[8/12, 15:56] Shalekh Gram Soni: ।।मुक्तक छंद कविता।।परमात्माराम विदेही उनका नाम विदेही सर्वव्यापक अखण्ड, यही दोनो सतगुरु सारशबद धुन चित्त मे विराजती सतखण्ड। जब सारशबद अखण्ड लखे चित्त माही नर नारी कोई, तबहि मिटे सकल मन माया के संदेही-खोजो सतखण्डी सत कबीर सुजान सतगुरु देवा।।00।।जो नही प्राण मे नही पिण्ड मे नही ब्रम्हांड आकाश मे रहता। ना वो भृकुटी भंवर गुफा मे, ना स्वांसो की स्वांस मे रहता।।खोजी होय तो तुरन्त मिल जाता, एक पल की तलाश मे मिलता। संतो वो तो है विश्वास मे, साधू वो केवल विशेष स्वांसो के विकास मे-खोजो सतखण्डी सत कबीर सतगुरु देवा।।01।।सत साहेब बंदगी सत साहेब कबीर सुजान की, हाथ उठते जिसके लिए हजारो दुआओ के लिए। अनाथो के नाथ तेरी दुआ सबको मिलती नही, सतगुरु सारशबदी प्रसादी बिना।।जिन्दगी अपना रंग बदलती नही, बंदगी सतखण्डी साहेब कबीर सुजान बिना। आपके अखण्ड सारशबद ने संवारी, हम सभी संतो की सुरक्षित जिन्दगी-खोजो सतखण्डी सत कबीर सतगुरु देवा।।02।।मनवा तो दशो दिशा फिरे कहे करुं वही धर्म। कोटि कर्म माथे चढाये, पर नही समझा सारशबद अखण्ड धुन का चित्त मे मर्म,,और करते करते मर मर गया जीवन भर कुकर्म।।ज्ञानी ध्यानी बहु उपदेशी, इस जगत मे सबके गोरख धंदे है। केवल एक सारशबद अखण्ड बिना सबके सब अंधे है-खोजो सतखण्डी सत कबीर सतगुरु देवा।।03।।,,साँई अरुण जी महाराज नासिक महाराष्ट्र को सादर समर्पित,,सालिकराम सोनी।।7898158018-।।🙏🏻🌹 [8/12, 16:22] Shalekh Gram Soni: ।।कबीर बीजक पुराना।।अथ अडसठवी रमैनी।।-:चौपाई-:तेहि वियोग से भये अनाथा, परि निकुंज बन पावन पाथा। वेदो नकल कहे जो जाने, जो समझे सो भलो ना माने।।01।।नटवर बन्द खेल जो जाने,ताकर गुण जो ठाकुर माने। वही जो खेल सब घट माही, दूसर को लेखी कछु नाही।।02।।भलो पोच जो अवसर आवे, कैसहुं के जन पूरा पावे।।03।।-:साखी:-जो करे सरल गैहिये तब, सो जानेगा पीर। लागे तो भागे नही सुख, सिन्धू निहारु कबीर।।00।।,,साँई अरुण जी महाराज नासिक महाराष्ट्र को सादर समर्पित,,सालिकराम सोनी।।7898158018-।।🙏🏻🌹
❤ साहेब ❤ बंदगी ❤
Sadhguruji ke charano me
Kotikoti Naman banadagi
Saheb banadagi sahebji
Adipur bhuj Kutch
साहेब बन्दगी
Sat, sahib, ji
श्री सतगुरु देव की जय बहुत सुंदर ढंग से विचार प्रस्तुत किया गया साहिब बंदगी इंदौर से
Saheb bandagi saheb ji with respectfully
Sat shaheb bandgi shaheb ji 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Sat saheb Shaheb bandgi 🙏🙏🙏💐🌺🌹🙏
Saheb bandgi
सत्यनाम साहेब बंदगी गुरु जी बहुत अच्छा पूरे विश्व के लोगों को ये ज्ञान होना चाहिए
साहेब बंदगी साहेब श्री संत जी🙏🙏🙏
Sat Saheb Saheb bandgi🙏🙏🙏
Sat saheb saheb bandagi ji🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
👍👍🙏🙏👍👍🙋♂️
[8/12, 15:56] Shalekh Gram Soni: ।।मुक्तक छंद कविता।।परमात्माराम विदेही उनका नाम विदेही सर्वव्यापक अखण्ड, यही दोनो सतगुरु सारशबद धुन चित्त मे विराजती सतखण्ड। जब सारशबद अखण्ड लखे चित्त माही नर नारी कोई, तबहि मिटे सकल मन माया के संदेही-खोजो सतखण्डी सत कबीर सुजान सतगुरु देवा।।00।।जो नही प्राण मे नही पिण्ड मे नही ब्रम्हांड आकाश मे रहता। ना वो भृकुटी भंवर गुफा मे, ना स्वांसो की स्वांस मे रहता।।खोजी होय तो तुरन्त मिल जाता, एक पल की तलाश मे मिलता। संतो वो तो है विश्वास मे, साधू वो केवल विशेष स्वांसो के विकास मे-खोजो सतखण्डी सत कबीर सतगुरु देवा।।01।।सत साहेब बंदगी सत साहेब कबीर सुजान की, हाथ उठते जिसके लिए हजारो दुआओ के लिए। अनाथो के नाथ तेरी दुआ सबको मिलती नही, सतगुरु सारशबदी प्रसादी बिना।।जिन्दगी अपना रंग बदलती नही, बंदगी सतखण्डी साहेब कबीर सुजान बिना। आपके अखण्ड सारशबद ने संवारी, हम सभी संतो की सुरक्षित जिन्दगी-खोजो सतखण्डी सत कबीर सतगुरु देवा।।02।।मनवा तो दशो दिशा फिरे कहे करुं वही धर्म। कोटि कर्म माथे चढाये, पर नही समझा सारशबद अखण्ड धुन का चित्त मे मर्म,,और करते करते मर मर गया जीवन भर कुकर्म।।ज्ञानी ध्यानी बहु उपदेशी, इस जगत मे सबके गोरख धंदे है। केवल एक सारशबद अखण्ड बिना सबके सब अंधे है-खोजो सतखण्डी सत कबीर सतगुरु देवा।।03।।,,साँई अरुण जी महाराज नासिक महाराष्ट्र को सादर समर्पित,,सालिकराम सोनी।।7898158018-।।🙏🏻🌹
[8/12, 16:22] Shalekh Gram Soni: ।।कबीर बीजक पुराना।।अथ अडसठवी रमैनी।।-:चौपाई-:तेहि वियोग से भये अनाथा, परि निकुंज बन पावन पाथा। वेदो नकल कहे जो जाने, जो समझे सो भलो ना माने।।01।।नटवर बन्द खेल जो जाने,ताकर गुण जो ठाकुर माने। वही जो खेल सब घट माही, दूसर को लेखी कछु नाही।।02।।भलो पोच जो अवसर आवे, कैसहुं के जन पूरा पावे।।03।।-:साखी:-जो करे सरल गैहिये तब, सो जानेगा पीर। लागे तो भागे नही सुख, सिन्धू निहारु कबीर।।00।।,,साँई अरुण जी महाराज नासिक महाराष्ट्र को सादर समर्पित,,सालिकराम सोनी।।7898158018-।।🙏🏻🌹
St St nmh
Mast hai ji 🙏
साहेब बंदगी। साहेब जी, बहुत ही। सरल भाषा में बीजक रमैनी 5 की ब्याख्या आपने की जरा सी समझ रखने प्रत्येक प्राणी समझ। सकता है
साहिब बंदगी साहिब बंदगीसाहिब बंदगी गुरुजी मैं आपकी शरण में आना चाहता हूं मेरा मार्गदर्शन करें साहब
काया भीतर कर्ता को ठहरा रहे हैं,या काया के बाहर।