید کام لے - آمین یا ربّ

    • @fightforpeace7854
      @fightforpeace7854 5 ปีที่แล้ว

      یار کیا آپ امام ابو حنیفہ رحمتہ علیہ پر اس غامدی کو فوقیت دے رہے ہو؟
      جنہوں نے پوری زندگی اسلام کی خدمت کی اور احادیث کو صحیح طور پر جمع کیا، کیا ان کو علم نہیں تھا؟
      اور دوسری بات، پوری اسلامی دنیا میں تراویع باجماعت عشاء کی نماز کے بعد ادا کی جاتی ہے، یہ اسلام ہے سچا دین ہے محمد صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا کہ میری امت کی اکثریت کسی غلط بات پر متفق نہیں ہو سکتی،
      اس غامدی کے چہرے پر داڑھی نہیں ہے ، اس کی ایک وجہ ہے، یہ ڈرتا ہے ہے لوگ اسے مولوی نہ کہیں، اگر دین کی بات کرنے والے کہ چہرے پر ڈاڑھی ہوگی تو وہ مولوی کہلائے گا اور اگر ڈاڑھی نہ ہو تو مفکر اور دانشور، یہ اسلام کی بات نہیں کرتا یہ ایک فتنہ ہے،

    • @fightforpeace7854
      @fightforpeace7854 5 ปีที่แล้ว

      یار کیا آپ امام ابو حنیفہ رحمتہ علیہ پر اس غامدی کو فوقیت دے رہے ہو؟
      جنہوں نے پوری زندگی اسلام کی خدمت کی اور احادیث کو صحیح طور پر جمع کیا، کیا ان کو علم نہیں تھا؟
      اور دوسری بات، پوری اسلامی دنیا میں تراویع باجماعت عشاء کی نماز کے بعد ادا کی جاتی ہے، یہ اسلام ہے سچا دین ہے محمد صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا کہ میری امت کی اکثریت کسی غلط بات پر متفق نہیں ہو سکتی،
      اس غامدی کے چہرے پر داڑھی نہیں ہے ، اس کی ایک وجہ ہے، یہ ڈرتا ہے ہے لوگ اسے مولوی نہ کہیں، اگر دین کی بات کرنے والے کہ چہرے پر ڈاڑھی ہوگی تو وہ مولوی کہلائے گا اور اگر ڈاڑھی نہ ہو تو مفکر اور دانشور، یہ اسلام کی بات نہیں کرتا یہ ایک فتنہ ہے،

  • @jamildurrani1993
    @jamildurrani1993 7 ปีที่แล้ว +37

    WHERE in this video he is denying Traweeh payers. Or is there any other video where he said that dont pray Traweeh. He is just explaining the real facts and history of Traweeh. I my self and ALL my children pray Taraweeh regularly in Ramadan. Please STOP accusing others of falsehood as good muslims must not accus other of heresy and misinformation. Please listen to him with open mind and understand what Taraweeh is and then pray Traweeh salat with full understandings and KHUSHOO. WASSALM

    • @raeesalikhan141
      @raeesalikhan141 7 ปีที่แล้ว

      Jamil Durrani 4:58

    • @Babu-l7u
      @Babu-l7u 5 ปีที่แล้ว

      ज्ञान सिर्फ ऋषियों के ही पास था इसकी सिर्फ एक दो ही मिसाल देना चाहुंगा और वो है पुनर्जन्म का होना और शुन्य की खोज ।
      पुनर्जन्म के सबूत ढेरों मौजूद हैं और कोई इंकार नहीं कर सकता । हां कोई मूर्खतापूर्ण तरीके से बहस करता रहे, तर्क वितर्क कुतर्क करता रहे तो इससे क्या । कुदरत तो अपने नियम बदलने से रही ।
      जब पुनर्जन्म की बात सही है तो ऋषि-मुनियों की कही गई और भी ढेरों बातें सही और सटीक हैं जैसे कर्म फल, ईश्वर किसी को माफ कर ही नहीं सकता, कोई स्वर्ग नर्क नहीं है, ईश्वर दयालु नहीं है, ना ही प्रेम का सागर है, और ना ही किसी की मदद को आगे सकता है चाहे कितनी भी पूजा करलो और कसीदे पढ़ लो ऊपरवाले की याद में और ना ही कोई चमत्कार कर सकता है । दुनिया को वेदों की सच्चाई को मानना ही होगा एक दिन । क्योंकि सच को तो आना ही होता है सबके सामने झुठ का सीना चीर कर । सच को कोई हरा ही नहीं सकता । सच को हराने की ताकत खुद ऊपरवाले की भी नहीं है यानि ऊपरवाला खुद भी सच से बड़ा नहीं है और ना ही हो सकता है ।
      और भाई खूब पढ़ो ऋषि-मुनियों का ज्ञान और सच को जानो और आंखें खोलो । और वैसे भी ऋषि मुनि हजारों हजार की संख्या में थे जिन्होंने एक समय पर नहीं अलग अलग समय पर सच की खोज की भारत की इस लबालब हरियाली से भरे इलाके में - जहां पानी, तालाब, सरोवर, और नदियां है, रंग-बिरंगे फूल, पेड़, लतायें, हरे घास से भर मैदान, बगीचे और वनस्पतियां है, दूध घी है, खाने पीने की मौज है, संस्कृत है और ढेरो भाषायें है, । ऊपरवाले की इतनी बड़ी खोज किसी एक आदमी के बस की बात नहीं है ।
      बाकी समझदार आदमी को बहस नहीं खोज करनी चाहिए । वैसे भी ईश्वर की खोज वो ही करेगा जिन्हें शुन्य की खोज का ज्ञान हो । शुन्य और ईश्वर की खोज में गहरा संबंध है और ये एक ही सिक्के के दो पहलू हैं । और जब शून्य की खोज भारत में हुई इसका मतलब ईश्वर की खोज भी भारत में ही हुई पहली मर्तबा और भारत से ही ईश्वर और शुन्य का ज्ञान बाहर गया ।
      सो फिलहाल मेरे दो ही मुद्दे हैं पुनर्जन्म के और शुन्य के तो बेहतर है आप खुद ही जांच पड़ताल करो और सच को जानो अपने दिमाग की खिड़की पूरी खोलकर । हम इंसान हैं और हमको सिर्फ और सिर्फ सच को खोजना है और धार्मिक तै बिल्कुल ही नहीं बनना है । सच की तो धर्म से बनती ही नहीं है ।

    • @machozk007
      @machozk007 5 ปีที่แล้ว +1

      @@Babu-l7u Kya bakwas likh raha hai tu...

    • @hilalmir5173
      @hilalmir5173 3 ปีที่แล้ว

      He did not deny Tarawih as Salah, but denied it as Faraz for The Ummah.

  • @tallatnaeem3
    @tallatnaeem3 7 ปีที่แล้ว +23

    there r a lot of logics . may Allah bless him

    • @Babu-l7u
      @Babu-l7u 5 ปีที่แล้ว

      ज्ञान सिर्फ ऋषियों के ही पास था इसकी सिर्फ एक दो ही मिसाल देना चाहुंगा और वो है पुनर्जन्म का होना और शुन्य की खोज ।
      पुनर्जन्म के सबूत ढेरों मौजूद हैं और कोई इंकार नहीं कर सकता । हां कोई मूर्खतापूर्ण तरीके से बहस करता रहे, तर्क वितर्क कुतर्क करता रहे तो इससे क्या । कुदरत तो अपने नियम बदलने से रही ।
      जब पुनर्जन्म की बात सही है तो ऋषि-मुनियों की कही गई और भी ढेरों बातें सही और सटीक हैं जैसे कर्म फल, ईश्वर किसी को माफ कर ही नहीं सकता, कोई स्वर्ग नर्क नहीं है, ईश्वर दयालु नहीं है, ना ही प्रेम का सागर है, और ना ही किसी की मदद को आगे सकता है चाहे कितनी भी पूजा करलो और कसीदे पढ़ लो ऊपरवाले की याद में और ना ही कोई चमत्कार कर सकता है । दुनिया को वेदों की सच्चाई को मानना ही होगा एक दिन । क्योंकि सच को तो आना ही होता है सबके सामने झुठ का सीना चीर कर । सच को कोई हरा ही नहीं सकता । सच को हराने की ताकत खुद ऊपरवाले की भी नहीं है यानि ऊपरवाला खुद भी सच से बड़ा नहीं है और ना ही हो सकता है ।
      और भाई खूब पढ़ो ऋषि-मुनियों का ज्ञान और सच को जानो और आंखें खोलो । और वैसे भी ऋषि मुनि हजारों हजार की संख्या में थे जिन्होंने एक समय पर नहीं अलग अलग समय पर सच की खोज की भारत की इस लबालब हरियाली से भरे इलाके में - जहां पानी, तालाब, सरोवर, और नदियां है, रंग-बिरंगे फूल, पेड़, लतायें, हरे घास से भर मैदान, बगीचे और वनस्पतियां है, दूध घी है, खाने पीने की मौज है, संस्कृत है और ढेरो भाषायें है, । ऊपरवाले की इतनी बड़ी खोज किसी एक आदमी के बस की बात नहीं है ।
      बाकी समझदार आदमी को बहस नहीं खोज करनी चाहिए । वैसे भी ईश्वर की खोज वो ही करेगा जिन्हें शुन्य की खोज का ज्ञान हो । शुन्य और ईश्वर की खोज में गहरा संबंध है और ये एक ही सिक्के के दो पहलू हैं । और जब शून्य की खोज भारत में हुई इसका मतलब ईश्वर की खोज भी भारत में ही हुई पहली मर्तबा और भारत से ही ईश्वर और शुन्य का ज्ञान बाहर गया ।
      सो फिलहाल मेरे दो ही मुद्दे हैं पुनर्जन्म के और शुन्य के तो बेहतर है आप खुद ही जांच पड़ताल करो और सच को जानो अपने दिमाग की खिड़की पूरी खोलकर । हम इंसान हैं और हमको सिर्फ और सिर्फ सच को खोजना है और धार्मिक तै बिल्कुल ही नहीं बनना है । सच की तो धर्म से बनती ही नहीं है ।

    • @craaazy-bm8se
      @craaazy-bm8se 5 ปีที่แล้ว

      اچھا ؟
      کتنی گواہیاں لینی ہیں اور کون سے شواہد قابل قبول ہیں وہ
      پاگل بنانے کا کارخانہ۔😂

    • @fightforpeace7854
      @fightforpeace7854 5 ปีที่แล้ว

      یار کیا آپ امام ابو حنیفہ رحمتہ علیہ پر اس غامدی کو فوقیت دے رہے ہو؟
      جنہوں نے پوری زندگی اسلام کی خدمت کی اور احادیث کو صحیح طور پر جمع کیا، کیا ان کو علم نہیں تھا؟
      اور دوسری بات، پوری اسلامی دنیا میں تراویع باجماعت عشاء کی نماز کے بعد ادا کی جاتی ہے، یہ اسلام ہے سچا دین ہے محمد صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا کہ میری امت کی اکثریت کسی غلط بات پر متفق نہیں ہو سکتی،
      اس غامدی کے چہرے پر داڑھی نہیں ہے ، اس کی ایک وجہ ہے، یہ ڈرتا ہے ہے لوگ اسے مولوی نہ کہیں، اگر دین کی بات کرنے والے کہ چہرے پر ڈاڑھی ہوگی تو وہ مولوی کہلائے گا اور اگر ڈاڑھی نہ ہو تو مفکر اور دانشور، یہ اسلام کی بات نہیں کرتا یہ ایک فتنہ ہے،

  • @qurantafseerbymrsadnan2837
    @qurantafseerbymrsadnan2837 3 ปีที่แล้ว +1

    Aslamoalakum ghamdi sahib super excellent allah ke rahmtain hoon is great leader

  • @akbarshamsi8255
    @akbarshamsi8255 2 ปีที่แล้ว

    subhan allah

  • @qasimjahangir5308
    @qasimjahangir5308 4 ปีที่แล้ว +2

    Thanks sir ghamdi

  • @asfa29
    @asfa29 4 ปีที่แล้ว

    May ALLAH bless you . Grant you the best in the world and the hereafter!!!

  • @Hyper-Tv
    @Hyper-Tv 3 ปีที่แล้ว

    اللَّهُـمّ صَــــــلٌ علَےَ مُحمَّــــــــدْ و علَےَ آل مُحمَّــــــــدْ كما صَــــــلٌيت علَےَ إِبْرَاهِيمَ و علَےَ آل إِبْرَاهِيمَ إِنَّك حَمِيدٌ مَجِيدٌ♥
    اللهم بارك علَےَ مُحمَّــــــــدْ و علَےَ آل مُحمَّــــــــدْ كما باركت علَےَ إِبْرَاهِيمَ و علَےَ آل إِبْرَاهِيمَ إِنَّك حَمِيدٌ مَجِيدٌ♥

  • @shahabkalim
    @shahabkalim 4 ปีที่แล้ว

    Becoming a fan of Ghamidi sahab..

  • @sarfarazghani6570
    @sarfarazghani6570 ปีที่แล้ว

    Excellent

  • @RizRazee_DB
    @RizRazee_DB 6 ปีที่แล้ว +1

    Bohot khoob ma sha ALLAH

    • @fightforpeace7854
      @fightforpeace7854 5 ปีที่แล้ว

      یار کیا آپ امام ابو حنیفہ رحمتہ علیہ پر اس غامدی کو فوقیت دے رہے ہو؟
      جنہوں نے پوری زندگی اسلام کی خدمت کی اور احادیث کو صحیح طور پر جمع کیا، کیا ان کو علم نہیں تھا؟
      اور دوسری بات، پوری اسلامی دنیا میں تراویع باجماعت عشاء کی نماز کے بعد ادا کی جاتی ہے، یہ اسلام ہے سچا دین ہے محمد صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا کہ میری امت کی اکثریت کسی غلط بات پر متفق نہیں ہو سکتی،
      اس غامدی کے چہرے پر داڑھی نہیں ہے ، اس کی ایک وجہ ہے، یہ ڈرتا ہے ہے لوگ اسے مولوی نہ کہیں، اگر دین کی بات کرنے والے کہ چہرے پر ڈاڑھی ہوگی تو وہ مولوی کہلائے گا اور اگر ڈاڑھی نہ ہو تو مفکر اور دانشور، یہ اسلام کی بات نہیں کرتا یہ ایک فتنہ ہے،

  • @farianwar6390
    @farianwar6390 3 ปีที่แล้ว

    Rabe zidni ilma. AAMEEN

  • @asmaasma1105
    @asmaasma1105 6 ปีที่แล้ว +4

    Sir Gahmdi u r matchless. May God bless you

    • @fightforpeace7854
      @fightforpeace7854 5 ปีที่แล้ว

      یار کیا آپ امام ابو حنیفہ رحمتہ علیہ پر اس غامدی کو فوقیت دے رہے ہو؟
      جنہوں نے پوری زندگی اسلام کی خدمت کی اور احادیث کو صحیح طور پر جمع کیا، کیا ان کو علم نہیں تھا؟
      اور دوسری بات، پوری اسلامی دنیا میں تراویع باجماعت عشاء کی نماز کے بعد ادا کی جاتی ہے، یہ اسلام ہے سچا دین ہے محمد صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا کہ میری امت کی اکثریت کسی غلط بات پر متفق نہیں ہو سکتی،
      اس غامدی کے چہرے پر داڑھی نہیں ہے ، اس کی ایک وجہ ہے، یہ ڈرتا ہے ہے لوگ اسے مولوی نہ کہیں، اگر دین کی بات کرنے والے کہ چہرے پر ڈاڑھی ہوگی تو وہ مولوی کہلائے گا اور اگر ڈاڑھی نہ ہو تو مفکر اور دانشور، یہ اسلام کی بات نہیں کرتا یہ ایک فتنہ ہے،

  • @KhalidCoverSongs72
    @KhalidCoverSongs72 4 ปีที่แล้ว +1

    Very knowledgefull men..

  • @aliraa3196
    @aliraa3196 5 ปีที่แล้ว +1

    great scholar ......................

    • @abdulkhaja1200
      @abdulkhaja1200 5 ปีที่แล้ว

      Islam ki har har cheez ka inkaar karne wale is se zyada great scholar bhi dunya me mojood hain

    • @aliraa3196
      @aliraa3196 5 ปีที่แล้ว

      @@abdulkhaja1200 teno kine kia wech a k pan day

  • @AwaisAli-yl7jx
    @AwaisAli-yl7jx 6 ปีที่แล้ว +4

    ان لوگوں پر حیرانگی ھوتی ھے جو دین کے مسا ٕل غامدی صاحب سے پوچھتے ھیں ۔ اور ان کے انداز گفتگو کے سحر میں آ جاتے ھیں

    • @shakilahmad8246
      @shakilahmad8246 5 ปีที่แล้ว +3

      Awais Ali! Aap ko phir laraku deen, marnay maarnay wala mulla pasand hai.....Isko hi asal mein dehshat gardi kehtay hain. Iski ibtida zuban se shroo hoti hai or phir THAAAAAAAAAAA....pe khatam hoti hai. Hairaangi kam hui ya ab bhee hai

    • @merajuddin5417
      @merajuddin5417 5 ปีที่แล้ว +1

      @@shakilahmad8246
      Hahahaha. Ap nay b tho is sahib per Thhhhaaaaaa hi kia hay. Isi liye shaid khamosh hay.

    • @fightforpeace7854
      @fightforpeace7854 5 ปีที่แล้ว

      یار کیا آپ امام ابو حنیفہ رحمتہ علیہ پر اس غامدی کو فوقیت دے رہے ہو؟
      جنہوں نے پوری زندگی اسلام کی خدمت کی اور احادیث کو صحیح طور پر جمع کیا، کیا ان کو علم نہیں تھا؟
      اور دوسری بات، پوری اسلامی دنیا میں تراویع باجماعت عشاء کی نماز کے بعد ادا کی جاتی ہے، یہ اسلام ہے سچا دین ہے محمد صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا کہ میری امت کی اکثریت کسی غلط بات پر متفق نہیں ہو سکتی،
      اس غامدی کے چہرے پر داڑھی نہیں ہے ، اس کی ایک وجہ ہے، یہ ڈرتا ہے ہے لوگ اسے مولوی نہ کہیں، اگر دین کی بات کرنے والے کہ چہرے پر ڈاڑھی ہوگی تو وہ مولوی کہلائے گا اور اگر ڈاڑھی نہ ہو تو مفکر اور دانشور، یہ اسلام کی بات نہیں کرتا یہ ایک فتنہ ہے،

  • @drwaseemhassanraja6867
    @drwaseemhassanraja6867 5 ปีที่แล้ว

    إن العلماء ورثة الأنبياء

  • @syedhassan233
    @syedhassan233 5 ปีที่แล้ว +2

    اللہ تعالی اپ کو جزاے خیر دے محترم غامدی صاحب

    • @fightforpeace7854
      @fightforpeace7854 5 ปีที่แล้ว

      یار کیا آپ امام ابو حنیفہ رحمتہ علیہ پر اس غامدی کو فوقیت دے رہے ہو؟
      جنہوں نے پوری زندگی اسلام کی خدمت کی اور احادیث کو صحیح طور پر جمع کیا، کیا ان کو علم نہیں تھا؟
      اور دوسری بات، پوری اسلامی دنیا میں تراویع باجماعت عشاء کی نماز کے بعد ادا کی جاتی ہے، یہ اسلام ہے سچا دین ہے محمد صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا کہ میری امت کی اکثریت کسی غلط بات پر متفق نہیں ہو سکتی،
      اس غامدی کے چہرے پر داڑھی نہیں ہے ، اس کی ایک وجہ ہے، یہ ڈرتا ہے ہے لوگ اسے مولوی نہ کہیں، اگر دین کی بات کرنے والے کہ چہرے پر ڈاڑھی ہوگی تو وہ مولوی کہلائے گا اور اگر ڈاڑھی نہ ہو تو مفکر اور دانشور، یہ اسلام کی بات نہیں کرتا یہ ایک فتنہ ہے،

  • @iqbalzaidi
    @iqbalzaidi 3 ปีที่แล้ว

    Excellent clip

  • @theoraldoctor
    @theoraldoctor 4 ปีที่แล้ว +4

    Sir molvioo ki rozi roti jurri hai kesy chor day chand dekhna, aur kesy 8 trabiyee suruh kar day!

  • @naeemsarwarkhan464
    @naeemsarwarkhan464 5 ปีที่แล้ว +1

    Great scholar

    • @fightforpeace7854
      @fightforpeace7854 5 ปีที่แล้ว

      یار کیا آپ امام ابو حنیفہ رحمتہ علیہ پر اس غامدی کو فوقیت دے رہے ہو؟
      جنہوں نے پوری زندگی اسلام کی خدمت کی اور احادیث کو صحیح طور پر جمع کیا، کیا ان کو علم نہیں تھا؟
      اور دوسری بات، پوری اسلامی دنیا میں تراویع باجماعت عشاء کی نماز کے بعد ادا کی جاتی ہے، یہ اسلام ہے سچا دین ہے محمد صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا کہ میری امت کی اکثریت کسی غلط بات پر متفق نہیں ہو سکتی،
      اس غامدی کے چہرے پر داڑھی نہیں ہے ، اس کی ایک وجہ ہے، یہ ڈرتا ہے ہے لوگ اسے مولوی نہ کہیں، اگر دین کی بات کرنے والے کہ چہرے پر ڈاڑھی ہوگی تو وہ مولوی کہلائے گا اور اگر ڈاڑھی نہ ہو تو مفکر اور دانشور، یہ اسلام کی بات نہیں کرتا یہ ایک فتنہ ہے،

  • @nazimahmad8458
    @nazimahmad8458 6 ปีที่แล้ว +4

    Real scholar of this age

    • @Babu-l7u
      @Babu-l7u 5 ปีที่แล้ว

      ज्ञान सिर्फ ऋषियों के ही पास था इसकी सिर्फ एक दो ही मिसाल देना चाहुंगा और वो है पुनर्जन्म का होना और शुन्य की खोज ।
      पुनर्जन्म के सबूत ढेरों मौजूद हैं और कोई इंकार नहीं कर सकता । हां कोई मूर्खतापूर्ण तरीके से बहस करता रहे, तर्क वितर्क कुतर्क करता रहे तो इससे क्या । कुदरत तो अपने नियम बदलने से रही ।
      जब पुनर्जन्म की बात सही है तो ऋषि-मुनियों की कही गई और भी ढेरों बातें सही और सटीक हैं जैसे कर्म फल, ईश्वर किसी को माफ कर ही नहीं सकता, कोई स्वर्ग नर्क नहीं है, ईश्वर दयालु नहीं है, ना ही प्रेम का सागर है, और ना ही किसी की मदद को आगे सकता है चाहे कितनी भी पूजा करलो और कसीदे पढ़ लो ऊपरवाले की याद में और ना ही कोई चमत्कार कर सकता है । दुनिया को वेदों की सच्चाई को मानना ही होगा एक दिन । क्योंकि सच को तो आना ही होता है सबके सामने झुठ का सीना चीर कर । सच को कोई हरा ही नहीं सकता । सच को हराने की ताकत खुद ऊपरवाले की भी नहीं है यानि ऊपरवाला खुद भी सच से बड़ा नहीं है और ना ही हो सकता है ।
      और भाई खूब पढ़ो ऋषि-मुनियों का ज्ञान और सच को जानो और आंखें खोलो । और वैसे भी ऋषि मुनि हजारों हजार की संख्या में थे जिन्होंने एक समय पर नहीं अलग अलग समय पर सच की खोज की भारत की इस लबालब हरियाली से भरे इलाके में - जहां पानी, तालाब, सरोवर, और नदियां है, रंग-बिरंगे फूल, पेड़, लतायें, हरे घास से भर मैदान, बगीचे और वनस्पतियां है, दूध घी है, खाने पीने की मौज है, संस्कृत है और ढेरो भाषायें है, । ऊपरवाले की इतनी बड़ी खोज किसी एक आदमी के बस की बात नहीं है ।
      बाकी समझदार आदमी को बहस नहीं खोज करनी चाहिए । वैसे भी ईश्वर की खोज वो ही करेगा जिन्हें शुन्य की खोज का ज्ञान हो । शुन्य और ईश्वर की खोज में गहरा संबंध है और ये एक ही सिक्के के दो पहलू हैं । और जब शून्य की खोज भारत में हुई इसका मतलब ईश्वर की खोज भी भारत में ही हुई पहली मर्तबा और भारत से ही ईश्वर और शुन्य का ज्ञान बाहर गया ।
      सो फिलहाल मेरे दो ही मुद्दे हैं पुनर्जन्म के और शुन्य के तो बेहतर है आप खुद ही जांच पड़ताल करो और सच को जानो अपने दिमाग की खिड़की पूरी खोलकर । हम इंसान हैं और हमको सिर्फ और सिर्फ सच को खोजना है और धार्मिक तै बिल्कुल ही नहीं बनना है । सच की तो धर्म से बनती ही नहीं है ।

  • @mobeenasif3794
    @mobeenasif3794 5 ปีที่แล้ว +2

    Well done sir

  • @jamildurrani1993
    @jamildurrani1993 7 ปีที่แล้ว +10

    I am so blessed to have a chance to listen to real scholar like Ghamdi sahib but I ma also so sad about my brothers and sisters who have decided to be agaisnt him no matter what. Why some folks are agaisnt him without any reasearcha and knowledge of real islam. If any one of you think he is wrong then why you dont bring your real evidence against him which is ther real method of our real Ulamas of past. what is this practice of using bad and poor language and curese words for anyone. A REAL MUSLIM LISTENS TO PARAISE AND CIRICTICISM THE SAME WAY WITH OPEN MIND. If you disagree with him or anyone else or any other Alim, please make your point with respect and with prrofs but not just start bad mouthing about others. How woud you feel if some one uses same words for you. WAASALAM.

    • @MuslimQuranSunnah
      @MuslimQuranSunnah 7 ปีที่แล้ว

      Actually Mullahs scare with him because of Scholars like Ghamidi , Their shops of religion are going to close.

    • @raazehayat678
      @raazehayat678 6 ปีที่แล้ว

      Jamil Durrani
      aap ne is ko kitna suna he ??? buhat saare maamlat me ghamdi sahab ki raae mukhtalif he.... Quran o ahadees ka flsfa mukhtalif he ...
      Listen Dr. israr too plz

    • @hammadhussain3082
      @hammadhussain3082 4 ปีที่แล้ว

      @360 Degree Videos Kon se "Ulama" . Jo log kabhi school nahi gaye wo humein "ilm" sikhayen ge? Aankhen kholo bhai, ye zamana aur hai.

    • @hammadhussain3082
      @hammadhussain3082 4 ปีที่แล้ว

      @360 Degree Videos Aur iss hisab se tw aap ko Dr. Israr Ahmed bhi boht bure lagte hon ge.

  • @naeematariq4035
    @naeematariq4035 5 ปีที่แล้ว +1

    😀👍👍👍👍👍👍👍👍👍👍👍👍👍👍😀😁

  • @lordsherrykhan
    @lordsherrykhan 3 ปีที่แล้ว

    ❤️

  • @philosopher-x
    @philosopher-x 5 ปีที่แล้ว

    Thank God! He is absolutely right, and Engineer Muhammad Ali Mirza is also of the same view.

  • @Babu-l7u
    @Babu-l7u 5 ปีที่แล้ว

    ज्ञान सिर्फ ऋषियों के ही पास था इसकी सिर्फ एक दो ही मिसाल देना चाहुंगा और वो है पुनर्जन्म का होना और शुन्य की खोज ।
    पुनर्जन्म के सबूत ढेरों मौजूद हैं और कोई इंकार नहीं कर सकता । हां कोई मूर्खतापूर्ण तरीके से बहस करता रहे, तर्क वितर्क कुतर्क करता रहे तो इससे क्या । कुदरत तो अपने नियम बदलने से रही ।
    जब पुनर्जन्म की बात सही है तो ऋषि-मुनियों की कही गई और भी ढेरों बातें सही और सटीक हैं जैसे कर्म फल, ईश्वर किसी को माफ कर ही नहीं सकता, कोई स्वर्ग नर्क नहीं है, ईश्वर दयालु नहीं है, ना ही प्रेम का सागर है, और ना ही किसी की मदद को आगे सकता है चाहे कितनी भी पूजा करलो और कसीदे पढ़ लो ऊपरवाले की याद में और ना ही कोई चमत्कार कर सकता है । दुनिया को वेदों की सच्चाई को मानना ही होगा एक दिन । क्योंकि सच को तो आना ही होता है सबके सामने झुठ का सीना चीर कर । सच को कोई हरा ही नहीं सकता । सच को हराने की ताकत खुद ऊपरवाले की भी नहीं है यानि ऊपरवाला खुद भी सच से बड़ा नहीं है और ना ही हो सकता है ।
    और भाई खूब पढ़ो ऋषि-मुनियों का ज्ञान और सच को जानो और आंखें खोलो । और वैसे भी ऋषि मुनि हजारों हजार की संख्या में थे जिन्होंने एक समय पर नहीं अलग अलग समय पर सच की खोज की भारत की इस लबालब हरियाली से भरे इलाके में - जहां पानी, तालाब, सरोवर, और नदियां है, रंग-बिरंगे फूल, पेड़, लतायें, हरे घास से भर मैदान, बगीचे और वनस्पतियां है, दूध घी है, खाने पीने की मौज है, संस्कृत है और ढेरो भाषायें है, । ऊपरवाले की इतनी बड़ी खोज किसी एक आदमी के बस की बात नहीं है ।
    बाकी समझदार आदमी को बहस नहीं खोज करनी चाहिए । वैसे भी ईश्वर की खोज वो ही करेगा जिन्हें शुन्य की खोज का ज्ञान हो । शुन्य और ईश्वर की खोज में गहरा संबंध है और ये एक ही सिक्के के दो पहलू हैं । और जब शून्य की खोज भारत में हुई इसका मतलब ईश्वर की खोज भी भारत में ही हुई पहली मर्तबा और भारत से ही ईश्वर और शुन्य का ज्ञान बाहर गया ।
    सो फिलहाल मेरे दो ही मुद्दे हैं पुनर्जन्म के और शुन्य के तो बेहतर है आप खुद ही जांच पड़ताल करो और सच को जानो अपने दिमाग की खिड़की पूरी खोलकर । हम इंसान हैं और हमको सिर्फ और सिर्फ सच को खोजना है और धार्मिक तै बिल्कुल ही नहीं बनना है । सच की तो धर्म से बनती ही नहीं है ।

    • @nitie_bridging_the_gap4916
      @nitie_bridging_the_gap4916 5 ปีที่แล้ว

      History of zero
      Zero was invented independently by the Babylonians, Mayans and Indians (although some researchers say the Indian number system was influenced by the Babylonians). The Babylonians got their number system from the Sumerians, the first people in the world to develop a counting system.
      Six hundred years later and 12,000 miles from Babylon, the Mayans developed zero as a placeholder around A.D. 350 and used it to denote a placeholder in their elaborate calendar systems. Despite being highly skilled mathematicians, the Mayans never used zero in equations, however. Kaplan describes the Mayan invention of zero as the “most striking example of the zero being devised wholly from scratch.”
      The reincarnation is misunderstood a humanly error as the cow is misunderstood in place of the earth.
      th-cam.com/video/FVu6yU2plAo/w-d-xo.html
      regarding Ishwar, pls listen to
      th-cam.com/video/YtjxgMP2sMc/w-d-xo.html

    • @nitie_bridging_the_gap4916
      @nitie_bridging_the_gap4916 5 ปีที่แล้ว

      for cow, pls read:
      It was a mystery how cow can hold such a place, but we can sense how the devotion to mother earth, turned into Devotion to cow.
      Gaea (variant spelling Gaia) is a Greek goddess personifying the Earth. Etymologically, Gaea is a compound word of “Ge,” meaning “Earth” and “Aia”meaning “grandmother” (In modern English, the root “Ge” still relates to terms such as geography (Ge/graphos = writing about Earth) and geology (Ge/logos = words about the Earth) displaying an ancient connection to the term Gaea). Though not as popular as the Olympian gods of Greek mythology, Gaea was still revered for her role as “Mother Nature.” The divinization of the earth by the ancient Greeks as the goddess Gaea was their way of recognizing the intrinsic value of the earth’s bounty, fertility and beauty. Hellenistic worship of Gaea was also a celebration humanity’s symbiotic relationship with nature. The idea that the fertile earth itself is female, nurturing humankind, was not limited to the Greco-Roman world. Fertility goddess figurines found worldwide often suggest reverence for a divine, potent mother deity. Early cultures of the Middle East (such as the Sumerian) likely made an impact on Greek views of Gaea, and veneration of the pre-Indo-European “Great Mother” had existed since Neolithictimes. In the twentieth century, Gaea has taken on new importance in the New Age movement, neopaganism, and ecological spirituality through the development of the Gaia hypothesis. The belief in a nurturing Earth Mother is also a feature of modern “Goddess” worship. Today, Gaea represents a celebration of the feminine side of creation embodied in the fertility of Mother Nature.
      Source: New World Encyclopedia
      In Greek mythology
      Hesiod’s Theogony (116ff) tells how, after Chaos, arose broad-breasted Gaia the everlasting foundation of the gods of Olympus.
      Gaia, the beautiful, rose up,
      Broad blossomed, she that is the steadfast base
      Of all things. And fair Gaia first bore
      The starry Heaven, equal to herself,
      To cover her on all sides and to be
      A home forever for the blessed Gods
      Hesiod
      BHOODEVI/PRITHVI - INDIA
      One of the oldest Aryan dieties, Prithvi shares many common traits with other Indo-European earth goddesses such as the Greek Gaia, in that she is personified as a mother and is closely paired with a fatherly sky god as her consort. In fact, Prithvi and her husband Dyaus Pita are frequently addressed in the dual by the compound dy?v?prthiv?, probably expressing the idea that earth and sky exist as complementary half-shells. Rg Veda 6.70 suggests that eventually the two were seperated by the decree of Varuna. Prthivi and Dyaus are considered the creators of the various living creatures, and together they also sired many divine children who became the progenitors of the rest of the Hindu pantheon.
      The Vishnu Purana, for instance, provides an account of Prithvi/Bhudevi’s birth. During the reign of Prithu, the earth would not yield fruits, and so a terrible famine developed. Prithu vowed to slay the earth, thereby forcing her to give up her precious resources. Terrified, the earth assumed the form of a cow. Prithu gave chase to the beast, pursuing her all the way to the heaven of Brahma. Finally, the earth turned to her pursuer and informed him the magnitude of sinfulness associated with the murder of a woman. The king retorted by asserting that the murder of one for the benefit of many is actually a virtuous act. She then warned Prithu that a kingdom without the earth would be utterly devoid of support. In order to make amends, the earth-as-cow offered to use her milk to fertilize the dessicated landscape, so long as Prithu flattened the land so that it would be conducive to the flow of the nourishing liquid. Prithu accepted these conditions, and had the land plowed up and smoothened, thus marking the beginning of agriculture. Prithu then milked the earth and his kingdom was able to overcome their famine when all varieties of corn and vegetables sprouted forth. Because she was thereafter considered the daughter of Prithu, the earth-goddess was given the epithet Prithvi.

  • @mobeenasif3794
    @mobeenasif3794 5 ปีที่แล้ว +9

    Sir ap en molviun ki dokanen band krwyn gy

    • @mustafakhan3103
      @mustafakhan3103 5 ปีที่แล้ว +2

      Akhirat me pata chalega Kon ghoda pe tha Kon ghade pe fitna lagta hai ghamidi

    • @abdulkhaja1200
      @abdulkhaja1200 5 ปีที่แล้ว

      Molwi ki dukaan ka kia matlab hai bhai

  • @qasimkhan4783
    @qasimkhan4783 6 ปีที่แล้ว +1

    I don't agree with last point of Ghamidi sb.. fasting, salah, Hajj all are worship.. if you commit haram or leave fard during any worship, it'll be void. Restraining from eating is an additional requirement for fasting, doing Fard and not doing haram are basic requirement for any worship..

    • @Babu-l7u
      @Babu-l7u 5 ปีที่แล้ว

      ज्ञान सिर्फ ऋषियों के ही पास था इसकी सिर्फ एक दो ही मिसाल देना चाहुंगा और वो है पुनर्जन्म का होना और शुन्य की खोज ।
      पुनर्जन्म के सबूत ढेरों मौजूद हैं और कोई इंकार नहीं कर सकता । हां कोई मूर्खतापूर्ण तरीके से बहस करता रहे, तर्क वितर्क कुतर्क करता रहे तो इससे क्या । कुदरत तो अपने नियम बदलने से रही ।
      जब पुनर्जन्म की बात सही है तो ऋषि-मुनियों की कही गई और भी ढेरों बातें सही और सटीक हैं जैसे कर्म फल, ईश्वर किसी को माफ कर ही नहीं सकता, कोई स्वर्ग नर्क नहीं है, ईश्वर दयालु नहीं है, ना ही प्रेम का सागर है, और ना ही किसी की मदद को आगे सकता है चाहे कितनी भी पूजा करलो और कसीदे पढ़ लो ऊपरवाले की याद में और ना ही कोई चमत्कार कर सकता है । दुनिया को वेदों की सच्चाई को मानना ही होगा एक दिन । क्योंकि सच को तो आना ही होता है सबके सामने झुठ का सीना चीर कर । सच को कोई हरा ही नहीं सकता । सच को हराने की ताकत खुद ऊपरवाले की भी नहीं है यानि ऊपरवाला खुद भी सच से बड़ा नहीं है और ना ही हो सकता है ।
      और भाई खूब पढ़ो ऋषि-मुनियों का ज्ञान और सच को जानो और आंखें खोलो । और वैसे भी ऋषि मुनि हजारों हजार की संख्या में थे जिन्होंने एक समय पर नहीं अलग अलग समय पर सच की खोज की भारत की इस लबालब हरियाली से भरे इलाके में - जहां पानी, तालाब, सरोवर, और नदियां है, रंग-बिरंगे फूल, पेड़, लतायें, हरे घास से भर मैदान, बगीचे और वनस्पतियां है, दूध घी है, खाने पीने की मौज है, संस्कृत है और ढेरो भाषायें है, । ऊपरवाले की इतनी बड़ी खोज किसी एक आदमी के बस की बात नहीं है ।
      बाकी समझदार आदमी को बहस नहीं खोज करनी चाहिए । वैसे भी ईश्वर की खोज वो ही करेगा जिन्हें शुन्य की खोज का ज्ञान हो । शुन्य और ईश्वर की खोज में गहरा संबंध है और ये एक ही सिक्के के दो पहलू हैं । और जब शून्य की खोज भारत में हुई इसका मतलब ईश्वर की खोज भी भारत में ही हुई पहली मर्तबा और भारत से ही ईश्वर और शुन्य का ज्ञान बाहर गया ।
      सो फिलहाल मेरे दो ही मुद्दे हैं पुनर्जन्म के और शुन्य के तो बेहतर है आप खुद ही जांच पड़ताल करो और सच को जानो अपने दिमाग की खिड़की पूरी खोलकर । हम इंसान हैं और हमको सिर्फ और सिर्फ सच को खोजना है और धार्मिक तै बिल्कुल ही नहीं बनना है । सच की तो धर्म से बनती ही नहीं है ।

  • @asadfaheem6856
    @asadfaheem6856 6 ปีที่แล้ว +6

    ghamdi a great scholer

    • @raazehayat678
      @raazehayat678 6 ปีที่แล้ว +1

      Asad Faheem
      Baaz fiqhi msail ghalat bian kar dete hen ... baqi thik he... Deen ko ziada hi asan bian kar dete hen... baqi sab thik he. Jese music ki gunjaish,,, Roza rakh k nmaz na b parho tu roza ho jata he... Hadrat Eesa A.S k mutliq bian... Prde k khilf mangharat mantaq etc...

  • @FizaKhan-om9ve
    @FizaKhan-om9ve 3 ปีที่แล้ว

    Respected sir ap not traweeh k btaya h nehi kite prhni h😩

  • @hafizkhan3087
    @hafizkhan3087 7 ปีที่แล้ว

    Hi
    I have refer to the FIQH issue of HAJJ just to remind him that FASTING can not be full filled without SALAT

    • @machozk007
      @machozk007 5 ปีที่แล้ว

      U r wrong Hafiz Bhai...

  • @yahyakhan6365
    @yahyakhan6365 5 ปีที่แล้ว

    غامدی صاحب کا انداز میٹھا سلو پوائیزن ہے جبکہ آج امت پہلے ہی کوتاہیاں کرتی ہے آپ ترغیب دیں رمضان میں زیادہ ہوتے ہیں

  • @abdulallam737
    @abdulallam737 6 ปีที่แล้ว

    Javed sahab ye batao ki aap taraveeh padh bhi rahe hain ki ya nahi

  • @Suchhaq9824
    @Suchhaq9824 2 ปีที่แล้ว

    aAap sub ulema
    karam say sirf aik sawal ka jawab poochna chahta ho. Jub Islamic calandar bana hee Hazrat Umar
    Farooq razi Alllah k doour may tha phir Ramazan naam ka maheena bana hee Hazrat
    Umar k doour may tha tou is naam ka maheena hazoor pak k dour may kaisay aa
    gaya hay. Hazoor Pak kay dour k arab calander internet pur moojod hay aap check
    kur lay is naam ka maheena Hazoor Pak PBUH kay dour may nahee tha. please iss
    ka jawab day.

  • @exsalafi393
    @exsalafi393 6 ปีที่แล้ว

    Which Islamic organization did he qualify from?

    • @Babu-l7u
      @Babu-l7u 5 ปีที่แล้ว

      ज्ञान सिर्फ ऋषियों के ही पास था इसकी सिर्फ एक दो ही मिसाल देना चाहुंगा और वो है पुनर्जन्म का होना और शुन्य की खोज ।
      पुनर्जन्म के सबूत ढेरों मौजूद हैं और कोई इंकार नहीं कर सकता । हां कोई मूर्खतापूर्ण तरीके से बहस करता रहे, तर्क वितर्क कुतर्क करता रहे तो इससे क्या । कुदरत तो अपने नियम बदलने से रही ।
      जब पुनर्जन्म की बात सही है तो ऋषि-मुनियों की कही गई और भी ढेरों बातें सही और सटीक हैं जैसे कर्म फल, ईश्वर किसी को माफ कर ही नहीं सकता, कोई स्वर्ग नर्क नहीं है, ईश्वर दयालु नहीं है, ना ही प्रेम का सागर है, और ना ही किसी की मदद को आगे सकता है चाहे कितनी भी पूजा करलो और कसीदे पढ़ लो ऊपरवाले की याद में और ना ही कोई चमत्कार कर सकता है । दुनिया को वेदों की सच्चाई को मानना ही होगा एक दिन । क्योंकि सच को तो आना ही होता है सबके सामने झुठ का सीना चीर कर । सच को कोई हरा ही नहीं सकता । सच को हराने की ताकत खुद ऊपरवाले की भी नहीं है यानि ऊपरवाला खुद भी सच से बड़ा नहीं है और ना ही हो सकता है ।
      और भाई खूब पढ़ो ऋषि-मुनियों का ज्ञान और सच को जानो और आंखें खोलो । और वैसे भी ऋषि मुनि हजारों हजार की संख्या में थे जिन्होंने एक समय पर नहीं अलग अलग समय पर सच की खोज की भारत की इस लबालब हरियाली से भरे इलाके में - जहां पानी, तालाब, सरोवर, और नदियां है, रंग-बिरंगे फूल, पेड़, लतायें, हरे घास से भर मैदान, बगीचे और वनस्पतियां है, दूध घी है, खाने पीने की मौज है, संस्कृत है और ढेरो भाषायें है, । ऊपरवाले की इतनी बड़ी खोज किसी एक आदमी के बस की बात नहीं है ।
      बाकी समझदार आदमी को बहस नहीं खोज करनी चाहिए । वैसे भी ईश्वर की खोज वो ही करेगा जिन्हें शुन्य की खोज का ज्ञान हो । शुन्य और ईश्वर की खोज में गहरा संबंध है और ये एक ही सिक्के के दो पहलू हैं । और जब शून्य की खोज भारत में हुई इसका मतलब ईश्वर की खोज भी भारत में ही हुई पहली मर्तबा और भारत से ही ईश्वर और शुन्य का ज्ञान बाहर गया ।
      सो फिलहाल मेरे दो ही मुद्दे हैं पुनर्जन्म के और शुन्य के तो बेहतर है आप खुद ही जांच पड़ताल करो और सच को जानो अपने दिमाग की खिड़की पूरी खोलकर । हम इंसान हैं और हमको सिर्फ और सिर्फ सच को खोजना है और धार्मिक तै बिल्कुल ही नहीं बनना है । सच की तो धर्म से बनती ही नहीं है ।

  • @mobeenasif3794
    @mobeenasif3794 5 ปีที่แล้ว +5

    Ap jasy logun ki wja se molvi berozgar hony wly hn bechary

    • @abdulkhaja1200
      @abdulkhaja1200 5 ปีที่แล้ว

      Molvi kise kahte hain sahab aur molvi silsila kahan se shuroo howa

    • @mobeenasif3794
      @mobeenasif3794 5 ปีที่แล้ว

      @@abdulkhaja1200sir mulayit k6 ni bs 1 rawaya ka nam ha jo apne siwa sb ko kafir smjta ha ur apni bt ko akhri smjty hn

    • @mobeenasif3794
      @mobeenasif3794 5 ปีที่แล้ว

      @@abdulkhaja1200 molayat 1 khas raway ka nam ha js ko apne elwa 1 ks eman pe shak hota ha

    • @fightforpeace7854
      @fightforpeace7854 5 ปีที่แล้ว

      یار مولوی کسے کہتے ہیں؟

  • @towseefsamoon4096
    @towseefsamoon4096 4 ปีที่แล้ว

    Shirk pr hay dr saab pura shirk

  • @gk-pt6qy
    @gk-pt6qy 4 ปีที่แล้ว

    Tu aik eid he karade...

  • @javaidf82
    @javaidf82 5 ปีที่แล้ว

    then why did Prophet Muhammed used to look for moon? there are sahih hadith available

    • @amanoallah5911
      @amanoallah5911 5 ปีที่แล้ว +1

      Of course, we have the choice to see moon independently, ghamidy is not denying it, rather he advises to let it decided by modern technology to avoid controversy

    • @idelawebsols
      @idelawebsols 5 ปีที่แล้ว

      Apply your brains if you have one and you are not an animal. He already said that in that time there was no other way to determine the lunar month except looking for the moon, just as there was no other way to determine the salah timings expect by looking at the sun's position. Who looks at the sun today? We all offer salah by looking at the watches and the timings stipulated in meeqaat. You people read religious texts without understanding and applying your brains.

    • @amanoallah5911
      @amanoallah5911 5 ปีที่แล้ว

      @@idelawebsols آپ کہنا کیا چاہتے ہیں؟

    • @webstudio48
      @webstudio48 4 ปีที่แล้ว

      Pehle to Namaz bhi suraj dekh ker perhte te. Abb Namaz Ghari (watch) dekh kar perhi jati, to phir?

  • @asgharislam5423
    @asgharislam5423 4 ปีที่แล้ว

    اگر تراویح اور تہجد ایک ہی نماز تھی تو یہ نماز صرف ماہ رمضان میں کیوں پڑی جاتی تھی باقی دنوں میں کیوں نہیں

  • @suhailanwarkhan8085
    @suhailanwarkhan8085 4 ปีที่แล้ว

    Taraweeh sunnat hai aur tahajjud nafil aur witra wajib .....

  • @suhailjoad4701
    @suhailjoad4701 6 ปีที่แล้ว

    achhey musalman ho 1440 saal baad bhi es trha baat kar rhay ho jaisey kal parso yah dein aayah

  • @mohammadyaseen2724
    @mohammadyaseen2724 5 ปีที่แล้ว

    unfortunately while making these statements ,, he completely ignored the Hadees.. in the hadees there are clear words of watching of moon which is Rohait.. so issue is not the calender... he was well answered by Mufti Tariq Masooq in the live tv program GTV program Irfan e Ramazan...secondly Our prophet did offer taraveh.. and Sahaba also offered behind him.. but next day he didnt came out as he feared that it will be farz he continued which may be a burden on the UMMAH.. the problem is he never answer such questions in front of other ULEMA,, so no cross question to him.. and audience are not educated enough to speak or ask counter questions on these sensitive issues.

    • @fightforpeace7854
      @fightforpeace7854 5 ปีที่แล้ว

      یار کیا آپ امام ابو حنیفہ رحمتہ علیہ پر اس غامدی کو فوقیت دے رہے ہو؟
      جنہوں نے پوری زندگی اسلام کی خدمت کی اور احادیث کو صحیح طور پر جمع کیا، کیا ان کو علم نہیں تھا؟
      اور دوسری بات، پوری اسلامی دنیا میں تراویع باجماعت عشاء کی نماز کے بعد ادا کی جاتی ہے، یہ اسلام ہے سچا دین ہے محمد صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا کہ میری امت کی اکثریت کسی غلط بات پر متفق نہیں ہو سکتی،
      اس غامدی کے چہرے پر داڑھی نہیں ہے ، اس کی ایک وجہ ہے، یہ ڈرتا ہے ہے لوگ اسے مولوی نہ کہیں، اگر دین کی بات کرنے والے کہ چہرے پر ڈاڑھی ہوگی تو وہ مولوی کہلائے گا اور اگر ڈاڑھی نہ ہو تو مفکر اور دانشور، یہ اسلام کی بات نہیں کرتا یہ ایک فتنہ ہے،

    • @webstudio48
      @webstudio48 4 ปีที่แล้ว

      App apne profile dekho, app kia kia youtube per ker rahe ho! wada molvi!
      Ghamdi shab ne Amin Ahsan Islahi or Maulana Maududi se tableem hasil ki.
      App ne kin ulma se taleem hasel ki?

  • @tawseefsalaam5148
    @tawseefsalaam5148 3 ปีที่แล้ว

    Munkiri hadith,neglecting wahi khafi
    And deducting issues from simple translation of al quraan ,plz tell this plane shaved person that there commentaries of al quran which are not possible without ahadith ,so the ahadith are the bases that this person is neglecting....
    Do taubah otherwise u will rot forever.....may Rab ta ala give us hidayah and safeguard our emaan from these kind of persons....

  • @ajijshekh1251
    @ajijshekh1251 4 ปีที่แล้ว

    Apis. Ha. Aisy. Adima. Islim. Ka. Iscolr. Ha. Salia. Vond. Ha

  • @میرعرفان
    @میرعرفان 2 ปีที่แล้ว

    Munkire Hadees

  • @farhansaifi586
    @farhansaifi586 6 ปีที่แล้ว +2

    in ka jawab sab se hat k hota hi

    • @muftisultanakbar6669
      @muftisultanakbar6669 5 ปีที่แล้ว

      Fitna bhi sab se hat ke hota he mere bhai

    • @machozk007
      @machozk007 5 ปีที่แล้ว +2

      @@muftisultanakbar6669 Tume jab kabhi ilm hoga toh apni baato par afsoos hoga...

  • @MuhammadYaseen-yy6wn
    @MuhammadYaseen-yy6wn 5 ปีที่แล้ว +2

    یونیورسٹی کے اسٹوڈنٹس آئے ہوئے تھے۔ کافی حد تک غامدیت زدہ تھے۔ کھل کر بات چیت ہوئی اور بہت مثبت رہی الحمد للّه
    ایک بھائی نے کہا
    "اتنی بات ضرور مانئے کہ آج کے نوجوان طبقے کی بہت سی کنفیوژنز ایسی تھیں جو علماء دور نہیں کرسکے تھے، غامدی صاحب نے دور کیں"
    عرض کیا کہ یہ بات بالکل تسلیم ہے لیکن انہوں نے کنفیوزن کس طرح دور کی یہ سن لیجئے۔
    ایک سکھ ڈاکٹر کے پاس ایک خاتون کو لایا گیا جو شدید درد سے کراہ رہی تھی۔ ڈاکٹر نے پوچھا کیا ہوا ہے ؟
    خاتون بولی گردے میں شدید درد ہے جان نکل رہی ہے۔
    ڈاکٹر صاحب نے کہا۔
    مائی زیادہ نہ چلا
    ریح بادی کا درد ہے عورتوں کے جسم میں گردے ہوتے ہی نہیں ہیں!!
    مائی کی کنفیوزن دور ہوگئی اور درد بھی جاتا رہا۔
    بس یہی کام کیا ہے غامدی صاحب نے۔
    آپ کے طبقے کو دین کا جو کام مشکل لگا اور کنفیوزن ہونے لگی انہوں نے کہا پریشان مت ہوئیے یہ دین میں ہے ہی نہیں!
    اب یہ کام کوئی عالم تو کرنے سے رہا۔۔۔۔جہاد، غیرت، بغض فی اللہ سب دین سے نکال دئیے ،کفر کا وجود ہی ختم کردیا، موسیقی حلال کردی، اختلاط مرد و زن پر سے قدغن ہٹادی، مصافحہ جائز کردیا حتی کہ آپ کو رمضان کی راتوں میں تراویح مشکل لگتی تھی وہ بھی نکال دی۔ اور بھی جہاں جہاں کنفیوزن ہو رابطہ کرلیجئے وہ اسے بھی اسلام کے جسم سے نکال دیں گے۔
    وہ ہنستے ہوئے چلے گئے۔ابھی انکا میسج آیا
    "حضرت ابھی تک ہنسی رک نہیں رہی"

    • @webstudio48
      @webstudio48 4 ปีที่แล้ว

      Ghamdi shab ne Amin Ahsan Islahi or Maulana Maududi se tableem hasil ki.
      App ne kin ulma se taleem hasel ki?

    • @jtone1907
      @jtone1907 3 ปีที่แล้ว

      آپ کا دین قصے کہانی ۔۔۔۔۔۔۔۔

  • @AbdulHaseeb-xg6so
    @AbdulHaseeb-xg6so 6 ปีที่แล้ว +1

    ALLAH apko hidayat dai sb ko gumraaah kar rahay ho ALLAH sai daro

    • @masoodkhan1748
      @masoodkhan1748 6 ปีที่แล้ว

      Abdul Haseeb kiya gumrah kardea janab

  • @hafizkhan3087
    @hafizkhan3087 7 ปีที่แล้ว

    محکمات مین استدلال کی گنجائش ہی نہین
    حضرت دلی خواہش ہے روبرو مسئلہ استدلال کی تفصیلات جان نیکی
    خادم دین سیکہنے کا نہایت متمنی ہے
    کوئ رابطا ہو سکتا ہے
    شکریا

  • @atifmehmood1628
    @atifmehmood1628 4 ปีที่แล้ว

    غامدی صاحب کہ رہے ہے کہ تراویح کی رکات ہمیشہ طاق میں پڑھی جائینگی لیکن سب مسلمان تو اسے جفت میں پڑھتے ہیں مثلاً بیس رکعات.سمجھ نہیں غامدی صاحب.

  • @suhailjoad4701
    @suhailjoad4701 6 ปีที่แล้ว

    hamaare yahan gaamdi us aadmi ko kahtey h Jo e dhar o dhar ki baat karta h

    • @webstudio48
      @webstudio48 4 ปีที่แล้ว +1

      Ghamdi shab ne Amin Ahsan Islahi or Maulana Maududi se tableem hasil ki.
      App ne kin ulma se taleem hasel ki?

  • @mashalkhann3624
    @mashalkhann3624 6 ปีที่แล้ว

    Jahil science can define the position of sun but who told u on wich position of sun u have to pray what

    • @abdulsalamhassan4986
      @abdulsalamhassan4986 6 ปีที่แล้ว

      It is clearly mentioned in quran and ahadees, just make an effort to search.

    • @mashalkhann3624
      @mashalkhann3624 6 ปีที่แล้ว

      Abdulsalam Hassan هههه show me in quran! 2nd u said hadith who teach u the hadith or who secure the deen for u ! Science or these stooge professors who can just make fool liberals pplz not those who knows the values of teaching and learning of quran and hadith by proper channels

    • @abdulsalamhassan4986
      @abdulsalamhassan4986 6 ปีที่แล้ว

      اقم الصلوۃ لدلوک الشمس الی غسق الیل وقران الفجر ان قران الفجرکان مشھودا(بنی اسرائیل۱۷:۸۷)
      ترجمہ :نماز کو قائم کریں آفتاب کے ڈھلنے سے لے کر رات کی تاریکی تک اور فجر کا قرآن پڑھنا بھی یقیناً فجر کے وقت کا قرآن پڑھنا حاضر کیا گیا ہے
      ایک اور مقام پہ اللہ تعالی نے قرآن میں فرمایا
      فاما الذین امنووعملوالصلحت فھوفی روضۃ یحبرون واما الذین کفرواوکذبوابایتنا ولقائی الاخرۃ فاولئک فی العذاب محضرون فسبحن اللہ حین تمسون وحین تصبحون ولہ الحمدفی السموات والارض وعشیاوحین تظھرون (الروم۳۰:۱۵سے ۱۸تک)
      ترجمہ :جو ایمان لا کر نیک اعمال کرتے رہے وہ تو جنت میں خوش و خرم کر دئیے جائیں گے اور جنھوں نے کفر کیا تھا اور ہماری آیتوں کو اور آخرت کی ملاقات کو جھوٹا ٹھہرایا تھا وہ عذاب میں پکڑ کر حاضر رکھے جائیں گے پس اللہ تعالیٰ کی تسبیح پڑھا کرو جب کہ تم شام کرو اور جب صبح کرو تمام تعریفوں کے لائق آسمان و زمین میں صرف وہی ہے تیسرے پہر کو اور ظہر کے وقت بھی (اس کی پاکیزگی بیان کرو)
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      قرآن و حدیث میں پانچ نمازوں کا حکم
      مریم خان, ‏25 مئی 2011
      مریم خان
      مریم خان
      رکن
      قرآن و حدیث میں پانچ نمازوں کا حکم​
      ارشاد باری تعالی ہے
      اقم الصلوۃ لدلوک الشمس الی غسق الیل وقران الفجر ان قران الفجرکان مشھودا(بنی اسرائیل۱۷:۸۷)
      ترجمہ :نماز کو قائم کریں آفتاب کے ڈھلنے سے لے کر رات کی تاریکی تک اور فجر کا قرآن پڑھنا بھی یقیناً فجر کے وقت کا قرآن پڑھنا حاضر کیا گیا ہے
      اللہ تعالیٰ نے اس آیت میں پانچوں اوقات کی نمازیں قائم کرنے کا حکم دیا ہے آفتاب کے ڈھلنے یعنی زوال کے بعد نماز ظہر اور نماز عصر پڑھنا اور رات کی تاریکی تک شروع میں نماز مغرب اور تاریکی تک نماز عشاء پڑھنا اور پھر نماز فجر کا حکم کے ساتھ اس کی اہمیت بیان فرمایا:فجر کی نماز میں طویل قرآن اور فجر کی نماز کے بعد قرآن کریم کی تلاوت چونکہ اس وقت میں فرشتوں کی حاضری ہوتی ہے جب اللہ کے بندے قرآن کریم کی تلاوت کرتے ہیں تو فرشتے اللہ کے کلام کو غور سے سنتے ہیں مبارک ہیں وہ لوگ جنہیں یہ سعادت نصیب ہو جائے
      پھر ارشاد ہوتا ہے
      فاصبرعلی مایقولون وسبح بحمدربک قبل طلوع الشمس وقبل غروبھاومن اناءٔ الیل فسبح واطراف النھار لعلک ترضی(طہٰ۲۰:۱۳۰)
      ترجمہ :پس ان کی باتوں پر صبر کر اور اپنے پروردگار کی تسبیح اور تعریف بیان کرتا رہ، سورج نکلنے سے پہلے اور اس کے ڈوبنے سے پہلے ، رات کے مختلف وقتوں میں بھی اور دن کے حصوں میں بھی تسبیح کرتا رہ، بہت ممکن ہے کہ تو راضی ہو جائے
      مذید کسی عالم سے رجوع کر لیں وہ آپ کو سب بتا دیں گے ان شاء اللہ
      جزاك اللهُ‎

    • @mashalkhann3624
      @mashalkhann3624 6 ปีที่แล้ว

      Abdulsalam Hassan ههههه aap nai jo turjma kia bilkul teek but from where u get the exact timming. يعني ما لفظ ا پ نے نكالا اس مے it means u r deffining it bcz Allah say .fajr sai ghroub aftab tak namaz qayam karro.so where is the 3 different timming defined?.dont fool pplz without hadith u can't define quran so it's come with chain wich belongs to sahaba who are direct students of rasolullah as Allah in quran define the role of rasolullah mualim معلم and in other place وما آتاكم الرسول فخذوه و ما نهاكم عنه فانتهوا it means without hadith u can't obey this order of quran and without the chain of 1400 u can't know about rasolullah from any other sources.so these paratroopers of today's from sky so called philosophers are just a joke with their Neely invented theories

    • @abdulsalamhassan4986
      @abdulsalamhassan4986 6 ปีที่แล้ว

      جزاك اللهُ‎
      دلوک شمس تو اس کا اطلاق ظہر، عصر اور مغرب ،تینوں اوقات پر ہے۔
      ’’’دُلُوْک‘ کے معنی زوال کے ہیں۔ سورج کے زوال کے تین درجے ہیں۔ ایک وہ جب وہ سمت راس سے ڈھلتا ہے، دوسرا جب وہ مر أی العین سے نیچے کی طرف جھکتا ہے، تیسرا جب وہ افق سے غائب ہوتا ہے۔ یہ تینوں اوقات ظہر، عصر اور مغرب کی نمازوں کے ہیں۔‘‘
      ’دلوک‘ کے بعد ’غسق‘ کا لفظ آیا ہے۔’غسق‘ کی وضاحت :
      ’’’غَسَقُ اللَّیْلِ‘ اول شب کی تاریکی جب کہ وہ گاڑھی ہوجائے۔ یہ نماز عشا کا وقت ہے۔‘‘
      یہی معاملہ سورۂ ہود(۱۱: ۱۱۴) کے ’طَرَفَیِ النَّہَارِ‘ اور سورۂ طٰہٰ (۲۰: ۱۳۰) کے ’اٰنَآیئ الَّیْلِ‘ کے الفاظ کا ہے.
      آپ ذرا دل کی پاکیزگی اور دین سیکھنے کے شوق سے سرچ کریں گے تو اللہ رب العزت آپ کی رہنماٸ فرماۓ گا ان شاء اللہ۔
      في أمان الله

  • @syedgufran6226
    @syedgufran6226 6 ปีที่แล้ว

    Ye admi to taraveh ko nikal deraha hai.ye naye film realiese huwe hai bhai.pakistani brothers be care full.ye javeed gamadi pagal hogaya.

  • @Myopinion612
    @Myopinion612 6 ปีที่แล้ว

    Science dha kaaynaat par research karne ke bawajud une Allah ki pehchan hasil nahi horahi hai iski wajah ye hai ke. Shorat ka jazba aur apne research ke achievement ki khushi unke aklo par parda daal dethi hai. Tik usi tarah ye bhai ka haal hai. Ilm hasil kiya hai par kamil aur akmal nahi.
    Followers ke bare me Kya kahe A,B,C sikhe bagair 10th ka maths sikhne bait gaye.

    • @Babu-l7u
      @Babu-l7u 5 ปีที่แล้ว

      ज्ञान सिर्फ ऋषियों के ही पास था इसकी सिर्फ एक दो ही मिसाल देना चाहुंगा और वो है पुनर्जन्म का होना और शुन्य की खोज ।
      पुनर्जन्म के सबूत ढेरों मौजूद हैं और कोई इंकार नहीं कर सकता । हां कोई मूर्खतापूर्ण तरीके से बहस करता रहे, तर्क वितर्क कुतर्क करता रहे तो इससे क्या । कुदरत तो अपने नियम बदलने से रही ।
      जब पुनर्जन्म की बात सही है तो ऋषि-मुनियों की कही गई और भी ढेरों बातें सही और सटीक हैं जैसे कर्म फल, ईश्वर किसी को माफ कर ही नहीं सकता, कोई स्वर्ग नर्क नहीं है, ईश्वर दयालु नहीं है, ना ही प्रेम का सागर है, और ना ही किसी की मदद को आगे सकता है चाहे कितनी भी पूजा करलो और कसीदे पढ़ लो ऊपरवाले की याद में और ना ही कोई चमत्कार कर सकता है । दुनिया को वेदों की सच्चाई को मानना ही होगा एक दिन । क्योंकि सच को तो आना ही होता है सबके सामने झुठ का सीना चीर कर । सच को कोई हरा ही नहीं सकता । सच को हराने की ताकत खुद ऊपरवाले की भी नहीं है यानि ऊपरवाला खुद भी सच से बड़ा नहीं है और ना ही हो सकता है ।
      और भाई खूब पढ़ो ऋषि-मुनियों का ज्ञान और सच को जानो और आंखें खोलो । और वैसे भी ऋषि मुनि हजारों हजार की संख्या में थे जिन्होंने एक समय पर नहीं अलग अलग समय पर सच की खोज की भारत की इस लबालब हरियाली से भरे इलाके में - जहां पानी, तालाब, सरोवर, और नदियां है, रंग-बिरंगे फूल, पेड़, लतायें, हरे घास से भर मैदान, बगीचे और वनस्पतियां है, दूध घी है, खाने पीने की मौज है, संस्कृत है और ढेरो भाषायें है, । ऊपरवाले की इतनी बड़ी खोज किसी एक आदमी के बस की बात नहीं है ।
      बाकी समझदार आदमी को बहस नहीं खोज करनी चाहिए । वैसे भी ईश्वर की खोज वो ही करेगा जिन्हें शुन्य की खोज का ज्ञान हो । शुन्य और ईश्वर की खोज में गहरा संबंध है और ये एक ही सिक्के के दो पहलू हैं । और जब शून्य की खोज भारत में हुई इसका मतलब ईश्वर की खोज भी भारत में ही हुई पहली मर्तबा और भारत से ही ईश्वर और शुन्य का ज्ञान बाहर गया ।
      सो फिलहाल मेरे दो ही मुद्दे हैं पुनर्जन्म के और शुन्य के तो बेहतर है आप खुद ही जांच पड़ताल करो और सच को जानो अपने दिमाग की खिड़की पूरी खोलकर । हम इंसान हैं और हमको सिर्फ और सिर्फ सच को खोजना है और धार्मिक तै बिल्कुल ही नहीं बनना है । सच की तो धर्म से बनती ही नहीं है ।

  • @pindistuff1962
    @pindistuff1962 5 ปีที่แล้ว +1

    Molvi zinda hain to ap halali hn.. or apsy guzarish hy k apna zahir sunnat k mutabiq karen..ab is bt pr bht log kahen gy k darhi zarori nahi etc etc insan ka andar thek hona chye. To sunnat nam hi zahir ka hy or hum muslims zahir or batin dono par pora utar kar claim hoty hn. To mehrbani.. or inky sunany walon sy b guzarish hy aqal o fehm sy kam len.. beshak inki baten sahi hongi magar inki field ye nahi hy..kisi ko mri is bt sy masla hoto to apna nikkah singer sy parhway usko meri bt smjh ajay g

  • @muhmmadkhalid8460
    @muhmmadkhalid8460 5 ปีที่แล้ว

    mirza qaadyani ka dosra roop hai yeh

  • @hafizkhan3087
    @hafizkhan3087 7 ปีที่แล้ว

    مسئلہ صیام مین ترک صلات سے صیام کی تکمیل ہی نہین ہوتی
    قبو لیت اللہ جانین
    جیسے حج نا مکمل ہے بغیر صلات کے

  • @sonykill1
    @sonykill1 6 ปีที่แล้ว +1

    Sala suwar bhi is se acha hoga

    • @Babu-l7u
      @Babu-l7u 5 ปีที่แล้ว

      ज्ञान सिर्फ ऋषियों के ही पास था इसकी सिर्फ एक दो ही मिसाल देना चाहुंगा और वो है पुनर्जन्म का होना और शुन्य की खोज ।
      पुनर्जन्म के सबूत ढेरों मौजूद हैं और कोई इंकार नहीं कर सकता । हां कोई मूर्खतापूर्ण तरीके से बहस करता रहे, तर्क वितर्क कुतर्क करता रहे तो इससे क्या । कुदरत तो अपने नियम बदलने से रही ।
      जब पुनर्जन्म की बात सही है तो ऋषि-मुनियों की कही गई और भी ढेरों बातें सही और सटीक हैं जैसे कर्म फल, ईश्वर किसी को माफ कर ही नहीं सकता, कोई स्वर्ग नर्क नहीं है, ईश्वर दयालु नहीं है, ना ही प्रेम का सागर है, और ना ही किसी की मदद को आगे सकता है चाहे कितनी भी पूजा करलो और कसीदे पढ़ लो ऊपरवाले की याद में और ना ही कोई चमत्कार कर सकता है । दुनिया को वेदों की सच्चाई को मानना ही होगा एक दिन । क्योंकि सच को तो आना ही होता है सबके सामने झुठ का सीना चीर कर । सच को कोई हरा ही नहीं सकता । सच को हराने की ताकत खुद ऊपरवाले की भी नहीं है यानि ऊपरवाला खुद भी सच से बड़ा नहीं है और ना ही हो सकता है ।
      और भाई खूब पढ़ो ऋषि-मुनियों का ज्ञान और सच को जानो और आंखें खोलो । और वैसे भी ऋषि मुनि हजारों हजार की संख्या में थे जिन्होंने एक समय पर नहीं अलग अलग समय पर सच की खोज की भारत की इस लबालब हरियाली से भरे इलाके में - जहां पानी, तालाब, सरोवर, और नदियां है, रंग-बिरंगे फूल, पेड़, लतायें, हरे घास से भर मैदान, बगीचे और वनस्पतियां है, दूध घी है, खाने पीने की मौज है, संस्कृत है और ढेरो भाषायें है, । ऊपरवाले की इतनी बड़ी खोज किसी एक आदमी के बस की बात नहीं है ।
      बाकी समझदार आदमी को बहस नहीं खोज करनी चाहिए । वैसे भी ईश्वर की खोज वो ही करेगा जिन्हें शुन्य की खोज का ज्ञान हो । शुन्य और ईश्वर की खोज में गहरा संबंध है और ये एक ही सिक्के के दो पहलू हैं । और जब शून्य की खोज भारत में हुई इसका मतलब ईश्वर की खोज भी भारत में ही हुई पहली मर्तबा और भारत से ही ईश्वर और शुन्य का ज्ञान बाहर गया ।
      सो फिलहाल मेरे दो ही मुद्दे हैं पुनर्जन्म के और शुन्य के तो बेहतर है आप खुद ही जांच पड़ताल करो और सच को जानो अपने दिमाग की खिड़की पूरी खोलकर । हम इंसान हैं और हमको सिर्फ और सिर्फ सच को खोजना है और धार्मिक तै बिल्कुल ही नहीं बनना है । सच की तो धर्म से बनती ही नहीं है ।

    • @fightforpeace7854
      @fightforpeace7854 5 ปีที่แล้ว

      یار کیا آپ امام ابو حنیفہ رحمتہ علیہ پر اس غامدی کو فوقیت دے رہے ہو؟
      جنہوں نے پوری زندگی اسلام کی خدمت کی اور احادیث کو صحیح طور پر جمع کیا، کیا ان کو علم نہیں تھا؟
      اور دوسری بات، پوری اسلامی دنیا میں تراویع باجماعت عشاء کی نماز کے بعد ادا کی جاتی ہے، یہ اسلام ہے سچا دین ہے محمد صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا کہ میری امت کی اکثریت کسی غلط بات پر متفق نہیں ہو سکتی،
      اس غامدی کے چہرے پر داڑھی نہیں ہے ، اس کی ایک وجہ ہے، یہ ڈرتا ہے ہے لوگ اسے مولوی نہ کہیں، اگر دین کی بات کرنے والے کہ چہرے پر ڈاڑھی ہوگی تو وہ مولوی کہلائے گا اور اگر ڈاڑھی نہ ہو تو مفکر اور دانشور، یہ اسلام کی بات نہیں کرتا یہ ایک فتنہ ہے،

  • @abdussamadsayyed8463
    @abdussamadsayyed8463 7 ปีที่แล้ว

    Have a look on TH-cam
    The bayaan of mufti AKMAL and you'll come to know
    it's okay ,you follow your believe we persue our

    • @YourChoiceAsghar
      @YourChoiceAsghar 6 ปีที่แล้ว

      th-cam.com/video/Z74kHS3f3EQ/w-d-xo.html

  • @suhailjoad4701
    @suhailjoad4701 6 ปีที่แล้ว

    quraan mein chaand ghatney aur badhney ko hisab ke leye btaaya h

    • @Babu-l7u
      @Babu-l7u 5 ปีที่แล้ว

      ज्ञान सिर्फ ऋषियों के ही पास था इसकी सिर्फ एक दो ही मिसाल देना चाहुंगा और वो है पुनर्जन्म का होना और शुन्य की खोज ।
      पुनर्जन्म के सबूत ढेरों मौजूद हैं और कोई इंकार नहीं कर सकता । हां कोई मूर्खतापूर्ण तरीके से बहस करता रहे, तर्क वितर्क कुतर्क करता रहे तो इससे क्या । कुदरत तो अपने नियम बदलने से रही ।
      जब पुनर्जन्म की बात सही है तो ऋषि-मुनियों की कही गई और भी ढेरों बातें सही और सटीक हैं जैसे कर्म फल, ईश्वर किसी को माफ कर ही नहीं सकता, कोई स्वर्ग नर्क नहीं है, ईश्वर दयालु नहीं है, ना ही प्रेम का सागर है, और ना ही किसी की मदद को आगे सकता है चाहे कितनी भी पूजा करलो और कसीदे पढ़ लो ऊपरवाले की याद में और ना ही कोई चमत्कार कर सकता है । दुनिया को वेदों की सच्चाई को मानना ही होगा एक दिन । क्योंकि सच को तो आना ही होता है सबके सामने झुठ का सीना चीर कर । सच को कोई हरा ही नहीं सकता । सच को हराने की ताकत खुद ऊपरवाले की भी नहीं है यानि ऊपरवाला खुद भी सच से बड़ा नहीं है और ना ही हो सकता है ।
      और भाई खूब पढ़ो ऋषि-मुनियों का ज्ञान और सच को जानो और आंखें खोलो । और वैसे भी ऋषि मुनि हजारों हजार की संख्या में थे जिन्होंने एक समय पर नहीं अलग अलग समय पर सच की खोज की भारत की इस लबालब हरियाली से भरे इलाके में - जहां पानी, तालाब, सरोवर, और नदियां है, रंग-बिरंगे फूल, पेड़, लतायें, हरे घास से भर मैदान, बगीचे और वनस्पतियां है, दूध घी है, खाने पीने की मौज है, संस्कृत है और ढेरो भाषायें है, । ऊपरवाले की इतनी बड़ी खोज किसी एक आदमी के बस की बात नहीं है ।
      बाकी समझदार आदमी को बहस नहीं खोज करनी चाहिए । वैसे भी ईश्वर की खोज वो ही करेगा जिन्हें शुन्य की खोज का ज्ञान हो । शुन्य और ईश्वर की खोज में गहरा संबंध है और ये एक ही सिक्के के दो पहलू हैं । और जब शून्य की खोज भारत में हुई इसका मतलब ईश्वर की खोज भी भारत में ही हुई पहली मर्तबा और भारत से ही ईश्वर और शुन्य का ज्ञान बाहर गया ।
      सो फिलहाल मेरे दो ही मुद्दे हैं पुनर्जन्म के और शुन्य के तो बेहतर है आप खुद ही जांच पड़ताल करो और सच को जानो अपने दिमाग की खिड़की पूरी खोलकर । हम इंसान हैं और हमको सिर्फ और सिर्फ सच को खोजना है और धार्मिक तै बिल्कुल ही नहीं बनना है । सच की तो धर्म से बनती ही नहीं है ।

  • @alisyedzain1
    @alisyedzain1 7 ปีที่แล้ว

    All life pertaining issues are well explained in Quran. There is nothing mentioned in Quran about offering prayers. From where did you get Farz, Sunnat and Naffals prayers.
    When we compare the translation of Quran with laws of nature, it does not stand. The meaning of Salah must be wrongly understood.

    • @Cliffhanger437
      @Cliffhanger437 7 ปีที่แล้ว

      This guy is a fitna.

    • @abdulsalamhassan4986
      @abdulsalamhassan4986 6 ปีที่แล้ว

      Nimazein aor un k aoqaat quran mein maojood hain, study keejiey.

    • @Babu-l7u
      @Babu-l7u 5 ปีที่แล้ว

      ज्ञान सिर्फ ऋषियों के ही पास था इसकी सिर्फ एक दो ही मिसाल देना चाहुंगा और वो है पुनर्जन्म का होना और शुन्य की खोज ।
      पुनर्जन्म के सबूत ढेरों मौजूद हैं और कोई इंकार नहीं कर सकता । हां कोई मूर्खतापूर्ण तरीके से बहस करता रहे, तर्क वितर्क कुतर्क करता रहे तो इससे क्या । कुदरत तो अपने नियम बदलने से रही ।
      जब पुनर्जन्म की बात सही है तो ऋषि-मुनियों की कही गई और भी ढेरों बातें सही और सटीक हैं जैसे कर्म फल, ईश्वर किसी को माफ कर ही नहीं सकता, कोई स्वर्ग नर्क नहीं है, ईश्वर दयालु नहीं है, ना ही प्रेम का सागर है, और ना ही किसी की मदद को आगे सकता है चाहे कितनी भी पूजा करलो और कसीदे पढ़ लो ऊपरवाले की याद में और ना ही कोई चमत्कार कर सकता है । दुनिया को वेदों की सच्चाई को मानना ही होगा एक दिन । क्योंकि सच को तो आना ही होता है सबके सामने झुठ का सीना चीर कर । सच को कोई हरा ही नहीं सकता । सच को हराने की ताकत खुद ऊपरवाले की भी नहीं है यानि ऊपरवाला खुद भी सच से बड़ा नहीं है और ना ही हो सकता है ।
      और भाई खूब पढ़ो ऋषि-मुनियों का ज्ञान और सच को जानो और आंखें खोलो । और वैसे भी ऋषि मुनि हजारों हजार की संख्या में थे जिन्होंने एक समय पर नहीं अलग अलग समय पर सच की खोज की भारत की इस लबालब हरियाली से भरे इलाके में - जहां पानी, तालाब, सरोवर, और नदियां है, रंग-बिरंगे फूल, पेड़, लतायें, हरे घास से भर मैदान, बगीचे और वनस्पतियां है, दूध घी है, खाने पीने की मौज है, संस्कृत है और ढेरो भाषायें है, । ऊपरवाले की इतनी बड़ी खोज किसी एक आदमी के बस की बात नहीं है ।
      बाकी समझदार आदमी को बहस नहीं खोज करनी चाहिए । वैसे भी ईश्वर की खोज वो ही करेगा जिन्हें शुन्य की खोज का ज्ञान हो । शुन्य और ईश्वर की खोज में गहरा संबंध है और ये एक ही सिक्के के दो पहलू हैं । और जब शून्य की खोज भारत में हुई इसका मतलब ईश्वर की खोज भी भारत में ही हुई पहली मर्तबा और भारत से ही ईश्वर और शुन्य का ज्ञान बाहर गया ।
      सो फिलहाल मेरे दो ही मुद्दे हैं पुनर्जन्म के और शुन्य के तो बेहतर है आप खुद ही जांच पड़ताल करो और सच को जानो अपने दिमाग की खिड़की पूरी खोलकर । हम इंसान हैं और हमको सिर्फ और सिर्फ सच को खोजना है और धार्मिक तै बिल्कुल ही नहीं बनना है । सच की तो धर्म से बनती ही नहीं है ।

  • @suhailanwarkhan8085
    @suhailanwarkhan8085 4 ปีที่แล้ว +1

    Ye kam apka nhi hai ,ye aalimo ka kam hai ap is kam ko chhod dijiye mat kariye ,hadees apki samajh me a jati agar ap usko kisi aalim ki roshni me padhte /samajhte
    Ap apna kam kariye kya ye apka kam hai

    • @webstudio48
      @webstudio48 4 ปีที่แล้ว +2

      Ghamdi shab ne Amin Ahsan Islahi or Maulana Maududi se tableem hasil ki.
      App ne kin ulma se taleem hasel ki?

  • @IsmailHKhan
    @IsmailHKhan 5 ปีที่แล้ว

    Allah reham kare hamare upar! Aise Ghamdiyon se bachaiye! This is so stupid! He is mixing tahajjud and taraweeh! So foolish! How can you say Witr is tahajjud??? La hawla wala quwwata illaa billaah

  • @ahmadmalik6439
    @ahmadmalik6439 6 ปีที่แล้ว

    jb tak tm zinda ho toh futna nai khtm ho ga aya wahda scholar tm jesy 4 kitaby parh kr deen smjahny ajaty hai... ulama ko bura bahla kehny ajaty ho..Nabi pk ne farmaya tha jo shks meri shriyat pae pura na ho woh tmhy hawa mae b ur kr dhkye toh na mano uski by.. Dari rahki naj hoti or khud ko deen kae waris smjhty hai.. phly sunaty toh puri karo

  • @abdussamadsayyed8463
    @abdussamadsayyed8463 7 ปีที่แล้ว

    Puri Ummat 20 rakaat padh Rahi Hai
    11 kaha se aayi

    • @MuslimQuranSunnah
      @MuslimQuranSunnah 7 ปีที่แล้ว

      Tahjud, Qayam lail and Taraweeh are same prayer. Taraweeh name is not used at the time of Prophet Muhammad (Peace Be Upon Him )

    • @sabbarali13
      @sabbarali13 6 ปีที่แล้ว

      As Ghamidi Sahib Said, Witr and Taraweeh are both the same. So Typically People pray 20 Rakaats of Taraweh, Plus 3 Rakaats of Witr, which equals 23 Rakaats.

    • @alltimeeverythingate4654
      @alltimeeverythingate4654 6 ปีที่แล้ว

      8 rakat or 3 witar.
      you dont have any knowledge about Umma

    • @abdulsalamhassan4986
      @abdulsalamhassan4986 6 ปีที่แล้ว

      20 kahan sey aayi ha, sabit keejiey quran o hadees sey please

  • @shabih923
    @shabih923 5 ปีที่แล้ว

    Be aware of this fitna e ghamdi

  • @asimmalik724
    @asimmalik724 6 ปีที่แล้ว +1

    Ye Yahoodiyan ki sonch rakhne wala Insaan hai.
    Bewakoof aur ahmak hain wo log jo isko follow kar Rahe hain

    • @abdulsalamhassan4986
      @abdulsalamhassan4986 6 ปีที่แล้ว

      jin ki aqal pay taaley parey huwey hain, wo ilm ki baat nahe samjhein gey, wo becharey to janwaron bhi badtar hain

    • @asimmalik724
      @asimmalik724 6 ปีที่แล้ว

      1450 saal se puri Ummat Taraweeh padh Rahi hai ye alag baat hai ki 8 ya 20 rakaat hai Lekin ye jahil aaj to taraweeh Ko Uda diya hai Islam se

    • @syedsiddiqullah3071
      @syedsiddiqullah3071 6 ปีที่แล้ว

      Asim bhai koi proof he is baat ki jo ap ne ki ? If yes, then share with us too.

    • @syedsiddiqullah3071
      @syedsiddiqullah3071 6 ปีที่แล้ว

      Asim Malik
      Ap khud soche k 8 aur 20 me hi difference kese aya. Halanke farz ya wajib cheez me difference ni hota.

    • @asimmalik724
      @asimmalik724 6 ปีที่แล้ว

      Syed Siddiqullah , without proof main bol hi nahi Sakta, Agar koi sahi Musalman hoga to use isko sunte hi pata chal jayega ki ye ghamidi ek jabardast fitna h

  • @mashalkhann3624
    @mashalkhann3624 6 ปีที่แล้ว

    ههههه جاهل lol he knows more then sahabah and khulfa rashdeen about deen very sad to those pplz who because of their laziness want new philosophy and lier say umer didnt pray lier

  • @great_boy1536
    @great_boy1536 6 ปีที่แล้ว

    Himself misled and misleading others too.

    • @Babu-l7u
      @Babu-l7u 5 ปีที่แล้ว

      ज्ञान सिर्फ ऋषियों के ही पास था इसकी सिर्फ एक दो ही मिसाल देना चाहुंगा और वो है पुनर्जन्म का होना और शुन्य की खोज ।
      पुनर्जन्म के सबूत ढेरों मौजूद हैं और कोई इंकार नहीं कर सकता । हां कोई मूर्खतापूर्ण तरीके से बहस करता रहे, तर्क वितर्क कुतर्क करता रहे तो इससे क्या । कुदरत तो अपने नियम बदलने से रही ।
      जब पुनर्जन्म की बात सही है तो ऋषि-मुनियों की कही गई और भी ढेरों बातें सही और सटीक हैं जैसे कर्म फल, ईश्वर किसी को माफ कर ही नहीं सकता, कोई स्वर्ग नर्क नहीं है, ईश्वर दयालु नहीं है, ना ही प्रेम का सागर है, और ना ही किसी की मदद को आगे सकता है चाहे कितनी भी पूजा करलो और कसीदे पढ़ लो ऊपरवाले की याद में और ना ही कोई चमत्कार कर सकता है । दुनिया को वेदों की सच्चाई को मानना ही होगा एक दिन । क्योंकि सच को तो आना ही होता है सबके सामने झुठ का सीना चीर कर । सच को कोई हरा ही नहीं सकता । सच को हराने की ताकत खुद ऊपरवाले की भी नहीं है यानि ऊपरवाला खुद भी सच से बड़ा नहीं है और ना ही हो सकता है ।
      और भाई खूब पढ़ो ऋषि-मुनियों का ज्ञान और सच को जानो और आंखें खोलो । और वैसे भी ऋषि मुनि हजारों हजार की संख्या में थे जिन्होंने एक समय पर नहीं अलग अलग समय पर सच की खोज की भारत की इस लबालब हरियाली से भरे इलाके में - जहां पानी, तालाब, सरोवर, और नदियां है, रंग-बिरंगे फूल, पेड़, लतायें, हरे घास से भर मैदान, बगीचे और वनस्पतियां है, दूध घी है, खाने पीने की मौज है, संस्कृत है और ढेरो भाषायें है, । ऊपरवाले की इतनी बड़ी खोज किसी एक आदमी के बस की बात नहीं है ।
      बाकी समझदार आदमी को बहस नहीं खोज करनी चाहिए । वैसे भी ईश्वर की खोज वो ही करेगा जिन्हें शुन्य की खोज का ज्ञान हो । शुन्य और ईश्वर की खोज में गहरा संबंध है और ये एक ही सिक्के के दो पहलू हैं । और जब शून्य की खोज भारत में हुई इसका मतलब ईश्वर की खोज भी भारत में ही हुई पहली मर्तबा और भारत से ही ईश्वर और शुन्य का ज्ञान बाहर गया ।
      सो फिलहाल मेरे दो ही मुद्दे हैं पुनर्जन्म के और शुन्य के तो बेहतर है आप खुद ही जांच पड़ताल करो और सच को जानो अपने दिमाग की खिड़की पूरी खोलकर । हम इंसान हैं और हमको सिर्फ और सिर्फ सच को खोजना है और धार्मिक तै बिल्कुल ही नहीं बनना है । सच की तो धर्म से बनती ही नहीं है ।

  • @hafizkhan3087
    @hafizkhan3087 7 ปีที่แล้ว

    BOY U HAVE NO IDEA WHO U DEALING WITH
    IF U R MAN
    JUST PRAY NEVER COME ACROSS ME
    JUST BEG
    BOBY
    I LL FIND U
    WHER EVER U HIDE

    • @RR-oo2wf
      @RR-oo2wf 7 ปีที่แล้ว

      Who Are You ? Who Appointed You ? Who Give You The Authority ? What Government or Sharia Court Gave You The Power ?
      Or You Simply Follow Ego , Nafs & Shaitan ?

    • @Babu-l7u
      @Babu-l7u 5 ปีที่แล้ว

      ज्ञान सिर्फ ऋषियों के ही पास था इसकी सिर्फ एक दो ही मिसाल देना चाहुंगा और वो है पुनर्जन्म का होना और शुन्य की खोज ।
      पुनर्जन्म के सबूत ढेरों मौजूद हैं और कोई इंकार नहीं कर सकता । हां कोई मूर्खतापूर्ण तरीके से बहस करता रहे, तर्क वितर्क कुतर्क करता रहे तो इससे क्या । कुदरत तो अपने नियम बदलने से रही ।
      जब पुनर्जन्म की बात सही है तो ऋषि-मुनियों की कही गई और भी ढेरों बातें सही और सटीक हैं जैसे कर्म फल, ईश्वर किसी को माफ कर ही नहीं सकता, कोई स्वर्ग नर्क नहीं है, ईश्वर दयालु नहीं है, ना ही प्रेम का सागर है, और ना ही किसी की मदद को आगे सकता है चाहे कितनी भी पूजा करलो और कसीदे पढ़ लो ऊपरवाले की याद में और ना ही कोई चमत्कार कर सकता है । दुनिया को वेदों की सच्चाई को मानना ही होगा एक दिन । क्योंकि सच को तो आना ही होता है सबके सामने झुठ का सीना चीर कर । सच को कोई हरा ही नहीं सकता । सच को हराने की ताकत खुद ऊपरवाले की भी नहीं है यानि ऊपरवाला खुद भी सच से बड़ा नहीं है और ना ही हो सकता है ।
      और भाई खूब पढ़ो ऋषि-मुनियों का ज्ञान और सच को जानो और आंखें खोलो । और वैसे भी ऋषि मुनि हजारों हजार की संख्या में थे जिन्होंने एक समय पर नहीं अलग अलग समय पर सच की खोज की भारत की इस लबालब हरियाली से भरे इलाके में - जहां पानी, तालाब, सरोवर, और नदियां है, रंग-बिरंगे फूल, पेड़, लतायें, हरे घास से भर मैदान, बगीचे और वनस्पतियां है, दूध घी है, खाने पीने की मौज है, संस्कृत है और ढेरो भाषायें है, । ऊपरवाले की इतनी बड़ी खोज किसी एक आदमी के बस की बात नहीं है ।
      बाकी समझदार आदमी को बहस नहीं खोज करनी चाहिए । वैसे भी ईश्वर की खोज वो ही करेगा जिन्हें शुन्य की खोज का ज्ञान हो । शुन्य और ईश्वर की खोज में गहरा संबंध है और ये एक ही सिक्के के दो पहलू हैं । और जब शून्य की खोज भारत में हुई इसका मतलब ईश्वर की खोज भी भारत में ही हुई पहली मर्तबा और भारत से ही ईश्वर और शुन्य का ज्ञान बाहर गया ।
      सो फिलहाल मेरे दो ही मुद्दे हैं पुनर्जन्म के और शुन्य के तो बेहतर है आप खुद ही जांच पड़ताल करो और सच को जानो अपने दिमाग की खिड़की पूरी खोलकर । हम इंसान हैं और हमको सिर्फ और सिर्फ सच को खोजना है और धार्मिक तै बिल्कुल ही नहीं बनना है । सच की तो धर्म से बनती ही नहीं है ।

  • @pnglawassociates
    @pnglawassociates 7 ปีที่แล้ว +9

    aaj ka abu jehal hai Jawed Ghamidi....

    • @Turi7015
      @Turi7015 7 ปีที่แล้ว

      M/s PNG LAW ASSOCIATES : Tumharee namaz aur merey paa khaney mein kia cheez gadr mushthareq hai... dono gandagee hain

    • @iwah9338
      @iwah9338 7 ปีที่แล้ว

      right

    • @sirajlakhani8531
      @sirajlakhani8531 6 ปีที่แล้ว

      aap ke pas abu jahel hone ki dalil ho to pesh kare

    • @abdulrashidkhan2196
      @abdulrashidkhan2196 6 ปีที่แล้ว +2

      M/s PNG LAW ASSOCIATES,agar tere maa baap ko yeh comment maloom ho jaye to zindagi bhar afsos karenge ki unhone aisi aulad kyoon paida ki.

    • @YourChoiceAsghar
      @YourChoiceAsghar 6 ปีที่แล้ว

      th-cam.com/video/Z74kHS3f3EQ/w-d-xo.html

  • @YasirKhan-oc6ko
    @YasirKhan-oc6ko 5 ปีที่แล้ว

    Sab sa bara jahel admi

  • @abdussamadsayyed8463
    @abdussamadsayyed8463 7 ปีที่แล้ว +1

    sawaal
    Javed saheb
    saari ummat tarawih padh Rahi Hai
    kya sab galat Hai?

    • @pagesofimpact
      @pagesofimpact 7 ปีที่แล้ว +1

      are bhai he is not denying .....listen carefully first what he is explaining

    • @Turi7015
      @Turi7015 7 ปีที่แล้ว

      Kal mein nashey mein tun tha---- namaz halathe janabat mein ghalthee se bathroom mein parhee.. mein Sacha musalman houn kion ke mein sach Bol raha houn

    • @Ayesha-bz6ng
      @Ayesha-bz6ng 7 ปีที่แล้ว

      Abdussamad Sayyed ... ghamidi sahb ye nahi keh rahey k traweeh na parho. he is explaining its background. he is saying it's not farz. ok.. hope you understand. he is the scholar, not you

    • @abdulsalamhassan4986
      @abdulsalamhassan4986 6 ปีที่แล้ว

      جب سب لوگ گمراہی پر ہوں تو نبی مبعوث کیا جاتا تھا۔کیا کبھی اکثریت بھی صحیح ثابت کرنے کا معیار رہی ہے۔

    • @YourChoiceAsghar
      @YourChoiceAsghar 6 ปีที่แล้ว

      th-cam.com/video/Z74kHS3f3EQ/w-d-xo.html