राहुल कुमार सिंह छतीसगढ़ की चलती फिरती इतिहास की किताब है। जिसमें,लोककला संस्कृति,पुरातत्व, संस्मरण के कई अध्याय समाए हैं। वो बहुत वो मीठी छत्तीसगढ़ी बोलते हैं। अच्छा रहा साक्षात्कार।। शुभकामनाएं।
आदरणीय श्री राहुल सिंह जी को सुनना हमेशा एक नया अनुभव देता है। जितना हम उन्हें जानते हैं उतना ही लगता है कि कितना भंडार है उनके पास ज्ञान का जिसे जानने की उत्सुकता और बढ़ती जाती है।
अच्छी चर्चा है। इतने सब्जेक्टिव होकर बात करने की जरूरत है। सामाजिक ऐसे मसलों पर बात करते रहना चाहिए। यद्यपि यह युग समाप्त हो चुका होगा वहां। सामाजिक तानेबाने में व्याप्त अच्छी और सकारात्मक बातों के लिए भी कोई कार्यक्रम होना चाहिए। समाज में सद्भावनाएं, परंपराएं और सुनितियां अपेक्षाकृत अधिक हैं।
बहुत सही विषय पर यह चर्चा है। जब हम छोटे थे तब कुआं बावली बांध निर्माण के समय नर बलि की घटना के बारे में सुनते थे। देवी उपासना के समय नर बलि के बारे में कभी नही सुने। रायगढ़ के पास एक मंदिर में नवरात्रि के समय बड़ी संख्या में बकरों की बलि दी जाती थी। पिताजी बताते थे बस्तर में एक देवी मंदिर में भैंसे की बलि दी जाती थी। भैया, वीडियो में साउंड बहुत कम है। शायद सुधार की जरुदत है।
राहुल कुमार सिंह छतीसगढ़ की
चलती फिरती इतिहास की किताब है। जिसमें,लोककला संस्कृति,पुरातत्व, संस्मरण के कई अध्याय समाए हैं। वो बहुत वो मीठी छत्तीसगढ़ी बोलते हैं।
अच्छा रहा साक्षात्कार।।
शुभकामनाएं।
आदरणीय श्री राहुल सिंह जी को सुनना
हमेशा एक नया अनुभव देता है। जितना हम उन्हें जानते हैं उतना ही लगता है कि कितना भंडार है उनके पास ज्ञान का जिसे जानने की उत्सुकता और बढ़ती जाती है।
अच्छी चर्चा है। इतने सब्जेक्टिव होकर बात करने की जरूरत है। सामाजिक ऐसे मसलों पर बात करते रहना चाहिए। यद्यपि यह युग समाप्त हो चुका होगा वहां। सामाजिक तानेबाने में व्याप्त अच्छी और सकारात्मक बातों के लिए भी कोई कार्यक्रम होना चाहिए। समाज में सद्भावनाएं, परंपराएं और सुनितियां अपेक्षाकृत अधिक हैं।
कई रोचक जानकारी मिली....आभार सुनील कुमार जी और राहुल जी...
Delight to the scholar soul...
बहुत सही विषय पर यह चर्चा है। जब हम छोटे थे तब कुआं बावली बांध निर्माण के समय नर बलि की घटना के बारे में सुनते थे। देवी उपासना के समय नर बलि के बारे में कभी नही सुने। रायगढ़ के पास एक मंदिर में नवरात्रि के समय बड़ी संख्या में बकरों की बलि दी जाती थी। पिताजी बताते थे बस्तर में एक देवी मंदिर में भैंसे की बलि दी जाती थी।
भैया, वीडियो में साउंड बहुत कम है। शायद सुधार की जरुदत है।
🙏
Hats of rahul sir
28:00 31:30 लिमतरा 34:28 चंद्रपुर 41:15
बहुत बड़ी जानकारी। बहुत बहुत धन्यवाद।
Jay Johar jay Chhattisghar
Bahut achha video hai
Rahul ji ka cheharaa bahut hasmukh hai
Please invite him regularly for more understanding of chhattisgarhi art and culture
माइक को जेब की बजाए कॉलर में लगाना चाहिए था। राहुल जी की आवाज बहुत कम आ रही है।
Chandrapur (chandrahashani) me aaj bhi pashu bali bahot jyada matra me hota h, kripya ispr jagrukata k liye ek episode jarur kre