मुक्तिबोध।। गजानन माधव मुक्तिबोध ।।अंधेरे में।। चाँद का मुँह टेढ़ा है।। Gajanan Madhav Muktibodh ||

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  • เผยแพร่เมื่อ 29 ส.ค. 2024
  • मुक्तिबोध।। गजानन माधव मुक्तिबोध ।।अंधेरे में।। चाँद का मुँह टेढ़ा है।। Gajanan Madhav Muktibodh || Andhere me || Chand Ka Munh Tedha Hai
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    गजानन माधव मुक्तिबोध का जन्म-13 नवम्बर 1917
    मौत- 11 सितम्बर 1964
    हिन्दी साहित्य के प्रमुख कवि, आलोचक, निबंधकार, कहानीकार तथा उपन्यासकार ।
    प्रगतिशील कविता और नयी कविता के बीच का सेतु ।
    पिता - माधवराव मुक्तिबोध।
    माँ - पार्वतीबाई।
    मुक्तिबोध का घर नाम ‘बाबूसाहब’।
    सन 1930 ई. में मुक्तिबोध ने मिडिल की परीक्षा में फेल होने को अपने जीवन की पहली महत्त्वपूर्ण घटना के रूप में स्वीकार किया है।
    सन 1939 में शांता से प्रेम विवाह।
    होल्कर विश्वविद्यालय से बीए करने के बाद मॉडर्न स्कूल में अध्यापन का कार्य।
    वर्ष 1940 में मुक्तिबोध शुजालपुर के शारदा शिक्षा सदन में पढ़ाने लगे।
    हंस के सम्पादन कार्य से 1945 में जुड़े।
    साप्ताहिक पत्र “नया खून” का भी संपादन किया।
    वर्ष 1954 में नागपुर विश्वविद्यालय से परास्नातक।
    1958 में दिग्विजय महाविद्यालय, राजनंदगाँव में प्राध्यापक के पद पर नियुक्ति।
    मुक्तिबोध अस्तित्ववादी विचारधारा के समर्थक थे।
    इनकी कविता पहली बार वर्ष 1943 में सच्चिदानंद हीरानंद वात्सायन 'अज्ञेय' के संपादन में निकलने वाली पत्रिका तारसप्तक में छपी। मुक्तिबोध तारसप्तक के पहले कवि थे।
    रचनाएँ:-
    'कामायनी: एक पुनर्विचार'
    'एक साहित्यिक की डायरी'
    'चाँद का मुँह टेढ़ा है'
    “नयी कविता का आत्मसंघर्ष तथा अन्य निबन्ध’’-
    'काठ का सपना'
    'विपात्र'
    ‘सतह से उठता हुआ आदमी’
    'भूरी-भूरी खाक धूल'
    समीक्षा की समस्याएं
    'मुक्तिबोध रचनावली'
    मुक्तिबोध की प्रमुख कविताएं हैं-’भूल गलती’, ‘एक अंतर्कथा’, ‘चकमक की चिनगारियां’, ‘एक स्वप्न कथा’, ‘चम्बल की घाटी में’, ‘अंत:करण का आयतन’, ‘इस चौड़े ऊँचे टीले पर’, ‘ओकाव्यात्मन: फणिधर’, ‘मुझे याद आते हैं’, ‘जब प्रश्न चिन्ह बौखला उठे’,’ब्रह्मराक्षस’, ‘दिमागी गुहाँधकार का ओरांग उटांग’ और ‘अंधेरे में’।
    मुक्तिबोध की अन्य कविताएँ- 'शब्दों का अर्थ जब', ‘बारह बजे रात के’, ‘मीठा बेर’, ‘आज जो चमकदार प्रज्ज्वलित’, ‘इसी बैलगाड़ी को’, ‘ओ अप्रस्तुत श्रोता’, ‘भविष्य धारा’
    मुक्तिबोध की प्रथम कहानी है ‘मानवीय पशुता’
    मुक्तिबोध की प्रसिद्ध कहानियाँ-‘एक दाखिल दफ्तर साँझ’, ‘अँधेरे में’, ‘ब्रह्मराक्षस का शिष्य’, ‘काठ का सपना’, ‘पक्षी और दीमक’ क्‍लॉड ईथरली, जंक्‍शन, पक्षी और दीमक, प्रश्न, ब्रह्मराक्षस का शिष्य, लेखन, सौन्‍दर्य के उपासक
    महत्वपूर्ण निबंध- ‘तीसरा क्षण’, ‘एक लंबी कविता का अंत’, ‘कलाकार की व्यक्तिगत र्इमानदारी’, ‘हाशिये पर कुछ नोट्स’ और ‘डबरे का सूरज’ आदि ।
    "अब अभिव्यक्ति के सारे ख़तरे उठाने ही होंगे। तोड़ने होंगे ही मठ और गढ़ सब।"
    मुक्तिबोध आत्मसाक्षात्कार की कविता करने वाले कवि हैं। ‘परम अभिव्यक्ति की खोज’ की बात मुक्तिबोध ने की है। 'फैंटेसी’ का प्रयोग करने वाले कवि मुक्तिबोध हैं।
    'अंधेरे में' कविता का प्रकाशन ‘कल्पना’ पत्रिका के नवंबर 1964 के अंक में ‘आशंका के द्वीप अँधेरे में’ नाम से हुआ था।
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