22 निराकार ईश्वर का ध्यान? ईश्वर व आत्मा की चेतनता में भेद? सबका कारण ईश्वर अकर्ता? - मुनि सत्यजित्

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  • เผยแพร่เมื่อ 14 พ.ค. 2024
  • Aarsh Nyas - is organization driven by vedic scholars, which has sole purpose of making ved , upanishad and darshan understanding in easy and scientific way.
    विश्व के सभी मनुष्य दुःख को दूर कर सुख को प्राप्त करना चाहते हैं, दुःख का कारण अज्ञान है, सभी ज्ञान का मुख्य स्रोत वेद है. महर्षि मनु ने "सर्वज्ञानमयो हि स:" कह कर वेद को ही समस्त ज्ञान का मूल माना है, "वेदोsखिलो धर्ममूलम्" मनुस्मृति २-६ में वेद को धर्म का मूल उलेखित किया है, "धर्मं जिज्ञासमानानाम् प्रमाणम् परमं श्रुति: " अर्थात् जो धर्म का ज्ञान प्राप्त करना चाहते हैं उनके लिए परम प्रमाण वेद है.
    इन आर्ष ग्रंथों के सरलतम रूप में प्रचार प्रसार एवं इससे सम्बंधित कार्य में कार्यरत ब्रह्मचारी, संन्यासी आर्यवीरों के सहयोग हेतु आर्ष न्यास का गठन दिनांक 16 अगस्त 2011 को स्वामी Vishvang जी, आचार्य सत्यजित् जी, श्री सुभाष स्वामी, श्री आदित्य स्वामी एवं श्री रामगोपाल गर्ग के द्वारा अजमेर में किया गया.
    आर्ष न्यास आध्यात्मिक एवं व्यावहारिक विषयों को जिज्ञासा समाधान, उपनिषद् भाष्य, पुस्तक एवं कथा के माध्यम से प्रस्तुत करने में अग्रणी है।

ความคิดเห็น • 9

  • @trivenipadhiar571
    @trivenipadhiar571 19 วันที่ผ่านมา

    નમસ્તે મુનિ શ્રી

  • @kalaahlawat743
    @kalaahlawat743 19 วันที่ผ่านมา

    🙏🙏🙏

  • @ushapadhy9947
    @ushapadhy9947 18 วันที่ผ่านมา

    Sadar Namaste Muniji

  • @narenderrustagi9809
    @narenderrustagi9809 19 วันที่ผ่านมา

    हम कितना भी शास्त्रों को पढ़ ले या सुन ले, हमें इतना ईश्वरीय ज्ञान, बैठे बैठे एक जगह, मुनि जी की अनुकंपा से ही मिल पा रहा है।
    ध्यान के स्वरूप, ईश्वरीय कर्मफल व्यवस्था, ईश्वर और आत्मा में ज्ञान का भेद तथा सृष्टि कर्ता होते हुए भी अकर्ता- ईश्वर के बारे में जो स्पष्टता मुनि जी ने हमें प्रदान की,उसके लिए उनका अतिशय धन्यवाद एवं आभार।
    🙏🙏

    • @Aarshnyas
      @Aarshnyas  18 วันที่ผ่านมา

      🙏

  • @sadstts5058
    @sadstts5058 17 วันที่ผ่านมา

    Kuch log ye bhi kahte ki apni sans lene our chhodne pe dhyan kare

    • @Aarshnyas
      @Aarshnyas  13 วันที่ผ่านมา

      🙏
      हाँ, उसे श्वास पर मन को एकाग्र करना कहेंगे, वह प्रत्यक्ष अनुभव है, वह ध्यान = चिंतन नहीं कहलायेगा।

  • @sadstts5058
    @sadstts5058 17 วันที่ผ่านมา

    तो क्या परमात्मा को इस तरह से कहानी की तरह हम अपने ध्यान में चलाएं की उसकी यह गुण है तो इस प्रकार तो बहुत सारा एक लंबा कहानी चलता रहेगा मस्तिक में तो क्या वह ध्यान कहलाएगा

    • @Aarshnyas
      @Aarshnyas  13 วันที่ผ่านมา

      🙏
      हाँ, ईश्वर के गुणों का चिंतन ध्यान है। इसे कहानी कह कर निंदित समझना उचित नहीं।