20 ईश्वर का अंश आत्मा? ईश्वर व आत्मा में भिन्नता क्या? मानो तो भगवान नहीं तो पत्थर?

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  • เผยแพร่เมื่อ 12 พ.ค. 2024
  • Aarsh Nyas - is organization driven by vedic scholars, which has sole purpose of making ved , upanishad and darshan understanding in easy and scientific way.
    विश्व के सभी मनुष्य दुःख को दूर कर सुख को प्राप्त करना चाहते हैं, दुःख का कारण अज्ञान है, सभी ज्ञान का मुख्य स्रोत वेद है. महर्षि मनु ने "सर्वज्ञानमयो हि स:" कह कर वेद को ही समस्त ज्ञान का मूल माना है, "वेदोsखिलो धर्ममूलम्" मनुस्मृति २-६ में वेद को धर्म का मूल उलेखित किया है, "धर्मं जिज्ञासमानानाम् प्रमाणम् परमं श्रुति: " अर्थात् जो धर्म का ज्ञान प्राप्त करना चाहते हैं उनके लिए परम प्रमाण वेद है.
    इन आर्ष ग्रंथों के सरलतम रूप में प्रचार प्रसार एवं इससे सम्बंधित कार्य में कार्यरत ब्रह्मचारी, संन्यासी आर्यवीरों के सहयोग हेतु आर्ष न्यास का गठन दिनांक 16 अगस्त 2011 को स्वामी Vishvang जी, आचार्य सत्यजित् जी, श्री सुभाष स्वामी, श्री आदित्य स्वामी एवं श्री रामगोपाल गर्ग के द्वारा अजमेर में किया गया.
    आर्ष न्यास आध्यात्मिक एवं व्यावहारिक विषयों को जिज्ञासा समाधान, उपनिषद् भाष्य, पुस्तक एवं कथा के माध्यम से प्रस्तुत करने में अग्रणी है।

ความคิดเห็น • 9

  • @shyamnarayantiwari2068
    @shyamnarayantiwari2068 16 วันที่ผ่านมา +1

    ओ३म ।परम आदरणीय मुनि जी,सादर प्रणाम।

  • @rajinderchopra4425
    @rajinderchopra4425 15 วันที่ผ่านมา

    🕉🕉🕉🙏🙏🙏

  • @AashishNB975
    @AashishNB975 15 วันที่ผ่านมา

    ओ३म ओ३म ओ३म

  • @trivenipadhiar571
    @trivenipadhiar571 16 วันที่ผ่านมา

    नमस्ते मुनि जी

  • @narenderrustagi9809
    @narenderrustagi9809 16 วันที่ผ่านมา

    ॐ, सादर नमन जी।
    🙏🙏

  • @rameshsharma3382
    @rameshsharma3382 16 วันที่ผ่านมา

    🌸🍁🌱🙏🙏🙏

  • @AshokSharma-jn9sz
    @AshokSharma-jn9sz 15 วันที่ผ่านมา

    प्रतिक साधन है साध्य नही मुर्ति ध्यान के मनोविज्ञान मे धारणा के व्यायाम का साधन होता है जिसे आधुनिक आर्यसमाजी समझा नही चहाते ।महाॠषि दयानन्द जी फोटो देख कर क्या भाव मन मे उत्पन होता है वही भाव विष्णु शंकर की प्रतिमा देखकर भक्त अनुभव करया है।

    • @mukesharyakanad549
      @mukesharyakanad549 15 วันที่ผ่านมา

      साकार पदार्थो की मूर्ति और चित्र तो बना सकते हैं उन्हें देखकर के उनके भाव भी मन में पैदा कर सकते हैं किंतु जो सर्व व्यापक ईश्वर है उसका चित्र या मूर्ति कैसे बनाएंगे। आप इन सभी वीडियो को निष्पक्ष जिज्ञासु भाव से सुनेंगे आपके सारे संशय निवृत हो जाएंगे क्योंकि मूर्ति या चित्र या महापुरुषों के शरीर तो विभिन्न घटकों से मिलकर बने हैं और जो दो या दो से अधिक पदार्थ से मिलकर बनते हैं वह अनित्य होते हैं ऐसा इसी वीडियो में भी मुनि जी ने समझाया है ईश्वर निरवयव पदार्थ है। इसलिए ही वह नित्य हैं। सामान्य रूप से आम हिंदू आप भी विष्णु और शंकर जो सच्चिदानंद स्वरूप ईश्वर के नाम है और इस नाम के जो महापुरुष हुए हैं उनमें भेद नहीं कर पा रहे हैं इसलिए आप संशय में है। कृपया चिंतन करें।

    • @Mansukh1962
      @Mansukh1962 13 วันที่ผ่านมา

      मूर्ति पूजा और इश्वर पूजा (उपासना) मे बहुत फर्क है 🙏🙏