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INDIA-AAJKAL | इंडिया-आजकल
India
เข้าร่วมเมื่อ 14 พ.ย. 2016
We The People.....
We are an independent 'voice-of-the-people' channel, covering Indian social, political and economic landscape with a unique, thought provoking narrative. Our editorial ideology, which promotes secular liberalism, fights for social justice, is neither confined to the conventional principles of journalism, nor idealised or influenced by a set agenda, or a biased school of thought. Hence, we like to think of ourselves as being free of any wing-based orientations, or vested interests.
In the state of Chhattisgarh, and for almost two decades, we have been known, and identified as an 'editorially inclined' organisation that has become a strong, robust and serious, 'change-bringing' voice of people of all genders and races, minorities and deprived communities.
Our 'news-telling' and editorial stances find an important place among policymakers, and stakeholders in government; and are understood to be progressive and positive voices of socio-political change in the state.
We are an independent 'voice-of-the-people' channel, covering Indian social, political and economic landscape with a unique, thought provoking narrative. Our editorial ideology, which promotes secular liberalism, fights for social justice, is neither confined to the conventional principles of journalism, nor idealised or influenced by a set agenda, or a biased school of thought. Hence, we like to think of ourselves as being free of any wing-based orientations, or vested interests.
In the state of Chhattisgarh, and for almost two decades, we have been known, and identified as an 'editorially inclined' organisation that has become a strong, robust and serious, 'change-bringing' voice of people of all genders and races, minorities and deprived communities.
Our 'news-telling' and editorial stances find an important place among policymakers, and stakeholders in government; and are understood to be progressive and positive voices of socio-political change in the state.
सबसे बेबस लोगों की ऐसी थोक-मौत देश की राजधानी में!
दिल्ली में मानसिक विक्षिप्त लोगों के लिए राज्य सरकार के शेल्टर होम में पिछले महीने 14 लोग मर गए। इस विभाग की मंत्री ने मजिस्ट्रेट की जांच शुरू करवाई है, और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने भी नोटिस दिया है। लेकिन देश भर में हर जगह बेघर मानसिक रोगियों की हालत बहुत खराब है, और सरकारें संवेदनाशून्य हैं। कई जगहों पर मानसिक रोगियों को जंजीरों से जकडक़र रखा जाता है, और ऐसा ही एक मामला छत्तीसगढ़ में आया जिसमें पांवों में जंजीर बंधी हुई थी, और विक्षिप्त युवती नदी की बाढ़ में बहते हुए 20 किलोमीटर दूर ओडिशा में मिली। सरकारों को आखिर इन सबसे कमजोर लोगों के लिए करना क्या चाहिए?
‘छत्तीसगढ़’ अखबार के संपादक सुनील कुमार का यह वीडिटोरियल देखें।
‘छत्तीसगढ़’ अखबार के संपादक सुनील कुमार का यह वीडिटोरियल देखें।
มุมมอง: 171
วีดีโอ
बातचीत : एसटी-एससी कोटे में कोटे के साथ हर जुड़े हुए पहलू पर
มุมมอง 1.6K2 ชั่วโมงที่ผ่านมา
एसटी-एससी आरक्षित समुदायों के भीतर अधिक पिछड़ी जातियों के लिए कोटे में कोटा बनाने की छूट देने वाला सुप्रीम कोर्ट का फैसला ऐतिहासिक है। संविधान बनने के बाद से अब तक एसटी-एससी आरक्षण में इतनी बड़ी कोई बात नहीं हुई थी, और इस एक फैसले से देश के राज्यों में राजनीति में बहुत बड़ा उतार-चढ़ाव भी आ सकता है। इसके अलावा आरक्षित तबकों के भीतर जो बहुत अधिक कमजोर जातियां हैं, उनके प्रति इंसाफ भी राज्य सरकारे...
मोबाइल बना जी का जंजाल, सुख-चैन खत्म, साथ-साथ जिंदगी भी...
มุมมอง 7474 ชั่วโมงที่ผ่านมา
एक खदान अफसर मोबाइल में मगन होकर आई बाढ़ से अनजान रहा, और मौत हो गई। दूसरी तरफ एक बच्चे ने आधी रात फोन न मिलने पर खुदकुशी कर ली। मोबाइल की दीवानगी ऐसी है कि छोटा सा बच्चा पोर्नाे देख-देखकर अपनी छोटी बहन से बलात्कार करता है, और फिर उसका कत्ल भी कर देता है। मोबाइल की और हिंसक कहानियों का कोई अंत नहीं है। लोग अपनी जेब में एक फोन नहीं, अपनी अक्ल के लिए एक जेल लेकर चलते हैं। ऐसे में क्या सरकार की भी...
देश की राजधानी में सोते हुए नौजवानों की डूबकर मौत!
มุมมอง 2807 ชั่วโมงที่ผ่านมา
देश की राजधानी की सत्ता बड़ी विचित्र है, केंद्र सरकार, राज्य सरकार, एलजी, और म्युनिसिपल, इन सबके बीच सत्ता का बंटवारा बड़ा जटिल है, लेकिन जब किसी इमारत के बेसमेंट में गैरकानूनी तरीके से छात्र-छात्राओं को बसा दिया गया, और पानी भरने से उनकी मौतें हो गईं, तो हाईकोर्ट ने अपने तेवर दिखाए, और पूछा कि जब सडक़ से गुजरते कार-ड्राइवर को गिरफ्तार किया गया है, तो म्युनिसिपल-अफसरों को क्यों गिरफ्तार नहीं किय...
जितना झूठा दावा, उतनी बड़ी भीड़, हे राम...
มุมมอง 1.3K12 ชั่วโมงที่ผ่านมา
लोगों का भरोसा विज्ञान पर से इतना उठ जा रहा है कि ताजा-ताजा पैदा हुआ एक बाबा नींबू खिलाकर औरतों को गर्भवती बनाने का दावा कर रहा है, और उसके सामने कतारें लगी हुई हैं। देश में अलग-अलग कई किस्म की धोखाधडिय़ां चल रही हैं, लेकिन धर्म और अंधविश्वास के नाम पर, आध्यात्म के नाम पर धोखाधड़ी सबसे अधिक कामयाब है। 21वीं सदी में भी लोग इस पर भरोसा कर रहे हैं कि यह बाबा तीन-चार महीने में तीन-चार किलो का स्वस्थ...
बच्ची के हक बराबर होने चाहिए, हिन्दू हो, या फिर मुस्लिम...
มุมมอง 29512 ชั่วโมงที่ผ่านมา
केरल हाईकोर्ट ने यह फैसला दिया है कि किसी भी धर्म की नाबालिग लडक़ी की शादी नहीं की जा सकती, और देश का 2006 का बाल विवाह कानून हर धर्म पर बराबरी से लागू होता है। अभी तक मुस्लिम समाज अपने अलग विवाह कानून की वजह से 12-13 बरस की लड़कियों की भी शादी कर देता है, और हैदराबाद जैसी जगह पर मरणासन्न बूढ़े दूल्हे भी मोटी रकम लेकर पहुंच जाते हैं। केरल से बहुत दूर असम में भाजपा के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सर...
मोदी पर भागवत के इतने तीरों का नतीजा, संघ जाने पर प्रतिबंध खत्म!
มุมมอง 52114 ชั่วโมงที่ผ่านมา
पिछले कुछ महीनों में लोकसभा चुनाव के चलते हुए भी भाजपा और आरएसएस के रिश्ते कुछ रहस्यमय से चल रहे थे। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी.नड्डा ने एक इंटरव्यू में भाजपा के लिए आरएसएस को गैरजरूरी बता दिया था। इसके बाद जब लोकसभा चुनाव के नतीजे आए तो भागवत ने इस हार के लिए अहंकार को जिम्मेदार ठहराया। किसका अहंकार, यह भागवत ने लोगों की कल्पना पर छोड़ दिया। इसके अलावा भी कुछ और मौकों पर भागवत ने नुकीले ...
2011 की जनगणना पर यह तीसरी बार वार्ड-परिसीमन?
มุมมอง 64816 ชั่วโมงที่ผ่านมา
छत्तीसगढ़ में म्युनिसिपल चुनाव की तैयारी चल रही है और सरकार वार्डों का परिसीमन कर रही है, कांग्र्रेस इसके खिलाफ हाईकोर्ट गई हुई है, और कई शहर-कस्बों में अदालती स्टे आ चुका है। क्या हैं परिसीमन के नियम, और उन पर आज का यह अमल कितना जायज है? ऐसे बहुत से जटिल सवालों के जवाब देने के लिए इस राज्य में चुनाव कानूनों के एक सबसे बड़े जानकार, राज्य के पहले मुख्य निर्वाचन आयुक्त रहे डॉ. सुशील त्रिवेदी से ‘...
ऋषि-मुनियों का देश, भारत किस तरह इस हद तक हिंसक?
มุมมอง 46819 ชั่วโมงที่ผ่านมา
देश भर में जगह-जगह कहीं पुलिस हिंसा कर रही है, तो कहीं पुलिस पर हिंसा हो रही है, तो कहीं पुलिस की मौजूदगी में हिंसा हो रही है! कुल मिलाकर ऐसा लगता है कि पुलिस को हिंसा करने से तो परहेज नहीं है, लेकिन हिंसा को रोकने में बहुत सी जगहों पर उसकी दिलचस्पी नहीं रहती, और वह आम भीड़ की तरह देखती रह जाती है। भारतीय समाज में सार्वजनिक जगहों पर यह कैसा हिंसक माहौल हो गया है जिसमें कोई भी सुरक्षित नहीं हैं।...
बातचीत : राजीव गुप्ता के आंकड़े, छत्तीसगढ़ दक्षिणी राज्यों से कुल एक तिहाई पर!
มุมมอง 1.2K21 ชั่วโมงที่ผ่านมา
कॉलेजों में दाखिला घटते चल रहा है, देश भर में पहले इंजीनियरिंग कॉलेज बंद हुए, अब और भी कई तरह के कोर्स खाली पड़े हैं। छात्र-छात्राएं अधिकतर उन्हीं कोर्स के लिए जा रहे हैं जिनसे आगे किसी रोजगार की गुंजाइश हो। ऐसे में क्या किया जाना चाहिए? एक नई राष्ट्रीय नीति को लागू करने में सरकारें ओवरटाइम कर रही हैं, लेकिन क्या यह नीति काफी होगी? ऐसे बहुत से सवालों और उनके बड़े दिलचस्प जवाबों वाली यह बातचीत। ...
एक-एक गांव में सौ-सौ के कान खराब!
มุมมอง 5K21 ชั่วโมงที่ผ่านมา
छत्तीसगढ़ सरकार ने दिव्यांग कोटे से जिन्हें नौकरी मिली है, उनके बारे में पिछली भूपेश सरकार के समय से यह आदेश निकला हुआ है कि एक जनवरी 2019 के बाद नौकरी में आए हर दिव्यांग की जांच एक मेडिकल बोर्ड करेगा, क्योंकि दिव्यांगता के सर्टिफिकेट में बड़े पैमाने पर धांधली के आरोप हैं। लेकिन सरकार अपने खुद के आदेश पर आज तक अमल नहीं कर पाई है। प्रदेश में दिव्यांगों के एक बेरोजगार-संगठन का कहना है कि बड़े पैम...
50 हजार लोगों को उजाडऩे की इजाजत नहीं दी अदालत ने!
มุมมอง 1.3Kวันที่ผ่านมา
सुप्रीम कोर्ट एक बार फिर एक जनकल्याणकारी सोच के साथ सामने आया है, उसने उत्तराखंड सरकार और केन्द्र के रेल मंत्रालय से कहा है कि जब तक रेलवे जमीन पर काबिज करीब 50 हजार आबादी के पुनर्वास की योजना नहीं बनती, तब तक उन्हें हटाया नहीं जा सकता। कायदे से तो चुनाव लडऩे वाली सरकारों को यह फिक्र करनी थी, लेकिन वे लोगों को उजाडऩे पर आमादा हैं, सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा है कि पुनर्वास के बिना किसी को हटाया नह...
हिन्दुस्तान के असल दफ्तर याद दिलाते हैं ऑफिस-ऑफिस सीरियल की...
มุมมอง 377วันที่ผ่านมา
उत्तर भारत से तो ऐसे दर्जनों मामले सुनाई देते थे कि अपने को जिंदा साबित करने के लिए लोग गले में तख्तियां डालकर घूमते थे, क्योंकि किसी ने उन्हें मरा बताकर मृत्यु प्रमाण पत्र बनवा लिया था। अब राजस्थान में खुदकुशी की दिमागी हालत में पहुंचे एक व्यक्ति ने अपने को जिंदा साबित करने एक स्कूल में घुसकर प्रिंसिपल को चाकू से जख्मी कर दिया, और बच्चों को बंधक बना लिया कि इसके बाद तो पुलिस उसे जिंदा मानकर गि...
महिला से हिकारत वाले घटिया ट्रंप को चुनेंगे अमरीकी, या...
มุมมอง 350วันที่ผ่านมา
अमरीकी राष्ट्रपति चुनाव में कमला हैरिस के उम्मीदवार बनने के आसार पर हिन्दुस्तानी बड़े खुश हैं, हालांकि हमला हैरिस में हिन्दुस्तान का कोई योगदान नहीं है, और राष्ट्रपति बन जाने पर भी कमला भारत के साथ कोई रियायत नहीं कर सकतीं, क्योंकि वे रग-रग से अमरीकी हैं। लेकिन हिन्दुस्तान की खुशी से परे अमरीकी राष्ट्रपति चुनाव इस बार दो लोगों पर केन्द्रित होते दि रहा है, राज्य की अटार्नी जनरल रहते हुए मुजरिमों...
हिटलर ने भी यहूदियों की दुकानों की शिनाख्त के लिए लगवाए थे निशान...
มุมมอง 264วันที่ผ่านมา
यूपी-उत्तराखंड में कांवड़-मार्ग पर सभी ठेले-दुकान वालों को बोर्ड पर मालिक और कर्मचारियों के पूरे नाम लिखने के ताजा हुक्म पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। दो दिन पहले इसी जगह हमने सुप्रीम कोर्ट जजों से पूछा था कि यह संविधानविरोधी हुक्म देखते हुए वे चुप क्यों हैं? अब जनहित याचिकाओं पर सुनवाई के बाद अदालत ने यूपी-एमपी, और उत्तराखंड को नोटिस जारी किए हैं, और ऐसे बोर्ड लगाने पर रोक लगाई है। अदालत ...
कोयला ढोने रोकी ट्रेनें, घटा दिए स्टेशन, और क्या-क्या यह भी सुनें...
มุมมอง 6K14 วันที่ผ่านมา
कोयला ढोने रोकी ट्रेनें, घटा दिए स्टेशन, और क्या-क्या यह भी सुनें...
आत्मरक्षा के लिए योगी संविधान पर और कितने हमले करेंगे?
มุมมอง 76014 วันที่ผ่านมา
आत्मरक्षा के लिए योगी संविधान पर और कितने हमले करेंगे?
सरकारी नौकरियों की उम्मीद फिजूल, खुद को तैयार करें...
มุมมอง 56214 วันที่ผ่านมา
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बातचीत : अरपा रेडियो वाली संज्ञा टंडन से...
มุมมอง 58914 วันที่ผ่านมา
बातचीत : अरपा रेडियो वाली संज्ञा टंडन से...
कोई सीएम हो, या कोई पार्टी, अपने चहेते मुजरिम गोद में...
มุมมอง 58114 วันที่ผ่านมา
कोई सीएम हो, या कोई पार्टी, अपने चहेते मुजरिम गोद में...
समाज के सोचने और समझने की नौबत और जरूरत...
มุมมอง 1.4K14 วันที่ผ่านมา
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लोकतंत्र में अराजकता फैलाने का मुजरिम बंदूक के निशाने पर!
มุมมอง 31214 วันที่ผ่านมา
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लोग आसानी से बदल सकते हैं जरूरतमंदों की जिंदगी...
มุมมอง 42021 วันที่ผ่านมา
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देश में आटा, डाटा, दोनों की मुश्किल, ऐसे में 25 सौ पकवान!
มุมมอง 4.2K21 วันที่ผ่านมา
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नाबालिग मोहब्बत से लेकर एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर तक...
มุมมอง 51121 วันที่ผ่านมา
नाबालिग मोहब्बत से लेकर एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर तक...
सुप्रीम कोर्ट ने लिखा महिला के हक पर एक ऐतिहासिक निबंध
มุมมอง 30921 วันที่ผ่านมา
सुप्रीम कोर्ट ने लिखा महिला के हक पर एक ऐतिहासिक निबंध
भ्रष्टाचार से परे स्कूल-छात्रावास में हर किस्म के शोषण की कहानियां
มุมมอง 79221 วันที่ผ่านมา
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सडक़ों पर जानवर, और मौतें, जिम्मेदार कौन?
มุมมอง 58021 วันที่ผ่านมา
सडक़ों पर जानवर, और मौतें, जिम्मेदार कौन?
कहीं रोज गाडिय़ां धुल रहीं, कहीं प्यास से मौत...
มุมมอง 42621 วันที่ผ่านมา
कहीं रोज गाडिय़ां धुल रहीं, कहीं प्यास से मौत...
मौतें थोक में हों, तो कीमत अलग है, इक्का-दुक्का का कोई भाव नहीं...
มุมมอง 33728 วันที่ผ่านมา
मौतें थोक में हों, तो कीमत अलग है, इक्का-दुक्का का कोई भाव नहीं...
आम जनता भी ऐसे बाबा का भांडाफोड़ करने के बजाय अंधविश्वास को बढ़ावा देते हैं
You continually, and sensitively raise issues and concerns that invoke human conscience and compassion 👍
Another very urgent and sensitive topic is covered by you in a great sharp style. You have rightly joined the human tragedy to animal suffering. Cattles are suffering in the hands of men. We must be more sensitive and proactive in alleviating this problem.
Taklif ki khabr He Ram ji
It is praiseworthy that you have brought this very important issue to the forefront
बाबा भी लूटते हैं और डॉक्टर भी लूटते हैं
Haluluhiya wale aur majar wale ke liye ye andh sradha unmulan Samiti wale kibhi nahi virodh karte
बहुत सुंदर और सार्थक चर्चा। आज सुनील जी का एंग्री यंग मन रूप देख कर मज़ा आ गया। ऐसा ही विचारोत्तेजक चर्चा करा करिए। आवाज़ का ऊपर नीचे होना विचारों के वजन के हिसाब से बिलकुल होना चाहिए क्यूकी उसी से भाव भँगिमाएँ खुलती है वि चर्चा में सुनने वालों को जुड़ाव महसूस होता है। साहू जी अपने भाई को तीसरे बार चुनाव लड़ने का मध्य रास्ता अपना रहे थे।
सुनील कुमार जी आपकी निर्भीक पत्रकारिता को सलाम
Bilakul दोबारा चाँस नहीं मिलना चाहिए सही बोले सुनील जी😂😂😢
मौलिक संरक्षण और सुविधाओं के साथ कमजोर वर्गों और जातियों को पहले आधारतल पर लाने की पहल हो। आरक्षण पर और आरक्षण से ये समस्या हल नहीं हो सकता। हमें मुफ्तखोर पद्धतियों से मुक्त होकर स्वावलंबी और सक्षम, स्वस्थ सामाजिक पोषण और संरक्षण को साकार करने वाले समाज और राष्ट्र को बनाना है।
सामाजिक लोकतंत्र और आर्थिक साम्राज्य दो अलग-अलग मुद्दे हैं।
सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के परिप्रेक्ष्य में बहुत ही सार्थक चर्चा हुई। आरक्षण का लाभ प्राप्त कर लेने वाली जनरेशन के बाद की जनरेशन को आरक्षण का लाभ समाप्त कर देने के आपके उपयुक्त सुझाव पर प्रोफेसर घनाराम साहू जी का अप्रोच मुद्दे को बाईपास कर देने जैसा लगा। इसीप्रकार चुनाव में दो बार पद धारण कर लेने के बाद आरक्षित वर्ग के प्रत्याशी को पुनः अवसर नहीं देने का आपका सुझाव भी उपयुक्त था। जिसे प्रोफेसर साहब फिर से बाईपास करते हुए दिखाई दिए।
सुनील कुमार जी, चर्चा में OBC, के प्रतिनिधि से चर्चा की, जबकि SC/ST के प्रतिनिधि से चर्चा करना चाहिए, obc के लिए आर्थिक आधार है, SC/ST के लिए सामजिक आधार है,, आज भी SC को नाई- धोबी की सुविधा नहीं है, मूचारखाने पर, घोड़ी चढ़ने पर, मटके से पानी पीने पर दलितो को मारा जाता है, किसी OBC को नहीं मारा जाता, इस लिये परिचर्चा अधू रा, है,
Sunil ji your logic is better than professor Dhanaram sahu
साहू जी न्यायसम्मत विकल्प से परहेज करते हुए हास्यास्पद तर्क भी दे रहे हैं🫢 रूस की क्रांति को भी नजरंदाज कर रहे हैं🫢 सुनील जी के सुझाव न्यायोचित एवं तर्कसंगत है🫠🫠 साहू जी को जातीय आंकड़ों की जानकारी हो सकती है. मगर समाजवाद की जानकारी नहीं होने पर भी खुद को समाजवादी घोषित करते हुए.. हास्यास्पद नज़र आ रहे हैं😅😅😅 ऐसे स स्वयंभू ज्ञानियों से चर्चा का हासिल शून्य ही होगा😮😮😮 ➡❓
ये दोनों मानुवादी गुंडे छपरी हैं
पूरे भारत अंधविश्वास इतना बढ़ चुका है की पूछो ही मत कोई ब्रम्हा के सिर से पैदा होता है तो कोई नाक से कोई हाथ से कोई माथे से कोई पैर से कोई निम्बू चाटने से पता नही कहा कहा से 😂😂😂😂😂
आदरणीय सुनील भैया प्रोफेसर घणाराम साहू एवं आपके मध्य आरक्षण को लेकर के जबरदस्त बहस समाज को उचित मार्गदर्शन देगा घनश्याम शर्मा रायपुर
इस सार्थक चर्चा ने अनेक छिपे और हाशिए पर रहे बिंदुओं को छुआ है। श्री घनाराम साहू और सुनील कुमार का आभार।
साहू साब बोले कि मै obc नहीं हु समझ नहीं आया
साहू जी प्रथम श्रेणी अधिकारी हैं इसलिए उन्हें ओबीसी आरक्षण का लाभ नहीं मिलता, उनके बच्चों को भी ओबीसी आरक्षण नहीं मिला है। इस हिसाब से वे सही बोल रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रपति,राज्यपाल,प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री,सांसद,विधायक पर भी एक बार लाभ ले लेने के बाद अगली पीढ़ी/दूसरे कार्यकाल नही होना चाहिए।
अर्जुन सिंह के कार्यकाल में OBC को आर्थिक आधार पर शासकीय आरक्षण लागू नहीं हुआ था । कृपया साहू जी को दुरुस्त करें ।
10 जनवरी 1985 को क्रीमी लेयर के साथ ओबीसी को आरक्षण दिया गया था जिसे हाई कोर्ट ने स्थगित कर दिया था । हाई कोर्ट में 1992 में निराकृत हुआ था तब क्रीमी लेयर की सीमा को बढ़ाकर 2 लाख किया गया था । 1985 के आदेश के अनुसार छात्रवृति की पात्रता के लिए 25000 की वार्षिक आय सीमा निर्धारित था ।
प्रो. साहब इतना क्यो हिचकिचा रहे है😂😂
Sc st की जगह आप एक बार हरिजन आदिवासी कह रहे है ये गलत है सुनील जी..
ज्ञानवर्धक चर्चा 👏
आदरणीय सुनील कुमार जी आपकी बेबाक राय का मैं कायल हो गया, 1:19:03
आदरणीय सुनील कुमार जी आपकी बेबाक राय का मैं कायल हो गया,
Is debate me sc st ke jankar logo ko bulate to jyada sarthak hoti
Aapki charcha gyanvardhak rahti hai
प्रोफेसर घणाराम जी के सोच को सादर प्रणाम
कुछ परिवार आरक्षण क़े दम पर IAS,IPS,IRS पाँच,सात बन गये आज भी छत्तीसगढ़ क़े हजारों ST /SC परिवार आरक्षण से वंचित है,अपने गरीब,दलित भाई बहनों का ध्यान रखना चाहिये नईदिल्ली महानगर क़े लोग दूरस्थ ग्रामीण जन तक आरक्षण पंहुचने नही देते इसलिए कृमिलेयर महत्वपूर्ण है। संविधान अनुसार आरक्षण मात्र 10 वर्षों क़े लिए था आज 77 वर्ष बाद भी आप जैसे धनाढ्य लाभ चाहते है।
अच्छी चर्चा हुई है ... किन्तु प्रो. साहू जी ने कुछ तथ्य प्रस्तुत किये हैं ... उनसे मै असहमत हूँ .
ये वही घनाराम जी हैं जिनको छत्तीसगढ़ी, लरिया बोलने में शर्म आती है l
आपको ज्ञात ही होंगे छत्तीसगढ़ राज्य के अनुसुचित जाति मेहर जो छत्तीसगढ़ के पौनी पसारी व्यवस्था की पांच जाति मे से एक है जो संत शिरोमणि श्री गुरु रविदास जी के अनुयायी है और हमारे जाति का पैतृक कार्य मरे जानवरों के चमड़े निकाले व जुता चप्पल आदि बनाने का कार्य करते हैं जिसे काश्तकारी में मोची कार्य कहते हैं इसी प्रकार मेहर जाति के महिलाए के जचकी के काश्तकारी कार्य को,पइकहा, पैकहा, कहाँ जाता रहा है इसी प्रकार मेहर जाति के लोगों को गालियाँ देने/अपमानित,अस्पृश्यता के चलते -चमार , चमारी कनोजिया और इन जाति सुचक शब्दों के साथ में चमार मेहर, कनोजिया मेहर, मेहर कनोजिया,पइकहा, पैकहा मेहर, मोची मेहर, चमार कनोजिया, कनोजिया चमार का उपयोग किया जाता रहा है इसके अलावा मेहर जाति को रायपुर बिलासपुर दुर्ग संभाग संत शिरोमणि श्री गुरु रविदास जी के अनुयायी होने के कारण मेहर जाति के लोगों के दाखिला खारिज पंजी मे रोहिदास ,रैदास, रविदास लिख गया है
छत्तीसगढ़ में अनुसूचित जाति कि संख्या 108 है जिसमें 44 क्र. में रखा गया है, जिसमें क्र.14 में चमार वर्ग में सबसे अधिक है जिसमें पैतृक काम चर्मकार का , इसमें मोची अहिरवार बैरवा रामनामी नैना मागन सतनामी सुर्यवंशी रोहिदास रैदास आदि है इसके अलावा छत्तीसगढ़ सतनामी अधिक जनसंख्या जाति है उसके बाद मेहर( रविदासिया) दुसरा, फिर गाढ़ा,महार,मेहरा , मेहतर, देवर तुरी,नट, बाल्मीकि, डोम,डोरसा, जाटव आदि है लेकिन राजनीतिक रूप से अन्य जाति को कोई पुछता नहीं है, करिबन 30+ और जाति है जो अनुसूचित जाति है लेकिन सुची में शामिल नहीं है तथा मात्रात्मक, उच्चारण विभेदन के कारण जाति प्रमाण पत्र नहीं बनाया जा रहा है
ओ बी सी के अनया है
सभी श्रेणी या क्लास हैं
C.G. me nivas pramad patra banane me govt. sakhti nhi barart rhi . Sabhi bahri logo ka nivas pramad patra bana deti hai. Jo 5 - 6 saal se akhar cg me rh rhe hain.
सुनील जी आपने अच्छा मुददा उठाया है ये आज का ज्वलंत मुददा है बच्चे माँ बाप सब परेशान है
बड़े वही करें जो बच्चों को करते देखना चाहते हैं बच्चे बड़ो से ही सब कुछ सीखता है l
आपकी चिंता जायज़ है.. इस का समाधान किसी दूसरे द्वारा नहीं किया जा सकता.. अपने परिवारजनों की जिम्मेदारी खुद लेनी पडेगी.. बशर्ते खुद इसके लायक हों.. जनप्रतिनिधियों से किसी ऐसे नैतिक आचरण की अपेक्षा करना.. मूर्खतापूर्ण हो या न हो.. युक्तिसंगत कतई नही है😊😊😊
bekabu internet, digital sarkar ki marzi, 😇😇😇😇😇
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Satnami samaj teli se 2 Guna hai samjha be teli
Garibo ka koi nahi sunte hai sir😮😮😮😮
सुनील कुमार जी आप अतिथि को बोलने नही दे रहे हैं उन्हें बोलने दिजिए
Namaskar Sir! I watch almost all of your videotorials, they are very informative and knowledgeable. Analysis of issues are also very deep.
माहरा लोग अपने आप को महफिल क्षत्री बताने और लिखने लगे ,इस लिए इन्हे पिछड़ा वर्ग में रखा गया ।
मुंगेली जिला में पथरिया ब्लॉक के आसपास के 8,10 गांव कान का फर्जी सर्टिफिकेट se teacher bharti me लगे हैं कई वर्षो से
छत्तीसगढ़ में महतारी वंदन योजना भी मुफ्त की रेवड़ी ही है.. अपनी फोटो छपवाने की मंशा से, राशनकार्ड नवीनीकरण की प्रक्रिया...अनावश्यक है.. और... Public money का खुलेआम दुरूपयोग भी.. 😮😮