Sangat Ep.80 | Nirmala Putul on Santhal Tribe, Hindi Poetry, Women Issues & Jharkhand | Anjum Sharma
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- เผยแพร่เมื่อ 18 ก.ย. 2024
- हिंदी साहित्य-संस्कृति-संसार के व्यक्तित्वों के वीडियो साक्षात्कार से जुड़ी सीरीज़ ‘संगत’ के एपिसोड 80 में मिलिए कवि निर्मला पुतुल से।
Sangat Ep.80 | Nirmala Putul on Santhal Tribe, Hindi Poetry, Women Issues & Jharkhand | Anjum Sharma
निर्मला पुतुल का जन्म 6 मार्च 1972 को झारखंड के दुमका ज़िले के दुधनी कुरुवा ग्राम में एक ग़रीब आदिवासी परिवार में हुआ। शिक्षा-दीक्षा सामान्य रही। आसानी से आजीविका पा सकने के लिए नर्सिंग का कोर्स किया। बाद में इग्नू से राजनीतिशास्त्र में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। दो दशकों से अधिक समय से आदिवासी महिलाओं के विस्थापन, पलायन, उत्पीड़न, लैंगिक भेदभाव, मानवाधिकार, संपत्ति का अधिकार जैसे विषयों पर व्यक्तिगत, सामूहिक और संस्थागत स्तर पर सक्रिय रही हैं। इसके साथ ही ग्रामीण, पिछड़ी, दलित, आदिवासी और आदिम जनजाति की महिलाओं के बीच शिक्षा एवं जागरूकता के प्रसार के लिए विशेष प्रयासरत रही हैं। इस उद्देश्यों की पूर्ति के लिए प्रत्यक्ष राजनीति में उतर आने से भी परहेज़ नहीं किया और अपने गृह पंचायत से मुखिया पद के लिए चुनी गईं।
कविता-लेखन की शुरुआत मातृभाषा संताली में की थी। फिर हिंदी में भी लिखने लगी। अपनी कविताओं के विद्रोही स्वर और अपने समाज की यथार्थपरक अभिव्यक्ति के लिए वृहत रूप से चिह्नित और प्रशंसित हुईं। उनका पहला कविता संग्रह ‘अपने घर की तलाश में’ संताली-हिंदी द्विभाषिक संग्रह के रूप में 2004 में प्रकाशित हुआ। हिंदी के वृहत चर्चा-प्रदेश में उनका प्रवेश ‘नगाड़े की तरह बजते शब्द’ (2005) कविता-संग्रह के साथ हुआ। इसे पहली बार जंगल के बाहर शहर में किसी आदिवासी स्त्री द्वारा कविता के स्वर में अपने अस्तित्व का नगाड़ा बजाने की घटना की तरह देखा गया। एक आदिवासी स्त्री द्वारा उसके ‘स्व’ की तलाश, पुरुष व्यवस्था और पितृसत्तात्मकता के प्रति विद्रोह, आदिवासी समाज और आदिवासी स्त्री की वेदना, आदिवासी समाज व्यवस्था के गुण-दोष, तथाकथित सभ्य शहरी समाज पर व्यंग्य, मुक्ति की कामना जैसे वृहत विमर्श बिंदुओं में उनकी कविताओं का पाठ हुआ। उनका तीसरा कविता-संग्रह ‘बेघर सपने’ 2014 में प्रकाशित हुआ।
उनकी कविताओं का अनुवाद विभिन्न भारतीय भाषाओँ में हुआ है। उनकी कविताएँ पाठ्य-पुस्तकों में भी शामिल की गई हैं। विभिन्न विश्वविद्यालयों में उनकी कविताओं पर शोध-प्रबंध लिखे गए हैं। उनके जीवन पर आधारित फ़िल्म ‘बुरू-गारा’ को वर्ष 2010 में राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार प्राप्त हुआ।
वह साहित्य अकादेमी के ‘साहित्य सम्मान’ भारतीय भाषा परिषद के राष्ट्रीय युवा सम्मान, बनारसी प्रसाद भोजपुरी सम्मान सहित दर्जनाधिक पुरस्कारों और सम्मानों से नवाज़ी गई हैं। इसके अतिरिक्त, उन्हें विभिन्न संस्थानों से फ़ेलोशिप प्राप्त हुए हैं।
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#Hindwi #Sangat #Interview
आदिवासी समाज की स्त्रियों की स्थिति भारत के अन्य समाज की स्त्रियों की तरह ही अधिकार वंचिता की है,ये पहली बार जाना। वर्ना अभी तक ये समझ थी कि आदिवासी समाज में स्त्री-पुरुष में भेदभाव नहीं।
बड़ी गंभीर बातचीत! बहुत अच्छी लगी।
जोहार निर्मला दी🙏🙏
मनुष्य समाज में सबसे विश्वसनीय,विकसित सोच,वैज्ञानिक समझ रखने वाला समुदाय है जो जीवन शैली से, आचरण से,प्रकृति के साथ गहरे और वैज्ञानिक रिश्ते से, औरतों के प्रति व्यवहार से बहुत आगे हैं तथाकथित सभ्य समाज यह नहीं समझ सकता।
बहुत अच्छी बातचीत रही यह। दिल से आभार
Kavita bahut khoobsurat thi
अत्यंत बुद्धिमान और सुलझी हुई लेखिका और समाज के प्रति प्रतिबद्ध महिला । निर्मला जी को प्रणाम ।
बहुत अच्छी बातचीत। कवि दिनेश कुशवाह से भी बातचीत करनी चाहिए
संगत के माध्यम से आदिवासी समाज के विषय में जाना,उनकी समस्याएं समझी ।धन्यवाद अंबुज जी आपके प्रश्न हमेशा की तरह सटीक एवं साक्षात्कार सुन्दर रहा...
this is perhaps the most underrated youtube channel/ initiative!
मैं, इस दर्द को समझ सकता हूं
क्यों कि मैं भी दुमका जिला का हुं , आज स्वतंत्रत भारत में आज भी आदिवासी और दलित को सताया जाता हैं।
सुंदर❤
महिलाओं को आर्थिक रूप से मजबूत होना वाकई बहुत आवश्यक है।🎉🎉 आपको सुनकर बहुत प्रेरणा मिली!
बहुत बढ़िया और सहज स्वाभाविक साक्षात्कार रहा। हृदय से बधाई।
जल जंगल जमीन और पहाड़ों के सच्चे पहरेदारों को नमन
बहुत अच्छा विमर्श हुआ। बधाई निर्मला बहन। 🎉
बढ़िया ❤
आदिवासियों का विकास हो पर उनकी मूल संस्कृति बची रहे, उनकी परंपराऍं बची रहें, वह शिक्षित हो, देश के बड़े बड़े पदों तक पहुंचें।
Accha laga Nirmalaji ke Vichalro ko jaankar.
Dhanyawad Anjumji diverse community ke lekhak ka interview karne ke liye.
Suggestion:
- Baat Cheet mey thoda Vinod-haasya bhi laayenge to sone pe suhaga sa lagega.
- Suruyaat thoda halki baat cheet se karen, seedhe taarkik question interviewee logo ko shaayaad aur baadh oaayenge.
Thank you so much team Hindwi for bringing an Adivasi women poet. #Nirmala Ji ko Johar.😇
Bahut badhiya bhaiya🙏 jancita kerketta ji ko bhi bulaiye ek bar...
मैंने इनकी बहुत कविता पढ़ी है....
बहुत सुंदर। एक सधे हुए वक्ता के रूप में कम से कम में भी बहुत कुछ समा गया है। हार्दिक शुभकामनाएं🎉
अच्छा लगा निर्मला कि तुमने अशोक सिंह के योगदान को स्वीकार करके अपनी कृतज्ञता जतायी। बधाई , तुमने बातचीत में जवाब का स्तर ठीक-ठाक बनाकर रखा।
कितनी सटीक बातचीत 🙏
प्रिय कवयित्री को जोहार।
सम्भव हो तो वंदना टेटे को बुलाइये।
Bahut badhiya program
#Comming_soon_Jasinta_kerketa
बहुत सुन्दर साक्षात्कार 🙏
❤
शानदार साक्षात्कार
Bahut hi nischhal aur bebaak Nirmala ji
अच्छा साक्षात्कार।
हिंदवी ने निर्मला जी को आमंत्रित करने में विलंब किया।
I want to assure everyone that Adivasis are more civilized than we city people.
I have spent more than two years in Dumka and Devaghar as a child and a teenager.
स्वागत निर्मला
स्वागत निर्मला जी
संगत से अनुरोध है कि कवयित्री जेसिंता केरकेट्टा को भी आमंत्रित करे 3:26 🙏
निर्मला दीदी ❤🙏
The market will not leave the Adivasis alone.
It is natural for people to be drawn towards glitter. Even if there are only a few people like Nirmala Ji, the basic values of their civilization shall survive.
क्या जानते हो तुम....? झकझोर दिया.
अंजुम भाई को तो जोहार बोलने में भी शर्म सी महसूस हो रही है फिर आदिवासी साहित्य पर जो साक्षात्कार होगा वह एक समाचार चैनल वालों की तरह का ही होगा!!
जैसा इन्होंने ग्रामीण समाज के लेखकों का साक्षात्कार किया?
साक्षात्कार उत्तम है।कोई कमी नहीं है। अंजुम शर्मा ने पहले ही अभिवादन किया तो पुनः उसकी कोई आवश्यकता कहां है।
शानदार❤🙏
स्वागत निर्मला
स्वागत निर्मला