Ati uttam acharya jii apke vicharo ko sunkar main andhkar se prakash ki taraf dhere dhere bad raha hoon bahut bahut dhanyvad acharya jii namaste acharya jii
वेदों के अंदर पूर्ण ब्रह्म परमात्मा के स्वरूप का वर्णन है ही नहीं तो परमात्मा के स्वरूप को वेदों में कैसे जान लिया। जिसे परमात्मा का स्वरूप जान रहे हो वह तो माया है। यजुर्वेद का मंत्र है संभूति असंभूति अर्थात साकार निराकार माया है।
@@HarshGupta-z1g वेदों में केवल निराकार साकार का ज्ञान है और उसे ही महर्षि दयानंद ने माना है। निराकार साकार सृष्टि के अंदर का ज्ञान है। सृष्टि के बाहर का ज्ञान वेदों में नहीं है और पूर्ण ब्रह्म सच्चिदानंद सृष्टि से बाहर है सृष्टि के अंदर पूर्ण ब्रह्म सच्चिदानंद नहीं है इस बात की साक्षी वेद भी दे रहे हैं। वेद ज्ञान:-जो पांच तत्व तीन गुण प्रकृति जड़ संसार से अलग है उसे ही जानो उसे ही मानो उसे ही ग्रहण करो उसकी जगह दूसरे को नहीं। यह वेद ज्ञान है। लेकिन सृष्टि से बाहर है क्या उसका वेदों को पता नहीं है। वेद थके ब्रह्मा थके थक गए शेष महेश। गीता को जहां ग़म नहीं वह सद्गुरु का देश।। निष्कलंक ब्रह्म वाणी।। ब्रह्मांड एक नहीं तीनहै क्षर परात अक्षर अक्षर परात पर: क्षर ब्रह्मांड:-14 लोक।भू लोक भव लोक स्वर्ग लोक मेहर लोक जन लोक तप लोक सतलोक। यह ऊपर के लोक हैं। अधोगति नीचे के लोक:-अतल वितल सुतल रसा तलातल महातल रसातल पाताल। इसके ऊपर अष्ट आवरण सुनमहा सन आदिनारायण मोह तत्व। यह संसार क्षर ब्रह्मांड नाशवान की मंजिल है। जिसमें चार वेद छह शास्त्र हैं। निराकार साकार सर्व व्यापक है। लेकिन निराकार साकार परमात्मा नहीं है इस बात की पुष्टि यजुर्वेद का मंत्र कर रहा है। यजुर्वेद का मंत्र संभूति असंभूति अर्थात साकार निराकार माया है। अब यहां प्रसन्न बनता है पूर्ण ब्रह्म सच्चिदानंद कहां है कौन है कैसा है। वह वेदों से नहीं मिलेगा क्योंकि वेद उसका सब्जेक्ट नहीं है। वेद केवल सृष्टि का सब्जेक्टहै क्षर नाशवान ब्रह्मांड तक कावेद में ज्ञानहै। उससे आगे वेद नहीं जाते। उससे आगे दो ब्रह्मांड और हैं। अक्षर और अक्षरातीत। इन दो अक्षरा अक्षरा तीत ब्रह्मांड केसाक्षी प्रमाण भागवत के अंदर हैं जिन्हें पूर्ण ब्रह्म सच्चिदानंद के आवेश अवतार श्री विजियाभिनंद बुद्धनिष्कलंक के अलावा दूसरा कोई नहीं खोल सकता। अब कलयुग बुद्ध शाखा में पूर्ण ब्रह्म सच्चिदानंद के आवेश अवतार श्री विजियाभिनंद बुद्धनिष्कलंक ने अपनी जागृत बुद्धि से भागवत के प्रमाण से एक पूर्ण ब्रह्म सच्चिदानंद अक्षर और अक्षरातीत को जाहिरकरके अखंड परमधाम की पहचान बताई है इस लिए कलि चारों युगों में श्रेष्ठ है उसे ही ग्रहण करो उसकी जगह दूसरे को नहीं।
@@HarshGupta-z1g परमात्मा के गुण कर्म स्वभाव। वह सच्चिदानंद स्वरुप है। सत्य है चेतन है और आनंद स्वरूप है यह परमात्मा के गुण कम स्वभाव लक्षण है। और संसार के लक्षण:-असतय, जड़ और दुख रूप है।
परमात्मा ने संसार क्यों बनाया है। स्वर्ग लोक में देवता भी मृत्यु लोक संसार में मनुष्य तन पानी की प्रार्थना करते हैं किस लिए करते हैं कि हमें मनुष्य तन प्राप्तहो और पूर्ण ब्रह्म परमात्मा की भक्ति करके हमारा जीव सदा सदा के लिए जन्म मरण से मुक्त हो जाए। अर्थात पूर्ण वर्ग की प्राप्ति हो जाए। इसलिए संसार बना है परमात्मा की भक्ति करने के लिए।
Jees iswar ne ek dusarara parpatma banane ke chah me sansar ki satta pakar khud dukhi huwa aur jeevon ko dukhi kar diya qyon ki purn satya parmatma aur aatma ki satta hoti use satya ko dusta ishwar smbhal nahi paya eis liye tin lok narak bana bhed bas itna hai ki uttam madham ati uttam me hi sansar chal raha pap punya dono karak hai purna pap se nasta ho jayega purna satya ho tow bhi sansar nasta hoga pap punya ka bailens hi sansar hai
Sadar namaste aacharya ji
इस दुनिया में धर्म सिर्फ एक ही है वो है सत्य सनातन वैदिक धर्म और इस दुनिया में धर्म ग्रंथ सिर्फ एक ही है वो है वेद।
Purnath satya hai
Par ye satya kadwa hota hai 😊
💯💗🕉️
😂😂😂😂
आचार्य जी को सादर नमस्ते।। ओउम् शान्तिः शान्तिः शान्तिः।। आर्य पुत्र।।।
Bahut Sundar pravachan Aacharya ji
Ati uttam acharya jii apke vicharo ko sunkar main andhkar se prakash ki taraf dhere dhere bad raha hoon bahut bahut dhanyvad acharya jii namaste acharya jii
नमस्ते जी 🙏 कैथल हरियाणा
Namaste acharya ji 🙏.
🙏ईश्वर ने दुनिया क्यो बनाई ? 🙏
जय हो आपकी
ईश्वर ने दुनिया इसलिए बनाई क्योंकि ईश्वर के पास इस दुनिया बनाने के लिए बुद्धि है।
भगवान ने ऐसी दुनिया क्यों बनाई जिस में हिंसा अत्याचार है
शाष्टांग प्रणाम वेदाचार्य 🙏🙏
ओम् नमस्ते आचार्य जीं जय आर्यावर्त
नमस्कार आचार्य जी
योगेशजी, कवि प्रदीप(जिनका सन्दर्भ आपने बताया) वो चूरू(राजगढ़)-राजस्थान के थे मेरे कस्बे से१२० किमी दूर है।
😊
आचार्य जी शीघ्र ही इस पर वीडियो बनाइए कि परमात्मा ने ब्रह्माण्ड, आकाशगंगा, सौरमंडल, संसार अर्थात् प्रकृति क्यों बनाई।
❤
🕉🕉🙏🙏
Kripaya pura video upload karen
वेदों के अंदर पूर्ण ब्रह्म परमात्मा के स्वरूप का वर्णन है ही नहीं तो परमात्मा के स्वरूप को वेदों में कैसे जान लिया। जिसे परमात्मा का स्वरूप जान रहे हो वह तो माया है।
यजुर्वेद का मंत्र है संभूति असंभूति अर्थात साकार निराकार माया है।
वेदों के अंदर केवल और केवल परमात्मा के ही गुण कर्म और स्वभाव का वर्णन है
@@HarshGupta-z1g वेदों में केवल निराकार साकार का ज्ञान है और उसे ही महर्षि दयानंद ने माना है। निराकार साकार सृष्टि के अंदर का ज्ञान है। सृष्टि के बाहर का ज्ञान वेदों में नहीं है और पूर्ण ब्रह्म सच्चिदानंद सृष्टि से बाहर है सृष्टि के अंदर पूर्ण ब्रह्म सच्चिदानंद नहीं है इस बात की साक्षी वेद भी दे रहे हैं। वेद ज्ञान:-जो पांच तत्व तीन गुण प्रकृति जड़ संसार से अलग है उसे ही जानो उसे ही मानो उसे ही ग्रहण करो उसकी जगह दूसरे को नहीं। यह वेद ज्ञान है। लेकिन सृष्टि से बाहर है क्या उसका वेदों को पता नहीं है।
वेद थके ब्रह्मा थके थक गए शेष महेश। गीता को जहां ग़म नहीं वह सद्गुरु का देश।। निष्कलंक ब्रह्म वाणी।।
ब्रह्मांड एक नहीं तीनहै क्षर परात अक्षर अक्षर परात पर:
क्षर ब्रह्मांड:-14 लोक।भू लोक भव लोक स्वर्ग लोक मेहर लोक जन लोक तप लोक सतलोक। यह ऊपर के लोक हैं।
अधोगति नीचे के लोक:-अतल वितल सुतल रसा तलातल महातल रसातल पाताल। इसके ऊपर अष्ट आवरण सुनमहा सन आदिनारायण मोह तत्व। यह संसार क्षर ब्रह्मांड नाशवान की मंजिल है। जिसमें चार वेद छह शास्त्र हैं। निराकार साकार सर्व व्यापक है। लेकिन निराकार साकार परमात्मा नहीं है इस बात की पुष्टि यजुर्वेद का मंत्र कर रहा है। यजुर्वेद का मंत्र संभूति असंभूति अर्थात साकार निराकार माया है।
अब यहां प्रसन्न बनता है पूर्ण ब्रह्म सच्चिदानंद कहां है कौन है कैसा है। वह वेदों से नहीं मिलेगा क्योंकि वेद उसका सब्जेक्ट नहीं है। वेद केवल सृष्टि का सब्जेक्टहै क्षर नाशवान ब्रह्मांड तक कावेद में ज्ञानहै। उससे आगे वेद नहीं जाते। उससे आगे दो ब्रह्मांड और हैं। अक्षर और अक्षरातीत। इन दो अक्षरा अक्षरा तीत ब्रह्मांड केसाक्षी प्रमाण भागवत के अंदर हैं जिन्हें पूर्ण ब्रह्म सच्चिदानंद के आवेश अवतार श्री विजियाभिनंद बुद्धनिष्कलंक के अलावा दूसरा कोई नहीं खोल सकता।
अब कलयुग बुद्ध शाखा में पूर्ण ब्रह्म सच्चिदानंद के आवेश अवतार श्री विजियाभिनंद बुद्धनिष्कलंक ने अपनी जागृत बुद्धि से भागवत के प्रमाण से एक पूर्ण ब्रह्म सच्चिदानंद अक्षर और अक्षरातीत को जाहिरकरके अखंड परमधाम की पहचान बताई है इस लिए कलि चारों युगों में श्रेष्ठ है उसे ही ग्रहण करो उसकी जगह दूसरे को नहीं।
@@HarshGupta-z1g परमात्मा के गुण कर्म स्वभाव। वह सच्चिदानंद स्वरुप है। सत्य है चेतन है और आनंद स्वरूप है यह परमात्मा के गुण कम स्वभाव लक्षण है।
और संसार के लक्षण:-असतय, जड़ और दुख रूप है।
परमात्मा ने संसार क्यों बनाया है। स्वर्ग लोक में देवता भी मृत्यु लोक संसार में मनुष्य तन पानी की प्रार्थना करते हैं किस लिए करते हैं कि हमें मनुष्य तन प्राप्तहो और पूर्ण ब्रह्म परमात्मा की भक्ति करके हमारा जीव सदा सदा के लिए जन्म मरण से मुक्त हो जाए। अर्थात पूर्ण वर्ग की प्राप्ति हो जाए। इसलिए संसार बना है परमात्मा की भक्ति करने के लिए।
गुरु जी ये सवाल मे अपने घर में पूछा था तो कोई नही बता पाया
खेल
पर,
ईश्वर ने संसार को क्यों बनाया??
इस बात का उत्तर तो मिला ही नही !!
Jees iswar ne ek dusarara parpatma banane ke chah me sansar ki satta pakar khud dukhi huwa aur jeevon ko dukhi kar diya qyon ki purn satya parmatma aur aatma ki satta hoti use satya ko dusta ishwar smbhal nahi paya eis liye tin lok narak bana bhed bas itna hai ki uttam madham ati uttam me hi sansar chal raha pap punya dono karak hai purna pap se nasta ho jayega purna satya ho tow bhi sansar nasta hoga pap punya ka bailens hi sansar hai
गुरु जी अपने भी नही बताया कि भगवान ने ये दुनिया ये मानव ही क्यों बनाया
Bhagwan ne sansar kyu bnaya iska jawab to nhi mila video me.
You didn't answer who and how the SANSAR made !
मुख्य विषय पर तो बात नही की ओर मूर्ख बनाकर चले गए आचार्य जी ।।।
दूसरे पाखंडी बाबा की तरह ही ये भी सिर्फ़ लाली पाप दे रहा है 😂
Aap thoda sa dimg laga ke socho aap ke soche se bahut upar ki cheaj hai bhaiya ji ye 🙏🙏🙏
भाई साहब इस वीडियो का टॉपिक क्या था इस संसार को परमात्मा ने क्यों बनाया उस का उत्तर कहा हैं
आधि मिलावत बाते बना कर बताना अच्छा नहीं हैं कुछ खास बातें बताओं देस की जनता बरगला ना बंद करो
ये कुछ सब झूठ ओर गूढ़ रहस्य बाते हैं
Tu ज्यादा giyanwaan h
Tu Kyon banaa Teri Ma baap ne Teri kya jarurat thi