सृष्टि की रचना के पीछे परमात्मा का हेतु क्या है?
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- เผยแพร่เมื่อ 23 มิ.ย. 2020
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/ swaamishreeh108 - เพลง
जय गुरु देव भगवन,, आपको सादर,,, कोटि कोटि प्रणाम करते हैं,,
प्रणाम, प्रमाणिक स्थान से प्रमाण के साथ समाधान दिया जा रहा है, यह सनातन धर्म के लिए शुभ है।
हर हर महादेव गुरू देव 🎉❤🚩💐🙏🔥
मैने भी इस पर गहन चिंतन किया था
और इसी नतीजे पर निकला की परम पिता परमेश्वर जब अकेले पन से बोरियत महसूस कर रहे थे
तब उन्होंने सृष्टि की रचना की ।
और वो सृष्टि से जब उब जाऐंगे तब सब नष्ट कर दिया जाएगा।
और फिर जब अकेले पन से उब जाऐंगे तब फिर से सृष्टि की रचना कर देगें।
यही क्रम निरंतर अनादि काल से चला आ रहा है।
जय परम पिता परमेश्वर 🙏
Aapne apne chintan me yah dhayan nahi Diya mahoday ki bhagwaan ko maaya chu bhi nahi sakti aur Sona khana pina thakna ubna ye sab Maya janit hai aur bhagwaan Maya ke adheen nahi hai balki maaya bhagwaan ke adhin hai fir bhagwaan kaise uub sakte hai. Wo to aanand ka Sagar hai,sacchidanand hai fir Aisa kaise ho sakta hai.
@@AbhishekSingh-rz2xjagree with you. Yhi question mujhe bhi pareshaan karta hai
Aaplog pareshan na ho. Sristhi sirf aur sirf parmanand ko pane ke liye bhagwan ne banai hai. Adhytam aur bhakti se mehsus kiya ja sakta hai parmanand me kya ras yah sukh hai. Sukh dukh jivan mirtyu sab tuch hai us paramanand ke sukh ke age isliye kyuki manushya yoni me hi es sukh ko mehsus kiya ja sakta hai. Apne suna hoga devta bhi manusya yoni pana chate hai kyu. Kyuki sirf manushya yoni me hi adhytam yah bhkti marg se isko paya ja sakta hai parmanand ka sukh sare dukho se babut upar ki baat hai isliye bhagean ko sristhi ki rachna karma pada taki parmanand ka sukh mil sake
Parmanand matlab
Param anand. Bahut sukun itna sukun ki bolne ka man kare kachu nath na chahi
Are yaar thoda smartly socho . Esa bhi ho sakta hain na ki vi hamare karm enjoy kar rahe ho . Jesse ki movies, games , comedy shows😂 lekin isme ek doubt hai unko bhavishya pata hai to hamse karma kyu kara rahe hai ya fir unhe bhavishya pata nahi hai aur hame bewakoof bana rahe hai aur hamare karm enjoy kar rahe hai 😂
परमात्मा परमानंद में है उसे सांसारिक व्यक्तियों के लिए अकेला दूकेला की आवश्यकता नहीं होती है इससे श्रेष्ठ की रचना परम प्रभु परमात्मा ने जीवन के भोग के लिए किया है जीवन नित्य है जीव अनादि है यही कारण है जीव के कर्म भी अनादि है और कोई कारण नहीं है
आपके श्री चरणो में दंडवत प्रणाम
🙏🙏
Ram ram
Yah duniya na hoti to accha tha ja fir main na aaya hota to acch a tha😭
भगवान ने सृष्टि मनोरंजन के लिए बना आई ☺️🌹🙏
और आप इस मनोरंजन के पात्र मात्र हो😂
Like big bosss😂😂
Phir bahut sare niyam laga diye
Nahi. Not entertainment, but to love and to be loved. He is not taking Shrimati Radha rani or mata Sitaji (aadi shakti) into consideration.
He is giving half knowledge.
This is called MAYAVADI IDEOLOGY as per scriptures.
किसी का मज़ा किसी और की सज़ा
महादेव
परमपूज्य गुरुदेव के श्री चरणों में कोटि कोटि प्रणाम ।
श्री राम जय राम जय जय राम ।
शिव शिव शम्भो हर हर महादेव ।
उसे रचना में छोटे छोटे बच्चे जो कष्ट और लंगड़े लूले और बड़े से बड़े बुजुर्ग जो परेशानियां में गिर जाते हैं यही सब करने के लिए परमात्मा ने इस दुनिया को बनाए ताकि लोग परेशानी में मारे और हम देखकर मजा ले
He bhagwan Jo garib hai lachar Jo bhukhe our bimar Hain unki rakchha Karo Prabhu ❤
Bhagwaan ke adheen maaya hai aur Maya ke karan hi sukh, dukh ,peeda aur baki sare anubhav hote hai.par bhagwan to sacchidanand hai,Sadaiv aanand me rehne wale unko Maya chu bhi nahi sakti fir unhe akela kaise mehsus ho sakta hai.kripya is prashna ka samadhan karen.
Aapke charno me shat shat naman gurudev.
Shi bat hai
True .he is beyond 3 gunas.other reasons some says that this is his play.but still why God has desire or wish to play since it is sachidanand.
इस यूनीवर्स में लोगों के दिमाग में उपजे काल्पनिक ईश्वर जैसा कोई नहीं है बल्कि यूनिवर्स के विज्ञानमयी भौतिक और रासायनिक नियम, सभी जड़ और चेतन, प्रकृति के नियम, इस जड़-चेतन और ऊर्जा से उत्पन्न अभौतिक चेतनता ही सबकुछ हैं या यों कहें कि ये समस्त गुण ही ईश्वर है। ईश्वर तो केवल शब्द है अब चाहे इसे ईश्वर कहो या गुण कोई फर्क नहीं पड़ता।
हमें किसी भगवान ने कभी नहीं कहा है कि वे भक्त,पुरोहित, पादरी, मौलवी को ध्यान साधना के बाद ही अपने बारे में बताते हैं और सामान्य लोगों को नहीं बताते। जब हमें खुद भगवान ने ऐसा नहीं कहा है तो हम क्यों किसी भक्त,पुरोहित,पादरी,मौलवी की कल्पनाओं को माने। अगर ऐसा होता तो वह हमसे खुद कहते।
हमें किसी भगवान ने कभी नहीं कहा है कि वह हमें कर्मफल के आधार पर 84 लाख योनियों में पुनर्जन्म देता है या फिर मोक्ष देता है।
हमें किसी भगवान ने कभी नहीं कहा है कि वह हमें मरने के बाद स्वर्ग या नरक देगा।
हमें किसी भगवान ने कभी नहीं कहा है कि वह हमें भक्ति के आधार पर या कर्मफल सिद्धान्त के आधार पर पुनर्जन्म देकर सुख या दुख देता है।
हमे किसी भगवान ने कभी नहीं कहा कि यह जगत माया है और तुममे आत्मा है और उसे इस माया से मुक्त होकर मोक्ष पाने के लिये मैने पैदा किया है।
हमे किसी भगवान ने कभी नहीं कहा कि वो कृष्ण, शिव,ब्रह्मा, विष्णु,दुर्गा, राम,अल्लाह, जीसस है और उन्होंने ग्रन्थों की रचना की है। बल्कि ये तो सबसे बड़ा झूठ है क्योंकि ये सच होता तो हमे वो खुद कहते। ये तो इंसान द्वारा फैलाया गया झूठ है।
हमे किसी भगवान ने कभी आकर नहीं कहा कि मेरी दिन रात पूजा,prayer, नमाज, अगरबत्ती, दिप,धूप,फूल चढ़ाकर दिन रात मेरा नाम जपते हुए भक्ति करते रहो।
तभी तुम्हारा कल्याण होगा और तुम्हें मुक्ति मिलेगी।
हमें किसी भगवान ने कभी नहीं कहा है कि मैने तुम्हें मेरी पूजा अर्चना, भक्ति करने के लिए पैदा किया है।
हमें किसी भगवान ने आकर ये सब नहीं कहा है, ये बातें हमे इंसान ने कही है या दिमागी कल्पनाओं वालो ने कही है। या हमने किताब में पढ़ी है जो इंसान ने लिखी है जो बिल्कुल ही काल्पनिक बातें हैं जिन्हें कोई साबित करके नहीं दिखा सकते हैं।
अगर ये सब बातें कहना होता तो वह हमसे खुद कहता,और अगर हमें भगवान ने नहीं कहा है तो हमे किसी अन्धविस्वासी की कल्पना को मानने की जरूरत नहीं है।
Aap samajh nhi rahe hai usne hame prakat nhi kiya balki usne apne aap ko prakat Kiya ham sarir ke Karan hame esa laga ki hame banaya balki usne apne aap ko prakat Kiya or ham bhagwan Hari ke andar hi andar bhatak rahe hai
@@user-gq2qq2or1x इस यूनीवर्स में लोगों के दिमाग में उपजे काल्पनिक ईश्वर जैसा कोई नहीं है बल्कि यूनिवर्स के विज्ञानमयी भौतिक और रासायनिक नियम, सभी जड़ और चेतन, प्रकृति के नियम, इस जड़-चेतन और ऊर्जा से उत्पन्न अभौतिक चेतनता ही सबकुछ हैं या यों कहें कि ये समस्त गुण ही ईश्वर है। ईश्वर तो केवल शब्द है अब चाहे इसे ईश्वर कहो या गुण कोई फर्क नहीं पड़ता।
हमें किसी भगवान ने कभी नहीं कहा है कि वे भक्त,पुरोहित, पादरी, मौलवी को ध्यान साधना के बाद ही अपने बारे में बताते हैं और सामान्य लोगों को नहीं बताते। जब हमें खुद भगवान ने ऐसा नहीं कहा है तो हम क्यों किसी भक्त,पुरोहित,पादरी,मौलवी की कल्पनाओं को माने। अगर ऐसा होता तो वह हमसे खुद कहते।
हमें किसी भगवान ने कभी नहीं कहा है कि हम किसी हरि नाम के काल्पनिक भगवान के अंदर भटक रहे हैं ये बात भी हमें तुम्हारे जैसे कल्पनाशील लोगों ने भगवान के नाम का सहारा अपने कल्पना में कहा है।
हमें किसी भगवान ने कभी नहीं कहा है कि वह हमें कर्मफल के आधार पर 84 लाख योनियों में पुनर्जन्म देता है या फिर मोक्ष देता है।
हमें किसी भगवान ने कभी नहीं कहा है कि वह हमें मरने के बाद स्वर्ग या नरक देगा।
हमें किसी भगवान ने कभी नहीं कहा है कि वह हमें भक्ति के आधार पर या कर्मफल सिद्धान्त के आधार पर पुनर्जन्म देकर सुख या दुख देता है।
हमे किसी भगवान ने कभी नहीं कहा कि यह जगत माया है और तुममे आत्मा है और उसे इस माया से मुक्त होकर मोक्ष पाने के लिये मैने पैदा किया है।
हमे किसी भगवान ने कभी नहीं कहा कि वो कृष्ण, शिव,ब्रह्मा, विष्णु,दुर्गा, राम,अल्लाह, जीसस है और उन्होंने ग्रन्थों की रचना की है। बल्कि ये तो सबसे बड़ा झूठ है क्योंकि ये सच होता तो हमे वो खुद कहते। ये तो इंसान द्वारा फैलाया गया झूठ है।
हमे किसी भगवान ने कभी आकर नहीं कहा कि मेरी दिन रात पूजा,prayer, नमाज, अगरबत्ती, दिप,धूप,फूल चढ़ाकर दिन रात मेरा नाम जपते हुए भक्ति करते रहो।
तभी तुम्हारा कल्याण होगा और तुम्हें मुक्ति मिलेगी।
हमें किसी भगवान ने कभी नहीं कहा है कि मैने तुम्हें मेरी पूजा अर्चना, भक्ति करने के लिए पैदा किया है।
हमें किसी भगवान ने आकर ये सब नहीं कहा है, ये बातें हमे इंसान ने कही है या दिमागी कल्पनाओं वालो ने कही है। या हमने किताब में पढ़ी है जो इंसान ने लिखी है जो बिल्कुल ही काल्पनिक बातें हैं जिन्हें कोई साबित करके नहीं दिखा सकते हैं।
अगर ये सब बातें कहना होता तो वह हमसे खुद कहता,और अगर हमें भगवान ने नहीं कहा है तो हमे किसी अन्धविस्वासी की कल्पना को मानने की जरूरत नहीं है।
🙏🏻🙏🏻🙏🏻🌻🌷🥀🍍🏵️🌼🔱🔱💐💐🌺🌹 શિવ શિવ શંભુ હર હર મહાદેવ શ્રી શ્રી સદગુરુ ભગવાનના ચરણ કમલ માં કોટી કોટી દંડવત શાસ્ત્ર પ્રણામ શિવ શિવ શંભુ હર હર મહાદેવ શ્રી રામ જય રામ જય જય રામ હાટકેશ્વર મહાદેવ કી જય
मनोरंजन के लिए दुनिया बनायी है तो , बलातकार, खुन, युद्ध , भुखमरी ये देखकर भगवान को कौनसा आनंद आता है
Sahi bla
Gurudev has given very brief . It is a very long discourse.
Shiva is always calm. He does not act. It is his energy that has manifest the world. And humans got free will, where as other creations only live as per their nature. And when some of the energy tried to go haywire and free themselves from the Supreme, asserting and trying to destroy the others, Rudrani destroys them. So to keep all in check, Brahma made reward and punishment & cycle of birth and death.
This is for us common men. What Gurudev is saying for souls that have moved to very high plane...elevated , close to Paramatma.
Ye karmo ka fal hai
स्वतंत्रता मिली है न आपको थोड़ी से भी बुद्धि होगी तो समझ जाओगे की वो सर्वतंत्र स्वतंत्र परमात्मा भी हमें कार्य या कर्म करने की स्वतंत्रता देता है तभी हिरण्याक्ष हिरण्यकशिपु रावण कंस जैसे असुर स्वतंत्रता का लाभ उठाते/नहीं उठाते बल्कि उत्दंड कार्य करते हैं। वो आपकी स्वेच्छा है की आप दुर्योधन बनना चाहते हो या अर्जुन। वो परमात्मा बिजली house जैसा है जो बिजली दे रहा है कार्य करने की अब तुम उस बिजली से बल्ब💡 जलाओ कूलर AC चलाओ या उसमे हाथ डालकर कर मर जाओ उसमे पावर हाउस की कोई गलती नही है। फिर आप ही जैसे लोग अच्छा कार्य करने पर खुद को credit देते हो और बुरा करने पर उस भगवान ने हमसे ये कराया कहते हो😂🤦
वह परमात्मा कैसा, जिसकी इच्छा को, मन हो । परमात्मा तो इन सब से परे हैं ।...
Baat toh sahi hai answer mile toh jarur batana bahi
परमात्मा ने सृष्टि नही बनाया है बल्कि परमात्मा के सत्ता स्वरूप के मन आदि नारायण ने बनाया है
सच्चिदानन्दरूपाय विश्वोत्तपत्यादिहेतवे ।
तापत्रयविनाशाय श्री कृष्णाय वयम् नुमः ।।
।।जय जय श्री सीताराम।।
गुरुदेव के चरणों मे कोटि कोटि प्रणाम
Pranaam Gurudev
धन्य है सद् गुरु देव
प्रणाम आचार्य श्री 🙏🙏🙏🙏
jai gurudev 🙏
Jai guru dev
परम पूज्य गुरुदेव जी के चरण श्री चरणो में कोटि कोटि प्रणाम
Pranam swamiji 🙏🙏👌
Satnam saheb Bandgi
अति सुंदर वर्णन गुरुजी 🙏🏻💐
हर हर महादेव
Gurudev Ji ko Sadar pranam
Pranm prabhu
Pranam Gurudev.... poorn Samdhan huva....Dhanyawad
श्री गुरुदेव के चरणों में सादर प्रणाम
आपका कोटि कोटि धन्यावाद ❤❤❤
ईश्वर का प्रयोजन जीव के भोग और अपवर्ग के लिए हैं • सत्यार्थ प्रकाश महर्षि दयानंद सरस्वती
Pranam Pujya Shankaracharya Maharaj ki Jai ho 🙏
❤❤ दिव्य अलौकिक दर्शन की श्री चरणों में दंडवत प्रणाम
PARNAM GURU JI 🙏
Jay Gurudev Jay Mata Di Sherawali Ki Jay Naam Baba ki Jay Har Har Mahadev
परम पूज्य गुरुदेव जी के श्री चरणो में कोटि कोटि प्रणाम जय हो गुरुदेव
श्री श्री श्री राजराजेश्वरी माताय नमः ।श्री१०८ गुरुदेव की श्रीचरणों में कोटि-कोटि प्रणाम । स्वामी जी सादर प्रणाम
Gurugi koti koti vandan .sanatan dharm ka such type of gyan no one gives to Indian public so thanks to you
Jay Jagannath
Jai Shree Ram Ji 🙏
Jai Shree Hanuman Ji 🙏
Jai Shree Radhe Krishna Ji 🙏
Jai Durga Mata Ji 🙏
Om Namo Narayanaya Namaha 🙏
Jai Shree Ganesh Laxmi Ji 🙏
Om Namo Narayanaya Namaha 🙏
Om Namah Shivaya 🙏
❤❤❤❤ श्रीमन नारायण नारायण श्रीमन नारायण नमः
Jai parmatma
Apne shahi jankari dee mere prashansa kee, bhaut bhaut Dhanyawad ❤
Swami Shree you have enlightened us. We are proud of our scriptures and eternal messengers of most sacred Sanatan Dharma called Shankaracharyas
स्वामी जी! प्रणमामि।।आपके उत्तर से संतुष्टि नही मिली।।ईश्वर अपने मनोरंजन के लिए हमे दुख सागर में डाल दिया। इससे ईश्वर तो अन्यायकारी हो गया।।
Prabhuji swami ji ne ye btaya hai parmatma me par aur jeevatma me jeev hta de to atma bchta hai atma aur brahm tatva ek hai ha ishwar ke hi ansh hai ham bhool gye hai bhgwan dukh ya sukh de rhe to khud ko hi de rhe ek prakar se vastav me bhgwan anek nhi hue maya rupi anek hue
प्रभु की दृष्टि मे ये माया है क्योंकि वो कुछ समय के लिए एक से अनेक होता है और फिर एक हो जाता है यानी की तात्विक दृष्टि से ये प्रभु के लिए सिर्फ एक क्षदम एहसास है वो किसी के साथ अन्याय नहीं कर रहा है लेकिन हमारी दृष्टि मे ये संसार माया नही है हमे भगवान् के द्वारा बनाये गए नियमो का पालन करना जरूरी है और हम जैसा कर्म करेंगे वैसा फल हमको मिलेगा और कर्म के आधार पर ही मनुष्य करोंडो अरबो वर्ष की पीड़ा के बाद अनेक से एक मे विलीन होगा
🙏🏻🚩
I think same..
Paramatma ne ye srushti usaki bhakti, Stuti Aur stavan karne ke liye nirman kiya hai. Isliye uski bhakti karna bahut jaruri hai.
🙏🚩
🙏🙏🙏
Only and only Shankaracharya could give such highly evidence based scientific and all time authentic explanation in such glowing words beeming with the eternality of truth.We gratefully bow to our Shankaracharyas who give us the most lucid answer to our ming boggling questions which have been haunting us since childhood and we grew old till the day
पूज्य गुरुदेव को प्रणिपात।
एक जिज्ञासा समाधान की कृपा होवे की इस मनः कल्पित मनोरंजन के लिए बनी सृष्टि में जीवात्मा को ईश्वर ने क्या पात्र दिया और क्यों दिया?जब जीवात्मा परमात्मा का अंश है तो उसे अलग क्यों किया?
Iss sansaar ka gyan pane... jeevan mrityu..
Daya shayata..manavta...dukh sukh... Dharm Adharm aur paap punya ko samajhne...karm bhakti...apne andar sthit parmatma ka janne...atma gyan krke...iss Maya rupi..game se dukh se bahar nikal k..parbrahm ko prapt krte hue..moksha ko pane..aur wapas uss paramshkti ki urja mein vilin hone .
🙏🙏🙏🙏🙏
🙏🙏🙏🙏
अपनी कृति का उत्थान और पतन देखना ही परमात्मा का ध्येय हो सकता है। ॐ शांति।
इस यूनीवर्स में लोगों के दिमाग में उपजे काल्पनिक ईश्वर जैसा कोई नहीं है बल्कि यूनिवर्स के विज्ञानमयी भौतिक और रासायनिक नियम, सभी जड़ और चेतन, प्रकृति के नियम, इस जड़-चेतन और ऊर्जा से उत्पन्न अभौतिक चेतनता ही सबकुछ हैं या यों कहें कि ये समस्त गुण ही ईश्वर है। ईश्वर तो केवल शब्द है अब चाहे इसे ईश्वर कहो या गुण कोई फर्क नहीं पड़ता।
हमें किसी भगवान ने कभी नहीं कहा है कि वे भक्त,पुरोहित, पादरी, मौलवी को ध्यान साधना के बाद ही अपने बारे में बताते हैं और सामान्य लोगों को नहीं बताते। जब हमें खुद भगवान ने ऐसा नहीं कहा है तो हम क्यों किसी भक्त,पुरोहित,पादरी,मौलवी की कल्पनाओं को माने। अगर ऐसा होता तो वह हमसे खुद कहते।
हमें किसी भगवान ने कभी नहीं कहा है कि वह हमें कर्मफल के आधार पर 84 लाख योनियों में पुनर्जन्म देता है या फिर मोक्ष देता है।
हमें किसी भगवान ने कभी नहीं कहा है कि वह हमें मरने के बाद स्वर्ग या नरक देगा।
हमें किसी भगवान ने कभी नहीं कहा है कि वह हमें भक्ति के आधार पर या कर्मफल सिद्धान्त के आधार पर पुनर्जन्म देकर सुख या दुख देता है।
हमे किसी भगवान ने कभी नहीं कहा कि यह जगत माया है और तुममे आत्मा है और उसे इस माया से मुक्त होकर मोक्ष पाने के लिये मैने पैदा किया है।
हमे किसी भगवान ने कभी नहीं कहा कि वो कृष्ण, शिव,ब्रह्मा, विष्णु,दुर्गा, राम,अल्लाह, जीसस है और उन्होंने ग्रन्थों की रचना की है। बल्कि ये तो सबसे बड़ा झूठ है क्योंकि ये सच होता तो हमे वो खुद कहते। ये तो इंसान द्वारा फैलाया गया झूठ है।
हमे किसी भगवान ने कभी आकर नहीं कहा कि मेरी दिन रात पूजा,prayer, नमाज, अगरबत्ती, दिप,धूप,फूल चढ़ाकर दिन रात मेरा नाम जपते हुए भक्ति करते रहो।
तभी तुम्हारा कल्याण होगा और तुम्हें मुक्ति मिलेगी।
हमें किसी भगवान ने कभी नहीं कहा है कि मैने तुम्हें मेरी पूजा अर्चना, भक्ति करने के लिए पैदा किया है।
हमें किसी भगवान ने आकर ये सब नहीं कहा है, ये बातें हमे इंसान ने कही है या दिमागी कल्पनाओं वालो ने कही है। या हमने किताब में पढ़ी है जो इंसान ने लिखी है जो बिल्कुल ही काल्पनिक बातें हैं जिन्हें कोई साबित करके नहीं दिखा सकते हैं।
अगर ये सब बातें कहना होता तो वह हमसे खुद कहता,और अगर हमें भगवान ने नहीं कहा है तो हमे किसी अन्धविस्वासी की कल्पना को मानने की जरूरत नहीं है।
क्या कहे कूच समझ में नहीं आराहा आपकी मधुर वानी सुंने के पाच्यात धन्यवाद
हे गुरु ब्रह्मा गुरु विष्णु है शंकर भगवान
गुरु जी को शत शत नमन
मै कैलाशचंद्र शर्मा, खरगोन मध्यप्रदेश से आपको प्रणाम एवम् अभिनन्दन करता हूं
आपके सानिध्य म धर्म के बारे में अनेकों तथ्यों का ज्ञान प्राप्त हुआ
आप सदैव ऐसे ही सनातन गौरव प्र प्रकाश डालते रहे यही कामना है।
🙏
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Akeli Aatma se brahmand ruk jaata,akeli body se duniya ruk jaati.
Kuch baatein unko hee sach lagti hai jo apne hone ko Ahasan mante hai, es tarh ki baatein unko samjh mein nhi aati jo jeevan ke har sukh mein bhi dukh dhoondne ki aadat se judd gye hai.Sirf aatma mein rehkar tum hee pareshan ho jaoge vaha na aankh milegi,na haath milega,na kaan milega na paair milega mtlb koe bhi indriye sukh - dukh nhi milega aur na hee koe dusra Insaan milega 😄🙏🙏
सृष्टि का स्वामी ब्रह्म ही है, परम् आत्मा तो स्वयं रचना है आदरणीय श्री
🙏🙏🌹🌹🚩🚩
Aapki charno me sis jukake prnam krti hu .Jo aap jese mhan se milne ki absar prdan hue hai hme sbko.
🚩🌻🕉️🙏🙏🙏🙏🙏
Radhe radhe 🙏
Mera ek que h ki, bhagwan ne apne man ki prashannta ke liye is shrishti ki rachna ki..
Lekin yaha to sbhi dukhi hi h koi sukh nhi h har samay har jagah kuch n kuch preshani dar h..
Aise jagat me bhagwan hme kyu bheje h aur parmatma tak pahuchna bhi itna katthin bana diye h.... Agar kuch galti hui to phir se janm lena hota h baar baar aur vhi dukh, dar aur pareehani...
Maaf kriye agar mera prashn glt lge to...
Lekin please iska koi answer btaiye.
Radhe radhe🙏
सही कहा आपने। इस से पता चलता है कि भगवान स्वार्थी है
I want answers of them
If anyone can help
Main jitna bhagwat Katha suni hun or padhi hun us hisab se mujhe ab aisa hi lagta h ki duniya mein jo kuch bhi ho rha h uske jimmedar sirf bhagwan hi hai kyunki koi achha or bura insan bhi bhagwan ki marji se banta h , jab bolte h ki ham is janm mein dukh jhel rhe h to wo pichhle janm ka fal h uska arth ye hai ki ham log ghatiya insan the pichle janm mein issliye dukh jhel rhe h to fir is janm mein ham achhe insan kyun ban gye jab hame achha or bura insan ko bana rha h sochne wali bat h
राम कृष्ण हरी महाराज सृष्टी रचना असताना मला एक अभंग तो असा एक लेना कंटे ची म्हणुनिया येणे केली निरमान हो 14 ही भुवने महाराज तुम्ही फिल्ममधलं सुंदर उदाहरण दिलं
Wahhh., Bahot khubsurat I se bataya aapne.. shreedatt..
परमात्मा का भी मन होता है? मन तो प्रकृति की एक विकृति है, विकार है। जो समय के परे है, उसको भी उचट होती है क्या?
Seedhi spasht baat kahi, idhar udhar ki nahi haanki, baaki bevkoofon ki tarah
यह प्रश्न मेरा भी है, पर इस उत्तर से मुझे पूरी तरह से संतुष्टि नहीं हुई। महादेव मेरे प्रश्न का उत्तर अवश्य देंगे। जैसा आज तक देते आए हैं मेरे सारे सवालों के। हर हर महादेव.
Ohh now I know how ved come from god
ईश्वर ने सृष्टि की रचना जीवों के भोग और मोक्ष के लिए की है। ईश्वर जीव और प्रकृति तीनों नित्य हैं
🙏🏿दण्डवत प्रणाम 🙏🏿
पूज्य चरणों में सादर प्रणाम
नहीं गुरूजी ऐसा नहीं जान पड़ता भगवान की सोच ऐसी नहीं हो सकता वो तो जानी जान है
Matrix ka concept sahi hai
सृष्टि करना ईश्वर का स्वभाव है
ऊं की ओर उन्मुखीकरण
🕉️प्रणाम गुरु जी🙏
सृष्टि से पूर्व समय तो था नही तो टाइमपास का सवाल ही क्या?
जब परमात्मा पूर्ण और आनंद स्वरूप है तो फिर उन्हें सृष्टि का निर्माण कर आनंद प्राप्त करना ये तो विचारणीय है
भाई जी यहाँ तो परमात्मा की खटिया खड़ी कर रहे है शंकराचार्य जी।
इनके हिसाब से हर 1000 चतुर्युगी के बाद परमात्मा को सृष्टि बनाने फिर उसे विलय करने का कीड़ा काटता है और हद तो ये है कि ये कीड़ा उन्हें अनादि काल से लेकर अनंत काल तक काटेगा।
बहुत उचित तर्क 🙏
@@gangabaisvedo me praman hai parmatma ne apne akle pan hatane k liye or khel k liye rachna rachi
@@gangabais 😂😂😂🤣🤣
अच्छे लोगो से तर्क करोगे तो न समझा आएगा। यह समय से क्या अर्थ है। माया में सब कुछ समय से परिवर्तित होता है। पर वो परम तत्व कभी नही बदलती। भगवान गीता में अर्जुन से कह रहे हैं की वो आत्म अमर अविनाशी अविकार और अपरिवर्तित है। तो वो ब्रह्म भी भी हुआ। माया या श्रृष्टि में समय बदलाव से माना जाता है। समय एक भ्रम है अगर कुछ बदले ही ना तो कह दिया जाएगा जैसे समय ही रुक गया है। इस प्रसंग में भगवान तो सदैव नवीन हैं कभी न बदलने वाला परमतत्व हैं। समय का प्रभाव तब भी है न भाई। ऐसा थोड़ी है की श्रृष्टि एक बार बनती है अगर एक बार महाप्रलय हो जाए तो इसका मतलब आपके अनुसार कभी श्रृष्टि नही बनेगी??
Ye video v maya he hai
विस्तृत जानकारी के लिए महर्षि दयानंद सरस्वती कृत सत्यार्थ प्रकाश और ऋग्वेद आदि भाष्य भूमिका के सृष्टि प्रकरण को पढ़े
जात पात, निज स्वार्थ, मत भेद, मिटा कर,, सारे संत, सारे, हिंदू एक हो, एक हो उनका मन, एक उद्देश्य हो कि सत्य धर्म सनातन सारे विश्व में फैले, यह भारत सनातन देश बने, भारत धर्म प्रधान देश बने, यह भारत विश्व गुरु बने जय श्री राम। जय श्री राधे कृष्णा।।
जय सत्य सनातन धर्म।।
जय बाघेश्वर धाम।
ॐ नमो नारायण
श्री गुरुवे नमः। गमी का भोजन करना चाहिए या नहीं। अंजना यादवछिंदवाड़ा
सत-चित-आनंद परब्रह्म में एकाकी होने का विकार कैसे आया ? अच्युत परब्रह्म विकार से च्युत कैसे हुए ? फिर परब्रह्म में कैवल्य मोक्ष मिलने के पश्चात भी ऐसे विकार की संभावना और भय सदा बनी ही रहेगी ? एकाकी विकार से ग्रसित होने की संभावना रखने वाला परब्रह्म कैसे सदा के लिए आनंद कैवल्य मोक्ष प्रदान कर सकेगा ?
क्या काल कर्म और स्वभाव नित्य अनादि और अविनाशी तत्त्व हैं ?
जब केवल एक परब्रह्म का अस्तित्व ही सिद्ध है और बाकी सभी माया मात्र है तो फिर वास्तव में इस क्षण के पूर्व में जो जीवन था याने की मेरा बचपन आदि वह वास्तविकता में था या माया द्वारा कपोल कल्पित है और यह अभी इसी क्षण से आरम्भ हुआ ? इस क्षण से पूर्व तक का जीवन जो साक्षात नहीं और सिर्फ स्मृति में है उसके सत्य की कोई प्रामाणिकता नहीं , इस से यह सिद्ध है की इस प्रश्न का उत्तर ना हाँ में और ना ही ना में दिया जा सकता है , इसका अर्थ यह हुआ की परब्रह्म , सृष्टि आदि का ज्ञान भी कपोल कल्पित बिजली की चमक की भाँती इसी क्षण स्मृति और शास्त्रों के रूप में प्रकट हो गया हो , यह पूर्ण रूपेण संभव है , तो क्या यह इस सिद्धांत के ही विरुद्ध नहीं ?
मैं स्वयं को सिर्फ एक स्वयं में अनुभव कर सकता हूँ , और मैं ब्रह्म ही हूँ , और सिर्फ ब्रह्म ही सत्य है बाकी सब मिथ्या है , तो क्या यह निष्कर्ष निकल सकता है की इस अनंत ब्रह्माण्ड में सिर्फ और सिर्फ मेरा ही अस्तित्व है बाकी किसी का नहीं , मेरे अस्तित्व में भी सिर्फ और सिर्फ मेरे मस्तिष्क का ही अस्तित्व सिद्ध होता है क्यूंकि मेरे द्वारा सोचने के कार्य के अलावा और किसी कार्य की प्रामाणिकता नहीं है क्यूंकि मैं विचार कर सकता हूँ यह तो सिद्ध है लेकिन इसके आगे सब मात्र कपोल कल्पना है इस सिद्धांत को नकारा नहीं जा सकता , तो क्या इसका मतलब यह हुआ की ऐसी संभावना है की इस अनंत ब्रह्माण्ड में केवल एक मस्तिष्क किसी तरह अस्तित्व में आ गया और वह इधर उधर उड़ता हुआ अपनी कल्पना में मस्त है ?(Boltzmann Brain एक सिद्धांत है उस से प्रेरित प्रश्न)
यदि माया द्वारा परब्रह्म ने स्वयं का एकाकीपन उपचार करने हेतु मायारूप मिथ्य सृष्टि रची तो यह सृष्टि इतनी व्यवस्थागत रूप से क्यों रची जिसमें नर नारायण हिरण्यगर्भ दिक्पाल जन्म मृत्यु आहार रोग आदि तार्किक और वैज्ञानिक प्रक्रियाएं कर्म फल आदि तार्किक सिद्धांत , कहने का तात्पर्य की व्यवस्थागत और तार्किक रूप से बोध होने , समझने और व्याख्या करने योग्य रचना ही क्यों करि ?
परब्रह्म के ही विवर्त रूप होने पर क्या एक व्यक्ति की मुक्ति से सभी की मुक्ति नहीं हो जानी चाहिए ? जैसे स्वप्न दृष्टा के जाग जाने पर उसका स्वप्न ख़त्म हो जाने पर उसके स्वप्न के सारे चरित्र भी विलय विलुप्त हो जाते हैं ?
कृपया इन प्रश्नो का निराकरण करें आचार्य श्री ऐसी मैं आपके श्री चरणों में नतमस्तक होकर विनती करता हूँ |
आपका प्रश्न अत्यंत तर्क पूर्ण एवं विचारणीय है जिसका उत्तर आदरणीय शँकरचार्य जी के पास नहीं है यही प्रश्न मेरे मन मे भी था इसका सत्य समाधान महर्षि कपिल के सांख्य दर्शन की सांख्य कारिका की आचार्य वाचस्पति मिश्र एवं गौड़ पाद तथा अनिरुद्ध की व्याख्या मे मिलेगा आयुष जी अपना ईमेल या सम्पर्क नंबर देने का कष्ट करें
बाप re
परमात्मा के पास मन नहीं होता है तो फिर उन्होंने इच्छा की कैसे बिना मन के?
हम तो मानव हैं मानव की तरह व्यवहार करेंगे फिर क्यों मनुष्य ग्रहों के प्रभाव से अच्छे और बुरे कर्म करता है और उनका फल भोगता है इसका जिम्मेदार कौन है
Pls start study of Geeta and knowledge from true Guru on this subject
स्वामीजी
अगर सब कुछ माया है संसार भी माया है फिर इस संसार के द्वारा मोक्ष प्राप्ति क्या है। क्या वो भी माया है।
परमात्मा तो अनंत काल तक रहता है उसका तो समय ही नहीं होता है
महाराज जी प्रणिपात् मैं जब मानसिक रूप से मंत्र जाप करता हूँ तो मेरे भृकुटी के मध्य तीव्र गति से लहर आती है जिसकी वजह से मैं बहुत दुबला हो जाता हूँ तथा निद्रा भी नहीं आती है मैं श्री विष्णु सहस्रनाम तथा पुरूषसूक्त से भी भगवान की स्तुति करता हूँ मैने परमात्म तत्व का दर्शन भी किया है व्यास पीठ तथा संतों का प्रवचन भी सुनता हूँ कृपया आत्मज्ञान की ओर ध्यान आकृष्ट करने की कृपा करें ।
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क्या परमात्मा भी मन से विचलित होकर , एकाकी और अन्य भावनाओ के बंधन में है? गुरु जी-
Paramatma is "Sad Chit Anand" . He is " Anant Anand" He can never be Sad/Bore. Pls start reading Geeta.
Pranaam Guru dev,
Parmatma to atmtript hain, atmaram hain to wo kaise bore ho sakte hain?
Dhanyavaad
Wo yamesha Atmtrip issi liye rahte hai kyu ki wo hamesha shrishti ke karya mai lage rahte hai .
Ab to khush hoga
He can never be happy,if you are Sad. Please read Geeta ,and some good real Guru, to understand the subject better