कामायनी और भारत की अस्मिता राधावल्लभ त्रिपाठी की विजय बहादुर सिंह से बातचीत। Kamayani

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  • เผยแพร่เมื่อ 24 ธ.ค. 2024

ความคิดเห็น • 41

  • @sandhyatikekar3049
    @sandhyatikekar3049 5 วันที่ผ่านมา +1

    इस चर्चा से कामायनी को नए आलोक में समझने का अवसर मिला । दोनों आचार्यों को नमन और साधुवाद ।

  • @anythinguwantadityaadybalo5600
    @anythinguwantadityaadybalo5600 16 วันที่ผ่านมา

    दोनों विद्वानों को सादर प्रणाम। बहुत ही सुन्दर विमर्श।

  • @praveenpandya79
    @praveenpandya79 11 หลายเดือนก่อน +3

    विजयबहादुर सिंह जी भारतीय मेधा और प्रज्ञा के आचार्य हैं। जितनी गहनता से आचार्य ने प्रसाद और कामायनी को समझाया है, वह दुर्लभ है। वंदन है इस तरह के श्रद्धेय आचार्य को।

  • @RinkiChandra-y7r
    @RinkiChandra-y7r 11 หลายเดือนก่อน +2

    AAP dono ki baatchit kamayani ki samiksha bahut bahut sarahniy hai.🙏🙏🙏🙏🙏

  • @JITENDRAKUMAR-ok1vo
    @JITENDRAKUMAR-ok1vo 2 หลายเดือนก่อน

    कामायनी पर विमर्श से स्रोता बहुत समृद्ध हुए।उसे समझने की नयी दृष्टि मिली।

  • @veenasharma436
    @veenasharma436 2 หลายเดือนก่อน +2

    मेरी दृष्टि में भी प्रसाद ही प्रथम राष्ट्र कवि हैं।❤❤

  • @sumitaojha1883
    @sumitaojha1883 ปีที่แล้ว +2

    बहुत ही सारगर्भित और महत्वपूर्ण चर्चा। कामायनी के प्रति दृष्टि को नया विस्तार मिला। आप दोनों विद्वजनों को मेरा नमस्कार है।

  • @professorraviranjan7574
    @professorraviranjan7574 2 ปีที่แล้ว +2

    'कामायनी' के इस बहुत ही महत्त्वपूर्ण विश्लेषण के लिए आदरणीय विजयबहादुर सिंह जी को साधुवाद।

  • @veenasharma436
    @veenasharma436 2 หลายเดือนก่อน +1

    बहुत धन्यवाद सिंह सर जी👏👏

  • @neelamrishi9205
    @neelamrishi9205 11 หลายเดือนก่อน +2

    बहुत सारगर्भित एवं नवीन दृष्टि से किया गया आकलन।

  • @shashiprakash5693
    @shashiprakash5693 4 ปีที่แล้ว +3

    बहुत महान विमर्श।कामायनी कुव्याख्या की शिकार हुई।भारत के चित्त की और चेतना की व्याख्या है यह कृति। विजय बहादुर सिंह हमारी हिंदी जाति के अवचेतना के श्रेष्ठ प्रवक्ता और आचार्य है।यह व्यख्यान मैं हिंदी के प्रत्येक अध्यापकों से सुनने का प्रस्ताव करता हूँ।

  • @Chandrabhan-bn6qh
    @Chandrabhan-bn6qh 2 หลายเดือนก่อน

    बहुत सुन्दर। दोनों विद्वानों को सादर प्रणाम🎉

  • @monishagaud1763
    @monishagaud1763 4 หลายเดือนก่อน +1

    बहुत कुछ जानने और सीखने को मिला। एक नए दृष्टिकोण और साहित्य के बहुत से पहलु खोलने के लिए धन्यवाद ✨

  • @Dp30-e1q
    @Dp30-e1q 4 หลายเดือนก่อน +2

    बहुत ज्ञानवर्धक चर्चा रही। चर्चा के आरम्भ में गाँधी जी का कथन कि उन्हें अँगरेज़ों से नहीं अँगरेज़ियत से नफ़रत है, गम्भीरतापूर्वक विचारणीय है। आज तो हर क्षेत्र में अँगरेज़ियत ही हावी है। सॅर की व्याख्या मौलिक है।

    • @neeharikasinha5260
      @neeharikasinha5260 3 วันที่ผ่านมา

      अंग्रेजियत और कोलोनियल हैंग‌‌‌ ओवर दिख ही जाता है।

  • @ramajiray8164
    @ramajiray8164 หลายเดือนก่อน

    Dhnebad

  • @parvatikumari-r4p
    @parvatikumari-r4p 2 หลายเดือนก่อน

    🙏🙏🙏👍👍

  • @vishwanathmishra8524
    @vishwanathmishra8524 ปีที่แล้ว +1

    कामायनी पर बहुत सुंदर विश्लेषण सबसे अलग विमर्श

  • @veenasharma436
    @veenasharma436 2 หลายเดือนก่อน +2

    प्रसाद का नाट्य सृजन बिल्कुल नया आरंभ था।

  • @jitendraKumar-cw2yv
    @jitendraKumar-cw2yv 3 หลายเดือนก่อน

    कामायनी को समझने के लिए सुंदर विमर्श

  • @Graceofgod01
    @Graceofgod01 ปีที่แล้ว +3

    Kamayani , aansoo by jayashankar prasaad ji , is kept in my possessions since my childhood..

  • @raghuchy6157
    @raghuchy6157 ปีที่แล้ว +1

    अद्भुत चर्चा, बहुत बहुत साधुवाद !

  • @mkt452
    @mkt452 3 หลายเดือนก่อน

    kamayani ko is tarah se dekhana ....adwitya hai..... bahut sundar sir

  • @mindrechargerwithghanshyam3409
    @mindrechargerwithghanshyam3409 2 หลายเดือนก่อน +1

    कामायनी मानवीय सभ्यता का मार्गदर्शन

  • @abhishekkumarmishra9902
    @abhishekkumarmishra9902 ปีที่แล้ว +1

    बहुत ही सुंदर विश्लेषण I

  • @veenasharma436
    @veenasharma436 2 หลายเดือนก่อน +2

    प्रसाद के काव्य का मूल स्वर वेदांत है।

  • @suryanathsingh8098
    @suryanathsingh8098 4 ปีที่แล้ว +1

    बहुत उपयोगी विमर्श।

  • @lucky-lu6vu
    @lucky-lu6vu 4 ปีที่แล้ว +1

    बहुत ही ज्ञानवर्धक 👌

  • @ranjanaargade2008
    @ranjanaargade2008 4 ปีที่แล้ว +2

    कामायनी के स्त्री पक्ष को बहुत अच्छे से उठाया।

  • @atheistnothing5039
    @atheistnothing5039 11 หลายเดือนก่อน

    राधा ❤❤❤

  • @manojbhartigupta6555
    @manojbhartigupta6555 11 หลายเดือนก่อน

    👍❤️👍

  • @ranjanaargade2008
    @ranjanaargade2008 4 ปีที่แล้ว

    अच्छा विमर्श।

  • @atheistnothing5039
    @atheistnothing5039 11 หลายเดือนก่อน

    विजय ❤❤❤❤

  • @kirnakhuriyal195
    @kirnakhuriyal195 10 หลายเดือนก่อน

    ❤❤❤

  • @hindiekkhoj7800
    @hindiekkhoj7800 10 หลายเดือนก่อน +1

    प्रोफेसर विजय बहादुर सिंह कामायनी की व्याख्या को भावुक व्याख्या की ओर ले गए हैं, दूसरे शब्दों में कहें तो यह अवसरवादी व्याख्या है। जिस चेतना को प्रोफेसर जी भारतीय चेतना कह रहे हैं वास्तव में वह ब्राह्मणवादी चेतना है जो अभिजात्य की अभिव्यक्ति है। लोक का ज्ञान होना और उसका रचना में प्रयोग होना दोनों बातों में अंतर है। 'नारी तुम केवल श्रद्धा हो विश्वास-रजत-नग पगतल में / पीयूष-स्रोत-सी बहा करो /जीवन के सुंदर समतल में'
    'नारी केवल श्रद्धा हो' केवल श्रद्धा ही क्यों?
    'नग पगतल में' नारी 'पगतल' में ही क्यों रहेगी।

  • @vinodshankarjha3059
    @vinodshankarjha3059 2 หลายเดือนก่อน

    Oral lecture on such serious topics becomes boring with somany irrelevant examples .we require to the point discussion on the topic. With the help of well prepared written notes. As we teach in class room. Pl.dont take other wise

  • @bashishthanarayan4822
    @bashishthanarayan4822 3 หลายเดือนก่อน

    गांधी कह रहे हैं मुझे अंग्रेजियत से नफरत है एकदम सफेद झूठ है । खुद तो लंगोटी पहना लेकिन अंग्रेजियत को ही बढ़ावा दिया ।

  • @sachinpandey5983
    @sachinpandey5983 3 หลายเดือนก่อน

    ❤❤❤❤❤

  • @baljeetkanaujiya809
    @baljeetkanaujiya809 3 หลายเดือนก่อน

    ❤❤❤