All NGO's have to follow the strictly rules and regulations of the ngo aims and objects of the society then only Democrat's and religion and caste principles wii be there
'वकील भरी अदालत में जज के सामने #न्याय पाने के एकमात्र उद्देश्य के लिये अपने केश में कभी कभी खूब लम्बे चौडे य़ा कभी कभार संक्षिप्त #अर्गुमेंट करता है तभी न्याय की उम्मीद बनती है! भरी अदालत में जज वकील द्वारा अपने केश में अर्गुमेंट करने से क्रोधित होकर वहीं भरी अदालत में वकीलों को केश में अर्गुमेंट करने से रोकते हुये वकील को खुली धमकी और खुला चैलेंज करते हुये पुलिस बल बुलवाकर भरी अदालत में वकीलों को खुद सामने खड़े होकर तबियत के साथ ठुंकवा दे तो फिर भरी अदालतों में वकीलों के द्वारा अपने केश में अर्गुमेंट करने पर सीधा प्रतिबन्ध लगाने की यह सार्वजनिक घोषणा ही तो है! जब वकील अपने केश में भरी अदालत में अपने मुवक्किल / पीड़ित पक्ष को न्याय दिलाने के लिये जज के सामने केश में अर्गुमेंट के मुद्दे पर गाजियाबाद जिला जज की तरह वकीलों को पुलिस से ठोंकवा दिया जाने पर कोर्ट से न्याय पाने की बची खूची ऊमीद भी वकील एवँ मुवक्किल को छोड देनी चाहिए क्यूँ की जब वकील अपने केश में भरी अदालत में जज के सामने अर्गुमेंट नहीं करेगा तो क्या अपने कोट गाऊन को उतार कर जज से भिखारी की तरह भीख माँगेगा? इससे तो बेहतर यही है कि वकील भरी अदालत में जज के सामने भिखारी बन कर भीख माँगने से देश भर के वकीलों के लिए बेहतर मौका है की साकेत (अयोध्या) में बने कई लाख करोड़ रूपयों से बना विश्व स्तरिय मन्दिर में वकील काला कोट गाऊन पहीनं कर साकेत के भव्य मन्दिर के सामने हाँथ में कटोरा लेकर भिखारी बन कर वहीं भीख माँगने का धन्धा शुरू कर दे ताकि वकीलों के मरने के पश्चात उसके स्वर्ग का आरक्षण ज़िते जी ही कंन्फर्म हो सके? गाजियाबाद कोर्ट में बेंच के द्वारा कारित यह घृणित आपराधिक कृत्य कोई सामान्य घटना नहीं है बल्कि यह देश भर के छोटे बड़े सभी वकीलों ( बार) के लिये बेंच ( जजों) की खुली चेतावनी है कि अब देश भर के वकील किसी केश में जज के सामने केश में अर्गुमेंट नहीं करेंगे उसकी ज़गह वकीलों को केश में हाँथ ज़ोड कर गिड़गिड़ा कर जजों से अब भीख माँगनी होगी और दुसरी चेतावनी जजों (बेंच) ने वकीलों ( बार) को यह भी दी है कि यदि किसी भी वकील ने केश में जज के सामने अर्गुमेंट भविष्य में कभी करने की जूर्रत कर दी तो वकीलों को जज सामने खड़े होकर पुलिस से तबियत से खूब पेलवायेंगे और यदि वकीलों ने कहीं गलती से खुद की पेलाई & ठोंकाई पर स्ट्राईक कर दिया तो वकीलों के उपर IPC & देश द्रोह की गम्भीर धाराओं में FIR दर्ज करवा कर ऊँहे जेल में ठुंसवा कर उन वकीलों की तबियत से जेलों के अन्दर ठुंकवाई का मौखिक आदेश ज़ारी कर देंगे ! गाजियाबाद कोर्ट प्रकरण में ज़िस तरह से हाईकोर्ट & सुप्रीमं कोर्ट के जजों के साथ साथ यूपी बार काऊन्सिल एवँ आल इन्डिया बार काऊन्सिल के सभी पदाधिकारियों ने चुप्पी व खामोशी साध ली इससे यह बिलकुल साफ हो जाता है कि भारत का वकील कोर्ट में अपने केश में जज के सामने अर्गुमेंट करना तत्काल प्रभाव से बंद कर दे और बिना कोई देर किये भरी अदालत में अपने अपने केश में जज से गिड़गिड़ा कर हाँथ ज़ोड कर भीख माँगना शुरू कर दे अन्यथा की स्थिती में जिला आदालतो , हाई कोर्ट और सुप्रीमं कोर्ट का जज गाजियाबाद कोर्ट प्रकरण से भी बड़ी आपराधिक घटनाओ को अंजाम दिलाने के लिये बाध्य होगा और इसकी ज़िम्मेदारी देश भर के वकीलों की होगी! देश के छोटे बड़े सभी वकील भीखारी बनो अन्यथा वकालत छोडो---- गाजियाबाद कोर्ट प्रकरण वकीलों के लिये इस बात की बिलकुल खुली और स्पष्ट चेतावनी है क्यूँ की यूपी के हाईकोर्ट & देश के सुप्रीमं कोर्ट के साथ साथ यूपी बार काऊन्सिल & आल इन्डिया बार काऊन्सिल का भी इसके लिए मुक व मौखिक संदेश भी यही है!
All NGO's have to follow the strictly rules and regulations of the ngo aims and objects of the society then only Democrat's and religion and caste principles wii be there
'वकील भरी अदालत में जज के सामने #न्याय पाने के एकमात्र उद्देश्य के लिये अपने केश में कभी कभी खूब लम्बे चौडे य़ा कभी कभार संक्षिप्त #अर्गुमेंट करता है तभी न्याय की उम्मीद बनती है!
भरी अदालत में जज वकील द्वारा अपने केश में अर्गुमेंट करने से क्रोधित होकर वहीं भरी अदालत में वकीलों को केश में अर्गुमेंट करने से रोकते हुये वकील को खुली धमकी और खुला चैलेंज करते हुये पुलिस बल बुलवाकर भरी अदालत में वकीलों को खुद सामने खड़े होकर तबियत के साथ ठुंकवा दे तो फिर भरी अदालतों में वकीलों के द्वारा अपने केश में अर्गुमेंट करने पर सीधा प्रतिबन्ध लगाने की यह सार्वजनिक घोषणा ही तो है!
जब वकील अपने केश में भरी अदालत में अपने मुवक्किल / पीड़ित पक्ष को न्याय दिलाने के लिये जज के सामने केश में अर्गुमेंट के मुद्दे पर गाजियाबाद जिला जज की तरह वकीलों को पुलिस से ठोंकवा दिया जाने पर कोर्ट से न्याय पाने की बची खूची ऊमीद भी वकील एवँ मुवक्किल को छोड देनी चाहिए क्यूँ की जब वकील अपने केश में भरी अदालत में जज के सामने अर्गुमेंट नहीं करेगा तो क्या अपने कोट गाऊन को उतार कर जज से भिखारी की तरह भीख माँगेगा?
इससे तो बेहतर यही है कि वकील भरी अदालत में जज के सामने भिखारी बन कर भीख माँगने से देश भर के वकीलों के लिए बेहतर मौका है की साकेत (अयोध्या) में बने कई लाख करोड़ रूपयों से बना विश्व स्तरिय मन्दिर में वकील काला कोट गाऊन पहीनं कर साकेत के भव्य मन्दिर के सामने हाँथ में कटोरा लेकर भिखारी बन कर वहीं भीख माँगने का धन्धा शुरू कर दे ताकि वकीलों के मरने के पश्चात उसके स्वर्ग का आरक्षण ज़िते जी ही कंन्फर्म हो सके?
गाजियाबाद कोर्ट में बेंच के द्वारा कारित यह घृणित आपराधिक कृत्य कोई सामान्य घटना नहीं है बल्कि यह देश भर के छोटे बड़े सभी वकीलों ( बार) के लिये बेंच ( जजों) की खुली चेतावनी है कि अब देश भर के वकील किसी केश में जज के सामने केश में अर्गुमेंट नहीं करेंगे उसकी ज़गह वकीलों को केश में हाँथ ज़ोड कर गिड़गिड़ा कर जजों से अब भीख माँगनी होगी और दुसरी चेतावनी जजों (बेंच) ने वकीलों ( बार) को यह भी दी है कि यदि किसी भी वकील ने केश में जज के सामने अर्गुमेंट भविष्य में कभी करने की जूर्रत कर दी तो वकीलों को जज सामने खड़े होकर पुलिस से तबियत से खूब पेलवायेंगे और यदि वकीलों ने कहीं गलती से खुद की पेलाई & ठोंकाई पर स्ट्राईक कर दिया तो वकीलों के उपर IPC & देश द्रोह की गम्भीर धाराओं में FIR दर्ज करवा कर ऊँहे जेल में ठुंसवा कर उन वकीलों की तबियत से जेलों के अन्दर ठुंकवाई का मौखिक आदेश ज़ारी कर देंगे !
गाजियाबाद कोर्ट प्रकरण में ज़िस तरह से हाईकोर्ट & सुप्रीमं कोर्ट के जजों के साथ साथ यूपी बार काऊन्सिल एवँ आल इन्डिया बार काऊन्सिल के सभी पदाधिकारियों ने चुप्पी व खामोशी साध ली इससे यह बिलकुल साफ हो जाता है कि भारत का वकील कोर्ट में अपने केश में जज के सामने अर्गुमेंट करना तत्काल प्रभाव से बंद कर दे और बिना कोई देर किये भरी अदालत में अपने अपने केश में जज से गिड़गिड़ा कर हाँथ ज़ोड कर भीख माँगना शुरू कर दे अन्यथा की स्थिती में जिला आदालतो , हाई कोर्ट और सुप्रीमं कोर्ट का जज गाजियाबाद कोर्ट प्रकरण से भी बड़ी आपराधिक घटनाओ को अंजाम दिलाने के लिये बाध्य होगा और इसकी ज़िम्मेदारी देश भर के वकीलों की होगी!
देश के छोटे बड़े सभी वकील भीखारी बनो अन्यथा वकालत छोडो---- गाजियाबाद कोर्ट प्रकरण वकीलों के लिये इस बात की बिलकुल खुली और स्पष्ट चेतावनी है क्यूँ की यूपी के हाईकोर्ट & देश के सुप्रीमं कोर्ट के साथ साथ यूपी बार काऊन्सिल & आल इन्डिया बार काऊन्सिल का भी इसके लिए मुक व मौखिक संदेश भी यही है!