मदन जी की बातचीत बहुत समृद्ध करने वाली है l शब्द और अर्थ के संबंध को लेकर, पद और पदार्थ सम्बन्ध को लेकर वे जो कह रहे हैं, वह बहुत मननीय है। जहाँ तक 'समास' पत्रिका में छपने वाले लेखकों को लेकर अंजुम शर्मा ने यह बात कही है कि उसमें केवल भोपाल स्कूल के लेखक ही छपते हैं तो मैं यह सूचित कर दूँ कि 'समास' में समाज विज्ञानी सुरेश शर्मा, दार्शनिक नवज्योति सिंह, इतिहासकार धरमपाल, रंग निर्देशक कावालम नारायण पणिक्कर, उपन्यासकार शम्सुरहमान फ़ारुकी और खालिद जावेद जैसे विभिन्न अनुशासनों के लेखकों से लम्बी बातचीत और इसके अलावा अनुराधा महापात्र , शंखो घोष, जय गोस्वामी, प्रवासिनी महाकुद, नीलिम कुमार, विनेश अंताणी , मणि कौल, महेश एलकुंचवार, हरप्रसाद दास, अमित दत्ता, खुर्शीद अकरम, आद्य रंगाचार्य, अंबिकादत्त चतुर्वेदी, अल्पना मिश्र, अभय कुमार दुबे, ओम शर्मा, कुमार शहानी, अनामिका अनु, सृंजना शर्मा, आशुतोष पोद्दार, डॉ. राजकुमार, स्टीवन ग्रीको, माधव हाड़ा आदि तमाम भारतीय भाषाओं का लेखन प्रकाशित हुआ है। क्या ये भोपाल स्कूल के लेखक हैं? यह मैंने (बातचीत के ज़िक्र के अलावा)केवल दो तीन अंकों से जानकारी दी है। अब यह श्रोता और पाठक ही कल्पना करें कि 25 अंकों में कितने विविध किस्म के लेखक होंगे।
मैं 1 माह से आप की chennal se जुड़ा हूं। अब तक 10 से ज्यादा कार्यक्रम सुन चुका हूं। सभी एक से बढ़ा एक है। शक्षताकार लेनी की आप की रीत सच्ची लगती है, पर जो बिनहिंदी भाषी है वे सभी हिंदी साहत्या की गतिविधि अनजान होते है इस लिए थोड़ा अधूरापन महसूस होता है। एक अनुरोध है की जिनका आप शक्षतकार लेने जा रहे हो, us कार्यक्रम से पहले 15 मिनट का या कार्यक्रम के बाद उनका पूरा परिचय एक vidio बनाए। जिसमे उनकी सभी कृतियां और उससे जुड़े विवाद बताए।
भोपाल स्कूल में विनोद कुमार शुक्ल, आनंद हर्षुल, रमेश चंद्र शाह, शिरीष ढोबले, ज्योत्स्ना मिलन, कृष्ण बलदेव वैद, जितेंद्र कुमार,उदयन वाजपेई, ध्रुव शुक्ल,मदन सोनी आस्तिक वाजपेई , तेजी ग्रोवर, प्रभात त्रिपाठी आदि आदि । सागर से भोपाल ताल तक।
Listening to Soni ji was an experience. He is a man of multifaceted talent.
Wahhhh Wahhhh very beautiful...
मदन जी की बातचीत बहुत समृद्ध करने वाली है l शब्द और अर्थ के संबंध को लेकर, पद और पदार्थ सम्बन्ध को लेकर वे जो कह रहे हैं, वह बहुत मननीय है।
जहाँ तक 'समास' पत्रिका में छपने वाले लेखकों को लेकर अंजुम शर्मा ने यह बात कही है कि उसमें केवल भोपाल स्कूल के लेखक ही छपते हैं तो मैं यह सूचित कर दूँ कि 'समास' में समाज विज्ञानी सुरेश शर्मा, दार्शनिक नवज्योति सिंह, इतिहासकार धरमपाल, रंग निर्देशक कावालम नारायण पणिक्कर, उपन्यासकार शम्सुरहमान फ़ारुकी और खालिद जावेद जैसे विभिन्न अनुशासनों के लेखकों से लम्बी बातचीत और इसके अलावा अनुराधा महापात्र , शंखो घोष, जय गोस्वामी, प्रवासिनी महाकुद, नीलिम कुमार, विनेश अंताणी , मणि कौल, महेश एलकुंचवार, हरप्रसाद दास, अमित दत्ता, खुर्शीद अकरम, आद्य रंगाचार्य, अंबिकादत्त चतुर्वेदी, अल्पना मिश्र, अभय कुमार दुबे, ओम शर्मा, कुमार शहानी, अनामिका अनु, सृंजना शर्मा, आशुतोष पोद्दार, डॉ. राजकुमार, स्टीवन ग्रीको, माधव हाड़ा आदि तमाम भारतीय भाषाओं का लेखन प्रकाशित हुआ है। क्या ये भोपाल स्कूल के लेखक हैं? यह मैंने (बातचीत के ज़िक्र के अलावा)केवल दो तीन अंकों से जानकारी दी है। अब यह श्रोता और पाठक ही कल्पना करें कि 25 अंकों में कितने विविध किस्म के लेखक होंगे।
सर आपके प्रयास बहुत ही सराहनीय है शुक्रवार का इस एपिसोड के लिए इंतजार रहता है।
बहुत अच्छी चर्चा. बधाई मदनजी और अंजुमजी ।😮
Very good
Good one
मैं 1 माह से आप की chennal se जुड़ा हूं। अब तक 10 से ज्यादा कार्यक्रम सुन चुका हूं। सभी एक से बढ़ा एक है। शक्षताकार लेनी की आप की रीत सच्ची लगती है, पर जो बिनहिंदी भाषी है वे सभी हिंदी साहत्या की गतिविधि अनजान होते है इस लिए थोड़ा अधूरापन महसूस होता है। एक अनुरोध है की जिनका आप शक्षतकार लेने जा रहे हो, us कार्यक्रम से पहले 15 मिनट का या कार्यक्रम के बाद उनका पूरा परिचय एक vidio बनाए। जिसमे उनकी सभी कृतियां और उससे जुड़े विवाद बताए।
Thanks.
V good
भोपाल स्कूल में विनोद कुमार शुक्ल, आनंद हर्षुल, रमेश चंद्र शाह, शिरीष ढोबले, ज्योत्स्ना मिलन, कृष्ण बलदेव वैद, जितेंद्र कुमार,उदयन वाजपेई, ध्रुव शुक्ल,मदन सोनी आस्तिक वाजपेई , तेजी ग्रोवर, प्रभात त्रिपाठी आदि आदि । सागर से भोपाल ताल तक।
👍
वंदना टेटे जी के साथ संगत करने का प्रयास भी कीजिए अंजुम जी...
बहुत सुघड़ बातचीत !
Goof
पुस्तक के रूप में निकालने की कृपा करेंगे।२५-२५ संगतों के खंड निकल सकते हैं।हम प्री-पेमेंट करेंगे 🙏
जल्द अनुवाद का अर्थ ज़रूरी नहीं कि अच्छा अनुवाद भी हो साक्षात्कारकर्ता ने परिचय में व्यंजना का प्रयोग किया है।
शमशेर बहादुर सिंह पर रंजना अरगड़े मैम की किताब है।
शास्त्रीय संगीत में नवाचार कहाँ है?
बालों का style बहुत बिंदास