वेदों का प्रचार प्रसार किया/ ऋषि गीत/ रचनाकार हितेंद्र आर्य जी/Prabhu Stuti-Kirti Khurana/ 291
ฝัง
- เผยแพร่เมื่อ 9 ก.พ. 2024
- 🚩🕉️🔥🙏🚩🕉️🔥🙏
धन्य है तुझको ऐ ऋषि..
तर्ज: यह देश है वीर जवानों का
वेदों का प्रचार प्रसार किया;
अनगिन हम पर उपकार किया।
उस ऋषि को शीश झुकाते है;
कुछ सुंदर वचन सुनाते है।
निर्बल की रक्षा जो करता;
सद्गुण से जीवन को भरता।
वही मानव वीर कहाते हैं;
अपना सौभाग्य जगाते है।
अन्याय के सम्मुख मत झुकना;
परमार्थ राह पर मत रुकना;
वेदों की तरफ लौटाते हैं;
शुभकर्म से प्रीति बढ़ाते हैं।
धृति क्षमा धर्म के लक्षण दस;
कर पालन विषयों में ना फँस।
जो योग अष्टांग अपनाते हैं;
पूरी आयु को पाते हैं।
मन को स्वाध्याय में नित्य लगा;
भक्ति विवेक की लौ को जगा।
जो संध्या करते कराते हैं;
संस्कार से खुद को सजाते हैं।
त्यागो जो भी है वेद विरूद्ध;
कर के बुद्धि व मन को शुद्ध।
जो जो प्रभु ओ३म को गाते हैं;
आनंद धाम को पाते हैं।
होवें स्वराज्य यह करो जतन,
'हित' चाहो राष्ट्र का सदा प्रथम।
आजादी यज्ञ रचाते हैं;
लाखो आहूति बन जाते हैं।
🚩🕉️🔥🙏🚩🕉️🔥🙏
बहुत सुन्दर 👌
Dhanyawad