निष्काम कर्म जीवन में कैसे आए? || आचार्य प्रशांत, भगवद् गीता पर (2020)
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- เผยแพร่เมื่อ 8 ต.ค. 2023
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⚡ आचार्य प्रशांत कौन हैं?
अध्यात्म की दृष्टि कहेगी कि आचार्य प्रशांत वेदांत मर्मज्ञ हैं, जिन्होंने जनसामान्य में भगवद्गीता, उपनिषदों ऋषियों की बोधवाणी को पुनर्जीवित किया है। उनकी वाणी में आकाश मुखरित होता है।
और सर्वसामान्य की दृष्टि कहेगी कि आचार्य प्रशांत प्रकृति और पशुओं की रक्षा हेतु सक्रिय, युवाओं में प्रकाश तथा ऊर्जा के संचारक, तथा प्रत्येक जीव की भौतिक स्वतंत्रता व आत्यंतिक मुक्ति के लिए संघर्षरत एक ज़मीनी संघर्षकर्ता हैं।
संक्षेप में कहें तो,
आचार्य प्रशांत उस बिंदु का नाम हैं जहाँ धरती आकाश से मिलती है!
आइ.आइ.टी. दिल्ली एवं आइ.आइ.एम अहमदाबाद से शिक्षाप्राप्त आचार्य प्रशांत, एक पूर्व सिविल सेवा अधिकारी भी रह चुके हैं।
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#acharyaprashant
वीडियो जानकारी: 24.01.2020, अद्वैत बोध शिविर, ग्रेटर नॉएडा, उत्तर प्रदेश, भारत
प्रसंग:
यस्त्विन्द्रियाणि मनसा नियम्यारभतेऽर्जुन ।
कर्मेन्द्रियैः कर्मयोगमसक्तः स विशिष्यते ॥3.7॥
भावार्थ : किन्तु हे अर्जुन! जो पुरुष मन से इन्द्रियों को वश में करके अनासक्त हुआ समस्त इन्द्रियों द्वारा कर्मयोग का आचरण करता है, वही श्रेष्ठ है॥7॥
~ श्रीमद् भगवद्गीता (अध्याय ३, श्लोक ७)
~ निष्काम कर्म का वास्तविक मर्म क्या हैं?
~ निष्कामता से कर्म कैसे करें?
~ निष्काम कर्मयोग का सिद्धांत क्या हैं?
संगीत: मिलिंद दाते
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जब वास्तविक हित किसी कामना से पूरा नही हो रहा तो निष्काम हो जाओगे।
Bina swarth ke life m work kro divaro ko today chye or aage bdna❤❤v thanks or v right sir ji
नाम का होना तब तक जरुरी है, जब तक सही काम न मिले
Ahimsa and veganism is spirituality 🙏🌍🙏🌎
Koti koti naman acharya ji
Koti koti pranam guruji 🙏🙏🙏
🙏
Hardik naman gurubar amazing gyan ❤❤❤❤
Aacharya ji Pranam❤❤🎉
Vagawan aachary parshant jyu ka charno me koti koti naman
नमन आचार्य जी। 🙏
Sir plz thoda practical situations ke sath bataiyeee
Pranam Aacharya ji
धन्यवाद आचार्य जी
Thanku sir ji gud guidance 🙏
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
शत् शत् नमन आचार्य श्री🙏🙏🙏
Bohuth Bohuth sahi hai Aacharya ji 🙏🙏🙏🙏
🙏🏻🙏🏻🙏🏻🌻🌻🌻
❤❤❤❤🙏🙏🙏🙏🙏
Thanks
❤❤❤❤❤🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Page laggu🙏
अपनी कामना हो अपनी इच्छाओं को जरा जांच हो वह अधिकांश था तुम्हारे अहंकार से ही निकालरही होगी
निष्काम था के दो प्रकार या तरीके :-
(a) अपनी कामना के कारण का दायरा बढ़ाकर जैसे यदि आप पहले कहते थे कि मैं केवल अपने परिवार के लिए काम करता हूं तो अब अपने समाज के लिए कम करें
b)कोई भी काम सत्य के लिए या कृष्ण के लिए करें
क्योंकि आज तक आपने जितने सारे काम अपनी कामना से किए हैं उनकी परिणीति अंतत: दुख ही रही है उससे आपको कुछ स्थाई नहीं मिला है
क्योंकि जो आपकी कामना थी वह गलत थी या अत्यंत क्षणिक व छोटी थी इसका केंद्र आत्मा की जगह अहंकार था
हम जीवन में जितने भी अधिकांश कार्य करते हैं उसका केंद्र अहंकार होता है
अहकार के केन्द्र मे होने के कारण हमें हमेशा अपूर्ण की ही अनुभूति होती है और उसे पूरा करने के लिए हम कार्य करते रहते हैं इसलिए यह आवश्यक है कि कार्यों का केंद्र आत्मा हो जिससे हमें पूर्णता .मिल सके हालांकि यह कम पूरे जीवन पर्यंत तक चलता रहता है
🙏🙏🙏🙏🙏🙏
salute sir
10:08 22:51
🙏
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